इस अंक की झलकियां
बजट सत्र 2024 प्रारंभ
संसद का बजट सत्र 22 जुलाई, 2024 को शुरू हुआ। पांच बिल्स को पेश, विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 को पेश किया गया है।
केंद्रीय बजट 2024-25 पेश
सरकार ने 2024-25 में 48,20,512 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है, जो 2023-24 के वास्तविक खर्च से 8.5% अधिक है। राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.9% अनुमानित है, जो 2023-24 के वास्तविक (5.6%) से कम है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 जारी
सर्वेक्षण में 2024-25 में 6.5%-7% की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जिसे मजबूत घरेलू निवेश मांग, बेहतर कृषि प्रदर्शन और माल एवं सेवाओं के निर्यात में वृद्धि द्वारा मदद मिलने की उम्मीद है।
सर्वोच्च न्यायालय ने खानों और खनिजों पर कर लगाने की राज्य की शक्ति को बरकरार रखा
अदालत ने कहा कि खनन गतिविधियों पर रॉयल्टी की प्रकृति कर जैसी नहीं है। उसने कहा कि राज्य विधानसभाओं के पास खनिज वहन करने वाली भूमि पर कर लगाने की शक्ति है।
आरबीआई ने ऐच्छिक और बड़े डिफॉल्टर्स से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने आरबीआई (ऐच्छिक डिफॉल्टर्स और बड़े डिफॉल्टर्स से निपटना) दिशानिर्देश, 2024 जारी किए। यह उधारदाताओं द्वारा उधारकर्ता को ऐच्छिक डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करने के लिए प्रक्रिया प्रदान करते हैं।
2024-25 की पहली तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 4.9%
2024-25 की पहली तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति पिछले वर्ष की समान तिमाही (4.6%) से अधिक थी। 2024-25 की पहली तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति 8.9% थी।
एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 का स्थान लेने वाला बिल संसद में पेश
बिल एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 का स्थान लेने का प्रयास करता है। एक्ट नागरिक उड्डयन क्षेत्र को रेगुलेट करता है। बिल 1934 के एक्ट की रेगुलेटरी संरचना को बरकरार रखता है।
हरित हाइड्रोजन उत्पादन प्रोत्साहन योजना के कार्यान्वयन संबंधी दिशानिर्देश जारी
दिशानिर्देश प्रोत्साहन योजना की दूसरी किश्त के लिए लाभार्थियों के चयन की एक रूपरेखा प्रदान करते हैं। 4,50,000 मीट्रिक टन की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता आवंटित की जाएगी।
ड्राफ्ट डिजिटल भारत निधि नियम, 2024 पर टिप्पणियां आमंत्रित
ड्राफ्ट नियम डिजिटल भारत निधि के संचालन से संबंधित हैं, जिसे दूरसंचार एक्ट, 2023 के तहत स्थापित किया गया था। यह निधि यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड का स्थान लेती है और उसे नया नाम दिया गया है।
संसद
Niranjana S Menon (niranjana@prsindia.org)
बजट सत्र 2024 प्रारंभ हुआ
संसद का बजट सत्र 22 जुलाई, 2024 को शुरू हुआ। यह सत्र 12 अगस्त, 2024 तक चलेगा, जिस दौरान कुल 16 दिन बैठकें होंगी।[1] पांच बिल्स को पेश, विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है (फाइनांस और एप्रोप्रिएशन बिल्स को छोड़कर)।[2] एक बिल, भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पेश किया गया है। 2024-25 का केंद्रीय बजट 23 जुलाई 2024 को पेश किया गया। सत्र के दौरान विधायी कार्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां देखें।
केंद्रीय बजट 2024-25
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
केंद्रीय बजट 2024-25 पेश किया गया
वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई, 2024 को 2024-25 का केंद्रीय बजट पेश किया।[3] यहां 2023-24 के वास्तविक (एक्चुअल्स), अलेखापरीक्षित (अनऑडिटेड) अनंतिम वास्तविक हैं:
व्यय: 2024-25 में सरकार द्वारा 48,20,512 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है जो 2023-24 में वास्तविक व्यय से 8.5% अधिक है (44,42,542 करोड़ रुपए)।
प्राप्तियां: 2024-25 में प्राप्तियां (उधारियों के अलावा) 32,07,200 करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो 2023-24 में वास्तविक व्यय से 15% अधिक है (27,88,872 करोड़ रुपए)।
जीडीपी: सरकार ने 2024-25 में 10.5% की नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया है (यानी, वास्तविक विकास जमा मुद्रास्फीति)।
घाटा: 2024-25 में राजस्व घाटा जीडीपी के 1.8% पर लक्षित है। यह 2023-24 में जीडीपी के 2.6% के वास्तविक राजस्व घाटे से कम है। 2024-25 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.9% पर लक्षित है, जो 2023-24 में जीडीपी के 5.6% के वास्तविक राजकोषीय घाटे से कम है।
कर प्रस्ताव: सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों, इक्विटी म्यूचुअल फंड के यूनिट्स और आरईआईटीएस/इनविट्स (REITs/INVITs) पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर को 15% से बढ़ाकर 20% करने का प्रस्ताव है। सभी परिसंपत्ति श्रेणियों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर 12.5% लगाया जाएगा। संपत्ति, सोना और अन्य गैर सूचीबद्ध परिसंपत्तियों के लिए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की गणना हेतु इंडेक्सेशन हटा दिया जाएगा।
नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब को संशोधित किया गया है। वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों के लिए मानक कटौती 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए करने का प्रस्ताव है। गैर-सूचीबद्ध फंड्स पर उनके शेयरों के अंकित मूल्य से अधिक पर लगने वाला एंजेल टैक्स हटा दिया गया है।
