
इस अंक की झलकियां
मानसून सत्र 2022 शुरू; 32 बिल पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध
मानसून सत्र 18 जुलाई, 2022 से शुरू हुआ और सत्र के दौरान 18 दिन की बैठक निर्धारित है। सत्र के दौरान 24 बिल पेश किए जाएंगे जिनमें मानव तस्करी (संरक्षण, देखभाल एवं पुनर्वास) बिल, 2022 शामिल है।
लोकसभा ने तीन बिल पारित किए
लोकसभा ने फैमिली कोर्ट्स (संशोधन) बिल, 2022, भारतीय अंटार्कटिका बिल, 2022 और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बिल, 2021 पारित किए।
2022-23 की पहली तिमाही में रीटेल मुद्रास्फीति 7.3%
2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की तुलना में 2022-23 की पहली तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 7.3% थी। जनवरी 2021 से सीपीआई मुद्रास्फीति 6% के अधिकतम सहिष्णुता स्तर से अधिक रही है।
कैबिनेट ने बीएसएनएल के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपए मूल्य के रिवाइवल प्लान को मंजूरी दी
रिवाइवल प्लान से बीएसएनएल के लिए मौजूदा सेवाओं की गुणवत्ता को उन्नत करने, 4जी सेवाओं को शुरू करने और अपनी देनदारियों के पुनर्गठन में आसानी होगी। इससे बीएसएनएल को 2026-27 तक मुनाफा कमाने में मदद मिलेगी।
कुछ पर्यावरण कानूनों में ड्राफ्ट संशोधन जारी
ड्राफ्ट संशोधन कुछ उल्लंघनों को कम करने का प्रयास करते हैं जैसे कि सीवर में अपशिष्ट को बहाना और मानकों से अधिक प्रदूषक बहाना या फेंकना, और कुछ शर्तों से औद्योगिक संयंत्रों को छूट देने का प्रयास करते हैं।
डॉट ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए नए कानूनी ढांचे पर टिप्पणियां आमंत्रित कीं
दूरसंचार विभाग का कहना है कि वर्तमान दूरसंचार कानून भारत की स्वतंत्रता से बहुत पहले लागू किए गए थे। तकनीकी तरक्की के मद्देनजर कानूनी ढांचे को अपडेट करने की जरूरत है।
ड्राफ्ट मर्चेंट शिपिंग (संशोधन) बिल, 2022 पर टिप्पणियां आमंत्रित
ड्राफ्ट बिल जहाजों की श्रेणी का विस्तार करता है जिन्हें एक्ट के तहत पंजीकृत किया जा सकता है और कुछ अपराधों को अपराध मुक्त करता है। यह भारतीय जहाजों के आंशिक स्वामित्व की अनुमति देता है जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है।
स्टैंडिंग कमिटी ने मध्यस्थता बिल, 2021 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
मध्यस्थता बिल मध्यस्थता को बढ़ावा देने तथा मुकदमे पूर्व मध्यस्थता को अनिवार्य करने का प्रयास करता है। कमिटी ने कहा कि मुकदमे पूर्व मध्यस्थता की अनिवार्यता पर पुनर्विचार किया जाए और इसे चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाए।
स्टैंडिंग कमिटीज़ ने विभिन्न विषय पर रिपोर्ट्स सौंपी
शिक्षा मानकों की समीक्षा, परीक्षा सुधार, उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के आरक्षण और मेट्रो रेल परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट्स प्रस्तुत की गईं।
विकलांग व्यक्तियों के लिए उड्डयन संबंधी रेगुलेशंस में संशोधन
संशोधित रेगुलेशंस निर्दिष्ट करते हैं कि एयरलाइन शारीरिक या मानसिक अक्षमता, या कम मोबिलिटी के आधार पर यात्रियों को उड़ान भरने से नहीं रोकेंगी। यह सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर से परामर्श किया जा सकता है कि व्यक्ति उड़ान भरने के लिए फिट है।
सर्विस चार्ज की अनिवार्य वसूली पर प्रतिबंध; दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिशानिर्देशों पर रोक लगाई
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी ने रेस्त्रां और होटलों को बिल में अपने आप सर्विस चार्ज जोड़ने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिशानिर्देशों पर रोक लगा दी है।
सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जारी किया
फ्रेमवर्क गैर-लाभकारी और लाभकारी सामाजिक उद्यमों को सोशल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए धन जुटाने की अनुमति देता है। जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट जारी करके और म्यूचुअल फंड के माध्यम से दान करके फंड जुटाया जा सकता है।
संसद
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
संसद का मानसून सत्र 2022 प्रारंभ
संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई, 2022 को प्रारंभ हुआ। सत्र के दौरान 18 दिन बैठक होगी और यह 12 अगस्त, 2022 को समाप्त होगा।[1] सत्र में 32 बिल्स विचार और पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध हैं। इनमें राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बिल, 2021, वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन बिल, 2021, भारतीय अंटार्कटिका बिल, 2022 और सामूहिक विनाश के हथियार और उनके डिलिवरी सिस्टम्स (गैरकानूनी गतिविधियों पर प्रतिबंध) संशोधन बिल, 2022 शामिल हैं। जिन 32 बिल्स को पारित किया जाना निर्धारित है, उनमें से 24 सत्र के दौरान पेश किए जाएंगे। इनमें इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) बिल, 2022, मानव तस्करी (संरक्षण, देखभाल एवं पुनर्वास) बिल, 2022, प्रेस और पीरिऑडिकल्स का पंजीकरण बिल, 2022 और खान एवं खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2022 शामिल हैं। संसद में अब तक एक ही बिल पेश किया गया है, फैमिली कोर्ट्स बिल, 2022।
लोकसभा ने तीन बिल्स पारित किए हैं: (i) फैमिली कोर्ट्स (संशोधन) बिल, 2022, (ii) भारतीय अंटार्कटिका बिल, 2022 और (iii) राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बिल, 2021। राज्यसभा में सामूहिक विनाश के हथियार और उनके डिलिवरी सिस्टम्स (गैरकानूनी गतिविधियों पर प्रतिबंध) संशोधन बिल, 2022 पर चर्चा प्रारंभ हुई लेकिन समाप्त न हो सकी।
मानसून सत्र 2022 के लेजिसलेटिव एजेंडा पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2022-23 की पहली तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 7.3% रही
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति (आधार वर्ष 2012) 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की तुलना में 2022-23 की पहली तिमाही में 7.3% थी।[2] यह 2021-22 की पहली तिमाही में 5.6% और 2021-22 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 6.3% की सीपीआई मुद्रास्फीति से अधिक थी। जनवरी 2021 से सीपीआई मुद्रास्फीति 6% के अधिकतम सहिष्णुता स्तर से अधिक रही है। यह दर मुद्रास्फीति लक्षित फ्रेमवर्क के तहत निर्धारित है।[3]
2022-23 की पहली तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 8% थी जो कि 2021-22 में इसी तिमाही की 4.4% की दर से अधिक थी। खाद्य मुद्रास्फीति 2021-22 की चौथी तिमाही में 6.3% थी।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति (आधार वर्ष 2011-12) 2022-23 की पहली तिमाही में 15.5% थी, जबकि 2021-22 की पहली तिमाही में 12% थी।[4] 2021-22 की चौथी तिमाही में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 13.9% थी।
रेखाचित्र 1: 2022-23 की पहली तिमाही में मासिक मुद्रास्फीति (परिवर्तन का %, वर्ष दर वर्ष)
स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय; पीआरएस।
वित्त
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
वित्तीय सेवा संस्थानों के बोर्ड्स में नियुक्तियों का सुझाव देने हेतु वित्तीय सेवा संस्थान ब्यूरो की स्थापना
वित्त मंत्रालय ने एक वित्तीय सेवा संस्थान ब्यूरो (एफएसआईबी) का गठन किया है।[5] एफएसआईबी वित्तीय सेवा संस्थानों के बोर्ड्स में पूर्णकालिक निदेशकों और गैर-कार्यकारी अध्यक्षों के रूप में नियुक्ति के लिए व्यक्तियों का सुझाव देगा। वित्तीय सेवा संस्थानों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के बीमाकर्ता शामिल हैं। एफएसआईबी बैंक्स बोर्ड ब्यूरो के स्थान पर बनाया गया है जिसके पास ऐसी ही जिम्मेदारियां थीं। एफएसआईबी के बारे में मुख्य विवरण इस प्रकार हैं:
कार्य: निदेशकों और अध्यक्षों के रूप में नियुक्ति के लिए व्यक्तियों की सिफारिश करने के अलावा, एफएसआईबी केंद्र सरकार को निम्नलिखित पर सलाह देगा: (i) वित्तीय सेवा संस्थानों की वांछित प्रबंधन संरचना, (ii) वित्तीय संस्थानों में निदेशकों के लिए आचार संहिता और नैतिकता का निर्माण और प्रवर्तन, (iii) ऐसे संस्थानों को व्यावसायिक रणनीतियों और पूंजी जुटाने की योजना विकसित करने में मदद करना, और (iv) प्रबंधन कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करना।
संयोजन: एफएसआईबी में एक अंशकालिक अध्यक्ष, चार पदेन सदस्य और केंद्र सरकार द्वारा नामित छह अंशकालिक सदस्य होंगे। पदेन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वित्तीय सेवा विभाग के सचिव, (ii) सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव, (iii) भारतीय बीमा रेगुलेटरी और विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, और (iv) भारतीय रिजर्व बैंक के एक डिप्टी गवर्नर। मनोनीत सदस्यों को पूर्व बैंकरों, पूर्व रेगुलेटर्स, शिक्षाविदों और व्यवसायियों में से चुना जाएगा।
आरबीआई ने भारतीय रुपए में अंतरराष्ट्रीय व्यापार निपटान की अनुमति दी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारतीय रुपए में निर्यात और आयात के चालान, भुगतान और निपटान की अनुमति दे दी है।[6] ऐसा निम्नलिखित के लिए किया गया है: (i) भारतीय निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना, और (ii) भारतीय रुपए में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि को सहारा देना। नई व्यवस्था लागू करने से पहले अधिकृत डीलर बैंकों को आरबीआई से मंजूरी लेनी होगी। इस व्यवस्था के तहत चालान के लिए, सभी निर्यात और आयात का मूल्यवर्ग और चालान रुपए में होगा। दो व्यापारिक भागीदारों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित की जा सकती है।
आरबीआई ने विदेशी मुद्रा प्रवाह को उदार बनाने के उपायों की घोषणा की
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भारत में विदेशी मुद्रा के प्रवाह को उदार बनाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है।[7] आरबीआई ने कहा है कि वित्तीय बाजारों में अस्थिरता और अमेरिकी डॉलर की मांग में वृद्धि के कारण, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं का मूल्यह्रास हो रहा है। प्रमुख उपायों में शामिल हैं:
वैधानिक जमा से छूट: 1 जुलाई, 2022 से पहले बैंकों को सभी विदेशी मुद्रा अनिवासी बैंक [एफसीएनआर (बी)] और अनिवासी (बाहरी) रुपया (एनआरई) जमा को शुद्ध मांग और सावधि देनदारियों (एनडीटीएल) के तहत शामिल करना आवश्यक था। एनडीटीएल का उपयोग उन जमाराशियों के अनुपात की गणना करने के लिए किया जाता है जिन्हें बैंकों को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और वैधानिक तरलता अनुपात (एलएलआर) के तहत बनाए रखना होता है। सीआरआर नकद आरक्षित राशि है जिसे बैंकों को आरबीआई के पास रखना होता है। एसएलआर जमा की वह राशि है जो बैंकों को सोने और सरकारी प्रतिभूतियों जैसी कुछ संपत्तियों में अनिवार्य रूप से निवेश करनी होती है। आरबीआई ने अब 1 जुलाई, 2022 से 4 नवंबर, 2022 तक जुटाई गई वृद्धिशील विदेशी मुद्रा जमा को सीआरआर और एसएलआर शर्तों से छूट दी है।
जमा पर ब्याज: पहले एफसीएनआर(बी) जमाराशियों पर ब्याज दरें एक उच्चतम सीमा के अधीन थीं जो एक बेंचमार्क ब्याज दर के आधार पर निर्धारित की जाती थी। इसी तरह एनआरई जमाराशियों पर ब्याज दरें घरेलू रुपया सावधि जमाओं की तुलना में अधिक नहीं हो सकती हैं। 7 जुलाई, 2022 और 31 अक्टूबर, 2022 के बीच एफसीएनआर (बी) और एनआरई जमा से संबंधित बैंकों की ब्याज दर में बदलाव को इन नियमों से छूट दी जाएगी।
