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जुलाई 2025

पीडीएफ

इस अंक की झलकियां

मानसून सत्र 2025 शुरू

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई, 2025 से शुरू हुआ। इस सत्र के दौरान 21 दिन बैठकें होंगी और सत्र 21 अगस्त, 2025 तक चलेगा।

भारत और ब्रिटेन ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए

इस समझौते से ब्रिटेन को भारत के 99% निर्यातों तक शुल्क-मुक्त पहुंच सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, सेवा क्षेत्र में बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए वीज़ा प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा और प्रवेश श्रेणियों को उदार बनाया जाएगा।

सिलेक्ट कमिटी ने आयकर बिल, 2025 पर रिपोर्ट प्रस्तुत की

आयकर बिल, 2025 का उद्देश्य आयकर एक्ट, 1961 का स्थान लेना है। कमिटी ने ड्राफ्ट संबंधी मुद्दों को दुरुस्त करने और बिल को एक्ट के अनुरूप बनाने के लिए संशोधनों का सुझाव दिया है।

राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 लोकसभा में पेश

बिल राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना करता है जो राष्ट्रीय खेल रेगुलेटरी निकायों को मान्यता देगा। यह खेल संबंधी विवादों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल की भी स्थापना करता है।

राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025 लोकसभा में पेश

यह बिल अपील पैनल के गठन का अधिकार राष्ट्रीय खेल एंटी डोपिंग बोर्ड से केंद्र सरकार को हस्तांतरित करता है। यह नाडा के पदाधिकारियों को संचालन संबंधी स्वतंत्रता प्रदान करता है।

कैबिनेट ने राष्ट्रीय खेल नीति को मंजूरी दी

इस नीति का उद्देश्य स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों सहित विभिन्न स्तरों पर खेल संस्कृति में सुधार लाना है। इसका उद्देश्य मैन्यूफैक्चरिंग और पर्यटन जैसे खेल-संबंधी उद्योगों को प्रोत्साहित करना और खेलों को समावेशी बनाना है।

राष्ट्रीय सहकारी नीति, 2025 जारी

प्रमुख विशेषताओं में राज्यों को आदर्श सहकारी गांव विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना, सहकारी समिति के सदस्यों को दक्षता प्रदान करना तथा सहकारी समितियों को निर्यात केंद्रों के साथ जोड़ना शामिल है।

मंत्रिमंडल ने रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी

इस योजना का उद्देश्य पहली बार नौकरी करने वाले युवाओं को प्रोत्साहन देकर तथा अतिरिक्त रोजगार सृजन के लिए नियोक्ताओं को सहायता देकर लगभग 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार सृजित करना है।

कैबिनेट ने अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने की योजना को मंजूरी दी

यह योजना प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में कम या शून्य ब्याज दर पर ऋण के माध्यम से निजी अनुसंधान एवं विकास को वित्तपोषित करेगी। स्टार्टअप्स के मामले में, यह धनराशि इक्विटी निवेश के रूप में भी दी जा सकती है।

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना को कैबिनेट की मंजूरी

इस योजना का उद्देश्य कम उत्पादकता, कम फसल सघनता और कम ऋण वितरण वाले 100 जिलों में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का विकास करना है।

 

संसद

Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)

मानसून सत्र 2025 शुरू

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई, 2025 को शुरू हुआ। यह सत्र 21 अगस्त, 2025 तक चलेगा जिसमें कुल 21 दिन बैठकें होंगी।

इस सत्र में आठ बिल प्रस्तुत किए जाएंगे। इनमें से दो बिल लोकसभा में प्रस्तुत किए जा चुके हैं। ये हैं: राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 और राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025। अन्य बिल में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) बिल, 2025, (ii) टैक्सेशन कानून (संशोधन) बिल, 2025, (iii) भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) बिल, 2025, और (iv) खान एवं खनिज (विकास एवं रेगुलेशन) संशोधन बिल, 2025।

सात लंबित बिल विचार और पारित होने के लिए सूचीबद्ध हैं। इनमें से लदान हुंडी बिल, 2024 संसद द्वारा पारित कर दिया गया है। अन्य छह बिल हैं: (i) आयकर बिल, 2025, (ii) भारतीय पत्तन बिल, 2025, (iii) मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024, (iv) कोस्टल शिपिंग बिल, 2024, (v) समुद्री माल परिवहन बिल, 2024, और (vi) गोवा राज्य विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का समायोजन बिल, 2024। आयकर बिल, 2025 पर गठित सिलेक्ट कमिटी ने 21 जुलाई, 2025 को लोकसभा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

मानसून सत्र के लेजिलेटिव एजेंडा के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां देखें।

 

मैक्रोइकोनॉमिक विकास

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

2025-26 की पहली तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 2.7% रही

2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति 2.7% रही, जो 2024-25 की पहली तिमाही के 4.9% से कम है।[1] 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह 3.7% थी।

2025-26 की पहली तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति औसतन 0.57% रही, जो 2024-25 की इसी तिमाही के 8.9% से काफी कम है। 2024-25 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति 4.1% थी।

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति 2025-26 की पहली तिमाही में औसतन 0.37% रही, जो 2024-25 की इसी तिमाही के 2.45% से कम है।[2] 2024-25 की चौथी तिमाही में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति 2.4% थी।

रेखाचित्र 1: 2025-26 की पहली तिमाही में मासिक मुद्रास्फीति (वर्ष-दर-वर्ष % परिवर्तन)

   

स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय; पीआरएस।

 

वित्त

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

सिलेक्ट कमिटी ने आयकर बिल, 2025 पर अपनी रिपोर्ट पेश की

आयकर बिल, 2025 को 13 फरवरी, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल आयकर एक्ट, 1961 का स्थान लेगा। इसे लोकसभा की सिलेक्ट कमिटी (चेयर: श्री बैजयंत पांडा) को भेजा गया था। कमिटी की रिपोर्ट 21 जुलाई, 2025 को लोकसभा में पेश की गई।[3] कमिटी ने कहा कि बिल मुख्यतः भाषा को सरल बनाने का प्रयास करता है, तथा इसमें कानून में कोई ठोस परिवर्तन प्रस्तावित नहीं है।

कमिटी ने ड़्राफ्टिंग संबंधी कई समस्याओं पर गौर किया और उनके समाधान का सुझाव दिया। उसने कहा कि 1961 के एक्ट की तुलना में कुछ प्रावधानों के अर्थ बदल जाएंगे। ऐसा प्रावधानों की भाषा में अनजाने में हुई चूक या बदलावों के कारण हुआ है। उसने ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए संशोधनों का सुझाव दिया।

उसने कहा कि बिल में उन बदलावों को शामिल किया जाए, जो 2024 और 2025 के फाइनांस एक्ट्स ने 1961 के एक्ट में किए थे। साथ ही कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने और संदर्भ एवं टाइपोग्राफिकल गलतियों को दूर करने का भी सुझाव दिया है।

रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।  

आरबीआई ने ऋणों पर फौजदारी शुल्क माफ करने के निर्देश जारी किए

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने ऋणों पर फौजदारी/पूर्व-भुगतान शुल्क से संबंधित निर्देश जारी किए हैं।[4] इन निर्देशों के अनुसार, रेगुलेटेड संस्थाएं (जैसे वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक और एनबीएफसी) व्यक्तियों और मध्यम एवं लघु उद्यमों को दिए गए गैर-व्यावसायिक और व्यावसायिक ऋणों पर कोई पूर्व-भुगतान शुल्क नहीं लगाएंगी। ये निर्देश सभी फ्लोटिंग रेट ऋणों और अग्रिमों पर लागू होंगे।

ये निर्देश कुछ रेगुलेटेड संस्थाओं (आरई) जैसे लघु वित्त बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राज्य सहकारी बैंक को छूट प्रदान करते हैं। ये आरई 50 लाख रुपए तक की स्वीकृत राशि वाले ऋणों पर पूर्व-भुगतान शुल्क नहीं लगाएंगे। ऋणों का पूर्व-भुगतान बिना किसी न्यूनतम लॉक-इन अवधि के आंशिक या पूर्ण पुनर्भुगतान के आधार पर अनुमत होगा। ये निर्देश 1 जनवरी, 2026 के बाद स्वीकृत या नवीनीकृत सभी ऋणों और अग्रिमों पर लागू होंगे।

डिजिटल बैंकिंग चैनलों संबंधी ड्राफ्ट निर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग चैनलों से संबंधित बैंकों की बैंकिंग और गैर-बैंकिंग गतिविधियों को रेगुलेट करने के लिए ड्राफ्ट निर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[5] बैंकों के लिए प्रमुख निर्देश निम्न हैं:

  • एप्लिकेबिलिटी: ये निर्देश डिजिटल चैनलों के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने वाले सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों पर लागू होंगे।

  • बैंकिंग सेवाओं के प्रावधान हेतु पात्रता: फंड या नॉन-फंड आधारित लेन-देन वाली बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने वाले बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होगी। इस स्वीकृति के लिए, बैंकों को पूर्णतः कार्यशील आईटी अवसंरचना सुनिश्चित करनी होगी और उनके पास पर्याप्त वित्तीय एवं तकनीकी क्षमता होनी चाहिए। उन्हें न्यूनतम नियामक पूंजी अनुपात का भी पालन करना होगा और शुद्ध मूल्य सीमा को पूरा करना होगा।

  • अनुपालन संबंधी शर्तें: निर्देशों में कहा गया है कि बैंकों को डिजिटल बैंकिंग संचालन के लिए इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023, विदेशी मुद्रा प्रबंधन एक्ट, 1999 और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अन्य निर्देशों का पालन करना होगा। बैंकों को ग्राहक सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों का भी पालन करना होगा।

