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नवंबर 2025

पीडीएफ

इस अंक की मुख्य झलकियां

2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 8.2% 

वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्र ने 2025-26 की दूसरी तिमाही में सबसे ज़्यादा वृद्धि (10.2%) दर्ज की, इसके बाद सार्वजनिक सेवा (9.7%) और मैन्यूफैक्चरिंग (9.1%) का स्थान रहा।

चार श्रम संहिताएं लागू की गईं

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने चार श्रम संहिताओं को लागू करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है। संहिताओं से संबंधित नियम कुछ महीनों में अधिसूचित किए जाने की उम्मीद है।

कई क्षेत्रों में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश निरस्त या वापस लिए गए

ये बदलाव कई क्षेत्रों में किए गए हैं, जिसमें बिजली के उपकरण, धातु, स्टील और जरूरी रासायनिक इनपुट शामिल हैं।

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम, 2025 अधिसूचित

ये नियम डेटा फिड्यूशरी के दायित्वों के पालन और डेटा प्रिंसिपलों द्वारा अधिकारों के प्रयोग के तरीके को निर्दिष्ट करते हैं। ये नियम डेटा संरक्षण बोर्ड के गठन और कार्यप्रणाली के संबंध में भी विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं।

कैबिनेट ने निर्यात संवर्धन मिशन को मंज़ूरी दी

इस मिशन का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई को समर्थन प्रदान करना है। यह किफायती व्यापार वित्त और क्षमता निर्माण प्रदान करेगा। इस योजना के तहत पांच वर्षों में 25,060 करोड़ रुपए का अनुमानित व्यय होगा।

रेयर अर्थ मैग्नेट की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली योजना को मंजूरी

इस योजना का उद्देश्य भारत में प्रतिवर्ष 6,000 मीट्रिक टन रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट मैन्यूफैक्चरिंग की क्षमता सृजित करना है। सात वर्षों की अवधि में कुल 7,280 करोड़ रुपए का व्यय अनुमानित है।

सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति के संदर्भ पर अपनी राय दी

संदर्भ में 14 प्रश्न उठाए गए, जो मुख्यतः राष्ट्रपति और राज्यपालों द्वारा बिल को मंज़ूरी देने के संबंध में न्यायालय के अधिकार से संबंधित थे। न्यायालय ने कहा कि न्यायपालिका बिल की मंजूरी की समय-सीमा निर्धारित नहीं कर सकती।

सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट, 2021 के कुछ प्रावधानों को रद्द किया

इनमें ट्रिब्यूनल्स के चेयरपर्सन और सदस्यों की नियुक्ति के लिए पात्रता, नियुक्ति के तरीके और कार्यकाल की अवधि से संबंधित प्रावधान हैं।

ड्राफ्ट सीड्स बिल, 2025 पर टिप्पणियां आमंत्रित

बिल सीड्स एक्ट, 1966 का स्थान लेगा। यह बीज किस्मों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है और बीजों के व्यापार के रेगुलेशन का प्रावधान करता है। यह बीजों की ट्रेसेबिलिटी संबंधी मानदंडों को अपनाने को भी अनिवार्य बनाता है।

संसद की स्टैंडिंग कमेटियों ने समीक्षा के लिए विषयों को चिन्हित किया

विषयों में समग्र शिक्षा अभियान की समीक्षा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की सामर्थ्य और पहुंच, भारतीय रेल परिचालन में सुरक्षा सुनिश्चित करना, तथा रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों की आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण की समीक्षा शामिल है।

 

संसद

Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)

शीतकालीन सत्र 2025 शुरू     

संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर, 2025 से शुरू होने वाला है। यह सत्र 19 दिसंबर, 2025 तक चलेगा, जिसमें कुल 15 बैठकें होंगी।

इस सत्र में 10 बिल पेश करने के लिए सूचीबद्ध हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल, 2025, (ii) बीमा कानून (संशोधन) बिल, 2025, (iii) भारतीय उच्च शिक्षा आयोग बिल, 2025, (iv) परमाणु ऊर्जा बिल, 2025, और (v) राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) बिल, 2025। चंडीगढ़ को बिना विधानसभा वाले अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह मानने के लिए एक संविधान संशोधन बिल भी पेश किया जाएगा। एक अन्य बिल में लगभग 120 अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने का प्रावधान है।

दो लंबित बिल विचार और पारित होने के लिए सूचीबद्ध हैं: (i) इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता (संशोधन) बिल, 2025, और (ii) जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2025। ये बिल मनसून सत्र के दौरान पेश किए गए थे। लोकसभा की सिलेक्ट कमिटीज़ इनकी समीक्षा कर रही हैं। 2025-26 के लिए अनुपूरक मांगों का पहला बैच भी प्रस्तुत किया जाएगा और उन पर मतदान होगा।

शीतकालीन सत्र के लेजिसलेटिव एजेंडा के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें ।

 

मैक्रोइकोनॉमिक विकास

2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 8.2% 

Shania Ali (shania@prsindia.org)

2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) (स्थिर मूल्यों पर) 2024-25 की इसी अवधि के मुकाबले 8.2% बढ़ा।[1] 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 5.6% बढ़ी थी। 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी के 7.8% बढ़ने का अनुमान है।

रेखाचित्र 1: 2011-12 के स्थिर मूल्यों पर जीडीपी की वृद्धि (प्रतिशत में, वर्ष-दर-वर्ष)

 image

स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।

आर्थिक क्षेत्रों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के संदर्भ में मापा जाता है। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्र ने 2025-26 की दूसरी तिमाही में सबसे अधिक वृद्धि (10.2%) दर्ज की, इसके बाद सार्वजनिक सेवा क्षेत्र (9.7%) और मैन्यूफैक्चरिंग (9.1%) का स्थान रहा।

तालिका 1: 2025-26 की दूसरी तिमाही में सभी क्षेत्रों में जीवीए में वृद्धि (प्रतिशत में, वर्ष-दर-वर्ष)

क्षेत्र

तिमाही 2

2023-24

2024-25

2025-26

कृषि

3.7%

4.1%

3.5%

खनन

4.1%

-0.4%

0.0%

मैन्यूफैक्चरिंग

17.0%

2.2%

9.1%

बिजली

11.7%

3.0%

4.4%

निर्माण

14.6%

8.4%

7.2%

व्यापार

5.4%

6.1%

7.4%

वित्तीय सेवाएं

8.3%

7.2%

10.2%

सार्वजनिक सेवाएं

8.9%

8.9%

9.7%

जीवीए

9.2%

5.8%

8.1%

सकल घरेलू उत्पाद

9.3%

5.6%

8.2%

स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।

कई क्षेत्रों में गुणवत्ता  नियंत्रण आदेश निलंबित या वापस ले लिए गए   

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

कई मंत्रालयों ने गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्यूसीओ) के प्रवर्तन को वापस ले लिया है या निलंबित कर दिया है। इन आदेशों के तहत उत्पादों के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निर्दिष्ट मानकों का पालन करना आवश्यक है। ये बदलाव बिजली, धातु, स्टील, रसायन और वस्त्र जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। बिजली के कई उपकरणों के लिए क्यूसीओ के प्रवर्तन को स्थगित कर दिया गया है, सिवाय उन उपकरणों के जिन पर पहले से ही अमल हो चुका है।[2] खान मंत्रालय ने एल्यूमीनियम और एल्यूमीनियम मिश्र धातु, तांबा, निकल, टिन इनगोट, परिष्कृत निकल, परिष्कृत जस्ता और प्राथमिक सीसा जैसे उत्पादों पर क्यूसीओ को वापस ले लिया है। [3], [4], [5], [6], [7], [8],[9] स्टील मंत्रालय ने निर्दिष्ट स्टील उत्पादों के लिए 55 क्यूसीओ के प्रवर्तन को निलंबित कर दिया है।[10] रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग ने पाइरीडीन, बीटा पिकोलाइन, एथिलीन ग्लाइकॉल और 100% पॉलिएस्टर स्पन ग्रे और सफेद धागे सहित रसायनों के लिए 14 क्यूसीओ को रद्द कर दिया है।[11] 

 