ऋण में एफपीआई निवेश: सरकारी प्रतिभूतियों और कॉरपोरेट बॉन्ड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए निवेश चैनलों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मध्यम अवधि की रूपरेखा (एमटीएफ), और (ii) फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर)। एफएआर के तहत, एफपीआई बिना किसी निवेश सीमा के निर्दिष्ट सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं। निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की वर्तमान सूची में पांच वर्ष, 10 वर्ष और 30 वर्ष की अवधि वाली सभी केंद्र सरकार की प्रतिभूतियां शामिल हैं। आरबीआई ने अब सात वर्ष और 14 वर्ष की अवधि के साथ जारी सभी नई सरकारी प्रतिभूतियों को शामिल करने के लिए इस सूची का विस्तार किया है। एमटीएफ के तहत, कॉरपोरेट ऋण और सरकारी प्रतिभूतियों दोनों के लिए, अधिकतम 30% एफपीआई निवेश एक वर्ष से कम की रेसीड्यूल मेच्योरिटी वाले इंस्ट्रूमेंट्स में हो सकता है। एफपीआई द्वारा सरकार और कॉरपोरेट ऋण में किए गए निवेश को 31 अक्टूबर, 2022 तक इस सीमा से छूट दी जाएगी।
आरबीआई ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए संशोधित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जारी किया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबीज़) के लिए एक संशोधित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जारी किया है।[8] एक एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों के आधार पर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को संशोधित किया गया है। प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
यूसीबीज़ की श्रेणियां: यूसीबीज़ को चार टियर्स में वर्गीकृत किया जाएगा।
तालिका 1: यूसीबीज़ की श्रेणियां
श्रेणी |
मानदंड |
टियर 1 |
सभी यूनिट यूसीबी, वेतनभोगियों के यूसीबी (जमा आकार के बावजूद), और 100 करोड़ रुपए तक की जमा राशि वाले अन्य यूसीबी |
टियर 2 |
100 करोड़ और 1,000 करोड़ रुपए के बीच की जमा |
टियर 3 |
1000 करोड़ और 10,000 करोड़ रुपए के बीच की जमा |
टियर 4 |
10,000 करोड़ रुपए से अधिक की जमा |
स्रोत: आरबीआई; पीआरएस।
एक ही जिले में कार्यरत टियर 1 शहरी सहकारी बैंकों की न्यूनतम शुद्ध संपत्ति दो करोड़ रुपए होनी चाहिए। अन्य सभी शहरी सहकारी बैंकों की न्यूनतम शुद्ध संपत्ति पांच करोड़ रुपए होनी चाहिए।
पूंजी की जरूरत: टियर 1 शहरी सहकारी बैंकों के लिए जोखिम-भारित परिसंपत्ति अनुपात की न्यूनतम पूंजी को 9% पर बरकरार रखा गया है जबकि अन्य टियर्स में शहरी सहकारी बैंकों के लिए इसे बढ़ाकर 12% कर दिया गया है। यह निर्धारित किया गया है क्योंकि ये शहरी सहकारी बैंक वर्तमान में परिचालन जोखिमों के लिए कोई पूंजी प्रावधान नहीं रखते हैं। जो बैंक वर्तमान में संशोधित पूंजी मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से 31 मार्च, 2026 तक ऐसा करना होगा।
शाखा का विस्तार: वित्तीय रूप से मजबूत और अच्छी तरह से प्रबंधित शहरी सहकारी बैंकों को पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में 10% नई शाखाएं खोलने की अनुमति दी जाएगी। इसकी अनुमति ऑटोमेटिक रूट से दी जाएगी। इससे पहले नई शाखा खोलने के लिए पूर्व अनुमोदन की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
आरबीआई ने जलवायु जोखिम और सतत वित्त पर चर्चा पत्र जारी किया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जलवायु जोखिम और सतत वित्त पर एक चर्चा पत्र जारी किया।[9] आरबीआई ने कहा है कि जलवायु संबंधी जोखिमों से संबंधित अनिश्चितता किसी रेगुलेटेड संस्था (जैसे बैंक) की सुरक्षा और लचीलेपन को खतरा पैदा कर सकती है। रेगुलेटेड संस्थाओं को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय ह्रास से उत्पन्न होने वाले जोखिमों और अवसरों का प्रबंधन करना चाहिए। चर्चा पत्र में कहा गया है कि ऐसी वित्तीय प्रणाली की जरूरत बढ़ रही है जो हरित वित्तपोषण की ओर बढ़त बनाए।
पेपर ने जलवायु संबंधी मुद्दों से जुड़े विभिन्न जोखिमों की पहचान की। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भौतिक जोखिम (जलवायु परिवर्तन से संबंधित घटनाओं की आर्थिक लागत और वित्तीय नुकसान), और (ii) संक्रमणकाल का जोखिम (निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था में समायोजित होने से उत्पन्न)। भौतिक जोखिम रेगुलेटेड संस्थाओं के अपेक्षित नकदी प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं क्योंकि प्रतिकूल मौसम के कारण ऋण जोखिम तनावग्रस्त हो सकता है। संक्रमणकाल का जोखिम पुरानी तकनीक पर आधारित परिसंपत्तियों के मूल्य में गिरावट का कारण बन सकता है, जबकि स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए नए प्रयोग किए जाते हैं।
30 सितंबर, 2022 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
सेबी ने बांड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर परामर्श पत्र जारी किया
भारतीय सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) ने ऑनलाइन बॉन्ड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[10] ऋण प्रतिभूतियां या तो सार्वजनिक निर्गमों के माध्यम से या निजी नियोजन पर जारी की जा सकती हैं। निजी तौर पर रखी गई ऋण प्रतिभूतियों के लिए, कुछ निर्गमों को इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से अनिवार्य रूप से किया जाना है। वर्तमान में योग्य संस्थागत खरीदार (जैसे बैंक) और गैर-संस्थागत खरीदार इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर ऋण प्रतिभूतियों के लिए बोली लगाने के पात्र हैं। हालांकि, जब निजी नियोजन के माध्यम से पर्याप्त संख्या में ऋण प्रतिभूतियां जारी की जाती हैं, तो गैर-संस्थागत खरीदारों की कोई भागीदारी नहीं होती है।
सेबी ने कहा है कि इससे पिछले दो से तीन वर्षों में कई ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म का आगमन हो सकता है। ऐसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से गैर-संस्थागत निवेशकों को ऋण प्रतिभूतियां बेचते हैं। सेबी का कहना है कि ये प्लेटफॉर्म किसी रेगुलेटरी दायरे में नहीं आते हैं। प्रस्तावित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत इन बॉन्ड प्लेटफॉर्म्स को सेबी के साथ स्टॉक ब्रोकर के रूप में पंजीकृत किया जाएगा या सेबी पंजीकृत दलालों द्वारा चलाया जाना चाहिए। उन्हें आबंटन तिथि से छह महीने की लॉक-इन अवधि के साथ केवल सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री की पेशकश करने की अनुमति होगी।
टिप्पणियां 12 अगस्त, 2022 तक आमंत्रित हैं।
सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जारी किया
भारतीय सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को अधिसूचित किया।[11] प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
धन जुटाने के लिए पात्र संस्थाएं: गैर-लाभकारी और लाभकारी सामाजिक उद्यम एसएसई के माध्यम से धन जुटा सकते हैं। एक सामाजिक उद्यम को निर्दिष्ट गतिविधियों में शामिल होना चाहिए जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भूख, गरीबी, कुपोषण और असमानता का उन्मूलन, (ii) शिक्षा, रोजगार और आजीविका को बढ़ावा देना, (iii) स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना, और (iv) ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए आजीविका को बढ़ावा देना। ऐसे उद्यमों को उन अविकसित या अल्पविकसित आबादी वाले सेगमेंट्स या क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिन्होंने विकास प्राथमिकताओं में निम्न स्तरीय प्रदर्शन किया है। कुछ निकाय जैसे कॉरपोरेट फाउंडेशन, राजनीतिक या धार्मिक संगठन और पेशेवर या व्यापार संघ सामाजिक उद्यम के रूप में वर्गीकृत होने के पात्र नहीं होंगे।
धन जुटाने के तरीके: गैर-लाभकारी संगठन निम्नलिखित के माध्यम से धन जुटा सकते हैं: (i) संस्थागत और गैर-संस्थागत निवेशकों को जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स जारी करके, और (ii) म्यूचुअल फंड के माध्यम से डोनेशंस। जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स की परिपक्वता पर कोई कूपन भुगतान या मूलधन पुनर्भुगतान नहीं होगा। उनके पास एक करोड़ रुपए का न्यूनतम निर्गम आकार होगा। लाभकारी सामाजिक उद्यम निम्नलिखित के माध्यम से धन जुटा सकते हैं: (i) इक्विटी शेयर जारी करना, और (ii) ऋण प्रतिभूतियां जारी करना।
म्युचुअल फंड्स को इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के तहत लाने के लिए सेबी ने परामर्श पत्र जारी किया
भारतीय सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंड लेनदेन को इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के निषेध के तहत लाने पर एक परामर्श पत्र जारी किया।[12] सेबी का कहना है कि कुछ मामलों में, म्यूचुअल फंड कंपनियों के कुछ प्रमुख अधिकारियों ने मूल्य संबंधी कुछ गुप्त जानकारियों का लाभ उठाकर योजनाओं में अपनी होल्डिंग्स को रिडीम किया। हालांकि योजनाओं के यूनिट होल्डर्स को यह सूचना नहीं दी गई थीं। वर्तमान में म्युचुअल फंड की यूनिट्स इनसाइडर ट्रेडिंग को प्रतिबंधित करने वाले नियमों के दायरे से बाहर हैं। सेबी ने एक इनसाइड को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करने का प्रस्ताव रखा है जो या तो कनेक्टेड है या उसके कब्जे में कोई अप्रकाशित मूल्य संवेदी जानकारी है। सेबी ने निम्नलिखित पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं कि क्या: (i) म्यूचुअल फंड यूनिट्स में डीलिंग को इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के निषेध के दायरे में लाया जाना चाहिए, और (ii) एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया या सभी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के पास ऐसे प्लेटफॉर्म होने चाहिए जहां यूनिट धारकों के लिए आम तौर पर उपलब्ध जानकारी को सुलभ बनाया गया है।
संचार
Saket Surya (saket@prsindia.org)
कैबिनेट ने बीएसएनएल के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपए मूल्य के रिवाइवल प्लान को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीएसएनएल के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपए की पुनरुद्धार योजना को मंजूरी दी है।[13] इस योजना से बीएसएनएल को: (i) मौजूदा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने, (ii) 4जी सेवाओं को शुरू करने, और (iii) अपनी देनदारियों का पुनर्गठन करने में मदद मिलने की उम्मीद है। उम्मीद है कि इससे वह वित्तीय रूप से लाभप्रद होगा और 2026-27 तक उसे लाभ अर्जित होने लगेगा। पुनरुद्धार योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
वित्तीय सहयोग: सरकार विभिन्न उद्देश्यों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी: (i) इक्विटी निवेश के माध्यम से 44,993 करोड़ रुपए के स्पेक्ट्रम का आबंटन, (ii) पूंजीगत व्यय के लिए 22,471 करोड़ रुपए, (iii) पिछले वर्षों (2014-20) के दौरान किए गए वाणिज्यिक रूप से अव्यावहारिक ग्रामीण वायरलाइन ऑपरेशन के लिए 13,789 करोड़ रुपए की वायबिलिटी गैप फंडिंग, (iv) 33,404 करोड़ रुपए के लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क की बकाया राशि को इक्विटी में बदलना, और (v) जीएसटी, लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के बकाये के निपटान के लिए धनराशि।