  • परिचालन संबंधी दिशानिर्देश: बैंकों को निम्नलिखित कार्य करने होंगे: (i) डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के प्रावधान के लिए ग्राहकों से सहमति प्राप्त करना, (ii) डिजिटल बैंकिंग के लिए कई पंजीकरण चैनल प्रदान करना, (iii) ग्राहकों के लिए डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को वैकल्पिक और स्वैच्छिक बनाना, (iv) जोखिम न्यूनीकरण, लेनदेन निगरानी और सर्विलांस प्रणालियां स्थापित करना, और (v) डिजिटल बैंकिंग चैनलों पर तीसरे पक्ष के उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने से बचना।

11 अगस्त, 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।

म्यूचुअल फंड योजनाओं के वर्गीकरण संबंधी ड्राफ्ट सर्कुलर पर टिप्पणियां आमंत्रित

भारतीय प्रतिभूति एवं रेगुलेटरी बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड योजनाओं के वर्गीकरण और युक्तिकरण पर एक ड्राफ्ट सर्कुलर सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी किया है।[6] म्यूचुअल फंड योजनाओं को वर्तमान में 2017 में जारी सेबी दिशानिर्देशों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।[7] 2017 के दिशानिर्देशों के अनुसार, योजनाओं को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: (i) इक्विटी योजनाएं, (ii) ऋण योजनाएं, (iii) हाइब्रिड योजनाएं, (iv) समाधान-उन्मुख योजनाएं, और (v) अन्य योजनाएं। प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • इक्विटी योजनाएं: वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) को इक्विटी योजनाओं के अंतर्गत वैल्यू फंड या कॉन्ट्रा फंड दोनों की पेशकश करने की अनुमति है। ड्राफ्ट सर्कुलर में इसमें बदलाव का प्रस्ताव है ताकि म्यूचुअल फंड वैल्यू और कॉन्ट्रा फंड दोनों की पेशकश कर सकें। यह योजना पोर्टफोलियो के ओवरलैप पर सशर्त होगी। इसके अलावा, सेक्टोरल/थीमैटिक इक्विटी फंडों के लिए, किसी अन्य इक्विटी योजना के साथ उनके पोर्टफोलियो का ओवरलैप 50% से अधिक नहीं होना चाहिए।

  • पोर्टफोलियो ओवरलैप: ड्राफ्ट सर्कुलर के अनुसार, इस पोर्टफोलियो ओवरलैप की निगरानी एएमसी के मासिक पोर्टफोलियो का उपयोग करके अर्ध-वार्षिक आधार पर नियमित रूप से की जाएगी। अगर ओवरलैप अनुमत सीमा से अधिक हो जाता है, तो एएमसी को अपने पोर्टफोलियो को पुनर्संतुलित करने के लिए 30 व्यावसायिक दिनों का एक्सटेंशन दिया जाएगा।

  • प्रति श्रेणी एक योजना: वर्तमान दिशानिर्देशों के तहत, एएमसी को प्रति श्रेणी केवल एक योजना पेश करने की अनुमति है। हालांकि, ड्राफ्ट सर्कुलर में एएमसी को मौजूदा योजना श्रेणी में एक अतिरिक्त योजना शुरू करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। यह निम्नलिखित शर्तों के अधीन है: (i) मौजूदा योजना के पांच वर्ष पूरा होना, (ii) अतिरिक्त योजना शुरू होने के बाद मौजूदा योजना का सब्सक्रिप्शन समाप्त होना, और (iii) मौजूदा योजना के अंतर्गत कुल प्रबंधन परिसंपत्ति 50,000 करोड़ रुपए से अधिक होना।

  • रेसिड्यूअल फंड्स का निवेश: ड्राफ्ट सर्कुलर के अनुसार, एएमसी को कुल परिसंपत्तियों के शेष हिस्से को विविध परिसंपत्ति वर्गों में निवेश करने की अनुमति होगी। इनमें इक्विटी, ऋण, सोना और चांदी, रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट शामिल होंगे।

8 अगस्त, 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।

कैग ने एफआरबीएम एक्ट, 2003 के अनुपालन पर ऑडिट रिपोर्ट पेश की

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट, 2003 पर एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की।[8] 2003 के एक्ट में मध्यम अवधि में केंद्र सरकार के ऋण और घाटे में कमी लाने के लिए एक विधायी ढांचा प्रस्तुत किया गया है। यह एक्ट उत्तरदायी राजकोषीय प्रबंधन और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार हेतु राजकोषीय लक्ष्य निर्धारित करता है। कैग की प्रमुख टिप्पणियों और सुझावों में निम्न शामिल हैं:

  • सामान्य सरकारी ऋण: एफआरबीएम संशोधन एक्ट, 2018 के तहत, केंद्र सरकार ने 2024-25 तक सामान्य सरकारी ऋण को जीडीपी के 60% तक सीमित करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें केंद्र सरकार के ऋण की सीमा जीडीपी के 40% पर सीमित है। सामान्य सरकारी ऋण केंद्र और राज्य सरकारों की कुल देनदारियों को कहते हैं। 2022-23 में सामान्य सरकारी ऋण जीडीपी का 81.4% था, जबकि 2018-19 में यह 70.4% था। 2022-23 में केंद्र सरकार का बकाया ऋण जीडीपी का 58% था। हालांकि कैग ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था केंद्र सरकार के ऋण की तुलना में तेज़ गति से बढ़ी है, जिससे वह ऋण को चुकाने में सक्षम हो गई है। 

  • राजकोषीय संकेतकों के रोलिंग लक्ष्य: एफआरबीएम संशोधन एक्ट, 2018 के तहत केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष के बाद के दो वर्षों के लिए कुछ राजकोषीय संकेतकों के अनुमान प्रस्तुत करने होंगे। इसमें राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा, प्राथमिक घाटा, कर राजस्व और जीडीपी के प्रतिशत के रूप में केंद्र सरकार के ऋण के अनुमान शामिल हैं। अग्रिम लक्ष्यों को मध्यम अवधि राजकोषीय नीति (एमटीएफपी) के विवरण में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस विवरण में अनुमानों में अंतर्निहित पूर्वानुमानों का भी उल्लेख होना चाहिए। कैग ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2021-22 से राजकोषीय संकेतकों के लिए रोलिंग लक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए हैं। इसके बजाय केंद्र सरकार ने इन वर्षों के लिए एमटीएफपी विवरण में राजकोषीय लक्ष्यों से विचलन के कारण प्रस्तुत किए हैं।

  • विनिवेश प्राप्तियां: कैग ने कहा कि 2022-23 में विनिवेश से प्राप्तियां महामारी-पूर्व अवधि की तुलना में कम थीं।

  • प्राप्त कर राजस्व, लेकिन वसूल नहीं हुआ: कैग ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में 2022-23 में प्राप्त होने वाला कर राजस्व, जो वसूल नहीं हुआ, बढ़ा है। उसके अनुसार, इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार के लिए गैर-ऋण प्राप्तियों का उपयोग करने का अवसर गंवा दिया गया। 2022-23 के अंत तक, 21.3 लाख करोड़ रुपए का कर राजस्व वसूल नहीं हुआ।

रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।

 

विदेश मंत्रालय

Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)

भारत और ब्रिटेन ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत और ब्रिटेन ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं।[9] इस समझौते का उद्देश्य 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है। जुलाई 2025 तक भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 56 अरब USD का था। इस समझौते की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं: (i) ब्रिटेन को भारत के 99% निर्यात पर शुल्क-मुक्त पहुंच, (ii) समुद्री उत्पादों, वस्त्रों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर शुल्क में 70% से 0% की कमी, और (iii) सरलीकृत वीज़ा प्रक्रियाओं और उदारीकृत प्रवेश श्रेणियों के माध्यम से सेवा क्षेत्र में बेहतर बाज़ार पहुंच।

भारत ने ब्रिटेन के साथ दोहरे अंशदान समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत भारतीय पेशेवरों और उनके नियोक्ताओं को ब्रिटेन में तीन वर्ष तक सामाजिक सुरक्षा भुगतान से छूट मिलेगी।

प्रधानमंत्री द्विपक्षीय वार्ता के लिए मालदीव पहुंचे

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्विपक्षीय वार्ता के लिए मालदीव पहुंचे।[10] दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के कार्यान्वयन की प्रगति, और प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते एवं द्विपक्षीय निवेश संधि पर चर्चा की। दोनों देशों ने जलीय कृषि, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, यूपीआई, फार्मा और रियायती ऋण-सीमाओं पर समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। भारत मालदीव में अवसंरचना विकास के लिए 4,850 करोड़ रुपए की नई ऋण-सीमा प्रदान करेगा। दोनों देशों ने मौजूदा ऋण-सीमाओं के तहत मालदीव के वार्षिक ऋण चुकौती दायित्वों को 40% तक कम करने पर भी सहमति व्यक्त की।

 

श्रम एवं रोजगार

कैबिनेट ने रोजगार संबंधी प्रोत्साहन योजना मंजूर की

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 99,446 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना को मंजूरी दी।[11] यह योजना दो वर्षों की अवधि में लागू की जाएगी और इसके दायरे में 1 अगस्त, 2025 से 31 जुलाई, 2027 के बीच सृजित नौकरियां शामिल होंगी। इसका उद्देश्य रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना और सभी क्षेत्रों में सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाना है। इस योजना के दो घटक हैं:

  • नियोक्ताओं को सहायता: इस योजना के तहत, नियोक्ताओं को प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी की नियुक्ति के लिए दो वर्षों तक 3,000 रुपए प्रति माह तक का प्रोत्साहन दिया जाएगा। 50 से कम कर्मचारियों वाले नियोक्ताओं को दो अतिरिक्त नियुक्तियां करनी होंगी, जबकि 50 से अधिक कर्मचारियों वाले नियोक्ताओं को पांच अतिरिक्त नियुक्तियां करनी होंगी। प्रोत्साहन कम से कम छह महीने तक निरंतर रोजगार की शर्त पर होंगे। इस योजना के तहत मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के इस्टैबलिशमेंट्स को दो अतिरिक्त वर्षों के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा। इस योजना का लक्ष्य इस घटक के तहत 2.6 करोड़ लोगों के लिए अतिरिक्त रोजगार सृजित करना है।

  • पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन: इस घटक के तहत, कर्मचारी भविष्य निधि में पंजीकृत पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों को एक महीने के वेतन के बराबर प्रोत्साहन राशि मिलेगी, जो अधिकतम 15,000 रुपए तक हो सकती है। इसका भुगतान दो किश्तों में किया जाएगा। पहली किश्त छह महीने की सेवा पूरी होने पर दी जाएगी। कर्मचारियों को दूसरी किश्त 12 महीने की सेवा पूरी करने और एक वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम में भाग लेने पर मिलेगी। एक लाख रुपए प्रति माह तक के वेतन वाले पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारी इसके पात्र होंगे। इस योजना का लक्ष्य इस घटक के अंतर्गत 1.92 करोड़ कर्मचारियों को शामिल करना है।

राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति, 2025 का ड्राफ्ट सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी

Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता हेतु राष्ट्रीय नीति का ड्राफ्ट जारी किया है।[12] इस ड्राफ्ट नीति का उद्देश्य कौशल एवं उद्यमिता के लिए डिजिटल और भौतिक अवसंरचना का विकास करना है। इसका उद्देश्य नीतिगत परिणामों पर नज़र रखने के लिए निगरानी, मूल्यांकन और शिक्षण ढांचे को मजबूत करना है। नीति के अंतर्गत प्रमुख फोकस एरिया निम्नलिखित हैं:

  • प्रणालियों को सुदृढ़ बनाना: ड्राफ्ट नीति का उद्देश्य अवसंरचना में सुधार, नीतिगत सुधारों को सक्षम बनाना और प्रमुख हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। प्रस्तावित प्रमुख पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) स्किल इंडिया डिजिटल हब को एक उपयोगकर्ता-केंद्रित प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित करना, (ii) एक विकेंद्रीकृत ओपन नेटवर्क स्किलिंग प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ना, (iii) एक केंद्रीकृत श्रम बाज़ार सूचना प्रणाली का निर्माण, (iv) एक डिजिटल लाइफलॉन्ग लर्निंग एकाउंट स्थापित करना जो व्यक्ति के सभी क्रेडेंशियल्स को एकीकृत करता हो, (v) प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक विशिष्ट स्किल प्रोफाइल का निर्माण, और (vi) नैनो-इंटरप्राइजेज़ को औपचारिक रूप देना।

  • वितरण में सुधार: ड्राफ्ट नीति सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का उपयोग करके प्रमुख औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और कौशल उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना पर जोर देती है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के साथ कौशल, शिक्षा और कार्य अनुभव को एकीकृत करना भी है। ड्राफ्ट नीति श्रमबल की गुणवत्ता का समय-समय पर आकलन करने के लिए एक राष्ट्रीय रोजगारपरकता और उद्यमिता मापक विकसित करने का प्रस्ताव करती है। इसके अतिरिक्त, श्रमबल में पुनः प्रवेश करने वाली महिलाओं के लिए एक कौशल कार्यक्रम भी प्रस्तावित है।

  • प्रोत्साहन: ड्राफ्ट नीति में कौशल वाउचर शुरू करने का प्रस्ताव है जिससे शिक्षार्थी स्वयं कौशल कार्यक्रमों और प्रदाताओं का चयन कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त, इसमें कौशल संस्थानों और कार्यक्रमों से जुड़ने वाले उद्योगों के लिए एक पुरस्कार और मान्यता तंत्र विकसित करने का भी प्रस्ताव है। उद्योगों को उनकी सहभागिता, नेतृत्व के प्रति प्रतिबद्धता और कौशल पहल के सहयोग के आधार पर पुरस्कृत और मान्यता दी जाएगी।

 

संचार

Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)

राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2025 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित

दूरसंचार विभाग ने राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2025 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[13] इसका उद्देश्य 2018 में जारी राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (एनडीसीपी) का स्थान लेना है। ड्राफ्ट नीति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :

  • कनेक्टिविटी में सुधार: 2030 तक ड्राफ्ट नीति के निम्न लक्ष्य हैं: (i) 100% आबादी को 4जी और 90% आबादी को 5जी की सुविधा प्रदान करना, (ii) 10 लाख सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करना, (iii) जहां आवश्यक हो, उपग्रह के माध्यम से इंटरनेट प्रदान करना, (iv) 10 करोड़ घरों तक फिक्स्ड ब्रॉडबैंड कवरेज पहुंचाना, और (v) टावर्स के फाइबरीकरण को 46% से बढ़ाकर 80% करना। फाइबरीकरण का अर्थ है, कम गति और विश्वसनीयता वाले वायरलेस लिंक के बजाय, फाइबर-ऑप्टिक केबल का उपयोग करके दूरसंचार टावर्स को मुख्य नेटवर्क से जोड़ना। ड्राफ्ट नीति का उद्देश्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार करना और औद्योगिक एप्लिकेशंस के लिए कम लेटेंसी वाले संचार को प्रोत्साहित करना भी है।

  • अनुसंधान एवं विकास तथा घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना: ड्राफ्ट नीति का उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 6जी, क्वांटम कम्यूनिकेशन और ब्लॉकचेन जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इसका लक्ष्य 2030 तक दूरसंचार क्षेत्र में 50% आयात प्रतिस्थापन प्राप्त करना है। इसमें निम्नलिखित उपाय प्रस्तावित हैं: (i) अनुसंधान एवं विकास के लिए स्पेक्ट्रम एक्सेस को आसान बनाना, (ii) स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए वित्तपोषण और मार्गदर्शन, (iii) इनक्यूबेशन सेंटर्स को बढ़ावा देना, और (iv) दूरसंचार उपकरणों के डिज़ाइन और उत्पादन हेतु एकीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ दूरसंचार मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की स्थापना।

  • सुरक्षा उपाय: ड्राफ्ट नीति में दूरसंचार क्षेत्र में सुरक्षा में सुधार का प्रस्ताव है। इसमें निम्नलिखित उपाय भी शामिल हैं: (i) उपयोगकर्ताओं के लिए बायोमेट्रिक-आधारित पहचान, (ii) मानकीकृत और सुरक्षा-प्रमाणित हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर आपूर्ति श्रृंखलाओं को सक्षम बनाना, और (iii) मामलों की जानकारी देने और प्रतिकूल हमलों के खतरों का मुकाबला करने के लिए एआई का उपयोग करना।

  • अनुपालन को सरल बनाना: ड्राफ्ट नीति निम्नलिखित के माध्यम से अनुपालन बोझ को कम करने का प्रयास करती है: (i) अनुमतियों के लिए सिंगल-विंडो पोर्टल की स्थापना, (ii) रेगुलेटरी प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण, और (iii) जल्दी अनुमोदन।

  • स्थिरता में सुधार: ड्राफ्ट नीति का लक्ष्य 2030 तक दूरसंचार क्षेत्र के कार्बन उत्सर्जन को 30% तक कम करना है। इसमें ई-कचरा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित करने का प्रावधान है।

14 अगस्त, 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।

टेलीविजन रेटिंग एजेंसी संबंधी दिशानिर्देशों में संशोधन के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भारत में टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के लिए नीति दिशानिर्देश, 2014 में संशोधन के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[14] 2014 के दिशानिर्देश मंत्रालय में टेलीविजन रेटिंग एजेंसियों के पंजीकरण के लिए नियम और शर्तें निर्धारित करते हैं।[15] 2014 के दिशानिर्देश निम्नलिखित पर प्रतिबंध लगाते हैं: (i) किसी टेलीविजन रेटिंग एजेंसी के बोर्ड सदस्यों को प्रसारण या विज्ञापन व्यवसाय में शामिल होने से, और (ii) किसी एक कंपनी या प्रमोटर को कई रेटिंग, प्रसारण और विज्ञापन एजेंसियों में पर्याप्त इक्विटी रखने से। संशोधन के ड्राफ्ट में इन प्रतिबंधों को हटाने का प्रस्ताव है।

1 अगस्त 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।

 

सहकारिता

राष्ट्रीय सहकारी नीति जारी

Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)

सहकारिता मंत्रालय ने राष्ट्रीय सहकारिता नीति, 2025 जारी की।[16] यह राष्ट्रीय सहकारिता नीति, 2002 का स्थान लेगी।[17] 2025 की नीति का उद्देश्य सहकारी समितियों के सतत विकास के लिए एक रेगुलेटरी, आर्थिक और कानूनी इकोसिस्टम का निर्माण करना है। नीति की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं :

  • सहकारी समितियों को सहयोग: नीति सहकारी समितियों के लिए सुविधाजनक वित्त, व्यावसायिक अनुसंधान क्षमता, और मार्केटिंग तथा ब्रांडिंग सेवाओं के विकास हेतु रणनीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। प्रमुख पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रत्येक जिले में कम से कम एक आदर्श सहकारी गांव का विकास, (ii) ग्रामीण उपज के लिए सहकारी-नेतृत्व वाले आर्थिक समूहों को बढ़ावा देना, (iii) उत्पाद मान्यता सुनिश्चित करने के लिए सहकारी समितियों को जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग और ट्रेडमार्क की खोज के लिए प्रोत्साहित करना, और (v) एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल के तहत चिन्हित निर्यातोन्मुखी वस्तुओं के उत्पादन के साथ सहकारी समितियों को जोड़ना। इसका उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन जगहों पर सहकारी करों को कम करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है जहां वे कॉरपोरेट कर से अधिक हैं।

