इस अंक की झलकियां
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक संचालित किया गया
सत्र के दौरान चार बिल पेश किए गए जिनमें से एक साथ चुनाव कराने से संबंधित दो बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेज दिया गया।
एक साथ चुनाव कराने से संबंधित दो बिल लोकसभा में पेश
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने से संबंधित संविधान संशोधन बिल पेश किया गया। एक अन्य बिल में इन प्रावधानों को केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं पर लागू करने के लिए कुछ कानूनों में संशोधन का प्रावधान है।
संसद ने भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 को पारित किया
बिल विमान एक्ट, 1934 का स्थान लेता है। इसमें एक्ट के तहत रेगुलेटरी ढांचे को बरकरार रखा गया है। बिल के तहत प्रमुख बदलावों में विमान डिजाइन के रेगुलेशन और दंड के खिलाफ अपील के दूसरे स्तर के प्रावधान किए गए हैं।
2024-25 की दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.2%
2024-25 की दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा पिछले वर्ष की इसी तिमाही (सकल घरेलू उत्पाद का 1.3%) की तुलना में मामूली कम था।
मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 का स्थान लेने वाला बिल लोकसभा में पेश
बिल में भारतीय जलयानों के दायरे में आंशिक रूप से भारतीयों के स्वामित्व वाले जलयान भी आते हैं। जलयान की परिभाषा में मोबाइल ऑफशोर ड्रिलिंग यूनिट, सबमर्सिबल और नॉन-डिस्प्लेसमेंट क्राफ्ट को शामिल किया गया है।
तटीय जल में नौवहन को रेगुलेट करने वाला बिल लोकसभा में पेश
यह बिल तटीय जल में नौवहन से संबंधित मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 के प्रावधानों का स्थान लेता है। यह तटीय व्यापार में संलग्न होने वाले भारतीय जहाजों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता को समाप्त करता है।
2024-25 के लिए पहली अनुपूरक अनुदान मांग लोकसभा में मंजूर
इसमें 87,763 करोड़ रुपए के व्यय का प्रस्ताव है, जिसमें 44,143 करोड़ रुपए का अतिरिक्त नकद व्यय शामिल है। शेष राशि बचत से पूरी की जाएगी। उर्वरक सबसिडी और पीएम-किसान के लिए आवंटन बढ़ाया गया है।
एक्ट में कक्षा पांच और आठ में विद्यार्थियों को रोकने का प्रावधान है। केंद्र सरकार अपने नियंत्रण वाले स्कूलों के लिए यह निर्णय ले सकती है। संशोधन नियम केंद्रीय संचालित स्कूलों में विद्यार्थियों को रोकने की अनुमति देते हैं।
संशोधनों में बीमा कंपनियों की देयता बढ़ाई गई है। साथ ही दुर्घटना प्रभावित व्यक्तियों को दी जाने वाली राहत राशि भी निर्दिष्ट की गई है।
संसद
Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)
शीतकालीन सत्र संपन्न; चार बिल पेश और एक पारित किया गया
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर 2024 से 20 दिसंबर 2024 तक संचालित किया गया। राज्यसभा की बैठक 19 दिन और लोकसभा की बैठक 20 दिन चली। दोनों सदनों में संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर दो-दो दिन चर्चा हुई।
इस सत्र में चार बिल पेश किए गए। इनमें कोस्टल शिपिंग बिल, 2024 और मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024 शामिल हैं। इसके अलावा दो बिल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं एवं केंद्र शासित प्रदेशों में एक साथ चुनाव कराने से संबंधित हैं। एक साथ चुनाव कराने से संबंधित इन बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी को भेज दिया गया है।
एक बिल, भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया। पांच बिल एक सदन में पारित किए गए और दूसरे में लंबित हैं। इनमें बैंकिंग कानून (संशोधन) बिल, 2024, रेलवे (संशोधन) बिल, 2024, आपदा प्रबंधन (संशोधन) बिल, 2024, बॉयलर्स बिल, 2024 और तेल क्षेत्र (रेगुलेशन और विकास) संशोधन बिल, 2024 शामिल हैं। सत्र के दौरान संसद ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 44,143 करोड़ रुपए के अतिरिक्त व्यय को भी मंजूरी दी।
शीतकालीन सत्र के दौरान लेजिसलेटिव बिजनेस पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें। सत्र के दौरान संसद के कामकाज पर अधिक विवरण के लिए कृपया देखें।
कानून एवं न्याय
Anmol Kohli (anmol@prsindia.org)
एक साथ चुनाव कराने से संबंधित संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश
संविधान (एक सौ उन्तीसवां संशोधन) बिल, 2024 को 17 दिसंबर, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल चुनाव आयोग को एक ही समय में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए सशक्त बनाने का प्रयास करता है।
एक साथ चुनाव की शुरुआत: बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख पर एक अधिसूचना जारी कर सकते हैं। अधिसूचना की तारीख के बाद गठित सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति के साथ समाप्त हो जाएगा। इसलिए लोकसभा और उसके बाद सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।
लोकसभा या राज्य विधानसभाएं समय से पहले भंग: अगर लोकसभा या राज्य विधानसभा अपने पांच वर्ष के पूर्ण कार्यकाल से पहले भंग हो जाती है, तो शेष कार्यकाल के बराबर की अवधि के लिए नए चुनाव कराए जाएंगे। इससे हर पांच वर्ष में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे।
राज्य के चुनाव टालना: अगर चुनाव आयोग की राय है कि किसी विशेष राज्य विधानसभा के चुनाव, एक साथ चुनाव के अंग के तौर पर नहीं कराए जा सकते, तो वह इस संबंध में राष्ट्रपति को सिफारिश कर सकता है। सिफारिश के मद्देनजर राष्ट्रपति द्वारा उस राज्य विधानसभा के चुनाव बाद की किसी तारीख पर कराने का आदेश जारी किया जा सकता है। जहां किसी राज्य विधानसभा का चुनाव एक साथ चुनाव के बाद टाल दिया जाता है, तो वहां उस विधानसभा की पूर्ण अवधि उसी दिन समाप्त होगी, जिस दिन आम चुनाव में गठित लोकसभा की पूर्ण अवधि समाप्त होगी।
