इस अंक की झलकियां
फाइनांस बिल, 2023 पारित
बिल को 64 संशोधनों के साथ पारित किया गया। एक संशोधन यह किया गया है कि डेट म्युचुअल फंड्स से होने वाले पूंजीगत लाभ पर मार्जिनल रेट से कर नहीं लगाया जाएगा।
बजट सत्र 2023 अवकाश के बाद फिर से शुरू
बजट सत्र के दूसरे भाग में फाइनांस बिल और दो विनियोग बिल पारित किए गए। जम्मू-कश्मीर का बजट भी पास हो गया। इस सत्र में दो बिल पेश किए गए हैं।
2022-23 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.2%
2021-22 की तीसरी तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.7% था, जबकि 2022-23 की दूसरी तिमाही में यह जीडीपी का 3.7% था।
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम के तहत लाया गया
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के साथ काम करने वाली संस्थाओं (जैसे क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज) को अब कुछ दायित्वों को पूरा करना होगा जैसे कि आधार या अन्य वैध दस्तावेजों के माध्यम से अपने ग्राहकों की पहचान सत्यापित करना।
वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया
यह बिल वन संरक्षण एक्ट, 1980 में संशोधन करता है जो वन भूमि के संरक्षण का प्रावधान करता है। बिल के तहत कुछ प्रकार की भूमि को एक्ट के दायरे से जोड़ा गया है और कुछ को छूट दी गई है।
अंतर-सेवा संगठन बिल, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया
बिल अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को अधिकार देता है कि वे अपने कमांड के अधीन सेवा कर्मियों पर अनुशासनात्मक/प्रशासनिक नियंत्रण का प्रयोग करें, चाहे वे किसी भी सेवा में हों।
विदेश व्यापार नीति 2023 जारी
यह नीति विदेश व्यापार नीति 2015-20 का स्थान लेती है। नई नीति में जिन क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित किया गया है, उनमें ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देना और निर्यात प्रोत्साहन पूंजीगत उत्पाद योजना को रैशनलाइज करना शामिल है।
सेबी ने बोर्ड मीटिंग में कई फैसले लिए
कंपनियों द्वारा पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) खुलासे के लिए एक फ्रेमवर्क पेश किया जाएगा। इसके अलावा सेबी ने स्टॉक ब्रोकरों द्वारा धोखाधड़ी/बाजार के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक फ्रेमवर्क बनाने को मंजूरी दी है।
जन विश्वास बिल, 2022 पर कमिटी रिपोर्ट पटल पर रखी गई
कमिटी ने कुछ एक्ट्स में सजा की गंभीरता में संशोधनों का सुझाव दिया। उसने कुछ कानूनों में एडजुडिकेटिंग अधिकारियों और अपीलीय व्यवस्था को शामिल करने का सुझाव भी दिया।
कमिटियों ने विभिन्न मुद्दों और योजनाओं के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट्स सौंपी
स्टैंडिंग कमिटीज़ ने पीएमएवाई-शहरी के कार्यान्वयन, फसल उत्पादकता के लिए नैनो उर्वरक, सार्वजनिक उपक्रमों के तेल प्रतिष्ठानों की सुरक्षा, ग्लेशियर प्रबंधन और भूजल पर रिपोर्ट्स प्रस्तुत की।
संसद
Niranjana S Menon (niranjana@prsindia.org)
बजट सत्र 2023 अवकाश के बाद फिर से प्रारंभ
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी, 2023 को शुरू हुआ और 14 फरवरी से 12 मार्च के बीच अवकाश के साथ 6 अप्रैल, 2023 को समाप्त होने वाला है। [1] 13 मार्च, 2023 को अवकाश के बाद संसद फिर से शुरू हुई।
बजट सत्र के दूसरे भाग में फाइनांस बिल और दो विनियोग बिल पारित किए गए। जम्मू-कश्मीर का बजट भी पास हो गया। प्रतिस्पर्धा (संशोधन) बिल, 2022 लोकसभा में पारित हो गया और राज्यसभा में लंबित है।
इस सत्र में दो बिल पेश किए गए हैं। ये अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) बिल, 2023 और वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 हैं। अंतर-सेवा संगठन बिल, 2023 को समीक्षा के लिए ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेजा गया है।
सत्र के लिए लेजिसलेटिव एजेंडा पर विवरण के लिए कृपया देखें।
केंद्रीय बजट 2023-24
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
संसद में फाइनांस बिल, 2023 पारित
2023-23 के लिए सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को प्रभावी करने के लिए संसद ने फाइनांस बिल, 2023 पारित किया। [2] बिल को 64 संशोधनों के साथ पारित किया गया था। बिल की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
नई आयकर व्यवस्था में बदलाव: टैक्स स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच कर दी गई है। 5 करोड़ रुपए से अधिक की आय पर सरचार्ज 37% से घटाकर 25% किया जाएगा। तालिका 1 वर्तमान आय कर संरचना की तुलना प्रस्तावित संरचना से करती है।
तालिका 1: मौजूदा और प्रस्तावित कर स्लैब |
|||
कर दर |
मौजूदा स्लैब |
प्रस्तावित स्लैब |
|
शून्य |
2.5 लाख रुपए तक |
3 लाख रुपए तक |
|
5% |
2.5 लाख रुपए से 5 लाख |
3 लाख रुपए से 6 लाख रुपए |
|
10% |
5 लाख रुपए से 7.5 लाख रुपए |
6 लाख रुपए से 9 लाख रुपए |
|
15% |
7.5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए |
9 लाख रुपए से 12 लाख रुपए |
|
20% |
10 लाख रुपए से 12.5 लाख रुपए |
12 लाख रुपए से 15 लाख रुपए |
|
25% |
12.5 लाख रुपए से 15 लाख रुपए |
- |
|
30% |
15 लाख रुपए से अधिक |
15 लाख रुपए से अधिक |
स्रोत: फाइनांस बिल, 2023; पीआरएस।
डेट म्युचुअल फंड से पूंजीगत लाभ: डेट म्युचुअल फंड या बाजार से जुड़े डिबेंचर की बिक्री या हस्तांतरण से प्राप्त प्रतिफल को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ माना जाएगा।
आवासीय संपत्ति की बिक्री से होने वाले पूंजीगत लाभ को किसी अन्य आवासीय संपत्ति की खरीद या निर्माण की सीमा तक घटाया जा सकता है। कटौती की सीमा 10 करोड़ रुपए होगी।
कर छूट में परिवर्तन: केवल समाचारों के संग्रह और वितरण के लिए बनी न्यूज एजेंसियों के लिए कर छूट को समाप्त कर दिया जाएगा। आयकर छूट का लाभ उठाने के लिए धर्मार्थ ट्रस्ट्स को अपनी वार्षिक आय का 85% कल्याण कार्यों में लगाना होता है (एप्लिकेशन ऑफ इनकम)। अप्रैल 2023 से अगर धर्मार्थ ट्रस्ट्स दूसरे धर्मार्थ ट्रस्ट को दान देते हैं तो इस दान के सिर्फ 85% को एप्लिकेशन ऑफ इनकम माना जाएगा।
आनुमानिक कराधान (प्रिजेंम्पटिव टैक्सेशन): आनुमानिक कराधान का पात्र होने के लिए एमएसएमई के लिए टर्नओवर की अधिकतम सीमा को 2 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दिया गया है। आनुमानिक कराधान के पात्र प्रोफेशनल्स के लिए सकल प्राप्तियों की अधिकतम सीमा 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 75 लाख रुपए कर दी गई है।
सहकारी समितियां: मैन्यूफैक्चरिंग के काम में लगी नई सहकारी समितियों के लिए आयकर की दर 22% से घटाकर 15% (इसमें 10% अधिभार शामिल) कर दी गई है।
केंद्रीय बजट 2023-24 पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2022-23 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 2.2%
