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सितंबर 2023

पीडीएफ

इस अंक की झलकियां

संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से 21 सितंबर, 2023 के दौरान आयोजित हुआ
पांच बिल्स को विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया था; लेकिन कोई भी पारित नहीं किया गया। महिला आरक्षण बिल पेश और पारित किया गया। 

संसद ने विधायिकाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के लिए बिल पारित किया  

बिल लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है। 

2023-24 की पहली तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.1%

भारत ने 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 9.2 बिलियन USD (जीडीपी का 1.1%) का चालू खाता घाटा दर्ज किया जो 2022-23 की इसी तिमाही के 17.9 बिलियन USD (जीडीपी का 2.1%) से काफी कम है।

पॉक्सो एक्ट के तहत सहमति की उम्र पर विधि आयोग की रिपोर्ट

आयोग ने पॉक्सो एक्ट के तहत सहमति की उम्र को घटाकर 16 वर्ष करने पर विरोध जताया। उसने संशोधनों का सुझाव दिया ताकि मौन स्वीकृति के साथ 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र के बच्चों को यौन संबंधों में राहत दी जा सके।

केंद्र सरकार ने एक साथ चुनाव की समीक्षा के लिए समिति का गठन किया

समिति लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने से संबंधित कानूनों और रेगुलेशंस की समीक्षा करेगी और उनमें बदलाव का सुझाव देगी। 

स्टैंडिंग कमिटीज़ ने विभिन्न विषयों और नीतियों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी

इन रिपोर्ट्स में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) जेल की स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुधार, (ii) कर्मचारी राज्य बीमा निगम, (iii) एनईपी का कार्यान्वयन और (iv) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की कार्य प्रणाली। 

कैबिनेट ने ई-कोर्ट्स योजना के चरण III को मंजूरी दी

योजना के तीसरे चरण का उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एकीकृत टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म तैयार करना है जिससे अदालतों और वादियों के बीच पेपरलेस इंटरफेस संभव हो सके। 7,210 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ यह चरण चार वर्ष चलेगा। 

ट्राई ने कई सुझाव जारी किए

ट्राई ने विभिन्न क्षेत्रों में कई सुझाव जारी किए जैसे: (i) नेटवर्क और दूरसंचार उपकरण मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, (ii) एफएम रेडियो प्रसारण से संबंधित मुद्दे, और (iii) उत्तर-पूर्व में कनेक्टिविटी।

क्रैश सेफ्टी के आकलन के लिए भारत न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम अधिसूचित  
कार्यक्रम कारों को क्रैश टेस्ट में उनके प्रदर्शन के आधार पर रेट करता है। 3.5 टन तक की कारें परीक्षण के लिए पात्र होंगी और प्रदर्शन के आधार पर उन्हें उनकी सुरक्षा के अनुरूप स्टार रेटिंग दी जाएगी।  

ई-कॉमर्स में डार्क पैटर्न्स को रेगुलेट करने वाले दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित

ड्राफ्ट दिशानिर्देशों में ई-कॉमर्स में डार्क पैटर्न के उपयोग पर रोक लगाई गई है। डार्क पैटर्न यूजर इंटरफेस में भ्रामक डिज़ाइन पैटर्न होते हैं जो यूजर को अनचाहे काम करने के लिए गुमराह करने, धोखा देने के लिए तैयार किए जाते हैं।

 

 संसद

विशेष सत्र 2023 आयोजित; महिला आरक्षण बिल पारित

Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)

संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर, 2023 से 21 सितंबर, 2023 तक आयोजित किया गया जिस दौरान चार दिन बैठकें हुईं। इस सत्र के दौरान संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) बिल, 2023 (महिला आरक्षण बिल) पेश और पारित किया गया। यह बिल लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है।

विशेष सत्र 2023 के दौरान लेजिसलेटिव बिजनेस पर अधिक विवरण के लिए कृपया यहां देखें।

स्टैंडिंग कमिटीज़ ने 2023-24 में समीक्षा हेतु विषयों को चिन्हित किया

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

संसद के 24 विभागों से संबंधित 14 स्टैंडिंग कमिटियों ने 2023-24 के दौरान समीक्षा के लिए विषयों को चिन्हित किया। इन कमिटियों द्वारा चिन्हित विषयों को अनुलग्नक में सूचीबद्ध किया गया है।

 

माइक्रोइकोनॉमिक विकास

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

2023-24 की पहली तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.1%

भारत ने 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 9.2 बिलियन USD (जीडीपी का 1.1%) का चालू खाता घाटा दर्ज किया, जो कि 2022-23 में इसी तिमाही के 17.9 बिलियन USD (जीडीपी का 2.1%) के घाटे से काफी कम है।[1]  इसी अवधि में माल व्यापार घाटा 63.1 बिलियन USD से कम होकर 56.6 बिलियन USD हो गया। 2022-23 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में चालू खाता घाटा 1.3 बिलियन USD (जीडीपी का 0.2%) था।

पूंजी खाते में 2023-24 की पहली तिमाही में 34.4 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया जबकि 2022-23 की इसी तिमाही में 22.1 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया था। विदेशी पोर्टफोलियो निवेश ने 2023-24 की पहली तिमाही में 15.7 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया जबकि 2022-23 की पहली तिमाही में 14.6 बिलियन USD का शुद्ध बहिर्वाह दर्ज किया गया। 2022-23 की चौथी तिमाही में पूंजी खाते में 6.5 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया था।

2023-24 की पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 24.4 बिलियन USD की वृद्धि हुई जो पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 4.6 बिलियन USD की वृद्धि से काफी अधिक है।

तालिका 1: भुगतान संतुलन, तिमाही1 2023-24 (बिलियन USD में)

 

ति1
2022-23

ति4
2022-23

ति1
2023-24

आयात

185.9

168.4

161.6

निर्यात

122.8

115.8

105.0

शुद्ध सेवाएं

31.1

39.1

35.1

अन्य हस्तांतरण

14.0

12.2

12.3

चालू खाता*

-17.9

-1.4

-9.2

पूंजी खाता*

22.1

6.5

34.4

भूल चूक और लेनी देनी

0.5

0.4

-0.7

भंडार में परिवर्तन

4.6

5.6

24.4

नोट: *नेगेटिव आंकड़े घाटे का संकेत देते हैं।

स्रोत: आरबीआई; पीआरएस।

 

कानून एवं न्याय

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने वाला बिल पारित

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) बिल, 2023 को संसद में पारित कर दिया गया।[2] बिल लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है। इसके अतिरिक्त, यह आरक्षण लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों पर भी लागू होगा। मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • आरक्षण की शुरुआत: बिल के लागू होने के बाद होने वाली जनगणना के प्रकाशन के बाद आरक्षण प्रभावी होगा। जनगणना के आधार पर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के लिए परिसीमन किया जाएगा। आरक्षण 15 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाएगा। हालांकि यह उस तारीख तक जारी रहेगा, जिसका निर्धारण संसद के किसी कानून द्वारा किया जाता है।
  • सीटों का रोटेशन: हर परिसीमन के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाएगा।    

बिल पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया देखें।          

केंद्र सरकार ने एक साथ चुनाव कराने पर समिति का गठन किया

Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)

केंद्र सरकार ने एक देश एक चुनाव की समीक्षा करने और इस संबंध में सुझाव देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।[3] एक देश एक चुनाव, या एक साथ चुनाव से तात्पर्य एक ही समय में होने वाले लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनावों से है। समिति में पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद अध्यक्ष होंगे और इसमें सात सदस्य हैं। समिति के अन्य सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) श्री अमित शाह (गृह मंत्री), (ii) श्री गुलाम नबी आज़ाद (राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता), और (iii) श्री एन.के. सिंह (15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष)।

समिति लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने से संबंधित कानूनों और रेगुलेशंस की समीक्षा करेगी और उनमें बदलाव का सुझाव देगी। इन परिवर्तनों में संविधान, जन प्रतिनिधित्व एक्ट, 1950 और जन प्रतिनिधित्व एक्ट, 1951 में संशोधन शामिल हो सकते हैं। समिति यह भी जांच करेगी कि क्या संवैधानिक संशोधनों के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा समिति: (i) चुनावों को सिंक्रनाइज़ करने के लिए एक रूपरेखा का सुझाव देगी, (ii) एक साथ चुनावों के चक्र की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षात्मक उपायों का सुझाव देगी, (iii) लॉजिस्टिक्स और कर्मचारियों की जरूरत की समीक्षा करेगी, और (iv) विभिन्न चुनावों में मतदाताओं के लिए एक ही मतदाता सूची और पहचान पत्र का उपयोग करने के तौर तरीकों पर सुझाव देगी।

उम्मीद है कि समिति जल्द से जल्द सुझाव देगी।

कैबिनेट ने ईकोर्ट्स (eCourts) चरण-III को मंजूरी दी

Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2023 से 2027 तक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में ई-कोर्ट्स परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी दे दी है।[4] इस परियोजना को 7,210 करोड़ रुपए का वित्तीय परिव्यय प्राप्त होगा। भारतीय न्यायपालिका को डिजिटल रूप से एनेबल करने के लिए 2007 में ई-कोर्ट्स परियोजना शुरू की गई थी। योजना का चरण-II 2023 में समाप्त हुआ। योजना के चरण-I से बड़ी संख्या में जिला अदालतों का कंप्यूटरीकरण हुआ।[5] इसके अलावा योजना के दूसरे चरण का उद्देश्य नागरिकों को स्थानीय भाषाओं में सुलभ वेबसाइट जैसी सेवाएं प्रदान करना है।

चरण-III का उद्देश्य अदालतों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच पेपरलेस इंटरफ़ेस की सुविधा के साथ-साथ न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म बनाना है। चरण-III का उद्देश्य संपूर्ण अदालतों के रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना है। बजटीय परिव्यय का लगभग 28% स्कैनिंग, डिजिटलीकरण और केस रिकॉर्ड के डिजिटल संरक्षण पर खर्च होने का अनुमान है, जबकि लगभग 17% क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होने का अनुमान है। योजना के अपेक्षित परिणामों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) टेक्नोलॉजी एक्सेस के बिना नागरिकों को ईसेवा (eSewa) केंद्रों के माध्यम से न्यायिक सेवाएं प्रदान करना, (ii) कहीं से भी अदालती शुल्क और जुर्माने का भुगतान संभव बनाना, और (iii) पेपर-आधारित अदालती फाइलिंग्स पर निर्भरता को कम करना।

विधि आयोग ने पॉक्सो एक्ट के तहत सहमति की आयु पर रिपोर्ट पेश की

Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)

विधि आयोग (चेयर: न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी) ने 'यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण एक्ट, 2012 के तहत सहमति की आयु' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[6] यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) एक्ट के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को बच्चा माना जाता है।[7] यह कानून किसी बच्चे की सहमति के बावजूद उसके साथ यौन संबंधों को अपराध मानता है। आयोग की प्रमुख टिप्पणियों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • सहमति की आयु: आयोग ने कहा कि बाल यौन शोषण के अधिकांश मामलों में अपराधी बच्चे का कोई करीबी व्यक्ति होता है, या उसी परिवार से हो सकता है। ऐसे मामलों में, सहमति बनवाई जा सकती है। आयोग ने पॉक्सो एक्ट के तहत सहमति की आयु को घटाकर 16 वर्ष करने का विरोध किया।
  • 16 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे: आयोग ने कहा कि 16 से 18 वर्ष के बीच के बच्चे की मौन स्वीकृति वाली यौन गतिविधियों पर 2012 एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जाना चिंता का कारण है। उसने पॉक्सो एक्ट के तहत पेनेट्रेटिव यौन उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के लिए सजा से संबंधित धाराओं में संशोधन का सुझाव दिया। संशोधन में कहा गया है कि अगर अपराध के समय बच्चा 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र का था तो आरोपी को कम सजा दी जा सकती है। इसे पूरा करने के लिए कुछ मानदंडों की आवश्यकता होगी। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विशेष अदालत इस बात से संतुष्ट है कि आरोपी और बच्चे के बीच संबंध घनिष्ठ था, (ii) बच्चे की ओर से मौन स्वीकृति की उपस्थिति, (iii) आरोपी और उस बच्चे के बीच उम्र का अंतर तीन साल से अधिक नहीं होना चाहिए, (iv) आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं, (v) अनुचित प्रभाव, बल या हिंसा का कोई तत्व मौजूद नहीं है, और (vi) आरोपी बच्चे और माता-पिता को डराने-धमकाने की स्थिति में नहीं है।
  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी): वर्तमान में आईपीसी के तहत, पति और उसकी पत्नी (जो 18 वर्ष से कम है) के बीच सहमति से यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में आता है।[8] आयोग ने कहा कि आईपीसी में संशोधन के बिना किशोरों के रोमांटिक रिश्तों को राहत देने के लिए केवल पॉक्सो एक्ट में संशोधन करना अर्थहीन होगा। इसलिए आयोग ने आईपीसी में उपयुक्त संशोधन का सुझाव दिया।

सीआरपीसी के तहत एफआईआर के ऑनलाइन पंजीकरण को एनेबल करने पर विधि आयोग की रिपोर्ट

Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)