वैधानिक बकाया, पूंजीगत व्यय के प्रावधान और स्पेक्ट्रम के आबंटन के बदले में बीएसएनएल की अधिकृत शेयर पूंजी को 40,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1,50,000 करोड़ रुपए किया जाएगा। बीएसएनएल केंद्र सरकार को 7,500 करोड़ रुपए के प्रिफरेंस शेयर फिर से जारी करेगा। प्रिफरेंस शेयरों के धारकों को लाभांश भुगतान में प्राथमिकता मिलती है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार 40,399 करोड़ रुपए के दीर्घकालिक ऋण के लिए गारंटी प्रदान करेगी।
बीएसएनएल और बीबीएनएल का विलय: भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) का बीएसएनएल में विलय किया जाएगा। बीबीएनएल भारतनेट योजना के तहत ऑप्टिकल फाइबर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने और प्रबंधित करने के लिए स्थापित एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।[14] ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 2011 में भारतनेट योजना शुरू की गई थी।14 भारतनेट इंफ्रास्ट्रक्चर एक राष्ट्रीय संपत्ति बनी रहेगी, और सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए गैर-भेदभावपूर्ण आधार पर सुलभ होगी।13
टेलीकॉम क्षेत्र के लिए नए कानूनी ढांचे पर टिप्पणियां आमंत्रित
दूरसंचार विभाग ने ‘भारत में दूरसंचार का प्रबंधन करने वाले नए कानूनी ढांचे की आवश्यकता’ पर एक परामर्श पत्र जारी किया।[15] विभाग का कहना है कि वर्तमान कानून भारत की स्वतंत्रता से बहुत पहले लागू किए गए थे। तकनीकी तरक्की को देखते हुए हितधारकों ने कानूनी ढांचे को अपडेट करने की जरूरत पर जोर दिया है। परामर्श पत्र के तहत प्रमुख प्रस्तावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
मौजूदा कानूनों का विस्तार: भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1885 के तहत केंद्र सरकार के पास दूरसंचार स्थापित करने और उसे बरकरार रखने का विशेष विशेषाधिकार है। सरकार इन गतिविधियों के लिए अन्य संस्थाओं को लाइसेंस प्रदान कर सकती है। इसके अतिरिक्त भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट, 1933 में वायरलेस संचार उपकरण रखने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है। परामर्श पत्र में उल्लेख किया गया है कि दूरसंचार के मामले में सरकार के विशिष्ट विशेषाधिकार को विभिन्न न्यायालयों के तहत मान्यता दी गई है। उसी बुनियादी ढांचे पर एक नया कानून बनाना चाहिए। कानून के तहत केंद्र सरकार को मानकों को निर्धारित करने का अधिकार होना चाहिए। उसे सार्वजनिक सुरक्षा, सार्वजनिक आपातकाल और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी आवश्यकता को ध्यान में रखना चाहिए।
स्पेक्ट्रम का प्रबंधन: परामर्श पत्र में नए कानून के तहत स्पेक्ट्रम प्रबंधन के प्रावधान का प्रस्ताव है। उसमें कहा गया है कि इस समय नीतियों और अदालती आदेशों के संयोजन से स्पेक्ट्रम प्रबंधन किया जाता है। नतीजतन, इस विषय पर रेगुलेटरी स्पष्टता लाए जाने की जरूरत है।
राइट ऑफ वे: दूरसंचार नेटवर्क स्थापित करने की मुख्य जरूरत है, उचित प्रकार से राइट ऑफ वे। इसलिए नए कानून में राइट ऑफ वे के रेगुलेशन और उससे जुड़े विवाद निवारण का प्रावधान होना चाहिए।
यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ): टेलीग्राफ एक्ट के तहत यूएसओएफ की स्थापना ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों को गुणवत्तापूर्ण सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए की गई है। परामर्श पत्र में अनुसंधान और विकास, और रोजगार और प्रशिक्षण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इसके दायरे का विस्तार करने का प्रस्ताव है।
कंपनी के मामले: नए कानून में दूरसंचार कंपनियों के दिवालिया होने (जहां कोई कंपनी अपना कर्ज चुकाने में असमर्थ है) की स्थिति में सेवा की निरंतरता, और अप्रयुक्त स्पेक्ट्रम के उपयोग के मुद्दों को संबोधित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त इसे क्षेत्र में विलय और अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए।
टिप्पणियां 25 अगस्त, 2022 तक आमंत्रित हैं।
कैबिनेट ने अछूते गांवों में 4जी सेवा के लिए परियोजना को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24,680 अछूते गांवों में 4जी मोबाइल सेवाओं के प्रावधान के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी।[16] इसमें पुनर्वास, नई बस्तियों और मौजूदा ऑपरेटरों द्वारा सेवाओं की वापसी जैसे कारकों के आधार पर 20% अतिरिक्त गांवों को शामिल करने का भी प्रावधान है। परियोजना की कुल लागत 26,316 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। इसमें पांच वर्ष का परिचालन खर्च भी शामिल है।
इस परियोजना को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के माध्यम से वित्त पोषित किया जाएगा। यूएसओएफ की स्थापना ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों को गुणवत्तापूर्ण सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने के लिए की गई है।[17],[18] यूएसओएफ के लिए संसाधन विभिन्न दूरसंचार लाइसेंसों के तहत सेवा प्रदाताओं के राजस्व पर लेवी के माध्यम से जुटाए जाते हैं।
खेल
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
लोकसभा ने संशोधनों के साथ राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बिल, 2021 को पारित किया
लोकसभा ने राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग बिल, 2021 को संशोधनों के साथ पारित कर दिया। खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी के सुझाए परिवर्तनों को शामिल करते हुए ये संशोधन किए गए हैं।[19] बिल खेलों में डोपिंग पर प्रतिबंध लगाने और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी की वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित करने का प्रयास करता है।[20] एथलीट्स खेल प्रदर्शन में सुधार करने के लिए कुछ प्रतिबंधित पदार्थों का उपभोग करते हैं और इसे डोपिंग कहा जाता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
डोपिंग पर प्रतिबंध: बिल एथलीट्स, एथलीट्स के सपोर्ट कर्मचारियों और अन्य लोगों को खेलों में डोपिंग से प्रतिबंधित करता है। सपोर्ट कर्मचारियों में कोच, ट्रेनर, मैनेजर, टीम स्टाफ, मेडिकल कर्मचारी और एथलीट्स के साथ काम करने, उनका उपचार और सहयोग करने वाले अन्य लोग शामिल हैं। इन लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि एंटी-डोपिंग नियमों का उल्लंघन नहीं हो रहा, जिनमें निम्नलिखित शामिल है: (i) एथलीट के शरीर में प्रतिबंधित पदार्थों या उनके मार्कर्स की मौजूदगी, (ii) किसी प्रतिबंधित पदार्थ या पद्धतियों का इस्तेमाल, इस्तेमाल की कोशिश या उनका कब्जे में होना, (iii) सैंपल देने से इनकार करना, (iv) प्रतिबंधित पदार्थ या पद्धतियों की तस्करी या तस्करी की कोशिश, और (v) ऐसे उल्लंघन करने में मदद करना या उसे छिपाना।
कमिटी ने कहा था कि बिल बालिग और नाबालिग एथलीट्स के बीच अंतर नहीं करता। कमिटी ने सुझाव दिया था कि नाबालिग एथलीट्स की सुरक्षा की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए नियमों में नाबालिग और बालिग एथलीट्स के बीच अंतर किया जाना चाहिए। संशोधनों में यह जोड़ा गया है कि एंटी-डोपिंग नियम निम्नलिखित पर भी लागू होने चाहिए: (i) खेलों में भाग लेने वाले या संलग्न ‘अन्य व्यक्ति’, और (ii) निर्धारित तरीके के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा 'संरक्षित व्यक्तियों' के रूप में निर्दिष्ट व्यक्ति। विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी संहिता के अनुसार, एक संरक्षित व्यक्ति वह है : (i) जिसकी आयु 16 वर्ष से कम है, या (ii) उसकी आयु 18 वर्ष से कम है और उसने ओपन श्रेणी में किसी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में भाग नहीं लिया है, या (iii) अपने देश के कानूनी ढांचे के अनुसार उसमें कानूनी क्षमता का अभाव है।
राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी: वर्तमान में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी एंटी डोपिंग नियमों को लागू करती है। यह एजेंसी सोसायटी के तौर पर स्थापित है। बिल में राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी को बॉडी कॉरपोरेट के तौर पर स्थापित किया गया है। केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त डायरेक्टर जनरल एजेंसी के प्रमुख होंगे। एजेंसी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल है: (i) एंटी-डोपिंग गतिविधियों की योजना बनाना, उन्हें लागू करना और उनकी निगरानी करना, (ii) एंटी-डोपिंग के नियमों के उल्लंघन की जांच करना, और (iii) एंटी-डोपिंग संबंधी शोध को बढ़ावा देना।
बिल पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया देखें। रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
विधि एवं न्याय
फैमिली कोर्ट्स बिल लोकसभा में पारित
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
फैमिली कोर्ट्स बिल, 2022, फैमिली कोर्ट्स एक्ट, 1984 में संशोधन करता है।[21],[22] एक्ट के तहत राज्य सरकारें फैमिली कोर्ट्स की स्थापना कर सकती हैं। केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह विभिन्न राज्यों में एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए तारीखों को अधिसूचित कर सकती है। एक्ट के तहत हिमाचल प्रदेश और नागालैंड की सरकारों ने अपने राज्यों में फैमिली कोर्ट्स की स्थापना की थी। लेकिन केंद्र सरकार ने इस एक्ट के एप्लिकेशन को इन राज्यों तक विस्तारित नहीं किया था (यानी केंद्र सरकार ने इन दोनों राज्यों को एक्ट के दायरे में लाने के लिए अधिसूचना जारी नहीं की थी)।
हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में एक्ट को लागू करना: बिल हिमाचल प्रदेश में एक्ट को 15 फरवरी, 2019 और नागालैंड में 12 सितंबर, 2008 से प्रभावी बनाने का प्रयास करता है। दोनों राज्यों में फैमिली कोर्ट्स की स्थापना इन तारीखों से पूर्वव्यापी रूप से वैध होगी। इसके अलावा इन दोनों राज्यों में एक्ट के तहत सभी कार्रवाइयां, जिसमें जजों की नियुक्ति और फैमिली कोर्ट्स द्वारा दिए गए आदेश और निर्णय, भी इन तारीखों से पूर्वव्यापी रूप से वैध माने जाएंगे।
स्टैंडिंग कमिटी ने मध्यस्थता बिल, 2021 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुशील कुमार मोदी) ने मध्यस्थता बिल, 2021 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[23] बिल को लोकसभा में दिसंबर 2021 में पेश किया गया था। बिल मध्यस्थता (ऑनलाइन मध्यस्थता सहित) को बढ़ावा देने का प्रयास करता है तथा मध्यस्थता समझौते के परिणामस्वरूप निपटारे को लागू करने का प्रावधान करता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्न शामिल हैं:
मुकदमे से पहले मध्यस्थता: बिल पक्षों के लिए कम से कम दो मध्यस्थता सत्रों में भाग लेना अनिवार्य करता है। अगर वे बिना किसी कारण, सत्रों में भाग नहीं लेते तो उन्हें लागत (कॉस्ट्स) वहन करनी पड़ सकती है। कमिटी ने कहा कि मुकदमे से पहले मध्यस्थता को अनिवार्य करने से पक्षों को कई महीनों तक इंतजार करना पड़ेगा, और फिर उन्हें अदालत या ट्रिब्यूनल से संपर्क करने की अनुमति मिलेगी। इससे मामले लंबित हो सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि मुकदमे से पहले मध्यस्थता पर विचार किया जाए, उसे वैकल्पिक बनाया जाए और उसे चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाए। बिल में यह प्रावधान भी है कि ट्रिब्यूनल में लंबित मामलों पर मुकदमे पूर्व मध्यस्थता को लागू किया जाए। कमिटी ने कहा कि इस बारे में भी स्पष्टता का अभाव है कि ऐसे मामले मुकदमे पूर्व मध्यस्थता के दायरे में कैसे आ सकते हैं।