  • क्षमता निर्माण और नवाचार: इस नीति का उद्देश्य सहकारी सदस्यों का कौशल विकास करना और महिलाओं, वंचित वर्गों और कम प्रतिनिधित्व वाले आयु समूहों की भागीदारी बढ़ाना है। इसका उद्देश्य सहकारी समितियों द्वारा पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने को बढ़ावा देना भी है। इसका उद्देश्य निम्नलिखित पहलों के माध्यम से इस उद्देश्य को प्राप्त करना है: (i) नए सहकारिता-केंद्रित पाठ्यक्रमों के लिए शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी के माध्यम से प्रशिक्षण और कौशल विकास क्षमता का विकास, (ii) सहकारी क्षेत्र में नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं का मेल कराने के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल सहकारी रोजगार कार्यालय का निर्माण, (iii) कृषि सहकारी समितियों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना, और (iv) औषधि केंद्र और फ्यूल रीटेल आउटलेट्स जैसे नए क्षेत्रों में विविधीकरण।

  • कार्यान्वयन संरचना: नीति में सहकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक समर्पित कार्यान्वयन प्रकोष्ठ के गठन का प्रस्ताव है। इसमें समग्र निगरानी के लिए केंद्रीय सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में सहकारिता नीति पर एक राष्ट्रीय संचालन समिति के गठन का भी प्रस्ताव है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय सहकारिता सचिव की अध्यक्षता में एक नीति कार्यान्वयन एवं निगरानी समिति कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए उत्तरदायी होगी।

कैबिनेट ने एनसीडीसी के माध्यम से सहकारी समितियों को ऋण देने की योजना को मंजूरी दी

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) को 2,000 करोड़ रुपए के अनुदान देने की योजना को मंजूरी दे दी है।[18] एनसीडीसी की स्थापना केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम एक्ट, 1962 के तहत की है।[19] यह निगम कृषि उपज, औद्योगिक वस्तुओं और अन्य सहकारी वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। 2025-26 और 2028-29 के बीच चार वर्षों में एनसीडीसी को वार्षिक 500 करोड़ रुपए जारी किए जाएंगे। इन अनुदानों के आधार पर एनसीडीसी द्वारा इस अवधि के दौरान खुले बाजार से 20,000 करोड़ रुपए जुटाने की उम्मीद है। एनसीडीसी इस धनराशि का उपयोग सहकारी समितियों को ऋण देने में करेगा। इन ऋणों का उपयोग नई परियोजनाओं, संयंत्र विस्तार और कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए किया जा सकता है। इस योजना से इससे विभिन्न क्षेत्रों की 13,288 सहकारी समितियों के 2.9 करोड़ सदस्यों को लाभ मिलेगा।

 

कृषि

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना को कैबिनेट की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2025-26 से शुरू होने वाले छह वर्षों के लिए 24,000 करोड़ रुपए के वार्षिक परिव्यय के साथ पीएम धन धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी है।[20],[21] इस योजना की घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई थी।[22]  इस योजना का उद्देश्य कम कृषि उत्पादकता, कम फसल सघनता और कम ऋण वितरण वाले 100 जिलों को धन-धान्य जिलों के रूप में विकसित करना है। प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिले का चयन किया जाएगा।

इस योजना को निजी क्षेत्र, राज्य योजनाओं और विभिन्न सरकारी विभागों की मौजूदा योजनाओं के साथ साझेदारी में लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत, जिला योजनाएं विकसित करने के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी। ये योजनाएं फसल विविधीकरण, मृदा एवं जल संरक्षण, कृषि में आत्मनिर्भरता और प्राकृतिक एवं जैविक खेती के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप होनी चाहिए। 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों की निगरानी के माध्यम से योजना की प्रगति पर मासिक आधार पर नज़र रखी जाएगी। इस योजना के तहत, निगरानी के लिए एक व्यापक डैशबोर्ड, किसानों के लिए समर्पित मोबाइल ऐप और एक जिला रैंकिंग तंत्र विकसित किया जाएगा।

कैबिनेट ने पीएम किसान संपदा योजना के लिए अतिरिक्त परिव्यय को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) के लिए 1,920 करोड़ रुपए के अतिरिक्त परिव्यय को मंज़ूरी दे दी है।[23] इस योजना में भंडारण एवं परिवहन अवसंरचना, कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर, तथा खाद्य प्रसंस्करण एवं संरक्षण क्षमताओं सहित आधुनिक अवसंरचना के निर्माण का प्रावधान है।[24] वर्ष 2025-26 तक पीएमकेएसवाई के विभिन्न घटकों के अंतर्गत परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए 920 करोड़ रुपए का उपयोग किया जाएगा। 50 बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों और 100 राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए 1,000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। फूड इरेडिएशन फेसिलिटीज़, शेल्फ-लाइफ बढ़ाकर फसल-उपरांत होने वाले नुकसान और नाशवान कृषि उत्पादों की बर्बादी को कम करने में मदद करती हैं।

 

खेल

राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 लोकसभा में पेश किया गया

Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)

राष्ट्रीय स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया।[25] इस बिल का उद्देश्य राष्ट्रीय खेल निकायों को मान्यता प्रदान करना और उनके कामकाज को रेगुलेट करना है। बिल की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • राष्ट्रीय खेल प्रशासन निकाय: बिल में निम्नलिखित की स्थापना का प्रावधान है: (i) राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, (ii) राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति, और (iii) प्रत्येक निर्दिष्ट खेल के लिए राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय खेल महासंघ। ये राष्ट्रीय निकाय संबंधित अंतरराष्ट्रीय निकायों से संबद्ध होंगे। इन निकायों की राज्य और जिला स्तर पर संबद्ध इकाइयां भी होंगी। बिल इन निकायों से निम्नलिखित स्थापित करने की अपेक्षा करता है: (i) अपने कामकाज के लिए कुछ समितियां, (ii) सदस्यों, सहयोगियों, एथलीट्स, प्रशिक्षकों और प्रायोजकों जैसे व्यक्तियों के आचरण को नियंत्रित करने के लिए एक आचार संहिता, और (iii) ऐसे व्यक्तियों की शिकायतों के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र। बिल में कहा गया है कि इन निकायों को अंतरराष्ट्रीय चार्टर और कानून द्वारा मुख्य रूप से प्रशासित किया जाएगा। बिल के साथ किसी भी विवाद की स्थिति में, केंद्र सरकार स्पष्टीकरण जारी कर सकती है।

  • राष्ट्रीय खेल बोर्ड: बिल केंद्र सरकार को एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड स्थापित करने का अधिकार देता है। यह बोर्ड राष्ट्रीय खेल निकायों को मान्यता प्रदान करेगा, खिलाड़ियों के कल्याण संबंधी मामलों की जांच करेगा और नैतिकता एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुपालन पर दिशानिर्देश जारी करेगा।

  • राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल: बिल खेलों से संबंधित विवादों के निपटारे के लिए एक राष्ट्रीय खेल ट्रिब्यूनल का प्रावधान करता है। इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकेगी, जब तक कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार स्विट्जरलैंड स्थित कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में अपील करना आवश्यक न हो।

  • खेल निकायों के चुनाव: केंद्र सरकार राष्ट्रीय खेल निकायों के चुनावों की निगरानी के लिए चुनाव अधिकारियों का एक राष्ट्रीय पैनल गठित करेगी।

बिल के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।

राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया

Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)

राष्ट्रीय एंटी डोपिंग (संशोधन) बिल, 2025 लोकसभा में पेश किया गया।[26] यह बिल राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एक्ट, 2022 में संशोधन का प्रयास करता है। डोपिंग खिलाड़ियों द्वारा अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन को कहा जाता है। यह एक्ट निम्नलिखित की स्थापना करता है: (i) एंटी डोपिंग नियमों को लागू करने हेतु राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा), और (ii) नाडा की निगरानी हेतु राष्ट्रीय बोर्ड और एंटी डोपिंग नियमों पर केंद्र सरकार को सलाह देना।[27] बिल की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

  • केंद्र सरकार को अपील पैनल गठित करने का अधिकार: एक्ट राष्ट्रीय बोर्ड से निम्नलिखित के गठन की अपेक्षा करता है: (i) नियमों के उल्लंघन के परिणामों के निर्धारण के लिए एक अनुशासनात्मक पैनल, और (ii) अनुशासनात्मक पैनल के निर्णयों के विरुद्ध अपील की सुनवाई के लिए एक अपील पैनल। बिल अपील पैनल के गठन की शक्ति बोर्ड की बजाय केंद्र सरकार को सौंपता है। एक्ट बोर्ड को यह अधिकार देता है कि वह रेगुलेशंस के जरिए अपील दायर करने और उनकी सुनवाई के तरीके को निर्दिष्ट करे। इसके बजाय बिल केंद्र सरकार को इन मामलों को निर्धारित करने का अधिकार देता है।

  • एंटी डोपिंग निकायों की स्वायत्तता: एक्ट बोर्ड को अनुशासनात्मक पैनल और अपील पैनल से जानकारी प्राप्त करने या निर्देश जारी करने का अधिकार देता है। बिल इन शक्तियों को समाप्त करता है। बिल में कहा गया है कि महानिदेशक या नाडा का कोई भी अन्य सदस्य निम्नलिखित से स्वतंत्र होगा: (i) कोई राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघ, (ii) ओलंपिक या पैरालंपिक समिति, (iii) कोई सरकारी विभाग, और (iv) खेल या एंटी-डोपिंग के लिए जिम्मेदार कोई एजेंसी।

  • केवल निर्दिष्ट निकाय ही सीएएस में अपील दायर कर सकते हैं: एक्ट किसी भी व्यक्ति को अपील पैनल के किसी निर्णय के विरुद्ध स्विट्जरलैंड स्थित कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) में अपील दायर करने की अनुमति देता है। बिल उन व्यक्तियों को निर्दिष्ट करता है जो सीएएस के समक्ष अपील दायर कर सकते हैं। इनमें विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा), अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी), अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (आईपीसी) और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघ जैसे निकाय शामिल हैं।