बिल को ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी (चेयरपर्सन: पी.पी. चौधरी) को भेजा गया है। इस कमिटी में 39 सांसद हैं।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने से संबंधित बिल पेश
केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) बिल, 2024 को 17 दिसंबर, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया। यह बिल निम्नलिखित एक्ट्स में संशोधन करता है: (i) केंद्र शासित प्रदेश सरकार एक्ट, 1963, (ii) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार दिल्ली एक्ट, 1991, और (iii) जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन एक्ट, 2019। ये कानून पुद्दूचेरी, दिल्ली और जम्मू एवं कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभाओं) की विधानसभाओं की संरचना और कामकाज का प्रावधान करते हैं। बिल संविधान (एक सौ उन्तीसवां संशोधन) बिल, 2024 के समान है।
बिल को संविधान (एक सौ उन्तीसवां संशोधन) बिल, 2024 के साथ जेपीसी को भेजा गया है।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
मतदान संबंधी दस्तावेजों तक सार्वजनिक पहुंच से संबंधित चुनाव नियमों में संशोधन किया गया
कानून एवं न्याय मंत्रालय ने चुनाव संचालन (दूसरा संशोधन) नियम, 2024 जारी किए हैं।[1] ये नियम जनप्रतिनिधित्व एक्ट, 1951 के तहत जारी चुनाव संचालन नियम, 1961 में संशोधन करते हैं।[2],[3] पिछले नियमों के तहत, कुछ प्रतिबंधित कागज़ातों के अलावा चुनाव से संबंधित कागज़ात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले थे। प्रतिबंधित कागज़ातों में निम्नलिखित पैकेट शामिल हैं: (i) अप्रयुक्त और उपयोग किए गए मतपत्र, (ii) मतदाता सूची की चिह्नित प्रति, और (iii) मतदाताओं द्वारा घोषणाएं और उनके हस्ताक्षरों का सत्यापन। इसके बजाय संशोधन में कहा गया है कि नियमों में निर्दिष्ट अन्य कागज़ात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2024-25 की दूसरी तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.2%
भारत ने 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2% (11.2 बिलियन USD) का चालू खाता घाटा दर्ज किया, जो पिछले साल की इसी तिमाही (जीडीपी का 1.3%) से थोड़ा कम है।[4] 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में चालू खाता घाटा जीडीपी का लगभग 1.1% था।[5]
व्यापारिक व्यापार घाटा 2023-24 की दूसरी तिमाही में 64.5 बिलियन USD से बढ़कर 2024-25 की दूसरी तिमाही में 75.3 बिलियन USD हो गया। पूंजी खाते में 2024-25 की दूसरी तिमाही में 30.5 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया, जो 2023-24 की दूसरी तिमाही में 12.8 बिलियन USD से अधिक है। 2024-25 की पहली तिमाही में पूंजी खाते में 14.7 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया था।
2024-25 की दूसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 18.6 बिलियन USD की वृद्धि हुई। यह 2023-24 की इसी तिमाही (2.5 बिलियन USD की वृद्धि) से अधिक था। 2024-25 की पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 5.2 बिलियन USD की वृद्धि हुई थी।
तालिका 1: भुगतान संतुलन, 2024-25 की दूसरी तिमाही (बिलियन USD)
ति 2 (2023-24) |
ति 1 (2024-25) |
ति 2 (2024-25) |
|
क. निर्यात |
172.8 |
176.3 |
179.3 |
ख. आयात |
108.3 |
111.2 |
104.0 |
ग. व्यापार संतुलन (क-ख) |
-64.5 |
-65.1 |
-75.3 |
घ. शुद्ध सेवाएं |
39.9 |
39.7 |
44.6 |
ङ. अन्य हस्तांतरण |
13.3 |
15.2 |
19.6 |
च. चालू खाता (ग+घ+ङ) |
-11.3 |
-10.2 |
-11.2 |
छ. पूंजीगत खाता |
12.8 |
14.7 |
30.5 |
ज. भूल-चूक लेनी-देनी |
1.0 |
0.8 |
-0.7 |
झ. मुद्रा भंडार में परिवर्तन (च+छ+ज) |
2.5 |
5.2 |
18.6 |
स्रोत: आरबीआई; पीआरएस।
रेपो रेट 6.5% पर अपरिवर्तित
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने पॉलिसी रेपो रेट (जिस दर पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है) को 6.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया है।[6] समिति के अन्य निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्टैंडिंग डिपॉजिट फेसिलिटी रेट (जिस दर पर आरबीआई कोलेट्रल दिए बिना बैंकों से उधार लेता है) को 6.25% पर बरकरार रखा गया है।
मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी रेट (जिस दर पर बैंक अतिरिक्त धन उधार ले सकते हैं) और बैंक रेट (जिस दर पर आरबीआई बिल्स ऑफ एक्सचेंज को खरीदता है) को 6.75% पर बरकरार रखा गया है।
एमपीसी ने तटस्थ रुख जारी रखने का फैसला किया। उसने विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य के भीतर बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित रखने का फैसला किया है।
नागरिक उड्डयन
Anirudh TR (anirudh@prsindia.org)
भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 संसद में पारित
भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 को संसद ने पारित कर दिया है।[7] यह बिल विमान एक्ट, 1934 का स्थान लेने का प्रयास करता है।[8] यह एक्ट नागरिक उड्डयन क्षेत्र को रेगुलेट करता है। बिल में 1934 के एक्ट के तहत रेगुलेटरी संरचना और अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखा गया है। प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