विधि आयोग (चेयर: न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी) ने "एफआईआर के ऑनलाइन पंजीकरण को एनेबल करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 154 में संशोधन" पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 154 किसी संज्ञेय अपराध के घटित होने के संबंध में पुलिस को प्रदान की गई जानकारी से संबंधित है। प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) इस धारा के अंतर्गत आती हैं।

पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने आयोग को सूचित किया कि राज्यों से संबंधित सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने और ई-एफआईआर मॉड्यूल लागू करने का अनुरोध किया गया है। आयोग ने कहा कि दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित आठ राज्यों ने ई-एफआईआर के पंजीकरण को लागू किया है। इसके अलावा, नागरिक साइबर अपराध के संबंध में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। 1 जुलाई, 2023 तक, लगभग 25 लाख साइबर-अपराध शिकायतें दर्ज की गई हैं और संबंधित राज्यों को भेज दी गई हैं। आयोग ने ई-एफआईआर के चरणबद्ध कार्यान्वयन का सुझाव दिया। उसने सभी संज्ञेय अपराधों के लिए ई-एफआईआर को एनेबल करने का सुझाव दिया जहां आरोपी ज्ञात नहीं है और संज्ञेय अपराधों में तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है, जहां आरोपी ज्ञात है। आयोग ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ई-एफआईआर दर्ज करते समय प्रदान किए गए डेटा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

 

वित्त

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो पर दिशानिर्देश जारी किए

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आरबीआई (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन) दिशानिर्देश, 2023 जारी किया।[9] यह फ्रेमवर्क 1 अप्रैल, 2024 से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर सभी वाणिज्यिक बैंकों के लिए लागू होगी। इसकी विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • निवेश नीति फ्रेमवर्क: बैंकों को अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित निवेश नीति अपनानी होगी। नीति में निम्नलिखित शामिल होने चाहिए: (i) निवेश मानदंड और निवेश लेनदेन के माध्यम से प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्य, (ii) प्रतिभूतियां जिनमें बैंक निवेश कर सकते हैं, और (iii) डेरिवेटिव्स जिनमें बैंक सौदा कर सकते हैं। यह नीति प्रतिभूतियों में निवेश के लिए प्रूडेंशियल सीमा प्रदान करेगी जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और कॉरपोरेट्स द्वारा जारी बांड में निवेश की सीमा। क्षेत्र में विशेषज्ञता सुनिश्चित करने हेतु बैंकों को इक्विटी अनुसंधान विभाग स्थापित करना चाहिए।
  • निवेश का वर्गीकरण: बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो को निम्नलिखित में वर्गीकृत किया जाना चाहिए: (i) परिपक्वता तक धारित (परिपक्वता तक रखने के इरादे से हासिल की गई प्रतिभूतियां), (ii) बिक्री के लिए उपलब्ध (नकदी प्रवाह एकत्र करने के साथ-साथ बिक्री के लिए हासिल की गई प्रतिभूतियां), और (iii) लाभ और हानि के माध्यम से उचित मूल्य (प्रतिभूतियां जो उपरोक्त दो श्रेणियों में नहीं आती हैं)। प्रतिभूतियों के पुनर्वर्गीकरण के लिए बैंक के बोर्ड के साथ-साथ आरबीआई से अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
  • आंतरिक नियंत्रण प्रणाली: निवेश लेनदेन के लिए बैंकों के पास एक मजबूत आंतरिक नियंत्रण तंत्र होना चाहिए। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) निवेश बही का आवधिक मिलान, (ii) पोर्टफोलियो का मूल्यांकन, और (iii) प्रूडेंशियल और जोखिम सीमाओं की निगरानी।

आरबीआई ने व्यक्तिगत ऋणों के पुनर्भुगतान पर संपत्ति दस्तावेज जारी करने के निर्देश जारी किए

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने व्यक्तिगत ऋणों के पुनर्भुगतान पर रेगुलेटेड संस्थाओं (जैसे बैंक) द्वारा चल/अचल संपत्ति दस्तावेज़ जारी करने के निर्देश जारी किए।[10] व्यक्तिगत ऋण में शिक्षा ऋण, आवास ऋण और वित्तीय संपत्तियों में निवेश के लिए ऋण शामिल हैं। उचित व्यवहार संहिता (आरबीआई द्वारा जारी) के तहत, रेगुलेटेड संस्थाओं को पूर्ण पुनर्भुगतान प्राप्त करने और ऋण खाता बंद करने पर सभी संपत्ति दस्तावेज जारी करने होंगे। हालांकि आरबीआई ने गौर किया है कि ऐसे दस्तावेज़ों को जारी करने के लिए अलग-अलग पद्धतियों का इस्तेमाल किया जाता है। निर्देशों के अनुसार रेगुलेटेड संस्थाओं को ऋण खाते के पूर्ण पुनर्भुगतान/निपटान के बाद 30 दिनों के भीतर मूल संपत्ति दस्तावेजों को जारी करना होगा। रेगुलेटेड इकाई के कारण होने वाली किसी भी देरी के मामले में, उधारकर्ता को देरी के प्रत्येक दिन के लिए 5,000 रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।

ये निर्देश 1 दिसंबर 2023 से लागू होंगे। 

आरबीआई ने ऐच्छिक और बड़े डिफॉल्टरों के प्रबंध के लिए ड्राफ्ट निर्देश जारी किए

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं के लिए आरबीआई (ऐच्छिक डिफॉल्टरों और बड़े डिफॉल्टरों का प्रबंध) दिशानिर्देश, 2023 का ड्राफ्ट जारी किया।[11] ड्राफ्ट निर्देशों में उधारदाताओं द्वारा किसी उधारकर्ता को जानबूझकर चूक करने वाले के रूप में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया प्रदान करने का प्रयास किया गया है। प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

  • ऐच्छिक या जानबूझकर डिफॉल्ट करने वाला: ऐच्छिक डिफॉल्टर का अर्थ है: (i) एक उधारकर्ता या गारंटर जिसने कम से कम 25 लाख रुपए का डिफॉल्ट जानबूझकर किया है या आरबीआई द्वारा अधिसूचित किया गया है, (ii) डिफॉल्ट के समय जुड़े प्रमोटर और निदेशक, यदि डिफॉल्टर एक कंपनी है, और (iii) किसी इकाई (कंपनियों के अलावा) के मामलों के प्रबंधन के लिए प्रभारी और जिम्मेदार व्यक्ति। बड़े डिफॉल्टर से तात्पर्य ऐसे डिफॉल्टर से है जिस पर कम से कम एक करोड़ रुपए की बकाया राशि है और जिसके खाते को संदिग्ध या लॉस एकाउंट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • किसी उधारकर्ता द्वारा ऐच्छिक चूक तब मानी जाएगी जब वह ऋणदाता को भुगतान/पुनर्भुगतान दायित्वों को पूरा करने में चूक करता है। इसके अलावा, निर्दिष्ट शर्तों में से कम से कम एक को पूरा करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) दायित्वों को पूरा करने की क्षमता होने के बावजूद डिफॉल्ट, (ii) ऋणदाता से प्राप्त धन का दूसरा उपयोग या हेराफेरी, या (iii) ऋणदाता की जानकारी के बिना ऋण सुरक्षित करने के लिए दी गई संपत्ति का निपटान। गारंटर द्वारा ऐच्छिक चूक को घटित माना जाएगा, अगर वह ऐसा करने की क्षमता होने के बावजूद ऋणदाता द्वारा ली गई गारंटी को पूरा नहीं करता है।
  • ऐच्छिक डिफॉल्टर्स की पहचान: ऐच्छिक चूक के सबूत की जांच ऋणदाता द्वारा गठित एक पहचान समिति (जिसमें अध्यक्ष के रूप में पूर्णकालिक निदेशक और दो वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे) द्वारा की जाएगी। अगर समिति संतुष्ट है कि जानबूझकर चूक हुई है, तो वह उधारकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी। उधारकर्ता को ऋणदाता द्वारा स्थापित एक समीक्षा समिति (जिसमें अध्यक्ष के रूप में मुख्य कार्यकारी अधिकारी और दो स्वतंत्र निदेशक शामिल होंगे) को एक प्रतिनिधि प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा। समीक्षा समिति उधारकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर प्रदान करेगी। यह बाद में एक आदेश पारित करेगी और जानबूझकर चूककर्ता को इसकी सूचना देगी।
  • ऐच्छिक डिफॉल्टर्स के खिलाफ उपाय: आवश्यकता पड़ने पर ऋणदाता जानबूझकर चूक करने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं। जानबूझकर चूक करने वाले ऋण सुविधा के पुनर्गठन के लिए पात्र नहीं होंगे। किसी ऋणदाता द्वारा जानबूझकर चूक करने वाले या जानबूझकर चूक करने वाले से जुड़ी किसी इकाई को कोई अतिरिक्त ऋण सुविधा नहीं दी जाएगी।

टिप्पणियां 31 अक्टूबर, 2023 तक आमंत्रित हैं।

 

गृह मामले

Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)

जेलों की स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुधारों पर स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट

गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री बृजलाल) ने ‘कारावास- स्थितियां, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुधार’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी।[12] कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ओवरक्राउडिंग: कमिटी ने कहा कि जब जेलों में बहुत ज्यादा कैदी होते हैं तो उसका कैदियों के साथ-साथ आपराधिक न्याय प्रणाली पर भी गंभीर परिणाम होता है। भारत भर की जेलों में राष्ट्रीय स्तर पर ऑक्यूपेंसी की औसत दर 130% है। उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों में कैदियों की कुल आबादी का आधे से अधिक हिस्सा है। इन छह राज्यों में से चार में ऑक्यूपेंसी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। कमिटी ने सुझाव दिया कि समझौता ज्ञापन पर दस्तखत करके, कैदियों को ओवरक्राउडेड जेलों से उसी राज्य की या किसी दूसरे राज्य की जेलों में स्थानांतरित किया जाए।
  • कमिटी ने कहा कि जमानत से आम तौर पर इनकार किया जाता है क्योंकि विचाराधीन कैदी: (i) गवाहों को प्रभावित कर सकता है या उन्हें डरा-धमका सकता है, (ii) देश छोड़कर भागने की कोशिश कर सकता है या दूसरा अपराध कर सकता है। उसने कहा कि ब्रेसलेट/एंकलेट ट्रैकर टेक्नोलॉजी, जमानतयाफ्ता कैदियों की निगरानी के लिए लागत प्रभावी तरीका हो सकता है, जिसे ओड़िशा में लागू किया गया है। चूंकि यह मानवाधिकार मुद्दा है, इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि कैदियों की सहमति हासिल करने के बाद यह तरीका इस्तेमाल किया जाए।
  • किशोर अपराधी: कमिटी ने कहा कि सभी राज्यों में किशोर अपराधी कौन हैं, इस पर स्पष्टता का अभाव है। उसने सुझाव दिया कि गृह मंत्रालय को सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एक सामान्य दिशानिर्देश के साथ किशोर अपराधियों की स्पष्ट परिभाषा प्रदान करनी चाहिए। इसके अलावा बोर्स्टल स्कूलों (किशोर हिरासत केंद्र) की उपलब्धता की समीक्षा करते हुए कमिटी ने कहा कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे स्कूल नहीं हैं। तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और झारखंड सहित केवल आठ राज्यों में बोर्स्टल स्कूल हैं। कमिटी ने राज्यों में ऐसे कम से कम एक-दो स्कूल खोलने का सुझाव दिया।
  • महिला कैदी: कमिटी ने गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान देने का सुझाव दिया जिसमें जेल के बाहर प्रसव का मौका और प्रसव पूर्व और उसके बाद उचित देखभाल शामिल है। बच्चों के लिए पालन-पोषण का माहौल सुनिश्चित करने के लिए, कमिटी ने सुझाव दिया कि जेल में पैदा हुए बच्चों को 12 साल की उम्र तक अपनी मां के साथ रहने की अनुमति दी जाए। वर्तमान में जेल में पैदा हुए बच्चे छह साल की उम्र तक अपनी मां के साथ रह सकते हैं।

पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

 

संचार

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

ट्राई ने कई विषयों पर सुझाव जारी किए

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने निम्नलिखित पर अपने सुझाव जारी किए: (i) नेटवर्किंग और दूरसंचार उपकरण मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, (ii) एफएम रेडियो प्रसारण क्षेत्र से संबंधित मुद्दे, (iii) उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में दूरसंचार इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना, और (iv) दूरसंचार लाइसेंसधारियों के लिए प्रवेश शुल्क और बैंक गारंटी का पुनर्गठन।[13],[14],[15],[16]  मुख्य टिप्पणियां और सुझाव निम्नलिखित हैं:

  • मैन्यूफैक्चरिंग: ट्राई ने सुझाव दिया कि नेटवर्किंग और दूरसंचार उपकरणों की मैन्यूफैक्चरिंग में घरेलू मूल्यवर्धन एक प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए। घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए उसके प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग के लिए पीएलआई योजना का विस्तार, (ii) दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को घरेलू स्तर पर निर्मित उपकरण खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना, (iii) मैन्यूफैक्चरिंग सुविधाओं के लिए पूंजी सबसिडी और एमएसएमई को ब्याज छूट प्रदान करना, (iv) दूरसंचार मैन्यूफैक्चरिंग में स्टार्टअप के लिए एक समर्पित उद्यम पूंजी कोष की स्थापना, (v) अनुसंधान एवं विकास में निवेश के लिए कर प्रोत्साहन की शुरुआत, और (vi) दूरसंचार सॉफ्टवेयर को स्वतंत्र डिलिवरेबल्स के रूप में मानना ​​और उनके विकास के लिए निर्यात और घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग हेतु प्रोत्साहन प्रदान करना।
  • एफएम रेडियो प्रसारण: एफएम रेडियो प्रसारण क्षेत्र के लिए उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) लाइसेंस शुल्क को सकल राजस्व का 4% (जीएसटी को छोड़कर) के रूप में लेना, (ii) निजी रेडियो चैनलों को अपने स्वयं के समाचार बुलेटिन चलाने की अनुमति देना, (वर्तमान में, उन्हें केवल ऑल इंडिया रेडियो से बुलेटिन को एयर करने की अनुमति है), और (iii) यह अनिवार्य करना है कि एफएम रेडियो-रिसीवर आवश्यक हार्डवेयर से लैस मोबाइल फोन पर एनेबल और एक्टिवेटेड हों।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर: ट्राई ने गौर किया कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र खराब डिजिटल कनेक्टिविटी से ग्रस्त है। इस स्थिति को सुधारने के लिए उसने कई सुझाव दिए, जैसे: (i) केंद्र सरकार के नियमों के साथ स्थानीय राइट ऑफ वे नियमों का सामंजस्य बनाना, (ii) प्राथमिकता के आधार पर दूरसंचार साइटों को बिजली प्रदान करना, (iii) इंफ्रास्ट्रक्चर विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) का उपयोग करना, और (iv) 4जी कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए उन गांवों की पहचान करना, जहां ये सेवा नहीं है, भले ही उसकी आबादी कितनी भी हो। यूएसओएफ डिजिटल सेवाओं तक पहुंच के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने का काम करता है।
  • प्रवेश शुल्क और बैंक गारंटी: वर्तमान में टेलीकॉम ऑपरेटरों को एकीकृत लाइसेंस जारी किया जाता है जिसके तहत सेवा-वार प्राधिकृति दी जाती है। लाइसेंसधारियों को विभिन्न प्राधिकृतियों के लिए प्रवेश शुल्क (एकमुश्त गैर-वापसीयोग्य शुल्क) का भुगतान करना होता है और बैंक गारंटी (लाइसेंसधारी सरकार को अपना बकाया भुगतान दे, यह सुनिश्चित करने वाला एक वित्तीय साधन) देनी होती है। ट्राई ने इन शुल्कों को कम करने का सुझाव दिया। मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्राधिकृति के लिए प्रवेश शुल्क को कम करना, (ii) लाइसेंस के रीन्यूअल के लिए प्रवेश शुल्क को समाप्त करना, और (iii) व्यापार सुगमता के लिए ई-बैंक गारंटी का उपयोग।

ट्राई ने अनेक विषयों पर सार्वजनिक प्रतिक्रियाएं मांगी

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने निम्नलिखित पर परामर्श पत्र जारी किए: (i) दूरसंचार, प्रसारण और आईटी में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना, (ii) उभरती टेक्नोलॉजी के युग में डिजिटल समावेश, (iii) राष्ट्रीय प्रसारण नीति की ड्राफ्टिंग के लिए इनपुट, और (iv) डिजिटल इकोसिस्टम को बढ़ाने के लिए 5जी का उपयोग।[17],[18],[19],[20]  जिन विषयों पर इनपुट मांगे गए हैं, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • अनुसंधान और विकास: भारत में अनुसंधान एवं विकास पर खर्च विश्व औसत से कम है। भारत ने 2017-18 में अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% अनुसंधान एवं विकास पर खर्च किया, जो सकल घरेलू उत्पाद के 1.8% के विश्व औसत से कम है। परामर्श पत्र में निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर टिप्पणियां मांगी गई हैं: (i) अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए सभी स्तरों पर शिक्षा प्रणाली की पर्याप्तता, (ii) क्या अनुसंधान एवं विकास में शामिल सार्वजनिक और निजी संस्थानों का वर्तमान नेटवर्क पर्याप्त है, (iii) अनुसंधान एवं विकास के लिए वर्तमान रेगुलेटरी ढांचे के मुद्दे, विशेष रूप से बौद्धिक संपदा अधिकारों के क्षेत्र में, और (iv) मौजूदा कानूनों/नीतियों को विश्व के प्रमुख देशों के अनुरूप करने के लिए जरूरी परिवर्तन।
  • डिजिटल समावेश: ट्राई ने गौर किया कि भारत में डिजिटल सेवाओं को तेजी से अपनाया जा रहा है। हालांकि समाज के विभिन्न वर्गों में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं के उपयोग में व्यापक भिन्नता है। जिन प्रमुख मुद्दों पर टिप्पणियां आमंत्रित की गईं, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) डिजिटल कनेक्टिविटी, डिजिटल एफोर्डेबिलिटी और डिजिटल साक्षरता जैसे डिजिटल समावेश को प्रभावित करने वाले कारकों को संबोधित करने की आवश्यकता, (ii) यूनिवर्सल कनेक्टिविटी प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त उपाय या वर्तमान योजनाओं का विस्तार, (iii) डिजिटल सेवाओं और डिजिटल साक्षरता की एफोर्डेबिलिटी सुनिश्चित करने के तरीके, और (iv) एमएसएमई के लिए कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना।
  • राष्ट्रीय प्रसारण नीति का प्रतिपादन: ट्राई ने नई राष्ट्रीय प्रसारण नीति विकसित करने के लिए प्रसारण क्षेत्र के व्यापक मुद्दों पर विचार आमंत्रित किए हैं। परामर्श के प्रमुख क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सार्वजनिक सेवा प्रसारण की आवश्यकता, प्रासंगिकता और समीक्षा, (ii) विभिन्न प्रकार की प्रसारण प्रणालियों के लिए नीति और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का सरलीकरण, (iii) पायरेसी और कॉपीराइट के व्यवस्थित और कानूनी निवारण के लिए फ्रेमवर्क, और (iv) प्रसारण के लिए एक अलग रेगुलेटर की आवश्यकता।
  • 5 जी इकोसिस्टम: 5G ने बेहद तेज़ डेटा ट्रांसफर स्पीड एनेबल किया है। इस प्रकार इसमें वर्चुअल रिएलिटी (वीआर) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी उभरती टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करने वाला अपना खुद का एक प्लेटफॉर्म बनने की क्षमता है। परामर्श पत्र में ऐसे इकोसिस्टम को एनेबल करने पर इनपुट मांगा गया है। परामर्श के लिए मुख्य मुद्दों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) 5G के विकास और उसे अपनाने को बढ़ावा देने के लिए किसी अतिरिक्त उपाय की आवश्यकता, (ii) 5G के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक नीतिगत उपाय, (iii) वीआर, एआई और ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए नीतियों का निर्माण, और (iv) ऐसी टेक्नोलॉजी में स्टार्टअप और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक उपाय।

परामर्श की अंतिम तिथियां इस प्रकार हैं:

  • दूरसंचार, प्रसारण और आईटी में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना: 23 अक्टूबर, 2023,
  • उभरती टेक्नोलॉजी के युग में डिजिटल समावेशन: 16 अक्टूबर, 2023,
  • राष्ट्रीय प्रसारण नीति के निर्माण के लिए इनपुट: 10 अक्टूबर, 2023,
  • 5G इकोसिस्टम के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन: 30 अक्टूबर, 2023।

 

उपभोक्ता मामले

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

ई-कॉमर्स में डार्क पैटर्न को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने डार्क पैटर्न की रोकथाम और रेगुलेशन, 2023 के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[21] डार्क पैटर्न प्लेटफार्मों के यूजर इंटरफेस (यूआई) में ऐसी पद्धतियों या भ्रामक डिजाइन पैटर्न को कहा जाता है जो उपयोगकर्ताओं को अनपेक्षित कार्यों को करने के लिए गुमराह करने या धोखा देने के लिए डिज़ाइन किया गया हो। ये पैटर्न उपभोक्ता की स्वायत्तता, निर्णय लेने या पसंद को प्रभावित करते हैं और भ्रामक या अनुचित व्यापार पद्धतियों के समान होते हैं। ड्राफ्ट दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • डार्क पैटर्न में शामिल होने पर प्रतिबंध: दिशानिर्देश किसी भी डार्क पैटर्न में शामिल होने पर रोक लगाते हैं। ये इन पर लागू होंगे: (i) भारत में सामान या सेवाएं प्रदान करने वाले सभी प्लेटफॉर्म, (ii) विज्ञापनदाता, और (iii) विक्रेता। उपभोक्ता संरक्षण एक्ट, 2019 के तहत स्थापित केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) डार्क पैटर्न की व्याख्या से संबंधित अस्पष्टताओं या विवादों को निपटाने के लिए जिम्मेदार होगा।[22]  एक्ट के तहत, सीसीपीए के निर्देशों का पालन न करने पर छह महीने तक की कैद, 20 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।22
  • डार्क पैटर्न के प्रकार: ड्राफ्ट दिशानिर्देश विभिन्न डार्क पैटर्न को परिभाषित करते हैं। कुछ प्रमुख पैटर्न नीचे दी गई तालिका में सूचीबद्ध हैं।

तालिका 2: कुछ डार्क पैटर्न

पैटर्न

विवरण

उदाहरण

  • फॉल्स अर्जेंसी

किसी उत्पाद/सेवा की अत्यावश्यकता या कमी की भावना को गलत तरीके से बताना या उसका संकेत देना

उपयोगकर्ताओं के एक सीमित समूह के लिए किसी बिक्री को 'एक्सक्लूसिव' के रूप में गलत तरीके से बताना

  • बास्केट स्नीकिंग

उपयोगकर्ता की सहमति के बिना चेकआउट के समय उत्पादों या सेवाओं जैसी अतिरिक्त वस्तुओं को शामिल करना

एक उपयोगकर्ता ऑनलाइन खाना ऑर्डर करता है, और फूड डिलिवरी प्लेटफ़ॉर्म चेकआउट पर अपने आप सबस्क्रिप्शन शामिल कर देता है

  •   
  • कन्फर्म शेमिंग

उपभोक्ता के मन में डर, शर्म, अपराधबोध या उपहास की भावना पैदा करने के लिए किसी वाक्यांश, वीडियो, ऑडियो या किसी अन्य माध्यम का उपयोग करना

अगर उपयोगकर्ता कार्ट में बीमा नहीं जोड़ता है तो फ्लाइट टिकट बुक करने के लिए एक प्लेटफॉर्म पर 'मैं असुरक्षित रहूंगा' वाक्यांश का उपयोग किया जाता है

  •  

स्रोत: डार्क पैटर्न की रोकथाम और रेगुलेशन पर ड्राफ्ट दिशानिर्देश; पीआरएस।

टिप्पणियां 5 अक्टूबर तक आमंत्रित हैं।

 

परिवहन

Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)

स्टैंडिंग कमिटी ने राष्ट्रीय अंतर्देशीय जलमार्गों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी

परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 'मौजूदा और नए राष्ट्रीय अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास और विस्तार' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[23]  अंतर्देशीय जलमार्ग एक नौगम्य (नेविगेबल) नदी और नहर प्रणाली होती है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) अंतर्देशीय शिपिंग और नेविगेशन के लिए राष्ट्रीय जलमार्गों को रेगुलेट और विकसित करता है। कमिटी के प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • राष्ट्रीय जलमार्गों का परिचालन: देश में 111 अधिसूचित राष्ट्रीय जलमार्ग हैं जिनमें से 23 को चालू कर दिया गया है। बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने कहा है कि वित्तीय और कर्मचारियों की कमी के कारण 63 राष्ट्रीय जलमार्गों का विकास नहीं किया जा रहा। कमिटी ने सुझाव दिया कि फिलहाल इन 63 जलमार्गों का विकास न किया जाए क्योंकि यह अव्यावहारिक है।
  • कमिटी ने कहा कि पांच राष्ट्रीय जलमार्ग कुल कार्गो मूवमेंट में 80% का योगदान करते हैं। कमिटी ने कहा कि निम्नलिखित प्रमुख कारण कंपनियों को अंतर्देशीय जलमार्गों का इस्तेमाल करने से हतोत्साहित करते हैं: (i) जलमार्गों के विकास की धीमी गति, (ii) खराब आंतरिक कनेक्टिविटी, और (iii) पोत और उपकरणों की उच्च लागत। कमिटी ने इस प्रवृत्ति में बदलाव को आसान करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख उपायों का सुझाव दिया: (i) शिपर्स को वित्तीय प्रोत्साहन, और (ii) टर्मिनलों पर लोडिंग और अनलोडिंग सुविधाओं का विकास।
  • कार्गो मूवमेंट के लिए इंटरमोडल कनेक्टिविटी: कमिटी ने कहा कि प्रमुख बंदरगाहों, रेल और सड़कों के साथ जलमार्गों की कनेक्टिविटी से इन साधनों पर बोझ कम होगा और लॉजिस्टिक्स की लागत कम होगी। कमिटी ने सुझाव दिया कि नए अधिसूचित जलमार्गों के मामले में, रेल, सड़क और बंदरगाहों के साथ कनेक्टिविटी को परियोजना के योजना चरण में ही निपटाया जाना चाहिए।
  • जलमार्गों की कम हिस्सेदारी: भारत के माल ढुलाई में जलमार्गों की औसत हिस्सेदारी लगभग 2% है, जबकि यूएसए के लिए यह आंकड़ा 4%, चीन के लिए 14%, वियतनाम के लिए 48% और नीदरलैंड्स के लिए 49% है। भारत का लक्ष्य 2030 तक मोडल शेयर को 5% तक बढ़ाना है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय एक कार्य योजना बनाए ताकि एक स्थायी पारगमन विकल्प और पर्यटन उत्पाद के रूप में जलमार्गों की क्षमता का दोहन किया जा सके।

पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

कारों की क्रैश सेफ्टी का आकलन करने के लिए भारत न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम अधिसूचित किया गया

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[24],[25]  नियम मोटर वाहन एक्ट, 1988 के प्रावधानों के तहत बनाए गए हैं।[26] 

संशोधनों में एम1 श्रेणी के तहत वाहनों की सुरक्षा रेटिंग का आकलन करने के लिए भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (बीएनकैप) की शुरुआत की गई है। एम1 श्रेणी में 3.5 टन तक वजन वाली कारें शामिल हैं जो आठ यात्रियों (ड्राइवर को छोड़कर) को ले जा सकती हैं।[27]  ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (एआईएस) 197 के अनुसार स्टार रेटिंग के लिए वाहनों की जांच और मूल्यांकन किया जाएगा। ड्राफ्ट एआईएस 197 (अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया) के अनुसार, समग्र वाहन सुरक्षा मूल्यांकन इस पर आधारित होगा: (i) बालिग यात्रियों की सुरक्षा, (ii) नाबालिग यात्रियों की सुरक्षा और (iii) सेफ्टी एसेसमेंट टेक्नोलॉजी।[28]  यह कार्यक्रम वाहनों के लिए 1 अक्टूबर 2023 से लागू होगा। 

परिवहन वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र की वैधता बढ़ाने के नियम अधिसूचित

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[29],[30]  नियम मोटर वाहन एक्ट, 1988 के प्रावधानों के तहत तैयार किए गए हैं।[31] 1988 का एक्ट केंद्र सरकार को फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने के लिए नियम निर्धारित करने का अधिकार देता है। परिवहन वाहन एक हल्का मोटर वाहन, एक सार्वजनिक सेवा वाहन, एक माल ढुलाई वाहन, शैक्षणिक संस्थान बस या एक निजी सेवा वाहन होता है।31 एक फिटनेस प्रमाणपत्र इस बात का प्रमाण है कि वाहन सुरक्षित है और सड़क पर उपयोग के लिए उपयुक्त है।

1989 के नियमों के तहत पुराने परिवहन वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र की वैधता एक वर्ष थी। संशोधनों ने आठ साल तक पुराने वाहनों के लिए वैधता अवधि को दो साल तक बढ़ा दिया है। केवल स्वचालित परीक्षण स्टेशनों को निम्नलिखित के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करना चाहिए: (i) भारी माल वाहन, (ii) भारी यात्री मोटर वाहन, (iii) मध्यम माल वाहन, और (iv) हल्के मोटर। नए नियम 1 अक्टूबर 2024 से लागू होंगे।

 

पर्यटन

Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)

स्टैंडिंग कमिटी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की कार्य प्रणाली पर अपनी रिपोर्ट सौंपी

परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की कार्य प्रणाली' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[32] केंद्र सरकार द्वारा गठित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों का रखरखाव करने वाला एक निकाय है। यह देश में पुरातात्विक गतिविधियों को भी रेगुलेट करता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • केंद्रीय स्तर पर संरक्षित स्मारकों की सूची का पुनर्गठन: केंद्रीय स्तर पर संरक्षित स्मारक राष्ट्रीय महत्व के स्मारक और पुरातात्विक स्थल होते हैं, जो संघ सूची में शामिल हैं और एएसआई के अधीन हैं। कमिटी ने कहा कि 3,691 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों में से कम से कम एक चौथाई छोटे स्मारक हैं जिनका कोई पुरातात्विक या ऐतिहासिक महत्व नहीं है।[33]  उसने सुझाव दिया कि इन स्मारकों की सूची को राष्ट्रीय महत्व, अद्वितीय पुरातात्विक महत्व और विशिष्ट धरोहर के आधार पर पुनर्गठित किया जाए। उसने यह भी सुझाव दिया कि एएसआई उन सभी स्मारकों की बाह्य सुरक्षा सुनिश्चित करे, जिनका वह रखरखाव करता है। उसने कहा कि कर्मचारियों की कमी के कारण पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती।
  • स्मारकों के इर्द-गिर्द प्रतिबंधित क्षेत्र: पुरातात्विक स्थलों के 300 मीटर के दायरे में निर्माण और खनन सहित विभिन्न गतिविधियां कानून के तहत प्रतिबंधित हैं। कमिटी ने कहा कि इसके कारण सार्वजनिक स्तर पर आलोचना होती है और असुविधा पैदा होती है क्योंकि कुछ मामलों में एक पूरा गांव इस दायरे में आता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इन प्रतिबंधों को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए।

पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

विशिष्ट पर्यटन और संभावित पर्यटन स्थलों के विकास पर स्टैडिंग कमिटी की रिपोर्ट

परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (अध्यक्ष: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने "विशिष्ट पर्यटन (आध्यात्मिक पर्यटन सहित), थीम-आधारित पर्यटक सर्किट और संभावित पर्यटक स्थलों का विकास" पर अपनी रिपोर्ट जारी की।[34]  विशिष्ट पर्यटन समान रुचियों वाले लोगों के छोटे समूहों की जरूरतों को पूरा करता है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ग्रामीण पर्यटन, (ii) साहसिक पर्यटन, (iii) इको-पर्यटन, और (iv) चिकित्सा पर्यटन। 

  • ग्रामीण पर्यटन: कमिटी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा तैयार सर्वोत्तम पर्यटन गांवों की सूची में कोई भी भारतीय गांव शामिल नहीं है। उसने कहा कि ग्रामीण पर्यटन में ग्रामीणों के लिए रोजगार और आय बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। उसने सुझाव दिया कि ग्रामीण पर्यटन संबंधी वेबसाइट को ग्रामीण होमस्टे, यात्रा कनेक्टिविटी और गांवों में पर्यटन स्थलों का विवरण प्रदान करना चाहिए।
  • साहसिक पर्यटन: कमिटी ने कहा कि साहसिक खेलों में दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। उसने बिना लाइसेंस वाले साहसिक टूर ऑपरेटरों की उपस्थिति का उल्लेख भी किया। कमिटी ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय को एक कानून बनाना चाहिए ताकि केवल लाइसेंस प्राप्त ऑपरेटर ही साहसिक पर्यटन सेवाएं प्रदान करें।
  • चिकित्सा पर्यटन: कमिटी ने कहा कि चिकित्सा यात्रा क्षेत्र में रेगुलेशंस की कमी है, इसलिए सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी नहीं हो पाती। उसने सभी चिकित्सा पर्यटन सुविधा प्रदाताओं को अनिवार्य रूप से सरकार के साथ पंजीकरण करने का सुझाव दिया। उसने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह अस्पतालों को ज्वाइंट कमीशन इंटरनेशनल एक्रेडेशन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करे क्योंकि इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
  • स्वदेश दर्शन योजना: योजना के तहत 15 विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है। पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 76 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। कमिटी ने कहा कि मंदिर या वन अधिकारियों से मंजूरी की कमी के कारण कई परियोजनाओं में देरी हो रही है। उसने परियोजनाओं की वास्तविक समय (रियल टाइम) की निगरानी का सुझाव दिया।

 

ऊर्जा

एनर्जी स्टोरेज प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए फ्रेमवर्क जारी

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

ऊर्जा मंत्रालय ने ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क जारी किया है।[35] चूंकि अक्षय स्रोतों से बिजली उत्पादन काफी भिन्न होता है, इसलिए विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किसी भी अधिशेष उत्पादन को संग्रहीत करने हेतु ऊर्जा भंडारण (एनर्जी स्टोरेज) प्रणालियों का उपयोग किया जाता है। भारत का लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से 50% संचयी स्थापित क्षमता प्राप्त करना है। इस पैमाने पर अक्षय ऊर्जा क्षमता के एकीकरण के लिए ऊर्जा भंडारण प्रणालियां महत्वपूर्ण होंगी। फ्रेमवर्क में निम्नलिखित प्रमुख उपायों का सुझाव दिया गया है:

  • रेगुलेटरी उपाय: ऊर्जा भंडारण प्रणालियों की वित्तीय और वाणिज्यिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए, कुछ रेगुलेटरी उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को प्रोत्साहित करने के लिए बिजली खरीद दिशानिर्देश तैयार करना, और (ii) कार्बन क्रेडिट के साथ ऊर्जा भंडारण प्रणाली प्रदान करना जहां वे चार्जिंग के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग करते हैं। 5 मेगावाट से अधिक की नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता के कम से कम 5% के लिए ऊर्जा भंडारण प्रणाली स्थापित करनी होगी।
  • वित्तीय प्रोत्साहन: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए पूंजीगत लागत का 40% तक वायबिलिटी गैप फंडिंग प्रदान किया जाना चाहिए (बशर्ते कि परियोजना 18-24 महीनों के भीतर चालू हो)। ऊर्जा भंडारण प्रणालियों और सहायक घटकों की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए पीएलआई योजना तैयार की जानी चाहिए। फ्रेमवर्क में ऊर्जा भंडारण प्रणाली स्थापित करने के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि हेतु स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क की छूट का भी प्रस्ताव है।
  • टेक्नोलॉजी-एगनॉस्टिक नीलामी: परियोजनाओं के लिए प्रतिस्पर्धी बोली दिशानिर्देशों में कुछ टेक्नोलॉजीज़ को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए।
  • रीसाइकलिंग और सस्टेनेबिलिटी: सभी नीलामी दस्तावेजों में एंड-टू-लाइफ मैनेजमेंट योजना नहीं होनी चाहिए। इन योजनाओं को पुरानी बैटरियों को दोबारा इस्तेमाल करने (रीपर्पजिंग या रीयूजिंग) को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।

कैप्टिव बिजली उत्पादकों और उपयोगकर्ता संबंधी नियमों में संशोधन

Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)

ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली नियम, 2005 में संशोधनों को अधिसूचित किया है।[36],[37] नियम बिजली एक्ट, 2003 के तहत तैयार किए गए हैं, जो बिजली के लिए लाइसेंस और टैरिफ को नियंत्रित करता है।[38]  कैप्टिव उत्पादन संयंत्र एक ऐसा बिजली संयंत्र होता है जो खुद के उपयोग के लिए स्थापित किया जाता है। संशोधनों में कुछ कैप्टिव उत्पादन संयंत्रों के सत्यापन के लिए कहा गया है और कैप्टिव उपयोगकर्ताओं की परिभाषा में बदलाव किया गया है। संशोधित नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कैप्टिव उपयोगकर्ताओं की परिभाषा में बदलाव: संशोधन कैप्टिव उपयोगकर्ता मानी जाने वाली संस्थाओं के दायरे को विस्तृत करते हैं। पहले, नियमों में निर्दिष्ट किया गया था कि संबद्ध कंपनियों (जिसमें कैप्टिव उपयोगकर्ता के पास कम से कम 51% स्वामित्व था) को कैप्टिव उपयोगकर्ता माना जाएगा। संशोधित नियमों में संबद्ध कंपनी शब्द को होल्डिंग कंपनी से बदल दिया गया है जिसे कंपनी एक्ट, 2013 में परिभाषित किया गया है।[39] एक होल्डिंग कंपनी सहायक कंपनियों की मालिक होती है जिसमें: (i) वह निदेशक मंडल की संरचना को नियंत्रित करती है या (ii) यह वोटिंग पावर के आधे से अधिक को नियंत्रित करती है।39 
  • कुछ कैप्टिव उत्पादक संयंत्रों का सत्यापन: संशोधन में यह कहा गया है कि कुछ उत्पादन संयंत्रों की कैप्टिव स्थिति को केंद्रीय बिजली प्राधिकरण द्वारा सत्यापित किया जाएगा। यह केवल उन उत्पादन संयंत्रों पर लागू होता है जिनमें कैप्टिव उपयोगकर्ता और उसके कैप्टिव उत्पादन संयंत्र एक से अधिक राज्यों में स्थित हैं।

टैरिफ रेगुलेशंस में संशोधन का ड्राफ्ट सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं के लिए जारी

Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)

केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग (सीईआरसी) ने सीईआरसी (टैरिफ के नियम और शर्तें) रेगुलेशन, 2019 में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया।[40],[41] इन रेगुलेशंस को बिजली एक्ट, 2003 के तहत तैयार किया गया है।[42]  2019 के रेगुलेशन केंद्रीय उत्पादक, एक से अधिक राज्य में बिक्री के लिए कंपोजिट स्कीम्स वाले उत्पादकों और अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम्स के लिए टैरिफ को रेगुलेट करते हैं।