भारत ने 2022-23 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 18.2 बिलियन USD (जीडीपी का 2.2%) का चालू खाता घाटा दर्ज किया, जबकि 2021-22 की इसी तिमाही में यह 22.2 बिलियन USD (जीडीपी का 2.7%) था। [3] 2022-23 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चालू खाता घाटा 30.9 बिलियन USD (जीडीपी का 3.7%) था।
2021-22 की तीसरी तिमाही में 22.5 बिलियन USD की तुलना में 2022-23 की तीसरी तिमाही में पूंजी खाते में 30.2 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया। 2022-23 की तीसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 11.1 बिलियन USD की वृद्धि हुई, जबकि 2021-22 की इसी तिमाही में 0.5 बिलियन USD की वृद्धि हुई थी।
तालिका 2: भुगतान संतुलन, 2022-23 की तीसरी तिमाही (USD)
|
ति3 |
ति2 |
ति3 |
चालू खाता |
-22.2 |
-30.9 |
-18.2 |
पूंजी खाता |
22.5 |
1.4 |
30.2 |
भूलचूक-लेनी-देनी |
0.1 |
-0.9 |
-0.9 |
विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन |
0.5 |
-30.4 |
11.1 |
स्रोत: आरबीआई; पीआरएस।
वित्त
लोकसभा में प्रतिस्पर्धा (संशोधन) बिल, 2022 पारित
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
प्रतिस्पर्धा (संशोधन) बिल, 2022 को कुछ संशोधनों के साथ लोकसभा में पारित कर दिया गया। [4] , [5] यह बिल प्रतिस्पर्धा एक्ट, 2002 में संशोधन करने का प्रयास करता है। एक्ट बाजार में प्रतिस्पर्धा को रेगुलेट करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की स्थापना करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
लेनदेन के मूल्य पर आधारित कॉम्बिनेशंस का रेगुलेशन: एक्ट किसी व्यक्ति या उद्यम को ऐसे किसी कॉम्बिनेशन में प्रवेश करने से रोकता है जिसका प्रतिस्पर्धा पर अच्छा-खासा प्रतिकूल असर पड़े। कॉम्बिनेशंस का मतलब है, उद्यमों का विलय, अधिग्रहण या अमैल्गमैशन (समामेलन)। यह प्रतिबंध ऐसे लेनदेन पर लागू होता है जहां संबंधित पक्षों की संचयी संपत्ति 1,000 करोड़ रुपए से अधिक है, या (ii) उनका संचयी कारोबार 3,000 करोड़ रुपए से अधिक का है, जोकि कुछ शर्तो के अधीन है। बिल कॉम्बिनेशंस की परिभाषा का दायरा बढ़ाता है ताकि इसमें 2,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के लेनदेन को शामिल किया जा सके। बिल में प्रावधान है कि यह सीमा उन मामलों में लागू होगी, जिसमें कोई उद्यम, जोकि लेनदेन का पक्ष है, का भारत में पर्याप्त कारोबारी कामकाज है। संशोधनों में प्रावधान किया गया है कि यह सीमा तभी लागू होगी, जब अधिग्रहण किए जा रहे उद्यम का भारत में पर्याप्त कारोबारी कामकाज हो।
कॉम्बिनेशंस की मंजूरी के लिए समय सीमा: एक्ट में निर्दिष्ट है कि कोई भी कॉम्बिनेशन तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक कि सीसीआई आदेश पारित नहीं कर देता है या मंजूरी के लिए आवेदन दायर करने के बाद 210 दिन बीत नहीं जाते हैं- इनमें से जो भी पहले हो। बिल दूसरी स्थिति में समय सीमा को घटाकर 150 दिन करता है।
प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौता: एक्ट के अंतर्गत प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौते में ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, आपूर्ति, स्टोरेज या नियंत्रण से संबंधित समझौते शामिल हैं जिससे भारत में प्रतिस्पर्धा पर अच्छा-खासा प्रतिकूल असर पड़ सकता हो। बिल्कुल समान या एक जैसे उद्यमों या व्यक्तियों के बीच किसी भी समझौते का प्रतिस्पर्धा पर ऐसा प्रतिकूल असर पड़ेगा, अगर वे कुछ कार्यों में शामिल हैं, जैसे: (i) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से खरीद या बिक्री के मूल्यों को निर्धारित करना, (ii) उत्पादन, आपूर्ति, बाजार या सेवाओं के प्रावधान को नियंत्रित करना, या (iii) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिलीभगत करके बोली लगाना। बिल कहता है कि जो उद्यम या व्यक्ति बिल्कुल समान या एक जैसे कारोबार में संलग्न नहीं हैं, वे भी ऐसे समझौतों का हिस्सा माने जाएंगे, अगर वे ऐसे समझौतों में सक्रिय रूप से सहायता करते हैं। संशोधन के जरिए उन उद्यमों को इसमें शामिल किया गया है जो ऐसे समझौतों में भाग लेते हैं या भाग लेने का इरादा रखते हैं।
बिल पर पीआरएस के विश्लेषण के लिए यहां देखें। स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
संसद ने दूसरी अनुपूरक अनुदान मांगों को पारित किया
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
संसद ने 2022-23 के लिए अनुदान की दूसरी अनुपूरक मांग (डीएफजी) पारित की। [6] अनुदानों की दूसरी अनुपूरक मांगों में 1.48 लाख करोड़ रुपए की वृद्धिशील नकद राशि का प्रस्ताव है जो 2022-23 के बजटीय व्यय से 3.8% अधिक है। अनुदान की पहली अनुपूरक मांगों में 3.26 लाख करोड़ रुपए की वृद्धिशील नकद का प्रस्ताव किया गया था। [7] साथ में इन दो अनुपूरक मांगों में 2022-23 के बजट अनुमान से 12% की वृद्धि शामिल है। 2023-24 के बजट में केंद्र सरकार द्वारा 2022-23 में कुल खर्च का संशोधित अनुमान 41.87 लाख करोड़ रुपए रखा गया था।
तालिका 3: दूसरे अनुपूरक डीएफजी 2022-23 के तहत प्रमुख मंत्रालयों में शुद्ध नकद खर्च का प्रस्ताव (करोड़ रुपए में)
मंत्रालय |
शुद्ध नकद व्यय प्रस्तावित |
कुल व्यय |
1,48,133 |
इसमें: |
|
रक्षा |
40,218 |
रसायन और उर्वरक |
36,325 |
वित्त* |
35,065 |
संचार |
25,965 |
कानून और न्याय |
3,166 |
सड़क परिवहन और राजमार्ग |
2,807 |
नोट: *इसमें 'ब्याज भुगतान' (यानी 9.41 लाख करोड़ रुपए) की मांग के तहत वित्त मंत्रालय का खर्च शामिल नहीं है।
स्रोत: अनुदान की दूसरी अनुपूरक मांग 2022-23, वित्त मंत्रालय; केंद्रीय बजट दस्तावेज़; पीआरएस।
1.48 लाख करोड़ रुपए के वृद्धिशील नकद व्यय के माध्यम से वित्तपोषित करने के लिए प्रस्तावित व्यय मदों में शामिल हैं:
उर्वरक सबसिडी: स्वदेशी और आयातित उर्वरक सबसिडी के भुगतान के लिए 36,325 करोड़ रुपए आवंटित किए जा रहे हैं। इसमें (i) स्वदेशी पीएंडके सबसिडी के लिए 10,000 करोड़ रुपए, (ii) आयातित पीएंडके सबसिडी के भुगतान के लिए 11,000 करोड़ रुपए, (iii) स्वदेशी यूरिया सबसिडी के लिए 8,854 करोड़ रुपए और (iv) आयातित यूरिया सबसिडी के लिए 6,472 करोड़ रुपए शामिल हैं।
रक्षा पेंशन: रक्षा पेंशन के लिए 33,718 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि मिलेगी। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के तहत बकाये के भुगतान के लिए 28,137 करोड़ रुपए और (ii) ओआरओपी के तहत नियमित पेंशन के भुगतान के लिए 5,586 करोड़ रुपए। ओआरओपी के तहत पेंशन हर पांच साल के बाद संशोधित की जाती है। दिसंबर 2022 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जुलाई, 2019 से ओआरओपी के तहत पेंशन में संशोधन को मंजूरी दी। [8] संशोधित पेंशन को लागू करने के लिए वार्षिक व्यय लगभग 8,450 करोड़ रुपए अनुमानित था।
जीएसटी क्षतिपूर्ति: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जीएसटी क्षतिपूर्ति जारी करने के लिए अतिरिक्त 33,506 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स को मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम के दायरे में लाया गया