मध्यस्थता की समय-सीमा: मध्यस्थता की प्रक्रिया 180 दिनों के अंदर पूरी होनी चाहिए जिसे 180 दिनों के लिए और बढ़ाया जा सकता है। कमिटी ने इसे घटाकर 90 दिन करने और उसे 60 दिन और बढ़ाने के विकल्प का सुझाव दिया है।
प्रक्रियाओं की गोपनीयता: मध्यस्थता प्रक्रियाओं में शामिल पक्षों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे उन प्रक्रियाओं से जुड़ी जानकारियों को गोपनीय रखेंगे। कमिटी ने कहा कि गोपनीयता का उल्लंघन करने पर कोई सजा/लायबिलिटी नहीं है। उसने सुझाव दिया कि बिल में गोपनीयता के उल्लंघन के मामलों से जुड़ा प्रावधान होना चाहिए।
मध्यस्थता के करार का पंजीकरण: बिल के तहत मध्यस्थता समझौता करार का पंजीकरण अनिवार्य है। कमिटी ने कहा कि पंजीकरण को पक्षों के विवेकाधीन छोड़ देना चाहिए।
रिपोर्ट पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें। बिल पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
पृथ्वी विज्ञान
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
लोकसभा ने भारतीय अंटार्कटिका बिल, 2022 को पारित किया
भारतीय अंटार्कटिका बिल, 2022 लोकसभा में पारित कर दिया गया।[24] बिल अंटार्कटिका संधि, अंटार्कटिका समुद्री जीव संसाधन संबंधी कन्वेंशन और अंटार्कटिका संधि के लिए पर्यावरणीय संरक्षण पर प्रोटोकॉल को प्रभावी बनाने का प्रयास करता है। यह अंटार्कटिका के वातावरण के संरक्षण तथा इस क्षेत्र में गतिविधियों को रेगुलेट करने का भी प्रयास करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
बिल किन पर लागू होता है: बिल के प्रावधान किसी भी व्यक्ति, जहाज या विमान पर लागू होंगे जो बिल के तहत जारी परमिट के अंतर्गत अंटार्कटिका के लिए भारतीय अभियान का हिस्सा है। अंटार्कटिका के क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अंटार्कटिका का महाद्वीप, जिसमें इसके आइस शेल्फ्स शामिल हैं, और इससे सटे महाद्वीपीय शेल्फ के सभी क्षेत्र, और (ii) सभी द्वीप (उनके आइस शेल्फ्स सहित), और 60 डिग्री अक्षांश के दक्षिण में स्थित सभी समुद्र और वायु क्षेत्र।
केंद्रीय समिति: केंद्र सरकार अंटार्कटिका शासन और पर्यावरणीय संरक्षण समिति बनाएगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे। रक्षा, विदेशी मामलों जैसे विभिन्न मंत्रालयों तथा राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय जैसे संगठनों से 10 सदस्यों को नामित किया जाएगा। मंत्रालयों से नामित सदस्य कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होने चाहिए। इसके अतिरिक्त अंटार्कटिका के वातावरण और भू-राजनैतिक क्षेत्रों से संबंधित दो विशेषज्ञ केंद्र सरकार द्वारा नामित किए जाएंगे।
समिति के कार्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) विभिन्न गतिविधियों के लिए अनुमति देना, (ii) अंटार्कटिका के वातावरण के संरक्षण के लिए प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानूनों का कार्यान्वयन और उनके अनुपालन को सुनिश्चित करना, (iii) संधि, कन्वेंशन और प्रोटोकॉल के पक्षों से जानकारी हासिल करना और उनकी समीक्षा करना, और (iv) अंटार्कटिका में गतिविधियों के लिए अन्य पक्षों से फीस/चार्ज पर बातचीत करना।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
ऊर्जा
Saket Surya (saket@prsindia.org)
2022-30 की अवधि के लिए रीन्यूएबल पर्चेज़ और एनर्जी स्टोरेज ऑब्लिगेशंस अधिसूचित किए गए
ऊर्जा मंत्रालय ने 2022-30 की अवधि के लिए रीन्यूएबल पर्चेज़ ऑब्लिगेशन (आरपीओ) और एनर्जी स्टोरेज ऑब्लिगेशन (ईएसओ) के लिए ट्राजेक्टरीज़ को अधिसूचित किया (जैसा कि तालिका 1 में दिखाया गया है)।[25] आरपीओ बिजली वितरण कंपनियों की बाध्यताएं होती हैं। इनके तहत उन्हें अक्षय स्रोतों से बिजली की न्यूनतम खरीद करनी होती है। ईएसओ के तहत उन्हें ऊर्जा भंडारण सुविधा के साथ/उसके माध्यम से पवन या सौर स्रोत से बिजली की न्यूनतम खरीद करनी होती है। बिजली एक्ट, 2003 ऊर्जा मंत्रालय को नवीन और अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के परामर्श से आरपीओ की दीर्घकालिक ग्रोथ ट्राजेक्टरी निर्धारित करने का अधिकार देता है।25
तालिका 2: रीन्यूएबल पर्चेज़ ऑब्लिगेशन और एनर्जी स्टोरेज ऑब्लिगेशन के लिए ट्राजेक्टरी
वर्ष |
रीन्यूएबल पर्चेज़ |
ऊर्जा भंडारण |
|||
पवन |
जल |
अन्य |
कुल |
||
2022-23 |
0.8% |
0.4% |
23.4% |
24.6% |
- |
2023-24 |
1.6% |
0.7% |
24.8% |
27.1% |
1.0% |
2024-25 |
2.5% |
1.1% |
26.4% |
29.9% |
1.5% |
2025-26 |
3.4% |
1.5% |
28.2% |
33.0% |
2.0% |
2026-27 |
4.3% |
1.8% |
29.9% |
36.0% |
2.5% |
2027-28 |
5.2% |
2.2% |
31.4% |
38.8% |
3.0% |
2028-29 |
6.2% |
2.5% |
32.7% |
41.4% |
3.5% |
2029-30 |
6.9% |
2.8% |
33.6% |
43.3% |
4.0% |
स्रोत: एफ.नंबर. 09/13/2021-आरसीएम, ऊर्जा मंत्रालय; पीआरएस।
इन दायित्वों को पूरा करने के संबंध में प्रमुख शर्तों में निम्नलिखित शामिल हैं:
पवन और जल आरपीओ: कुल आरपीओ में से एक निश्चित प्रतिशत पवन और जल स्रोतों से पूरा किया जाना चाहिए। पवन आरपीओ के लिए केवल मार्च 2022 के बाद चालू हुई परियोजनाओं से प्राप्त बिजली पर ही विचार किया जाएगा। हाइड्रो आरपीओ के लिए मार्च 2019 के बाद चालू बड़ी पनबिजली परियोजनाओं से प्राप्त बिजली पर ही विचार किया जाएगा। आरपीओ के लिए आयातित जल विद्युत पर विचार नहीं किया जाएगा।
राज्य आयोगों से बिजली: राज्य बिजली रेगुलेटरी आयोग मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट लक्ष्य से अधिक आरपीओ और ईएसओ निर्दिष्ट कर सकते हैं।
शिक्षा
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
उच्च शिक्षण संस्थानों की समीक्षा रिपोर्ट सौंपी गई
शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. विनय पी. सहस्रबुद्धे) ने “डीम्ड/निजी विश्वविद्यालयों/अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा मानकों, एक्रेडिटेशन की प्रक्रिया, अनुसंधान, परीक्षा सुधारों और शैक्षणिक परिवेश की समीक्षा” विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[26] कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई): राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में उच्च शिक्षा के लिए मुख्य रेगुलेटर के रूप में एचईसीआई के गठन का प्रावधान है। कमिटी ने कहा कि एचईसीआई के प्रावधान वाला बिल अभी ड्राफ्टिंग के चरण में है। उसने सुझाव दिया कि एचईसीआई का निर्माण करते समय, इसके क्षेत्राधिकार, स्वतंत्रता और हितधारकों के हितों की सुरक्षा को निर्दिष्ट करने से संबंधित पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। उच्च शिक्षा के लिए कई समानांतर रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ के बजाय, नियमों/रेगुलेशंस/एक्ट के कार्यान्वयन में अंतिम फैसला देने वाले रेगुलटेरी निकायों का सहज पदानुक्रम (हेरारकी) बनाया जाना चाहिए।
राज्य विश्वविद्यालयों में परीक्षा: कमिटी ने कहा कि राज्य विश्वविद्यालयों को परीक्षाएं संचालित करने में समस्याएं होती हैं। इन समस्याओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रश्न पत्र लीक होना, (ii) नकल के बेकाबू मामले, और (iii) विद्यार्थियों और परीक्षकों की मिलीभगता। उसने सुझाव दिया कि एक्रेडिटेशन देते समय, संस्थान की परीक्षा प्रबंधन क्षमता पर विचार किया जाना चाहिए। परीक्षा की प्रक्रिया के डिजिटलीकरण को अपनाने को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
सोशल साइंस और तकनीकी शिक्षा: कमिटी ने सुझाव दिया कि तकनीकी संस्थानों में ह्यूमैनिटीज़ के कोर्स शुरू करने का प्रयोग किया जाए और इस बात का आकलन किया जाए कि संस्थान के शैक्षणिक परिवेश पर उसका क्या असर होता है। इसके अतिरिक्त सोशल साइंस/ह्यूमैनिटीज़/आर्ट मॉड्यूल्स को तकनीकी शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
सामाजिक न्याय
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
कमिटी ने एम्स में एससी/एसटी की स्थिति की समीक्षा करने वाली रिपोर्ट सौंपी
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण से संबंधित कमिटी (चेयर: डॉ. किरीट प्रेमजीभाई सोलंकी) ने ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के विशेष संदर्भ में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास में स्वायत्त निकायों और शैक्षिक संस्थानों की भूमिका’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[27] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
रिक्तियों को भरना: कमिटी ने कहा कि एम्स में फैकेल्टी के 1,111 पदों में से असिस्टेंट प्रोफेसर के 275 पद और प्रोफेसर के 92 पद खाली हैं। यह कहा गया कि योग्य और सक्षम होने के बावजूद, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को प्रारंभिक चरणों में भी फैकेल्टी के रूप में शामिल नहीं किया जाता है। कमिटी ने कहा कि अनुभवी एससी/एसटी एड-हॉक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को नियमित भर्तियों के लिए इस आधार पर नहीं चुना गया कि कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं थे। कमिटी ने सभी रिक्त पदों को तीन महीने में भरने का सुझाव दिया और यह सुनिश्चित करने को कहा कि फैकेल्टी के आरक्षित पदों को छह महीने से अधिक समय तक खाली न रखा जाए। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए विशेष प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में सीटें आरक्षित की जानी चाहिए।
मूल्यांकन प्रणाली की निगरानी: कमिटी ने कहा कि एससी/एसटी एमबीबीएस के विद्यार्थी ईमानदारी से प्रयास करने के बावजूद अपनी व्यावसायिक परीक्षा के पहले, दूसरे या तीसरे चरण में फेल हो जाते हैं। ये विद्यार्थी लिखित परीक्षा में अच्छा स्कोर करते हैं लेकिन व्यावहारिक परीक्षा में खराब प्रदर्शन करते हैं। यह एससी/एसटी विद्यार्थियों के प्रति पूर्वाग्रह को स्पष्ट करता है। कमिटी ने इस तरह के पक्षपात से बचने के लिए परीक्षा मूल्यांकन प्रणाली विकसित करने का सुझाव दिया। इसने परीक्षा मूल्यांकन में एससी/एसटी फैकेल्टी को शामिल करने की भी सिफारिश की।
कमिटी ने कहा कि परीक्षक विद्यार्थियों की जाति को समझने के लिए उनके नाम पूछते हैं। उसने विद्यार्थियों के अनुचित मूल्यांकन को रोकने के लिए फर्जी कोड नंबरों का उपयोग करके परीक्षा लिखने की सिफारिश की।
जनरल बॉडी में एससी/एसटी सदस्य: कमिटी ने कहा कि एम्स की जनरल बॉडी में कोई एससी/एसटी सदस्य नहीं हैं। उसने जनरल बॉडी में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को नीतिगत मामलों में निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की सिफारिश की।
स्वास्थ्य
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
ड्राफ्ट ड्रग्स, मेडिकल उपकरण और कॉस्मेटिक्स बिल, 2022 पर टिप्पणियां आमंत्रित
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ड्राफ्ट ड्रग्स, मेडिकल उपकरण और कॉस्मेटिक्स बिल, 2022 पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[28] वर्तमान में ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स एक्ट ड्रग्स, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल उपकरणों के आयात, मैन्यूफैक्चर, वितरण और बिक्री को रेगुलेट करता है।[29] ड्राफ्ट बिल का उद्देश्य नई दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभाव और क्लिनिकल ट्रायल तथा इनवेस्टिगेशनल मेडिकल उपकरणों की क्लिनिकल जांच सुनिश्चित करना है।