बिल के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।

कैबिनेट ने राष्ट्रीय खेल नीति को मंजूरी दी

Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खेल नीति, 2025 को मंजूरी दे दी।[28] यह राष्ट्रीय खेल नीति (एनएसपी), 2001 का स्थान लेगी।[29] नीति की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • खेलों को बढ़ावा: नीति का उद्देश्य स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों सहित विभिन्न स्तरों पर खेल संस्कृति में सुधार लाना है। प्रस्तावित प्रमुख पहल में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सभी आयु वर्गों के लिए संरचित खेल कार्यक्रम विकसित करना, (ii) बचपन से ही खेलों के प्रति जागरूकता, (iii) प्रतिभा की खोज करना, (iv) खेल सुरक्षा, नैतिकता, लैंगिक समानता और शिकायत निवारण को मजबूत करना, और (v) पैरा-स्पोर्ट्स इकोसिस्टम को मजबूत करना। इसका उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देते हुए खेल अवसंरचना का विकास करना है। यह नए वित्तपोषण तंत्रों को प्रोत्साहित करने और खेलों में निजी क्षेत्र को शामिल करने का प्रयास करती है। यह मानक, प्रमुख प्रदर्शन संकेतक और समयबद्ध लक्ष्यों के साथ एक राष्ट्रीय निगरानी संरचना का भी प्रावधान करती है।

  • आर्थिक विकास के लिए खेल: नीति का उद्देश्य खेलों के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। प्रस्तावित प्रमुख पहलों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के माध्यम से खेल पर्यटन को बढ़ावा देना, (ii) घरेलू खेल उपकरण निर्माण को बढ़ावा देना, (iii) खेलों में उद्यमिता को प्रोत्साहित करना, और (iv) खेल स्टेडियमों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के मुद्रीकरण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल की खोज करना।

  • खेलों को और अधिक समावेशी बनाना: इस नीति का उद्देश्य खेल शिक्षा और करियर में समावेशिता को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य महिलाओं, आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों, आदिवासी समुदायों और शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों जैसे कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की भागीदारी में आने वाली बाधाओं को कम करना है। कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों के लिए एक विशिष्ट प्रतिभा विकास तंत्र विकसित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, इस नीति का उद्देश्य राज्यों के स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देना भी होगा।

इस नीति का उद्देश्य खेलों में लक्षित कार्यक्रमों के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देना होगा। इसमें शारीरिक और मानसिक कल्याण को लक्षित करते हुए शैक्षणिक संस्थानों और कार्यस्थलों के साथ जुड़ाव शामिल होगा।

 

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)

कैबिनेट ने अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने की योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) योजना को मंज़ूरी दे दी है।[30] यह योजना ऐसे निवेशों के लिए कम या शून्य ब्याज पर दीर्घकालिक ऋण प्रदान करेगी। इस योजना की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • एप्लिकेबिलिटी: यह योजना विकास के उन्नत चरणों में उच्च-प्रौद्योगिकी परियोजनाओं और महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण में सहायता करेगी। यह डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना में भी सहायता करेगी।

  • फंड का वितरण: इस योजना में एक लाख करोड़ रुपए का कॉरपस होगा। यह फंड टू-टियर फंडिंग संरचना के जरिए वितरित किया जाएगा। अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (एएनआरएफ) के अंतर्गत एक स्पेशल पर्पज फंड (एसपीएफ) बनाया जाएगा। एएनआरएफ देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को सहयोग और प्रोत्साहन देने वाला शीर्ष निकाय है। एसपीएफ से विभिन्न सेंकेंड लेवल फंड मैनेजर्स को दीर्घकालिक रियायती ऋण प्रदान किए जाएंगे। इसके बाद ये मैनेजर निजी कंपनियों को शून्य या कम ब्याज दरों पर दीर्घकालिक ऋण प्रदान करेंगे। स्टार्टअप्स के मामले में फंड मैनेजर इक्विटी निवेश के रूप में भी वित्तपोषण कर सकते हैं।

  • कार्यान्वयन एजेंसियां: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग इस योजना का क्रियान्वयन करेगा। एएनआरएफ की कार्यकारी परिषद दिशानिर्देश तैयार करेगी और सेकेंड लेवल फंड मैनेजर्स का सुझाव देगी। इस परिषद की अध्यक्षता केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार करेंगे। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का एक अधिकार प्राप्त समूह योजना में बदलावों, क्षेत्रों, समर्थित परियोजनाओं के प्रकार और सेकेंड-लेवल फंड मैनेजर्स को मंजूरी देगा।

साइबर सुरक्षा ऑडिट के लिए दिशानिर्देश जारी

भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (सीईआरटी-इन) ने व्यापक साइबर सुरक्षा ऑडिट नीति दिशानिर्देश, 2025 जारी किए हैं।[31] सीईआरटी-इन की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट, 2000 के तहत की गई है। इस एक्ट के तहत, सीईआरटी-इन को साइबर सुरक्षा और साइबर सुरक्षा मामलों से संबंधित जानकारी एकत्र करने, आपातकालीन उपाय करने और दिशानिर्देश एवं सलाह जारी करने का अधिकार दिया गया है। साइबर सुरक्षा ऑडिट दिशानिर्देशों का उद्देश्य साइबर सुरक्षा ऑडिट प्रक्रियाओं का मानकीकरण करना और ऑडिट में शामिल संगठनों की जिम्मेदारियों को निर्दिष्ट करना है। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ऑडिट का दायरा: ऑडिट किए जाने वाले संगठनों से अपेक्षा की जाती है कि वे वर्ष में कम से कम एक बार अपनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्रणालियों से संबंधित साइबर सुरक्षा ऑडिट सुनिश्चित करें। इस ऑडिट में अनुपालन ऑडिट, जोखिम मूल्यांकन, अतिसंवेदनशीलता मूल्यांकन, क्लाउड सिक्योरिटी और एआई प्रणालियों का मूल्यांकन, और डिजिटल फोरेंसिक रेडिनेस मूल्यांकन शामिल होंगे। दिशानिर्देश केवल उपकरण-आधारित ऑडिट के उपयोग को हतोत्साहित करते हैं। ये निर्दिष्ट करते हैं कि ऑडिट जोखिमों की पूर्वनिर्धारित सूची की जांच से आगे बढ़कर सभी ज्ञात कमजोरियों की पहचान करनी चाहिए। ये ऑडिट सीईआरटी-इन के साथ सूचीबद्ध एक ऑडिटिंग संगठन द्वारा किए जाने चाहिए। सभी ऑडिट की आवृत्ति और दायरे का खुलासा संगठन की वार्षिक रिपोर्ट में किया जाना चाहिए।

  • ऑडिटर्स के लिए आंतरिक जांच: ऑडिटिंग संगठनों को आंतरिक जांच करनी चाहिए, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑडिट टीम के काम की समीक्षा करने वाली एक अलग सत्यापन टीम, (ii) साइबर सुरक्षा ऑडिट करने के लिए फ्रीलांसरों, इंटर्न, फ्रेशर्स, मूनलाइटर्स, तीसरे पक्ष के सलाहकारों या नोटिस अवधि की सेवा करने वाले कर्मचारियों को तैनात करने पर प्रतिबंध, और (iii) परीक्षण और अनुमोदित ऑडिटिंग टूल्स का उपयोग।

 

परिवहन

संसद ने लदान हुंडी एक्ट, 1856 का स्थान लेने वाला एक बिल पारित किया

Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)

संसद ने लदान हुंडी बिल, 2024 पारित कर दिया है। यह बिल अगस्त 2024 में पेश किया गया था। यह भारतीय लदान हुंडी एक्ट, 1856 का स्थान लेता है। एक्ट लदान हुंडी जारी करने के लिए एक कानूनी संरचना का प्रावधान करता है। लदान हुंडी उस दस्तावेज को कहा जाता है, जो कोई मालवाहक (फ्रेट करियर) किसी माल भेजने वाले व्यक्ति या कंपनी (शिपर) को जारी करता है। इस दस्तावेज में वस्तुओं के प्रकार, मात्रा, स्थिति और गंतव्य का विवरण होता है। एक्ट के अनुसार, लदान हुंडी जहाज पर माल का अंतिम सबूत होता है। बिल में एक्ट के सभी प्रावधान बरकरार हैं। बिल में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए निर्देश जारी कर सकती है।

बिल के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।

मोटर वाहन एग्रीगेटर्स के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए गए

Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025 जारी किए हैं, जोकि 2020 में ऐसे ही दिशानिर्देशों का स्थान लेते हैं।[32],[33] ये दिशानिर्देश मोटर वाहन एग्रीगेटर्स के लिए एक लाइसेंसिंग प्रणाली प्रदान करते हैं और उनकी जिम्मेदारियों को निर्दिष्ट करते हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • एग्रीगेटर्स का लाइसेंस: संशोधित दिशानिर्देशों में एग्रीगेटर के लाइसेंस के निलंबन की अधिकतम अवधि छह महीने से घटाकर तीन महीने कर दी गई है। अगर एग्रीगेटर के लाइसेंस के निलंबन की स्थिति आती है, और उसने तीन वित्तीय वर्षों के भीतर कोई और उल्लंघन भी किया है, तो लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान है। पहले, एक वित्तीय वर्ष के भीतर तीन से ज्यादा निलंबन की स्थिति में लाइसेंस रद्द किया जा सकता था। राज्य सरकार यात्रियों की यात्रा के लिए गैर-परिवहन मोटरसाइकिलों के एग्रीगेशन की अनुमति दे सकती है।

  • एग्रीगेटर्स के दायित्व: एग्रीगेटर्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि ड्राइवरों को ऑन-बोर्डिंग से पहले मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और मेडिकल परीक्षण से गुजरना होगा। उन्हें ड्राइवरों को कम से कम 40 घंटे का इंडक्शन प्रशिक्षण, साथ ही जेंडर और विकलांग व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना होगा। ड्राइवरों के लिए स्वास्थ्य और टर्म इंश्योरेंस में हर साल केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। पहले यह 5% निर्धारित था। एग्रीगेटर्स यात्रियों के लिए न्यूनतम पांच लाख रुपए का बीमा कवर भी सुनिश्चित करेंगे।