अथॉरिटीज़: यह तीन प्राधिकरणों की स्थापना करता है, जो इस प्रकार हैं: (i) रेगुलेटरी काम करने और सुरक्षा की निगरानी करने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए), (ii) सुरक्षा की देखरेख करने के लिए नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस), और (iii) विमान दुर्घटनाओं की जांच के लिए विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो। केंद्र सरकार इन प्राधिकरणों को निर्देश जारी कर सकती है और अगर आवश्यक हो तो जनहित में उनके आदेशों की समीक्षा भी कर सकती है।
विमान के डिजाइन का रेगुलेशन: एक्ट विमानों से संबंधित कई गतिविधियों को रेगुलेट करता है जैसे मैन्यूफैक्चरिंग, स्वामित्व, उपयोग, संचालन और व्यापार। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है और विमानों के डिजाइन को भी रेगुलेट करने का प्रयास करता है।
नियम बनाने की शक्तियां: यह एक्ट केंद्र सरकार को कई मामलों पर नियम बनाने का अधिकार देता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विमानों से संबंधित विशिष्ट गतिविधियों का रेगुलेशन और लाइसेंसिंग, प्रमाणन और निरीक्षण से संबंधित मामले, (ii) हवाई परिवहन सेवाओं का रेगुलेशन, और (iii) 1944 के अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संबंधी कन्वेंशन का कार्यान्वयन। बिल इन प्रावधानों को बरकरार रखता है और इसमें यह जोड़ता है कि केंद्र सरकार अंतर्राष्ट्रीय टेलीकम्यूनिकेशन कन्वेंशन के तहत रेडियो टेलीफोन ऑपरेटर सर्टिफिकेट और लाइसेंस पर नियम बना सकती है।
अपीलीय व्यवस्था: एक्ट केंद्र सरकार दंड के निर्णय के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार देता है। अधिनिर्णय (एडजुडिकेटिंग) अधिकारी के फैसलों की अपील अपीलीय अधिकारी के समक्ष की जा सकती है। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है और इसमें अपील का एक अतिरिक्त स्तर जोड़ता है। प्रथम अपीलीय अधिकारी के फैसलों के खिलाफ द्वितीय अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील की जाएगी। डीजीसीए या बीसीएएस के आदेश के विरुद्ध केंद्र सरकार के समक्ष अपील की जा सकती है।
अपराध और दंड: बिल कई अपराधों और दंड को निर्दिष्ट करता है। निम्नलिखित अपराधों पर दो वर्ष तक की कैद, एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा भुगतनी पड़ सकती हैं: (i) विमान में कुछ प्रतिबंधित वस्तुओं, जैसे हथियार और विस्फोटक, को ले जाभुगतने पड़ सकते हैं कर दिया गया। यह बिल 1934 के एक्ट का स्थान लेता हैष इसमें एक्ट के त्ने से संबंधित नियमों का उल्लंघन, (ii) विमान को ऐसे उड़ाना, जिससे किसी व्यक्ति या संपत्ति को खतरा पैदा हो, और (iii) डीजीसीए और बीसीएएस के निर्देशों का अनुपालन न करना। हवाई अड्डों के पास जानवरों का वध और कचरा फेंकने को प्रतिबंधित करने वाले नियमों के उल्लंघन पर तीन वर्ष तक की कैद, एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना या दोनों भुगतने पड़ेंगे।
बिल पर पीआरएस के विश्लेषण के लिए कृपया देखें।
विमान सुरक्षा नियमों में संशोधन अधिसूचित
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान (सुरक्षा) नियम, 2023 में संशोधनों को अधिसूचित किया है।[9],[10] 2023 के नियम हवाई अड्डों और विमानों की सुरक्षा के लिए रूपरेखा निर्दिष्ट करते हैं। प्रमुख संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
विमानों में प्रवेश का संरक्षित अधिकार: एक्ट सुरक्षा को रेगुलेट करने के लिए नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) की स्थापना करता है। 2023 के नियम बीसीएएस के महानिदेशक और एयरपोर्ट ऑपरेटर को यह अधिकार देते हैं कि वे: (i) किसी भी व्यक्ति को हवाई अड्डे में प्रवेश से मना करें, और (ii) किसी भी व्यक्ति को हवाई अड्डा छोड़ने के लिए बाध्य करें। वे हवाई अड्डे के प्रभारी मुख्य सुरक्षा अधिकारी को भी अधिकार देते हैं कि वे यात्रियों और चालक दल की सुरक्षा के हित में विमान से उपद्रवी यात्रियों को हटाने में विमान पायलटों की सहायता करें।[11] संशोधन महानिदेशक को यह भी अधिकार देते हैं कि वे: (i) किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को विमान में प्रवेश से मना करें, और (ii) किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को विमान छोड़ने के लिए बाध्य करें। सुरक्षा के हित में अगर आवश्यक या उचित हो तो ऐसी कार्रवाई की जा सकती है।
गलत सूचना देने पर प्रतिबंध: संशोधन किसी व्यक्ति को गलत सूचना देने से रोकते हैं, जो: (i) किसी विमान, हवाई अड्डे या नागरिक उड्डयन इकाई की सुरक्षा को खतरे में डालती है, (ii) यात्रियों, चालक दल और ग्राउंड पर्सनल या आम जनता में घबराहट पैदा करती है, या (iii) नागरिक उड्डयन के संचालन को बाधित करती है।
दंड: उपर्युक्त प्रावधानों का उल्लंघन करने पर किसी व्यक्ति पर एक लाख रुपए का सिविल जुर्माना तथा संगठनों पर 50 लाख रुपए से एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
वित्त
2024-25 के लिए पहली अनुपूरक अनुदान मांगों को मंजूरी दी गई
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
लोकसभा ने 2024-25 के लिए पहली अनुपूरक अनुदान मांगों (डीएफजी) को मंजूरी दे दी है।[12] इसमें 87,763 करोड़ रुपए के व्यय का प्रस्ताव है। साथ ही 44,143 करोड़ रुपए की वृद्धिशील नकद राशि शामिल है। शेष 43,618 करोड़ रुपए का वित्तपोषण केंद्रीय बजट के तहत पहले से स्वीकृत व्यय से बचत के माध्यम से किया जाएगा। प्रस्तावित वृद्धिशील नकद राशि 48.2 लाख करोड़ रुपए के शुरुआती बजट अनुमान से 1% अधिक है। अनुपूरक मांगों के तहत प्रमुख आवंटनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
किसानों को हस्तांतरण: सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत हस्तांतरण के लिए अतिरिक्त 3,500 करोड़ रुपए की मंजूरी मांगी थी। 2024-25 के बजट में इस योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। इस योजना के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपए हस्तांतरित किए जाते हैं।[13] खेती योग्य भूमि वाले किसानों को सहायता देने के लिए यह योजना 2019 में शुरू की गई थी।