एक उत्पादन कंपनी और एक वितरण कंपनी के बीच वाणिज्यिक आदान-प्रदान दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) के माध्यम से नियंत्रित होता है। पीपीए आम तौर पर 25 साल तक के होते हैं, जो रेगुलेशंस के तहत तापीय उत्पादन स्टेशनों की तयशुदा यूजफुल लाइफ भी है। सीईआरसी ने गौर किया है कि संयंत्र अपनी तयशुदा यूजफुल लाइफ के बाद भी काम कर सकते हैं। इसलिए 2019 के रेगुलेशंस में प्रावधान है कि उत्पादन कंपनी और वितरण कंपनी यूजफुल लाइफ पूरा होने के बाद फिर से समझौता कर सकती हैं। ऐसी व्यवस्था से इनकार करने का पहला अधिकार वितरण कंपनी को है।

ड्राफ्ट रेगुलेशन तापीय ऊर्जा संयंत्र की यूजफुल लाइफ के बाद परस्पर व्यवस्था के प्रावधान को हटाने का प्रस्ताव रखते हैं। सीईआरसी ने पाया कि नियमों के माध्यम से ऐसे आदेश वांछनीय नहीं हो सकते हैं, क्योंकि यह अनुबंधीय पवित्रता का उल्लंघन कर सकते हैं और असमान हो सकते हैं।[43]

 

खनन

Mandvi Gaur (mandvi@prsindia.org)

खनन लीज़ और कंपोजिट लाइसेंस की नीलामी के नियमों में संशोधन

खान मंत्रालय ने खनिज (नीलामी) नियम, 2015 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[44],[45]  नियम खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 1957 के तहत तैयार किए गए हैं।[46]  एक्ट भारत में खनन क्षेत्र को रेगुलेट करता है। 2015 के नियम खानों की नीलामी आयोजित करने की प्रक्रिया निर्धारित करते हैं। संशोधित नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए कन्सेशन: संशोधित नियम महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए कन्सेशन के संबंध में राज्य सरकार के लिए कुछ शर्तें पेश करते हैं। ये खनिज एक्ट की पहली अनुसूची में निर्दिष्ट हैं, और इसमें लिथियम युक्त खनिज और ग्रेफाइट शामिल हैं। राज्य सरकार को निम्नलिखित के बारे में केंद्र सरकार को बताना होगा: (i) नियमों की अधिसूचना के 45 दिनों के भीतर कंपोजिट लाइसेंस या खनन लीज़ देने के लिए उपलब्ध क्षेत्रों का विवरण, (ii) कंपोजिट लाइसेंस की नीलामी के लिए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट मिलने की सूचना, रिपोर्ट प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर, और (iii) ऐसी घटना के 15 दिनों के भीतर खनन लीज़/कंपोजिट लाइसेंस की समाप्ति या उसके लैप्स होने की जानकारी।
  • भूमि का वर्गीकरण: 2015 के नियमों के तहत, राज्य सरकार स्थापित खनिज सामग्री वाले क्षेत्र में खनन लीज़ देने के लिए नीलामी करा सकती है।[47]  नीलामी से पहले, राज्य सरकार को सर्वेक्षण उपकरणों का उपयोग करके क्षेत्र की पहचान और उसे चिह्नित करना होगा। क्षेत्र को इस प्रकार वर्गीकृत किया जाना चाहिए: (i) वन भूमि, (ii) राज्य सरकार के स्वामित्व वाली भूमि, और (iii) ऐसी भूमि जो राज्य सरकार के स्वामित्व वाली नहीं है। संशोधित नियमों में प्रावधान है कि इस उद्देश्य के लिए, राज्य सरकारें निम्नलिखित में उपलब्ध भूमि विवरण का उपयोग कर सकती हैं: (i) प्रधानमंत्री गतिशक्ति पोर्टल, (ii) राज्य सरकार का भूमि रिकॉर्ड पोर्टल, या (iii) किसी अन्य सरकारी प्राधिकरण का रिकॉर्ड।

 

पर्यावरण

Mandvi Gaur (mandvi@prsindia.org)

प्रयुक्त तेल के लिए विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व नियम अधिसूचित

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमा पारीय आवाजाही) नियम, 2016 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[48],[49]  नियम पर्यावरण संरक्षण एक्ट, 1986 के तहत बनाए गए हैं।[50]  नियम खतरनाक अपशिष्ट उत्पादन को कम करने और ऐसे कचरे की रीसाइकलिंग के उपाय करने के लिए बनाए गए थे। संशोधन में प्रयुक्त तेल के प्रबंधन के लिए विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) को जोड़ा गया है, जिसके लिए उत्पादकों को ऐसे प्रयुक्त तेल की रीसाइकिलिंग करनी होगी। प्रयुक्त तेल का तात्पर्य कच्चे तेल या सिंथेटिक तेल युक्त मिश्रण से प्राप्त तेल और रीप्रोसेसिंग के लिए उपयुक्त तेल से है। ईपीआर उन उत्पादकों पर लागू होता है जो बेस ऑयल/लुब्रिकेशन ऑयल का निर्माण करते और/या उसे बेचते हैं। संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:

  • प्रयुक्त तेल का प्रबंधन: संशोधित नियमों के अनुसार, प्रयुक्त तेल का प्रबंधन निम्नलिखित के माध्यम से किया जाएगा: (i) री-रिफाइंड बेस ऑयल/लुब्रिकेशन ऑयल का उत्पादन (ii) ऊर्जा रिकवरी, यानी, प्रयुक्त तेल को ईंधन के रूप में उपयोग करना। री-रिफाइनिंग से तात्पर्य बेस ऑयल/लुब्रिकेशन ऑयल का उत्पादन करने के लिए प्रयुक्त तेल से अशुद्धियों को हटाने से है।
  • ईपीआर लक्ष्य: अब यह निर्माता की जिम्मेदारी है कि वह इस्तेमाल किए गए तेल का पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए पंजीकृत रीसाइकिलर्स के माध्यम से इस्तेमाल किए गए तेल को रीसाइकिल करे। नियम इन दायित्वों को पूरा करने के लिए बेस ऑयल/लुब्रिकेशन ऑयल की वार्षिक बिक्री/आयात के आधार पर लक्ष्य निर्दिष्ट करते हैं। लक्ष्य पूरा करने के लिए निर्माता डीलर जैसे तीसरे पक्ष के संगठनों की मदद ले सकते हैं। केवल री-रिफाइनिंग के लिए प्रयुक्त तेल के आयात की अनुमति है। प्रयुक्त तेल आयातकों को पिछले वर्ष आयातित 100% प्रयुक्त तेल के लिए इन दायित्वों को पूरा करना आवश्यक होगा।
  • निर्माता उत्तरदायित्व प्रमाणपत्र: निर्माता प्रयुक्त तेल के पंजीकृत रीसाइकिलर्स से प्रमाणपत्र खरीदकर अपने ईपीआर को पूरा कर सकते हैं। रीसाइकिलिंग के मायने प्रयुक्त तेल को री-रिफाइन करना या प्रयुक्त तेल से ऊर्जा पुनर्प्राप्ति करना है। निर्माता की वर्तमान और पिछले वर्षों की देनदारी के आधार पर भी प्रमाणपत्र खरीदे जा सकते हैं।
  • पंजीकरण: संशोधनों में उत्पादकों, कलेक्शन एजेंटों, रीसाइकिलर्स और प्रयुक्त तेल आयातकों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) में पंजीकरण का आदेश दिया गया है।
  • अनुपालन न करना: दायित्वों को पूरा न करने की स्थिति में सीपीसीबी द्वारा पर्यावरणीय मुआवजा लगाया जा सकता है। झूठी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए संस्थाओं पर मुकदमा चलाया जा सकता है। नियम कार्यान्वयन की निगरानी के लिए सीपीसीबी अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक संचालन समिति भी स्थापित करते हैं।

 

शिक्षा

Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)

स्टैंडिंग कमिटी ने उच्च शिक्षा में एनईपी के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट सौंपी

शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा मामले और खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री विवेक ठाकुर) ने 'उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के कार्यान्वयन' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[51]  राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 भारत की शिक्षा प्रणाली की संरचना और उद्देश्यों में संशोधन की रूपरेखा तैयार करती है। इनमें स्कूल प्रणाली के लिए पांच-चरणीय डिज़ाइन शुरू करना और बहु-विषयक शिक्षा को प्रोत्साहित करना शामिल है। कमिटी के निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • अंतर्विषयक और व्यक्तिगत शिक्षण: कमिटी ने एनईपी को लागू करने में जम्मू और कश्मीर द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की। इसमें जम्मू विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए गए 'डिज़ाइन योर डिग्री' प्रोग्राम का उल्लेख किया गया है, जो एनईपी में उल्लिखित च्वाइस-बेस्ड क्रेडिट सिस्टम पर आधारित है। प्रोग्राम विद्यार्थियों को अंतर्विषय और व्यक्तिगत शिक्षण का विकल्प प्रदान करता है। कमिटी ने इस प्रोग्राम को अन्य संस्थानों में शुरू करने का सुझाव दिया।
  • डिजिटल लाइब्रेरी: कमिटी ने कहा कि डिजिटल लाइब्रेरी विद्यार्थियों और शिक्षकों को सीखने के संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला तक सुविधाजनक पहुंच प्रदान कर सकती है। इसने उच्च शिक्षा विभाग को बेहतर पहुंच और सीखने के परिणामों के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने का सुझाव दिया।
  • हाशिए पर रहने वाले विद्यार्थी: कमिटी ने 2016-17 से 2020-21 के बीच एससी और एसटी समुदायों के विद्यार्थियों के जीईआर और समग्र जीईआर के बीच अंतर पर गौर किया। उदाहरण के लिए, 2020-21 में समग्र जीईआर 27.3% था जबकि एसी विद्यार्थियों के लिए जीईआर 23.1% और एसटी विद्यार्थियों के लिए यह 18.9% था। कमिटी ने इन समुदायों के विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा पहुंच को और बेहतर बनाने के लिए विशिष्ट उपायों का सुझाव दिया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) लक्षित जागरूकता अभियान चलाना, (ii) दूरदराज के क्षेत्रों और शहरी स्लम्स में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना, (iii) हाशिए पर रहने वाले समुदायों में काम करने वाले शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना, और (iv) हाशिए पर रहने वाले समुदायों की जरूरतों के अनुरूप छात्रवृत्ति प्रदान करना। उसने शिक्षकों के लिए एक पारदर्शी और कुशल भर्ती प्रक्रिया स्थापित करने का भी सुझाव दिया जो विविधता को प्राथमिकता देती है।

 

श्रम एवं रोजगार

Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)

स्टैंडिंग कमिटी ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम पर अपनी रिपोर्ट सौंपी

श्रम, कपड़ा और कौशल विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री भर्तृहरि महताब) ने 20 सितंबर, 2023 को 'कर्मचारी राज्य बीमा निगम- ईएसआई योजना के तहत एप्लिकेबिलिटी और लाभ, ईएसआई अस्पतालों का कामकाज और कॉर्पस फंड का प्रबंधन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[52] कर्मचारी राज्य बीमा एक्ट, 1948 नियोक्ताओं को यह आदेश देता है कि वह बीमित व्यक्तियों की चिकित्सा देखभाल में योगदान करे।[53] यह कानून न्यूनतम 10 व्यक्तियों को रोजगार देने वाले कारखानों पर लागू होता है। केंद्र और राज्य सरकारें दुकानों, होटलों, सिनेमाघरों, न्यूजपेपर इस्टैबलिशमेंट्स और पोर्ट ट्रस्ट्स को भी उसके दायरे में शामिल करती हैं। यह कानून कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) और कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस/ईएसआई योजना) की स्थापना करता है। प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ईएसआई योजना के तहत कवरेज के लिए वेतन सीमा में संशोधन: कमिटी ने कहा कि अंशदान का भुगतान करने से छूट वाली वेतन सीमा पिछले सात वर्षों से अपरिवर्तनीय बनी हुई है, इसके बावजूद कि समय के साथ वेतन में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में 176 रुपए प्रति दिन की वेतन सीमा पर छूट लागू है, जो काफी कम है। कमिटी ने सुझाव दिया कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को कवरेज, अंशदान और वेतन की पात्रता से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करना चाहिए। उसने इन संशोधनों के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी सुझाव दिया।
  • योजना के कवरेज का विस्तार: ईएसआई एक्ट, 1948 को सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में शामिल किया गया है। संहिता को अभी लागू किया जाना है और अंतिम नियमों को अधिसूचित किया जाना बाकी है। कमिटी ने कहा कि संहिता के कार्यान्वयन के साथ ईएसआई के कवरेज में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) 10 से कम व्यक्तियों वाले इस्टैबलिशमेंट्स का स्वैच्छिक कवरेज, (ii) खतरनाक व्यवसाय में लगे इस्टैबलिशमेंट्स के लिए अनिवार्य कवरेज, और (iii) असंगठित श्रमिकों, गिग वर्कर्स और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स के लिए विशेष योजनाएं बनाने हेतु प्रावधान। कमिटी ने कहा कि मंत्रालय और ईएसआईसी कवेरज बढ़ाने के लिए बहुत तत्पर नहीं हैं। उसने सुझाव दिया कि बीमा के पात्र व्यक्तियों की पहचान करने के लिए व्यापक सर्वेक्षण, डेटा कलेक्शन और आधार नामांकन का उपयोग किया जाए ताकि संहिता को सुचारू रूप से लागू किया जा सके।

पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।

 

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी

Mandvi Gaur (mandvi@prsindia.org)