  • किराये का रेगुलेशन: राज्य सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणी के वाहनों के लिए अधिसूचित दरें एग्रीगेटर्स के लिए बेस किराया मानी जाएंगी। एग्रीगेटर्स बेस किराए का न्यूनतम 50% शुल्क ले सकते हैं। अधिकतम मांग के समय, नियम डायनामिक प्राइजिंग की अनुमति देते हैं। पहले, डायनामिक प्राइजिंग की सीमा बेस किराए के 1.5 गुना तक सीमित थी। संशोधित दिशानिर्देशों में इस सीमा को बढ़ाकर बेस किराए का दोगुना कर दिया गया है।

  • फ्लीट मैनेजमेंट: नए दिशानिर्देशों के तहत, एग्रीगेटर आठ वर्ष से ज्यादा पुराने वाहनों को अपने फ्लीट में शामिल नहीं कर सकते। राज्य सरकार एग्रीगेटर्स को यह भी निर्देश दे सकती है कि: (i) अपने फ्लीट में इलेक्ट्रिक, वैकल्पिक ईंधन या शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों की हिस्सेदारी सालाना आधार पर बढ़ाएं, और (ii) विकलांग लोगों के अनुकूल वाहनों का एक निश्चित अनुपात शामिल करें।

पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत ट्रकों पर दिशानिर्देश अधिसूचित

Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)

भारी उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के तहत ई-ट्रक खंड के लिए मांग प्रोत्साहनों का विवरण अधिसूचित किया है।[34] इस योजना के तहत, मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) और ग्राहकों को ई-ट्रकों की बिक्री और खरीद पर प्रोत्साहन मिलेगा।

मांग प्रोत्साहन खरीदारों को खरीद मूल्य में अग्रिम कटौती के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा। बिक्री मूल्य में यह अंतर मंत्रालय द्वारा बिक्री के बाद ओईएम को वापस कर दिया जाएगा। अधिकतम प्रोत्साहन 9.6 लाख रुपए प्रति वाहन निर्धारित किया गया है, जो ट्रक श्रेणी के आधार पर अलग-अलग होगा। प्रोत्साहन ई-ट्रकों की निम्नलिखित श्रेणियों पर लागू होंगे: (i) 3.5 से 12 टन के बीच सकल वाहन भार वाले ट्रक और (ii) 12 से 55 टन के बीच सकल वाहन भार वाले ट्रक।

इस योजना का उद्देश्य लगभग 5,600 ई-ट्रकों की तैनाती को बढ़ावा देना है। इनमें से लगभग 1,100 ई-ट्रकों के लिए प्रोत्साहन राशि दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए आरक्षित रखी जाएगी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए, खरीदार को आईसी इंजन ट्रक के स्क्रैपिंग का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा। अगर खरीदार के पास पुराना आईसी इंजन ट्रक नहीं है, तो वे इस उद्देश्य के लिए बाज़ार तंत्र के माध्यम से स्क्रैपिंग प्रमाणपत्र खरीद सकते हैं।

शहरी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी ने आरआरटीएस पर रिपोर्ट प्रस्तुत की

Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)

आवास और शहरी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी) ने 'क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और एनसीआरटीसी की भूमिका' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में संचालित एक उच्च गति रेल-आधारित कम्यूटर नेटवर्क है। अप्रैल 2025 तक प्रस्तावित आठ आरआरटीएस में से एक को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) की स्थापना केंद्र और चार राज्य सरकारों के बीच आरआरटीएस नेटवर्क के कार्यान्वयन हेतु एक संयुक्त उद्यम के रूप में की गई थी। इसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली राज्य शामिल हैं। कमिटी की प्रमुख टिप्पणियां और सुझाव इस प्रकार हैं:

  • मेट्रो शहरों में क्षेत्रीय योजना की जरूरत: कमिटी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में तेजी से शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि, आवास, परिवहन और प्रदूषण से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। मुख्य शहरों के आसपास के परिधीय क्षेत्र भी तेजी से विकसित हो रहे हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्य सरकारें बड़े महानगरों के विकास के लिए परिवहन योजना सहित विस्तृत क्षेत्रीय और कार्यात्मक योजनाएं तैयार करें।

  • एनसीआरटीसी के कार्यक्षेत्र का विस्तार: वर्तमान में एनसीआरटीसी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में समग्र परिवहन विकास का कार्य करता है, जिसमें कम्यूटर रेल, सड़क और बस सेवाओं का विकास शामिल है। कमिटी ने एनसीआरटीसी के कार्यक्षेत्र का विस्तार अन्य क्षेत्रों में करने का सुझाव दिया।

  • आरआरटीएस परियोजनाओं के लिए पीपीपी मॉडल: कमिटी ने सुझाव दिया कि एनसीआरटीसी आरआरटीएस परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी और वित्तपोषण के संभावित अवसरों का पता लगाए। कमिटी ने कहा कि वर्तमान में आरआरटीएस उप-प्रणालियों के संचालन और रखरखाव में निजी क्षेत्र की भागीदारी अधिक है।

  • अंतिम मील और मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी: कमिटी ने आरआरटीएस को परिवहन के अन्य साधनों के साथ एकीकृत करने का भी सुझाव दिया। कमिटी ने सुझाव दिया कि एनसीआरटीसी अंतिम मील कनेक्टिविटी विकसित करने के लिए शटल बसें उपलब्ध कराए।

रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।

 

ऊर्जा

Ayush Stephen Toppo (ayush@prsindia.org)

ऊर्जा-दक्ष प्रौद्योगिकियों को अपनाने में एमएसएमई को सहायता देने के लिए योजना शुरू की गई

विद्युत मंत्रालय ने उद्योगों एवं प्रतिष्ठानों में ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों के प्रयोग में सहायता (एडीईटीआईई) योजना शुरू की है।[35] इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करके ऊर्जा-दक्ष एवं स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने में सहायता प्रदान करना है। इस योजना का क्रियान्वयन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा 2027-28 तक तीन वर्षों में किया जाएगा। इस योजना के तहत कुल अनुमानित व्यय 1,000 करोड़ रुपए है। यह योजना वस्त्र, ईंट निर्माण, रसायन, कांच, औषधि और खाद्य प्रसंस्करण सहित 14 ऊर्जा-गहन क्षेत्रों को लक्षित करती है। इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • ब्याज सबसिडी: इस योजना के तहत ऊर्जा-दक्ष प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए एमएसएमई को रियायती दरों पर ऋण दिया जाएगा, जिसका कुछ हिस्सा सरकार वहन करेगी। सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ब्याज सबसिडी 5% और मध्यम उद्यमों के लिए 3% निर्धारित की गई है।

  • परियोजना नियोजन में सहायता: यह योजना एमएसएमई को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और निवेश-स्तरीय ऊर्जा ऑडिट करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगी। इससे उनकी ऊर्जा आवश्यकताओं का आकलन करने, उपयुक्त तकनीक की पहचान करने और लागत का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। इस योजना में कार्यान्वयन के बाद नई तकनीक की निगरानी और सत्यापन के लिए सहायता भी शामिल है।

  • चरणबद्ध कार्यान्वयन: यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। पहले चरण में, यह योजना 60 चिन्हित औद्योगिक क्लस्टरों में लागू की जाएगी। दूसरे चरण में 100 क्लस्टर शामिल होंगे।

 

पर्यावरण

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

पर्यावरण मंत्रालय ने थर्मल पावर प्लांट्स के लिए सल्फर डाइऑक्साइड मानकों में संशोधन किया

पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) चतुर्थ संशोधन नियम, 2025 को अधिसूचित किया है।[36], [37],[38] ये नियम कोयला और लिग्नाइट आधारित थर्मल पावर प्लांट्स के लिए सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) उत्सर्जन मानकों के अनुपालन हेतु समय-सीमा और आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करते हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • विभिन्न पावर प्लांट्स के लिए अनुपालन: इससे पहले वायु गुणवत्ता मानकों के अंतर्गत गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों या नॉन-अटेनमेंट शहरों के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित मौजूदा और प्रस्तावित बिजली संयंत्रों को 31 दिसंबर, 2028 तक SO2 मानकों का अनुपालन करना आवश्यक था।[39] 2025 के नियमों के तहत, यह मामला-दर-मामला आधार पर तय किया जाएगा।

  • इससे पहले, गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, नॉन-अटेनमेंट शहरों या 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के 10 किलोमीटर के दायरे से बाहर स्थित बिजली संयंत्रों को 31 दिसंबर, 2029 तक उत्सर्जन मानकों का पालन करना होता था। 2025 के नियमों के तहत, अब उन्हें इन मानकों का पालन करने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्हें 31 दिसंबर, 2029 तक SO2 उत्सर्जन को फैलाने के लिए चिमनी की न्यूनतम ऊंचाई की शर्त सुनिश्चित करनी होगी।

नॉन-फेरेस मेटल स्क्रैप की रीसाइकलिंग के लिए नियम अधिसूचित

पर्यावरण मंत्रालय ने खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और ट्रांसबाउंड्री मूवमेंट) संशोधन नियम, 2025 अधिसूचित किए हैं।[40] ये नियम पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के अंतर्गत जारी किए गए हैं।[41] नियम नॉन-फेरेस मेटल स्क्रैप की रीसाइकलिंग को रेगुलेट करते हैं। नॉन-फेरेस मेटल्स में एल्युमीनियम, तांबा, जस्ता और उनके मिश्र धातु शामिल हैं। प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व: नॉन-फेरेस मेटल से बने उत्पादों के उत्पादक इन धातुओं के स्क्रैप की रीसाइकलिंग करेंगे। उन्हें वजन के आधार पर रीसाइकलिंग के निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करना होगा। लक्ष्य में उत्पादित नॉन-फेरेस मेटल्स की मात्रा और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा निर्दिष्ट उत्पादों के औसत जीवनकाल को ध्यान में रखा जाएगा। उत्पादक पंजीकृत रीसाइकिलर्स से विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) प्रमाणपत्र खरीदेगा। सीपीसीबी रीसाइकिल्ड धातु की मात्रा को ध्यान में रखते हुए रीसाइकिलर को प्रमाणपत्र जारी करेगा। केंद्र सरकार सीपीसीबी द्वारा निर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार इन प्रमाणपत्रों के आदान-प्रदान या हस्तांतरण के लिए प्लेटफॉर्म बना सकती है। उत्पादक नॉन-फेरेस धातुओं से बने उत्पादों को रीफर्बिश भी कर सकते हैं। रीफर्बिशिंग से रीसाइकलिंग पर लगने वाला 75% ईपीआर कम हो सकता है।