नीतिगत प्रस्ताव: अगले पांच वर्षों में 20 लाख युवाओं को दक्ष बनाने की योजना शुरू की जाएगी। रोजगार और श्रमबल की भागीदारी बढ़ाने के लिए तीन योजनाओं की घोषणा की गई है। आंध्र प्रदेश को नई राजधानी के लिए इस वर्ष 15,000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
तालिका 1: केंद्रीय बजट 2024-25 की मुख्य विशेषताएं (करोड़ रुपए में)
|
वास्तविक 22-23 |
वास्तविक 23-24 |
बअ 24-25 |
वास्तविक से बअ में परिवर्तन का % |
कुल व्यय |
41,93,157 |
44,42,542 |
48,20,512 |
8.5% |
कुल प्राप्तियां (उधारियों को छोड़कर) |
24,55,402 |
27,88,872 |
32,07,200 |
15.0% |
राजस्व घाटा |
10,69,926 |
7,65,624 |
5,80,201 |
-24.2% |
जीडीपी का % |
3.9% |
2.6% |
1.8% |
- |
राजकोषीय घाटा |
17,37,755 |
16,53,670 |
16,13,312 |
-2.4% |
जीडीपी का % |
6.4% |
5.6% |
4.9% |
6.4% |
स्रोत: केंद्रीय बजट दस्तावेज़ 2024-25; पीआरएस।
केंद्रीय बजट 2024-25 के विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश
वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई, 2024 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश किया।[4] सर्वेक्षण के मुख्य बिंदुओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी): आर्थिक सर्वेक्षण में 2024-25 में 6.5%-7% की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। 2024-25 में मजबूत घरेलू निवेश मांग, बेहतर कृषि प्रदर्शन और माल एवं सेवाओं के निर्यात में वृद्धि के कारण अधिक विकास की उम्मीद है।
मुद्रास्फीति: 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4% थी। कोविड-19 महामारी के बाद यह सबसे निचला स्तर है। खाद्य मुद्रास्फीति 2022-23 में 6.6% से बढ़कर 2023-24 में 7.5% हो गई। इसका कारण रूस-यूक्रेन युद्ध और घरेलू मौसम की स्थिति के कारण उच्च स्तरीय खाद्य मुद्रास्फीति थी। घरों के किराए में अधिक बढ़ोतरी न होने के कारण 2023-24 में मुख्य मुद्रास्फीति काबू में आई।
क्षेत्रगत विकास: भारत के कृषि क्षेत्र ने पिछले पांच वर्षों में 4.2% की वार्षिक औसत वृद्धि दर दर्ज की है। 2023-24 में औद्योगिक क्षेत्र में 9.5% की वृद्धि हुई। 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का हिस्सा 55% है।
इंफ्रास्ट्रक्चर: सड़क और रेलवे जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देने के साथ केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में 2019-20 की तुलना में 2023-24 में तीन गुना वृद्धि देखी गई।
ऋण: बढ़ती ब्याज दरों और बजट से कम नॉमिनल जीडीपी वृद्धि के कारण 2023-24 में सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात थोड़ा बढ़ गया। हालांकि मौद्रिक नीति में ढील, डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि और निरंतर राजकोषीय समेकन के कारण इसमें गिरावट की उम्मीद है।
आर्थिक सर्वेक्षण के सारांश के लिए कृपया यहां देखें।
2024-25 की पहली तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 4.9%
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 4.9% थी जो पिछले वर्ष की समान तिमाही की मुद्रास्फीति (4.6%) से अधिक है।[5] 2023-24 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में सीपीआई मुद्रास्फीति 5% थी।
2024-25 की पहली तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 8.9% रही। यह 2023-24 की इसी तिमाही में 3.8% की खाद्य मुद्रास्फीति की तुलना में काफी अधिक थी। 2023-24 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति 8.5% थी।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति 2024-25 की पहली तिमाही में 2.4% थी, जबकि 2023-24 की पहली तिमाही में -2.9% थी।[6] 2023-24 की चौथी तिमाही में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति औसतन 0.3% रही।
रेखाचित्र 1: 2024-25 की पहली तिमाही में मासिक मुद्रास्फीति (% परिवर्तन, वर्ष-दर-वर्ष)
स्रोत: एमओएसपीआई; वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय; पीआरएस।
वित्त
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
आरबीआई ने ऐच्छिक और बड़े डिफॉल्टरों से निपटने के लिए दिशानिर्देश जारी किए
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आरबीआई (ऐच्छिक डिफॉल्टर्स और बड़े डिफॉल्टर्स से निपटना) दिशानिर्देश, 2024 जारी किए।[7] दिशानिर्देश उधारदाताओं द्वारा उधारकर्ता को ऐच्छिक डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करने के लिए एक प्रक्रिया प्रदान करते हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
ऐच्छिक डिफॉल्टर: एक ऐच्छिक डिफॉल्टर का अर्थ है: (i) एक उधारकर्ता या एक गारंटर जिसने जानबूझकर कम से कम 25 लाख रुपए या उससे अधिक की राशि, जिसे आरबीआई अधिसूचित करे, का डिफॉल्ट किया है, (ii) अगर डिफॉल्टर कोई कंपनी है तो उस समय उससे संबंधित प्रमोटर और निदेशक, और (iii) कंपनियों के अलावा किसी इकाई के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति और उसके प्रभारी। बड़े डिफॉल्टर का अर्थ ऐसे डिफॉल्टर हैं जिन पर कम से कम एक करोड़ रुपए की बकाया राशि है और जिसके खाते को संदिग्ध या लॉस एकाउंट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
किसी उधारकर्ता द्वारा ऐच्छिक डिफॉल्ट तब माना जाएगा, जब वह ऋणदाता को पुनर्भुगतान में चूक करता है। इसके अलावा निर्दिष्ट शर्तों में से कम से कम एक पूरी होती हो। ये इस प्रकार हैं: (i) दायित्वों को पूरा करने की क्षमता होने के बावजूद चूक, (ii) ऋणदाता से प्राप्त धन का कोई दूसरा उपयोग या उसके साथ हेराफेरी, या (iii) ऋणदाता की जानकारी के बिना ऋण सुरक्षित करने के लिए दी गई संपत्ति का निपटान। गारंटर द्वारा जानबूझकर की गई चूक को घटित माना जाएगा, अगर वह ऐसा करने की क्षमता होने के बावजूद गारंटी को पूरा नहीं करता है।