श्रम एवं रोजगार

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

चार श्रम संहिताएं लागू की गईं 

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने चार श्रम संहिताओं को प्रभावी करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की हैं: (i) मजदूरी संहिता, 2019, (ii) औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, (iii) सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, और (iv) व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020।[12] ये कारखाना एक्ट, 1948, न्यूनतम मजदूरी एक्ट, 1948, ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926, औद्योगिक विवाद एक्ट, 1947 और ग्रेच्युटी भुगतान एक्ट, 1972 सहित 29 श्रम कानूनों की जगह लेंगे। परिवर्तनों पर पीआरएस ब्रीफ के लिए यहां देखें। समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रम सचिव ने कहा है कि इन चार संहिताओं के तहत ड्राफ्ट नियम सार्वजनिक परामर्श के लिए फिर से जारी किए जाएंगे।[13]

ईपीएफ के साथ पिछले गैर-अनुपालन को रेगुलेट करने हेतु स्पेशल विंडो नामांकन योजना शुरू की गई 

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कर्मचारी नामांकन योजना, 2025 शुरू की है।[14] यह योजना उन पात्र श्रमिकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) कवरेज का विस्तार करने के लिए एक विशेष विंडो प्रदान करती है, जो जुलाई 2017 और अक्टूबर 2025 के बीच पहले नामांकित नहीं थे। यह सभी क्षेत्रों में लागू होता है और इसका उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा कवरेज को व्यापक बनाना और पिछले गैर-अनुपालन को रेगुलेट करना है।

नियोक्ता स्वेच्छा से पात्र कर्मचारियों को नामांकित कर सकते हैं। कर्मचारी का ईपीएफ हिस्सा जुलाई 2017 और अक्टूबर 2025 के बीच की अवधि के लिए माफ कर दिया जाएगा। हालांकि नियोक्ताओं को ब्याज, प्रशासनिक शुल्क और 100 रुपए के निश्चित जुर्माने के साथ अपना हिस्सा जमा करना होगा। पिछले गैर-अनुपालन के लिए पहले से ही जांच के दायरे में आने वाले नियोक्ता भी पात्र होंगे, हर्जाना 100 रुपए तक सीमित होगा। कवर की गई अवधि के लिए ईपीएफओ द्वारा कोई स्वतः संज्ञान कार्रवाई नहीं की जाएगी।

तेल खदानों के सुरक्षा नियमों का ड्राफ्ट सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी    

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने तेल खदानों में सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संबंधी नियमों के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां मांगी हैं।[15] ये नियम व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 के तहत बनाए गए हैं।[16] मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • प्रशासनिक आवश्यकताएं: खदानों के मालिक, एजेंट या प्रबंधक को खदान छोड़ने, बंद करने, कुछ दिनों के लिए बंद करने या फिर से खोलने से कम से कम 30 दिन पहले इसकी सूचना देनी होगी। स्वामित्व बदलने की स्थिति में भी सूचना देना आवश्यक है। रेगुलेशंस प्रबंधकों और सक्षम व्यक्तियों सहित विभिन्न नियुक्तियों के लिए योग्यताएं निर्दिष्ट करते हैं।

  • प्रबंधन के कर्तव्य: मालिकों को एक सुरक्षा प्रबंधन योजना बनानी होगी जिसमें खतरे की पहचान, जोखिम मूल्यांकन, नियंत्रण उपाय और आवधिक समीक्षा शामिल हो। ठेकेदारों को प्रशिक्षण सुनिश्चित करने, खतरों के बारे में जानकारी प्रदान करने और उपकरणों को दुरुस्त रखने की ज़िम्मेदारी दी गई है।

  • जोखिम प्रबंधन: मालिकों को परिचालन, औद्योगिक और प्राकृतिक आपदाओं के लिए साइट-विशिष्ट आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाएं तैयार करनी होंगी। आग, विस्फोट और जहरीली गैस जैसे कुछ उच्च जोखिम वाले खतरों के लिए विशिष्ट जोखिम प्रबंधन योजनाओं की आवश्यकता होती है। खतरनाक ऑपरेशन जैसे फ्रैक्चरिंग, एसिडाइजिंग, टैंकर संचालन के लिए ज़रूरी प्री-टेस्टिंग, एक्सक्लूज़न ज़ोन और खास इक्विपमेंट के साथ अधिकृत निगरानी में किए जाने चाहिए।

  • पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय: नियम जलाशयों में बिना ट्रीटमेंट वाले तरल डालने पर रोक लगाते हैं। फ्लेयर सिस्टम में लगातार आग जलती रहनी चाहिए। खदानों को प्रोसेस एरिया और कंप्रेसर हाउस में लगातार हाइड्रोकार्बन गैस डिटेक्शन और अलार्म सिस्टम लगाना होगा।

टिप्पणियां 10 जनवरी, 2026 तक आमंत्रित हैं।

 

 सूचना प्रौद्योगिकी  

Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)

 डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम, 2025 को अधिसूचित किया गया   

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम, 2025 को अधिसूचित किया है।[17] ये नियम डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के तहत जारी किए गए हैं।[18] नियम विभिन्न प्रावधानों के लिए अलग-अलग समय-सीमाएं निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिए, डेटा संरक्षण बोर्ड से संबंधित नियम तुरंत प्रभावी होंगे। डेटा फ़िड्यूशरीज़ के डेटा प्रोसेसिंग संबंधी दायित्व प्रकाशन के 18 महीने बाद प्रभावी होंगे। नियमों की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • डेटा प्रोसेसिंग की सामान्य जिम्मेदारियां: एक्ट के तहत डेटा फ़िड्यूशरी को पर्सनल डेटा प्रोसेस करने से पहले एक नोटिस जारी करना होगा, सहमति वापस लेने की सुविधा देनी होगी, डेटा ब्रीच की रिपोर्ट करनी होगी, और जब ज़रूरत न हो तो डेटा मिटाना होगा, जब तक कि कानून अन्यथा प्रावधान न करे। इसके अलावा, महत्वपूर्ण डेटा फ़िड्यूशरी को एक्ट के पालन की समीक्षा के लिए ऑडिट से गुज़रना होगा। डेटा फ़िड्यूशरी एक ऐसी एंटिटी होती है जो पर्सनल डेटा इकट्ठा और प्रोसेस करती है। [19] नियम बताते हैं कि डेटा फिड्यूशरी द्वारा संबंधित लोगों को दिए जाने वाले नोटिस में जमा किए गए डेटा की लिस्ट होनी चाहिए, जमा करने का उद्देश्य और सहमति वापस लेने की प्रक्रिया स्पष्ट होनी चाहिए। कुछ डेटा फिड्यूशरी (जैसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां) को अपना डेटा मिटाने से पहले लोगों को बताना होगा। महत्वपूर्ण डेटा फिड्यूशरी के लिए ऑडिट हर 12 महीने में किया जाना चाहिए।

  • बच्चों के डेटा की प्रोसेसिंग: डेटा फ़िड्यूशरीज़ को डेटा प्रोसेसिंग से पहले बच्चे के माता-पिता से सत्यापन योग्य सहमति प्राप्त करने के लिए उचित उपाय करने होंगे। नियमों में निर्दिष्ट किया गया है कि माता-पिता वयस्क होने चाहिए और इसका सत्यापन निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है: (i) फ़िड्यूशरीज़ के पास उपलब्ध विश्वसनीय पहचान विवरण, (ii) स्वेच्छा से प्रदान की गई जानकारी, या (iii) किसी अधिकृत संस्था द्वारा जारी डिजिटल टोकन। हेल्थकेयर प्रोफ़ेशनल, शैक्षणिक संस्थानों और चाइल्डकेयर प्रदाताओं को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए सहमति की शर्तों से छूट दी गई है।

  • डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड: एक्ट कुछ कार्यों के लिए एक बोर्ड बनाता है, जैसे कंसेंट मैनेजर का पंजीकरण, पूछताछ करना और लोगों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई करना। नियम बताते हैं कि बोर्ड के सदस्यों को सर्च-कम-सिलेक्शन कमिटी के सुझावों पर नियुक्त किया जाएगा। नियम बोर्ड के सदस्यों की सेवा की शर्तें भी बताते हैं।

 

वाणिज्य एवं उद्योग

Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)

कैबिनेट ने निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को मंजूरी दे दी है।[20] इस मिशन का उद्देश्य भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को मज़बूत करना है, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), पहली बार निर्यात करने वाले निर्यातकों और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए। मिशन के तहत प्राथमिकता वाले प्रमुख क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वस्त्र, (ii) चमड़ा, (iii) रत्न एवं आभूषण, (iv) इंजीनियरिंग वस्तुएं, और (v) समुद्री उत्पाद। इसमें 2025-26 और 2030-31 के बीच कुल अनुमानित परिव्यय 25,060 करोड़ रुपए होगा। इसकी दो उप-योजनाएं होंगी:

  • निर्यात प्रोत्साहन: इसका उद्देश्य कई तरीकों से एमएसएमईज़ के लिए सस्ते वित्त पोषण तक पहुंच को बेहतर बनाना है, जैसे: (i) ब्याज पर सबसिडी, (ii) इनवॉइस फाइनांसिंग, (iii) कोलेट्रल गारंटी, (iv) ई-कॉमर्स निर्यात के लिए क्रेडिट कार्ड, और (v) नए मार्केट में विविधीकरण के लिए क्रेडिट बढ़ाने में मदद।

  • निर्यात दिशा: इसका उद्देश्य गैर-वित्तीय सहायता के माध्यम से निर्यातकों की बाजार तत्परता को मजबूत करना है, जैसे: (i) अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडिंग के लिए सहायता, (ii) निर्यात भंडारण और लॉजिस्टिक्स, (iii) निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, (iv) अंतर्देशीय परिवहन प्रतिपूर्ति, और (v) व्यापार विश्लेषण और क्षमता निर्माण पहल।

  रेयर अर्थ मैग्नेट की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली योजना को मंजूरी   

केंद्रीय कैबिनेट ने सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (आरईपीएम) की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक योजना को मंजूरी दी है।[21] इस योजना का उद्देश्य भारत में रेयर अर्थ ऑक्साइड को परिष्कृत आरईपीएम में प्रोसेस करने वाली एकीकृत इकाइयों को सहयोग देकर प्रति वर्ष 6,000 मीट्रिक टन आरईपीएम निर्माण क्षमता सृजित करना है। आरईपीएम के कुछ उपयोग इस प्रकार हैं: (i) इलेक्ट्रिक वाहन, (ii) अक्षय ऊर्जा, (iii) इलेक्ट्रॉनिक्स, (iv) एयरोस्पेस, और (v) डिफेंस एप्लिकेशन। इस योजना का कुल परिव्यय 7,280 करोड़ रुपए है। यह योजना सात वर्षों तक चलेगी, जिसमें दो वर्ष की जेस्टेशन अवधि भी शामिल है।

जियोग्राफिकल इंडिकेशन लोगो से संबंधित ड्राफ्ट दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) लोगो के उपयोग के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[22] जीआई एक ऐसा संकेत होता है जिसमें पंजीकृत नाम या कोई भी चिह्न शामिल होता है और जो किसी विशेष स्थान से आने वाली और उस भौगोलिक स्थान के कारण विशेष गुण या प्रतिष्ठा वाली वस्तुओं की पहचान कराता है। ये दिशानिर्देश वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण एवं संरक्षण) एक्ट, 1999 के तहत जारी किए गए हैं।[23] दिशानिर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि यदि उत्पाद निर्दिष्ट उत्पादन मानकों को पूरा नहीं करते हैं, या भ्रामक तरीके से प्रस्तुत किए जाते हैं, तो जीआई नाम या लोगो का उपयोग नहीं किया जा सकता है। कच्चे माल के रूप में जीआई उत्पादों का उपयोग करके बनाए गए प्रसंस्कृत उत्पादों पर भी जीआई लोगो का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

टिप्पणियां 18 दिसंबर, 2025 तक आमंत्रित हैं।

भारत और इज़राइल ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लिए टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस पर हस्ताक्षर किए

भारत और इज़राइल ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पर बातचीत शुरू करने के लिए टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस पर हस्ताक्षर किए।[24] टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस में एफटीए का दायरा और प्रक्रिया निर्दिष्ट की जाती है। सरकार के मुताबिक, प्रस्तावित एग्रीमेंट से उम्मीद है कि: (i) सामान के लिए मार्केट एक्सेस बढ़ेगा, (ii) निवेश आसान होगा, और (iii) वस्तु और सेवा, दोनों क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

 

वित्त

Shania Ali (shania@prsindia.org)

आरबीआई ने निर्यातकों के लिए राहत उपायों की घोषणा की

वैश्विक समस्यों के मद्देनजर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने निर्यात संबंधी प्रभावों को कम करने के लिए राहत उपायों की घोषणा की।[25] ये उपाय तुरंत लागू होंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • समय सीमा का विस्तार: विदेशी मुद्रा प्रबंधन (वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात) रेगुलेशन, 2015 में निम्नलिखित के लिए संशोधन किया गया है: (i) निर्यात आय की वसूली और प्रत्यावर्तन की अवधि को निर्यात की तिथि से नौ महीने से बढ़ाकर 15 महीने करना, और (ii) अग्रिम भुगतान के विरूद्ध माल के शिपमेंट की अवधि को अग्रिम भुगतान प्राप्त होने की तिथि से एक वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष करना या समझौते के अनुसार, जो भी बाद में हो।[26] 

  • ऋण सेवा का बोझ कम करना: आरबीआई ने कुछ वस्तुओं के निर्यात में लगे उधारकर्ताओं के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (व्यापार राहत उपाय) निर्देश, 2025 की घोषणा की है।[27] इनमें मछली, कपड़ा, कीमती या अर्ध-कीमती आभूषण और चमड़े से बने सामान शामिल हैं। पात्र उधारकर्ताओं के पास 31 अगस्त 2025 तक एक बकाया निर्यात ऋण सुविधा होनी चाहिए और उन सुविधाओं का भुगतान नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे उधारकर्ता 1 सितंबर 2025 और 31 दिसंबर 2025 के बीच देय सभी ऋण भुगतानों पर मोराटोरियम के पात्र होंगे। मोराटोरियम भुगतान में एक अस्थायी विराम को कहा जाता है। कार्यशील पूंजी ऋण के मामले में, ऋणदाता अधिकतम राशि बढ़ा सकते हैं जो उधारकर्ता निकाल सकता है। कार्यशील पूंजी से तात्पर्य किसी व्यवसाय द्वारा अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को चलाने के लिए आवश्यक राशि से है इसके अलावा 31 अगस्त, 2025 तक लिए गए ऋण के लिए, अगर निर्यातक सामान शिप नहीं कर पाता है, तो लेनदार दूसरे स्रोत से ऋण चुकाने की इजाज़त दे सकते हैं, जैसे कि देश में सामान बेचकर या किसी दूसरे निर्यात ऑर्डर से मिली रकम का इस्तेमाल करके।

 

कानून एवं न्याय

Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)

बिल्स पर राज्यपाल की स्वीकृति के संबंध में राष्ट्रपति के संदर्भ पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी राय दी

सर्वोच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मई 2025 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा किए गए 16वें संदर्भ पर अपनी राय दी।[28] इस संदर्भ में 14 प्रश्न उठाए गए थे, जो मुख्यतः राष्ट्रपति और राज्यपालों द्वारा बिल्स को मंज़ूरी देने के संबंध में न्यायालय के अधिकार से संबंधित थे। यह संदर्भ अप्रैल 2025 में सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद आया था। इस फैसले में न्यायालय ने कहा था कि संविधान राज्यपाल को अनिश्चित काल तक मंज़ूरी रोकने की अनुमति नहीं देता है।[29] न्यायालय ने बिल को स्वीकृति देने, पुनर्विचार के लिए लौटाने, या राष्ट्रपति को भेजने के संबंध में राज्यपालों के लिए कुछ समय-सीमाएं निर्धारित की थीं। उसने तमिलनाडु में राज्यपाल के पास लंबित कुछ बिल्स को स्वीकृत मान लिया था।

राष्ट्रपति के संदर्भ के जवाब में, न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत, राज्यपाल के पास बिल के संबंध में तीन विकल्प हैं: (i) अनुमति देना, (ii) बिल को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखना, और (iii) अनुमति रोककर बिल को टिप्पणियों के साथ विधानमंडल को लौटा देना (मनी बिल के अलावा अन्य बिल के लिए)। अनुच्छेद 200 के तहत अपने कार्यों के निर्वहन के लिए, राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह से बाध्य नहीं हैं। ये कार्य न्यायोचित भी नहीं हैं, अर्थात इनकी न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती। केवल लंबे समय तक निष्क्रियता की स्थिति में ही न्यायालय राज्यपाल को अपने कार्यों के निर्वहन हेतु सीमित निर्देश जारी कर सकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि संवैधानिक रूप से निर्धारित समय-सीमा के अभाव में न्यायालय के लिए न्यायिक रूप से समय-सीमा निर्धारित करना उचित नहीं होगा। इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि संविधान 'मान्य सहमति' की अवधारणा की अनुमति नहीं देता। न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की विधायी भूमिका का स्थान कोई अन्य संवैधानिक प्राधिकारी नहीं ले सकता।

सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट, 2021 के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया 

सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट, 2021 के कुछ नियमों को रद्द कर दिया।[30] यह एक्ट ट्रिब्यूनल्स के सदस्यों की नियुक्तियों के तरीके और सेवा की शर्तों को निर्दिष्ट करता है। न्यायालय ने कहा कि ये प्रावधान ट्रिब्यूनल सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा की शर्तें) अध्यादेश, 2021 से पुनः लागू किए गए थे और जुलाई 2021 में पहले ही निरस्त कर दिए गए थे। ये नियुक्तियों के लिए पात्रता, चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया और कार्यकाल की अवधि से संबंधित हैं। न्यायालय ने इन प्रावधानों को न्यायिक स्वतंत्रता और शक्तियों के पृथक्करण को कमजोर करने वाला माना।

उसने केंद्र सरकार को न्यायालय द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार चार महीने के भीतर एक राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल आयोग स्थापित करने का भी निर्देश दिया। इनमें कार्यपालिका के नियंत्रण से स्वतंत्रता, पेशेवर विशेषज्ञता, पारदर्शी प्रक्रियाएं और जनता के विश्वास को मजबूत करने वाला निगरानी तंत्र शामिल हैं।

 

पर्यावरण

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

स र्वोच्च न्यायालय ने पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरियों की वैधता बरकरार रखी

पहले के एक फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि असाधारण परिस्थितियों में पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) दी जा सकती है।[31] इसके अलावा उसने यह भी माना कि पर्यावरण संरक्षण एक्ट, 1986 असाधारण मामलों में इस पर प्रतिबंध नहीं लगाता। ये मंजूरियां पर्यावरण संरक्षण एक्ट, 1986 और पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006 के तहत जारी की जाती हैं।[32],[33] पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) में प्रावधान है कि कुछ परियोजनाओं या गतिविधियों के लिए केंद्र, राज्य या जिला स्तर पर संबंधित रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ से पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) की आवश्यकता होगी।

मार्च 2017 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उन परियोजनाओं या गतिविधियों के लिए पूर्वव्यापी मंज़ूरी प्रदान करने हेतु एक अधिसूचना जारी की थी जिन्होंने साइट पर काम शुरू कर दिया था, पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) की सीमा से आगे उत्पादन का विस्तार किया था या पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त किए बिना उत्पादन मिश्रण में बदलाव किया था। मई 2025 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि 2017 की अधिसूचना के तहत पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी देने की अवधारणा अवैध थी।[34] न्यायालय ने माना था कि पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी देना पर्यावरण कानूनों और पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के विरुद्ध है।

अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले को वापस ले लिया है और 2017 की अधिसूचना को वैध माना है। न्यायालय ने आगे स्पष्ट किया है कि 2017 की अधिसूचना केवल 14 मार्च, 2017 तक मौजूद उल्लंघनों पर ही लागू होगी।

 

कृषि

Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)

ड्राफ्ट सीड्स बिल 2025 पर टिप्पणियां आमंत्रित  

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने ड्राफ्ट सीड्स बिल, 2025 पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[35] यह बिल सीड्स एक्ट, 1966 की जगह लेगा।[36], [37] इसका उद्देश्य नकली और घटिया बीजों की बिक्री पर अंकुश लगाना, आयात को उदार बनाना, किसानों के अधिकारों की रक्षा करना और व्यापार को आसान बनाना है। इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • केंद्रीय बीज समिति: केंद्र सरकार एक केंद्रीय बीज समिति (सीएससी) का गठन करेगी। सीएससी में एक अध्यक्ष और 27 सदस्य होंगे। सीएससी केंद्र और राज्य सरकारों को बीज पंजीकरण, प्रमाणन और परीक्षण के मानकों पर सलाह देगी। केंद्र सरकार, सीएससी के सुझाव पर, बीज के जर्मिनेशन, जेनेटिक प्योरिटी, हेल्थ और इंडियन मिनिमम सीड सर्टिफिकेशन स्टैंडर्ड की न्यूनतम सीमाएं अधिसूचित करेगी।

  • बीज की किस्मों का पंजीकरण: किसानों द्वारा उत्पादित किस्मों और निर्यात के लिए उत्पादित किस्मों को छोड़कर, किसी भी किस्म के बीज की बिक्री के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। सीएससी एक पंजीकरण उप-समिति का गठन करेगी। यह उप-समिति बीज किस्मों के पंजीकरण पर सीएससी को सुझाव देगी। राज्य बीज समितियां, राज्य बीज किस्मों के पंजीकरण पर पंजीकरण उप-समिति को सलाह देंगी। केंद्र सरकार कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी को रजिस्ट्रार नियुक्त करेगी, जो बीज किस्मों के राष्ट्रीय रजिस्टर का प्रबंधन करेगा। 1966 के एक्ट के तहत अधिसूचित किस्में पंजीकृत मानी जाएंगी। सीएससी के पास पंजीकरण को निलंबित या रद्द करने का अधिकार होगा। सीएससी के निर्णयों और पंजीकरण उप-समिति के आदेशों के विरुद्ध सीएससी में अपील की जा सकती है।

  • बीज के व्यापार का रेगुलेशन: बीज उत्पादकों, बीज प्रसंस्करण इकाइयों, बीज विक्रेताओं, वितरकों और पौध नर्सरियों को राज्य सरकार के साथ पंजीकरण कराना होगा। बीज व्यापार में सभी भागीदार बीज ट्रेसेबिलिटी मानदंडों को अपनाएंगे। सभी बीज कंटेनरों में आवश्यक विवरण और एक केंद्रीकृत बीज ट्रेसेबिलिटी पोर्टल के माध्यम से उत्पन्न एक क्यूआर कोड होगा। केंद्र सरकार कई राज्यों में कार्यरत कंपनियों के लिए एक केंद्रीय मान्यता प्रणाली स्थापित करेगी। ये मान्यता प्राप्त कंपनियां सभी राज्यों में पंजीकृत मानी जाएंगी। केंद्र सरकार को बीजों की कमी और असामान्य मूल्य वृद्धि की स्थिति में बीजों के विक्रय मूल्य को रेगुलेट करने का अधिकार होगा।

11 दिसंबर, 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।

 

स्टील 

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना का तीसरा दौर शुरू हुआ  

स्टील मंत्रालय ने स्पेशलिटी स्टील के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का तीसरा दौर शुरू किया है।[38] स्पेशलिटी स्टील एक तैयार स्टील है जिसे कोटिंग, प्लेटिंग या हीट ट्रीटमेंट जैसे प्रोसेस से बेहतर बनाया जाता है।[39] इसका इस्तेमाल उन क्षेत्रों में किया जाता है जिन्हें खास प्रॉपर्टीज़ की ज़रूरत होती है, जैसे डिफेंस, स्पेस और पावर। इस योजना का उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और निर्यात पर निर्भरता कम करना है। योजना के तीसरे दौर में कुल अनुमानित खर्च 6,322 करोड़ रुपए है और इसका लक्ष्य 26 मिलियन टन और स्पेशलिटी स्टील क्षमता हासिल करना है।

इस योजना में 22 उत्पाद उप-श्रेणी शामिल होंगी, जिसमें स्ट्रेटेजिक स्टील ग्रेड और कोटेड या वायर प्रोडक्ट शामिल हैं। सिर्फ़ भारत में रजिस्टर्ड और प्रोडक्ट की एंड-टू-एंड मैन्यूफैक्चरिंग में लगी कंपनियां ही पात्र हैं। उत्पाद श्रेणी के आधार पर इंसेंटिव इंक्रीमेंटल सेल्स के 4% से 15% तक होंगे। लाभ 2025-26 से शुरू होकर पांच साल तक मिलेंगे। 

रक्षा

Shania Ali (shania@prsindia.org)

डीआरडीओ और डीजीए ने सहयोग के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और फ्रांस के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ आर्मामेंट्स (डीजीए) ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास में सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।[40] यह समझौता रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अनुसंधान एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों, परीक्षण गतिविधियों और सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु एक औपचारिक रूपरेखा प्रदान करता है। इसके अलावा, दोनों देशों को एयरोनॉटिकल प्लेटफॉर्म, मानवरहित वाहन, साइबर सुरक्षा और उन्नत सेंसर जैसे क्षेत्रों में उपकरणों, तकनीकी जानकारी और प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण उपलब्ध होगा।

 

ऊर्जा

Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)