उर्वरकों के लिए सबसिडी: सरकार ने फॉस्फेटिक और पोटासिक (पीएंडके) उर्वरकों पर सबसिडी के लिए अतिरिक्त 6,594 करोड़ रुपए की मंजूरी मांगी थी। 2024-25 के बजट में इसके लिए 45,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। 2024-25 के लिए सरकार ने उर्वरक कंपनियों को डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (पीएंडके उर्वरक) की बिक्री के लिए 3,500 रुपए प्रति मीट्रिक टन का विशेष पैकेज भी प्रदान किया है।[14]
सेबी ने बोर्ड बैठक में विभिन्न निर्णयों को मंजूरी दी
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी बोर्ड बैठक में विभिन्न निर्णयों को मंजूरी दी।[15] प्रमुख निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
एसएमई के लिए लिस्टिंग फ्रेमवर्क: सेबी ने लघु एवं मध्यम स्तर के उपक्रमों (एसएमईज़) के लिए लिस्टिंग फ्रेमवर्क में संशोधन किया है। ऐसी इकाइयां अब अपने शेयर सिर्फ तभी लिस्ट कर सकती हैं, जब उनका ऑपरेटिंग मुनाफा एक करोड़ रुपए हो। उन्हें लिस्टिंग प्रॉस्पेक्टस दाखिल करते समय पिछले तीन वित्तीय वर्षों में से दो में मुनाफे की इस शर्त को पूरा करना होगा। अगर प्रमोटर, प्रमोटर समूह या किसी संबंधित पक्ष से ऋण के पुनर्भुगतान के लिए धन जुटाया जा रहा है तो लिस्टिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी।
एआई टूल्स का उपयोग: सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन जैसी रेगुलेटेड संस्थाओं द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल के इस्तेमाल के लिए एक रूपरेखा पेश की है। ये संस्थाएं पूरी तरह से निम्नलिखित के लिए जिम्मेदार होंगी: (i) निवेशकों के डेटा की प्राइवेसी, सुरक्षा और अखंडता, (ii) एआई टूल्स से जनरेटेड आउटपुट, और (iii) लागू होने वाले कानूनों का अनुपालन।
हाई-वैल्यू डेट लिस्टेड एंटिटीज़ का गवर्नेंस: स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज़ वाली संस्थाओं को कुछ बाध्यताओं का पालन करना होगा, अगर राशि एक सीमा से अधिक है। यह सीमा 500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपए कर दी गई है। ऐसी संस्थाओं को उन कंपनियों की सीमा के लिए भी गिना जाएगा जिनके बोर्ड में कोई व्यक्ति निदेशक हो सकता है। अब तक, केवल उन कंपनियों को ही इस उद्देश्य के लिए गिना जाता था जिनके इक्विटी शेयर सूचीबद्ध थे।[16]
सेबी ने एल्गोरिथम ट्रेडिंग में रीटेल भागीदारी पर परामर्श पत्र जारी किया
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग में रीटेल निवेशकों की भागीदारी पर परामर्श पत्र जारी किया है।[17] एल्गोरिदमिक या एल्गो ट्रेडिंग समयबद्ध और प्रोग्राम्ड ऑर्डर एक्सीक्यूशन करती है। वर्तमान में संस्थागत निवेशकों को एल्गोरिदम के माध्यम से व्यापार करने की अनुमति है। सेबी ने कहा कि रीटेल निवेशकों द्वारा एल्गो ट्रेडिंग की मांग बढ़ रही है। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए सेबी ने एक रेगुलेटरी ढांचा प्रस्तावित किया। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्टॉक ब्रोकर्स की जिम्मेदारियां: स्टॉक ब्रोकर्स द्वारा एल्गो ट्रेडिंग प्रत्येक एल्गोरिथम के लिए स्टॉक एक्सचेंज की अनुमति प्राप्त करने के बाद ही प्रदान की जाएगी। सभी एल्गो ऑर्डर में ऑडिट ट्रेल स्थापित करने के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा प्रदान किया गया एक विशिष्ट आइडेंटिफायर होना चाहिए।
एपीआई का उपयोग: एपीआई (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस) के माध्यम से एल्गो ट्रेडिंग के मामले में, एल्गो प्रोवाइडर या विक्रेता स्टॉक ब्रोकर के एजेंट के रूप में कार्य करेगा। एपीआई सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन को एक दूसरे के साथ डेटा एक्सचेंज की अनुमति देता है। रीटेल निवेशकों द्वारा विकसित एल्गोरिदम को भी अपने ब्रोकर के माध्यम से एक्सचेंज के साथ पंजीकृत होना चाहिए।
स्टॉक एक्सचेंज की जिम्मेदारियां: स्टॉक एक्सचेंजों की जिम्मेदारियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एल्गोरिथम ऑर्डर की व्यापार बाद निगरानी, (ii) किसी विशेष एल्गो आईडी से ऑर्डर रोकने की क्षमता का निर्माण करना, और (iii) ब्रोकर्स और सूचीबद्ध विक्रेताओं की भूमिका और जिम्मेदारियों को परिभाषित करना।
टिप्पणियां 3 जनवरी, 2025 तक आमंत्रित हैं।
आरबीआई ने कोलेट्रल मुक्त कृषि ऋण देने की सीमा बढ़ाई
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने कोलेट्रल मुक्त कृषि ऋण देने की सीमा को 1.6 लाख रुपए प्रति उधारकर्ता से बढ़ाकर दो लाख रुपए प्रति उधारकर्ता कर दिया है।[18] इसमें कृषि से जुड़ी गतिविधियों के लिए ऋण भी शामिल हैं। आरबीआई ने कहा कि यह संशोधन मुद्रास्फीति और कृषि इनपुट लागत में वृद्धि को समायोजित करने के लिए किया गया है। संशोधित सीमा 1 जनवरी, 2025 से लागू होगी।
आरबीआई ने एआई के जिम्मेदार उपयोग के लिए रूपरेखा का सुझाव देने हेतु समिति बनाई
Nripendra Singh (nripendra@prsindia.org)
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए रूपरेखा पर सुझाव देने हेतु एक समिति (चेयर: डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य) का गठन किया।[19] समिति में शिक्षा जगत, निजी क्षेत्र और सरकारी सदस्य शामिल हैं।
समिति के विचारार्थ विषयों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वित्तीय सेवाओं में एआई को अपनाने के स्तर का आकलन करना, (ii) एआई के उपयोग से जुड़े जोखिमों की पहचान करना और बैंकों तथा भुगतान सेवा प्रदाताओं जैसे वित्तीय संस्थानों द्वारा जोखिम प्रबंधन के लिए रूपरेखा का सुझाव देना, और (iv) एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए एक गवर्नेंस फ्रेमवर्क का सुझाव देना।
समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से छह महीने के भीतर रिपोर्ट देगी।
जहाजरानी
Anirudh TR (anirudh@prsindia.org)
कोस्टल शिपिंग बिल, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया
कोस्टल शिपिंग बिल, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया।[20] यह बिल भारतीय तटीय जल में व्यापार करने वाले जहाजों को रेगुलेट करता है। बिल के तहत कोस्टल वॉटर्स यानी तटीय जल का अर्थ, भारत का क्षेत्रीय जल और निकटवर्ती समुद्री क्षेत्र है। क्षेत्रीय जल तट से 12 नॉटिकल माइल यानी समुद्री मील (लगभग 22 किलोमीटर) तक फैला हुआ है। निकटवर्ती समुद्री क्षेत्र 200 समुद्री मील (लगभग 370 किलोमीटर) तक फैला है।
बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 के भाग XIV को निरस्त करता है। इस भाग के प्रावधान तटीय जल के भीतर व्यापार करने वाली पाल नौकाओं को छोड़कर बाकी सभी जहाजों को रेगुलेट करते हैं। बिल सभी प्रकार के जहाजों को रेगुलेट करने का प्रयास करता है जैसे जहाज, नाव, पाल वाली नाव और मोबाइल ड्रिलिंग यूनिट्स, भले ही वे स्वचालित यानी सेल्फ प्रोपेल्ड हों या नहीं। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
तटीय व्यापार के तहत आने वाली सेवाएं: एक्ट के तहत तटीय व्यापार का अर्थ है, भारत में एक स्थान या बंदरगाह से दूसरे स्थान तक माल और यात्रियों की ढुलाई। बिल सेवाओं के प्रावधान को इसमें शामिल करने के लिए इसकी परिभाषा में विस्तार करता है। सेवाओं में मछली पकड़ने को छोड़कर एक्सप्लोरेशन, अनुसंधान और कोई अन्य व्यावसायिक गतिविधि शामिल है।
तटीय व्यापार और अन्य उद्देश्यों के लिए लाइसेंस: एक्ट के तहत तटीय व्यापार करने वाले सभी जहाजों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है। बिल में कहा गया है कि पूरी तरह से भारतीय व्यक्तियों के स्वामित्व वाले जहाजों को लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।
लाइसेंस को रद्द करना: एक्ट महानिदेशक को यह अधिकार देता है कि वह लाइसेंस में संशोधन कर सकता है या उसे रद्द कर सकता है। बिल में लाइसेंस के संशोधन, उसे निरस्त या रद्द करने के आधार दिए गए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) लाइसेंस की शर्तों या मौजूदा कानून का उल्लंघन, या (ii) महानिदेशक के निर्देशों का पालन न करना।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024 लोकसभा में पेश
मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024 को लोकसभा में पेश किया गया।[21] यह बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 का स्थान लेने का प्रयास करता है।[22] एक्ट नौवहन क्षेत्र को रेगुलेट करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैँ:
जहाजों का अनिवार्य पंजीकरण: एक्ट के अंतर्गत, सभी समुद्री भारतीय जहाजों को पंजीकृत किया जाना चाहिए, केवल उन जहाजों को छोड़कर: (i) जो यंत्रचालित नहीं हैं, या (ii) जिनका वजन 15 टन से कम है और उनका उपयोग केवल भारतीय तटों पर नौवहन के लिए किया जाता है। एक्ट में वेसेल्स यानी जलयान की परिभाषा में कोई भी जहाज, नाव, पाल वाले जहाज या नैविगेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले अन्य जलयान शामिल हैं। इसके बजाय बिल में सभी जहाजों को पंजीकृत कराने का प्रावधान किया गया है, चाहे उसे किसी भी प्रकार चलाया जाता हो या उसका वजन कुछ भी हो। बिल जलयान की परिभाषा का विस्तार करता है, और उसमें मोबाइल ऑफशोर ड्रिलिंग यूनिट्स, सबमर्सिबल्स यानी पनडुब्बियों और नॉन-डिसप्लेसमेंट क्राफ्ट्स जैसे प्रकारों को शामिल करता है।
भारतीय जलयानों का स्वामित्व: एक्ट भारतीय जलयानों के स्वामित्व के मानदंड निर्दिष्ट करता है। एक्ट के तहत भारतीय जलयान का अर्थ ऐसे जलयान हैं, जिनका स्वामित्व पूर्ण रूप निम्नलिखित के पास है: (i) भारत के नागरिक, (ii) भारतीय कानूनों के तहत या उनके द्वारा स्थापित कंपनी या निकाय जिनका मुख्य व्यवसाय स्थान भारत में है, और (iii) पंजीकृत सहकारी समिति। बिल इस मानदंड में राहत देता है और निम्नलिखित को इसमें शामिल करता है: (i) वे जहाज जो आंशिक रूप से उपर्युक्त व्यक्तियों के स्वामित्व में हैं, और (ii) वे जहाज जो पूर्णतः या आंशिक रूप से भारत के विदेशी नागरिकों (ओसीआई) के स्वामित्व में हैं। स्वामित्व की सीमा केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट की जाएगी। बिल में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ओसीआई के पूर्ण स्वामित्व वाले जहाजों के लिए भारत में पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं होगा।
कुछ विदेशी जलयानों का पंजीकरण: बिल में यह भी कहा गया है कि किसी भारतीय व्यक्ति द्वारा चार्टर किया गया विदेशी जलयान भारतीय जलयान के रूप में पंजीकृत हो सकता है। यह प्रावधान तब लागू होगा, जब स्वामित्व को एक निर्दिष्ट अवधि के बाद चार्टरर को हस्तांतरित करने का इरादा हो।
नौवहन के रेगुलेशन के लिए अथॉरिटीज़: एक्ट केंद्र सरकार को नौवहन महानिदेशक नियुक्त करने का अधिकार देता है। सरकार एक्ट के तहत अपनी शक्तियों और कार्यों को महानिदेशक को सौंप सकती है। बिल इस प्रावधान को बरकरार रखता है। वह महानिदेशक का नाम बदलकर समुद्री प्रशासन का महानिदेशक करता है। एक्ट केंद्र सरकार को सलाह देने के लिए निम्नलिखित बोर्ड्स का गठन करता है: (i) नौवहन से संबंधित मामलों के लिए राष्ट्रीय नौवहन बोर्ड, और (ii) नाविकों के कल्याण के संबंध में सलाह देने के लिए राष्ट्रीय नाविक कल्याण बोर्ड। बिल में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।