ऐच्छिक डिफॉल्टर की पहचान: ऋणदाता द्वारा गठित एक पहचान समिति (जिसमें अध्यक्ष के रूप में एक पूर्णकालिक निदेशक और दो वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे) ऐच्छिक डिफॉल्ट के सबूत की जांच करेगी। अगर समिति संतुष्ट है कि जानबूझकर चूक हुई है, तो वह उधारकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी।
उधारकर्ता को ऋणदाता द्वारा गठित समीक्षा समिति (जिसमें अध्यक्ष के रूप में मुख्य कार्यकारी अधिकारी और दो स्वतंत्र निदेशक शामिल होंगे) के सामने एक प्रतिनिधि प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा। समीक्षा समिति उधारकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर प्रदान करेगी। वह वर्गीकरण के संबंध में आदेश पारित करेगी।
आरबीआई ने फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पर मास्टर दिशानिर्देश जारी किए
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फ्रॉड रिस्क मैनेजमेट पर तीन संशोधित मास्टर दिशानिर्देश जारी किए।[8] ये निर्देश निम्नलिखित पर लागू होते हैं: (i) वाणिज्यिक बैंक और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान, (ii) सहकारी बैंक, और (iii) गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां।[9],[10],[11] मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट की संरचना: रेगुलेटेड इकाइयों के पास फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पर उनके संबंधित बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति होनी चाहिए। नीति में निम्नलिखित प्रावधान होने चाहिए: (i) उस व्यक्ति को विस्तृत कारण बताओ नोटिस जारी करना जिसके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप की जांच की जा रही है, (ii) व्यक्ति को नोटिस का जवाब देने के लिए कम से कम 21 दिन का समय, और (iii) खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने के निर्णय के संबंध में व्यक्ति को एक तर्कसंगत आदेश देना। तीन वर्ष में कम से कम एक बार इस नीति की समीक्षा की जानी चाहिए।
धोखाधड़ी का जल्द पता लगाना: वाणिज्यिक बैंकों, कुछ सहकारी बैंकों और मध्य और ऊपरी स्तर की एनबीएफसी के पास फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट नीति के तहत प्रारंभिक चेतावनी संकेतों की एक रूपरेखा होनी चाहिए। मध्य और ऊपरी स्तर की एनबीएफसी में कम से कम 1,000 करोड़ रुपए की संपत्ति वाली सभी जमा स्वीकार करने वाली एनबीएफसी और गैर-जमा स्वीकार करने वाली एनबीएफसी शामिल हैं। इसके अलावा जैसा कि प्रारंभिक चेतावनी संकेतकों द्वारा सुझाया गया है, वाणिज्यिक बैंकों को धोखाधड़ी के संदेह पर खातों को रेड फ्लैग करना चाहिए। बोर्ड स्तर की समितियों को ईडब्ल्यूएस संरचना की प्रभावशीलता की निगरानी करनी चाहिए। इसमें मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों संकेतक शामिल होने चाहिए।
फ्रॉड खातों से निपटना: रेड फ्लैग वाले खातों या धोखाधड़ी के संदेह के मामले में रेगुलेटेड संस्थाओं को अपनी नीति के अनुसार बाहरी या आंतरिक ऑडिट करना होगा। बाहरी ऑडिटर्स को शामिल करने के लिए एक नीति बनाई जानी चाहिए। ऋण समझौते में इस तरह के ऑडिट को करने के लिए खंड शामिल होने चाहिए। वाणिज्यिक बैंकों और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के लिए, खातों को व्यक्तिगत बैंक स्तर पर रेड फ्लैग दिया जाएगा और उन्हें सात दिनों के भीतर आरबीआई को सूचित किया जाना चाहिए।
नागरिक उड्डयन
Anirudh TR (anirudh@prsindia.org)
लोकसभा में भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 पेश
भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया।[12] यह बिल विमान एक्ट, 1934 का स्थान लेने का प्रयास करता है।[13] 1934 का एक्ट नागरिक उड्डयन क्षेत्र को रेगुलेट करता है। यह तीन वैधानिक प्राधिकरणों की स्थापना करता है, जो इस प्रकार हैं: (i) रेगुलेटरी काम करने और सुरक्षा की निगरानी करने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए), (ii) सुरक्षा की देखरेख के लिए नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस), और (iii) विमान दुर्घटनाओं की जांच के लिए विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो। केंद्र सरकार इन प्राधिकरणों को निर्देश जारी कर सकती है और अगर आवश्यक हो तो जनहित में उनके आदेशों की समीक्षा भी कर सकती है। बिल 1934 के एक्ट के तहत रेगुलेटरी संरचना और अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखता है। मुख्य परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
विमान के डिजाइन का रेगुलेशन: एक्ट विमानों से संबंधित कई गतिविधियों को रेगुलेट करता है जैसे मैन्यूफैक्चरिंग, स्वामित्व, उपयोग, संचालन और व्यापार। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है और विमानों के डिजाइन को भी रेगुलेट करने का प्रयास करता है।
नियम बनाने की शक्तियां: यह एक्ट केंद्र सरकार को कई मामलों पर नियम बनाने का अधिकार देता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विमानों से संबंधित विशिष्ट गतिविधियों का रेगुलेशन और लाइसेंसिंग, प्रमाणन और निरीक्षण से संबंधित मामले, (ii) हवाई परिवहन सेवाओं का रेगुलेशन, और (iii) 1944 के अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संबंधी कन्वेंशन का कार्यान्वयन। बिल इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है और इसमें यह जोड़ता है कि केंद्र सरकार अंतर्राष्ट्रीय टेलीकम्यूनिकेशन कन्वेंशन के तहत रेडियो टेलीफोन ऑपरेटर सर्टिफिकेट और लाइसेंस पर नियम बना सकती है।