कोयला आधारित प्लांट में बायोमास की को-फायरिंग के संबंध में नीति

बिजली मंत्रालय ने कोयला चालित थर्मल प्लांट्स में को-फायरिंग के लिए बायोमास पेलेट्स के इस्तेमाल से संबंधित एक परिवर्तित नीति जारी की है।[41] को-फायरिंग का मतलब है, एक ही पावर प्लांट में दो या दो से ज़्यादा अलग-अलग ईंधन को एक साथ जलाकर बिजली बनाना। इस नीति की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • एमएसडब्ल्यू-बेस्ड टोरेफाइड चारकोल को शामिल करना: पहले की नीति में मुख्य रूप से कृषि-अवशिष्टों से बने बायोमास पेलेट्स की को-फायरिंग ज़रूरी थी।[42],[43] नई नीति में म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) से बने टोरेफाइड चारकोल को कोयला चालित थर्मल पावर प्लांट में को-फायरिंग के लिए एक पात्र ईंधन के तौर पर शामिल किया गया है। टोरेफाइड चारकोल एमएसडब्ल्यू जैसे बायोमास को कम ऑक्सीजन वाले माहौल में गर्म करके बनाया जाता है।

  • एनसीआर प्लांट्स के लिए अलग-अलग लक्ष्य: नई नीति वित्तीय वर्ष 2025-26 से क्षेत्र आधारित नियम लागू करती है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के प्लांट्स को 5% बायोमास पेलेट्स के साथ-साथ 2% बायोमास पेलेट्स और/या एमएसडब्ल्यू-बेस्ड टोरेफाइड चारकोल (वज़न के हिसाब से) का इस्तेमाल करना होगा। एनसीआर के बाहर के प्लांट्स को कम से कम 5% बायोमास पेलेट्स और/या एमएसडब्ल्यू -बेस्ड टोरेफाइड चारकोल को को-फायर करना होगा।

  • फसल अवशिष्टों का उपयोग: एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में स्थित प्लांट्स के लिए, बायोमास पेलेट्स में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल का कम से कम 50% हिस्सा अब एनसीआर और आसपास के जिलों से प्राप्त चावल या फसल अवशेष होना चाहिए। पिछली नीतियों में यह शर्त मौजूद नहीं थी।

 

अनुलग्नक

संसद ने अपनी कुछ विभागीय स्थायी समितियों का गठन किया है। समितियों द्वारा 2025-26 में समीक्षा के लिए चिन्हित विषय निम्न हैं।

शिक्षा, महिलाएं, बच्चे, युवा एवं खेल

शिक्षा मंत्रालय

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग

1

समग्र शिक्षा और प्रधानमंत्री पोषण योजना की समीक्षा

2

केंद्रीय विद्यालयों (केवी) और जवाहर नवोदय विद्यालयों (जेएनवी) के विस्तार की आवश्यकता और व्यवहार्यता की समीक्षा

3

उभरते भारत के लिए प्रधानमंत्री विद्यालय (पीएम-श्री) की समीक्षा

4

स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के कार्यान्वयन की समीक्षा

5

केंद्र सरकार द्वारा स्कूलों को दिए गए अनुदानों और स्कूलों द्वारा ऐसे अनुदानों के उपयोग की समीक्षा

6

स्कूली शिक्षा में स्कूल स्तर और बोर्ड स्तर पर सतत मूल्यांकन को समर्थन देने के प्रयासों की समीक्षा

7

प्रत्येक राज्य में सरकारी अधिकारियों द्वारा निजी स्कूलों को मान्यता देने के लिए अपनाए गए दिशानिर्देशों की समीक्षा

8

दिव्यांग बच्चों (सीडब्ल्यूडी) की शिक्षा के लिए उठाए गए कदमों और कार्यान्वयन में योजनाओं की समीक्षा

9

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के सार्वभौमिकरण के प्रयासों की समीक्षा

10

स्कूल बंद होने के संबंध में वर्तमान पद्धतियों और नीतियों की समीक्षा

11

स्कूली विद्यार्थियों और साक्षर वयस्कों के लिए पुस्तकालय तक पहुंच को लोकप्रिय बनाने के लिए वर्तमान पद्धतियों और नीतियों की समीक्षा

12

निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) एक्ट, 2009 की समीक्षा और आवश्यक सुधार 

13

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के कामकाज और निष्पादन की समीक्षा

14

भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों की शिक्षा को बढ़ावा देने वाले विभाग के प्रयासों की समीक्षा

उच्च शिक्षा विभाग

1

प्रतियोगी परीक्षाओं में विद्यार्थियों की सहायता के लिए कोचिंग केंद्रों के प्रसार, इससे उत्पन्न होने वाले सामाजिक मुद्दों और इस विषय पर मौजूदा कानून की समीक्षा

2

उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण

3

उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के प्रयासों की समीक्षा

4

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा

5

उच्च शिक्षा और अनुसंधान में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए विभाग के प्रयासों की समीक्षा

6

उच्च शिक्षा में गांधीवादी विचारों और मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए विभाग के प्रयासों की समीक्षा

7

धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभाग के प्रयासों की समीक्षा

8

भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (एचईसीआई) के गठन हेतु विभाग के प्रयासों की समीक्षा

9

केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित और समर्थित उच्च शिक्षा संस्थानों के कामकाज की समीक्षा

10

केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित और समर्थित उच्च शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों और संकाय पदों पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण के कार्यान्वयन की समीक्षा

11

उच्च शिक्षा संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में एचईएफए और यूजीसी की भूमिका की समीक्षा

12

केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित और समर्थित उच्च शिक्षा संस्थानों में व्यावसायिक विकास और प्लेसमेंट के अवसरों की समीक्षा

13

विद्यार्थियों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का प्रभाव और उनके लिए उभरती प्रौद्योगिकी का लाभ

14

भारत-वैज्ञानिक शैक्षणिक परंपराओं का अध्ययन और वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर उसका प्रभाव

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

1

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के कार्यान्वयन की समीक्षा

2

सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजना की समीक्षा

3

बच्चों के लिए पीएम केयर्स योजनाओं की समीक्षा

4

बाल शोषण की रोकथाम और समाधान के प्रयासों की समीक्षा

5

मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य की समीक्षा

6

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के स्वायत्त निकायों के कामकाज और प्रदर्शन की समीक्षा

7

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) एक्ट, 2013: अनौपचारिक नौकरियों सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में कार्यान्वयन

8

महिलाओं और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के समर्थन के प्रयासों की समीक्षा

9

पोषण भी पढ़ाई भी और प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के सार्वभौमिकरण हेतु अन्य योजनाओं की समीक्षा

युवा मामले एवं खेल मंत्रालय

युवा मामले विभाग

1

युवा मामले विभाग

2

राष्ट्रीय युवा नीति, 2021 की समीक्षा: स्थिति और दृष्टिकोण

3

युवाओं में नशीली दवाओं और शराब के सेवन के रुझानों की समीक्षा और प्रसार को रोकने के उपाय

4

राष्ट्रीय सेवा योजना और उसके कामकाज और वित्तपोषण की समीक्षा

5

नेहरू युवा केंद्र संगठन और उसके कामकाज की समीक्षा

6

युवाओं के लिए प्रौद्योगिकी और इंटरनेट तक पहुंच में सुधार के प्रयासों की समीक्षा

7

युवा और किशोर विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम की समीक्षा

8

नौकरियों के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास की समीक्षा

9

राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान (आरजीएनआईवाईडी) के प्रदर्शन और कामकाज की समीक्षा

 

खेल विभाग

1

खेलों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु तंत्र की समीक्षा

2

राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) में प्रबंधन और प्रशासन की समीक्षा

3

ग्रामीण एवं स्वदेशी खेलों तथा ग्रामीण खेल विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों की समीक्षा

4

कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) सहित खेल अवसंरचना और सुविधाओं के विकास में निवेश हेतु निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने के प्रयासों की समीक्षा

5

स्कूली शिक्षा के नियमित भाग के रूप में खेलों को शामिल करने हेतु वर्तमान तंत्र का मूल्यांकन

6

भारत में 2030 के राष्ट्रमंडल खेलों और 2036 के ओलंपिक खेलों की मेजबानी के प्रयासों की समीक्षा

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

1

सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं की सामर्थ्य और सुगमता

2

एम्स, नई दिल्ली का संचालन और स्वास्थ्य सेवा एवं उपचार प्राप्त करने में रोगियों के सामने आने वाली समस्याएं