  • हितधारकों के दायित्व: नॉन-फेरेस मेटल से बने उत्पादों के थोक उपभोक्ता कलेक्शन सेंटर्स बनाएंगे जहां से एजेंट स्क्रैप जमा करेंगे। कलेक्शन एजेंट्स निर्माताओं, उत्पादकों और थोक उपभोक्ताओं से स्क्रैप जमा करेंगे और पंजीकृत रीसाइकलिर्स को आपूर्ति करेंगे। इन सभी हितधारकों को तिमाही और वार्षिक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। रीसाइकलिंग के अलावा मैन्यूफैक्चरर्स को नए उत्पादों में घरेलू रूप से रीसाइकिल्ड मैटीरियल का न्यूनतम उपयोग करना होगा।

दूषित स्थलों के प्रबंधन के लिए नियम अधिसूचित

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के तहत दूषित स्थान के उपचार नियम, 2025 को अधिसूचित किया है।[42],41  ये नियम विषाक्त और खतरनाक पदार्थों द्वारा दूषित क्षेत्रों के उपचार से संबंधित हैं। नियमों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • केंद्रीय उपचार समिति: केंद्र सरकार केंद्रीय उपचार समिति का गठन करेगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अध्यक्ष इस समिति की अध्यक्षता करेंगे। यह समिति (i) नियमों के कार्यान्वयन की समीक्षा और निगरानी, और (ii) दूषित स्थलों की सूची की समीक्षा के लिए जिम्मेदार होगी। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने-अपने पर्यावरण विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों या प्रमुख सचिवों की अध्यक्षता में समितियों का गठन करेंगे।

  • स्थानीय निकायों की जिम्मेदारियां: शहरी स्थानीय निकाय या जिला-स्तरीय पंचायती राज संस्थाएं अपने-अपने क्षेत्रों में संदिग्ध दूषित स्थलों की सूची तैयार करेंगी। वे यह सूची राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को सौंपेंगी। स्थानीय निकाय संदिग्ध स्थलों का प्रारंभिक मूल्यांकन करेंगे। अगर संदूषण का स्तर जांच स्तर से अधिक पाया जाता है, तो उस स्थल को संभावित संदूषण स्थल के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। ऐसे स्थलों पर विस्तृत जांच की जाएगी।

  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स की भूमिका: राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निम्नलिखित के लिए जिम्मेदार होगा: (i) राज्य में दूषित स्थलों को उपचार हेतु प्राथमिकता देना, (ii) प्रदूषण के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को उपचार संबंधी डिज़ाइन तैयार करने का आदेश देना, और (iii) उपचार के बाद निगरानी योजना विकसित करना। सीपीसीबी उपचार के पूरा होने की पुष्टि के लिए जिम्मेदार होगा। जिम्मेदार व्यक्ति या कंपनी उपचार प्रक्रिया की पूरी लागत का भुगतान करेगी।

 

खनन

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

अपतटीय क्षेत्रों में परमाणु खनिजों पर ऑपरेशनल अधिकारों के लिए नियम अधिसूचित

खान मंत्रालय ने अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 2002 के तहत अपतटीय क्षेत्र परमाणु खनिज ऑपरेटिंग अधिकार नियम, 2025 को अधिसूचित किया।[43],[44] ये नियम अपतटीय क्षेत्रों में परमाणु खनिजों (या तो स्वतंत्र या अन्य खनिजों से संबद्ध) पर लागू होंगे जो परमाणु खनिज कन्सेशन नियम, 2016 के तहत निर्दिष्ट थ्रेशहोल्ड वैल्यू के बराबर या उससे ऊपर के ग्रेड में मौजूद हैं।[45] प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • अन्वेषण और उत्पादन के अधिकार: अधिसूचित सरकारी एजेंसियों को बिना लाइसेंस के परमाणु खनिजों का प्रारंभिक अन्वेषण करने की अनुमति होगी। अगर भूवैज्ञानिक रिपोर्ट में निर्दिष्ट सीमा से ऊपर के खनिज ग्रेड की मौजूदगी की पुष्टि होती है, तो मंत्रालय किसी निर्दिष्ट प्राधिकरण को उत्पादन या समग्र लाइसेंस (जो उन्नत अन्वेषण और उत्पादन, दोनों की मंजूरी देता है) प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे सकता है।

  • संयुक्त लाइसेंस और उत्पादन पट्टा जारी करना: केंद्र सरकार, निर्दिष्ट मंत्रालयों के परामर्श से, संयुक्त और उत्पादन लाइसेंस की नीलामी के लिए अपतटीय क्षेत्रों को अधिसूचित करेगी। अगर सामान्य अन्वेषण पूरा हो गया है और खनिज भंडार की मात्रा और ग्रेड का विश्वसनीय अनुमान लगाया जा सकता है, तो उत्पादन पट्टा प्रदान किया जाएगा। अगर थ्रेशहोल्ड वैल्यू के बराबर या उससे अधिक ग्रेड के परमाणु खनिज अन्य खनिजों के साथ मौजूद हैं, तो सभी खनिजों के लिए संयुक्त लाइसेंस और उत्पादन पट्टा प्रदान किया जाएगा। अगर उत्पादन पट्टा प्रदान किए जाने के दो वर्षों के भीतर शुरू नहीं होता है, तो उत्पादन पट्टा समाप्त हो जाएगा।

  • संचालन के दौरान परमाणु खनिजों की खोज: अगर किसी ऑपरेटिंग अधिकार के धारक को परमाणु खनिज मिलते हैं, तो उसे संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना देनी होगी। अगर ग्रेड एक निर्दिष्ट सीमा से नीचे हैं, तो मौजूदा अधिकारों के तहत संचालन जारी रह सकता है। अगर ग्रेड सीमा से अधिक हैं, तो केवल सरकारी संस्था ही समग्र लाइसेंस के लिए पात्र होगी। उत्पादन पट्टों के मामले में, ऑपरेशंस केवल मूल रूप से स्वीकृत खनिज के लिए ही जारी रह सकते हैं।

 

अल्पसंख्यक मामले

Jahanvi Choudhary (jahanvi@prsindia.org)

वक्फ (संशोधन) एक्ट, 2025 के तहत नियम अधिसूचित

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास (उम्मीद) नियम, 2025 को अधिसूचित किया है।[46] इन नियमों में एक पोर्टल और डेटाबेस बनाने और उनके रखरखाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। यह पोर्टल और डेटाबेस वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, खातों के रखरखाव, ऑडिट रिपोर्ट के प्रकाशन और बोर्ड की कार्यवाहियों के प्रकाशन का प्रबंधन करेगा।

मौजूदा वक्फ संपत्तियों का विवरण एक्ट के लागू होने के छह महीने के भीतर इस सिस्टम पर दर्ज किया जाना चाहिए। एक्ट के लागू होने के बाद निर्मित वक्फ संपत्तियों को उनके निर्माण के तीन महीने के भीतर इस पोर्टल के माध्यम से वक्फ बोर्ड में पंजीकृत कराना होगा।

पोर्टल पर अपलोड की गई जानकारी तक केंद्रीय वक्फ परिषद का एक्सेस होगा। वक्फ बोर्ड, कलेक्टर और केंद्र व राज्य सरकार के अन्य अधिकारी भी इस सिस्टम को एक्सेस कर सकेंगे।

 

ग्रामीण विकास

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

स्टैंडिंग कमिटी ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को धनराशि हस्तांतरण पर रिपोर्ट पेश की

ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री सप्तगिरि शंकर उलाका) ने ‘पंचायती राज प्रणाली के तहत धनराशि हस्तांतरण’ पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[47] कमिटी की प्रमुख टिप्पणियों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • वित्त आयोग अनुदानों का पुनर्गठन: 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को दिए जाने वाले अनुदान, टाइड (60%) और अनटाइड (40%) अनुदानों के रूप में होते हैं। टाइड अनुदानों का उपयोग केवल स्वच्छता और पेयजल आपूर्ति के लिए किया जा सकता है। कमिटी ने कहा कि अगर अन्य योजनाओं के माध्यम से इन श्रेणियों में लक्ष्य हासिल किए जा चुके हों तो पंचायतों को धनराशि जारी नहीं की जाती है, क्योंकि टाइड अनुदानों का पुनर्आवंटन नहीं किया जा सकता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि धनराशि के अधिक से अधिक उपयोग के लिए टाइड अनुदानों को अनटाइड अनुदानों के तौर पर फिर से आवंटित करने वाला एक तंत्र स्थापित किए जाए।

  • शक्तियों का हस्तांतरण: कमिटी ने कहा कि संवैधानिक आदेश के बावजूद, पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को कार्यों, धनराशि और पदाधिकारियों का हस्तांतरण अभी भी अधूरा है। कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्य शक्तियों के हस्तांतरण के लिए एक समयबद्ध रोडमैप तैयार करें। पंचायती राज मंत्रालय को यह सुझाव दिया गया है कि वह हर वर्ष ‘हस्तांतरण की स्थिति’ पर रिपोर्ट प्रकाशित करे। कमिटी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को अनुदानों के तहत वित्तीय प्रोत्साहनों और योजनाओं को वास्तविक प्रगति से जोड़ना चाहिए।

  • नियमित पंचायत चुनाव: कमिटी ने कहा कि पंचायत चुनावों में देरी या व्यवधान से धन के प्रभावी उपयोग और विकास कार्यों की निरंतरता में बड़ी रुकावट आती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि चुनाव समय पर और नियमित होने चाहिए। उसने यह भी सुझाव दिया कि अंतरिम अवधि में, राज्य सीमित कार्यकाल और जिम्मेदारियों वाले नामित प्रतिनिधियों या प्रशासकों की नियुक्ति पर विचार कर सकते हैं।

  • व्यय संबंधी स्वायत्तता: कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्य पंचायतों को अनटाइड फंड्स का नियमित, पर्याप्त और पारदर्शी हस्तांतरण सुनिश्चित करें। उसने सलाह दी कि पंचायतों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार इन फंड्स के उपयोग में स्वायत्तता दी जानी चाहिए, जिसमें उच्च प्रशासन का हस्तक्षेप न हो।

रिपोर्ट के पीआरएस सारांश के लिए यहां देखें।


[1] Consumer Price Index Numbers on Base 2012=100 for Rural, Urban and Combined for the Month of June, 2025, Ministry of Statistics and Programme Implementation, July 14, 2025, https://mospi.gov.in/sites/default/files/press_release/CPI_PR_14Jun25.pdf.

