
इस अंक की झलकियां
मानसून सत्र 2023 प्रारंभ
संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई, 2023 को शुरू हुआ। 21 बिल पेश, विचार और पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध हैं। इनमें जीएनसीटीडी एक्ट और जन्म और मृत्यु पंजीकरण एक्ट में संशोधन करने वाले बिल शामिल हैं।
लोकसभा ने वन संरक्षण (संशोधन) बिल, 2023 पारित किया
बिल कुछ भूमि को वन (संरक्षण) एक्ट, 1980 के दायरे में जोड़ता है और कुछ को इससे छूट देता है। बिल की समीक्षा करने वाली ज्वाइंट कमिटी ने बिल के सभी प्रावधानों को स्वीकार कर लिया है।
संसद ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल, 2023 को पारित किया
बिल में फिल्म के प्रमाणन के लिए आयु आधारित और श्रेणियां जोड़ी गई हैं। यह फिल्मों की अनाधिकृत रिकॉर्डिंग और अनाधिकृत प्रदर्शन को अंजाम देने या बढ़ावा देने पर रोक लगाता है।
लोकसभा ने आठ बिल पारित किए
इनमें से तीन को मौजूदा सत्र में पेश किया गया। इनमें राष्ट्रीय डेंटल आयोग बिल, 2023 और खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2023 शामिल हैं।
जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) बिल, 2023 पेश किया गया
बिल पंजीकृत जन्म और मृत्यु का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनता है जिसे अनुमोदित अधिकारियों के साथ साझा किया जा सकता है। बिल में जन्म के मामलों में माता-पिता और सूचनाकर्ताओं के आधार विवरण की जरूरत बताई गई है।
बिजली (संशोधन) नियम, 2023 अधिसूचित
नियम सहायक कंपनियों के माध्यम से कैप्टिव बिजली संयंत्रों के व्यापक स्वामित्व की अनुमति देते हैं और अक्षय ऊर्जा प्रशुल्कों की गणना में बदलाव करते हैं।
विभिन्न विषयों और नीतियों पर स्टैंडिंग कमिटीज़ ने रिपोर्ट सौंपी
प्रस्तुत रिपोर्टों में छोटे किसानों के लिए कृषि मशीनीकरण, नेबरहुड फर्स्ट नीति, राष्ट्रीय अकादमियों की कार्यप्रणाली और साइबर सुरक्षा शामिल हैं।
अग्निशमन सेवाओं के विस्तार एवं आधुनिकीकरण हेतु योजना प्रारंभ
इस योजना का परिव्यय 5,000 करोड़ रुपए होगा और इसे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष के तहत प्रबंधित किया जाएगा। योजना का उद्देश्य राज्य स्तर पर अग्निशमन सेवाओं की तैयारियों में मदद करना है।
यूजीसी ने असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए न्यूनतम मानदंड में संशोधन किया
संशोधन पीएचडी डिग्री वाले व्यक्तियों को असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भर्ती का पात्र बनाते हैं। उन्हें नेट/एसएलईटी/सेट परीक्षा पास होना चाहिए।
संसद
Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)
मानसून सत्र 2023 प्रारंभ
20 जुलाई, 2023 को मानसून सत्र 2023 शुरू हुआ। यह 11 अगस्त, 2023 तक चलेगा, जिस दौरान कुल 17 दिन बैठक होगी।
इस दौरान 21 बिल पेश होने, विचार एवं पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध हैं। इनमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) बिल, 2023, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 तथा जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) बिल, 2023 शामिल हैं। इस सत्र में आठ बिल विचार एवं पारित किए जाने के लिए सूचीबद्ध हैं। इनमें वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023, जन विश्वास (प्रावधान में संशोधन) बिल, 2022 और जैव विविधता (संशोधन) बिल, 2023 शामिल हैं।
संसद द्वारा तीन बिल पारित किए गए, जिसमें सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल, 2023 शामिल है। लोकसभा ने आठ बिल पारित किए गए, जिनमें (i) जैव विविधता (संशोधन) बिल, 2023, (ii) बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022 और (iii) वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 शामिल हैं।
मानसून सत्र 2023 के दौरान लेजिसलेटिव बिजनेस पर अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें।
माइक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2023-24 की पहली तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 4.6%
2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 4.6% थी जो 2022-23 की पहली तिमाही के 7.3% के आंकड़े से काफी कम है। 2022-23 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में सीपीआई मुद्रास्फीति 6.2% थी।
2023-24 की पहली तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 3.8% रही। ऐसा ऊंचे आधार के कारण था क्योंकि 2022-23 की इसी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति 8% थी। 2022-23 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति 5.6% थी।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति 2023-24 की पहली तिमाही में -2.8% थी जबकि 2022-23 की पहली तिमाही में 16.1% थी।[1] 2022-23 की चौथी तिमाही में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति औसतन 3.4% रही।
रेखाचित्र 1: 2023-24 की पहली तिमाही में मासिक मुद्रास्फीति (% परिवर्तन, वर्ष-दर-वर्ष)
स्रोत: एमओएसपीआई; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय; पीआरएस।
सूचना एवं प्रसारण
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल, 2023 संसद में पारित
सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल, 2023 को 20 जुलाई, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया। इसे 27 जुलाई, 2023 को राज्यसभा और 31 जुलाई, 2023 को लोकसभा ने पारित कर दिया। बिल सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 में संशोधन करता है।[2] ये एक्ट प्रदर्शन के लिए फिल्मों के प्रमाणन के लिए फिल्म प्रमाणन बोर्ड का गठन करता है।[3] ये प्रमाणपत्र संशोधन या डिलीशन के अधीन हो सकते हैं। बोर्ड फिल्मों के प्रदर्शन से इनकार भी कर सकता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रमाणपत्रों की अतिरिक्त श्रेणियां: बिल आयु के आधार पर प्रमाणपत्रों की कुछ अतिरिक्त श्रेणियां जोड़ता है। परिवर्तन निम्नलिखित तालिका में दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि यूए श्रेणी के भीतर जो आयु का अनुमोदन किया है, उससे माता-पिता या अभिभावकों को इस बात पर विचार करने में मदद मिलेगी कि यह फिल्म बच्चों को देखनी चाहिए अथवा नहीं, और माता-पिता या अभिभावकों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा इसे लागू नहीं किया जाएगा।
तालिका 1: फिल्म प्रमाणन के लिए आयु श्रेणियां
एक्ट |
बिल |
यू: यूनिवर्सल व्यूइंग |
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यू/ए7+ |
यू/ए13+ |
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यू/ए16+ |
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वयस्क: 18+ |
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एस: किसी विशिष्ट पेशे या वर्ग के सदस्यों तक ही सीमित |
स्रोत: सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952, सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल, 2023; पीआरएस।
टेलीविजन/अन्य मीडिया के लिए अलग प्रमाणपत्र: 'ए' या 'एस' प्रमाणपत्र वाली फिल्मों को टेलीविजन, या केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किसी अन्य मीडिया पर प्रदर्शन के लिए एक अलग प्रमाणपत्र की आवश्यकता होगी। बोर्ड आवेदक को यह निर्देश दे सकता है कि वह अलग प्रमाणपत्र के लिए उचित डिलीशन या संशोधन करे।
अनाधिकृत रिकॉर्डिंग और प्रदर्शन पर सजा: बिल निम्नलिखित को अंजाम देने या बढ़ावा देने पर रोक लगाता है: (i) अनाधिकृत रिकॉर्डिंग और (ii) फिल्मों का अनाधिकृत प्रदर्शन। अनाधिकृत रिकॉर्डिंग का प्रयास करना भी अपराध होगा। अनाधिकृत रिकॉर्डिंग का मतलब मालिक की अनुमति के बिना फिल्म प्रदर्शन के लिए लाइसेंस प्राप्त स्थान पर फिल्म की उल्लंघनकारी प्रतिलिपि बनाना है। अनाधिकृत प्रदर्शन का अर्थ, है लाभ के लिए फिल्म की उल्लंघनकारी प्रति का सार्वजनिक प्रदर्शन करना।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
पर्यावरण
ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी ने वन बिल, 2023 पर रिपोर्ट सौंपी
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 को लोकसभा ने 26 जुलाई, 2023 को पारित कर दिया। वन (संरक्षण) एक्ट, 1980 के तहत गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि का उपयोग करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है।[4] बिल वन भूमि को परिभाषित करता है, और भूमि की कुछ श्रेणियों को कानून के दायरे से छूट देता है। छूट में सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 10 हेक्टेयर तक की भूमि शामिल है।[5] बिल जंगलों के अंदर चिड़ियाघर, सफारी और इको-पर्यटन सुविधाएं संचालित करने की भी अनुमति देता है।
बिल पर गठित ज्वाइंट कमिटी (चेयर: श्री राजेंद्र अग्रवाल) ने 20 जुलाई, 2023 को अपनी रिपोर्ट सौंपी।[6] कमिटी ने बिल के तहत सभी संशोधनों की पुष्टि की। कमिटी के पांच सदस्यों ने जैव विविधता की हानि का उल्लेख करते हुए असहमतियां जताईं। बिल की मुख्य बातें और रिपोर्ट के मुख्य सुझाव इस प्रकार हैं:
एक्ट के दायरे में आने वाली भूमि: बिल के अनुसार, एक्ट निम्न प्रकार की भूमि पर लागू होगा: (i) किसी अन्य कानून के तहत वन के रूप में अधिसूचित भूमि, या (ii) सरकारी रिकॉर्ड में 25 अक्टूबर, 1980 को या उसके बाद वन के रूप में अधिसूचित। कमिटी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय (1996) ने माना था कि सरकारी रिकॉर्ड में वन के रूप में दर्ज कोई भी क्षेत्र एक्ट के दायरे में आएगा। इसमें 25 अक्टूबर, 1980 से पहले वन के रूप में दर्ज भूमि शामिल होगी।
असहमति के एक नोट के अनुसार, 1950-70 के दशक (जमींदारी प्रथा के उन्मूलन) के दौरान वन विभाग को हस्तांतरित वन भूमि के बड़े हिस्से को किसी भी कानून के तहत वन के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया था। ये जैव विविधता के हॉटस्पॉट हैं और वर्तमान में एक्ट के तहत संरक्षित हैं। इसमें कहा गया है कि इस वन भूमि को बाहर करने से सर्वोच्च न्यायालय का फैसला कमजोर हो जाएगा। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा कि बिल की एप्लिकेबिलिटी की दूसरी शर्त में 25 अक्टूबर, 1980 से पहले वन के रूप में दर्ज ऐसी भूमि भी शामिल है।
एक्ट के दायरे से छूट प्राप्त भूमि: भूमि की छूट वाली श्रेणियों में कूटनीतिक राष्ट्रीय महत्व या सुरक्षा की लीनियर परियोजनाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमाओं, एलओसी या एलएसी के साथ 100 किमी के भीतर वन भूमि शामिल है। असहमति के एक नोट में यह भी कहा गया है कि बिल हिमालय और उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के जंगलों को एक्ट के दायरे से छूट देता है जो प्रांतीय जैव विविधता से समृद्ध हैं। इस तरह की व्यापक छूट के परिणामस्वरूप चरम मौसम की घटनाओं के कारण प्रकृति, जैव विविधता और इंफ्रास्ट्रक्चर पर असर पड़ेगा।
बिल पर विस्तृत विवरण के लिए कृपया देखें।
जैव विविधता (संशोधन) बिल, 2021 को लोकसभा में पारित किया गया
Saket Surya (saket@prsindia.org)
जैव विविधता (संशोधन) बिल, 2021 को लोकसभा में पारित किया गया।[7] बिल दिसंबर 2021 में पेश किया गया था।[8] यह जैव विविधता एक्ट, 2002 में संशोधन करता है।[9] यह कानून जैव संसाधनों के संरक्षण, और जैव संसाधनों और संबंधित ज्ञान तक पहुंच पर स्थानीय समुदायों के साथ लाभ साझा करने का प्रावधान करता है। एक्ट रेगुलेशन के लिए राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) और राज्य जैव विविधता बोर्ड (एसबीबी) की स्थापना करता है।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
वाणिज्य
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
लोकसभा ने जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2022 पारित किया