अपीलीय व्यवस्था: एक्ट केंद्र सरकार को दंड के निर्णय के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार देता है। इस अधिकारी के फैसलों की अपील अपीलीय अधिकारी के समक्ष की जा सकती है जो निर्णायक अधिकारी से उच्च पद का होना चाहिए। बिल इसमें अपील का एक अतिरिक्त स्तर जोड़ता है। प्रथम अपीलीय अधिकारी के फैसलों के खिलाफ द्वितीय अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील की जाएगी। डीजीसीए या बीसीएएस के आदेश के खिलाफ अपील केंद्र सरकार के समक्ष की जाएगी। केंद्र सरकार के आदेशों के खिलाफ आगे किसी अपील की अनुमति नहीं दी जाएगी।
शिक्षा
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
एनईपी के कार्यान्वयन पर सलाह देने के लिए स्वतंत्र निकाय का गठन
शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी) के कुशल कार्यान्वयन पर सरकार को सलाह देने के लिए शिक्षा सलाहकार परिषद का गठन किया है।[14],[15] परिषद: (i) स्कूल और उच्च शिक्षा में एनईपी को लागू करने के लिए एक व्यापक रोडमैप विकसित करेगी, (ii) वर्तमान कार्यक्रमों का विश्लेषण करेगी और पाठ्यक्रम सुधार के उपायों का सुझाव देगी, और (iii) केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड को पुनर्जीवित करने के उपायों पर सुझाव देगी। परिषद मंत्रालय या शिक्षा से जुड़े अन्य संस्थानों को उन क्षेत्रों के संबंध में भी सलाह देगी, जिन पर उन्हें इनपुट की आवश्यकता है।
संचार
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
डिजिटल भारत निधि नियमों के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार (डिजिटल भारत निधि) नियम, 2024 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[16] डिजिटल भारत निधि (डीबीएन) दूरसंचार एक्ट, 2023 के तहत गठित एक नॉन-लैप्सेबल फंड है और यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) का स्थान लेता है।[17] ड्राफ्ट नियमों में व्यापक तौर पर फंड के प्रशासन की वर्तमान पद्धति को बरकरार रखा गया है। यूएसओएफ को यूनिवर्सल एक्सेस लेवी के कलेक्शन के जरिए वित्त पोषित किया जाता है, जो एक दूरसंचार सेवा प्रदाता के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का एक प्रतिशत है।[18] एजीआर एक्सेस प्रदाताओं द्वारा अर्जित राजस्व है और इसमें कुछ चीजें शामिल नहीं हैं, जैसे: (i) जीएसटी, (ii) रोमिंग शुल्क, और (iii) अन्य एक्सेस प्रदाताओं को भुगतान किया गया एक्सेस शुल्क। डीबीएन में फंड का उपयोग कुछ उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है, उदाहरण के तौर पर: (i) यूनिवर्सल सर्विस और दूरसंचार सेवाओं की डिलीवरी, और (ii) दूरसंचार सेवाओं, प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का अनुसंधान, विकास और उन्हें पेश करना। ड्राफ्ट नियम डीबीएन के संचालन से संबंधित प्रावधान करते हैं।
दो व्यापक श्रेणियों की परियोजनाओं को डीबीएन द्वारा वित्त पोषण किया जाएगा: (i) कम सेवा वाले क्षेत्रों तक दूरसंचार सेवाओं की पहुंच और वितरण, और (ii) दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास। पहले प्रकार की परियोजनाओं के लिए चयन बोली के माध्यम से होगा, जबकि दूसरे प्रकार की परियोजनाओं के लिए आवेदन के माध्यम से चयन किया जाएगा। आवेदनों पर निर्णय प्राप्त प्रस्तावों और तकनीकी व्यवहार्यता के आधार पर किया जाएगा। नियम प्रशासक को इस बात की अनुमति देते हैं कि वह परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए नामांकन के जरिए कार्यान्वयक (इंप्लिमेंटर) को चुन सकता है। यह विशेष परिस्थितियों में किया जा सकता है और इसे लिखित रूप में दर्ज किया जाना चाहिए।
टिप्पणियां 3 अगस्त 2024 तक आमंत्रित हैं।
निर्णय और अपील संबंधी नियमों के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
दूरसंचार विभाग ने ड्राफ्ट दूरसंचार (निर्णय और अपील) नियम, 2024 को प्रतिक्रियाओं के लिए जारी किया है।[19] ड्राफ्ट नियम दूरसंचार एक्ट, 2023 में निर्णय संबंधी फ्रेमवर्क को प्रभावी बनाने का प्रयास करते हैं।17 निर्णय प्रक्रिया एक्ट के तहत तीसरी अनुसूची में सूचीबद्ध विशिष्ट उल्लंघनों पर लागू होती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बिना अनुमति के रेडियो उपकरण रखना, और (ii) स्वीकृति के बिना लगाए गए दूरसंचार उपकरण या नेटवर्क का जानबूझकर इस्तेमाल करना। निर्णायक अधिकारी संयुक्त सचिव या उससे उच्च पद के होने चाहिए। ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
जांच शुरू करना: किसी शिकायत, आकलन या स्वत: संज्ञान के आधार पर पूछताछ शुरू की जा सकती है। अधिकारी के पास दीवानी अदालत की शक्तियां होंगी। पूछताछ सामान्यतः 90 दिनों के भीतर समाप्त होनी चाहिए और इसे 120 दिनों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है।
स्वैच्छिक दायित्व: एक्ट और ड्राफ्ट नियम अधिकृत संस्थाओं को स्वैच्छिक दायित्व प्रस्तुत करने की अनुमति देते हैं। इन्हें पूछताछ से पहले या उसके दौरान प्रस्तुत किया जा सकता है। दायित्व में उल्लंघन का विवरण और उल्लंघन को कम करने के लिए उठाए गए (या प्रस्तावित) उपाय शामिल होने चाहिए। स्वीकार किए गए स्वैच्छिक दायित्वों पर आगे की कार्यवाही लागू नहीं होगी।
अपील की प्रक्रिया: किसी निर्णायक अधिकारी के आदेशों के खिलाफ 30 दिनों के भीतर नामित अपील समिति में अपील की जा सकती है। इस समिति के सदस्य अतिरिक्त सचिव या उससे उच्च के पद के होने चाहिए और उन्हें केंद्र द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