रोबोटिक्स पर राष्ट्रीय रणनीति के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए 'रोबोटिक्स के लिए राष्ट्रीय रणनीति' का ड्राफ्ट जारी किया।[54] इसका उद्देश्य भारत में रोबोटिक टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना है। ड्राफ्ट में भारत के लिए रोबोटिक्स की प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गई है, जो इस प्रकार हैं: (i) आयात पर भारी निर्भरता, (ii) कुशल मानव संसाधनों की कमी, (iii) उच्च लागत, और (iv) सीमित शासन तंत्र। रणनीति में भारत में रोबोटिक्स को अपनाने के लिए प्राथमिक क्षेत्रों के रूप में मैन्यूफैक्चरिंग, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और राष्ट्रीय सुरक्षा को चिन्हित किया गया है। प्रमुख सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • घरेलू क्षमताओं में सुधार के कदम: ड्राफ्ट रणनीति रोबोटिक्स इनोवेशन लाइफसाइकिल में भारत की घरेलू क्षमताओं में सुधार के लिए चार-स्तंभीय दृष्टिकोण का सुझाव देती है।

तालिका 3: प्रमुख पहलों का सुझाव

  • स्तंभ
  • पहल
  • अनुसंधान और विकास
  • अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना, नेतृत्व स्थापित करने के लिए खोजपूर्ण अनुसंधान को वित्तपोषित करना
  • प्रदर्शन औऱ परीक्षण
  • टेक्नोलॉजी रेडिनेस का आकलन करने के लिए रोबोटिक्स इनोवेशन टेस्टबेड स्थापित करना
  • नवाचार का व्यावसायीकरण और आपूर्ति श्रृंखला का विकास
  • घरेलू उत्पादन और निर्यात के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने की नीतियां, कौशल कार्यक्रम
  • टेक्नोलॉजी को अपनाना और जागरूकता
  • सार्वजनिक खरीद, टेक्नोलॉजी को अपनाने की योजना तैयार करना और रोबोट उपयोग रणनीतियों सहित मांग-पक्षीय पहल

स्रोत: रोबोटिक्स के लिए राष्ट्रीय रणनीति का ड्राफ्ट; पीआरएस

  • संस्थागत फ्रेमवर्क: एक राष्ट्रीय रोबोटिक्स मिशन स्थापित किया जाना चाहिए जो उद्योग, शिक्षा और स्टार्ट-अप के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के भीतर रोबोटिक्स इनोवेशन यूनिट स्थापित की जानी चाहिए। नवाचार को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी विकास को सुविधाजनक बनाने और उसे अपनाने के लिए जिम्मेदार एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में इस इकाई की कल्पना की गई है। इसके कार्यों में रोबोटिक्स के उपयोग के मामलों की पहचान करना, रोबोटिक्स में अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाना, स्टार्टअप उद्यमों को सहयोग देना, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और बाजार पहुंच को सरल बनाना शामिल है। अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित किया जा सकता है।

टिप्पणियां 31 अक्टूबर, 2023 तक आमंत्रित हैं।

 

अनुलग्नक

संसद की विभिन्न स्टैंडिंग कमिटीज़ द्वारा वर्ष 2022-23 के दौरान समीक्षा के लिए चिन्हित विषयों को तालिका 4 में दिया गया है।

तालिका 4: 2023-24 के दौरान समीक्षा के लिए चिन्हित विषय

 

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज

ग्रामीण विकास मंत्रालय:

ग्रामीण विकास विभाग

  1. गांवों में गरीबों और निराश्रितों पर राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) का प्रभाव
  2. दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के तहत 'मेक इन इंडिया' के दृष्टिकोण को साकार करना
  3. दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं का सशक्तीकरण
  4. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) के माध्यम से ग्रामीण रोजगार- मजदूरी दरों और उससे संबंधित अन्य मामलों पर एक अंतर्दृष्टि।
  5. सभी के लिए आवास- पीएमएवाई-जी की स्थिति
  6. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत प्रगति की समीक्षा
  7. सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत आदर्श ग्रामों का निर्माण
  8. राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी एवं पीआर) के कामकाज की समीक्षा
  9. ग्रामीण आबादी के वित्तीय समावेशन में बैंकों की भूमिका
  10. दिशा समितियों के माध्यम से निगरानी में संसद सदस्यों की सक्रिय भागीदारी
  11. सतत ग्रामीण विकास के लिए समग्र दृष्टिकोण

भूमि संसाधन विभाग

  1. डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) का कार्यान्वयन

पंचायती राज मंत्रालय

  1. स्वामित्व (ग्राम आबादी का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण योजना)
  2. राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) का कार्यान्वयन
  3. ग्राम पंचायतों के डिजिटलीकरण की स्थिति

परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति

    1. राष्ट्रीय राजमार्गों का संचालन और रखरखाव और टोल प्लाजा का प्रबंधन
    2. ई-मोबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर की प्रगति और ई-वाहनों की वृद्धि की समीक्षा
    3. राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) पर अतिक्रमण और राष्ट्रीय राजमार्गों पर अनाधिकृत पहुंच
    4. उड़ान योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा और एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड्स
    5. नए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे: आर्थिक व्यवहार्यता की चिंताएं और संभावनाएं
    6. राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण और रोडमैप मिशन और स्थानीय कलाकारों का कल्याण
    7. देश में जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और जहाज तोड़ने वाले उद्योगों की स्थिति
    8. समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण सुविधाओं में सुधार; और
    9. ड्राफ्ट राष्ट्रीय पर्यटन नीति की जांच

श्रम, कपड़ा एवं कौशल विकास

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय

  1. श्रम संहिताओं का कार्यान्वयन
  2. अनाधिकृत खदान और खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के कामकाज के मूल्यांकन सहित खदान श्रमिकों की कार्य स्थितियां और कल्याण संबंधी उपाय
  3. सरकारी संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों/प्रतिष्ठानों में संविदा/आकस्मिक श्रमिकों की संविदा नियुक्ति/तैनाती और उनके कल्याण से संबंधित कानूनों का कार्यान्वयन
  4. बागान श्रमिकों के लिए कल्याणकारी उपायों का कार्यान्वयन
  5. ईपीएफ पेंशन योजना के संचालन और कॉर्पस फंड के प्रबंधन के विशेष संदर्भ में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की कार्यप्रणाली
  6. केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड की कार्यप्रणाली
  7. केंद्र प्रायोजित योजनाओं का कार्यान्वयन
  8. राष्ट्रीय बाल श्रम नीति- एक आकलन
  9. बंधुआ मजदूरों की पहचान एवं पुनर्वास
  10. विभिन्न रोजगार क्षेत्रों में निर्धारित न्यूनतम वेतन का कार्यान्वयन
  11. गिग/स्कीम वर्कर्स, स्ट्रीट वेंडर्स, स्टोन क्रशर, मछुआरों और आईटी और दूरसंचार क्षेत्रों के श्रमिकों सहित असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को वृद्धावस्था सुरक्षा प्रदान करने के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याण उपाय
  12. विशेष रूप से पश्चिम एशिया क्षेत्र में विदेशी अनुबंध श्रमिकों और स्वदेश लौटने वाले श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सुरक्षा उपाय
  13. रोजगार सृजन कार्यक्रम- एक समीक्षा

कपड़ा मंत्रालय

  1. जूट उद्योग का विकास एवं संवर्धन
  2. कपड़ा क्षेत्र में मैन्यूफैक्चरिंग और उन्नयन के साथ-साथ कौशल विकास
  3. भारतीय कपड़ा उद्योग में चुनौतियां/अवसर
  4. कपास क्षेत्र का विकास
  5. रेशम उद्योग के विकास और संवर्धन के लिए केंद्रीय रेशम बोर्ड की योजनाएं/कार्यक्रम
  6. हथकरघा क्षेत्र की स्थिति/प्रदर्शन
  7. पावरलूम क्षेत्र की स्थिति एवं सुधार
  8. हथकरघा और हस्तशिल्प की विपणन एजेंसियों का प्रदर्शन
  9. राष्ट्रीय कपड़ा निगम (एनटीसी) की कार्यप्रणाली.

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

  1. राष्ट्रीय कौशल योग्यता संरचना- एक आकलन
  2. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) की कार्यप्रणाली
  3. आजीविका संवर्धन परियोजना के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता (संकल्प) का कार्यान्वयन
  4. खाद्य प्रसंस्करण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण

ऊर्जा

ऊर्जा मंत्रालय

  1. भारत में ऊर्जा सुरक्षा- उभरता परिदृश्य
  2. ऊर्जा संक्रमण और स्थिरता
  3. ग्रामीण भारत का बिजलीकरण- लक्ष्य और उपलब्धियां
  4. ऊर्जा दक्षता और संरक्षण
  5. उन्नत अक्षय ऊर्जा लक्ष्य के मद्देनजर थर्मल पावर प्लांट्स की संभावनाएं
  6. प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं के प्रदर्शन की समीक्षा
  7. पावर ट्रांसमिशन क्षेत्र का मूल्यांकन- ट्रांसमिशन नेटवर्क का विकास और उसका प्रबंधन
  8. पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना
  9. ऊर्जा क्षेत्र के विकास में बिजली क्षेत्र के वैधानिक निकायों, सार्वजनिक उपक्रमों और संस्थानों की भूमिका
  10. भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा

नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय

  1. 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50% संचयी विद्युत स्थापित क्षमता की उपलब्धि के लिए रोडमैप
  2. प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम)- एक मूल्यांकन
  3. रूफ-टॉप सोलर कार्यक्रम का मूल्यांकन
  4. जैव-ऊर्जा और अपशिष्ट से ऊर्जा- शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों/अवशेषों से ऊर्जा की प्राप्ति और ऊर्जा प्रबंधन में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका
  5. प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव योजना: राष्ट्रीय उच्च दक्षता सोलर पीवी मॉड्यूल कार्यक्रम
  6. भारतीय द्वीपों का हरितकरण- लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को कार्बन मुक्त करना
  7. अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अनुसंधान, डिजाइन और विकास
  8. अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के वित्तपोषण में प्राथमिक क्षेत्र ऋण की प्रभावशीलता

रसायन एवं उर्वरक

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय:

ऊर्वरक विभाग

  1. उर्वरक सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से संबंधित मामले- एक समीक्षा
  2. घरेलू उर्वरक उद्योग की वृद्धि सुनिश्चित करने की पहल
  3. उर्वरक और कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उर्वरक परियोजनाएं और संयुक्त उद्यम
  4. उर्वरक उत्पादक सार्वजनिक उपक्रमों के प्रदर्शन का मूल्यांकन
  5. उर्वरकों की उपलब्धता एवं वितरण

रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग

  1. विजन 2024- बीमारू इकाइयों के पुनरुद्धार इत्यादि उपायों के जरिए भारत को रसायनों और पेट्रोरसायनों के अग्रणी निर्माता के रूप में स्थापित करना
  2. कीटाणुनाशक और कीटनाशक- सुरक्षित उपयोग सहित प्रचार और विकास- कीटाणुनाशकों के लिए लाइसेंसिंग व्यवस्था
  3. देश में प्लास्टिक उद्योग के विकास में सिपेट का योगदान
  4. डाई-स्टफ और डाई इंटरमीडिएट्स उद्योग को प्रभावित करने वाले कारक
  5. भोपाल गैस रिसाव स्थल से जहरीले कचरे का निपटान
  6. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन केंद्रों की स्थापना

फार्मास्यूटिकल्स विभाग

  1. चिकित्सा उपकरण उद्योग को बढ़ावा देना
  2. गुणवत्ता नियंत्रण और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करते हुए फार्मास्यूटिकल उद्योग का निर्बाध विकास करना
  3. प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव योजना (पीएलआई) सहित विभिन्न पहलों के माध्यम से सक्रिय फार्मास्यूटिकल सामग्री (एपीआई) के उत्पादन और उपलब्धता में आत्मनिर्भरता
  4. राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल्स शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (एनआईपीईआर) के लिए परिसरों का निर्माण

रक्षा

  1. सीमा सुरक्षा सहित वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर रक्षा बलों की कूटनीतिक परिचालनगत तैयारियों की समीक्षा
  2. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के कामकाज की समीक्षा
  3. देश में जिला सैनिक बोर्डों के कामकाज की समीक्षा
  4. देश की रक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय सेना की भूमिका
  5. देश की समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय नौसेना की भूमिका
  6. देश में तटीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय तटरक्षक बल के कामकाज की समीक्षा
  7. दुर्गम और दूर-दराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं की भूमिका
  8. रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) का आधुनिकीकरण
  9. साइबर खतरे और एंटी-ड्रोन क्षमताओं सहित हाइब्रिड युद्ध के मद्देनजर सशस्त्र बलों की तैयारी/पुनर्गठन
  10. प्रमुख अनुसंधान पहलों सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों के माध्यम से स्वदेशी रक्षा उत्पादन का आकलन
  11. रक्षा संपदा संगठन द्वारा रक्षा भूमि का समेकन और छावनी बोर्डों की कार्यप्रणाली
  12. रणनीतिक स्थानों और सीमावर्ती क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कामकाज की समीक्षा
  13. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के विभिन्न कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं के उन्नयन की स्थिति
  14. पूर्व सैनिकों (ईएसएम) के लिए पुनर्वास नीतियों, स्वास्थ्य सुविधाओं और पेंशन संबंधी अवसरों की समीक्षा
  15. सैनिक स्कूलों, राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आरआईएमसी) और राष्ट्रीय सैन्य स्कूलों की समीक्षा
  16. सैन्य सेवाओं के लिए खरीद, प्रशिक्षण और स्टाफिंग जैसे संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए सैन्य कमांड का पुनर्गठन
  17. सशस्त्र बलों में अग्निपथ योजना की समीक्षा