3

वृद्धावस्था देखभाल और आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर केंद्रित आयुष्मान भारत का कार्यान्वयन

4

पूर्वोत्तर भारत में वेक्टर जनित रोगों का एक अध्ययन

5

मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण का प्रबंधन और संबंधित विधायी ढांचा

6

भारत में क्रोनिक किडनी रोग का प्रचलन - रोकथाम, निदान, उपचार और प्रबंधन

7

संबद्ध शिक्षा में शिक्षण संकाय की कमी: चिकित्सा शिक्षा में चुनौतियां

8

सिद्ध परिणामों के साथ किफायती कैंसर देखभाल में नवीनतम हस्तक्षेप

9

प्रमुख रोगों में निदान, उपचार और उपशामक देखभाल में वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान और विदेशी सहयोग

10

भारत में चिकित्सा शिक्षा सुविधाओं की पहुंच और सामर्थ्य- विदेशी सहयोग और वैश्विक तुलनात्मक मानक एवं परिप्रेक्ष्य

11

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत रेगुलेटरी संस्थानों की संगठनात्मक संरचना, अधिदेश और कार्यात्मक दक्षता

आयुष मंत्रालय

1

आयुष प्रणाली के माध्यम से जीवनशैली संबंधी रोगों की रोकथाम, निदान एवं उपचार और प्रबंधन

2

आयुष के अंतर्गत उपचार का प्रचार और लोकप्रियकरण

व्यापार

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

वाणिज्य कर विभाग

1

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों का मूल्यांकन

2

एमपीईडीए और एपीडा का कामकाज

3

विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) की नीति, रेगुलेशन, परिचालन ढांचे और प्रभाव का मूल्यांकन

4

विदेशी व्यापार समझौतों और द्विपक्षीय समझौतों की व्यापक समीक्षा

5

ई-मार्केट प्लेस/जेम पोर्टल के माध्यम से सरकारी खरीद में देश के कानून के अनुपालन का मुद्दा

6

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग

7

भारत में व्यापार करना: भविष्य का मार्ग

8

भारत की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के मुद्दे और चुनौतियां

9

सीमेंट उद्योग में भविष्य का दृष्टिकोण और विकास के अवसर

10

नागरिक विमानों के उत्पादन हेतु उद्योगों की स्थापना हेतु लाइसेंस जारी करना

11

आईआईएफटी, एनआईडी और फुटवियर डिज़ाइन एवं विकास संस्थान का मूल्यांकन

12

पीएम गति शक्ति का कार्यान्वयन: मल्टीमोडल कनेक्टिविटी के लिए मास्टरप्लान

रेलवे

रेल मंत्रालय

1

भारतीय रेल परिचालन में सुरक्षा सुनिश्चित करना

2

रेलवे भूमि का इष्टतम उपयोग

3

भारतीय रेलवे की विभिन्न विस्तार और उन्नयन परियोजनाओं की स्थिति और वित्तपोषण

4

भारतीय रेलवे के विकास और विस्तार में रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों की भूमिका

5

रेलवे स्टेशनों पर सार्वजनिक सुविधाओं में सुधार

6

भारतीय रेलवे में मानव संसाधन प्रबंधन

7

भारतीय रेलवे में पटरियों और सिग्नलिंग का उन्नयन

8

भारतीय रेलवे की माल ढुलाई से संबंधित आय में वृद्धि और समर्पित माल गलियारों का विकास

9

भारतीय रेलवे में यात्री आरक्षण प्रणाली

10

भारतीय रेलवे में ऑन-बोर्ड सेवाओं का मूल्यांकन

11

पूर्वोत्तर और केंद्र शासित प्रदेशों में रेल नेटवर्क का विस्तार

12

भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयों और रेलवे कार्यशालाओं का प्रदर्शन

13

रेलवे आधारित पर्यटन को बढ़ावा

14

भारत में हाई-स्पीड रेल नेटवर्क

15

मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक पार्कों के विकास और सड़क एवं बंदरगाह नेटवर्क के साथ उनके एकीकरण में भारतीय रेलवे की भूमिका

16

नवाचार और स्वदेशी स्रोतों के संवर्धन के माध्यम से भारतीय रेलवे को आत्मनिर्भर बनाना

17

भारतीय रेल नेटवर्क पर मैन्ड लेवल क्रॉसिंग को समाप्त करना

18

भारतीय रेलवे के मालवाहक बास्केट का विविधीकरण

19

भारतीय रेलवे के रोलिंग स्टॉक का उन्नयन और आधुनिकीकरण

20

भारतीय रेलवे की उपनगरीय और मेट्रो ट्रेन सेवाएं

21

भारतीय रेलवे में बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पहल

22

भारतीय रेलवे में ऊर्जा दक्षता

रक्षा

रक्षा मंत्रालय

1

सैनिक स्कूलों, राष्ट्रीय भारतीय सैन्य महाविद्यालय (आरआईएमसी) और राष्ट्रीय सैन्य विद्यालयों की समीक्षा

2

रणनीतिक स्थानों और सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कामकाज की समीक्षा

3

पूर्व सैनिकों (ईएसएम) के लिए पुनर्वास नीतियों, स्वास्थ्य सुविधाओं और अवसरों की समीक्षा

4

रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) की आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण की समीक्षा

5

डीपीएसयू द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) पहलों की समीक्षा और रक्षा कर्मियों/पूर्व सैनिकों (ईएसएम)/निकटतम परिजनों (नोके) के कल्याण हेतु उसके उपयोग की समीक्षा

6

देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय वायुसेना की भूमिका

7

देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय सेना की भूमिका

8

देश की समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय नौसेना की भूमिका

9

देश में तटीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय तटरक्षक बल के कामकाज की समीक्षा

10

कठिन और दूर-दराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात कर्मियों सहित सशस्त्र बलों के कर्मियों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं की भूमिका

11

'आत्मनिर्भरता' प्राप्त करने की दिशा में प्रमुख अनुसंधान पहलों सहित सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण का मूल्यांकन

12

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (ड़ीआरडीओ) के विभिन्न कार्यक्रमों और परियोजनाओं के उन्नयन की स्थिति

13

रक्षा संपदा संगठन द्वारा रक्षा भूमि का समेकन और छावनी बोर्डों का कामकाज

14

सशस्त्र बलों में निकटतम संबंधी (नोके) नीति का मूल्यांकन

15

सशस्त्र बलों के कर्मियों द्वारा मानवीय सहायता और बचाव कार्यों के लिए तत्परता का मूल्यांकन

16

रक्षा सेवाओं में शिकायत निवारण तंत्र

17

सशस्त्र बलों के कर्मियों के प्रशिक्षण की समीक्षा और मूल्यांकन

18

सशस्त्र बलों में लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाओं की नियुक्ति

कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू)

1

पीएम-किसान और फसल बीमा का कार्यान्वयन: प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण दक्षता, कवरेज अंतराल और शिकायत निवारण का मूल्यांकन

2

कृषि का डिजिटलीकरण: फसल नियोजन में डिजिटल कृषि मिशन, रिमोट सेंसिंग, एआई और आईओटी का प्रभाव

3

प्राकृतिक और पुनर्योजी खेती को बढ़ावा: जैविक/प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाली योजनाओं के परिणामों का आकलन

4

एपीएमसी और ई-नाम एकीकरण पर पुनर्विचार: कृषि विपणन सुधारों की स्थिति और अंतराल

5

मृदा स्वास्थ्य और इनपुट सबसिडी: उर्वरक सबसिडी और मृदा पोषक तत्व संतुलन का युक्तिकरण

6

खाद्य सुरक्षा और पोषण- उत्पादन, प्रसंस्करण और पोषण परिणामों के बीच संबंध

7

कृषि में एआई और डेटा शासन- डिजिटल प्लेटफॉर्म में किसान डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना

8

कृषि-ऋण और ऋणग्रस्तता: छोटे/सीमांत किसानों के लिए केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) और संस्थागत ऋण पहुंच की प्रभावशीलता

9

कृषि श्रमिक कल्याण: कल्याणकारी योजनाओं में कृषि श्रमिकों का समावेश; सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और बीमा कवरेज

10

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के एक घटक, प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) की कार्यनिष्पादन समीक्षा- संभावनाएं और चुनौतियां

11

भारत की कृषि-मूल्य श्रृंखलाओं की क्षमता का दोहन

12

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन की कार्यनिष्पादन समीक्षा

13

भविष्य में जैव ईंधन: देश में अक्षय ऊर्जा संक्रमण को आकार देने में किसानों की भूमिका