तीसरी अनुसूची में सूचीबद्ध अपराधों के लिए समिति के निर्णयों के विरुद्ध दीवानी अदालत में अपील की जा सकती है। समझौते के नियमों और शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में, समिति के आदेशों के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकती है।
टिप्पणियां 17 अगस्त, 2024 तक आमंत्रित हैं।
मीडिया एवं प्रसारण
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
ट्राई ने ब्रॉडकास्टिंग और केबल सेवाओं के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में संशोधन किए
भारतीय दूरसंचार रेगुलेटरी अथॉरिटी ने ब्रॉडकास्टर्स के लिए शुल्क आदेश, इंटरकनेक्शन नियमों और सेवा की गुणवत्ता संबंधी नियमों में संशोधन किया है।[20],[21],[22] अगस्त 2023 में ट्राई ने ब्रॉडकास्टर्स के लिए रेगुलेटरी संरचना पर समीक्षा की मांग करते हुए एक परामर्श पत्र जारी किया था।[23] संशोधित नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
शुल्क में परिवर्तन: ब्रॉडकास्टर्स ग्राहकों से नेटवर्क क्षमता शुल्क (एनसीएफ) लेते हैं, जिसे पहले 200 चैनलों के लिए 130 रुपए और 200 से अधिक चैनलों के लिए 160 रुपए तय किया गया था। इस सीमा को हटा दिया गया है। नया एनसीएफ ब्रॉडकास्टर की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए। डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स (डीपीओ) अब चैनलों के बुके पर 45% तक की छूट दे सकते हैं। डीपीओ विभिन्न प्रसारकों से कंटेंट को बंडल और पैकेज करते हैं। ऐसी छूट पहले 15% तक सीमित थी।
दंड: संशोधित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क प्रावधानों के उल्लंघन पर वित्तीय दंड का भी प्रावधान करता है। जुर्माना 1,00,000 रुपए तक है, और यह उल्लंघन की प्रकृति और ब्रॉडकास्टर के आकार पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, चैनलों की एमआरपी की घोषणा न करने पर पहली बार में 25,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
कैरिएज फीस में बदलाव: कैरिएज फीस की गणना करने की विधि को सरल बनाया गया है। उदाहरण के लिए मानक और हाई-डेफिनिशन (एचडी) चैनलों के बीच अब कोई अंतर नहीं रह गया है। इससे पहले, एचडी चैनलों पर अधिक कैरिएज शुल्क लगता था।
क्वालिटी ऑफ सर्विस (क्यूओएस) संशोधन: रेगुलेटरी फ्रेमवर्क विभिन्न क्यूओएस मानकों में संशोधन करता है। इंस्टालेशन, एक्टिवेशन और रिलोकेशन जैसी सेवाओं के लिए शुल्क को नियंत्रण मुक्त कर दिया गया है। डीपीओ को ग्राहकों को इन शुल्कों के बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। उन्हें इन शुल्कों को प्रकाशित करना चाहिए। डीपीओ द्वारा दी जाने वाली प्लेटफ़ॉर्म सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्रामिंग गाइड पर अलग से वर्गीकृत किया जाना चाहिए। प्लेटफ़ॉर्म सेवाएं डीपीओ द्वारा विशेष रूप से ग्राहकों को प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रम हैं। प्रत्येक प्लेटफ़ॉर्म सेवा के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य को भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए। 30,000 से कम ग्राहकों वाले डीपीओ के लिए कुछ अनुपालनों में भी छूट दी गई है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक वेबसाइट होना, (ii) प्रैक्टिस मैनुअल को मेनटेन करना, और (iii) एक उपभोक्ता कॉर्नर होना।
खान
Atri Prasad Raut (atri@prsindia.org)
सर्वोच्च न्यायालय ने खानों और खनिजों पर कर लगाने की राज्य की शक्ति को बरकरार रखा
8:1 के बहुमत के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने खनिज वहन करने वाली भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति को बरकरार रखा है।[24] भारत में खानों और खनिजों को मुख्य रूप से खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) (एमएमडीआर) एक्ट, 1957 के जरिए रेगुलेट किया जाता है।[25]
न्यायालय ने निम्नलिखित प्रश्नों की समीक्षा की: (i) क्या एमएमडीआर एक्ट के तहत खनन गतिविधियों पर एकत्रित रॉयल्टी को कर कहा जा सकता है, (ii) क्या राज्यों की भूमि और भवन पर कर लगाने की शक्ति खनिज वहन करने वाली भूमि पर लागू होती है, और (iii) क्या संसद राज्य विधायिका की खानों और खनिजों पर कर लगाने की शक्तियों को सीमित कर सकती है।
न्यायालय ने कहा कि रॉयल्टी कोई कर नहीं है। यह एक भुगतान है जो खनिज अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए संविदात्मक दायित्व से उत्पन्न होता है।
न्यायालय ने यह भी माना कि बेशक, संसद के पास खान और खनन गतिविधियों को रेगुलेट करने की शक्ति है, लेकिन यह शक्ति, खनिज अधिकारों पर कर लगाने की राज्य की शक्ति का स्थान नहीं ले सकती। संविधान के तहत, खनिज अधिकारों पर कर लगाने की राज्यों की शक्तियां संसद के एक एक्ट द्वारा सीमित की जा सकती हैं।[26] न्यायालय ने कहा कि एमएमडीआर एक्ट, 1957 राज्य की कर जमा करने की क्षमता को प्रतिबंधित नहीं करता है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति खानों और खदानों तक विस्तारित है। ऐसी भूमि पर खनिज मूल्य या उत्पाद के आधार पर कर लगाया जा सकता है। उसने यह भी कहा कि संसद खनिज वहन करने वाली भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्तियों को सीमित नहीं कर सकती है।
नवीन एवं अक्षय ऊर्जा
Nripendra Singh (nripendra@prsindia.org)
हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए प्रोत्साहन योजना को लागू करने हेतु दिशानिर्देश