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2022 को लोकसभा ने पारित कर दिया।[10] बिल का उद्देश्य विभिन्न कानूनों से दंड के रूप में कारावास को हटाकर और अपराध को समाप्त करके व्यापार को सुगम बनाना है। बिल की समीक्षा के लिए गठित ज्वाइंट कमिटी (चेयर: श्री पी.पी. चौधरी) ने 17 मार्च, 2023 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[11] कमिटी द्वारा रिपोर्ट बिल को लोकसभा ने पारित कर दिया। कमिटी के सभी सुझावों को मान लिया गया। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
दंड में संशोधन: बिल मूल एक्ट्स में विभिन्न उल्लंघनों और अपराधों के लिए जुर्माने और अर्थदंड को कम करता है। यह कुछ जुर्मानों (फाइन) को अर्थदंड (पैनेल्टी) से बदलता है जिन्हें न्यायिक प्रक्रिया के जरिए लगाने की जरूरत नहीं है। कुछ प्रावधानों के लिए कमिटी ने अर्थदंड की गंभीरता में संशोधन का सुझाव दिया है। जैसे कमिटी ने सुझाव दिया है कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत राज्य रजिस्टर ऑफ फार्मासिस्ट में दर्ज होने का झूठा दावा करने पर अर्थदंड बढ़ाया जाना चाहिए। पहली बार यह अपराध करने पर वर्तमान में पांच सौ रुपए का अर्थदंड है। बिल के तहत पहली बार अपराध करने पर 50,000 रुपए तक का अर्थदंड लगाया जाएगा। कमिटी ने इस अर्थदंड को बढ़ाकर एक लाख रुपए करने का सुझाव दिया है। दूसरे अपराधों को क्षमा योग्य बनाया गया है, जैसे कि वन एक्ट, 1927 के तहत मवेशियों का अनाधिकार प्रवेश।
सजा पर अधिनिर्णय: बिल में केंद्र सरकार के लिए प्रावधान है कि वह निम्नलिखित के लिए एडजुडिकेटिंग अधिकारियों की नियुक्ति करेगी (i) उल्लंघनों की जांच करना, (ii) सबूत के लिए व्यक्तियों को बुलना, और (iii) अर्थदंड पर फैसला देना और दंड लगाना। बिल कुछ कानूनों से सजा के रूप में कारावास को हटाता है लेकिन उनके लिए एडजुडिकेटिंग अधिकारियों को पेश नहीं करता। कमिटी ने ऐसा करने वाले संशोधनों का सुझाव दिया। यह कोई मौजूदा अधिकारी या निकाय हो सकता है, जैसे सरकारी सिक्योरिटीज़ एक्ट, 2006 के तहत उल्लंघनों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक। अन्य कानूनों के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि किसी निर्दिष्ट रैंक के अधिकारी को एडजुडिकेटिंग अधिकारी के रूप में अधिसूचित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि बॉयलर्स एक्ट, 1923 के तहत निर्दिष्ट एडजुडिकेटिंग अधिकारी, जिला मेजिस्ट्रेट हो सकता है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने ऐसे संशोधनों का सुझाव दिया जोकि केंद्र सरकार को एडजुडिकेटिंग अधिकारी के फैसलों के लिए अपीलीय अधिकारी की नियुक्ति की अनुमति दें। कुछ कानूनों के लिए सुझाए गए संशोधन निर्दिष्ट करते हैं कि अपीलीय अधिकारियों को एडजुडिकेटिंग अधिकारी से कम से कम एक रैंक ऊपर का होना चाहिए। जिन कानूनों के लिए कमिटी ने इन संशोधनों का सुझाव दिया है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बॉयलर्स एक्ट, 1923, (ii) रबर एक्ट, 1947, और (iii) फार्मेसी एक्ट, 1948।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
गृह मामले
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
जन्म और मृत्यु पंजीकरण एक्ट, 1969 में संशोधन के लिए बिल पेश
जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) बिल, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया।[12] बिल जन्म और मृत्यु पंजीकरण एक्ट, 1969 में संशोधन करता है।[13] एक्ट में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के रेगुलेशन का प्रावधान है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
जन्म और मृत्यु का डेटाबेस: एक्ट भारत के रजिस्ट्रार-जनरल की नियुक्ति का प्रावधान करता है जो जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए सामान्य निर्देश जारी कर सकता है। बिल में कहा गया है कि रजिस्ट्रार जनरल पंजीकृत जन्म और मृत्यु का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाएगा। मुख्य रजिस्ट्रार (राज्यों द्वारा नियुक्त) और रजिस्ट्रार (प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र क्षेत्राधिकार के लिए राज्यों द्वारा नियुक्त) पंजीकृत जन्म और मृत्यु के डेटा को राष्ट्रीय डेटाबेस के साथ शेयर करने के लिए बाध्य होंगे। मुख्य रजिस्ट्रार राज्य स्तर पर ऐसा ही डेटाबेस बनाएगा।
माता-पिता और सूचना देने वालों का आधार विवरण जरूरी: एक्ट में कुछ व्यक्तियों को रजिस्ट्रार को जन्म और मृत्यु की जानकारी देनी होती है। उदाहरण के लिए, जिस अस्पताल में बच्चा पैदा हुआ है, उसके प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को जन्म की जानकारी देनी होती है। बिल में कहा गया है कि, जन्म के मामलों में, निर्दिष्ट व्यक्तियों को माता-पिता और सूचना देने वाले, यदि उपलब्ध हो, का आधार नंबर भी प्रदान करना होगा। यह प्रावधान निम्नलिखित पर लागू होता है: (i) जेल में जन्म होने की स्थिति में, जेलर, और (ii) होटल या लॉज का प्रबंधक, अगर ऐसे स्थान पर जन्म हुआ है। इसके अलावा यह निर्दिष्ट व्यक्तियों की सूची का विस्तार करता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गैर-संस्थागत एडॉप्शन की स्थिति में एडॉप्टिव माता-पिता, (ii) सरोगेसी के माध्यम से जन्म की स्थिति में जैविक माता-पिता, और (iii) सिंगल पेरेंट या अविवाहित मां से जन्मे बच्चे की स्थिति में पेरेंट।
कनेक्टिंग डेटाबेस: बिल में कहा गया है कि राष्ट्रीय डेटाबेस को ऐसे अधिकारियों को उपलब्ध कराया जा सकता है, जो दूसरे डेटाबेस तैयार या मेनटेन करते हैं। इन डेटाबेस में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) जनसंख्या रजिस्टर, (ii) मतदाता सूची, (iii) राशन कार्ड, और (iv) अधिसूचित कोई अन्य राष्ट्रीय डेटाबेस। राष्ट्रीय डेटाबेस के उपयोग को केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इसी प्रकार राज्य डेटाबेस को उन अधिकारियों को उपलब्ध कराया जा सकता है, जो राज्य के दूसरे डेटाबेस को तैयार या मेनटेन करते हैं। यह राज्य सरकार की मंजूरी के अधीन होगा।
बिल पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट, 2019 में संशोधन के लिए बिल पेश
जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल, 2023 को लोकसभा में 26 जुलाई, 2023 को पेश किया गया।[14] बिल जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन एक्ट, 2019 में संशोधन करता है।[15] एक्ट जम्मू एवं कश्मीर राज्य का जम्मू एवं कश्मीर (विधानसभा के साथ) और लद्दाख (विधानसभा के बिना) केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठन करता है।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
अग्निशमन सेवाओं के विस्तार एवं आधुनिकीकरण हेतु योजना प्रारंभ
गृह मंत्रालय ने राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए एक योजना शुरू की है।[17] इस योजना का परिव्यय 5,000 करोड़ रुपए होगा और यह राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष के तहत तैयारी और क्षमता निर्माण फंडिंग विंडो के निर्धारित आवंटन के अंतर्गत आएगा। योजना का उद्देश्य राज्य स्तर पर अग्निशमन सेवाओं की तैयारियों और क्षमता निर्माण में मदद करना है। कुल परिव्यय में से 500 करोड़ रुपए की राशि राज्यों को उनके कानूनी और बुनियादी ढांचे-आधारित सुधारों के आधार पर प्रोत्साहित करने के लिए रखी गई है। योजना के तहत परियोजनाओं के लिए धन की मांग के लिए, संबंधित राज्य सरकारें 25% का योगदान देंगी और पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्य कुल लागत का 10% योगदान देंगे।
कानून एवं न्याय
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
लोकसभा ने निरसन और संशोधन बिल, 2022 पारित किया
लोकसभा ने निरसन और संशोधन बिल, 2022 को 27 जुलाई, 2022 को पारित कर दिया।[18] यह बिल 65 कानूनों को निरस्त करता है जोकि अप्रचलित हैं या जिन्हें अन्य कानूनों ने निरर्थक बना दिया है। बिल फैक्टरिंग रेगुलेशन एक्ट, 2011 में ड्राफ्टिंग की एक छोटी सी त्रुटि को भी ठीक करता है।[19] बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
कानूनों का निरसन: बिल की पहली अनुसूची में 24 कानून दिए गए हैं जिन्हें निरस्त किया जाएगा। इनमें से 16 संशोधन कानून हैं और दो कानून 1947 से पहले के हैं।
विनियोग कानूनों का निरसन: बिल की दूसरी अनुसूची में 41 विनियोग कानून हैं जिन्हें निरस्त किया जाएगा। इनमें 18 विनियोग कानून रेलवे से संबंधित हैं। ये सभी कानून 2013 से 2017 के बीच के हैं।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
खनन
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2023 लोकसभा में पारित
खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2023 को लोकसभा में 26 जुलाई, 2023 को पेश किया गया। लोकसभा में इसे 28 जुलाई, 2023 को पारित कर दिया गया। बिल खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 1957 में संशोधन करता है।[20] एक्ट खनन क्षेत्र को रेगुलेट करता है।[21]
पूर्व परीक्षण में उप-सतही गतिविधियां शामिल: एक्ट पूर्व परीक्षण से संबंधित कार्यों को प्रारंभिक पूर्वेक्षण के लिए किए जाने वाले कार्यों के तौर पर परिभाषित करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) हवाई सर्वेक्षण, (ii) भूभौतिकीय, और (iii) भू-रासायनिक सर्वेक्षण। इसमें भूवैज्ञानिक मानचित्रण भी शामिल है। एक्ट पूर्व परीक्षण के हिस्से के रूप में गड्ढा खोदने, खाई खोदने, ड्रिलिंग और उप-सतही उत्खनन पर प्रतिबंध लगाता है। बिल इन प्रतिबंधित गतिविधियों की अनुमति देता है।
निर्दिष्ट खनिजों के लिए अन्वेषण (एक्लप्लोरेशन) लाइसेंस: एक्ट में निम्नलिखित प्रकार के कन्सेशन के लिए प्रावधान है: (i) पूर्व परीक्षण के लिए पूर्व परीक्षण परमिट, (ii) पूर्वेक्षण के लिए पूर्वेक्षण लाइसेंस, (iii) खनन करने के लिए खनन पट्टा (लीज़), और (iv) एक मिश्रित लाइसेंस, पूर्वेक्षण और खनन के लिए। बिल एक अन्वेषण लाइसेंस का प्रस्ताव रखता है जोकि निर्दिष्ट खनिजों के लिए पूर्व परीक्षण या पूर्वेक्षण, या दोनों गतिविधियों के लिए अधिकृत करेगा।
सातवीं अनुसूची में निर्दिष्ट 29 खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस जारी किया जाएगा। इनमें सोना, चांदी, तांबा, कोबाल्ट, निकल, सीसा, पोटाश और रॉक फॉस्फेट शामिल हैं। एक्ट के तहत परमाणु खनिजों के रूप में वर्गीकृत छह खनिज भी इनमें शामिल हैं: (i) बेरिल और बेरिलियम, (ii) लिथियम, (iii) नाइओबियम, (iv) टाइटेनियम, (v) टैंटलियम, और (vi) ज़िरकोनियम। बिल उन्हें परमाणु खनिजों के रूप में वर्गीकृत करता है। अन्य खनिजों के विपरीत, परमाणु खनिजों का पूर्वेक्षण और खनन एक्ट के तहत सरकारी संस्थाओं के लिए आरक्षित है।
कुछ खनिजों के लिए केंद्र सरकार द्वारा नीलामी: एक्ट के तहत, कुछ निर्दिष्ट मामलों को छोड़कर, कन्सेशन की नीलामी राज्य सरकारों द्वारा की जाती है। बिल में कहा गया है कि निर्दिष्ट महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए मिश्रित लाइसेंस और खनन पट्टे की नीलामी केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाएगी। इन खनिजों में लिथियम, कोबाल्ट, निकल, फॉस्फेट, टिन, फॉस्फेट और पोटाश शामिल हैं। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अभी भी कन्सेशंस दिए जाएंगे।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2023 लोकसभा में पेश
अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया। बिल अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 2002 में संशोधन करता है।[22] एक्ट भारत के समुद्री क्षेत्रों में खनन को रेगुलेट करता है।[23] बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
कंपोजिट लाइसेंस की पेशकश: बिल अन्वेषण के साथ-साथ उत्पादन का अधिकार देने के लिए एक कंपोजिट लाइसेंस पेश करता है। कंपोजिट लाइसेंस के तहत, लाइसेंसधारी को तीन वर्ष के भीतर अन्वेषण पूरा करना होगा। लाइसेंसधारी द्वारा आवेदन करने पर इसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। अगर खनिज संसाधन स्थापित किए गए हैं, तो लाइसेंसधारी को अन्वेषण किए गए क्षेत्र के लिए एक या अधिक उत्पादन पट्टे दिए जाएंगे। उत्पादन पट्टा 50 वर्षों के लिए वैध होगा।