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (जैसे क्रिप्टोकरंसी) में शामिल लेनदेन को वित्त मंत्रालय मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम एक्ट, 2002 के दायरे में ले आया है। [9] , [10] एक्ट के तहत अपराध की आय को छुपाने, रखने, या प्राप्त करने और इसके बेदाग संपत्ति होने का दावा करने वाले व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी होते हैं। 10 मनी लॉन्ड्रिंग सात साल तक के कठोर कारावास और जुर्माने से साथ दंडनीय है। इसमें निम्नलिखित गतिविधियों को शामिल किया जाएगा: (i) वर्चुअल डिजिटल एसेट्स और फिएट करेंसी के बीच एक्सचेंज, (ii) वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के एक या अधिक प्रकारों के बीच एक्सचेंज, (iii) वर्चुअल डिजिटल एसेट्स का ट्रांसफर, और (iv) वर्चुअल डिजिटल एसेट या ऐसी संपत्ति पर नियंत्रण देने वाले उपकरणों को सुरक्षित रखना या प्रशासन करना। वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में काम करने वाली संस्थाओं (जैसे क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज) को कुछ दायित्वों को पूरा करना होगा जैसे: (i) आधार या अन्य वैध दस्तावेजों के माध्यम से अपने ग्राहकों की पहचान को सत्यापित करना, (ii) सभी लेनदेन का रिकॉर्ड बनाए रखना, और (iii) निर्दिष्ट लेनदेन शुरू करने से पहले उचित सावधानी बरतना।
सेबी ने बोर्ड मीटिंग में कई फैसले लिए
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 29 मार्च, 2023 को अपनी बोर्ड मीटिंग संचालित की। [11] इसमें निम्नलिखित प्रमुख निर्णय लिए गए।
ईएसजी फ्रेमवर्क: कंपनियों द्वारा पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) खुलासे के लिए एक रूपरेखा पेश की जाएगी। इसमें कुछ प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का खुलासा शामिल होगा और 2023-24 में बाजार पूंजीकरण द्वारा शीर्ष 150 कंपनियों पर लागू होगा। फ्रेमवर्क में ईएसजी निवेश पर केंद्रित धनराशि के लिए दिशानिर्देश भी शामिल हैं जैसे कि आवंटन सीमा और विस्तारित प्रकटीकरण।
द्वितीयक बाजार: सेबी ने निवेशकों के लिए एप्लिकेशन सपोर्टेड बाइ ब्लॉक्ड एमाउंट (एएसबीए) फेसिलिटी के फ्रेमवर्क को मंजूरी दी। यह निवेशकों को यूपीआई के माध्यम से द्वितीयक बाजार में ट्रेडिंग के लिए फंड को ब्लॉक करने की अनुमति देता है।
स्टॉक ब्रोकर्स का रेगुलेशन: सेबी ने स्टॉक ब्रोकरों द्वारा धोखाधड़ी/बाजार के दुरुपयोग का पता लगाने और उसकी रोकथाम के लिए एक फ्रेमवर्क बनाने को मंजूरी दी है। सेबी (स्टॉक ब्रोकर्स) रेगुलेशंस, 1992 को निम्नलिखित प्रावधान के लिए संशोधित किया जाएगा: (i) व्यापारिक गतिविधियों और आंतरिक नियंत्रणों की निगरानी के लिए सिस्टम, (ii) स्टॉक ब्रोकर और उसके कर्मचारियों के दायित्व, (iii) वृद्धि और रिपोर्टिंग तंत्र, और (iv) व्हिसिल ब्लोअर नीतियां। [12] यह फ्रेमवर्क 1 अक्टूबर, 2023 से लागू होगा। सेबी ने सिक्योरिटीज़ के लिए वित्तीय बेंचमार्क प्रदान करने वाले इंडेक्स प्रोवाइडर्स को रेगुलेट करने के लिए एक फ्रेमवर्क लाने का भी फैसला किया है।
शेयरधारकों का सशक्तीकरण: सेबी ने खुलासों की संख्या को बढ़ाने के लिए लिस्टिंग दायित्वों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं में संशोधन को मंजूरी दे दी है। प्रस्तावित संशोधन महत्वपूर्ण मामलों के प्रकटीकरण के लिए कड़ी समयसीमा प्रदान करते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) निदेशक मंडल द्वारा लिए गए निर्णयों को बोर्ड की बैठक समाप्त होने के 30 मिनट के भीतर सूचित करना और (ii) 1 अक्टूबर, 2023 से शीर्ष 100 सूचीबद्ध संस्थाओं (बाजार पूंजीकरण द्वारा) द्वारा बाजार की अफवाहों का सत्यापन/स्पष्टीकरण। इसके अलावा, सूचीबद्ध संस्थाओं को रिक्ति की तारीख से तीन महीने के भीतर निदेशकों, अनुपालन अधिकारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और मुख्य वित्तीय अधिकारी के पदों को भरना होगा।
पर्यावरण
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
लोकसभा में वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 को पेश किया गया
वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया और इसके बाद ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेज दिया गया। [13] बिल वन संरक्षण एक्ट, 1980 में संशोधन करता है जो वन भूमि के संरक्षण का प्रावधान करता है। बिल कुछ प्रकार की भूमि को कानून के दायरे में लाता और कुछ को इसके दायरे से हटाता भी है। इसके अलावा यह वन भूमि पर की जाने वाली गतिविधियों की सूची को विस्तृत करता है। बिल की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
वन में की जाने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध: एक्ट वन के डी-रिजर्वेशन या गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाता है। केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति से ऐसे प्रतिबंध हटाए जा सकते हैं। गैर-वानिकी उद्देश्यों में बागवानी फसलों की खेती या रीफॉरेस्टेशन के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए भूमि का उपयोग शामिल है। एक्ट कुछ गतिविधियों को निर्दिष्ट करता है जिन्हें गैर-वानिकी उद्देश्यों से बाहर रखा जाएगा, यानी वन के डी-रिजर्वेशन या गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा। इन गतिविधियों में वन और वन्यजीवों के संरक्षण, प्रबंधन और विकास से संबंधित कार्य शामिल हैं जैसे चेक पोस्ट, फायर लाइन बनाना, बाड़ लगाना और वायरलेस संचार स्थापित करना। बिल इस सूची में कुछ और गतिविधियों को शामिल करता है, जैसे: (i) संरक्षित स्थानों के अतिरिक्त वन क्षेत्रों में वन्य जीवन (संरक्षण) एक्ट, 1972 के तहत सरकार या किसी अन्य अथॉरिटी के स्वामित्व वाले चिड़ियाघर और सफारी, (ii) इको-टूरिज्म संबंधी सुविधाएं, (iii) सिल्विकल्चरल ऑपरेशंस (वनों की वृद्धि) और (iv) केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट कोई अन्य उद्देश्य। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार उन नियमों और शर्तों को निर्दिष्ट कर सकती है जिनके जरिए किसी सर्वेक्षण (जैसे एक्सप्लोरेशन का काम, सेसिमिक सर्वे) को गैर वानिकी उद्देश्य के दायरे से बाहर किया जा सकता है।
एक्ट के तहत भूमि: बिल प्रावधान करता है कि दो प्रकार की भूमि एक्ट के तहत होगी: (i) भारतीय वन एक्ट, 1927 या किसी अन्य कानून के तहत वन के रूप में घोषित/अधिसूचित भूमि, या (ii) पहली श्रेणी में न आने वाली भूमि, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में 25 अक्टूबर, 1980 को या उसके बाद वन के रूप में अधिसूचित। इसके अलावा, एक्ट 12 दिसंबर, 1996 को या उससे पहले वन उपयोग से गैर-वानिकी उपयोग में परिवर्तित भूमि पर लागू नहीं होगा, जिसका आदेश किसी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा अधिकृत अथॉरिटी ने दिया है।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
रक्षा
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
अंतर-सेवा संगठनों के कमांड को सुव्यवस्थित करने वाला बिल लोकसभा में पेश
अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) बिल, 2023 को 15 मार्च, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया। [14] यह अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को यह अधिकार देता है कि वे अपनी कमान के तहत आने वाले सेवाकर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक नियंत्रण रख सकते हैं, भले ही वे किसी भी सेवा के हों। बिल की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
अंतर-सेवा संगठन: मौजूदा अंतर-सेवा संगठनों को बिल के तहत गठित माना जाएगा। इनमें अंडमान एवं निकोबार कमान, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी शामिल हैं। केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है जिसमें तीन सेवाओं में से कम से कम दो से संबंधित कर्मचारी हों: थलसेना, नौसेना और वायुसेना। इन्हें ऑफिसर-इन-कमांड के अधीन रखा जा सकता है। इन संगठनों में एक संयुक्त सेवा कमान भी शामिल हो सकती है, जिसे कमांडर-इन-चीफ के कमान के तहत रखा जा सकता है।
अंतर-सेवा संगठन का नियंत्रण: वर्तमान में अंतर-सेवा संगठनों के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को अन्य सेवाओं से संबंधित कर्मियों पर अनुशासनात्मक या प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है। बिल किसी अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड को इसमें सेवारत या इससे जुड़े कर्मियों पर कमान और नियंत्रण करने का अधिकार देता है। वह अनुशासन बनाए रखने और सेवा कर्मियों द्वारा कर्तव्यों का उचित निर्वहन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा।
अंतर-सेवा संगठन का अधीक्षण केंद्र सरकार में निहित होगा। सरकार ऐसे संगठनों को राष्ट्रीय सुरक्षा, सामान्य प्रशासन या जनहित के आधार पर निर्देश भी जारी कर सकती है।
बिल पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
वाणिज्य एवं उद्योग
विदेश व्यापार नीति 2023 जारी
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 को 31 मार्च, 2023 को जारी किया गया था और यह 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होगी। [15] , [16] नई नीति विदेश व्यापार नीति 2015-20 के स्थान पर लाई गई है, जिसे 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाया गया था। [17] 2023 नीति की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
टाउन्स ऑफ एक्सपोर्ट एक्सिलेंस (टीईई): एफ़टीपी ने फरीदाबाद, मिर्जापुर, मुरादाबाद और वाराणसी को टाउन्स ऑफ एक्सपोर्ट एक्सिलेंस के चार नए शहरों (कुल 43) के रूप में नामित किया है। इन कस्बों को निर्यात में वृद्धि की संभावना के आधार पर कम से कम 750 करोड़ रुपए (हथकरघा, हस्तशिल्प, कृषि और मत्स्य पालन में उत्पादन होता है तो 150 करोड़ रुपए) के उत्पादों का उत्पादन करना होगा। टीईई में मान्यता प्राप्त संघों को प्राथमिकता के आधार पर मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव (एमएआई) योजना के तहत सहायता प्रदान की जाएगी। एमएआई योजना विशिष्ट बाजारों के लिए उत्पादों को लक्षित करने के लिए एक निर्यात प्रोत्साहन योजना है। नए बाजारों तक पहुंचने या मौजूदा बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। इसके तहत गतिविधियों में शामिल हैं: (i) विदेश में मार्केटिंग प्रोजेक्ट, (ii) क्षमता निर्माण, और (iii) वैधानिक अनुपालन प्राप्त करना। [18]
निर्यात संवर्धन पूंजीगत उत्पाद योजना: ईपीसीजी योजना सीमा शुल्क का भुगतान किए बिना पूर्व-उत्पादन, उत्पादन और उत्पादन के बाद पूंजीगत वस्तुओं के आयात की अनुमति देती है। भौतिक निर्यात के लिए ईपीसीजी योजना के तहत आयातित पूंजीगत उत्पादों को आईजीएसटी और क्षतिपूर्ति सेस से छूट प्राप्त है। यदि निर्यातक इस योजना का लाभ उठाते हैं तो उन्हें कुछ निर्यात दायित्वों को पूरा करना होगा। सरकार डेयरी क्षेत्र को औसत निर्यात दायित्व बनाए रखने से छूट दे रही है। हरित प्रौद्योगिकी के रूप में वर्गीकृत विभिन्न उत्पाद जैसे: (i) बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन, (ii) हरित हाइड्रोजन, और (iii) वर्टिकल फार्मिंग उपकरण, कम निर्यात दायित्व के पात्र होंगे।
ई-कॉमर्स निर्यात: सरकार ने कूरियर द्वारा निर्यात की जा सकने वाले सिंगल कंसाइनमेंट का मूल्य 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया है। ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात बंधु योजना (एनबीएस) में ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने का प्रावधान होगा। एनबीएस का उद्देश्य विदेशी व्यापार पर नए और संभावित निर्यातकों को सलाह देना है। सरकार का लक्ष्य कुछ क्षेत्रों को ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब (ईसीईएच) के रूप में नामित करना है। ईसीईएच स्टोरेज, पैकेजिंग, लेबलिंग, सर्टिफिकेशन और अन्य सुविधाएं प्रदान कर सकता है। यह निकटतम लॉजिस्टिक्स हब से जुड़ने के लिए समर्पित लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर भी प्रदान कर सकता है।
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2022 पर कमिटी रिपोर्ट पटल पर रखी गई
Siddharth Mandrekar Rao (siddharth@prsindia.org)
जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2022 पर गठित ज्वाइंट कमिटी (चेयर: श्री पी.पी.चौधरी) ने 17 मार्च, 2023 को अपनी रिपोर्ट पेश की। [19] विभिन्न कानूनों के तहत अपराधों को अपराध मुक्त करके, और जेल की सजा को हटाकर, यह बिल कारोबारी सुगमता को बढ़ाने का प्रयास करता है। कुल मिलाकर बिल 42 कानूनों में संशोधन का प्रयास करता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सजा में संशोधन: बिल मूल एक्ट्स में विभिन्न उल्लंघनों और अपराधों के लिए जुर्माने और अर्थदंड को कम करता है। यह कुछ जुर्मानों (फाइन) को अर्थदंड (पैनेल्टी) से बदलता है जिन्हें न्यायिक प्रक्रिया के जरिए लगाने की जरूरत नहीं है। कुछ प्रावधानों के लिए कमिटी ने अर्थदंड की गंभीरता में संशोधन का सुझाव दिया है। जैसे कमिटी ने सुझाव दिया है कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत स्टेट रजिस्टर ऑफ फार्मासिस्ट में दर्ज होने का झूठा दावा करने पर अर्थदंड बढ़ाया जाना चाहिए। पहली बार यह अपराध करने पर वर्तमान में पांच सौ रुपए का अर्थदंड है। बिल के तहत पहली बार अपराध करने पर 50,000 रुपए तक का अर्थदंड लगाया जाएगा। कमिटी ने इस अर्थदंड को बढ़ाकर एक लाख रुपए करने का सुझाव दिया है। दूसरे अपराधों को क्षमा योग्य बनाया गया है, जैसे कि वन एक्ट, 1927 के तहत मवेशियों का अनाधिकार प्रवेश।