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने "हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए प्रोत्साहन योजना (मोड 1 के तहत)- किश्त- II" को लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।[27] यह योजना स्ट्रैटेजिक इंटरवेंशंस फॉर ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम (साइट) का एक घटक है। यह कार्यक्रम भारत में इलेक्ट्रोलाइज़र्स और हरित हाइड्रोजन की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र प्रदान करता है।
इस योजना का लक्ष्य ईंधन के रूप में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन को अधिकतम करना और लागत-प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है। योजना की किश्त-I के तहत, हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए 10 कंपनियों को 4,12,000 मीट्रिक टन क्षमता पहले ही आवंटित की जा चुकी है।[28] दिशानिर्देश प्रोत्साहन योजना की दूसरी किश्त के लिए लाभार्थियों के चयन की एक रूपरेखा प्रदान करते हैं। दिशानिर्देश की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:[29]
योजना की संरचना: दूसरी किश्त 4,50,000 मीट्रिक टन (मीट्रिक टन) हरित हाइड्रोजन की उत्पादन क्षमता आवंटित करती है। इसे दो तरीकों से हासिल किया जाएगा- 40,000 मीट्रिक टन का उत्पादन बायोमास-बेस्ड पाथवे के जरिए किया जाएगा और 4,10,000 मीट्रिक टन का उत्पादन टेक्नोलॉजी एगोनिस्टिक (इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग करके) पाथवे के जरिए किया जाएगा। उत्पादन क्षमता बोली के माध्यम से वितरित की जाएगी।
उत्पादन के लिए प्रोत्साहन: एगोनिस्टिक पाथवे के जरिए उत्पादन के लिए न्यूनतम बोली 10,000 मीट्रिक टन है जबकि अधिकतम बोली की अनुमति 90,000 मीट्रिक टन है। बायोमास पाथवे के जरिए उत्पादन के लिए, बोली 500 मीट्रिक टन और 4,000 मीट्रिक टन के बीच होनी चाहिए। एक बोलीदाता दोनों तरीकों के लिए बोली लगा सकता है। पहले वर्ष के लिए अधिकतम प्रोत्साहन 50 रुपए प्रति किलोग्राम, दूसरे वर्ष के लिए 40 रुपए प्रति किलोग्राम और तीसरे वर्ष के लिए 30 रुपए प्रति किलोग्राम है। तीन वर्षों के लिए बोलियों का औसत लगाया जाएगा और न्यूनतम प्रोत्साहन की मांग वाले बोलीकर्ता को उत्पादन क्षमता आवंटित की जाएगी।
बोलीकर्ता की पात्रता: बोली प्रक्रिया में भाग लेने के लिए, बोलीकर्ता की कुल संपत्ति टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक पाथवे के तहत उद्धृत उत्पादन क्षमता के प्रति वर्ष 15 करोड़ रुपए प्रति हजार मीट्रिक टन से अधिक होनी चाहिए। बायोमास बेस्ड पाथवे के लिए, बोलीकर्ता की कुल संपत्ति उद्धृत उत्पादन क्षमता के प्रति वर्ष 1.5 करोड़ रुपए प्रति हजार मीट्रिक टन से अधिक होनी चाहिए।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के वित्तपोषण के लिए दिशानिर्देश जारी
मंत्रालय ने "राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत मानकों और रेगुलेटी फ्रेमवर्क के विकास के लिए टेस्टिंग केंद्रों, इंफ्रास्ट्रक्चर का वित्त पोषण तथा संस्थागत समर्थन" हेतु दिशानिर्देश जारी किए हैं।[30] इस योजना के लिए 2025-26 तक कुल 200 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। हरित हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य भारत को हरित हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव्स के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए ग्लोबल हब बनाना है।[31]
टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को सहयोग देने वाली योजना: (i) मौजूदा टेस्टिंग केंद्रों की कमी को चिन्हित करेगी, उनके अपग्रेडेशन के लिए धनराशि देगी और टेस्टिंग के लिए नए केंद्र बनाएगी, (ii) हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियों को मान्य और प्रमाणित करेगी, और (iii) विश्व स्तरीय टेस्टिंग केंद्रों की स्थापना हेतु निजी और सरकारी भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी।
यह योजना राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान द्वारा क्रियान्वित की जाएगी। इसके तहत नए टेस्टिंग केंद्रों के लिए प्रस्ताव मांगे जाएंगे और बाद में निर्दिष्ट मानदंडों के आधार पर उनका मूल्यांकन किया जाएगा।
सरकारी टेस्टिंग इकाइयों के लिए मंत्रालय पूंजीगत लागत का 100% तक वित्त पोषण करेगा, जबकि गैर-सरकारी संस्थाओं के लिए मंत्रालय उपकरण, स्थापना और परियोजना की कमीशनिंग के लिए आवश्यक पूंजी लागत का 70% वित्त पोषण करेगा। अनुदान तीन किस्तों में जारी किया जाएगा।
नए टेस्टिंग और प्रमाणन केंद्र स्थापित करने की परियोजनाओं को 18 महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए और मौजूदा केंद्रों को अपग्रेड करने की परियोजनाओं को अनुमोदन की तारीख से 12 महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। कार्यान्वयन एजेंसी छह महीने तक का विस्तार दे सकती है। छह महीने से अधिक का कोई भी विस्तार केवल नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की मंजूरी के साथ ही दिया जाएगा और उचित दंड लगाया जाएगा।
पर्यावरण
Atri Prasad Raut (atri@prsindia.org)
पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 में संशोधन पर टिप्पणियां आमंत्रित