कुछ कन्सेशंस के लिए नीलामी अनिवार्य: एक्ट प्रशासनिक आवंटन के माध्यम से कन्सेशंस देने का प्रावधान करता है। बिल निजी संस्थाओं को उत्पादन पट्टा और कंपोजिट लाइसेंस देने के लिए प्रतिस्पर्धी बोली को अनिवार्य करता है। बिल के प्रावधानों के प्रभावी होने की तारीख से पहले उत्पादन पट्टों के लिए आवेदन निरस्त हो जाएंगे। बिल के प्रावधानों के प्रभावी होने की तारीख से पहले दिया गया अन्वेषण लाइसेंस, अन्वेषण किए गए क्षेत्र पर उत्पादन पट्टा प्राप्त करने के लिए अयोग्य होगा।
ऑफशोर एरियाज़ मिनरल ट्रस्ट: बिल ऑफशोर एरियाज़ मिनरल ट्रस्ट की स्थापना करता है। कन्सेशन धारियों को रॉयल्टी के अतिरिक्त ट्रस्ट को एक राशि का भुगतान करना होगा। इस राशि का उपयोग निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अपतटीय क्षेत्रों में अन्वेषण, (ii) इकोलॉजी पर अपतटीय खनन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के बारे में अनुसंधान और अध्ययन, और (iii) आपदा होने पर राहत।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग बिल, 2023 लोकसभा में पारित
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग बिल, 2023 को लोकसभा में 24 जुलाई, 2023 को पेश किया गया।[24] इसे 28 जुलाई, 2023 को लोकसभा में पारित किया गया। यह बिल भारतीय नर्सिंग काउंसिल एक्ट, 1947 को निरस्त करता है।[25] बिल नर्सिंग और मिडवाइफरी प्रोफेशनल्स के लिए शिक्षा और सेवाओं के मानकों के रेगुलेशन और मेनटेनेंस का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग: बिल राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग के गठन का प्रावधान करता है। इसमें 29 सदस्य होंगे। चेयरपर्सन के पास नर्सिंग और मिडवाइफरी में पोस्टग्रैजुएट डिग्री होनी चाहिए और इस क्षेत्र में कम से कम 20 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। पदेन सदस्यों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, सैन्य नर्सिंग सेवा और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के प्रतिनिधि शामिल हैं। अन्य सदस्यों में नर्सिंग और मिडवाइफरी प्रोफेशनल्स और धर्मार्थ संस्थानों का एक प्रतिनिधि शामिल हैं।
आयोग के कार्य: आयोग के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) नर्सिंग और मिडवाइफरी शिक्षा के लिए नीतियां तैयार करना और मानकों को रेगुलेट करना, (ii) नर्सिंग और मिडवाइफरी संस्थानों में प्रवेश के लिए एक समान प्रक्रिया प्रदान करना, (iii) नर्सिंग और मिडवाइफरी संस्थानों को रेगुलेट करना, और (iv) शिक्षण संस्थानों में फैकेल्टी के लिए मानक प्रदान करना।
स्वायत्त बोर्ड: बिल राष्ट्रीय आयोग की देखरेख में तीन स्वायत्त बोर्ड्स के गठन का प्रावधान करता है। ये इस प्रकार हैं: (i) नर्सिंग और मिडवाइफरी अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रैजुएट शिक्षा बोर्ड, जोकि अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रैजुएट स्तर पर शिक्षा और परीक्षाओं को रेगुलेट करेगा, (ii) नर्सिंग और मिडवाइफरी मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड, जोकि नर्सिंग और मिडवाइफरी संस्थानों के मूल्यांकन और रेटिंग के लिए फ्रेमवर्क प्रदान करेगा, और (iii) नर्सिंग और मिडवाइफरी नीति और पंजीकरण बोर्ड, जोकि पेशेवर आचरण को रेगुलेट करेगा और इस पेशे में नैतिकता को बढ़ावा देगा।
प्रोफेशनल के तौर पर प्रैक्टिस करना: नीति और पंजीकरण बोर्ड एक ऑनलाइन भारतीय नर्स और मिडवाइफरी रजिस्टर मेनटेन करेगा, जिसमें प्रोफेशनल्स और एसोसिएट्स के विवरण और योग्यताएं शामिल होंगी। योग्य प्रोफेशनल के तौर पर प्रैक्टिस करने के लिए व्यक्तियों को राष्ट्रीय या राज्य रजिस्टर में नामांकित होना चाहिए। इस नियम का पालन न करने पर एक वर्ष तक की कैद, पांच लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
राष्ट्रीय डेंटल आयोग बिल, 2023 लोकसभा में पारित
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
राष्ट्रीय डेंटल आयोग बिल, 2023 को लोकसभा में 24 जुलाई, 2023 को पेश किया गया।[26] इसे 28 जुलाई, 2023 को लोकसभा में पारित किया गया। बिल डेंटिस्ट्स एक्ट, 1948 को निरस्त करता है और निम्नलिखित का गठन करता है: (i) राष्ट्रीय डेंटल आयोग, (ii) डेंटल सलाहकार परिषद और (iii) डेंटल शिक्षा और डेंटिस्ट्री के मानकों को रेगुलेट करने के लिए तीन स्वायत्त बोर्ड। बिल की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
राष्ट्रीय डेंटल आयोग: केंद्र सरकार को 33 सदस्यों वाला एक राष्ट्रीय डेंटल आयोग बनाना होगा। एक प्रतिष्ठित एवं अनुभवी डेंटिस्ट द्वारा इसकी अध्यक्षता की जाएगी। केंद्र सरकार सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझावों के आधार पर अध्यक्ष की नियुक्ति करेगी। सर्च कमिटी की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाएगी। आयोग के पदेन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) तीन स्वायत्त बोर्डों के अध्यक्ष, (ii) स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, (iii) डेंटल और शैक्षिक अनुसंधान केंद्र, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रमुख। आयोग के अंशकालिक सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सरकारी संस्थानों में डेंटिस्ट्री की फैकेल्टी और (ii) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि।
आयोगों के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) डेंटल शिक्षा, परीक्षा और प्रशिक्षण के लिए गवर्नेंस के मानकों को रेगुलेट करना, (ii) डेंटल संस्थानों और अनुसंधान को रेगुलेट करना, (iii) डेंटल हेल्थकेयर में इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों का आकलन करना, और (iv) राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी में दाखिला सुनिश्चित करना।
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आईसीएमआर ने नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन पर नीति वक्तव्य जारी किया
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 'भारत में नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन का नैतिक आचरण' पर ड्राफ्ट सर्वसम्मति नीति वक्तव्य जारी किया।[27] इन अध्ययनों में जानबूझकर स्वस्थ मानव स्वयंसेवकों को नियंत्रित परिस्थितियों में एक विशिष्ट पैथोजन के संपर्क में लाना शामिल है। इससे पैथोजन की प्रकृति, उसके संपर्क में आने पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को समझने और टीके एवं उपचार विकसित करने में मदद मिलेगी। इस तरह के अध्ययनों के वैज्ञानिक लाभों के बावजूद कुछ नैतिक मुद्दे भी हैं जैसे जानबूझकर नुकसान पहुंचाना, अनुपातहीन भुगतान और कमजोर प्रतिभागियों के साथ शोध। ड्राफ्ट नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करते हुए नैतिक चिंताओं का समाधान करना है कि इस तरह के शोध आयोजित किए जा सकते हैं। नीति की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
जिम्मेदार तरीके से अनुसंधान करना: नियंत्रित मानव संक्रमण अध्ययन नैदानिक परीक्षणों में व्यापक अनुभव और सिद्ध अकादमिक/अनुसंधान उत्कृष्टता वाले संस्थानों द्वारा किया जाना चाहिए। मनुष्यों पर स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए शोधकर्ताओं को मौजूदा आईसीएमआर के नैतिक दिशानिर्देशों के अनुसार प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। चूंकि अनुसंधान क्षेत्र जटिल है, इसलिए विभिन्न शोधकर्ताओं और संस्थानों के बीच सहयोग को अत्यधिक प्रोत्साहित किया जाता है।
नैतिक सुरक्षात्मक उपाय: प्रतिभागियों को अध्ययन की विस्तृत जानकारी प्रदान की जानी चाहिए, और कोई भी अध्ययन करने से पहले लिखित सूचित सहमति ली जानी चाहिए। इसके अलावा, प्रतिभागियों को 18-45 आयु वर्ग का स्वस्थ वयस्क होने चाहिए, जो परोपकारी उद्देश्यों से भाग ले रहे हों। स्नातकों को प्राथमिकता दी जा सकती है। कमजोर सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक स्थिति वाले व्यक्तियों को फिलहाल बाहर रखा जाना चाहिए। चूंकि ऐसे अध्ययनों से एकत्र किया गया डेटा संवेदनशील होता है, इसलिए इसका उपयोग अध्ययन के उद्देश्य तक ही सीमित होना चाहिए। आईसीएमआर राष्ट्रीय नैतिक दिशानिर्देश, 2017 के तहत गठित आचार समिति द्वारा अनुपालन के लिए इन अध्ययनों की समीक्षा की जानी चाहिए।
प्रतिभागियों को क्षतिपूर्ति: शोधकर्ता चिकित्सीय परेशानी और किसी भी अन्य असुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रतिभागियों को प्रतिपूर्ति कर सकते हैं। अध्ययन से जुड़े अज्ञात जोखिमों/नुकसानों के मामले में, पर्याप्त बीमा प्रावधान होने चाहिए।
ड्राफ्ट नीति पर 16 अगस्त, 2023 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
समन्वय
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022 लोकसभा में पारित
बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022 को लोकसभा में पारित कर दिया गया।[28] यह बिल बहु-राज्यीय सहकारी समिति एक्ट, 2002 में संशोधन करता है।[29] बहु-राज्यीय सहकारी समितियां एक से अधिक राज्यों में काम करती हैं। बिल को 22 दिसंबर, 2022 को ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेजा गया था। कमिटी ने बिल के प्रावधानों को मंजूर कर लिया। बिल के मुख्य प्रावधानों में निम्नलिखित शामिल हैं:
बोर्ड के सदस्यों का निर्वाचन: एक्ट के तहत बहु-राज्यीय सहकारी समिति के बोर्ड का निर्वाचन उसके मौजूदा बोर्ड द्वारा किया जाता है। बिल इसमें संशोधन करता है और निर्दिष्ट करता है कि केंद्र सरकार सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण बनाएगी जोकि निम्नलिखित कार्य करेगा: (i) निर्वाचन करना, (ii) मतदाता सूची को तैयार करने से संबंधित मामलों का निरीक्षण, निर्देशन और उसका नियंत्रण करना, और (iii) अन्य निर्दिष्ट काम करना। प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। केंद्र सरकार चयन समिति के सुझावों के आधार पर इन सदस्यों की नियुक्ति करेगी।
शिकायतों का निवारण: बिल के अनुसार, केंद्र सरकार प्रादेशिक क्षेत्राधिकार के साथ एक या एक से अधिक सहकारी ऑम्बुड्ज़्मैन की नियुक्ति करेगी। ऑम्बुड्ज़्मैन निम्नलिखित के संबंध में सहकारी समितियों के सदस्यों की शिकायतों की जांच करेगा: (i) उनकी जमा, (ii) समिति के कामकाज के उचित लाभ, या (iii) सदस्यों के व्यक्तिगत अधिकारों को प्रभावित करने वाले मुद्दे। ऑम्बुड्ज़्मैन शिकायत प्राप्त होने के तीन महीनों के भीतर जांच और अधिनिर्णय की प्रक्रिया को पूरी करेगा। ऑम्बुड्ज़्मैन के निर्देशों के खिलाफ एक महीने के भीतर केंद्रीय रजिस्ट्रार (जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार करती है) में अपील दायर की जा सकती है।
सहकारी समितियों का एकीकरण: एक्ट में बहु-राज्यीय सहकारी समितियों के एकीकरण और विभाजन का प्रावधान है। आम बैठक में एक प्रस्ताव पारित करके, ऐसा किया जा सकता है। इसके लिए मौजूद और वोट करने वाले कम से कम दो तिहाई सदस्यों की जरूरत होती है। बिल सहकारी समितियों (राज्य कानूनों के तहत पंजीकृत) को मौजूदा बहु-राज्यीय सहकारी समिति में विलय होने की अनुमति देता है। इस विलय के लिए आम बैठक में सहकारी समिति के मौजूदा और वोट देने वाले दो तिहाई सदस्यों को प्रस्ताव पारित करना होगा।
बिल के अतिरिक्त विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
शिक्षा
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
आईआईएम (संशोधन) बिल, 2023 लोकसभा में पेश
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (संशोधन) बिल, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया।[30] बिल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एक्ट, 2017 में संशोधन करता है। यह एक्ट इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करता है और उनके कामकाज को रेगुलेट करता है। आईआईएम मैनेजमेंट और संबंधित क्षेत्रों में पोस्टग्रैजुएट शिक्षा प्रदान करते हैं।