ड्राफ्ट बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
मेडिकल उपकरण सलाहकार बोर्ड: ड्राफ्ट बिल मेडिकल उपकरणों से संबंधित मामलों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने के लिए एक मेडिकल उपकरण तकनीकी सलाहकार बोर्ड के गठन का प्रयास करता है। बोर्ड में पदेन सदस्य, सरकारी प्रतिनिधि, मनोनीत सदस्य और विशेषज्ञ शामिल होंगे। बोर्ड की अध्यक्षता स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक करेंगे।
क्लिनिकल ट्रायल: ड्राफ्ट बिल के अंतर्गत किसी नई ड्रग के लिए कोई क्लिनिकल ट्रायल करने के लिए केंद्रीय लाइसेंसिंग अथॉरिटी (औषधि महानियंत्रक) की पूर्व अनुमति जरूरी है। कोई भी व्यक्ति जो पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना क्लिनिकल ट्रायल करता है, वह अधिकतम पांच लाख रुपए के जुर्माने के लिए दायी होगा।
ऑनलाइन फ़ार्मेसीज़: ड्राफ्ट बिल ऑनलाइन फ़ार्मेसीज़ को रेगुलेट करने का प्रयास करता है। यह किसी भी व्यक्ति को बिना लाइसेंस या अनुमति के किसी भी ड्रग को ऑनलाइन मोड से बेचने, स्टॉक करने या वितरित करने से रोकता है। यह केंद्र सरकार को ड्रग्स की ऑनलाइन बिक्री के लिए नियम और प्रतिबंध बनाने की अनुमति देता है।
ड्राफ्ट बिल पर 22 अगस्त, 2022 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
उपभोक्ता मामले
उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने अनिवार्य रूप से सर्विस चार्ज लगाने पर रोक लगाई; दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिशानिर्देशों पर स्टे दिया
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी (सीसीपीए) ने दिशानिर्दश जारी करके रेस्त्रां और होटलों को बिल में अपने आप सर्विस चार्ज जोड़ने से रोका है।[30] सीसीपीए ने कहा कि टिप या ग्रेच्युटी उपभोक्ता की मर्जी से दी जाती है। उसने यह भी कहा कि सर्विस के हिस्से में परोसे गए खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ की कीमत शामिल है, यानी उत्पाद की कीमत में सामान और सेवाओं, दोनों का घटक शामिल हैं। खाने-पीने की चीजों के दाम तय करने के लिए होटल और रेस्त्रां पर कोई रोक नहीं है। सीसीपीए के अनुसार, लागू करों के साथ उत्पाद की उक्त कीमत के अलावा कुछ भी चार्ज करना, उपभोक्ता संरक्षण एक्ट, 2019 के तहत अनुचित व्यापार व्यवहार के बराबर है।[31] अगर सर्विस चार्ज लगाया जाता है या उपभोक्ता को इसका भुगतान करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन या उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिशानिर्देशों पर इस आधार पर रोक लगा दी कि सर्विस चार्ज लगाना उपभोक्ता संरक्षण एक्ट के तहत अनुचित व्यापार के बराबर नहीं हो सकता।[32] एक्ट के अनुसार, अनुचित व्यापार व्यवहार का अर्थ है, माल या सेवाओं की बिक्री, उपयोग या आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए अनुचित तरीके या भ्रामक पद्धति को अपनाना।31 न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सर्विस चार्ज लगाया जा सकता है लेकिन मेन्यू या अन्य स्थानों पर उसे प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए जहां यह समीचीन हो सकता है। इसके अतिरिक्त टेकअवे के मामले में ऐसा शुल्क नहीं लगाया जा सकता है।
स्टैंडिंग कमिटी ने गुणवत्ता नियंत्रण कक्ष पर रिपोर्ट सौंपी
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुदीप बंदोपाध्याय) ने ‘गुणवत्ता नियंत्रण कक्ष (क्यूसीसी)’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[33] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
अधिक क्यूसीसी की जरूरत: खरीद से वितरण तक खाद्यान्न स्टॉक के केंद्रीय पूल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए क्यूसीसी जिम्मेदार हैं। वर्तमान में देश में 11 क्यूसीसी हैं। कमिटी ने कहा कि क्यूसीसी की संख्या अपर्याप्त है। उसने गुणवत्ता नियंत्रण के मुद्दे को व्यापक रूप से संबोधित करने और क्षतिग्रस्त खाद्यान्नों के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए और अधिक क्यूसीसी स्थापित करने का सुझाव दिया। कमिटी ने खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग को देश में और अधिक क्यूसीसी स्थापित करने के लिए पर्याप्त धनराशि आबंटित करने हेतु वित्त मंत्रालय के साथ समन्वय करने का भी सुझाव दिया।
शिकायत निवारण: कमिटी ने कहा कि लाभार्थियों को घटिया गुणवत्ता का खाद्यान्न मिलने की कई शिकायतें मिली हैं। इसके अलावा यह देखा गया कि लाभार्थियों की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं को हल करने में हेल्पलाइन नंबर अप्रभावी रहे हैं। कमिटी ने इन हेल्पलाइन नंबरों के कामकाज को सुव्यवस्थित करने की सिफारिश की। उसने यह सुझाव भी दिया कि: (i) खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा उचित मूल्य की दुकानों पर स्वतंत्र औचक निरीक्षण किया जाए, और (ii) इन दुकानों पर पीडीएस वस्तुओं के वितरण और डायवर्जन की निगरानी के लिए उचित मूल्य की दुकानों की सीसीटीवी निगरानी की जाए।
शिपिंग
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
ड्राफ्ट मर्चेट शिपिंग (संशोधन) बिल, 2022 पर टिप्पणियां आमंत्रित
बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने मर्चेंट शिपिंग (संशोधन) बिल, 2022 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[34],[35] यह मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 में संशोधन का प्रस्ताव रखता है।[36] एक्ट का उद्देश्य विकास को बढ़ावा देना और भारतीय मर्केंटाइल मरीन के कुशल रखरखाव को सुनिश्चित करना है। यह भारतीय जहाजों के पंजीकरण, सर्टिफिकेशन और सुरक्षा का भी प्रावधान करता है। ड्राफ्ट बिल की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
एप्लिकेबिलिटी: एक्ट भारतीय जहाजों के पंजीकरण के लिए कुछ शर्तों को निर्धारित करता है। यह केवल समुद्र में जाने वाले जहाजों पर लागू होता है जो प्रोपल्ज़न के मैकेनिकल साधनों से सुसज्जित होते हैं। ड्राफ्ट बिल 'प्रोपल्ज़न के मैकेनिकल साधन' शब्दों को हटाकर एक्ट की एप्लिकेबिलिटी को बढ़ाता है।
भारतीय जहाज: एक्ट एक जहाज को भारतीय मानने के लिए कुछ शर्तों को निर्दिष्ट करता है। जहाज पर निम्नलिखित का पूर्ण स्वामित्व होना चाहिए: (i) भारत का नागरिक, या (ii) भारत में अपने व्यवसाय के प्रमुख स्थान के साथ किसी केंद्रीय या राज्य एक्ट के तहत स्थापित एक कंपनी/निकाय, या (iii) सहकारी समिति एक्ट, 1912 या किसी अन्य संबंधित कानून के तहत स्थापित सहकारी समिति। ड्राफ्ट बिल जहाज के आंशिक स्वामित्व की अनुमति देता है जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है। यह भारतीय नागरिक की परिभाषा का विस्तार करता है ताकि अनिवासी भारतीयों और भारत के विदेशी नागरिकों को इसमें शामिल किया जा सके। इसके अलावा यह सहकारी समितियों द्वारा जहाजों के स्वामित्व में बदलाव करता है ताकि इसमें किसी अन्य व्यक्ति या निकाय को शामिल किया जा सके, जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है।
पंजीकरण: सभी जहाजों को एक्ट के तहत पंजीकृत किया जाना चाहिए, जब तक कि यह 15 टन से अधिक न हो और केवल भारत के तटों पर नेविगेशन में लगा हो। ड्राफ्ट बिल निर्दिष्ट करता है कि सभी भारतीय जहाजों को एक्ट के तहत पंजीकृत होना चाहिए। हालांकि उन जहाजों के लिए पंजीकरण अनिवार्य नहीं है जो पूरी तरह से भारत के एक विदेशी नागरिक के स्वामित्व में हैं। इसके अलावा, कोस्टिंग वेसेल्स एक्ट, 1838 के तहत पंजीकृत जहाजों को एक वर्ष के भीतर एक्ट के तहत फिर से पंजीकृत किया जाना चाहिए।
अपराध से मुक्ति: एक्ट कुछ अपराधों के लिए दंड निर्दिष्ट करता है जो इस एक्ट के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर लागू होते हैं। ड्राफ्ट बिल एक्ट में सूचीबद्ध कुछ अपराधों को अपराध मुक्त करता है। इन अपराधों में डिस्चार्ज के सर्टिफिकेट में धोखाधड़ी से फेरबदल करना, या जाली डिस्चार्ज सर्टिफिकेट का धोखाधड़ी से उपयोग करना शामिल है।
ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणियां 7 अगस्त, 2022 तक आमंत्रित हैं।
पर्यावरण
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन अधिसूचित
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण एक्ट, 1986 के तहत प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधनों को अधिसूचित किया है।[37],[38],[39],[40],[41] नियम प्लास्टिक से उत्पादित सामग्री (जैसे बैग और पैकेजिंग सामग्री) के निर्माण और बिक्री के लिए मानक निर्धारित करते हैं। नियम प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए रूपरेखा भी निर्दिष्ट करते हैं। संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक: संशोधन में कहा गया है कि बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के निर्माताओं/विक्रेताओं को मार्केटिंग या बिक्री से पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से एक सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहिए। इसके अलावा, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा अधिसूचित और सीपीसीबी द्वारा प्रमाणित मानकों के अनुरूप होना चाहिए। संशोधनों में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को प्लास्टिक (खाद योग्य प्लास्टिक के अलावा) के रूप में परिभाषित किया गया है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक अवशेषों को छोड़े बिना जैविक प्रक्रियाओं द्वारा नष्ट होने की प्रक्रिया से गुजरता है।
पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति: संशोधनों में कहा गया है कि सीपीसीबी द्वारा अधिसूचित दिशानिर्देशों के प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले व्यक्तियों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई जाएगी।
केंद्र शासित प्रदेशों में नियमों का कार्यान्वयन: राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) और प्रदूषण नियंत्रण समिति (पीसीसी) केंद्र शासित प्रदेशों में नियमों को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं। संशोधन में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेशों में नियमों को लागू करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी जिम्मेदार होगा।
मैन्यूफैक्चरर्स का पंजीकरण: कैरी बैग, रीसाइकिल प्लास्टिक बैग, या बहुस्तरीय पैकेजिंग के मैन्यूफैक्चरर्स को एसपीसीबी या यूटी के पीसीसी से पंजीकरण प्राप्त करना होगा। संशोधन में प्रावधान है कि ऐसे मैन्यूफैक्चरर्स को निम्नलिखित से पंजीकरण प्राप्त करना होगा: (i) केंद्र शासित प्रदेश के एसपीसीबी/पीसीसी, अगर एक या दो राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहे हैं, या (ii) सीपीसीबी, अगर दो से अधिक राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहे हैं।
पर्यावरण और वन एक्ट्स में ड्राफ्ट संशोधन जारी
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारतीय वन एक्ट, 1927 (वन एक्ट) और पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 (पर्यावरण एक्ट) में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया।[42],[43] वन एक्ट वनों की सुरक्षा और प्रबंधन का प्रावधान करता है।[44] पर्यावरण एक्ट पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन को रेगुलेट करके पर्यावरण सुरक्षा आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करता है।[45] ड्राफ्ट संशोधनों द्वारा प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तन हैं-