सजा पर अधिनिर्णय: बिल में केंद्र सरकार के लिए प्रावधान है कि वह निम्नलिखित के लिए एडजुडिकेटिंग अधिकारियों की नियुक्ति करेगी (i) उल्लंघनों की जांच करना, (ii) सबूत के लिए व्यक्तियों को बुलना, और (iii) अर्थदंड पर फैसला देना और दंड लगाना। बिल कुछ कानूनों से सजा के रूप में कारावास को हटाता है लेकिन उनके लिए एडजुडिकेटिंग अधिकारियों को पेश नहीं करता। कमिटी ने ऐसा करने वाले संशोधनों का सुझाव दिया। यह कोई मौजूदा अधिकारी या निकाय हो सकता है, जैसे सरकारी सिक्योरिटीज़ एक्ट, 2006 के तहत उल्लंघनों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक। अन्य कानूनों के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि किसी निर्दिष्ट रैंक के अधिकारी को एडजुडिकेटिंग अधिकारी के रूप में अधिसूचित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि बॉयलर्स एक्ट, 1923 के तहत निर्दिष्ट एडजुडिकेटिंग अधिकारी, जिला मेजिस्ट्रेट हो सकता है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने ऐसे संशोधनों का सुझाव दिया जोकि केंद्र सरकार को एडजुडिकेटिंग अधिकारी के फैसलों के लिए अपीलीय अधिकारी की नियुक्ति की अनुमति दें। कुछ कानूनों के लिए सुझाए गए संशोधन निर्दिष्ट करते हैं कि अपीलीय अधिकारियों को एडजुडिकेटिंग अधिकारी से कम से कम एक रैंक ऊपर का होना चाहिए।
बिल पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें।
सहयोग
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
बहुराज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022 पर कमिटी रिपोर्ट पटल पर रखी गई
बहु-राज्यीय सहकारी समिति (संशोधन) बिल, 2022 पर ज्वाइंट कमिटी (चेयर: श्री चंद्र प्रकाश जोशी) ने 15 मार्च, 2023 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। [20] यह बिल बहु-राज्यीय सहकारी समिति एक्ट, 2002 में संशोधन करता है जो एक से अधिक राज्यों में काम करने वाली बहु-राज्यीय सहकारी समितियां को रेगुलेट करता है। [21] , [22] बिल को 7 दिसंबर, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया था और 20 दिसंबर, 2022 को ज्वाइंट कमिटी को भेज दिया गया था। अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने बिल के अधिकतर संशोधनों की पुष्टि की है।
बिल पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें।
रसायन एवं उर्वरक
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने नैनो उर्वरकों पर रिपोर्ट सौंपी
रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. शशि थरूर) ने 21 मार्च, 2023 को 'सतत फसल उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए नैनो-उर्वरक' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। [23] कमिटी के प्रमुख निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
नैनो-उर्वरकों का विकास: भारत में उर्वरकों की खपत असंतुलित है और नाइट्रोजन उर्वरकों में यूरिया का हिस्सा 82% है। यूरिया जैसे पारंपरिक उर्वरक उपयोग के दौरान इकोसिस्टम को प्रदूषित करते हैं। कमिटी ने कहा कि भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) ने नैनो यूरिया विकसित किया है जो उर्वरकों के असंतुलित उपयोग को दूर करने का प्रयास करता है। नैनो यूरिया को फरवरी 2021 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने नैनो-उर्वरक के रूप में अधिसूचित किया था।
नैनो-उर्वरकों के लाभ: कमिटी ने गौर किया कि नैनो-उर्वरकों की कीमत सबसिडी वाले पारंपरिक उर्वरकों से कम है। इफको फील्ड ट्रायल के अनुसार, नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर की बोतल (240 रुपए) पारंपरिक यूरिया (267 रुपए) के 45 किलोग्राम बैग के स्थान पर खरीदी जा सकती है। कमिटी ने यह भी गौर किया कि नैनो यूरिया परिवहन और वेयरहाउसिंग की लागत को कम कर सकता है, और इसके परिणामस्वरूप फसल की उत्पादकता बेहतर हो सकती है और किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। फील्ड परीक्षणों में यह भी पाया गया है कि नैनो यूरिया के प्रयोग के कारण औसत उपज 8% अधिक थी। हालांकि कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के अनुसार, विभिन्न फसलों की पोषण गुणवत्ता पर नैनो-उर्वरकों के दीर्घकालिक प्रभाव को फिलहाल निर्धारित नहीं किया जा सकता क्योंकि अनुसंधान परीक्षणों को केवल एक वर्ष पूरा हुआ है। कमिटी ने सुझाव दिया कि नैनो-उर्वरकों के लाभों और दुष्प्रभावों का आकलन करने के लिए दीर्घकालिक शोध किया जाना चाहिए।
नैनो-उर्वरकों को अपनाने की दिशा में चुनौतियां: कमिटी ने यह भी कहा कि एक एग्रीकल्चरल स्प्रेयर (तरल उर्वरक के छिड़काव के लिए इस्तेमाल किया जाता है) की कीमत 1,200 रुपए से 10,000 रुपए के बीच होती है, जो इसके प्रकार पर निर्भर करता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय नैनो-उर्वरकों के छिड़काव के प्रभावी और सस्ते साधन उपलब्ध कराने की अपनी कोशिशों में तेजी लाए। कमिटी ने कहा कि ड्रोन का इस्तेमाल नैनो-उर्वरकों के छिड़काव के लिए भी किया जाता है और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन के निर्माण के लिए नीतिगत और प्रक्रियागत बाधाओं को दूर कर दिया है। हालांकि कमिटी ने कहा कि एक एग्रीकल्चर ड्रोन की कीमत लगभग 10 लाख रुपए है, जो कि छोटे और सीमांत किसानों (86% किसानों) के लिए वहन करना मुश्किल है।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस
कैबिनेट ने सिलेंडर रिफिलिंग के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सबसिडी को मंजूरी दी
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत प्रति 14.2 किलोग्राम सिलेंडर पर 200 रुपए की सबसिडी को मंजूरी दी है, जो कि एक साल में 12 रिफील पर लागू होगा। [24] सबसिडी लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाएगी। यह फैसला अंतरराष्ट्रीय तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमतों में वृद्धि के मद्देनजर किया गया है। 2016 में शुरू की गई पीएमयूवाई गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करती है। [25] अतिरिक्त परिवारों को दायरे में लाने के लिए पीएमयूवाई चरण 2 (उज्ज्वला 2.0) को अगस्त 2021 में लॉन्च किया गया था। सबसिडी के लिए कुल खर्च 2022-23 के लिए 6,100 करोड़ रुपए और 2023-24 के लिए 7,680 करोड़ रुपए होगा। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बजट 2023-24 के अनुसार, केंद्र सरकार ने 2023-24 के लिए एलपीजी सबसिडी के लिए 2,257 करोड़ रुपए का बजट रखा है। [26]
स्टैंडिंग कमिटी ने तेल पीएसयू के तेल प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर रिपोर्ट सौंपी
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: रमेश बिधूड़ी) ने 'सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के तेल प्रतिष्ठानों की सुरक्षा-बागजान धमाके के विशेष संदर्भ में' पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। [27] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्न शामिल हैं:
पेट्रोलियम क्षेत्र के लिए एकल सुरक्षा एजेंसी: कमिटी ने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र को कई एजेंसियों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। इससे क्षेत्र को रेगुलेट करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की कमी होती है। कमिटी ने तेल और गैस क्षेत्र के लिए एकल सुरक्षा एजेंसी बनाने का सुझाव दिया।