विज़िटर: बिल भारत के राष्ट्रपति को एक्ट के तहत आने वाले प्रत्येक इंस्टीट्यूट के विज़िटर के रूप में नामित करता है। विजिटर को निम्नलिखित शक्तियां दी गई: (i) आईआईएम के कामकाज की जांच शुरू करना, (ii) अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए इंस्टीट्यूट्स के खिलाफ कार्रवाई करना, (iii) को-ऑर्डिनेशन फोरम के चेयरपर्सन की नियुक्ति करना।
आईआईएम के डायरेक्टर्स की नियुक्ति और उन्हें हटाना: एक्ट के तहत, आईआईएम के डायरेक्टर की नियुक्ति एक सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझावों के आधार पर, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाती है। बिल बोर्ड को आदेश देता है कि वह इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर की नियुक्त करने से पहले विज़िटर की मंजूरी ले। डायरेक्टर के चयन की प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी। एक्ट के तहत, सर्च कमिटी में बोर्ड का एक चेयरपर्सन होता है और तीन सदस्य प्रतिष्ठित एडमिनिस्ट्रेटर्स, उद्योगपतियों, शिक्षाविदों में से चुने जाते हैं। बिल इन सदस्यों की संख्या को घटाकर दो करता है, और विज़िटर द्वारा नामित एक और सदस्य को जोड़ता है।
एक्ट के तहत, बोर्ड निम्नलिखित आधार पर डायरेक्टर को पद से हटा सकता है: (i) इनसॉल्वेंसी, (ii) मानसिक और शारीरिक अक्षमता, (iii) हितों का टकराव। बिल में कहा गया है कि डायरेक्टर को हटाने से पहले बोर्ड को विज़िटर की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होगी। बिल विज़िटर को डायरेक्टर की सेवाओं को समाप्त करने का अधिकार भी देता है, जैसा कि निर्दिष्ट किया जा सकता है।
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरपर्सन की नियुक्ति: एक्ट के तहत, हर इंस्टीट्यूट के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरपर्सन की नियुक्ति बोर्ड द्वारा की जाती है। बिल इसमें संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि बोर्ड के चेयरपर्सन को विज़िटर द्वारा नामित किया जाएगा।
एनआईटीआईई, मुंबई: बिल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग (एनआईटीआईई), मुंबई को आईआईएम, मुंबई के रूप में वर्गीकृत करता है।
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यूजीसी ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर सीधी भर्ती के लिए न्यूनतम मानदंड में संशोधन किया
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षा संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता के नए नियम जारी किए हैं।[31] ये नियम 2018 के रेगुलेशंस का स्थान लेते हैं। इससे पहले असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में भर्ती के पात्र होने के लिए नियुक्त व्यक्तियों को न्यूनतम योग्यता के रूप में पीएचडी डिग्री की आवश्यकता होती थी।[32] अब अगर उम्मीदवारों के पास पीएचडी की डिग्री नहीं है, तो उन्हें यूजीसी, औद्योगिक और वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद (नेट के मामले में), या यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त निकायों द्वारा आयोजित नेट/सेट/एसएलईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने पर नियुक्त किया जा सकता है।[33],[34]
यूजीसी ने यूनिवर्सिटी-इंडस्ट्री लिंकेज प्रणाली पर ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए सतत और जीवंत विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली पर ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए।[35] ये दिशानिर्देश राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के उद्देश्यों के मद्देनजर जारी किए गए हैं। अन्य बातों के अलावा, एनईपी नवाचार को बढ़ावा देने और विद्यार्थियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। विश्वविद्यालय-उद्योग लिंकेज प्रणाली के निम्नलिखित उद्देश्य हैं: (i) अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) को बढ़ावा देना, और (ii) शैक्षणिक और औद्योगिक प्रणालियों में विद्यार्थियों के लिए इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप को बढ़ाना।
अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए, दिशानिर्देश राज्य स्तर पर उद्योगों और विश्वविद्यालयों के अनुसंधान एवं विकास समूहों का प्रस्ताव करते हैं। ये क्लस्टर क्षेत्र की तकनीकी जरूरतों को पूरा करने में मदद करेंगे। प्रत्येक उद्योग एक विश्वविद्यालय संबंध सेल स्थापित करेगा, और प्रत्येक विश्वविद्यालय एक उद्योग संबंध सेल स्थापित करेगा। क्षेत्र की तकनीकी आवश्यकताओं का आकलन करने और क्षेत्रीय/स्थानीय प्रासंगिकता पर अनुसंधान करने के लिए दोनों निकायों को एक-दूसरे और अन्य हितधारकों के साथ संपर्क करने की आवश्यकता होगी।
विद्यार्थियों की इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप प्रणालियों को बढ़ाने के लिए दिशानिर्देश विश्वविद्यालयी शिक्षा में उद्योगों के अधिक एकीकरण का प्रस्ताव करते हैं। यह निम्नलिखित के माध्यम से किया जाएगा: (i) विश्वविद्यालय बोर्डों पर प्रोफेसरों और सदस्यों के रूप में अत्यधिक अनुभवी उद्योग पेशेवरों की नियुक्ति, (ii) उद्योगों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन, और (iii) उद्योगों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोगी डिग्री कार्यक्रमों और अनुसंधान परियोजनाओं का प्रावधान। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के लिए इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप की जरूरतों को कार्यान्वित कर सकते हैं, चाहे वे किसी भी क्षेत्र की पढ़ाई कर रहे हों। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को अवसरों से जोड़ने के लिए अधिक संस्थागत सहायता भी प्रदान कर सकते हैं।
सामाजिक न्याय
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
संसद ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन के लिए दो बिल पारित किए
संसद ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) बिल, 2022 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) बिल, 2022 पारित किया।[36],[37] ये बिल संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करते हैं।[38] तीसरे संशोधन बिल में सिरमौर जिले के ट्रांस गिरी के हाटी समुदाय को हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया गया है। पांचवें संशोधन बिल में छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजातियों की सूची में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा, संवरा और बिंझिया समुदायों को शामिल किया गया है। बिल में पंडो समुदाय के नाम के तीन देवनागरी संस्करण भी शामिल हैं।
पीआरएस के सारांश के लिए कृपया यहां और यहां देखें।
संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) बिल, 2023 पेश किया गया
संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) बिल, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया।[39] बिल संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में छत्तीसगढ़ से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करता है।39 बिल में छत्तीसगढ़ में मेहरा, महरा और मेहर समुदायों के पर्यायवाची के रूप में महारा और महरा समुदायों को शामिल किया गया है।
पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
जम्मू-कश्मीर के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में संशोधन के लिए दो बिल पेश
संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन बिल, 2023 और संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश संशोधन बिल, 2023 लोकसभा में पेश किए गए।[40],[41] वे क्रमशः जम्मू एवं कश्मीर अनुसूचित जनजाति आदेश, 1956 और जम्मू एवं कश्मीर अनुसूचित जाति आदेश, 1956 में संशोधन करते हैं।[42],[43]
संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधन बिल, 2023 जम्मू और कश्मीर में गद्दा ब्राह्मण, कोली, पडारी कबीला और पहाड़ी जातीय समूह को अनुसूचित जनजातियों की सूची में जोड़ता है।
संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश संशोधन बिल, 2023 वाल्मीकि समुदाय को चूड़ा, बाल्मीकि, भंगी और मेहतर समुदायों के समानार्थी के रूप में जोड़ता है। यह समानार्थी केवल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लागू होगा।
बिल्स पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया यहां और यहां देखें।
रक्षा
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने अंतर-सेवा संगठन बिल, 2023 पर रिपोर्ट सौंपी
रक्षा संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री जुआल ओरम) ने अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) बिल, 2023 पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[44] केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है, जिसमें तीन सैन्य सेवाओं: थलसेना, नौसेना और वायु सेना में से कम से कम दो से संबंधित कर्मचारी होंगे। बिल अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को यह अधिकार देने का प्रयास करता है कि वे अपनी कमान के तहत आने वाले सेवाकर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक नियंत्रण रख सकते हैं, भले ही वे किसी भी सेवा के हों। मौजूदा अंतर-सेवा संगठनों को बिल के तहत गठित माना जाएगा। कमिटी बिल के प्रावधानों से सहमत थी।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
कृषि
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी (संशोधन) बिल, 2023 पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री पी.सी. गद्दीगौदर) ने 21 जुलाई, 2023 को 'कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी (संशोधन) बिल, 2023' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[45] बिल कोस्टल एक्वाकल्चर अथॉरिटी, 2005 में संशोधन करता है।[46] एक्ट एक्वाकल्चर को रेगुलेट करता है और इस रेगुलेशन के लिए एक अथॉरिटी की स्थापना करता है।[47] कोस्टल एक्वाकल्चर का तात्पर्य नियंत्रित स्थितियों में मछलियों को पालने और उनकी फार्मिग को कहा जाता है। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सीआरज़ेड क्षेत्रों में कुछ एक्वाकल्चर गतिविधियों की अनुमति: बिल समुद्र के नो-डेवलपमेंट ज़ोन्स और खाड़ियों/नदियों/बैकवाटर के बफर ज़ोन में हैचरीज़, न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर्स और ब्रूड स्टॉक मल्टीप्लिकेशन सेंटर्स स्थापित करने की अनुमति देता है। फिशरीज़ विभाग ने कहा कि जबकि सीआरज़ेड ने ऐसी गतिविधियों की अनुमति दी थी, लेकिन राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल ने कानून में स्पष्ट प्रावधान न होने के कारण उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। कमिटी ने कहा कि इन गतिविधियों को 1991 और 2011 की कोस्टल रेगुलेशन ज़ोन्स (सीआरजेड) अधिसूचनाओं के तहत छूट दी गई थी, और बिल इन छूटों के लिए वैधानिक समर्थन प्रदान करता है। कमिटी ने प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार कर लिया।
परिसर में दाखिले का अधिकार: एक्ट एक अधिकृत व्यक्ति को किसी भी कोस्टल एक्वाकल्चर भूमि/एन्क्लोजर में प्रवेश करने और उसका निरीक्षण/सर्वेक्षण/उसे तोड़ने का अधिकार देता है, लेकिन इसके लिए उसे न्यूनतम 24 घंटे का नोटिस देना होगा। बिल नोटिस की आवश्यकता को समाप्त करता है, बशर्ते कि कारण लिखित में दर्ज किए जाएं। कमिटी ने पाया कि बिल उन कारणों को परिभाषित नहीं करता है जिसके तहत किसी अधिकारी को पूर्व सूचना के बिना प्रवेश करने के लिए अधिकृत किया जाएगा। विभाग ने उत्तर दिया कि अनुमोदन केवल असाधारण मामलों में दिया जाएगा, जहां पूर्व सूचना निरीक्षण के उद्देश्य को विफल कर देगी (जैसे कि अवैध एंटीबायोटिक उपयोग)। हालांकि कमिटी ने प्रस्तावित संशोधन को स्वीकार कर लिया, लेकिन इस बात का उल्लेख किया कि विभाग को इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय करने चाहिए।
बिल पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