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस

  1. पेट्रोलियम उत्पादों और प्राकृतिक गैस का मूल्य निर्धारण, विपणन और आपूर्ति
  2. तेल सार्वजनिक उपक्रमों में खरीद प्रक्रियाओं में अनुबंध प्रबंधन और पारदर्शिता
  3. तेल पीएसयू से जुड़े मुकदमे
  4. तेल रिफ़ाइनरियां- एक समीक्षा
  5. तेल सार्वजनिक उपक्रमों की मानव संसाधन नीति की समीक्षा
  6. तेल पीएसयू की सीएसआर गतिविधियां
  7. कच्चे तेल के आयात पर नीति की समीक्षा
  8. 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत पेट्रोलियम क्षेत्र में तेल पीएसयू की पहल
  9. कच्चे तेल की आयात निर्भरता को कम करने के लिए उठाए गए कदम
  10. सीजीडी परियोजनाओं सहित तेल पीएसयू में चल रही परियोजनाओं की समीक्षा
  11. तेल सार्वजनिक उपक्रमों की खोज और उत्पादन गतिविधियों की समीक्षा
  12. तेल सार्वजनिक उपक्रमों की अनुसंधान एवं विकास गतिविधियां
  13. तेल पीएसयू की नेट-जीरो पहल
  14. पेट्रोलियम क्षेत्र में सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी मुद्दे
  15. प्राकृतिक गैस और कोल बेड मीथेन, गैस हाइड्रेट्स और शेल गैस सहित पेट्रोलियम संसाधनों की खोज और दोहन

कोयला, खान एवं स्टील

कोयला मंत्रालय

  1. कोयला/लिग्नाइट खनन क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के मुद्दे
  2. कोयला क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास
  3. भारत के ऊर्जा मिश्रण में कोयले का भविष्य
  4. कोयला खदान श्रमिक कल्याण कार्यक्रम की समीक्षा
  5. कोयला खदानों में सुरक्षा
  6. कोयला और लिग्नाइट का उत्पादन- अनुमान और योजना
  7. कोयला/लिग्नाइट क्षेत्र में कौशल विकास
  8. कोयला नियंत्रक कार्यालय का प्रदर्शन
  9. देश में अवैध कोयला खनन और कोयले की चोरी पर अंकुश लगाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी और सतर्कता गतिविधियों का कार्यान्वयन
  10. कोयला/लिग्नाइट कंपनियों द्वारा पर्यावरण मानदंडों का अनुपालन
  11. कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) का प्रदर्शन
  12. कोयला वितरण और विपणन- एक समीक्षा
  13. कोयला मंत्रालय के दायरे में आने वाले सार्वजनिक उपक्रमों में सीएसआर गतिविधियां

खान मंत्रालय

  1. उत्तर पूर्वी राज्यों में खनिज अन्वेषण गतिविधियां और क्षेत्र के विकास पर उसका समग्र प्रभाव
  2. देश में लौह अयस्क, मैंगनीज और बॉक्साइट के अवैध खनन पर अंकुश लगाने के उपाय
  3. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) की संगठनात्मक संरचना और प्रदर्शन- एक समीक्षा
  4. भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) की संगठनात्मक संरचना और प्रदर्शन- एक समीक्षा
  5. खनन परियोजनाओं के लिए पर्यावरण और वन मंजूरी प्रक्रिया को तेज और सरल बनाना
  6. खनन गतिविधियों और पर्यावरण संरक्षण के कारण प्रदूषण को कम करने के उपाय- चित्तौड़गढ़ किला, एक केस स्टडी
  7. खनिज और धातुओं में आत्मनिर्भरता
  8. विज्ञान और प्रौद्योगिकी कार्यक्रम और स्वायत्त निकाय
  9. खान मंत्रालय के दायरे में आने वाले सार्वजनिक उपक्रमों में सीएसआर गतिविधियां
  10. जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) और प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) का कार्यान्वयन- एक समीक्षा

इस्पात मंत्रालय

  1. इस्पात नीति की समीक्षा और इस्पात क्षेत्र के विकास पर उसका प्रभाव
  2. माध्यमिक इस्पात क्षेत्र की सहायता के लिए प्रमुख नीतिगत परिवर्तन
  3. इस्पात संयंत्रों द्वारा ऊर्जा दक्षता का प्रबंधन और लौह अयस्क खनन से संबंधित पर्यावरणीय मुद्दे
  4. भारत में मैंगनीज अयस्क उद्योग का विकास
  5. इस्पात के उपयोग को बढ़ावा
  6. स्टील पीएसयू की ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड परियोजनाओं की स्थिति
  7. बंदरगाहों पर लौह अयस्क का हैंडलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर
  8. इस्पात मंत्रालय के दायरे में आने वाले सार्वजनिक उपक्रमों में सीएसआर गतिविधियां

कृषि, पशुपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय:

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग

    1. देश में प्रमाणित बीजों का उत्पादन और उपलब्धता
    2. देश में कृषि ऋण प्रणाली का कामकाज
    3. देश में तिलहन और दालों का उत्पादन और उपलब्धता
    4. राष्ट्रीय कृषि विस्तार और प्रौद्योगिकी मिशन
    5. जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा

कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग

    1. जनजातीय और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कृषि अनुसंधान में आईसीएआर का योगदान
    2. कटाई उपरांत कृषि प्रबंधन में अनुसंधान एवं विकास
    3. केंद्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर- प्रदर्शन की समीक्षा
    4. देश में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की भूमिका और प्रदर्शन मूल्यांकन

मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय:

पशुपालन एवं डेयरी विभाग

  1. पशुधन बीमा योजनाओं का मूल्यांकन
  2. राष्ट्रीय पशुधन मिशन- एक मूल्यांकन
  3. स्वदेशी मवेशियों की नस्लों के संरक्षण और विकास में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की भूमिका
  4. देश में मवेशियों में लंपी त्वचा रोग का प्रसार और उससे संबंधित मुद्दे
  5. डेयरी क्षेत्र में पोषण और आजीविका की गुंजाइश- एक विश्लेषण

फिशरीज़ विभाग

        1. मत्स्य पालन क्षेत्र की रोजगार सृजन और राजस्व अर्जन क्षमता
        2. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछुआरों को प्रशिक्षण और विस्तार सुविधाओं में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) की भूमिका
        3. डीप सी फिशिंग का विकास
        4. मत्स्य पालन क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर और पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट- समीक्षा
        5. सीवीड खेती का संवर्धन और विकास
        6. फिशिंग हार्बर्स का विकास और आधुनिकीकरण

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय

  1. खाद्य प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमताओं के निर्माण/विस्तार की योजना- एक मूल्यांकन
  2. "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम के तहत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पहल
  3. उत्तर पूर्वी क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास की गुंजाइश
  4. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अनुसंधान और विकास (आरएंडडी)

सहकारिता मंत्रालय

  1. देश में सहकारी समितियों के विकास के लिए नई योजनाओं और कार्यक्रमों की विवेचना
  2. राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस की स्थापना में प्रगति

वाणिज्य

    1. निर्यात को अधिकतम और आयात को कम करने के लिए प्रमुख उत्पादों और देशों की योजना बनाने की व्यापक रणनीति
    2. राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा
    3. पीएम गति शक्ति का कार्यान्वयन: मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए मास्टर प्लान
    4. कमोडिटी बोर्डों का प्रदर्शन मूल्यांकन और समीक्षा।

विदेशी मामले

  1. क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक आतंकवाद से मुकाबला
  2. जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की स्थिति
  3. भारत प्रशांत क्षेत्र में क्वाड: उसका प्रभाव और जुड़ाव तथा सहयोग के लिए भारत की भूमिका और रणनीतियां
  4. सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकायों में भारत की भूमिका: यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए अनिवार्यताएं और चुनौतियां
  5. अफ्रीकी देशों में अवसर और भारत की भागीदारी
  6. राजनीतिक/आर्थिक/सांस्कृतिक और कांसुलर जिम्मेदारियों का मूल्यांकन और व्यापार, पर्यटन और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने सहित विदेश में भारतीय मिशनों का कामकाज
  7. ई-पासपोर्ट इश्यूएन्स सहित पासपोर्ट इश्यूएंस प्रणाली का प्रदर्शन और भारतीय पासपोर्ट कानून और नियमों की समीक्षा
  8. छोटे द्वीप देशों के साथ भारत का जुड़ाव
  9. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की बाहरी आर्थिक भागीदारी को सरल बनाना
  10. जी20 देशों के साथ भारत का जुड़ाव
  11. भारत की लुक ईस्ट नीति: भारत-आसियान साझेदारी की समीक्षा
  12. भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी)- सहयोग की रूपरेखा
  13. आईटूयूटू (भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका) समूह में सहयोग के लिए भारत की भूमिका और रणनीतियां
  14. रूस-यूक्रेन संघर्ष, उसका वैश्विक प्रभाव और उस पर भारत की प्रतिक्रिया
  15. विदेश में पढ़ने वाले भारतीय विद्यार्थियों से संबंधित चिंताएं और मुद्दे

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय

    1. प्रसार भारती संगठन के कामकाज की समीक्षा
    2. दूरदर्शन चैनलों के कामकाज और पहुंच की समीक्षा
    3. सामुदायिक रेडियो स्टेशन: विकास, अवसर और चुनौतियां
    4. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत सार्वजनिक उपक्रमों के कामकाज की समीक्षा
    5. ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) की कार्यप्रणाली
    6. ओटीटी प्लेटफार्मों का उद्भव और संबंधित मुद्दे
    7. फिल्म उद्योग का अवलोकन
    8. मीडिया कवरेज के लिए मानदंड और दिशानिर्देश
    9. ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) के कामकाज की समीक्षा
    10. प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के कामकाज की समीक्षा
    11. भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार (आरएनआई) के कामकाज की समीक्षा
    12. भारत में टारगेट रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) तंत्र और उससे संबंधित एजेंसियों का मूल्यांकन
    13. भारत में केबल टेलीविजन का रेगुलेशन

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

    1. डेटा प्रोटेक्शन के लिए डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन सुरक्षा उपाय
    2. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के कामकाज की समीक्षा
    3. नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना और डिजिटल क्षेत्र में महिला सुरक्षा पर विशेष जोर देने सहित सामाजिक/ऑनलाइन समाचार मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग को रोकना
    4. मेक इन इंडिया के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स/आईटी हार्डवेयर/टेलीकॉम उपकरण विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना और आयात में कमी के उपाय
    5. भारत में साइबर सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा
    6. सामान्य सेवा केंद्र- स्पेशनल पर्पज वेहिकल (सीएससी-एसपीवी) के कामकाज की समीक्षा
    7. सोशल मीडिया डोमेन से संबंधित मुद्दे
    8. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उद्भव और संबंधित मुद्दे
    9. सोशल और डिजिटल प्लेटफार्मों की एकाधिकारवादी कार्य पद्धतियां, उनके रेगुलेशन और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं से संबंधित मुद्दे
    10. सोशल और डिजिटल मीडिया पर स्वतंत्र कंटेंट क्रिएटर्स के अधिकारों की सुरक्षा करना.