बिल के पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
शिक्षा
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
केंद्रीय सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को रोकने के लिए आरटीई नियमों में संशोधन किया गया
शिक्षा मंत्रालय ने बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियम, 2024 अधिसूचित किए हैं।[23] ये बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार एक्ट, 2009 के तहत जारी नियमों में संशोधन करते हैं।[24],[25] एक्ट छह से 14 वर्ष के बीच के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा की गारंटी देता है।
एक्ट के अनुसार स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष के अंत में कक्षा पांचवीं और आठवीं के लिए नियमित परीक्षा आयोजित करनी होगी।24 इस परीक्षा में असफल होने वाले विद्यार्थी दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा दे सकते हैं। एक्ट राज्य और केंद्र सरकारों को यह अधिकार देता है कि वे स्कूलों को विद्यार्थियों को रोकने की अनुमति दे सकते हैं, अगर वे पुनः परीक्षा में असफल होते हैं।24 केंद्र सरकार अपने नियंत्रण वाले या स्थापित स्कूलों के लिए यह निर्णय ले सकती है।24
2024 के नियमों के अनुसार, अगर विद्यार्थी पुन: परीक्षा में असफल होते हैं तो उन्हें कक्षा पांच या आठ में रोक दिया जाना चाहिए।23 जिस अवधि में उन्हें रोका जाता है, उस दौरान स्कूलों को शिक्षण अंतराल को चिन्हित करके, तथा आवश्यक संसाधन प्रदान करके विद्यार्थी और उसके माता-पिता का मार्गदर्शन करना चाहिए। स्कूल प्रमुख उन विद्यार्थियों की सूची बनाएगा जिन्हें रोका गया है, और उनकी प्रगति की निगरानी करेगा। वार्षिक परीक्षाओं और पुन: परीक्षाओं में योग्यता का परीक्षण होना चाहिए, न कि स्मरण रखने या प्रक्रियात्मक कौशल का।23
यूजीसी ने पूर्व शिक्षा की मान्यता पर ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने "उच्च शिक्षा में पूर्व शिक्षा के कार्यान्वयन" के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं।[26] पूर्व शिक्षा से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल होने से पहले प्राप्त मौजूदा कौशल और ज्ञान से है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी) औपचारिक शिक्षा में ड्रॉपआउट को फिर से शामिल करने के लिए पूर्व शिक्षा को मान्यता देने का सुझाव देती है।[27] उच्च शिक्षा के लिए राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क में पूर्व शिक्षा को मान्यता देने और क्रेडिट प्रदान करने का प्रावधान है।[28] ड्राफ्ट दिशानिर्देश पूर्व शिक्षा के लिए मूल्यांकन, मान्यता और क्रेडिट प्रदान करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करते हैं। कोई अभ्यर्थी इस मान्यता का उपयोग आंशिक रूप से पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए कर सकता है। ड्राफ्ट दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
एप्लिकेबिलिटी: ड्राफ्ट दिशानिर्देश औपचारिक, अनौपचारिक और गैर-औपचारिक प्रशिक्षण के माध्यम से पूर्व शिक्षा को मान्यता देते हैं। औपचारिक शिक्षा में अकादमिक डिग्री, पेशेवर प्रमाणन और निरंतर शिक्षा पाठ्यक्रम शामिल हैं। अनौपचारिक शिक्षा में कार्य अनुभव, स्वयंसेवा, स्वशिक्षित कौशल और शौक शामिल हैं। गैर-औपचारिक शिक्षा में कार्यशालाएं, लघु पाठ्यक्रम, व्यावसायिक विकास कार्यक्रम और सामुदायिक शिक्षा शामिल हैं।
आकलन के मानदंड: पूर्व शिक्षा के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए, उम्मीदवार को यह प्रदर्शित करना होगा कि उसकी शिक्षा: (i) उस योग्यता या पाठ्यक्रम के लिए प्रासंगिक है जिसे वह प्राप्त करना चाहता है, और (ii) उसने उम्मीदवार को इस योग्यता या पाठ्यक्रम के लिए सक्षम बनाया है। उसे अपनी शिक्षा का प्रमाण भी प्रस्तुत करना होगा, और योग्यता के आवश्यक मूल्यांकन में उत्तीर्ण होना होगा।
आकलन के लिए निकाय: सरकार पूर्व शिक्षा का मूल्यांकन करने के लिए केंद्रों की पहचान करेगी। इन्हें राज्य, केंद्रीय, डीम्ड या निजी विश्वविद्यालयों में से चुना जा सकता है।
पूर्व शिक्षा के लिए क्रेडिट: उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने सभी पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षण परिणाम तैयार करने चाहिए। उन्हें ऐसे पाठ्यक्रम के लिए पूर्व शिक्षा को मान्यता नहीं देनी चाहिए जिसके परिणाम स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों को यह सलाह दी जाती है कि वे शुरुआती चरणों में पूर्व शिक्षा की मान्यता के जरिए किसी को 30% से अधिक पाठ्यक्रम को पूरा न करने दे।
कृषि
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
वेयरहाउसिंग एक्ट, 2007 में संशोधन के लिए ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणियां आमंत्रित
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने वेयरहाउसिंग (विकास एवं रेगुलेशन) एक्ट, 2007 में संशोधन के लिए ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[29] यह एक्ट वेयरहाउसिंग डेवलमेंट एंड रेगुलेशन अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) की स्थापना करता है।[30] एक्ट वेयरहाउसिंग व्यवसाय एवं प्राप्तियों को रेगुलेट करता है, वेयरहाउसमैन के कर्तव्यों एवं दायित्वों को परिभाषित करता है, तथा डब्ल्यूडीआरए की शक्तियों एवं कार्यों को परिभाषित करता है। ड्राफ्ट बिल के अंतर्गत मुख्य परिवर्तन निम्नलिखित हैं:
रेपोजिटरी की स्थापना: वेयरहाउस यानी गोदाम में माल के स्टोरेज की पुष्टि के लिए वेयरहाउस रसीदें जारी की जाती हैं। ड्राफ्ट बिल में वेयरहाउस रसीद लेनदेन के विवरण को रिकॉर्ड करने के लिए रेपोजिटरी की स्थापना का प्रावधान है। रेपोजिटरी को एक्ट के तहत पंजीकृत होना चाहिए और रेपोजिटरी के रूप में कार्य करने के लिए अधिकृत होना चाहिए। बिल में कहा गया है कि डब्लूडीआरए खुद या किसी सहायक या स्पेशल पर्पज एंटिटी के जरिए रेपोजिटरी का कार्य कर सकता है।
इंटरमीडियरीज़: ड्राफ्ट बिल इंटरमीडियरीज़ को वेयरहाउसिंग बाजार में काम करने की अनुमति देता है। ये वे लोग होते हैं जो निरीक्षण, ब्रोकिंग, हस्तांतरण या लेनदेन संबंधी सलाह जैसे कार्य करते हैं।
डब्ल्यूडीआरए का संयोजन: 2007 के एक्ट के तहत, डब्ल्यूडीआरए में एक अध्यक्ष और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो अन्य सदस्य होते हैं। ड्राफ्ट बिल इस संयोजन में बदलाव करता है और इसमें निम्नलिखित को शामिल करता है: (i) एक अध्यक्ष, (ii) केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो पूर्णकालिक सदस्य, और (iii) वित्त मंत्रालय और सेबी द्वारा नामित तीन अंशकालिक पदेन सदस्य।
अपराध को डीक्रिमिनलाइज करना: ड्राफ्ट बिल में कारावास और जुर्माने की सजा के स्थान पर मौद्रिक दंड का प्रावधान करके कई अपराधों को डीक्रिमिनलाइज किया गया है। इनमें देरी से डिलीवरी और स्टोर किए गए सामान के मूल्य की गलत घोषणा जैसे अपराध शामिल हैं। इसमें आगे निम्नलिखित अपराधों को निर्दिष्ट किया गया है: (i) डब्ल्यूडीआरए को जानकारी देने में विफलता, और (iii) अनुचित व्यापार पद्धतियों में लिप्त होना।
टिप्पणियां 7 जनवरी, 2025 तक आमंत्रित हैं।
वेयरहाउसिंग रसीद-बेस्ड प्लेज फाइनांसिंग के लिए ऋण गारंटी योजना शुरू की गई
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर ई-एनडब्ल्यूआर बेस्ट प्लेज फाइनांसिंग (सीजीएस-एनपीएफ) को शुरू किया है।[31]वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी द्वारा मान्यता प्राप्त गोदामों में रखी जाने वाली वस्तुओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउसिंग रसीद (ई-एनडब्ल्यूआर) जारी की जाती हैं। किसान/व्यापारी वस्तुओं के बदले ऋण प्राप्त करने के लिए ई-एनडब्ल्यूआर का उपयोग कर सकते हैं।[32]
नई योजना ई-एनडब्ल्यूआर के तहत लिए गए ऋणों के लिए गारंटी कवर प्रदान करेगी। इसका कुल कोष 1,000 करोड़ रुपए का है और इसमें कृषि उद्देश्यों के लिए 75 लाख रुपए तक और गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए दो करोड़ रुपए तक के ऋण शामिल होंगे। पात्र उधारकर्ताओं में निम्न शामिल हैं: (i) छोटे और सीमांत किसान, (ii) महिला/एससी/एसटी/दिव्यांग किसान, और (iii) किसान सहकारी समितियां। गारंटी कवर ऋण राशि और उधारकर्ता के प्रकार के आधार पर 75% से 85% तक होता है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के लिए दिशानिर्देश जारी
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।[33] इस मिशन का उद्देश्य खेती की टिकाऊ प्रणालियों को बढ़ावा देना और मृदा स्वास्थ्य में सुधार करना है। इसका लक्ष्य 2026 तक 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती शुरू करना है। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
प्राथमिक क्षेत्र: मिशन को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कार्यान्वित किया जाएगा जैसे: (i) गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर के गलियारे वाले क्षेत्र, (ii) प्रमुख नदियों के तट पर स्थित जिले, (iii) राज्यों में उच्च और निम्न उर्वरक इनपुट बिक्री वाले जिले, और (iv) जनजातीय क्षेत्र वाले जिले।
प्रशिक्षण: मिशन का उद्देश्य किसानों के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाने हेतु एक सहायक इकोसिस्टम बनाना है। इसमें किसानों को प्रशिक्षण देना शामिल होगा। प्रशिक्षण निम्नलिखित माध्यमों से दिया जाएगा: (i) प्राकृतिक खेती के केंद्र, (ii) कृषि विज्ञान केंद्र, (iii) राज्य कृषि विश्वविद्यालय और (iv) स्थानीय प्राकृतिक खेती संस्थान। इसके अलावा, 2,060 प्राकृतिक खेती मॉडल प्रदर्शन फार्म स्थापित किए जाएंगे। मिशन प्राकृतिक खेती के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए 30,000 कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन्स (या कृषि सखियों) को भी तैनात करेगा।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान वैज्ञानिकों और अधिकारियों की क्षमता विकास की दिशा में काम करेगा।
पर्यावरण
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
सार्वजनिक देयता बीमा (संशोधन) नियम, 2024 अधिसूचित
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सार्वजनिक दायित्व बीमा (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है।[34] ये सार्वजनिक दायित्व बीमा एक्ट, 1991 के तहत जारी सार्वजनिक दायित्व नियम, 1991 में संशोधन करते हैं।[35],[36] यह एक्ट खतरनाक पदार्थों के इस्तेमाल के परिणामस्वरूप होने वाली दुर्घटनाओं से प्रभावित व्यक्तियों को मुआवज़ा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। संशोधन नियमों के तहत प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
बीमाकर्ताओं के दायित्वों की सीमा बढ़ाना: एक्ट के तहत, खतरनाक पदार्थों से निपटने वाले उपक्रम के मालिक को दुर्घटना की स्थिति में राहत प्रदान करने के लिए अपनी देयता हेतु बीमा लेना चाहिए। 1991 के नियमों के तहत, दुर्घटना की स्थिति में बीमाकर्ता की अधिकतम देयता पांच करोड़ रुपए थी। 2024 के नियमों में इसे बढ़ाकर 250 करोड़ रुपए कर दिया गया है। एक वर्ष या पॉलिसी की अवधि के भीतर एक से अधिक दुर्घटना होने की स्थिति में, जो भी कम हो, 1991 के नियमों के तहत बीमाकर्ता की अधिकतम देयता 15 करोड़ रुपए थी। 2024 के नियमों में इसे बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