वन एक्ट, 1927 में संशोधन
ड्राफ्ट संशोधन मामूली उल्लंघनों को अपराध मुक्त करने, छोटे अपराधों को कम करने और नागरिकों पर अनुपालन के बोझ को कम करने का प्रयास करता है।
वन एक्ट के तहत, कुछ गतिविधियों पर प्रतिबंध है और 500 रुपए तक के जुर्माने, छह महीने तक की कैद या दोनों से दंडित किया जाता है। इन गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं (i) आरक्षित वन में अतिक्रमण करना, (ii) आरक्षित पेड़ों को नुकसान पहुंचाना (iii) पेड़ों की कटाई में लापरवाही के कारण नुकसान पहुंचाना, और (iii) आग लगाना। ड्राफ्ट संशोधन ऐसी गतिविधियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है, यानी सिर्फ 500 रुपए तक का जुर्माना लगेगा।
पर्यावरण एक्ट, 1980 में संशोधन
अपराधों को अपराध मुक्त करना: एक्ट के तहत कुछ गतिविधियों पर पांच वर्ष तक की कैद, एक लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। लगातार उल्लंघन करने पर प्रत्येक दिन के लिए 5,000 रुपए तक का जुर्माना लगता है। निषिद्ध गतिविधियों में शामिल हैं: (i) निर्दिष्ट मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का उत्सर्जन, (ii) पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना खतरनाक पदार्थों को हैडिल करना, और (iii) केंद्र सरकार को किसी अपराध की जांच करने की अनुमति नहीं देना। ड्राफ्ट संशोधन एक्ट के तहत अपराधों को अपराध से मुक्त करते हैं और पांच लाख रुपए से लेकर पांच करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान करता है। ऐसे मामलों में जहां उल्लंघनकर्ता द्वारा नुकसान दंड से अधिक है, उन्हें नुकसान के बराबर जुर्माना देना होगा। लगातार उल्लंघन करने पर 50,000 रुपए से लेकर पांच लाख रुपए (प्रत्येक दिन) तक का जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने का भुगतान नहीं करने पर 10 करोड़ रुपए तक का जुर्माना, तीन वर्ष तक की कैद या दोनों हो सकते हैं।
सरकारी विभागों के लिए सजा: ड्राफ्ट संशोधन एक्ट के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने वाले सरकारी विभागों को दंडित करने का प्रयास करते हैं। सजा में प्रत्येक उल्लंघन के लिए दो लाख रुपए तक का जुर्माना शामिल है।
निर्णय लेने वाले अधिकारी: ड्राफ्ट संशोधन में कहा गया है कि केंद्र सरकार उल्लंघन की जांच करने और जुर्माना लगाने के लिए एक अधिनिर्णय (एडजुडिकेटिंग) अधिकारी की नियुक्ति करेगी। अधिकारी के फैसलों के खिलाफ राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल में अपील की जाएगी।
पर्यावरण फंड: ड्राफ्ट संशोधन में प्रावधान है कि केंद्र सरकार एक पर्यावरण (संरक्षण) कोष स्थापित कर सकती है। एक्ट के तहत एकत्र किए गए जुर्माने को पर्यावरण कोष में जमा किया जाएगा।
औद्योगिक संयंत्रों को कुछ आवश्यकताओं से छूट देने वाले संशोधन का ड्राफ्ट जारी
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) एक्ट, 1974 (जल प्रदूषण एक्ट) और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) एक्ट, 1981 (वायु प्रदूषण एक्ट) में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया।[46],[47] एक्ट सीवर, नदियों, या हवा में अपशिष्ट को बहाने या फेंकने (निर्धारित मानकों से अधिक) जैसी गतिविधियों को गैरकानूनी निर्दिष्ट करते हैं।[48],[49] ड्राफ्ट संशोधन कुछ उल्लंघनों के लिए दंड को युक्तिसंगत बनाने का प्रयास करते हैं। ड्राफ्ट संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
कुछ औद्योगिक संयंत्रों को शर्तों से छूट देना: वायु प्रदूषण एक्ट के तहत राज्य बोर्ड की मंजूरी के बिना, वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में औद्योगिक संयंत्र की स्थापना या संचालन निषिद्ध है। राज्य सरकार राज्य के किसी क्षेत्र को वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र घोषित कर सकती है। इसी तरह, जल प्रदूषण एक्ट के तहत नालों, कुओं, सीवरों या भूमि में अपशिष्टों को बहाना या फेंकना (राज्य बोर्ड की अनुमति के बिना) निषिद्ध है। ड्राफ्ट संशोधन केंद्र सरकार को कुछ श्रेणियों के औद्योगिक संयंत्रों को इन आवश्यकताओं से छूट देने की अनुमति देने का प्रयास करता है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार दिशानिर्देश जारी करेगी जो अनुमोदन देने या अस्वीकार करने के लिए राज्य बोर्ड के अधिकार को रेगुलेट करेंगे।
कुछ अपराधों को अपराधमुक्त करना: कुछ उल्लंघनों के लिए ड्राफ्ट संशोधन केवल जुर्माना लगाने का प्रयास करते हैं। वायु प्रदूषण एक्ट के तहत निर्धारित मानकों से अधिक औद्योगिक उत्सर्जन जैसे उल्लंघनों पर जुर्माना और छह वर्ष तक की कैद की सजा दी जाती है। ड्राफ्ट संशोधन इस तरह के उल्लंघन को केवल एक लाख रुपए से एक करोड़ रुपए के बीच के जुर्माने के साथ दंडित करते हैं। इसी तरह जल प्रदूषण एक्ट के तहत, राज्य या केंद्रीय बोर्ड से संबंधित संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, या प्रदूषणकारी पदार्थों को नदियों में बहाने की अनुमति देने जैसे उल्लंघनों को अपराध मुक्त करने का प्रयास किया गया है।
कुछ सजाओं को युक्तिसंगत बनाना: वायु प्रदूषण एक्ट के तहत कुछ उल्लंघनों के लिए, जैसे वायु प्रदूषण नियंत्रण क्षेत्र में एक औद्योगिक संयंत्र की स्थापना या संचालन के लिए, जुर्माना 10,000 रुपए तक का जुर्माना या तीन महीने तक की कैद या दोनों है। ड्राफ्ट संशोधनों में पांच करोड़ रुपए तक के जुर्माने या तीन वर्ष तक की कैद के साथ जुर्माना बढ़ाने की मांग की गई है। जल प्रदूषण एक्ट के तहत नदी, कुएं या सीवर में अपशिष्टों को बहाने जैसे उल्लंघन के लिए दंड में छह वर्ष तक की कैद और निर्दिष्ट राशि के बिना जुर्माना शामिल है। ड्राफ्ट संशोधनों में पांच करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने की मांग की गई है।
ऐसे मामलों में जहां नुकसान का कारण लगाए गए दंड से अधिक है, पार्टी को नुकसान के बराबर जुर्माना देना होगा। तालिका 3 में वायु प्रदूषण एक्ट के तहत कुछ उल्लंघनों के दंड में परिवर्तनों को प्रदर्शित किया गया है।
तालिका 3: वायु प्रदूषण एक्ट के तहत कुछ दंड में प्रस्तावित परिवर्तन
गतिविधि |
मौजूदा दंड |
प्रस्तावित दंड |
मानकों से अधिक प्रदूषकों का औद्योगिक उत्सर्जन |
एक वर्ष से छह महीने से छह वर्ष तक की कैद। जुर्माना राशि निर्दिष्ट नहीं है |
1 लाख रुपए से 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना |
राज्य बोर्ड द्वारा लगाए गए नोटिस को नष्ट करना, या बोर्ड को जानकारी प्रस्तुत करने में विफलता |
तीन महीने तक की कैद या 10,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों |
1 लाख रुपए से 50 लाख रुपए के बीच जुर्माना |
निधियों की स्थापना: ड्राफ्ट संशोधन जल प्रदूषण एक्ट के तहत एक जल प्रदूषण निवारण कोष और वायु प्रदूषण एक्ट के तहत एक वायु प्रदूषण निवारण कोष की स्थापना करने का प्रयास करता है। एक्ट्स के तहत लगाए गए दंड को इन निधियों में जमा किया जाएगा। केंद्र सरकार निधियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगी।
सार्वजनिक दायित्व बीमा (संशोधन) बिल, 2022 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ड्राफ्ट सार्वजनिक दायित्व बीमा (संशोधन) बिल, 2022 पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[50] बिल सार्वजनिक दायित्व बीमा एक्ट, 1991 में संशोधन का प्रस्ताव रखता है।[51] एक्ट का उद्देश्य खतरनाक पदार्थों से जुड़ी दुर्घटनाओं के पीड़ितों को राहत प्रदान करना है। ड्राफ्ट बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
अपराध से मुक्ति: एक्ट कुछ अपराधों के लिए दंड निर्दिष्ट करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अगर उस खतरनाक पदार्थ के ओनर (ओनर वह व्यक्ति है जो दुर्घटना के समय उस खतरनाक पदार्थ का ओनर है या उस पदार्थ की हैंडलिंग पर उसका नियंत्रण है) ने उसकी हैंडलिंग से पहले बीमा पॉलिसी नहीं ली, और (ii) एक्सपायरी डेट से पहले उसने बीमा पॉलिसी को रीन्यू नहीं किया है। एक्ट के तहत इन अपराधों के लिए अधिकतम छह वर्ष की कैद या अधिकतम एक लाख रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। ड्राफ्ट बिल इन अपराधों को अपराध से मुक्त करता है। वह जुर्माने की राशि को पॉलिसी की प्रीमियम राशि के अधिकतम दोगुने तक संशोधित करता है।
संपत्ति की परिभाषा: ड्राफ्ट बिल संपत्ति की परिभाषा जोड़ता है। इसमें किसी भी इकाई या उपक्रम द्वारा प्रभावित या क्षतिग्रस्त कोई भी निजी या सार्वजनिक संपत्ति शामिल है। नुकसान खतरनाक पदार्थों के निर्माण, प्रोसेसिंग, उपचार, स्टोरेज या परिवहन के कारण हो सकता है।
कृषि
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
कृषि संबंधी मामलों के कमिटी का गठन
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि संबंधी विभिन्न मामलों के लिए एक कमिटी का गठन किया है।[52] इनमें शून्य बजट खेती को बढ़ावा देना, फसल पैटर्न को बदलने के लिए विविधीकरण नीति के संबंध में सुझाव देना, कृषि मार्केटिंग प्रणाली को मजबूत करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाना शामिल है। कमिटी में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अध्यक्ष (श्री संजय अग्रवाल, पूर्व कृषि सचिव), (ii) नीति आयोग के एक सदस्य, (iii) केंद्र के पांच और राज्य सरकार के चार प्रतिनिधि, (iv) किसानों और किसान सहकारी समितियों के 10 प्रतिनिधि और (v) कृषि विश्वविद्यालयों/संस्थानों से तीन सदस्य।
नागरिक उड्डयन
विकलांग व्यक्तियों के लिए उड्डयन संबंधी रेगुलेशंस में संशोधन
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने विकलांग व्यक्तियों और कम मोबिलिटी वाले व्यक्तियों के लिए हवाई यात्रा की स्थितियों को मानकीकृत करने के लिए नियमों में संशोधन किया है।[53] विमान एक्ट, 1934 और विमान नियम, 1937 के तहत रेगुलेशंस को अधिसूचित किया गया है। संशोधित रेगुलेशंस विकलांग लोगों के लिए यात्रा की कुछ शर्तों में बदलाव करते हैं।
मौजूदा नियम निम्नलिखित पर लागू होते हैं: (i) घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा में लगे भारतीय एयरलाइन ऑपरेटर, (ii) भारत से आने-जाने वाले विदेशी कैरियर, और (iii) भारत में सभी एयरपोर्ट ऑपरेटर। विकलांग व्यक्तियों में वे लोग शामिल हैं जिन्हें शारीरिक या मानसिक दुर्बलता है जैसे कि कॉस्मेटिक विकृति, मानसिक मंदता, या सेरेब्रल पैल्सी, कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियां।
संशोधित रेगुलेशंस निर्दिष्ट करते हैं कि एयरलाइंस विकलांगता या कम मोबिलिटी के आधार पर यात्रियों को उड़ान भरने से मना नहीं करेगी। अगर एयरलाइन को लगता है कि उड़ान के दौरान किसी यात्री का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, तो डॉक्टर द्वारा जांच की जाएगी। डॉक्टर बताएगा कि कोई व्यक्ति उड़ने के योग्य है या नहीं। डॉक्टर के निर्णय के आधार पर, एयरलाइन तय करेगी कि क्या किसी व्यक्ति को उड़ान भरने की अनुमति दी जाएगी और यात्री को लिखित कारण बताएगी।
वैकल्पिक मार्गों पर चलने वाले डायवर्टेड कमर्शियल विमानों के दिशानिर्देश प्रकाशित