स्टैंडिंग कमिटी ने छोटे किसानों के लिए कृषि मशीनीकरण पर रिपोर्ट सौंपी
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री पी.सी. गद्दीगौदर) ने 'देश में छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि मशीनीकरण में अनुसंधान और विकास' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[48] कृषि के मशीनीकरण से उत्पादकता में सुधार होता है, विवेकपूर्ण इनपुट उपयोग सुनिश्चित होता है और किसानों को निर्वाह खेती की बजाय व्यावसायिक खेती करने में सक्षम बनाता है। कमिटी के निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
कृषि मशीनीकरण की स्थिति: अगस्त 2022 तक भारत में 47% कृषि गतिविधियां मशीनीकृत हैं। यह चीन (60%) और ब्राज़ील (75%) जैसे अन्य विकासशील देशों से कम है। इसके अलावा छोटी और सीमांत कृषि जोत (दो हेक्टेयर से कम) कुल परिचालन (ऑपरेशनल) जोत का 86% हिस्सा है। कमिटी ने यह भी कहा कि जब तक छोटी जोत के लिए उपयुक्त मशीनें उपलब्ध नहीं कराई जातीं या पर्याप्त कृषि भूमि का समेकन नहीं होता, छोटे किसानों के लिए अपनी मशीनें खरीदना मुश्किल होगा। कमिटी ने यह भी कहा कि देश को 75-80% मशीनीकरण हासिल करने में लगभग 25 वर्ष लगेंगे। उसने कहा कि किसानों को अतिरिक्त फसलें लेने में सक्षम बनाने की तत्काल आवश्यकता है, जो कृषि को आकर्षक और लाभदायक बनाएगी। कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के मद्देनजर कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को छोटे खेतों के मशीनीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए। उसने सुझाव दिया कि सरकार को 25 वर्षों से कम समय में 75% मशीनीकरण हासिल करना चाहिए।
तालिका 2: विभिन्न फसलों में मशीनीकरण का स्तर
फसल |
चावल |
गेहूं |
दालें |
गन्ना |
कुल |
स्तर |
53% |
69% |
41% |
35% |
47% |
स्रोत: कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी; पीआरएस।
कृषि उपकरणों की पोर्टेबिलिटी: चूंकि कृषि मशीनरी महंगी है, इसलिए छोटे किसानों के लिए कृषि उपकरण खरीदना मुश्किल होता है। कमिटी ने कहा कि सरकार ने कस्टम हायरिंग सेंटर और फार्म मशीनरी बैंक शुरू किए हैं, जहां किसान मशीनें साझा कर सकते हैं। अब तक 37,097 कस्टम हायरिंग सेंटर, जिनमें 17,727 फार्म मशीनरी बैंक शामिल हैं, स्थापित किए जा चुके हैं। एक सुस्थापित केंद्र लगभग 100-200 किसानों को मशीनें प्रदान करता है। कमिटी ने कहा कि लगभग सभी राज्यों में फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए गए हैं। हालांकि यह कहा गया कि उनका लाभ जिला, तालुका, पंचायत और ग्राम सभा स्तर तक नहीं पहुंचा है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार ऐसी योजनाओं का व्यापक रूप से प्रचार करे, और आस-पास के केंद्रों/बैंकों का पता लगाने और उनसे संपर्क करने के लिए एक ऐप विकसित करे।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
वित्त
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
सेबी ने कॉरपोरेट बॉन्ड में एफपीआई निवेश पर परामर्श पत्र जारी किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कॉरपोरेट बॉन्ड्स में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[49] सेबी का कहना है कि कॉरपोरेट बॉन्ड्स में सेकेंडरी मार्केट (मौजूदा प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री के लिए) लेनदेन मुख्य रूप से ऑफ़लाइन होता है। इसमें द्विपक्षीय आधार पर मूल्यों पर सौदेबाजी शामिल होती है। परामर्श पत्र में यह प्रस्ताव है कि एफपीआई के लिए यह अनिवार्य किया जाए कि वह रिक्वेस्ट फॉर कोट (आरएफक्यू) प्लेटफॉर्म के जरिए कॉरपोरेट बॉन्ड्स में अपना कम से कम 10% सेकेंडरी मार्केट लेनदेन करें। वे एक तिमाही में अपने सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का 10% हिस्सा इस प्लेटफॉर्म के जरिए करेंगे। आरएफक्यू प्लेटफॉर्म एक केंद्रीकृत ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। इससे मूल्य खोज में मदद मिलती है और लेनदेन में पारदर्शिता आती है।
सेबी ने ईएसजी रेटिंग प्रोवाइडर्स के रेगुलेशन के लिए रूपरेखा जारी की
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी (क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां) (संशोधन) रेगुलेशन, 2023 को अधिसूचित किया।[50] यह सेबी (क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां) रेगुलेशन, 1999 में संशोधन करता है।[51] ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के रेगुलेशन का प्रावधान करते हैं। ऐसी एजेंसियां उन प्रतिभूतियों को रेटिंग प्रदान करती हैं जिन्हें स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव है या जो पहले से ही सूचीबद्ध हैं। 2023 का संशोधन पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) रेटिंग प्रदान करने वाली एजेंसियों के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। ये रेटिंग्स किसी कंपनी या उसकी प्रतिभूतियों से संबंधित शासन संबंधी जोखिम, सामाजिक जोखिम या जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रोफाइल के बारे में राय पेश करती हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
पंजीकरण: ईएसजी रेटिंग प्रोवाइडर्स को सेबी के साथ पंजीकृत होना होगा। सेबी को पंजीकरण प्रमाणपत्र देने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। आवेदक को: (i) कंपनी एक्ट, 2013 के तहत एक कंपनी के रूप में निगमित होना चाहिए, (ii) उसकी मुख्य गतिविधि के रूप में ईएसजी रेटिंग होनी चाहिए, और (iii) उसे अपनी व्यवसाय योजना सेबी को जमा करनी होगी।
एजेंसियों की जिम्मेदारियां: ईएसजी रेटिंग प्रोवाइडर्स को पारदर्शिता सुनिश्चित करने और हितों के टकराव को रोकने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे। इनमें निम्नलिखित से संबंधित खुलासे शामिल हैं: (i) वेबसाइट पर ईएसजी रेटिंग और उनके प्रकार, (ii) ईएसजी रेटिंग प्रदान करने की पद्धति, (iii) ईएसजी रेटिंग पद्धति में कोई बदलाव, और (iv) ग्राहकों के साथ मुआवजे की व्यवस्था की सामान्य प्रकृति। इसके अलावा, उन्हें हितों के संभावित टकरावों की पहचान करनी चाहिए, खुलासा करना चाहिए और उन्हें टालना/कम करना चाहिए (जहां तक संभव हो)।
ईएसजी रेटिंग्स की समीक्षा: रेटिंग प्रोवाइडर को प्रत्येक प्रकाशित ईएसजी रेटिंग की सालाना समीक्षा करनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो इसे अधिक बार किया जा सकता है। ईएसजी रेटिंग को तब तक वापस नहीं लिया जाना चाहिए जब तक कि इश्यूअर (जिसकी प्रतिभूति रेटेड है) कंपनी बंद न हो जाए, या दूसरी कंपनी में उसका विलय या एकीकरण न हो जाए।
सेबी ने साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलेपन ढांचे पर परामर्श पत्र जारी किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी रेगुलेटेड संस्थाओं के लिए समेकित साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलापन ढांचे पर एक परामर्श पत्र जारी किया है।[52] इन संस्थाओं में ब्रोकर, म्यूचुअल फंड और स्टॉक एक्सचेंज शामिल हैं। परामर्श पत्र में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग तेजी से बढ़ा है और सेबी की तरफ से रेगुलेटेड संस्थाओं के लिए यह महत्वपूर्ण है। साथ ही, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और डेटा प्रोटेक्शन मुख्य चिंता बन गए हैं। साइबर खतरों और इनसे जुड़े मामलों से निपटने के लिए व्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है और इसके लिए एक रूपरेखा तैयार की गई है। साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलापन ढांचे की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
एसेट्स की पहचान: रेगुलेटेड संस्थाओं को महत्वपूर्ण एसेट्स की पहचान और उनका वर्गीकरण करना चाहिए। ये परिसंपत्तियां निम्नलिखित पर आधारित होनी चाहिए: (i) व्यावसायिक संचालन के लिए उनकी संवेदनशीलता और गंभीरता, (ii) सेवाएं, और (iii) डेटा प्रबंधन।
साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा: रेगुलेटेड संस्थाओं को नेटवर्क विभाजन तकनीक (यातायात के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए नेटवर्क को कई खंडों में विभाजित करना) को लागू करना होगा। इससे संवेदनशील जानकारी और सेवाओं तक पहुंच प्रतिबंधित हो जाएगी। सीईआरटी-इन (इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम) द्वारा सूचीबद्ध एक ऑडिटर, ढांचे के तहत निर्धारित मानकों के अनुपालन का आवर्ती ऑडिट करेगा।
साइबर खतरों का पता लगाना: रेगुलेटेड संस्थाएं एक सुरक्षा संचालन केंद्र के माध्यम से उचित सुरक्षा तंत्र स्थापित करेंगी। यह सुरक्षा संबंधी मामलों की निगरानी करेगा और असामान्य गतिविधियों का समय पर पता लगाना सुनिश्चित करेगा। केंद्र की कार्यात्मक दक्षता हर छह महीने में मापी जानी चाहिए। सभी रेगुलेटेड संस्थाओं को एक अप-टू-डेट साइबर संकट प्रबंधन योजना बनानी होगी।
आरबीआई ने डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड जारी करने के लिए ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड जारी करने के लिए कार्ड नेटवर्क के साथ कार्ड जारीकर्ताओं की व्यवस्था पर एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है।[53] अधिकृत कार्ड नेटवर्क डेबिट, क्रेडिट और प्रीपेड कार्ड जारी करने के लिए बैंकों और गैर-बैंकों (कार्ड इश्यूअर) के साथ गठजोड़ करते हैं। अधिकृत कार्ड नेटवर्क में मास्टरकार्ड, वीज़ा, रुपे और अमेरिकन एक्सप्रेस शामिल हैं। कार्ड नेटवर्क का चुनाव कार्ड इश्यूअर तय करता है। आरबीआई ने पाया कि कार्ड नेटवर्क और कार्ड इश्यूअर के बीच मौजूदा व्यवस्था ग्राहकों को विकल्प प्रदान करने के लिए अनुकूल नहीं है। आरबीआई ने प्रस्ताव दिया है कि: (i) कार्ड इश्यूअर्स कार्ड नेटवर्क के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे, जिससे उन्हें अन्य कार्ड नेटवर्क की सेवाएं जारी करने से रोका जा सके, (ii) कार्ड इश्यूअर को कई कार्ड नेटवर्क पर कार्ड जारी करना होगा, और (iii) पात्र ग्राहक के पास एकाधिक कार्ड नेटवर्क में से चुनाव का विकल्प होना चाहिए। कई नेटवर्क पर कार्ड जारी करना और ग्राहक को चुनने का विकल्प प्रदान करना 1 अक्टूबर, 2023 से प्रभावी होगा।
टिप्पणियां 4 अगस्त, 2023 तक आमंत्रित हैं।[54]
आरबीआई ने रुपए के अंतरराष्ट्रीयकरण पर रिपोर्ट जारी की
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपए के अंतरराष्ट्रीयकरण पर अंतर-विभागीय समूह की एक रिपोर्ट जारी की।[55],[56] रिपोर्ट में कहा गया है कि हालिया भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए रुपए जैसी मुद्राओं के इस्तेमाल की संभावना तलाशी जा सकती है। प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
व्यापार समझौतों के लिए मानकीकृत दृष्टिकोण: रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई को स्थानीय मुद्राओं में व्यापार व्यवस्था के लिए विभिन्न न्यायालयों से प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं। रिपोर्ट में बहुपक्षीय/द्विपक्षीय व्यापार समझौतों से जुड़े प्रस्तावों की जांच के लिए एक समान टेम्पलेट अपनाने का सुझाव दिया गया है। ऐसे समझौतों में चालान, निपटान और रुपए और समकक्ष देशों की स्थानीय मुद्राओं में भुगतान शामिल हो सकता है।
गैर-निवासियों द्वारा रुपया खाता खोलना: रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के बाहर भारतीय मुद्रा के खाते खोलना उसके अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए महत्वपूर्ण है। उसने सुझाव दिया कि गैर-निवासियों को शुरू में अधिकृत डीलरों की विदेशी शाखाओं में भारतीय मुद्रा के खाता खोलने की अनुमति दी जा सकती है। ऐसे डीलरों को आरबीआई द्वारा विदेशी मुद्रा में लेनदेन के लिए अधिकृत किया जाता है। बाद में गैर-निवासियों को किसी भी विदेशी बैंक में ये खाता खोलने की अनुमति दी जा सकती है।
अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए आरटीजीएस का इस्तेमाल: रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) धनराशि पर किसी सीमा के बिना इंटरबैंक फंड ट्रांसफर प्रदान करता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए आरटीजीएस के उपयोग का पता लगाया जा सकता है। उसने सीमा पार निपटान के लिए यूपीआई के उपयोग को बढ़ाने का भी सुझाव दिया।
कॉरपोरेट ऋण के लिए गारंटी योजना अधिसूचित
वित्त मंत्रालय ने कॉरपोरेट ऋण के लिए गारंटी योजना को अधिसूचित किया है।[57] यह योजना कॉरपोरेट ऋण बाजार विकास निधि द्वारा उठाए गए/उठाए जाने वाले ऋण के विरुद्ध गारंटी कवर प्रदान करेगी। यह फंड भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के तहत होगा। सामान्य समय में, यह तरल, कम जोखिम वाले ऋण उपकरणों में निवेश करेगा। बाजार अव्यवस्था की अवधि में, फंड पात्र कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करेगा। बाजार अव्यवस्था का तात्पर्य वित्तीय क्षेत्र में तनाव से है जिसका निर्धारण सेबी द्वारा एक निर्धारित ढांचे के अनुसार किया जाएगा। गारंटी कवर 30,000 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होगा। यह योजना 15 वर्ष की अवधि के लिए लागू की जाएगी जिसे आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा बढ़ाया जा सकता है। ऋण आधारित म्यूचुअल फंड (जो ऋण उपकरणों में निवेश करने के लिए धन एकत्र करते हैं) फंड में प्रबंधन के तहत अपनी संपत्ति (एयूएम) के 25 बेसिस प्वाइंट का योगदान देंगे। वे अपने एयूएम में वृद्धि के साथ अतिरिक्त योगदान भी प्रदान करेंगे। निर्दिष्ट ऋण आधारित म्यूचुअल फंड की मौजूदा/नई परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां फंड में एकमुश्त योगदान करेंगी।
साइबर सुरक्षा पर स्टैंडिंग कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
वित्त संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री जयंत सिन्हा) ने 27 जुलाई, 2023 को 'साइबर सुरक्षा और साइबर/सफेदपोश अपराधों की बढ़ती घटनाएं' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[58] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
साइबर प्रोटेक्शन अथॉरिटी: कमिटी ने कहा कि साइबर सुरक्षा के वर्तमान रेगुलेटरी परिदृश्य में कई एजेंसियां और निकाय शामिल हैं। इसके लिए उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समन्वय की जरूरत है। कोई भी केंद्रीय प्राधिकरण या एजेंसी पूरी तरह से साइबर सुरक्षा के लिए समर्पित नहीं है। कमिटी ने एक केंद्रीकृत साइबर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीपीए) स्थापित करने का सुझाव दिया। अथॉरिटी राज्यों और निजी क्षेत्र की संस्थाओं के सहयोग से मजबूत साइबर सुरक्षा नीतियों, दिशानिर्देशों और सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों को विकसित और कार्यान्वित करेगी।
डेटा शेयरिंग: सर्च इंजनों और बड़ी टेक कंपनियों की मौजूदगी के साथ-साथ डिजिटल परिदृश्य के विस्तार ने साइबर अपराध के प्रति डिजिटल इकोसिस्टम की संवेदनशीलता को बढ़ा दिया है। इसके लिए सर्च इंजनों और ग्लोबल टेक कंपनियों की जिम्मेदारियों की स्पष्ट रूपरेखा तैयार करना जरूरी है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एप्लिकेशन स्टोर्स के लिए उन सभी एप्लिकेशंस का विस्तृत मेटाडेटा और जानकारी साझा करना अनिवार्य किया जाना चाहिए जिन्हें वे अपने प्लेटफॉर्म पर होस्ट करते हैं। इस डेटा रेपोजिटरी से रेगुलेटर्स को यह शक्ति मिलेगी कि वे संभावित सुरक्षा संवेदनशीलता की पहचान करें और जरूरी उपाय करें। इसके अतिरिक्त टेक कंपनियों को निम्नलिखित करना चाहिए: (i) उन्हें अपने ऑपरेटिंग सिस्टम्स को नियमित अपडेट और पैच करना चाहिए, और (ii) अपने एप्लिकेशन स्टोर्स में मंजूरियों के लिए एक कठोर जांच प्रक्रिया लागू करनी चाहिए।
सर्विस प्रोवाइडर्स का रेगुलेशन: कमिटी ने कहा कि साइबर सुरक्षा मामलों में थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स पर पर्याप्त नियंत्रण रखने में काफी चुनौतियां रही हैं। उसने सुझाव दिया कि इन सर्विस प्रोवाइडर्स, जिनमें बड़ी टेक और टेलीकॉम कंपनियां भी शामिल हैं, की निगरानी और नियंत्रण के लिए रेगुलेटरी शक्तियों को बढ़ाया जाए। कमिटी ने यह भी कहा कि बड़ी टेक कंपनियों को अपने सिस्टम को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जैसे रेगुलेटर्स के इनपुट पर विचार करना चाहिए।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
नागरिक उड्डयन
राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 में संशोधन
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[59] नीति हवाई नेविगेशन सेवाओं के उन्नयन और आधुनिकीकरण का प्रावधान करती है।[60]
नीति के अनुसार, 1 जनवरी, 2019 से सभी भारतीय पंजीकृत विमानों को जीपीएस एडेड जीईओ ऑगमेंटेड नेविगेशन (जीएजीएएन) (गगन) के साथ एनेबल होना चाहिए। नेविगेशन प्रणाली को बढ़ाने के लिए गगन ग्राउंड स्टेशनों का उपयोग करता है।[61] संशोधन में दो श्रेणियों के विमानों को गगन से छूट दी गई है। इनमें वे विमान शामिल हैं जिन्हें प्रौद्योगिकी संबंधी चुनौतियों के कारण गगन के अनुरूप नहीं बनाया जा सकता है, और वे विमान, जो 1 जुलाई, 2021 से पहले निर्मित किए गए हैं।
स्टैंडिंग कमिटी ने हवाईअड्डों के विकास पर रिपोर्ट सौंपी
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 'ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों का विकास और डिफेंस हवाईअड्डों में सिविल इन्क्लेव्स से संबंधित मुद्दों' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[62] ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे खाली/अविकसित भूमि पर विकसित किए जाते हैं और उनकी कमीशनिंग/योजना शून्य से की जाती है। ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के पास हवाईअड्डे के विकास के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे रनवे और टर्मिनल भवन मौजूद होते हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के लिए व्यापक नीति: कमिटी ने कहा कि ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों का पुनरुद्धार, विस्तार और आधुनिकीकरण करना जरूरी है। लेकिन उन्हें क्षेत्र विस्तार, डिज़ाइन की सीमाओं और निष्पादन जोखिमों के लिहाज से बाधाओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के लिए कोई विशिष्ट नीति नहीं है, लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (एनसीएपी), 2016 और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) एक्ट, 1994 में ब्राउनफील्ड हवाईअड्डों के विकास के लिए निर्देशक सिद्धांत मौजूद हैं। कमिटी ने कहा कि एक स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिए जो यह तय करे कि ग्रीनफील्ड या ब्राउनफील्ड में से कौन से हवाईअड्डे विकसित किए जाएं।
समन्वय से संबंधित चुनौतियां और परियोजनाओं में देरी: कमिटी ने कहा कि मंत्रालय को हवाईअड्डे बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वय में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें भूमि अधिग्रहण और आवंटन में देरी और जहां केंद्र सरकार पहले ही साइट मंजूरी दे चुकी है, वहां सैद्धांतिक मंजूरी जमा करने में देरी शामिल है। उदाहरण के लिए 13 ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों को सैद्धांतिक मंजूरी मिली, लेकिन चार को 10 वर्षों और एक को 20 वर्षों के बाद चालू किया गया। पुनर्वास और पुनर्स्थापन की समस्याओं के कारण भी देरी होती है, जिसके परिणामस्वरूप अनेक मुकदमेबाजियां होती हैं।
पीआरएस रिपोर्ट के सारांश के लिए कृपया देखें।
विदेशी मामले
Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने भारत की पड़ोसी प्रथम नीति पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
विदेशी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री पी.पी. चौधरी) ने 'भारत की पड़ोसी प्रथम (नेबरहुड फर्स्ट) नीति' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[63] पड़ोसी प्रथम नीति की अवधारणा 2008 में अस्तित्व में आई थी। अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे कुछ प्राथमिकता वाले देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए इस अवधारणा की कल्पना की गई थी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
आतंकवाद और गैरकानूनी प्रवास: कमिटी ने कहा कि पिछले तीन दशकों में भारत को अपने निकटतम पड़ोस से खतरों, तनाव और आतंकवादी और उग्रवादी हमलों की आशंकाओं का सामना करना पड़ा है। अवैध प्रवास और हथियारों एवं नशीली पदार्थों की तस्करी की चुनौतियों के लिए सीमाओं पर बेहतर सुरक्षा अवसंरचना की जरूरत है। कमिटी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध प्रवास के कारण होने वाले जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की निगरानी का सुझाव दिया। अवैध प्रवास को रोकने के लिए विदेश मंत्रालय को गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ निकटता से समन्वय करना चाहिए।
चीन और पाकिस्तान के साथ संबंध: चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध विवादास्पद मुद्दों से ग्रस्त रहे हैं। पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद चिंता का मुख्य विषय है। कमिटी ने क्षेत्रीय और बहुपक्षीय संगठनों के साथ जुड़ने का सुझाव दिया ताकि आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका के प्रति उन्हें संवेदनशील बनाया जा सके। पड़ोसी प्रथम नीति के तहत आतंकवाद से मुकाबले के लिए एक साझा मंच स्थापित करने का प्रयास किया जाना चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि सरकार को पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंध स्थापित करने चाहिए।
सीमा अवसंरचना में निवेश: कमिटी ने भारत की सीमा अवसंरचना की कमी और सीमावर्ती क्षेत्रों को स्थिर और विकसित करने की जरूरत पर गौर किया। भारत के पड़ोसियों के साथ जुड़ाव के लिए कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे सीमा पारीय सड़कों, रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्ग और बंदरगाहों में सुधार की जरूरत है। उसने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के तहत कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए क्षेत्रीय विकास फंड बनाने की व्यावहारिकता तलाशने का सुझाव दिया।
संस्कृति
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने राष्ट्रीय अकादमियों के कामकाज पर अपनी रिपोर्ट सौंपी
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 'राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों का कामकाज' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[64] राष्ट्रीय अकादमियां विभिन्न कला रूपों और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले स्वायत्त निकाय हैं। ये अकादमियां संस्कृति मंत्रालय की प्रशासनिक देखरेख में काम करती हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) संगीत नाटक अकादमी, (ii) साहित्य अकादमी, (iii) ललित कला अकादमी, (iv) राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, (v) सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र, (vi) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, और (vii) कलाक्षेत्र फाउंडेशन। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
बजटीय आवंटन और मुद्दे: कमिटी ने गौर किया कि संस्कृति मंत्रालय को 2023-24 के लिए 3,400 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो कुल केंद्रीय बजट का केवल 0.075% है। यह देखा गया कि यह यूके, यूएस, चीन जैसे देशों द्वारा किए जाने वाले आवंटन (2% से 5%) से कम था। इसके अलावा कमिटी ने कहा कि 2023-24 में राष्ट्रीय अकादमियों के लिए 401 करोड़ रुपए का संयुक्त बजटीय आवंटन अपर्याप्त था। उसने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों की दक्षता और पहुंच बढ़ाने के लिए उनके बजटीय आवंटन में वृद्धि की जाए। उसने अकादमियों को सुझाव दिया कि उन्हें सीएसआर फंड और दान एवं अनुदान के लिए निजी भागीदारी के विकल्प तलाशने चाहिए। कमिटी ने यह भी कहा कि धन उगाहने वाले कार्यक्रम तथा समारोह कराए जाएं और ओटीटी प्लेटफार्मों की राजस्व क्षमता की खोज की जाए।