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 में संशोधन के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[32] ये नियम पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के तहत जारी किए गए हैं।[33] एक्ट को जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) एक्ट, 2023 द्वारा संशोधित किया गया था।[34] 2023 एक्ट ने 1986 एक्ट के तहत कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया। इनमें निर्धारित मानकों से अधिक प्रदूषक छोड़ना, आवश्यक जानकारी न देना और एक्ट के तहत जारी निर्देशों का उल्लंघन शामिल है। यह अपराधों पर निर्णय देने और दंड निर्धारित करने के लिए एक निर्णायक अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान करता है। यह पर्यावरण संरक्षण कोष की भी स्थापना करता है। 1986 के एक्ट के तहत लगाए गए जुर्माने को इस कोष में जमा किया जाएगा। ड्राफ्ट नियम इन प्रावधानों को प्रभावी बनाने का प्रयास करते हैं।
टिप्पणियां 16 सितंबर, 2024 तक आमंत्रित हैं।
ऊर्जा
Nripendra Singh (nripendra@prsindia.org)
ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी दिशानिर्देशों के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
बिजली मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए। ड्राफ्ट दिशानिर्देशों में ईवी चार्जिंग स्टेशनों पर सुविधाओं की आवश्यकताओं तथा टैरिफ संरचना में बदलाव से संबंधित प्रावधान हैं।[35] वे चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और दिशानिर्देशों पर मौजूदा दिशानिर्देशों का स्थान लेते हैं। ड्राफ्ट दिशानिर्देशों की विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
संशोधित टैरिफ संरचना: ड्राफ्ट दिशानिर्देशों में ईवी चार्जिंग स्टेशनों को बिजली आपूर्ति के लिए नई संशोधित टैरिफ संरचना शामिल है। इसमें सिंगल-पार्ट टैरिफ शामिल है, जो 31 मार्च, 2026 तक लागू आपूर्ति की औसत लागत (एसीओएस) पर सीमित है। इसके अतिरिक्त, ड्राफ्ट सौर घंटों (सुबह 9:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक) के आधार पर एसीओएस के 0.7 गुना और गैर-सौर घंटों के एसीओएस के 1.3 गुना पर मूल्य विभेद (डिफरेंशियल प्राइजिंग) भी पेश करता है।
मीटरिंग की व्यवस्था: ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए अलग मीटरिंग व्यवस्था का प्रावधान है ताकि खपत को रिकॉर्ड किया जा सके और ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए लागू टैरिफ के अनुसार बिल किया जा सके। सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों को दिन के समय दरों और सौर घंटे की छूट के साथ प्रीपेड और पोस्ट-पेड दोनों विकल्प प्रदान करने की आवश्यकता होगी। चार्जिंग स्टेशन संचालकों को चार्जिंग स्लॉट की रिमोट बुकिंग के लिए कम से कम एक ऑनलाइन नेटवर्क सेवा प्रदाता के साथ साझेदारी करनी होगी।
चार्जिंग स्टेशनों की लोकेशन: ड्राफ्ट दिशानिर्देशों में घनत्व और दो चार्जिंग स्टेशनों के बीच की दूरी से संबंधित शर्तें भी शामिल हैं। 2029-30 तक प्रति 1 किमी x 1 किमी ग्रिड पर कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन होना चाहिए। राजमार्गों/एक्सप्रेसवे/सड़क के प्रत्येक किनारे पर प्रत्येक 100 किलोमीटर पर कम से कम एक फास्ट चार्जिंग स्टेशन होना चाहिए, जो सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों के भीतर या उसके पास स्थित हो। ये हेवी ड्यूटी और लंबी दूरी की ईवी के लिए होंगे। शहरों के भीतर, भारी शुल्क वाले ईवी के लिए ऐसी चार्जिंग सुविधाएं ट्रांसपोर्ट नगर या बस डिपो के भीतर स्थित हो सकती हैं।
सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों का डेटाबेस: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करेगा। सभी सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन संचालकों को राष्ट्रीय पोर्टल 'ईवी यात्रा' पर पंजीकरण कराना आवश्यक होगा। चार्जर के अनुसार डेटा जैसे: (i) बेची गई ऊर्जा, (ii) डाउनटाइम अवधि, और (iii) सेवा शुल्क को अपलोड किया जाना चाहिए।
रक्षा
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
पांचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची जारी
रक्षा मंत्रालय ने 346 वस्तुओं वाली पांचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची अधिसूचित की है।[36] इन वस्तुओं में विभिन्न सिस्टम्स, सब-सिस्टम्स, स्पेयर्स और कच्चा माल शामिल है जिनका बारी-बारी से स्वदेशीकरण किया जाएगा। उनका कुल आयात प्रतिस्थापन मूल्य 1,048 करोड़ रुपए है। इन वस्तुओं को रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों में घरेलू स्तर पर बनाया जाएगा।
[1] Bulletin II, Lok Sabha, July 6, 2024, https://sansad.in/getFile/bull2mk/2024/06-07-24a.pdf?source=loksabhadocs.
[2] Bulletin II, Lok Sabha, July 18, 2024, https://sansad.in/getFile/bull2mk/2024/06-07-24a.pdf?source=loksabhadocs.
[3] Union Budget 2024-25, https://www.indiabudget.gov.in/previous_union_budget.php.
[4] Economic Survey 2022-23, January 2023, https://www.indiabudget.gov.in/economicsurvey/doc/echapter.pdf.
[5] “Consumer Price Index Numbers on Base 2012=100 for Rural, Urban and Combined for the Month of June 2024”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, July 12, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2032780.
[6] “Index Numbers of Wholesale Price in India for the Month of June, 2024 (Base Year: 2011-12)”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, July 15, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2033207.
[7] The Reserve Bank of India (Treatment of Wilful Defaulters and Large Defaulters) Directions, 2024, Reserve Bank of India, July 30, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/MD122F0B6356D6BC14C85A960DEE7CDD9FBD8.PDF.