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने डायवर्जन के कारण उड़ान में लगने वाले अधिक समय के दौरान कमर्शियल हवाई परिवहन ऑपरेटर्स के लिए जरूरी दिशानिर्देशों को प्रकाशित किया है।[54] दिशानिर्देश दो या दो से अधिक इंजन वाले विमानों पर लागू होंगे। विमानों को एक वैकल्पिक हवाई अड्डे (वैकल्पिक मार्ग) की तरफ बढ़ाया जाता है, जब आगे बढ़ना या मूल मार्ग पर उतरना संभव या उचित नहीं होता है। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
थ्रेशहोल्ड समय: दिशानिर्देश वैकल्पिक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाले विमानों के लिए थ्रेशहोल्ड समय निर्धारित करते हैं। ऑपरेटर और विमान के प्रकार के आधार पर थ्रेशहोल्ड समय 60 मिनट से 120 मिनट तक होता है।
थ्रेशहोल्ड समय को बढ़ाने की जरूरत: एन-रूट एयरोड्रम को जाने वाले किसी भी विमान को थ्रेशहोल्ड समय को बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि डीजीसीए ने मंजूरी नहीं दी हो। मंजूरी देने से पहले डीजीसीए कुछ बातों को ध्यान में रखेगा जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑपरेटर की क्षमताएं, (ii) विमान की विश्वसनीयता, (iii) हवाई जहाज निर्माता से प्रासंगिक जानकारी, और (iv) ईंधन की आवश्यकताएं।
क्रू का प्रशिक्षण: सभी ऑपरेटरों को अपने फ्लाइट क्रू के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करना चाहिए ताकि उन्हें परिचालन आकस्मिकताओं (डायवर्सन निर्णय लेने) से निपटने के लिए तैयार किया जा सके। डीजीसीए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का मूल्यांकन करेगा।
पायलटों और फ्लाइड नैविगेटर्स के लिए लाइसेंस की वैधता बढ़ाने वाले ड्राफ्ट नियम जारी
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान नियम, 1937 में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया।[55] 1937 के नियमों को विमान एक्ट, 1934 के तहत अधिसूचित किया गया है।[56] ड्राफ्ट विमान (संशोधन) नियम, 2022 लाइसेंस की वैधता का विस्तार करते हैं जिनमें कमर्शियल पायलट का लाइसेंस शामिल है। ड्राफ्ट नियमों के मुख्य बदलावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
लाइसेंस की पात्रता: विमान नियम, 1937 के तहत, केंद्र सरकार निजी और कमर्शियल पायलटों जैसे कर्मचारियों की श्रेणियों को लाइसेंस देती है और उड़ान प्रशिक्षकों को हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर जैसे निर्दिष्ट विमानों को संचालित करने के लिए रेटिंग देती है। ड्राफ्ट नियम हल्के स्पोर्ट्स एयरक्राफ्ट और जाइरोप्लेन के संचालन के लिए लाइसेंस की आवश्यकता को इसमें जोड़ने का प्रयास करते हैं। 1937 के नियमों के तहत स्टूडेंट फ्लाइट नेविगेटर्स को विमान चलाने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है। ड्राफ्ट नियम लाइसेंस की इस आवश्यकता को हटाने का प्रयास करते हैं।
लाइसेंस की वैधता को बढ़ाना: ड्राफ्ट नियम एयरलाइन परिवहन पायलटों, कमर्शियल पायलटों, फ्लाइट नेविगेटर और फ्लाइट रेडियो ऑपरेटरों के लिए लाइसेंस की वैधता को पांच वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने की मांग करते हैं।
हवाई अड्डा लाइसेंस जारी करने के लिए ड्राफ्ट रेगुलेशंस पर टिप्पणियां आमंत्रित
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने हवाई अड्डा लाइसेंस जारी करने की शर्तों से संबंधित ड्राफ्ट रेगुलेशन जारी किए हैं।[57] इस ड्राफ्ट को विमान नियम 1937 के तहत जारी किया गया है। नियमों के अनुसार, कोई हवाई परिवहन सेवा एक वैध लाइसेंस के साथ ही नियमित लैंडिंग और डिपार्चर के लिए एक हवाई अड्डे का उपयोग कर सकती है। ड्राफ्ट रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
लाइसेसिंग अथॉरिटी: मौजूदा नियमों के अनुसार, हवाई अड्डों को निम्नलिखित के लिए लाइसेंस दिया जाता है: (i) सार्वजनिक उपयोग, और (ii) निजी उपयोग की श्रेणियां। सार्वजनिक उपयोग वाले एयरोड्रोम सभी व्यक्तियों के लिए होते हैं जबकि निजी उपयोग वाले एयरोड्रोम विशेष रूप से लाइसेंसधारी द्वारा अधिकृत व्यक्तियों के लिए होते हैं। ड्राफ्ट रेगुलेशंस में निर्दिष्ट है कि सार्वजनिक उपयोग वाले हवाई अड्डों के लिए साइट मंजूरी और सैद्धांतिक मंजूरी ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे की नीति के अनुसार नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाएगी। निजी उपयोग वाले हवाई अड्डों के लिए डीजीसीए तकनीकी आकलन के आधार पर अनुमोदन प्रदान करेगा।
सार्वजनिक उपयोग के ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए आवेदन प्रक्रिया: ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा का डेवलपर निर्माण शुरू करने से पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय को लाइसेंस के लिए आवेदन करेगा।
निजी उपयोग वाले हवाई अड्डों के लिए आवेदन प्रक्रिया: वर्तमान नियमों के अनुसार, निजी उपयोग वाले हवाई अड्डे के लिए एक आवेदक को एक निर्धारित शुल्क के साथ डीजीसीए को आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ रक्षा मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, भूमि के मालिक और स्थानीय अधिकारियों की अनुमतियां संलग्न की जानी चाहिए। ड्राफ्ट रेगुलेशंस में गृह मंत्रालय से अतिरिक्त अनुमति संलग्न करने का उल्लेख है। मौजूदा सरकारी हवाई अड्डे के लिए ऐसी अनुमतियों की आवश्यकता नहीं होगी। डीजीसीए द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी दिए जाने के बाद, आवेदक को निर्माण शुरू करने के लिए एक परियोजना रिपोर्ट जमा करनी होगी।
लाइसेंस की वैधता: लाइसेंस इस बात का संकेत है कि हवाई अड्डा प्रबंधन प्रणाली, परिचालन प्रक्रियाओं, भौतिक विशेषताओं और अग्निशमन सेवाओं जैसे विनिर्देशों को पूरा करता है। एक लाइसेंस पांच वर्ष के लिए वैध होगा, जोकि अनुपालन न करने पर निलंबन के अधीन होगा, और यह गैर-हस्तांतरणीय होगा। लाइसेंस को रीन्यू करने के लिए लाइसेंस की एक्सपायरी से कम से कम दो महीने पहले आवेदन और निर्धारित शुल्क संबंधित प्राधिकारी को भेजा जाना चाहिए।
सुरक्षा की शर्तें: हवाई अड्डा ऑपरेटर ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसियों और एयरोड्रम रखरखाव एजेंसियों जैसे एयरोड्रम यूजर्स के लिए सुरक्षा प्रक्रियाओं को स्थापित और उन्हें लागू करेगा। प्रक्रियाओं के अनुपालन की निगरानी हवाई अड्डा संचालक द्वारा की जाएगी।
ड्राफ्ट रेगुलेशंस पर 28 अगस्त, 2022 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
वाणिज्य
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स के लिए वर्क फ्रॉम होम के नियम अधिसूचित
वाणिज्य मंत्रालय ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स (एसईजेड) के लिए वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) के नियमों को अधिसूचित किया है।[58] इन नियमों को स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स एक्ट, 2005 के तहत प्रकाशित किया गया है और ये नियम स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स नियम, 2006 में संशोधन करते हैं।[59],[60] एसईजेड एक्ट, 2005 निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एसईजेड की स्थापना, विकास और प्रबंधन का प्रावधान करता है।
2022 के नियम घर से काम करने का विकल्प पेश करते हैं। एक सेज़ यूनिट कुल कर्मचारियों (अनुबंध कर्मचारियों सहित) के अधिकतम 50% को घर से काम करने की अनुमति दे सकती है। इन कर्मचारियों को सेज के बाहर कहीं से भी काम करने की अनुमति दी जा सकती है। ये नियम निम्नलिखित पर लागू होते हैं: (i) सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी एनेबल्ड सेवा कर्मचारी, (ii) अस्थायी रूप से अक्षम कर्मचारी, (iii) वे कर्मचारी जो यात्रा कर रहे हैं, और (iv) कर्मचारी जो ऑफसाइट काम कर रहे हैं।
विकास आयुक्त (डीसी) द्वारा अनुमति दिए जाने पर डब्ल्यूएफएच की अवधि एक वर्ष के लिए वैध होगी। सेज के डीसी इस अवधि को एक बार में एक वर्ष बढ़ा सकते हैं। डीसी अधिक संख्या में कर्मचारियों को घर से काम करने की मंजूरी दे सकता है (अर्थात कुल कर्मचारियों का 50% से अधिक)।
सेज यूनिट्स, जहां कर्मचारी पहले से ही घर से काम कर रहे हैं, को डब्ल्यूएफएच जारी रखने के लिए अनुमोदन प्राप्त करने के लिए 90 दिनों की संक्रमण अवधि प्रदान की गई है।
शहरी विकास
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
मेट्रो रेल प्रॉजेक्ट्स के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट सौंपी गई
आवासन एवं शहरी मामलों संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: जगदंबिका पाल) ने “मेट्रो रेल प्रॉजेक्ट्स का कार्यान्वयन-एक समीक्षा” पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[61] कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
कम सवारियां: अधिकतर मेट्रो प्रॉजेक्ट्स (दिल्ली और मुंबई 1 को छोड़कर) में वास्तविक दैनिक औसत राइडरशिप (सवारी) उस स्तर से कम होती हैं, जिस स्तर पर आय और लागत एक बराबर हो (जिस ब्रेकईवन कहा जाता है)। इन मेट्रो प्रॉजेक्ट्स में बेंगलुरू, हैदराबाद, चेन्नई, लखनऊ और जयपुर शामिल हैं। उदाहरण के लिए 2020-21 में: (i) बेंगलुरू मेट्रो की वास्तविक औसत राइडरशिप 0.96 लाख है, जबकि ब्रेकईवन के लिए 18.64 लाख अपेक्षित है, और (ii) हैदराबाद मेट्रो की वास्तविक राइडरशिप 0.65 लाख है, जबकि ब्रेकईवन के लिए 19 लाख अपेक्षित है। कमिटी ने कहा कि मेट्रो प्रॉजेक्ट्स के खराब प्रदर्शन से कई बातों का संकेत मिलता है, जैसे (i) फर्स्ट और लाइस्ट माइल कनेक्टिविटी की कमी, और (ii) स्टेशनों पर पार्किंग की समस्या। अगर मेट्रो को मास ट्रांसपोर्टेशन का माध्यम बनाना है (यानी आम लोग उसे इस्तेमाल करें) तो यात्रियों को निजी वाहन इस्तेमाल करने से दूर करने की जरूरत है। इसलिए कमिटी ने निम्नलिखित का सुझाव दिया: (i) यह सुनिश्चित करना कि राइडरशिप का अनुमान (जोकि यह तय करता है कि किसी प्रकार की मेट्रो को चुना जाए) वास्तविक और सही है, और (ii) सभी मेट्रो प्रॉजेक्ट्स में राइडरशिप को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
फर्स्ट और लास्ट माइल कनेक्टिविटी: मेट्रो रेल नीति, 2017 में यह प्रावधान है कि मेट्रो रेल के सभी प्रस्तावों में फीडर सिस्टम्स के प्रस्ताव शामिल किए जाएं। कमिटी ने कहा कि सभी मेट्रो नेटवर्क्स में फर्स्ट और लास्ट माइल कनेक्टिविटी की सुविधाएं नहीं है। जैसे लखनऊ, अहमदाबाद और कोलकाता में फीडर बसों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। इस कनेक्टिविटी के अभाव में अनुमानित राइडरशिप को हासिल नहीं किया जा सकता। उसने सुझाव दिया कि आगामी मेट्रो प्रॉजेक्ट्स को तब तक मंजूरियां नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि विस्तृत प्रॉजेक्ट रिपोर्ट में फर्स्ट और लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए प्रावधान न हों।
मेट्रो प्रॉजेक्ट्स के लिए कानून: कमिटी ने गौर किया कि चूंकि ज्यादातर शहर मेट्रो प्रॉजेक्ट्स ला रहे हैं, इसलिए मेट्रो प्रॉजेक्ट्स के लिए व्यापक कानून की जरूरत है। इस समय तीन केंद्रीय कानूनों के जरिए मेट्रो प्रॉजेक्ट्स को रेगुलेट किया जाता है। आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने कहा था कि वह एक बिल का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है जोकि इन तीन मौजूदा कानूनों का स्थान लेगा।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
[1] Parliament Session Alert, July 16, 2022, https://prsindia.org/files/parliament/session_track/2022/session_alert/Parl_Session_Alert_Monsoon_2022.pdf.