संचार मंत्रालय:

डाक विभाग

    1. डाक विभाग में रियल एस्टेट प्रबंधन
    2. डाक विभाग- पहल और चुनौतियां
    3. डाकघर सेवाओं की समीक्षा

दूरसंचार विभाग

    1. बीएसएनएल और एमटीएनएल के कामकाज की समीक्षा और उनका प्रदर्शन बढ़ाने की योजना
    2. निजी क्षेत्र द्वारा कार्यान्वित यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के तहत योजनाओं/परियोजनाओं के प्रदर्शन की समीक्षा
    3. सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा कार्यान्वित यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के तहत योजनाओं/परियोजनाओं के प्रदर्शन की समीक्षा
    4. राष्ट्रीय संचार वित्त संस्थान (एनआईसीएफ) के कामकाज की समीक्षा
    5. प्रधानमंत्री की वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (पीएम-वाणी) पहल का कार्यान्वयन
    6. भारत में दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित मुद्दे
    7. भारतीय दूरसंचार उद्योग (आईटीआई) और उसके आधुनिकीकरण की समीक्षा
    8. उभरती और अभिसरण प्रौद्योगिकियों, संस्थाओं और पद्धतियों की चुनौतियों की अंतर-क्षेत्रीय समीक्षा

जल संसाधन

जल शक्ति मंत्रालय:

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय

  1. नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में संरक्षण, विकास, प्रबंधन और प्रदूषण में कमी, विशेष रूप से परियोजना वितरण और समय सीमा के साथ-साथ राज्य सरकारों के प्रदर्शन के संदर्भ में
  2. दिल्ली तक ऊपरी यमुना नदी सफाई परियोजना और दिल्ली में नदी तल प्रबंधन की समीक्षा
  3. कावेरी नदी और दक्षिण भारत की अन्य प्रमुख नदियों में संरक्षण और प्रदूषण का उन्मूलन
  4. उत्तर पूर्वी राज्यों में जल संसाधन प्रबंधन
  5. बाढ़ की स्थिति और देश में अत्यधिक बाढ़ से निपटने के लिए किए गए उपायों का प्रभाव
  6. पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता में सुधार के लिए नदियों को आपस में जोड़ना
  7. भारत में जल उपयोग दक्षता
  8. बांधों की सुरक्षा के उपाय
  9. डब्ल्यूपीसीओएस और एनपीसीसी की भूमिका और कार्यप्रणाली की समीक्षा
  10. देश में अटल भूजल योजना और भूजल प्रबंधन का कार्यान्वयन

पेयजल और सैनिटेशन विभाग

  1. स्वच्छ भारत मिशन के प्रदर्शन की समीक्षा- स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता अवसंरचना की गुणवत्ता और स्थिरता और ओडीएफ 2.0 के लिए तैयारी
  2. जल जीवन मिशन के प्रदर्शन की समीक्षा
  3. तटीय क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति- अलवणीकरण संयंत्रों की स्थापना

शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा एवं खेल

शिक्षा मंत्रालय:

उच्च शिक्षा विभाग

  1. एनईपी 2020 विजन के मद्देनजर उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण
  2. एनईपी 2020 के अनुरूप यूजीसी, एआईसीटीई, एनएएसी, एनबीए, एनटीए आदि की पहल की समीक्षा
  3. प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-यूएसएचए)- प्रभावी कार्यान्वयन के लिए रोडमैप
  4. देश में प्रबंधन, खेल एवं सामाजिक कार्य शिक्षा की समीक्षा
  5. उच्च शिक्षा क्षेत्र- सार्वजनिक/निजी विश्वविद्यालयों में उत्तम फैकेल्टी/शिक्षण संसाधनों की उपलब्धता को प्रभावित करने वाले मुद्दे
  6. विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों-आईआईटी, आईआईएससी, सीयू में अनुसंधान परिदृश्य

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग

  1. निपुण भारत योजना की समीक्षा
  2. स्कूली शिक्षा क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का कार्यान्वयन
  3. समग्र शिक्षा योजना की समीक्षा- पीएम पोषण पर विशेष जोर
  4. शिक्षकों के क्षमता निर्माण पर जोर देते हुए एनईपी 2020 के मद्देनजर राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद की समीक्षा

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

  1. मिशन शक्ति एवं मिशन वात्सल्य का मूल्यांकन
  2. सक्षम आंगनबाडी एवं पोषण 2.0 योजना की समीक्षा
  3. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की समीक्षा

युवा मामले एवं खेल मंत्रालय:

युवा मामलों का विभाग

  1. राष्ट्रीय युवा नीति-स्थिति और दृष्टिकोण

खेल विभाग

  1. 2024 पेरिस ओलंपिक खेलों की तैयारी की समीक्षा- राष्ट्रीय खेल महासंघों और खेल विभाग के बीच संबंधों पर ध्यान केंद्रित करते हुए
  2. देश में खेल/फिजिकल एजुकेशन की समीक्षा और उसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी
  3. भारतीय खेलों के लिए पीपीपी मॉडल- खेल प्रोत्साहन योजनाएं और प्रतिभाओं की खोज के तरीके और सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से कॉरपोरेट क्षेत्र का सहयोग

 

 

[1] Developments in India’s Balance of Payments during the First Quarter (April-June) of 2023-24, Reserve Bank of India, September 28, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR10082A4F1B4502C64872B8DDD093F7957B18.PDF.

[2] The Constitution (One Hundred and Twenty-Eighth Amendment) Bill, 2023, Lok Sabha, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/124_2023_LS_E919202323027PM.pdf?source=legislation.

[3] F. NO. H-11019/03.2023-Leg.II, Resolution, Gazette of India, Ministry of Law and Justice, September 2, 2023, egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248519.pdf.

[4] “Cabinet approved eCourts Phase III for 4 years”, Press Information Bureau, Ministry of Law and justice, September 13, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1956920.

[5] ‘E-Courts Mission Mode Project’, Supreme Court of India, https://ecommitteesci.gov.in/project/brief-overview-of-e-courts-project/.

[6] Report No. 283, ‘Age of consent under the Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012”, Law Commission, September 2023, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3ca0daec69b5adc880fb464895726dbdf/uploads/2023/09/20230929466194485.pdf.

[7] The Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012, https://wcd.nic.in/sites/default/files/POCSO%20Act%2C%202012.pdf.

[8] Section 375-376, The Indian Penal Code, 1860, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2263/1/aA1860-45.pdf.

[9] Reserve Bank of India (Classification, Valuation and Operation of Investment Portfolio of Commercial Banks) Directions, 2023, Reserve Bank of India, September 12, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/104MDINVESTMENTPORTFOLIOC6B7053A02894342A00142968C70FC82.PDF.

[10] Responsible Lending Conduct – Release of Movable / Immovable Property Documents on Repayment/ Settlement of Personal Loans, Reserve Bank of India, September 13, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/NOTI60936A9DFA85554DD1BF77BCF4611AA69D.PDF.

[11] Reserve Bank of India (Treatment of Wilful Defaulters and Large Defaulters) Directions, 2023, Reserve Bank of India, September 21, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Content/PDFs/DRAFTMDWILFULDEFAULTERSF5BC955D0C8B4105BB9838A9645EEE03.PDF.

[12] Report No. 245, ‘Prison- Conditions, Infrastructure, and Reforms’, Standing Committee on Home Affairs, Rajya Sabha, September 21, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/15/188/245_2023_9_12.pdf?source=rajyasabha.

[13] Recommendations on Promoting Networking and Telecom Equipment in India, TRAI, September 22, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Recommendation_23092023.pdf.

[14] Recommendations on Improving Telecom Infrastructure in Northeastern States of India, TRAI, September 22, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Recommendations_23092023.pdf.

[15] Recommendation on Rationalization of Entry Fee and Bank Guarantees, TRAI, September 19, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Recommendation_19092023.pdf.

[16] Recommendations on Issues related to FM Radio Broadcasting, TRAI, September 5, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Recommendation_05092023.pdf.

[17] Consultation Paper on Encouraging R&D in Telecom, Broadcasting, and IT (ICT) Sectors, TRAI, September 22, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/CPS_22092023.pdf.

[18] Consultation Paper on Digital Inclusion in the Era of Emerging Technologies, TRAI, September 14, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Cons_P_14092023.pdf.

[19] Pre-Consultation Paper on Inputs for Formulation of “National Broadcasting Policy”, TRAI, September 21, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/CP_21092023.pdf.

[20] Consultation Paper on Digital Transformation through 5G Ecosystem, TRAI, September 29, 2023, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/CP_29092023.pdf.

[21] F.No. J-24/34/2023-CPU (Reg), Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, September 6, 2023, https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file-uploads/latestnews/Draft%20Guidelines%20for%20Prevention%20and%20Regulation%20of%20Dark%20Patterns%202023.pdf.

[22] The Consumer Protection Act, 2019, August 9, 2023, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15256/1/a2019-35.pdf.

[23] “358th   Report: Development and Expansion of Existing and New National Inland Waterways”, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, September 21, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/193/358_2023_9_11.pdf?source=rajyasabha

[24] S.O. 698(E), Ministry of Road Transport and Highway, September 27, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/249044.pdf.

[25] Central Motor Vehicles Rules, 1989, Ministry of Road Transport and Highway, https://morth.nic.in/sites/default/files/CMVR-chapter5_1.pdf.

[26] Motor Vehicles Act, 1988, Ministry of Road Transport and

Highways,

https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/9460/1/a1988-59.pdf.       

[27] Central Motor Vehicles Rules, 1989, Ministry of Road Transport and Highway, https://morth.nic.in/sites/default/files/CMVR-chapter1_1.pdf.

[28] Draft AIS-197: Bharat New Car Assessment Program, Ministry of Road Transport and Highways, June 26, 2022,

https://morth.nic.in/sites/default/files/ASI/Draft%20AIS%20197%20.pdf.

[29] G.S.R. 663(E), Ministry of Road Transport and Highway, September, 12, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248660.pdf

[30] Central Motor Vehicles Rule, 1989, Ministry of Road Transport and Highway, https://morth.nic.in/sites/default/files/CMVR-chapter3_1.pdf

[31] Motor Vehicles Act, 1988, Ministry of Road Transport and

Highways,

https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/9460/1/a1988-59.pdf.       

[32] 359th Report: Functioning of Archaeological Survey of India, Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, September 21, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/193/359_2023_9_11.pdf?source=rajyasabha.

[33] The Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958, August 28, 1958, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/13053/2/A1958-24.pdf.

[34] 357th Report: Development of Niche Tourism (including Spiritual Tourism), Theme-based Tourist Circuits and Potential Tourist Spots , Standing Committee on Transport, Tourism and Culture, September 21, 2023, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/20/193/357_2023_9_14.pdf?source=rajyasabha.

[35] National Framework for Promoting Energy Storage Systems, Ministry of Power, September 1, 2023, https://powermin.gov.in/sites/default/files/National_Framework_for_promoting_Energy_Storage_Systems_August_2023.pdf.

[36] G.S.R. 649(E), Ministry of Power, September 1, 2023, https://powermin.gov.in/sites/default/files/webform/notices/Electricity_third_Amendment_Rules_alongwith_relevent_previous_amendments.pdf.

[37] G.S.R 379(E), Ministry of Power, June 8, 2005, https://upload.indiacode.nic.in/showfile?actid=AC_CEN_19_22_00001_200336_1517807317930&type=rule&filename=20.pdf.

[38] The Electricity Act, 2003, May 26, 2003, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2058/1/A2003-36.pdf.

[39] The Companies Act, 2013, August 29, 2013, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2114/1/A2013-18.pdf.

[40] Draft Central Electricity Regulatory Commission (Terms and Conditions of Tariff) Regulations, 2023, Ministry of Power, September 10, 2023, https://cercind.gov.in/2023/draft_reg/DR-100923.pdf.

[41]  The Central Electricity Regulatory Commission (Terms and Conditions of Tariff) Regulations, 2019, March 7, 2019, https://cercind.gov.in/2019/regulation/Tariff%20Regulations-2019.pdf.

[42] The Electricity Act, 2003, Ministry of Power, June 2, 2003, https://powermin.gov.in/sites/default/files/uploads/The%20Electricity%20Act_2003.pdf.

[43] Explanatory Memorandum on Draft Central Electricity Regulatory Commission (Terms and Conditions of Tariff) Regulations, 2023, Ministry of Power, September 10, 2023, https://cercind.gov.in/2023/draft_reg/EM-100923.pdf

[44] The Mineral (Auction) Amendment Rules, 2023, The Gazette of India, Ministry of Mines, September 1, 2023, https://mines.gov.in/admin/storage/app/uploads/64f5ab9c5271d1693821852.pdf.

[45] The Mineral (Auction) Rules, 2015 as amended up to November 2, 2021, Indian Bureau of Mines, https://ibm.gov.in/writereaddata/files/11222021124835Mineral_Auction_Rules_2015%20updated%20upto%2002112021.pdf.

[46] The Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1421/3/a1957-67.pdf.

[47] The Minerals (Evidence of Mineral Contents) Rules, 2015, Indian Bureau of Mines, https://ibm.gov.in/writereaddata/files/02032022105439Evidence%20of%20Mineral%20Rule_2015.pdf.

[48] The Hazardous and Other Wastes (Management and Transboundary Movement) Second Amendment Rules, 2023, Ministry of Environment, Forest and Climate Change eGazette, September 18, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248814.pdf.

[49] The Hazardous and Other Wastes (Management and Transboundary Movement) Rules, 2016, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, Central Pollution Control Board, April 4, 2016, https://cpcb.nic.in/displaypdf.php?id=aHdtZC9IV01fUnVsZXNfMjAxNi5wZGY=.

[50] The Environment (Protection) Act, 1986, Central Pollution Control Board, May 23, 1986, https://cpcb.nic.in/displaypdf.php?id=aG9tZS9lcGEvZXByb3RlY3RfYWN0XzE5ODYucGRm.

[51] Implementation of the National Education Policy, 2020 in Higher Education, September 21, 2023, Standing Committee on Education, Women, Youth Affairs and Sports, https://sansad.in/getFile/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/16/189/356_2023_9_15.pdf?source=rajyasabha.

[52] “51st  Report: The Employees State Insurance Corporation- Applicability and Benefits under ESI Scheme, Functioning of ESI Hospitals and Management of Corpus Fund”, Standing Committee on Labour, Textiles and Skill Development, September 20, 2023, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Labour,%20Textiles%20and%20Skill%20Development/17_Labour_Textiles_and_Skill_Development_51.pdf?source=loksabhadocs.

[53] The Employees’ State Insurance Act, 1948, April 19, 1948, https://labour.gov.in/sites/default/files/theemployeesact1948_0.pdf.

[54] The Draft National Strategy on Robotics, 2023, Ministry of Electronics and Information Technology, 4th September, 2023, https://www.meity.gov.in/writereaddata/files/Draft-National-Strategy-Robotics.pdf.

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