14

देश में कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा

15

कृषि और संबद्ध क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

16

देश में प्रमाणित बीजों का उत्पादन एवं उपलब्धता

17

देश में तिलहन और दलहन का उत्पादन एवं उपलब्धता

18

राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन

19

कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन

20

रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग का पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव- उनके उपयोग को युक्तिसंगत बनाने के उपाय

21

वैज्ञानिक एवं तकनीकी विधियों द्वारा फसल अवशेषों के प्रबंधन में किसानों और सरकार की भूमिका

22

स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट के सुझावों के कार्यान्वयन की स्थिति

23

किसानों की आय दोगुनी करने हेतु नीतियां और परियोजनाएं

24

वर्तमान कृषि सबसिडी की प्रभाव रिपोर्ट

25

जल संसाधन (भूजल सहित), सिंचाई प्रणाली, वर्षा आधारित, वाटरशेड कार्यक्रम और जल निकासी प्रबंधन हेतु नीतियां और परियोजनाएं

26

कृषि उपज के मूल्य निर्धारण हेतु नीति निर्माण

27

फसलों के विविधीकरण हेतु नीतियां

28

कृषि इनपुट्स का गुणवत्ता नियंत्रण

29

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद- एक समीक्षा

30

लघु एवं सीमांत किसानों के लिए कृषि मशीन उपकरण और अन्य उपकरणों पर जीएसटी का युक्तिकरण

31

मुख्य फसलों की उत्पादकता में वृद्धि- सरकारी पहल और उपाय

32

किसानों की आत्महत्या के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय कारणों की पहचान और आत्महत्याओं को रोकने के उपाय 

33

लघु एवं सीमांत किसानों को मनरेगा योजनाओं का लाभ प्रदान करना

34

कृषि उपज विपणन प्रणाली का विकास और संवर्धन

35

देश में पुष्प-कृषि को बढ़ावा- संभावनाएं और चुनौतियां

36

कृषि श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान

37

खस-खस (पोस्त के बीज) की खेती- संभावनाएं और चुनौतियां

38

कटाई के बाद नमी प्रबंधन और भंडारण के दौरान नमी की हानि का मानकीकरण

39

प्राकृतिक आपदाओं और अन्य आकस्मिक कारणों से होने वाले नुकसान के लिए काश्तकारों सहित किसानों को मुआवजा (केवल फसल बीमा योजना के तहत नहीं)

40

लघु एवं सीमांत किसानों और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसानों के लाभ के लिए नीतियां और प्रावधान

41

शहरीकरण, औद्योगीकरण और राष्ट्रीय राजमार्गों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कृषि भूमि के अंधाधुंध अधिग्रहण के कारण उपजाऊ भूमि में कमी- एक समीक्षा

कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग

1

जीनोम संपादन: देश में संभावनाएं और चुनौतियां

2

आदिवासी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कृषि अनुसंधान में आईसीएआर का योगदान

3

कटाई-पश्चात प्रबंधन में अनुसंधान और विकास

4

केंद्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर- एक निष्पादन समीक्षा

5

देश में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की भूमिका और निष्पादन मूल्यांकन

6

कृषि में प्रदूषण और मृदा में नाइट्रोजन की अक्षमता से निपटने के लिए अनुसंधान पहल और परियोजनाएं

7

भूजल संरक्षण हेतु जल-कुशल बीजों की किस्मों के विकास हेतु अनुसंधान

8

सभी सरकारी वित्तपोषित कृषि अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और आईसीएआर की निष्पादन समीक्षा

9

आनुवंशिक रूप से संशोधित, अभियांत्रिक, कृत्रिम और टर्मिनेटर बीजों के उपयोग संबंधी नीतियां- एक समीक्षा

मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय

मत्स्य पालन विभाग

1

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का कार्यान्वयन: प्रगति और निधियों का क्षेत्रीय वितरण

2

मछुआरा कल्याण योजनाएं: बीमा, आवास और सामाजिक सुरक्षा कवरेज

3

सतत समुद्री मत्स्य पालन: तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों का संरक्षण, गहरे समुद्र में मत्स्य पालन का विकास और रेगुलेशन

4

मत्स्य पालन क्षेत्र में अवसंरचना और कटाई-पश्चात प्रबंधन- ट्रसेबिलिटी की क्षमता में वृद्धि, मूल्यवर्धन और कौशल विकास

5

अंतर्देशीय जलीय कृषि और जलाशय मत्स्य पालन का विकास: मीठे जल में जलीय कृषि और क्लस्टर-आधारित विकास को बढ़ावा

6

स्मार्ट और एकीकृत मत्स्य पालन बंदरगाह - अवसंरचना संबंधी कमियों की प्रगति और आकलन तथा मछुआरों की आजीविका पर उनका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव

7

मत्स्य पालन क्षेत्र में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सहित सीमांत समुदायों के लाभ के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन

8

अवैध मत्स्य पालन को रोकने के उपाय

9

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछुआरों को प्रशिक्षण और विस्तार सुविधाओं में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) की भूमिका

10

समुद्री शैवाल की खेती का संवर्धन और विकास

पशुपालन और डेयरी विभाग

1

देशी नस्लों का आनुवंशिक सुधार: राष्ट्रीय गोकुल मिशन के परिणामों का आकलन

2

चारा और चारा सुरक्षा: साल भर चारा उपलब्धता सुनिश्चित करना और साइलेज तकनीक को बढ़ावा देना

3

डेयरी किसानों की आय दोगुनी करना: सहकारी बनाम निजी मॉडल का मूल्यांकन; दूध का मूल्य निर्धारण बनाम इनपुट लागत

4

दूध प्रसंस्करण और कोल्ड चेन अवसंरचना: प्रसंस्करण क्षमता में अंतराल और क्षेत्रीय असंतुलन की समीक्षा

5

भारतीय डेयरी की निर्यात क्षमता: भारतीय डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता, प्रमाणन और ब्रांडिंग के लिए नीतिगत समर्थन

6

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम: गोजातीय पशुओं में एफएमडी, ब्रुसेलोसिस और अन्य प्रचलित रोगों के नियंत्रण में प्रभावशीलता, साथ ही पशु चिकित्सा अवसंरचना की आवश्यकता

7

पशुपालन और डेयरी क्षेत्र में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सहित सीमांत समुदायों के लाभ के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन

8

पशुधन बीमा योजनाओं का मूल्यांकन

9

राष्ट्रीय पशुधन मिशन- एक मूल्यांकन

10

डेयरी क्षेत्र में पोषण और आजीविका की संभावनाएं- एक विश्लेषण

11

पशुधन के विकास के लिए नीतियां और परियोजनाएं- एक मूल्यांकन

12

डेयरी क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि- विभिन्न योजनाओं की समीक्षा

13

डेयरी उत्पादों में गुणवत्ता नियंत्रण का मूल्यांकन

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय

1

बाजरा, फल एवं सब्जी प्रसंस्करण को बढ़ावा देना: उत्पाद विविधीकरण के माध्यम से भारत की जी20 और अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (आईवाईएम) की विरासतों का समर्थन करना

2

भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास की संभावनाएं, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे, विविधीकरण और व्यापार सुगमता के संदर्भ में

3

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान को बढ़ावा देना और गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित करना- एफएसएसएआई की भूमिका

4

सहकारिताओं को बढ़ावा देना और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) तथा सहकारी समितियों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों से जोड़ना

5

पीएमएफएमई और मेगा फ़ूड पार्कों का कार्यान्वयन: प्रभावशीलता, बाधाओं और रोज़गार पर प्रभाव का मूल्यांकन

6

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सहित सीमांत समुदायों के लाभ के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का प्रभावी कार्यान्वयन

7

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अनुसंधान और विकास

सहकारिता मंत्रालय

1

बहुराज्यीय सहकारी समितियां: पारदर्शिता, आधुनिकीकरण और संचालन का डिजिटलीकरण

2

कृषि-विपणन और ऋण में सहकारी समितियां: ई-नाम और डिजिटल बैंकिंग से जुड़ने में पैक्स और जिला सहकारी समितियों की भूमिका

3

कृषि में सहकारी संघवाद: केंद्र-राज्य सहकारी संस्थाओं के बीच समन्वय

4

महिला एवं युवा सहकारी समितियां: कृषि सहकारी समितियों में समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देना

5

देश में सहकारी समितियों के विकास हेतु प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों की निष्पादन समीक्षा

6

राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस: प्रगति, उपयोगिता और अन्य सरकारी प्लेटफार्मों के साथ एकीकरण का आकलन

7

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सहित सीमांत समुदायों द्वारा संचालित सहकारी समितियों को बढ़ावा देना

8

सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) को सुदृढ़ बनाने में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) की भूमिका

9

देश की सहकारी समितियों में लोकतांत्रिक प्रथाओं का मूल्यांकन और प्रशासनिक हस्तक्षेप को कम करना

10

किसानों और मछुआरों की आय बढ़ाने में सहकारी समितियों की भूमिका- एक समीक्षा

 

[1] Quarterly Estimates of Gross Domestic Product for the Second Quarter (July-September) of 2025-26, Ministry of Statistics and Programme Implementation, September 28, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2195851&reg=3&lang=1.