[8] Reserve Bank of India issues Revised Master Directions on Fraud Risk Management in the Regulated Entities, Reserve Bank of India, July 15, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR6988E8ACEEE55A44D5781FB78A6B75F7AFF.PDF.
[9] Master Directions on Fraud Risk Management in Commercial Banks (including Regional Rural Banks) and All India Financial Institutions, Reserve Bank of India, July 15, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/118MDE97B8ED9A09B4B21BE7FDDE5F836CD09.PDF.
[10] Master Directions on Fraud Risk Management in Urban Cooperative Banks (UCBs) / State Cooperative Banks (StCBs) / Central Cooperative Banks (CCBs), Reserve Bank of India, July 15, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/119MD1507243E72581B827246DA93059E0EC1951F6F.PDF.
[11] Master Directions on Fraud Risk Management in Non-Banking Financial Companies (NBFCs) (including Housing Finance Companies), Reserve Bank of India, July 15, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/120MDFRAUDRISKNBFCS82139F5C3E9E47798592706B653930FA.PDF.
[12] The Bharatiya Vayuyan Vidheyak, 2024, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2024/Bharatiya_Vayuyan_Vidheyak_2024.pdf.
[13] The Aircraft Act, 1934, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2400/1/AAA1934____22.pdf.
[14] “Constitution of the Education Advisory Council (EdAC) to GoI”, Ministry of Education, July 11, 2024, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/Constitution_EdAC_order.pdf.
[15] National Education Policy, 2020, Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf.
[16] Draft Telecommunications (Digital Bharat Nidhi) Rules, 2024, Ministry of Communications, July 4, 2024, https://dot.gov.in/sites/default/files/Draft%20DBN%20Rules%20Gazetted%20Publication.pdf.
[17] The Telecommunications Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/250880.pdf.
[18] “About USOF”, Universal Service Obligation Fund, as accessed on July 10, 2024, https://usof.gov.in/en/about-usof.
[19] The draft Telecommunications (Adjudication and Appeal) Rules, 2024, Ministry of Communications, July 18, 2024, https://dot.gov.in/sites/default/files/Draft%20Adjudication%20Rules%20Gazette%20Notification.pdf.
[20] The Telecommunication (Broadcasting And Cable) Services (Eighth) (Addressable Systems) Tariff (Fourth Amendment) Order, 2024, TRAI, July 8, 2024, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Regulation_Tariff_4th_amd_08072024_0.pdf.
[21] The Telecommunication (Broadcasting And Cable) Services Interconnection (Addressable Systems) (Sixth Amendment) Regulations, 2024, TRAI, July 8, 2024, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Regulation_Interconnectionj_6th_08072024_0.pdf.
[22] The Telecommunication (Broadcasting And Cable) Services Standards Of Quality Of Service And Consumer Protection (Addressable Systems) (Fourth Amendment) Regulations, 2024, TRAI, July 8, 2024, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Regulation_qos_4th_08072024_0.pdf.
[23] Consultation Paper on Review of Regulatory Framework for Broadcasting and Cable services, TRAI, August 8, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/CP_08082023_0.pdf.
[24] Civil Appeal (4056-4064 of 1999), Mineral Area Development Authority Etc versus M/S Steel Authority of India and Others, Supreme Court, July 25, 2024, https://api.sci.gov.in/supremecourt/1999/9012/9012_1999_1_1501_54138_Judgement_25-Jul-2024.pdf.
[25] Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1421/3/A1957-67.pdf.
[26] Entry 50, List II – State List, Seventh Schedule, Constitution of India, Legislative Department, Ministry of Law and Justice, https://lddashboard.legislative.gov.in/sites/default/files/COI...pdf.
[27] “Ministry of New and Renewable Energy issues scheme guidelines for implementation of Green Hydrogen under SIGHT Scheme (Mode 1 Tranche-II)”, Press Information Bureau, Ministry of New and Renewable Energy, July 5, 2024, https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2030958.
[28] “Tenders awarded for 4.12 lakh tonnes per annum of green hydrogen production and 1,500 MW per annum of electrolyser manufacturing under National Green Hydrogen Mission: Union Power and New & Renewable Energy Minister”, Press Information Bureau, Ministry of New and Renewable Energy, February 7, 24, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2003544#:~:text=The%20Union%20Minister%20for%20New,(SIGHT)%20Scheme%20(Mode%2D.
[29] 353/40/2023-NT, Scheme Guidelines For implementation of ‘Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition(SIGHT) Programme- Component II; Incentive scheme for Green Hydrogen Production(Mode 1)-Tranche-II” Of the National Green Hydrogen Mission, Ministry of New and Renewable Energy as accessed on July 26,2024, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2024/07/202407041145009350.pdf.
[30] 353/61/2023-NT, Scheme Guidelines for funding of testing facilities, infrastructure, and institutional support for development of Standards and Regulatory framework under the National Green Hydrogen Mission, Ministry of New and Renewable Energy (Hydrogen Division),2024, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2024/07/202407042082639305.pdf.
[31] National Green Hydrogen Mission, Ministry of New and Renewable Energy, January 2023, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2023/01/2023012338.pdf.
[32] G.S.R. 418 (E), The Environment (Protection) (Amendment) Rules, 2024, Draft Notification, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, July 18, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/255568.pdf.
[33] The Environment (Protection) Act, 1986, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1876/4/A1986-29.pdf.
[34] The Jan Vishwas (Amendment of Provisions) Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248047.pdf.
[35] Request for comments on draft revised Guidelines on Electric Vehicle Charging Infrastructure for EVs prepared by Ministry of Power, Ministry of Power, July 1, 2024, https://powermin.gov.in/sites/default/files/webform/notices/Request_for_comments_on_draft_revised_Guidelines_on_Electric_Vehicle_Charging_Infrastructure_for_EV.pdf.
[36] “Aatmanirbharta in defence: MoD notifies fifth Positive Indigenisation List of 346 items for DPSUs”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, July 16, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2033571.
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