प्रमुखों के चुनाव और कार्यकाल: कमिटी ने कहा कि राष्ट्रीय अकादमियों के चेयरपर्सन/प्रेज़िडेंट्स की नियुक्ति की प्रक्रिया और इन पदाधिकारियों का कार्यकाल राष्ट्रीय अकादमियों में भिन्न-भिन्न होता है। इसके अलावा प्रत्येक अकादमी की गवर्निंग काउंसिल की संरचना भी अलग-अलग होती है। इस मुद्दे को हल करने के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार चेयरपर्सन/प्रेज़िडेंट्स के चुनाव और कार्यकाल के साथ-साथ गवर्निंग काउंसिल के गठन और संचालन पर निश्चित दिशानिर्देश तैयार करे। कमिटी ने प्रत्येक संस्थान की गवर्निंग काउंसिल में एक सांसद को शामिल करने का भी सुझाव दिया।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
ऊर्जा
बिजली (संशोधन) नियम, 2023 अधिसूचित
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली (संशोधन) नियम, 2023 को अधिसूचित किया है।[65] वे नियम बिजली एक्ट, 2003 के तहत बनाए गए बिजली नियम, 2005 में संशोधन करते हैं।[66],[67] एक्ट बिजली के लिए लाइसेंस और टैरिफ को रेगुलेट करता है। नियमों में प्रमुख बदलावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
कैप्टिव उत्पादकों के लिए योग्यता के मानदंड: नियमों के तहत, एक बिजली संयंत्र कैप्टिव उत्पादन संयंत्र होने के योग्य हो सकता है, अगर कैप्टिव उपयोगकर्ता उत्पादन संयंत्र के कम से कम 26% हिस्से का मालिक हो। कैप्टिव उत्पादन संयंत्र का अर्थ है, किसी के स्वयं के उपयोग के लिए स्थापित किया गया बिजली संयंत्र। संशोधन में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जहां संयंत्र किसी कैप्टिव उपयोगकर्ता की सहयोगी कंपनी द्वारा स्थापित किया गया है, कैप्टिव उपयोगकर्ता के पास उस कंपनी का कम से कम 51% हिस्सा होना चाहिए। इसके अलावा मौजूदा कैप्टिव उपयोगकर्ता की सहायक कंपनी को भी कैप्टिव उपयोगकर्ता माना जाएगा।
लाइसेंस की वैधता: एक्ट के तहत, केंद्रीय या राज्य आयोग बिजली ट्रांसमिट, वितरित या व्यापार करने के लिए लाइसेंस दे सकते हैं। केंद्रीय या राज्य ट्रांसमिशन यूटिलिटीज और सरकारी कंपनियों जैसी संस्थाओं को डीम्ड लाइसेंसधारी माना जाता है। संशोधन निर्दिष्ट करता है कि: (i) पहली श्रेणी में लाइसेंस की वैधता लाइसेंस में ही निर्दिष्ट की जाएगी और (ii) डीम्ड लाइसेंस 25 वर्षों के लिए वैध होंगे। अन्य लाइसेंस मौजूदा समझौतों के अनुसार वैध और नवीनीकृत होंगे। डीम्ड लाइसेंस समाप्ति के बाद अगले 25 वर्षों के लिए स्वतः रीन्यू हो जाएंगे, जब तक कि रद्द न किया जाए। अगर लाइसेंसधारी अनुरोध करता है तो रीन्यूअल की अवधि कम हो सकती है। ये नियम टैरिफ-आधारित बोली के माध्यम से चुने गए ट्रांसमिशन डेवलपर्स पर लागू नहीं होते हैं।
एक समान आरई टैरिफ: नियमों के तहत, अक्षय ऊर्जा (आरई) टैरिफ की गणना डिस्कॉम को आपूर्ति की गई वास्तविक ऊर्जा के आधार पर की जाती है।[68] संशोधन टैरिफ गणना के आधार को आपूर्ति की गई ऊर्जा से अनुसूचित ऊर्जा में बदलता है। साथ ही, आरई टैरिफ डिस्कॉम और उत्पादन कंपनी (जेनको) के बीच मध्यस्थ द्वारा निर्धारित किया जाएगा। पहले यह केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित एक कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा निर्धारित किया गया था। आरई टैरिफ पहले केवल आरई जेनको पर लागू था। संशोधन निर्दिष्ट करता है कि आरई टैरिफ केवल डिस्कॉम और ओपन एक्सेस प्रोवाइडर्स पर लागू होगा। इसके अलावा ईंधन लागत में होने वाले बदलाव में ईंधन और बिजली खरीद समायोजन अधिभार की गणना को शामिल किया जाएगा।
डिस्ट्रीब्यूटेड सिस्टम ऑपरेटर्स की शुरुआत पर श्वेत पत्र जारी
Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बिजली क्षेत्र में वितरण प्रणाली ऑपरेटरों (डीएसओ) की शुरुआत पर एक श्वेत पत्र जारी किया है।[69] दस्तावेज में पाया गया कि ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों में संक्रमण के लिए रूफटॉप सोलर पैनल, विंड फार्म और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम ऑपरेटर्स को अपनाना महत्वपूर्ण है। हालांकि उत्पादन और लोड पैटर्न में बढ़ती अनिश्चितता के कारण उन्हें एकीकृत करना ग्रिड के प्रबंधन के लिए नई चुनौतियां पेश करता है। रूफटॉप सोलर पैनलों के साथ, कई उपभोक्ता उत्पादक के रूप में भी कार्य कर सकते हैं और ग्रिड में बिजली डाल सकते हैं। इन परिवर्तनों के साथ वितरण प्रणाली को ऑपरेटरों और उपभोक्ताओं के बीच सूचना के दो-तरफ़ा प्रवाह और बढ़े हुए स्वचालन के साथ बदलने की आवश्यकता है। पेपर में कहा गया है कि वितरण प्रणाली की इन चुनौतियों से निपटने के लिए वितरण प्रणाली ऑपरेटर नामक एक एंटिटी को शुरू किया जाए। मुख्य निष्कर्ष और सुझाव इस प्रकार हैं:
डीएसओ के कार्य: डीएसओ के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: (i) वितरित ऊर्जा संसाधनों के साथ-साथ समूचे भार का पूर्वानुमान, (ii) नेटवर्क योजना, संचालन और नियंत्रण, (iii) आपूर्ति का समय-निर्धारण, और (iv) बिलिंग और कलेक्शन। सटीक कार्य अपनाए गए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर निर्भर होंगे। वर्तमान में, इनमें से कई कार्य निम्नलिखित द्वारा किए जाते हैं: (i) वितरण युटिलिटीज़ (डिस्कॉम), जो उत्पादक से बिजली खरीदती हैं और उपभोक्ताओं को आपूर्ति करती हैं, और (ii) राज्य लोड डिस्पैच सेंटर (एसडीएलसी) जो उत्पादकों से आपूर्ति शेड्यूल और डिस्पैच करते हैं, और ग्रिड के एकीकृत संचालन के लिए जिम्मेदार हैं।
वितरित ऊर्जा संसाधनों को व्यापक रूप से अपनाकर पीयर-टू-पीयर और स्थानीयकृत बिजली बाजार फल-फूल सकते हैं। डीएसओ भी ऐसे बाजारों को सुविधाजनक बना सकते हैं।
डीएसओ को पेश करने के दृष्टिकोण: पेपर में पाया गया कि डीएसओ को निम्नलिखित के रूप में पेश किया जा सकता है: (i) एक अलग इकाई, या (ii) वितरण प्रणाली संचालन कार्यों के साथ डिस्कॉम या क्षेत्र-स्तरीय लोड डिस्पैच सेंटर्स को सौंपकर। यह देखा गया कि वितरण खंड में नेटवर्क और आपूर्ति व्यवसायों को अलग किए बिना डीएसओ की शुरुआत होनी चाहिए। वर्तमान में एक सिंगल एंटिटी वितरण नेटवर्क की स्वामी होती है, और वही उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने का कारोबार भी करती है।
पशु कल्याण
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
पशु क्रूरता रोकने के लिए ड्राफ्ट नियम जारी
मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने पशु क्रूरता निवारण समिति नियम, 2023 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[70] ड्राफ्ट नियम पशु क्रूरता निवारण एक्ट, 1960 के तहत तैयार किए गए हैं।[71] ड्राफ्ट नियम पशु क्रूरता की रोकथाम (पशु क्रूरता की रोकथाम के लिए समिति की स्थापना और रेगुलेशन) नियम, 2001 का स्थान लेते हैं।[72] 2001 के नियमों के अनुसार राज्य सरकारों को प्रत्येक जिले में पशुओं के साथ क्रूरता की रोकथाम के लिए समिति (एसपीसीए) बनाने की आवश्यकता है। ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
एसपीसीए के कार्य: 2001 के नियमों के अनुसार, एसपीसीए एक्ट के प्रावधानों को लागू करने में सरकार, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और स्थानीय अधिकारियों की सहायता करने जैसे कार्य करेंगी। इन कार्यों के अलावा ड्राफ्ट नियम निर्दिष्ट करते हैं कि एसपीसीए को यह भी करना होगा: (i) पशुओं के साथ क्रूरता की जानकारी प्राप्त करने के लिए 24x7 हेल्पलाइन नंबर शुरू करना, (ii) बीमार, घायल या रोगग्रस्त बेघर जानवरों के लिए एम्बुलेंस सेवा चलाना और (iii) जिले में पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सहायता करना।
एसपीसीए की प्रबंधन समितियां: 2001 के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि राज्य सरकार या जिला स्थानीय प्राधिकरण को एसपीसीए की प्रबंध समिति नियुक्त करने का अधिकार है। ड्राफ्ट नियम निर्दिष्ट करते हैं कि प्रबंधन समिति में 17 सदस्य (अध्यक्ष सहित) होने चाहिए। अध्यक्ष उपायुक्त/जिला मजिस्ट्रेट/जिला कलेक्टर होंगे। अन्य सदस्यों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, जिला वन विभाग के प्रतिनिधि, जिला अभियोजन अधिकारी, पशु कल्याण संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले चार सदस्य और पशु कल्याण में लगे तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा वाले जिलों में एक सदस्य अर्द्धसैनिक बल अथवा सीमा सुरक्षा बल से नामित किया जाएगा।
अस्पताल: 2001 के नियमों के अनुसार, एसपीसीए अस्पताल और पशु आश्रयों का निर्माण करेगी, जिसमें एक पूर्णकालिक पशु चिकित्सक और एक प्रशासक होना चाहिए। ड्राफ्ट नियमों में निर्दिष्ट किया गया है कि अस्पतालों में बड़े जानवरों के लिए शेड, कुत्ताघर और बाड़े होने चाहिए। उनके पास घायल/रोगी जानवरों के लिए बाड़े भी होने चाहिए।
14 अगस्त, 2023 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
विज्ञान एवं तकनीक
Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)
राष्ट्रीय डीप टेक स्टार्टअप नीति, 2023 का ड्राफ्ट जारी किया गया
अनुसंधान और विकास: नीति में अनुसंधान और विकास पर खर्च बढ़ाने का प्रस्ताव है। यह निम्नलिखित बनाकर प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण को बढ़ाने का भी प्रयास करता है: (i) शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच साझेदारी, और (ii) सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान के व्यावसायीकरण के लिए दिशानिर्देश। रणनीतिक क्षेत्रों के लिए, डीप टेक स्टार्टअप्स ने प्रदर्शन और परीक्षण के लिए परीक्षण स्थलों तक पहुंच प्रतिबंधित कर दी है। इन क्षेत्रों के लिए, नीति मानकीकृत, क्षेत्र परीक्षण और प्रयोग स्थलों का एक नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव करती है।
बौद्धिक संपत्ति (आईपी) अधिकार: भारत की आईपी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नीति के निम्नलिखित लक्ष्य हैं: (i) एकीकृत आईपी ढांचे के लिए एकल विंडो प्लेटफॉर्म स्थापित करना, (ii) सीमा पार आईपी सुरक्षा को मजबूत करना, और (iii) पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना।
वित्त पोषण: ड्राफ्ट नीति में कहा गया है कि डीप टेक स्टार्टअप्स के लक्षित दीर्घकालिक वित्तपोषण की सुविधा प्रदान करना आवश्यक है। इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं: (i) सरकारी अनुदान भुगतान को लगातार हासिल करने के लिए एक मंच बनाना, (ii) कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड्स को विज्ञान-आधारित अनुसंधान संस्थानों के लिए इस्तेमाल करना, (iii) गहन तकनीकी निवेशों के लिए समर्पित धनराशि का एक कोष बनाना, और (iv) सार्वजनिक और परोपकारी संस्थाओं से निवेश प्राप्त करने के लिए टेक्नोलॉजी इंपैक्ट बांड्स का उपयोग करना।
मुक्त व्यापार समझौते: इस नीति का उद्देश्य भारतीय डीप टेक स्टार्टअप्स को मुक्त व्यापार समझौतों में शामिल करके वैश्विक बाजारों में प्रवेश करने में सक्षम बनाना है। इसमें डीप टेक स्टार्टअप्स द्वारा उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल के लिए आयात निर्भरता और आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियों को कम करने का भी प्रस्ताव है।
[1] “Wholesale Price Index for June, 2023 (provisional) stands at (-) 4.12% against (-) 3.48% recorded in May, 2023”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, July 14, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1939393.
[2] The Cinematograph (Amendment) Bill, 2023, Ministry of Information and Broadcasting, July 20, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Cinematography_Bill_2023.pdf.
[3] The Cinematograph Act, 1952, March 21, 1952, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2170/1/AAcinema1952___37.pdf#search=Cinematograph.