आपात स्थितियों से निपटने के लिए आत्मनिर्भरता: कमिटी ने कहा कि पेट्रोलियम क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी कुछ घटनाएं अनूठी हैं, जैसे कि तेल का कुआं फटना और तटीय क्षेत्रों में तेल का रिसाव। उनके लिए विशेष कार्रवाई की जरूरत है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और विदेशी उपकरणों की तैनाती जरूरी हो सकती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सुरक्षा प्रणालियों में कमियों की समीक्षा करनी चाहिए। मंत्रालय को भविष्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए बुनियादी ढांचा और कौशल तैयार करने के लिए भी कार्रवाई करनी चाहिए।
तेल प्रतिष्ठानों के निकट इंफ्रास्ट्रक्चर: कमिटी ने कहा कि कई तेल और गैस प्रतिष्ठान पूर्वोत्तर में हैं और कई नई परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ सुरक्षा और पर्यावरण से संबंधित रिस्पांस सिस्टम को भी बढ़ाया जाना चाहिए।
जल संसाधन
भूजल पर स्टैंडिंग कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी
Siddharth Mandrekar Rao (siddharth@prsindia.org)
जल संसाधन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री परबतभाई सवाभाई पटेल) ने 17 मार्च, 2023 को ‘भूजल: एक मूल्यवान, किंतु घटता संसाधन’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
केंद्रीय निकाय का गठन: राज्य और केंद्रीय, दोनों स्तरों पर कई निकाय वर्तमान में पानी से संबंधित मुद्दों के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं (i) केंद्रीय मंत्रालय जैसे कि जल शक्ति, ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय; (ii) राज्य विभाग, (iii) राज्य और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड; और (iv) केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) जैसे समर्पित प्राधिकरण। कमिटी ने गौर किया कि उनके बीच समन्वय की कमी है और सुझाव दिया कि जल शक्ति मंत्रालय ऊपर वर्णित संस्थाओं के प्रतिनिधित्व के साथ एक केंद्रीय निकाय का गठन करे।
कानून: 1970 में सर्कुलेट किए गए एक मॉडल बिल के आधार पर 19 राज्यों में भूजल प्रबंधन पर कानून पारित किए गए हैं, और अंतिम बार 2005 में उसमें संशोधन किया गया है। कमिटी ने कहा कि दिशानिर्देशों के अभाव में इन कानूनों को लागू करने में कठिनाइयां हुईं। उन्होंने सुझाव दिया कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करे।
सिंचाई: कमिटी ने कहा कि सिंचाई के लिए भूजल पर अत्यधिक निर्भरता है क्योंकि धान और गन्ना जैसी जल-गहन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अधिक होता है। किसानों को वित्तीय सहायता और सिंचाई के लिए मुफ्त या रियायती बिजली प्रदान करने वाली योजनाओं ने इस समस्या को बढ़ाया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के साथ मिलकर काम करना चाहिए जिससे कम पानी की खपत वाली फसलों और खेती के तरीकों को बढ़ावा दिया जा सके।
जलवायु परिवर्तन: राष्ट्रीय सौर मिशन और अन्य के साथ राष्ट्रीय जल मिशन जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना को लागू करने वाले अभियानों में से एक है। यह जल संसाधनों के संरक्षण, कुशल प्रबंधन और समान वितरण पर रणनीति तैयार करने और इस उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार के विभागों के बीच समन्वय के लिए जिम्मेदार है। कमिटी ने कहा कि इस अभियान में धन और स्वायत्तता की कमी है, और सुझाव दिया कि इस संबंध में इसे मजबूत किया जाए।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
स्टैंडिंग कमिटी ने ग्लेशियर प्रबंधन पर रिपोर्ट सौंपी
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
जल संसाधन संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री परबतभाई सावभाई पटेल) ने 'देश में ग्लेशियर प्रबंधन- हिमालयी क्षेत्र में फ्लैश-फ्लड लाने वाली ग्लेशियर/झीलों की निगरानी, ग्लेशियर झीलों के फटने सहित' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। [28] कई वर्षों में अतिरिक्त हिमपात के जमा होने से ग्लेशियर बनता है, जिसमें बर्फ का पिंड बन जाता है। भारत में तीन बड़ी नदी प्रणालियां, अर्थात्, सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र ग्लेशियरों से निकलती हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
हिमनदों का पतला होना: भारतीय हिमालयी क्षेत्र में 9,775 हिमनद हैं। हिमालय के ग्लेशियर हाल के वर्षों में तेजी से पतले हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप: (i) तलछट भार में वृद्धि हुई है, (ii) वार्षिक अतिरिक्त जल प्रवाह (वार्षिक अपवाह) की मात्रा में वृद्धि हुई है, और (iii) पर्वतीय क्षेत्र और नीचे की ओर हाइड्रोलॉजिकल व्यवहार बदला है। कमिटी ने कहा कि इस तरह की आपदाओं की भविष्यवाणी करने और उन्हें कम करने के लिए ग्लेशियरों, ग्लेशियल डिस्चार्ज और भावी ग्लेशियल झील के फटने से होने वाली बाढ़ की बारीकी से निगरानी करना महत्वपूर्ण है।
ग्लेशियर प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय: कमिटी ने कहा कि हिमालय के ग्लेशियरों के खतरों से निपटने के लिए कई मंत्रालयों, विभागों और संस्थानों के पास अलग-अलग अधिकार हैं। यह कहा गया कि ग्लेशियर से संबंधित जोखिमों पर अलग-अलग अनुसंधान वांछित परिणाम नहीं देगा, और आवश्यक रूप से कार्रवाई योग्य कदमों में नहीं बदलेगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि सभी संबंधित विभागों/एजेंसियों की गतिविधियों के समन्वय के लिए एक नोडल एजेंसी स्थापित की जाए।
निगरानी केंद्रों के नेटवर्क को मजबूत करना: कमिटी ने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र में निगरानी केंद्रों की भारी कमी है। प्रभावी ढंग से और निर्बाध रूप से हिमालयी ग्लेशियरों और संबंधित जोखिमों की निगरानी करने के लिए, एकीकृत निगरानी प्रणालियों का एक नेटवर्क आवश्यक है। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग अधिक ऊंचाई पर मौसम संबंधी डिस्चार्ज स्टेशनों का एक नेटवर्क स्थापित करे। कमिटी ने पाया कि छोटे ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं जिससे उनके पिघलने की गति तेज हो जाती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग को केवल मानसून में नहीं, बल्कि छोटे जलाशयों और हिमनदी झीलों की पूरे साल निगरानी करनी चाहिए।
आवासन
Omir Kumar (omir@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने पीएमएवाई-शहरी के मूल्यांकन से संबंधित रिपोर्ट सौंपी
आवासन एवं शहरी मामलों संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री राजीव रंजन सिंह) ने ‘प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के कार्यान्वयन का मूल्यांकन’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। [29] 2015 में शुरू की गई, प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (पीएमएवाई-यू) बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्के घरों के निर्माण के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय सहायता प्रदान करती है। प्रारंभ में योजना की अवधि 2021-22 तक थी, लेकिन इसे 31 दिसंबर, 2024 तक बढ़ा दिया गया है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षो और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