[2] Consumer Price Index Numbers on Base 2012=100 for Rural, Urban and Combined for the Month of June 2022, Ministry of Statistics and Programme Implementation, July 12, 2022, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/jul/doc202271270101.pdf.
[3] CG-DL-E-31032021-226291, Ministry of Finance, March 31, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/226291.pdf.
[4] “WPI-based inflation declines marginally to 15.18% for the month of June, 2022”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, July 14, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1841416.
[5] CG-DL-E-01072022-236982, Ministry of Finance, July 1, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236982.pdf.
[6] International Trade Settlement in Indian Rupees (INR), Reserve Bank of India, July 11, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/APDCN1083AC50D954814429AC4D404A9A73DDD1.PDF.
[7] Liberalisation of Forex Flows (Revised), Reserve Bank of India, July 6, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR4814C41A388F1014C8D994DCF7B7CEAD2DD.PDF.
[8] Revised Regulatory Framework for Urban Co-operative Banks (UCBs), Reserve Bank of India, July 19, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR561388AEFDA6056474E93729F02C7140584.PDF.
[9] Discussion Paper on Climate Change and Sustainable Finance, Reserve Bank of India, July 27, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Publications/PDFs/CLIMATERISK46CEE62999A4424BB731066765009961.PDF.
[10] Online Bond Trading Platforms - Proposed Regulatory Framework, Securities and Exchange Board of India, July 21, 2022, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jul-2022/consultation-paper-on-online-bond-trading-platforms-proposed-regulatory-framework_61087.html.
[11] Securities and Exchange Board of India (Issue of Capital and Disclosure Requirements) (Third
Amendment) Regulations, 2022, Securities and Exchange Board of India, July 25, 2022, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/jul-2022/securities-and-exchange-board-of-india-issue-of-capital-and-disclosure-requirements-third-amendment-regulations-2022_61171.html.
[12] Consultation Paper on applicability of SEBI (Prohibition of Insider Trading),
Regulations, 2015 to Mutual Fund (MF) units, Securities and Exchange Board of India, July 8, 2022, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jul-2022/consultation-paper-on-applicability-of-sebi-pit-regulations-to-mf-units_60689.html.
[13] “Cabinet approves revival package of BSNL amounting to Rs 1.64 Lakh Cr.”, Press Information Bureau, Union Cabinet, July 27, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1845422.
[14] Website of BBNL as accessed on July 28, 2022, https://bbnl.nic.in/index.aspx.
[15] Consultation Paper on “Need for a new legal framework governing Telecommunication in India”, Department of Telecommunication, July 23, 2022, https://dot.gov.in/sites/default/files/Consultation%20Paper%20final%2023072022-1.pdf?download=1.
[16] “Cabinet approves a project for saturation of 4G mobile services in uncovered villages at a total cost of Rs. 26,316 Cr”, Press Information Bureau, Union Cabinet, July 27, 2022, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1845427.
[17] Website of Universal Service Obligation Fund as accessed on July 28, 2022, http://usof.gov.in/usof-cms/home.jsp.
[18] Section 9A, The Indian Telegraph Act, 1885, https://dot.gov.in/sites/default/files/the_indian_telegraph_act_1985_pdf.pdf.
[19] Report 340: The National Anti-Doping Bill, 2021, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, Rajya Sabha, March 23, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/162/340_2022_3_11.pdf.
[20] The National Anti-Doping Bill, 2021, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2021/National%20Anti-Doping%20Bill,%202021.pdf.
[21] The Family Courts (Amendment) Bill, 2022, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2022/The%20Family%20courts%20(A)%20bill,%202022.pdf.
[22] The Family Courts Act, 1984, https://legislative.gov.in/sites/default/files/A1984-66_0.pdf.
[23] Report No. 117: The Mediation Bill, 2021 (Volume 1), Standing Committee on Personnel, Public Grievances, Law and Justice, Rajya Sabha, July 13, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/18/164/117_2022_7_17.pdf.
[24] The Indian Antarctic Bill, 2022, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2022/Indian%20Antarctic%20Bill,%202022%20(Bill%20Text).pdf.
[25] F. No. 09/13/2021-RCM, Ministry of Power, July 22, 2022, https://powermin.gov.in/sites/default/files/webform/notices/Renewable_Purchase_Obligation_and_Energy_Storage_Obligation_Trajectory_till_2029_30.pdf.
[26] Report 341: ‘Review of education standards, accreditation process, research, examination reforms and academic environment in Deemed/Private Universities/other Higher Education Institutions’, Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports, Rajya Sabha, July 4, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/162/341_2022_7_14.pdf.
[27] Report 15: ‘Role of autonomous bodies/educational Institutions including Central Universities, Engineering Colleges, IIMs, IITs, Medical Institutes, Navodaya Vidyalayas and Kendriya Vidyalayas etc. in socio-economic development of Scheduled Castes and Scheduled Tribes with special reference to implementation of reservation policy in the All India Institute of Medical Sciences (AIIMS)’, Lok Sabha, July 26, 2022, http://164.100.47.193/lsscommittee/Welfare%20of%20Scheduled%20Castes%20and%20Scheduled%20Tribes/17_Welfare_of_Scheduled_Castes_and_Scheduled_Tribes_15.pdf.
[28] “Draft Drugs, Medical Devices, and Cosmetics Bill, 2022”, Ministry of Health and Family Welfare, July 8, 2022, https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/Drugs%2C%20Medical%20Devices%20and%20Cosmetics%20Bill.pdf.
[29] The Drugs and Cosmetics Act, 1940, https://legislative.gov.in/sites/default/files/A1940-23.pdf.
[30] “Subject: Guidelines to prevent unfair trade practices and protection of consumer interest with regard to levy of service charge in hotels and restaurants”, Central Consumer Protection Authority, July 4, 2022, https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file-uploads/latestnews/Guidelines%20to%20prevent%20unfair%20trade%20practices%20and%20protection%20of%20Consumer%20Interest%20with%20regard%20to%20levy%20of%20service%20charge%20in%20hotels%20and%20restaurants.pdf.
[31] The Consumer Protection Act, 2019, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2019/210422.pdf.
[32] Order, National Restaurant Association of India & Ors and Federation of Hotel and Restaurant Associations of India & Ors Versus Union of India & Anr., July 20, 2022.
[33] Report no 20 on Quality Control Cells (QCCs), Lok Sabha, July 19, 2022, http://164.100.47.193/lsscommittee/Food,%20Consumer%20Affairs%20&%20Public%20Distribution/17_Food_Consumer_Affairs_And_Public_Distribution_20.pdf.
[34] “Proposal for introduction of the Merchant Shipping (Amendment) Bill, 2022”, Ministry of Ports, Shipping, and Waterways, July 7, 2022, https://shipmin.gov.in/sites/default/files/MS%20Amendment%20Bill%202022_0.pdf.
[35] Draft Merchant Shipping (Amendment) Bill, 2022, Ministry of Ports, Shipping, and Waterways, https://shipmin.gov.in/sites/default/files/MS%20Amendment%20Bill%202022.pdf.
[36] The Merchant Shipping Act, 1958, https://legislative.gov.in/sites/default/files/A1958-44.pdf.
[37] Plastic Waste Management (Second Amendment) Rules, 2022, July 6, 2022, https://cpcb.nic.in/uploads/plasticwaste/2-amendment-pwmrules-2022.pdf.
[38] Plastic Waste Management (Amendment) Rules, 2018, https://cpcb.nic.in/displaypdf.php?id=cGxhc3RpY3dhc3RlL1BXTV9HYXpldHRlLnBkZg==.
[39] Plastic Waste Management (Amendment) Rules, 2021, https://cpcb.nic.in/uploads/plasticwaste/Notification-12-08-2021.pdf.
[40] Plastic Waste Management (Amendment) Rules, 2022, https://cpcb.nic.in/uploads/plasticwaste/PWM-Amendment-Rules-2022.pdf.
[41] The Environment (Protection) Act, 1986, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/4316/1/ep_act_1986.pdf.
[42] Notice for Public Consultation, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, July 9, 2022, Notice-for-public-consultation.pdf (moef.gov.in).
[43] Notice for Public Consultation, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, July 1, 2022, EPA-Bill_compressed.pdf (moef.gov.in).
[44] The Indian Forest Act, 1927, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15385/1/the_indian_forest_act%2C_1927.pdf.
[45] The Environment (Protection) Act, 1986, https://legislative.gov.in/sites/default/files/A1986-29.pdf.
[46] Proposal for amendment in Water (Prevention and Control of Pollution) Act, 1974, https://moef.gov.in/wp-content/uploads/2022/06/Public-Notice-CP-Water_compressed.pdf.
[47] Proposal for amendment in Air (Prevention and Control of Pollution) Act, 1981, https://moef.gov.in/wp-content/uploads/2022/06/Public-Notice-CP-Air_compressed.pdf.
[48] Air (Prevention and Control of Pollution) Act, 1981, https://legislative.gov.in/sites/default/files/A1981-14.pdf.
[49] Water (Prevention and Control of Pollution) Act, 1974, https://cpcb.nic.in/upload/home/water-pollution/WaterAct-1974.pdf.
[50] “Notice for public consultation,”, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, June 30, 2022, https://moef.gov.in/wp-content/uploads/2022/06/Notice-For-Public-Consulation-on-Prposal-for-amendment-in-the-Public-Liabity-Insurance-PLI-Act1991Hindi-English_compressed-1.pdf.
[51] The Public Liability Insurance Act, 1991, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1960/1/A1991-06.pdf.
[52] CG-DL-E-18072022-237329, Ministry of Agriculture and Farmers welfare, Gazette of India, July 12, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/237329.pdf.
[53] Civil Aviation Requirements, Air Transport Series, Directorate General of Civil Aviation, July 21, 2022, https://www.dgca.gov.in/digigov-portal/Upload?flag=iframeAttachView&attachId=151397693.
[54] “Requirements Commercial Air Transport- For Extended Diversion Time Operations (Edto) And Operations by Turbine-Engined Aeroplanes Beyond 60 Minutes to An En- Route Alternate Aerodrome”, Directorate General of Civil Aviation, July 17, 2022, https://www.dgca.gov.in/digigov-portal/Upload?flag=iframeAttachView&attachId=151387893.
[55] Gazette Notification No. CG-DL-E-06072022-237129, Ministry of Civil Aviation, July 6, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/237129.pdf.
[56] Aircraft Rules, 1937, https://www.civilaviation.gov.in/sites/default/files/moca_000947.pdf.
[57] Civil Aviation Requirements, Aerodrome Standards and Licensing, Directorate General of Civil Aviation, July 29, 2022, https://www.dgca.gov.in/digigov-portal/Upload?flag=iframeAttachView&attachId=151417909.
[58] CG-DL-E-14072022-237284, Ministry of Commerce and Industry, Special Economic Zones in India, July 14, 2022, http://sezindia.nic.in/upload/uploadfiles/files/(Third%20Amendment)%20Rules%2C%202022.pdf.
[59] The Special Economic Zones Act, 2005, https://legislative.gov.in/sites/default/files/A2005-28.pdf.
[60] The Special Economic Zones Rules 2006, http://sezindia.nic.in/upload/uploadfiles/files/SEZ%20Rules-EPCES%20Book-rotated_1_11zon%20(3).pdf.
[61] Report 13: ‘Implementation of Metro Rail Projects- An Appraisal’, Standing Committee on Housing and Urban Affairs, Lok Sabha, July 19, 2022, http://164.100.47.193/lsscommittee/Housing%20and%20Urban%20Affairs/17_Housing_and_Urban_Affairs_13.pdf.
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