[4] Forest Conservation Act, 1980, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2005/bill53_2007010153_Handbook_of_Forest_Conservation_Act_1980_and_Forest_Conservation_Rules_2003.pdf.
[5] Forest (Conservation) Amendment Bill, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Forest%20(Conservation)%20Amendment%20Bill,%202023.pdf.
[6] Report of the Joint Committee on the Forest (Conservation) Amendment Bill, 2023, July 20, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Joint_Committee_Report_on_the_Forest_(Conservation)_Amendment_Bill_2023.pdf.
[7] The Biological Diversity (Amendment) Bill, 2021 as passed by Lok Sabha, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2021/Biological%20Diversity%20bill%20as%20passed%20by%20LS.pdf.
[8] The Biological Diversity (Amendment) Bill, 2021 as introduced in Lok Sabha, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2021/Biological%20Diversity%20(Amendment)%20Bill,%202021.pdf.
[9] The Biological Diversity Act, 2002 https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2046/1/200318.pdf.
[10] The Jan Vishwas (Amendment of Provisions) Bill, 2023, Lok Sabha, https://sansad.in/ls/legislation/bills.
[11] Report of the Joint Committee on the Jan Vishwas (Amendment of Provisions) Bill, 2022, Lok Sabha, March 17, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2022/Joint_Committee_on_the_Jan_Vishwas_(Amendment_of_Provisions)_Bill_2022.pdf.
[12] The Registration of Births and Deaths (Amendment) Bill, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/93_2023_LS_ENG726202314647PM.pdf?source=legislation.
[13] The Registration of Births and Deaths Act, 1960, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/11674/1/the_registration_of_births_and_deaths_act%2C_1969.pdf.
[14] The Jammu and Kashmir Reorganisation (Amendment) Bill, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/100_2023_LS_ENG726202312419PM.pdf?source=legislation.
[15] The Jammu and Kashmir Reorganisation Act, 2019, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/12030/1/A2019-34.pdf.
[16] The Representation of the People Act, 1950, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1663/1/A1950-43.pdf.
[17] “Ministry of Home Affairs launches “Scheme for Expansion and Modernisation of Fire Services in the States” with a total outlay of Rs 5,000 crore”, Press Information Bureau, Ministry of Home Affairs, July 5, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1937594.
[18] The Repealing and Amending Bill 2022, http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/290_2022_LS_Eng1219202255443PM.pdf.
[19] The Factoring Regulation Act, 2011,, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2116/1/AA2012__12.pdf.
[20] The Mines and Minerals (Development and Regulation) Amendment Bill, 2023, Ministry of Coal and Mines, July 20, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/101_2023_LS_ENG726202312622PM.pdf?source=legislation.
[21] The Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957, December 28, 1957, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1421/1/a1957-67.pdf.
[22] The Offshore Areas Mineral (Development and Regulation) Amendment Bill, 2023, Ministry of Coal and Mines, July 19, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/102_2023_LS_ENG727202321507PM.pdf?source=legislation.
[23] The Offshore Areas Mineral (Development and Regulation) Act, 2002, January 30, 2003, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2040/1/200317.pdf.
[24] The National Nursing and Midwifery Commission Bill, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/83_2023_LS_ENG724202314708PM.pdf?source=legislation.
[25] The Indian Nursing Council Act, 1947, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1785/1/194748.pdf.
[26] The National Dental Commission Bill, 2023, Ministry of Health and Family Welfare (MoHFW), July 24, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/82_2023_LS_ENG724202314738PM.pdf?source=legislation
[27] ‘Ethical Conduct of Controlled Human Infection Studies (CHIS)’, Indian Council of Medical Research, July 16, 2023, https://main.icmr.nic.in/sites/default/files/upload_documents/CHIS_Guidance.pdf.
[28] The Multi-State Co-operative Societies (Amendment) Bill, 2022, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedLoksabha/215-C_2022_LS_Eng7262023110825AM.pdf?source=legislation.
[29] The Multi-State Co-operative Societies Act, 2002, https://mscs.dac.gov.in/Guidelines/GuidelineAct2002.pdf.
[30] Indian Institutes of Management (Amendment) Bill, 2023, Ministry of Education, July 28, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/109_2023_LS_ENG7282023122037PM.pdf?source=legislation.
[31]UGC (Minimum Qualifications for Appointment of Teachers and other Academic Staff in Universities and Colleges and other Measures for the Maintenance of Standards in Higher Education) (2nd Amendment) Regulations, 2023’, University Grants Commission, July 01, 2023, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/5751331_UGC-Regulations-Minimum-Qualifications-2023.pdf.
[32] UGC Regulations On Minimum Qualifications for Appointment of Teachers and other Academic Staff in Universities and Colleges and Measures for the Maintenance of Standards in Higher Education, 2018, University Grants Commission, July 19, 2018, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4033931_UGC-Regulation_min_Qualification_Jul2018.pdf
[33] University Grants Commission(UGC)-NET https://ugcnet.nta.nic.in/.
[34] Maharashtra State Eligibility Test (MH-SET) for Assistant Professor, https://setexam.unipune.ac.in/
[35] ‘Guidelines on Sustainable and Vibrant University-Industry Linkage System for Indian Universities’, University Grants Commission, July 13th 2023, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/5357558_Guidelines-on-A-Sustainable-and-Vibrant-University-Industry-Linkage-System-for-Indian-Universities.pdf.
[36] The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Third Amendment) Bill, 2022
[37] The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Third Amendment) Bill, 2022
[38] The Constitution (Scheduled Tribes) Order, 1950, https://lddashboard.legislative.gov.in/sites/default/files/19_The%20Constitution%20%28ST%29%20Order%201950.pdf.
[39] The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Amendment) Bill, 2023,
[40] The Constitution (Jammu and Kashmir) Scheduled Tribes Order Amendment Bill, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/92_2023_LS_ENG726202314630PM.pdf?source=legislation.
[41] The Constitution (Jammu and Kashmir) Scheduled Castes Order Amendment Bill, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/18_2023_LS_ENG726202312513PM.pdf?source=legislation.
[42] The Constitution (Jammu and Kashmir) Scheduled Tribes Order, 1989, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s380537a945c7aaa788ccfcdf1b99b5d8f/uploads/2023/01/2023010570.pdf.
[43] The Constitution (Jammu and Kashmir) Scheduled Castes Order, 1956, https://lddashboard.legislative.gov.in/sites/default/files/15_The%20Constitution%20%28JK%29%20SC%20Order%201956.pdf.
[44] Report No. 39: The Inter-Services Organisations (Command, Control and Discipline) Bill, 2023, Standing Committee on Defence, Lok Sabha, July 21, 2023, https://sansad.in/ls/committee/departmentally-related-standing-committees/7-defence-nameH=%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BE.
[45] Report No. 57, Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry and Food Processing: ‘The Coastal Aquaculture Authority(Amendment) Bill, 2023, Lok Sabha, July 21, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Agriculture,%20Animal%20Husbandry%20and%20Food%20Processing/17_Agriculture_Animal_Husbandry_and_Food_Processing_57.pdf?source=loksabhadocs.
[46] The Coastal Aquaculture Authority (Amendment) Bill, 2023, Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying, April 5, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/81_2023_LS_ENG45202321701PM.pdf?source=legislation.
[47] The Coastal Aquaculture Authority Act, 2005, June 23, 2005, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2068/1/200524.pdf.
[48] Report No. 58, ‘Research and Development in Farm Mechanisation for Small and Marginal Farmers in the Country’, Standing Committee on Agriculture, Animal Husbandry and Food Processing, Lok Sabha, July 21, 2023.
[49] Consultation Paper on mandating FPIs to route a specific percentage of certain transactions in secondary market trades through Request for Quote (RFQ) platform of stock exchanges, Securities and Exchange Board of India, July 5, 2023, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jul-2023/consultation-paper-on-mandating-fpis-to-route-a-specific-percentage-of-certain-transactions-in-secondary-market-trades-through-request-for-quote-rfq-platform-of-stock-exchanges_73525.html.
[50] Securities and Exchange Board of India (Credit Rating Agencies) (Amendment) Regulations, 2023, Securities and Exchange Board of India, July 5, 2023, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/jul-2023/securities-and-exchange-board-of-india-credit-rating-agencies-amendment-regulations-2023_73451.html.
[51] Securities and Exchange Board of India (Credit Rating Agencies) Regulations, 1999, Securities and Exchange Board of India, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/jan-2023/securities-and-exchange-board-of-india-credit-rating-agencies-regulations-1999-last-amended-on-january-17-2023-_68140.html.
[52] Consultation Paper on Consolidated Cybersecurity and Cyber Resilience Framework (CSCRF) for SEBI Regulated Entities, Securities and Exchange Board of India, July 4, 2023, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jul-2023/consultation-paper-on-consolidated-cybersecurity-and-cyber-resilience-framework-cscrf-for-sebi-regulated-entities_73442.html.
[53] Draft Circular - Arrangements with Card Networks for issue of Debit, Credit and Prepaid Cards, Reserve Bank of India, July 5, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Content/PDFs/DRAFTCIRCULARDEBITCREDITPREPAIDCARDS1F22D73A6EB24CF9B9C83B04016803E5.PDF.
[54] RBI invites comments on draft circular on Arrangements with Card Networks for issue of Debit, Credit and Prepaid Cards, Reserve Bank of India, July 5, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR543DRAFTCIRCULAR97A483FA92EF4ADE887CD80F8B878C18.PDF.
[55] Report of Inter Departmental Group on Internationalisation of INR, Reserve Bank of India, October 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs//PublicationReport/Pdfs/RIDGINRD2D459218BDC46AB9253DE553B256AC1.PDF.
[56] Report of the Inter-Departmental Group (IDG) on internationalisation of INR, Reserve Bank of India, July 5, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR539IDGINRE2D7309C29324A668D4CD91EE9CC2BC9.PDF.
[57] G.S.R. 559(E), Ministry of Finance, July 26, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/247631.pdf.
[58] 59th Report: Cyber Security and Rising Incidence of Cyber/White Collar Crimes, Standing Committee on Finance, Lok Sabha, July, 27, 2023, https://sansad.in/ls/committee/departmentally-related-standing-committees/12-finance-nameH=%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4.
[59] F. No. AV-19032/5/2015-AAI-MOCA, Ministry of Civil Aviation, July 11, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/247246.pdf.
[60] National Civil Aviation Policy, 2006, https://www.civilaviation.gov.in/sites/default/files/Final_NCAP_2016_15-06-2016-2_1.pdf.
[61] What is GAGAN?, Airports Authority of India, as accessed on July 19, 2023, https://www.aai.aero/en/content/what-gagan.
[62] Report No. 350,‘Development of Greenfield and Brownfield Airports and Issues pertaining to Civil Enclaves in Defence Airports’, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture . Rajya Sabha, July 24, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/173/350_2023_7_11.pdf?source=rajyasabha
[63] India’s Neighbourhood First Policy, Standing Committee Report, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/External Affairs/17_External_Affairs_22.pdf?source=loksabhadocs.
[64] Report No. 351, ‘Functioning of National Akademis and Other Cultural Institutions’, Standing Committee on Transport, Tourism, and Culture, Rajya Sabha, July 24, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/173/351_2023_7_12.pdf?source=rajyasabha.
[65] Electricity (Amendment) Rules, 2023, Ministry of Power, eGazette, June 30, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/246925.pdf.
[66] Electricity Rules, 2005, Ministry of Power, eGazette, June 8, 2005, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2005/E_248_2011_024.pdf.
[67] The Electricity Act, 2003, IndiaCode, May 26, 2003, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2058/1/a2003-36.pdf#search=Electricity%20Act.
[68] Electricity (Amendment) Rules, 2022, Ministry of Power, eGazette, December 29, 2022, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2022/241614.pdf.
[69] Transforming the Indian Power Sector, Distribution System Operators: Need, Frameworks, and Regulatory Considerations, Department of Science and Technology, July 2023, https://dst.gov.in/sites/default/files/DSO-White-Paper.pdf.
[70] CG-DL-E-24072023-247556, Draft Society for Prevention of Cruelty to Animals Rules, 2023, Ministry of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying, July 14, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/247556.pdf.
[71] The Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1547/1/A1960-59.pdf.
[72] The Prevention of Cruelty to Animals (Establishment and Regulation of Societies for Prevention of Cruelty to Animals) Rules, 2001, https://thc.nic.in/Central%20Governmental%20Rules/Prevention%20of%20Cruelty%20to%20Animals%20(Establishment%20and%20Regulation%20of%20Societies%20for%20Prevention%20of%20Cruelty%20to%20Animals)%20Rules,%202001..pdf.
[73] Draft National Deep Tech Startup Policy, 2023, https://psa.gov.in/CMS/web/sites/default/files/process/NDTSP.pdf
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