आवास की मांग के आकलन में कमियां: पीएमएवाई-यू के तहत शुरू में यह अनुमान लगाया गया था कि कुल दो करोड़ घरों की कमी है। हालांकि योजना के तहत आवास की वास्तविक मांग 1.23 करोड़ है। मंत्रालय ने कमिटी को बताया कि आवास की कमी का प्रारंभिक आंकड़ा अनुमानों पर आधारित था जबकि योजना मांग आधारित थी। कमिटी ने पाया कि चूंकि यह एक मांग आधारित योजना है, इसलिए हो सकता है कि कुछ बेघर लोगों ने पात्रता शर्तों को पूरा न करने या भूमि की अपेक्षा के कारण इसका लाभ नहीं उठाया हो। उसने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह एक प्रभाव मूल्यांकन करे और उसके अनुसार, आवश्यक परिवर्तनों के साथ योजना को विस्तृत बनाए या या शहरी गरीबों को आवास प्रदान करने के लिए एक अन्य योजना तैयार करे।
बुनियादी सुविधाओं की कमी: पीएमएवाई-यू दिशानिर्देशों के अनुसार, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की साझेदारी में किफायती आवास के तहत सभी घरों और इन-सीटू स्लम पुनर्विकास (आईएसएसआर) वर्टिकल में पानी, स्वच्छता और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए। इसके अलावा शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्रेडिट लिंक्ड सबसिडी योजना और लाभार्थी आधारित निर्माण (बीएलसी) वर्टिकल के तहत घरों की ऐसी बुनियादी सेवाओं तक पहुंच हो। कमिटी ने कहा कि बुनियादी सेवाओं की कमी के कारण दिसंबर 2022 तक 5.6 लाख घर लाभार्थियों को नहीं सौंपे गए थे।
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
ऊर्जा
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) संशोधन नियम, 2023 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां मांगी गई
ऊर्जा मंत्रालय ने ड्राफ्ट बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) संशोधन नियम, 2023 को टिप्पणियों के लिए जारी किया है। [30] ड्राफ्ट नियम बिजली एक्ट, 2003 के तहत अधिसूचित बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 में संशोधनों का प्रयास करते हैं। [31] 2020 के नियम बिजली वितरण के विभिन्न पहलुओं (जैसे कनेक्शन देना, मीटरिंग और बिलिंग) पर उपभोक्ताओं के अधिकारों और बिजली वितरण लाइसेंसधारियों के दायित्वों को निर्दिष्ट करते हैं। प्रमुख प्रस्तावित परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
टाइम ऑफ डे टैरिफ अनिवार्य: 2020 के नियम स्मार्ट प्री-पेमेंट मीटर या प्री-पेमेंट मीटर के उपयोग को अनिवार्य करते हैं। ड्राफ्ट नियमों में कहा गया है कि स्मार्ट मीटर के लिए टाइम-ऑफ-डे टैरिफ इंस्टालेशन के तुरंत बाद लागू होगा। यह प्रावधान निम्नलिखित से प्रभावी होगा: (i) 10 किलोवाट तक अधिकतम मांग वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के लिए 1 अप्रैल, 2024, और (ii) कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर अन्य उपभोक्ताओं के लिए 1 अप्रैल, 2025। टाइम ऑफ डे टैरिफ का तात्पर्य है कि एक ही दिन के दौरान टैरिफ अलग-अलग समय पर अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे पीक आवर्स के दौरान उच्च टैरिफ और सोलर घंटों (जब सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है) के दौरान कम टैरिफ।
टाइम ऑफ द डे टैरिफ के लिए फ्लोर: ड्राफ्ट नियम स्मार्ट मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए राज्य आयोगों द्वारा निर्दिष्ट टाइम ऑफ द डे टैरिफ के साथ कुछ शर्तें भी जोड़ते हैं। यह निर्दिष्ट करता है कि पीक ऑवर टैरिफ: (i) औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के लिए सामान्य टैरिफ का कम से कम 1.2 गुना, और (ii) अन्य उपभोक्ताओं के लिए कम से कम 1.1 गुना होना चाहिए। इसी तरह सोलर घंटे के लिए टैरिफ कम से कम 20% कम होना चाहिए। इसके अलावा पीक आवर्स सौर घंटों से अधिक लंबे नहीं हो सकते।
बैलेंस डेटा का एक्सेस: 2020 के नियमों में प्रावधान है कि उपभोक्ताओं को वास्तविक समय के आधार पर उपभोग डेटा तक एक्सेस देना चाहिए। ड्राफ्ट नियम कहते हैं कि शेष मॉनिटरी बैलेंस के डेटा तक पहुंच भी वास्तविक समय के आधार पर प्रदान की जानी चाहिए।
बिलिंग के लिए लोड: ड्राफ्ट नियम कहते हैं कि यदि एक महीने में अधिकतम मांग स्वीकृत भार से अधिक है, तो अधिकतम मांग के आधार पर बिलिंग की जाएगी। वर्तमान में, अलग-अलग लोड ब्रैकेट के लिए टैरिफ अलग-अलग हैं।
टिप्पणियां 14 अप्रैल, 2023 तक आमंत्रित हैं।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
Siddharth Mandrekar Rao (siddharth@prsindia.org)
सरोगेसी नियम, 2022 में संशोधन अधिसूचित
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सेरोगेसी नियम, 2022 में संशोधनों को अधिसूचित किया है। [32] 2022 के नियमों को सेरोगेसी (रेगुलेशन) एक्ट, 2021 के तहत अधिसूचित किया गया था। एक्ट के अनुसार, सेरोगेसी एक ऐसी प्रैक्टिस है जिसमें कोई महिला किसी इच्छुक कपल के लिए बच्चे को जन्म देती है और जन्म के बाद बच्चे को उन्हें सौंपने को राजी होती है। [33] एक्ट के तहत इच्छुक कपल वह होता है जिसके चिकित्सकीय लक्षण उसके लिए सेरोगेसी की जरूरी बनाते हैं। [34]
2022 के नियमों के अनुसार, सेरोगेसी करवाने वाले कपल को डोनर के ओसाइट को इस्तेमाल करने की अनुमति थी। [35] संशोधन में कहा गया है कि सरोगेसी में इस्तेमाल होने वाले मेल और फीमेल, दोनों गैमेट्स को इच्छुक कपल से आना चाहिए, और यह सरोगेट माता के कंसेंट फॉर्म में उसी के अनुसार संशोधन करता है। 33
मेडिकल उपकरण नियम, 2017 में ड्राफ्ट संशोधन सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी किए गए
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत मेडिकल उपकरण नियम, 2017 में ड्राफ्ट संशोधनों को प्रकाशित किया। [36] 2017 के नियम मेडिकल उपकरणों के जोखिम-आधारित वर्गीकरण का प्रावधान करते हैं। [37] नियम भारत के औषधि महानियंत्रक को चिकित्सा उपकरणों के निर्माण और बिक्री के लिए केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाते हैं। यह राज्यों को उपकरणों के विशिष्ट वर्गों के लिए राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों को नियुक्त करने का भी अधिकार देता है। 38 नियम अनिवार्य करते हैं कि मेडिकल उपकरण भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अधिसूचित मानकों के अनुरूप हों। 38 इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार अन्य प्रयोजनों के साथ-साथ मेडिकल उपकरणों का मूल्यांकन करने के लिए केंद्रीय मेडिकल उपकरण परीक्षण प्रयोगशालाओं की नियुक्ति कर सकता है। प्रस्तावित संशोधन राज्य सरकारों को चिकित्सा उपकरणों के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए प्रयोगशालाओं को अधिसूचित करने की भी अनुमति देते हैं। 37
[1] Bulletin II, Lok Sabha, January 15, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/bull2mk/2023/15.01.2023.pdf.