[2] Index Numbers of Wholesale Price in India for the Month of June, 2025 (Base Year: 2011-12), Ministry of Commerce and Industry, July 14, 2025, https://eaindustry.nic.in/pdf_files/cmonthly.pdf.

[3] The Report of the Select Committee of Lok Sabha on the Income-Tax Bill, 2025, July 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/Select_Committee_Report_the_Income-Tax_Bill,2025.pdf.

[4]Reserve Bank of Indian (Pre-payment charges on loans) Directions, 2025, Reserve Bank of India, July 2, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/NT642A32A71F06D649B78A9622FB82B8C438.PDF.

[5]Draft Digital Banking Channels Authorisation Directions, 2025, Reserve Bank of India, July 21, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/Content/PDFs/DIGITAL21072025BE460CBE0DDE40EFAE60 C2D9CF666915.PDF.

[6] Draft Circular for Public Comments, Categorisation and Rationalisation of Mutual Fund Schemes, Securities and Exchange Board of India, July 18, 2025, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/jul-2025/consultation-paper-on-categorization-and-rationalization-of-mutual-fund-schemes_95419.html.

[7]Categorisation and Rationalisation of Mutual Fund Schemes, Securities and Exchange Board of India, October 6, 2017, https://www.sebi.gov.in/legal/circulars/oct-2017/categorization-and-rationalization-of-mutual-fund-schemes_36199.html.

[8]Report No. 3 of  2025, Compliance of the Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003 for the year 2022-23, Comptroller and Auditor General of India, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2025/Report-No.-3-of-2025_FRBM-2022-23_English---Signed-0688091d19cf3d2.55109250.pdf.

[9]“India and UK sign Comprehensive Economic and Trade Agreement”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, July 24, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2147805.

[10]“Prime Minister meets the President of Maldives” Press Release, Ministry of External Affairs, July 25, 2025, https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/39874/Prime_Minister_meets_the_President_of_Maldives_July_25_2025.

[11] “Cabinet approves Employment Linked Incentive (ELI) Scheme”, Press Information Bureau, Ministry of Labour and Employment, July 1, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2141129.

[12]Draft of National Policy for Skill Development and Entrepreneurship, Ministry of Skill Development and Entrepreneurship, 2025, https://static.mygov.in/static/s3fs-public/mygov_1750163047154086855.pdf.

[13] Draft Telecom Policy 2025, Ministry of Communications, July 24, 2025, https://dot.gov.in/sites/default/files/NTP_2025.pdf.

[14] “Entry barriers removed to allow multiple agencies in television ratings measurement, to foster healthy competition, bring in new technologies and align with modern TV viewing habits”, Press Information Bureau, Ministry of Information and Broadcasting, July 3, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2141914.

[15] Policy guidelines for television rating agencies in India, Ministry of Information and Broadcasting, January 16, 2014, https://mib.gov.in/sites/default/files/2025-07/policy-guidelines-for-television-rating-agencies-in-india-dt-16.01.2014-1.pdf.

[16]National Cooperative Policy, 2025, Ministry of Cooperation, https://www.cooperation.gov.in/sites/default/files/2025-07/NCP%28Eng%29_24Jul2025_Final.pdf.

[17] National Cooperative Policy, 2002, Ministry of Cooperation, https://www.cooperation.gov.in/sites/default/files/inline-files/National-Cooperation-Policy-2002.pdf.

[18] “Cabinet approves Central Sector Scheme “Grant in aid to National Cooperative Development Corporation (NCDC)” with an outlay of Rs 2,000 crore”, Press Information Bureau, July 31, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2150641.

[19] The National Cooperative Development Corporation Act, 1962.

[20] “Cabinet approves the Prime Minister Dhan Dhaanya Krishi Yojana”, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, July 16, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2145147.

[21] "PM Dhan-Dhaanya Krishi Yojana", Press Information Bureau, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, July 19, 2025,  https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?id=154909&NoteId=154909&ModuleId=3.

[22] Budget Speech, Union Budget of India, 2025-26, https://www.indiabudget.gov.in/doc/Budget_Speech.pdf.

[23]“Cabinet approves total outlay of Rs.6520 crore including additional outlay of Rs.1920 crore for ongoing Central Sector Scheme “Pradhan Mantri Kisan Sampada Yojana” (PMKSY) during 15th Finance Commission Cycle (2021-22 to 2025-26)”, Press Information Bureau, Cabinet, July 31, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2150644.

[24] About Us – Pradhan Mantri Kisan Sampada Yojana, as accessed on July 31, 2025,  https://www.mofpi.gov.in//Schemes/pradhan-mantri-kisan-sampada-yojana.

[25]The National Sports Governance Bill, 2025, Ministry of Youth and Sports Affairs, July 23, 2025, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/Asintroduced/sports7232025123349PM.pdf?source=legislation.

[26] The National Anti-Doping (Amendment) Bill, 2025, Ministry of Youth Affairs and Sports, July 23, 2025, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2025/National_Anti-Doping(A)_Bill_2025.pdf.

[27] The National Anti-Doping Act, 2022, Ministry of Law and Justice, August 12, 2022, https://prsindia.org/files/bills_acts/acts_parliament/2022/The%20National%20Anti%20Doping%20Act%202022.pdf.

[28]“Cabinet approves National Sports Policy 2025”, Press Information Bureau, Cabinet, July 1, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2141138.

[29]Khelo Bharat Niti 2025, Ministry of Youth and Sports Affairs, July 2025, https://yas.gov.in/sites/default/files/Khelo-Bharat-Niti-2025_0.pdf.

[30] “Cabinet Approves Research Development and Innovation (RDI) Scheme to scale up Research, Development and Innovation in Strategic and Sunrise Domains”, Press Information Bureau, Cabinet, July 1, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2141130.

[31]Comprehensive Cyber Security Audit Policy Guidelines, the Indian Computer Emergency Response Team, Ministry of Electronics and Information Technology, July 25, 2025,

https://www.cert-in.org.in/PDF/Comprehensive_Cyber_Security_Audit_Policy_Guidelines.pdf.

[32] Motor Vehicle Aggregators Guidelines 2020, Ministry of Road Transport and Highways, November 27, 2020, https://morth.nic.in/sites/default/files/notifications_document/Motor%20Vehicle%20Aggregators27112020150046.pdf.

[33] Motor Vehicles Aggregators Guidelines 2025, Ministry of Road Transport and Highways, July 1, 2025, https://morth.nic.in/sites/default/files/circulars_document/MV-Aggregators-Guidelines-2025%20-%20English%20and%20Hindi.pdf.

[34]PM E-DRIVE Operational Guidelines (e-Truck), Ministry of Heavy Industries, July 10, 2025,  https://pmedrive.heavyindustries.gov.in/docs/policy_document/Operational%20guidelines_E-trucks.pdf.

[35] “Union Minister for Power and Housing & Urban Affairs, Shri Manohar Lal launches ADEETIE Scheme to Accelerate Industrial Energy Efficiency in India”, Press Information Bureau, Ministry of Power, July 15, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2144822.

[36]The Environment (Protection) Fourth Amendment Rules, 2025, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, July 11, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/264545.pdf.

[37]Environment (Protection) Act, 1986, https://cpcb.nic.in/env-protection-act/.

[38]The Environment (Protection) Amendment Rules, 2015, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2015/167141.pdf .

[39]The Environment (Protection) Third Amendment Rules, 2024, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, December 30, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/259752.pdf.

[40]Hazardous and Other Wastes (Management and Transboundary Movement) Amendment Rules, 2025, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, July 1, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/264308.pdf.

[41] Environment (Protection) Act, 1986, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, May 23, 1986, https://cpcb.nic.in/env-protection-act/.

[42] The Remediation of Contaminated Sites Rules, 2025, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, July 24, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/264959.pdf.

[43]Offshore Areas Atomic Minerals Operating Right Rules, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/264709.pdf.

[44]Offshore Areas Mineral (Development and Regulation) Act, 2002, https://mines.gov.in/admin/download/642d05c52d8361680672197.pdf.

[45]The Atomic Minerals Concession Rules, 2016, https://www.indiacode.nic.in/handle/123456789/1362/simple-search?query=The%20Atomic%20Minerals%20Concession%20Rules,%202016&searchradio=rules.

[46]Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Rules, 2025, Ministry of Minority Affairs, July 03, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/264358.pdf.

[47]Report No. 15: Devolution of funds under Panchayati Raj System, Standing Committee on Rural Development and Panchayati Raj, July 29, 2025, https://sansad.in/getFile/lsscommittee/Rural%20Development%20and%20Panchayati%20Raj/18_Rural_Development_and_Panchayati_Raj_15.pdf?source=loksabhadocs.

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