[2]“Deferment of upcoming phase implementation of the Electrical Equipment (Quality Control) Order 2020 and subsequent amendments from time to time-reg.” Ministry of Heavy Industries, November 6, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267454.pdf.

[3]S.O. 5173 (E), Gazette Notification, Ministry of Mines, November 13, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267626.pdf.

[4]S.O. 5174(E), Gazette Notification, Ministry of Mines, November 13, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267627.pdf.

[5]S.O. 5166(E), Gazette Notification, Ministry of Mines, November 13, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267628.pdf.

[6]S.O. 5167(E), Gazette Notification, Ministry of Mines, November 13, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267629.pdf.

[7]S.O. 5168(E), Gazette Notification, Ministry of Mines, November 13, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267630.pdf.

[8]S.O. 5169(E), Gazette Notification, Ministry of Mines, November 13, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267631.pdf.

[9]S.O. 5170(E), Gazette Notification, Ministry of Mines, November 13, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267632.pdf.

[10]Steel and Steel Products (Quality Control) Amendment Order, 2025, Ministry of Steel, November 20, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/267864.pdf.

[11]Notifications of Ministry of Chemicals and Fertilizers, November 12, 2025, https://chemicals.gov.in/sites/default/files/notification/Rescind-the-Fourteen-notifications.pdf.

[12]“Government Makes the Four Labour Codes effective to Simplify and Streamline Labour Laws,” Press Information Bureau, Ministry of Labour and Employment, November 21, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2192463.

[13]“Labour codes rollout three months away; rules to be pre-published for public comment”, The Hindu Business Line, November 27, 2025, https://www.thehindubusinessline.com/news/national/labour-codes-rollout-three-months-away-rules-to-be-re-published-for-public-comment/article70331466.ece.

[14]“Launch of EPFO's Employees’ Enrolment Scheme – 2025,” Press Information Bureau, Ministry of Labour and Employment, November 21, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2185262.

[15] Draft Occupational Safety, Health and Working Conditions (Oil Mines) Regulations, 2022, Ministry of Labour and Employment, November 26, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/268004.pdf.

[16]The Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020, Ministry of Labour and Employment, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2020/Occupational%20Safety,%20Health%20And%20Working%20Conditions%20Code,%202020_1.pdf.

[17]The Digital Personal Data Protection Rules, 2025, Ministry of Electronics and Information Technology, November 14, 2025, https://www.meity.gov.in/documents/act-and-policies/digital-personal-data-protection-rules-2025-gDOxUjMtQWa?pageTitle=Digital-Personal-Data-Protection-Rules-2025.

[18] The Digital Personal Data Protection Act, 2023, https://www.meity.gov.in/static/uploads/2024/06/2bf1f0e9f04e6fb4f8fef35e82c42aa5.pdf.

[19]“DPDP Rules, 2025 Notified”, Press Information Bureau, November 17, 2025, https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?id=156054&NoteId=156054&ModuleId=3&reg=3&lang=2.

[20]“Cabinet approves Export Promotion Mission to strengthen India’s export ecosystem with an outlay of Rs 25,060 crore”, Ministry of Commerce and Industry, Press Information Bureau, November 12, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2189383.

[21]“Cabinet approves Rs 7,280 crore scheme to promote manufacturing of sintered Rare Earth Permanent Magnets (REPM)”, Press Release, Ministry of Commerce and Industry, Press Information Bureau, November 26, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2194687.

[22]Draft guidelines for the use of geographical indications and geographical indications logo, Ministry of Commerce and Industry, November 18, 2025, https://www.dpiit.gov.in/static/uploads/2025/11/6f138ae714d2c23e48db92430b44fac4.pdf.

[23]The Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1981/5/A1999-48.pdf.

[24]“Commerce Minister Shri Piyush Goyal ends Israel visit, strengthening bilateral strategic and economic cooperation”, Press Release, Ministry of Commerce and Industry, Press Information Bureau, November 25, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2193976.

[25]Trade Relief Measures, Reserve Bank of India, November 14, 2025, https://www.rbi.org.in/Scripts/BS_PressReleaseDisplay.aspx?prid=61626. 

[26] The Gazette of India, November 13, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/content/pdfs/FEMA23(R)(7)13112025.pdf.

[27] Reserve Bank of India (Trade Relief Measures) Directions, 2025, The Reserve Bank of India, November 14, 2025, https://www.rbi.org.in/Scripts/NotificationUser.aspx?Id=12921&Mode=0.

[28] Opinion of the Court, Special Reference No. 1 of 2025, Supreme Court of India, November 20, 2025, https://api.sci.gov.in/supremecourt/2025/39157/39157_2025_1_1501_66169_Judgement_20-Nov-2025.pdf. 

[29]Writ Petition (Civil) No. 1239 of 2023, The State of Tamil Nadu v Governor of Tamil Nadu, Supreme Court of India, April 8, 2025, https://www.scobserver.in/wp-content/uploads/2025/04/Supreme-Court-Judgement_-State-of-Tamil-Nadu-v-Governor-of-Tamil-Nadu.pdf.

[30]Madras Bar Association v. Union of India, W. P. No. 1018 of 2021, Supreme Court of India, November 19, 2025, https://api.sci.gov.in/supremecourt/2021/20410/20410_2021_1_1502_66136_Judgement_19-Nov-2025.pdf.

[31]Review Petition, Confederation of Real Estate Developers of India v Vanashakti, Supreme Court of India, November 18, 2025, https://api.sci.gov.in/supremecourt/2025/41929/41929_2025_1_1501_66095_Judgement_18-Nov-2025.pdf.

[32] Environment Protection Act, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change,  May 23, 1986, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/4316/1/ep_act_1986.pdf. 

[33] Environmental Impact Assessment (EIA) Notification, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, September 14, 2006,  https://environmentclearance.nic.in/writereaddata/EIA_notifications/2006_09_14_EIA.pdf. 

[34]Writ Petition No. 1394 of 2023, Vanashakti vs Union of India, Supreme Court, May 16, 2025, https://api.sci.gov.in/supremecourt/2023/50009/50009_2023 _3_1502_61809_Judgement_16-May-2025.pdf.

[35] The Seeds Bill, 2025, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/nov/doc20251113692001.pdf.

[36] The Seeds Act, 1966, https://seednet.gov.in/cms/home/readyreckoner/Seed_4/16_The_Seed_Act_1966.pdf.

[37] The Seeds Control Order, 1983, https://seednet.gov.in/PDFFILES/Seed_Control_Order_1983.pdf.

[38]“Union Minister of Steel and Heavy Industries launches the third round of PLI scheme for Specialty Steel (PLI scheme 1.2),” Press Information Bureau, Ministry of Steel, November 4, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2186206.

[39]“Production of Specialty Steel under PLI Scheme” Ministry of Steel , Press Information Bureau, March 27, 2024, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1911161.

[40] DRDO and DGA, France ink Technical Agreement to deepen collaboration in defence R&D, Press Information Bureau, November 20, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2192168.

[41] “Comprehensive Policy for Co-firing of Biomass pellets [including Torrefied Charcoal made from Municipal Solid Waste (MSW)] in Coal based Thermal Power Plants”, Ministry of Power, November 7, 2025, https://powermin.gov.in/sites/default/files/Comprehensive_Policy_for_Cofiring_of_Biomass_pellets_in_Coal_based_TPPs.pdf.

[42] “Revised Policy of Ministry of Power for biomass utilisation for power generation through co-firing in coal-based power plants”, Ministry of Power, October 8, 2021, https://powermin.gov.in/sites/default/files/Revised_Biomass_Policy_dtd_08102021.pdf.  

[43] “Ministry of Power Revises Biomass Co-Firing Policy for enabling purchase of biomass pellets by Power Plants at benchmark price”, Press Information Bureau, Ministry of Power, June 27, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1935606. 

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