[2] Finance Bill, 2023, March 24, 2023, http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/PassedLoksabha/17%20C%202023%20E%20FINANCE%20BILL3272023103612AM.pdf.
[3] Developments in India’s Balance of Payments during the Third Quarter (October-December) of 2022-23, Reserve Bank of India, March 31, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR1946BOP856645DA7A444E8192E599E269A8A242.PDF.
[4] The Competition (Amendment) Bill, 2022, Lok Sabha, http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/185_2022_LS_Eng.pdf.
[5] The Competition (Amendment) Bill, 2023, as passed by Lok Sabha, https://prsindia.org/billtrack/prs-products/standing-committee-report-summary-4027.
[6] Second Supplementary Demands for Grants, Ministry of Finance, March 2023, https://dea.gov.in/sites/default/files/Final%20Supplementary.pdf.
[7] First Supplementary Demands for Grants, Ministry of Finance, December, 2022, https://dea.gov.in/sites/default/files/%21st%20Supplementary%20Demand%202022-23.pdf.
[8] “Union Cabinet approves revision of pension of Armed Forces Pensioners/family pensioners under One Rank One Pension w.e.f. July 01, 2019”, Press Information Bureau, Ministry of Defence, December 23, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1886168.
[9] S.O. 1072(E), Ministry of Finance, March 7, 2023, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2023/244184.pdf.
[10] The Prevention of Money-laundering Act, 2002, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2036/1/A2003-15.pdf.
[11] SEBI Board Meeting, SEBI, March 29, 2023, https://www.sebi.gov.in/media/press-releases/mar-2023/sebi-board-meeting_69552.html.
[12] Securities and Exchange Board of India (Stock Brokers) Regulations, 1992, SEBI, February 23, 2022, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/feb-2022/securities-and-exchange-board-of-india-stock-brokers-regulations-1992-last-amended-on-february-23-2022-_56447.html.
[13] The Forest (Conservation) Amendment Bill, 2023, as introduced in Lok Sabha, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Forest%20(Conservation)%20Amendment%20Bill,%202023.pdf.
[14] The Inter-services Organisations (Command, Control and Discipline) Bill, 2023, Lok Sabha, March 15, 2023, http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/62_2023_LS_E315202331238PM.pdf.
[15] Foreign Trade Policy 2023 Announced, Press Information Bureau, March 31, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1912572.
[16] Notification No. 1/2023, Ministry of Commerce and Industry, March 31, 2023, https://www.dgft.gov.in/CP/.
[17] Foreign Trade Policy extended for six months, Press Information Bureau, September 26, 2022, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1862335.
[18] “Market Access Initiative (MIA) Scheme.”, Ministry of Commerce and Industry, Accessed April 3, 2023, https://commerce.gov.in/international-trade/trade-promotion-programmes-and-schemes/trade-promotion-programme-focus-cis/market-access-initiative-mai-scheme/#:~:text=Market%20Access%20Initiative%20(MAI)%20Scheme%20is%20an%20Export%20Promotion%20Scheme,exports%20on%20a%20sustained%20basis..
[19] Report of the Joint Committee on the Jan Vishwas (Amendment of Provisions) Bill, 2022, March 17, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Joint%20Committee%20on%20the%20Jan%20Vishwas%20(Amendment%20of%20Provisions)%20Bill,%202022/17_Joint_Committee_on_the_Jan Vishwas_(Amendment_of_Provisions)_Bill_2022_1.pdf.
[20] Report of the Joint Committee on Multi-State Co-operative Societies (Amendment) Bill, 2022, March, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Joint%20Committee%20on%20the%20Multi-State%20Co-operative%20Societies%20(Amendment)%20Bill,%202022/17_Joint_Committee_on_the_Multi-State_Co-operative_Societies_(Amendment)_Bill_2022_1.pdf.
[21] The Multi-State Co-operative Societies (Amendment) Bill, 2022, http://164.100.47.4/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/215_2022_LS_Eng.pdf.
[22] The Multi-State Co-operative Societies Act, 2002, https://mscs.dac.gov.in/Guidelines/GuidelineAct2002.pdf.
[23] Report No. 39, Nano-fertilisers for sustainable crop production and maintaining soil health, Standing Committee on Chemicals and Fertilisers, March 21, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Chemicals%20&%20Fertilizers/17_Chemicals_And_Fertilizers_39.pdf.
[24] “Cabinet approves targeted subsidy to Pradhan Mantri Ujjwala Yojana Consumers”, Press Information Bureau, Cabinet Committee on Economic Affairs, March 24, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1910516.
[25] Starred Question No. 325, Lok Sabha, Minister of Petroleum and Natural Gas, March 23, 2023, https://pqals.nic.in/annex/1711/AS325.pdf.
[26] Demand No. 76, Ministry of Petroleum and Natural Gas, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe76.pdf.
[27] “19th Report: Safety and Security of Oil Installations of Public Sector Oil Companies-with specific reference to Baghjan Blow-out Incident”, Standing Committee on Petroleum and Natural Gas, March 23, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Petroleum%20&%20Natural%20Gas/17_Petroleum_And_Natural_Gas_19.pdf.
[28] Report no. 23, Standing Committee on Water Resources: ‘Glacier Management in the Country – Monitoring of Glaciers/Lakes including Glacial Lake Outbursts leading to Flash-floods in the Himalayan Region’, Lok Sabha, March 29, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Water%20Resources/17_Water_Resources_23.pdf.
[29] Report 17: “Evaluation of Implementation of Pradhan Mantri Awas Yojana (Urban)”, Standing Committee on Housing and Urban Affairs, March 17, 2023, https://loksabhadocs.nic.in/lsscommittee/Housing%20and%20Urban%20Affairs/17_Housing_and_Urban_Affairs_17.pdf.
[30] “Seeking comments on draft Electricity (Rights of Consumers) Amendment Rules, 2023”, Ministry of Power, March 24, 2023, https://powermin.gov.in/sites/default/files/webform/notices/Seeking_Comments_on_Rights_of_Consumers_Rules_2023.pdf.
[31] G.S.R. 818 (E), Ministry of Power, December 31, 2020, https://powermin.gov.in/sites/default/files/uploads/Consumers_ Rules_2020.pdf.
[32] G.S.R.179(E)., Ministry of Health and Family Welfare, March 14, 2023, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236719.pdf.
[33] Section 2 (zd), The Surrogacy (Regulation) Act, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/232118.pdf.
[34] Section 2 (r), The Surrogacy (Regulation) Act, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/232118.pdf.
[35] Form 2, under Rule 7, The Surrogacy Rules, 2022, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2022/236719.pdf.
[36] G.S.R. 157(E)., Ministry of Health and Family Welfare, March 1, 2023, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2023/244036.pdf..
[37] The Medical Device Rules, 2017 https://cdsco.gov.in/opencms/opencms/system/modules/CDSCO.WEB/elements/download_file_division.jsp?num_id=OTg4NQ==.
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