मालिक द्वारा दी जाने वाली प्रतिपूर्ति: 2024 के नियम निर्दिष्ट मामलों में प्रभावित व्यक्तियों को मालिक द्वारा दी जाने वाली राहत की राशि निर्दिष्ट करते हैं। उदाहरण के लिए, मृत्यु की स्थिति में प्रति व्यक्ति पांच लाख रुपए की राहत प्रदान की जानी चाहिए। निजी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए, राहत में वास्तविक नुकसान शामिल होना चाहिए, और यह अधिकतम 50 लाख रुपए तक हो सकता है।
पर्यावरणीय राहत कोष से धनराशि का आवंटन: जन विश्वास एक्ट, 2023 ने 1991 के एक्ट में संशोधन करके कुछ मामलों में नुकसान की भरपाई के लिए पर्यावरण राहत कोष के इस्तेमाल की अनुमति दी थी। यह तब लागू होता है जब खतरनाक पदार्थों से जुड़ी गतिविधियों जैसे मैन्यूफैक्चरिंग और परिवहन से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। 2023 का एक्ट केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को इस संबंध में केंद्र सरकार को आवेदन दायर करने का अधिकार देता है। नियम इन प्रावधानों को प्रभावी बनाते हैं। नियमों में प्रावधान है कि आवेदन प्राप्त होने पर केंद्र सरकार नुकसान की सीमा की जांच करेगी और आवंटित की जाने वाली राशि निर्धारित करेगी। नियमों में यह भी कहा गया है कि आवंटन कोष में उपलब्ध राशि के 10% से अधिक नहीं होगा।
राहत के दावे के अधिकार का प्रचार करने का कर्तव्य: दुर्घटना की स्थिति में, संशोधन नियमों के अनुसार औद्योगिक इकाइयों को प्रभावित व्यक्तियों के बीच राहत का दावा करने के अधिकार का प्रचार करना आवश्यक है।
कुछ पैकेजिंग सामग्रियों की रीसाइकलिंग से संबंधित ड्राफ्ट नियमों पर टिप्पणियां आमंत्रित
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण (कागज़, कांच और धातु के साथ-साथ सैनिटरी उत्पादों की पैकेजिंग के लिए विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व) नियम, 2024 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[37] ड्राफ्ट नियम पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के तहत जारी किए गए हैं।[38] ड्राफ्ट नियमों की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
रीसाइकलिंग के लक्ष्य: ड्राफ्ट नियम उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों के लिए निर्दिष्ट सामग्रियों से उत्पन्न पैकेजिंग कचरे को रीसाइकिल करने के लक्ष्य निर्धारित करते हैं। इनमें कागज, कांच, धातु और सैनिटरी उत्पादों की पैकेजिंग शामिल है। 2026-27 में उत्पन्न होने वाले कचरे का कम से कम 50% रीसाइकिल किया जाना चाहिए। 2029-30 और उसके बाद, उत्पन्न होने वाले कचरे का कम से कम 80% रीसाइकिल किया जाना चाहिए। केवल वही कचरा जिसे रीसाइकिल नहीं किया जा सकता है, उसे एंड-ऑफ लाइफ निस्तारण के लिए भेजा जाएगा।
प्रमाणपत्र जारी करना: किसी इकाई को लक्ष्य से अधिक रीसाइकलिंग के लिए प्रमाणपत्र दिया जाएगा। प्रमाणपत्र का उपयोग पिछले या बाद के वर्षों में किसी भी कमी की भरपाई के लिए किया जा सकता है। कमी की स्थिति में अपने दायित्व को पूरा करने के लिए ये प्रमाणपत्र अन्य बाध्य संस्थाओं द्वारा खरीदे जा सकते हैं।
पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति: रीसाइकलिंग के लक्ष्य को पूरा करने में असफल होने की स्थिति में संस्थाओं को मुआवजा देना होगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) मुआवजा तय करने और वसूलने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करेगा। मुआवजा चुकाए जाने के बाद भी, अधूरे दायित्वों को तीन साल तक आगे बढ़ाया जाएगा। अगर इन तीन सालों के भीतर भरपाई कर दी जाती है तो भुगतान किया गया मुआवजा वापस कर दिया जाएगा।
टिप्पणियां 4 फरवरी, 2025 तक आमंत्रित हैं।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी ड्राफ्ट नियमों पर टिप्पणियां आमंत्रित
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2024 का ड्राफ्ट जारी किया है।[39] ड्राफ्ट नियम पर्यावरण (संरक्षण) एक्ट, 1986 के तहत तैयार किए गए हैं।[40] नियम ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का स्थान लेने का प्रयास करते हैं।[41] 2016 के नियम ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए एक रूपरेखा और सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों, उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों जैसी विभिन्न संस्थाओं के कर्तव्यों को निर्दिष्ट करते हैं। ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
एप्लिकेबिलिटी: 2016 के नियम शहरी स्थानीय निकायों, शहरी समूहों में बाहरी इलाकों, जनगणना कस्बों और औद्योगिक टाउनशिप तथा कुछ धार्मिक स्थलों, हवाई अड्डों और सरकारी प्रतिष्ठानों जैसे निर्दिष्ट क्षेत्रों पर लागू होते हैं। ड्राफ्ट नियम ग्रामीण स्थानीय निकायों पर भी लागू होते हैं।
थोक कचरा उत्पादक: 2016 के नियमों के तहत, बल्क कचरा उत्पादक में ऐसी संस्थाएं (आवासीय सोसाइटियों को छोड़कर) शामिल हैं, जिनका औसत अपशिष्ट उत्पादन प्रतिदिन 100 किलोग्राम से अधिक है। ड्राफ्ट नियम थोक कचरा उत्पादक की परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें ऐसी संस्थाएं को शामिल करते हैं जिनका: (i) कम से कम 20,000 वर्ग मीटर का फ़्लोर एरिया हो, या (ii) प्रतिदिन कम से कम 5,000 लीटर पानी की खपत करता हो। ड्राफ्ट नियम आवासीय सोसाइटियों को भी कवर करते हैं। थोक कचरा उत्पादकों के कुछ कुछ दायित्व होंगे जैसे: (i) संबंधित स्थानीय निकाय के साथ पंजीकरण करना, और (ii) कचरे को अलग करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करना, और (iii) गीले कचरे का विकेंद्रीकृत प्रसंस्करण।
बागवानी के कचरे और कृषि अवशेषों का प्रबंधन: ड्राफ्ट नियमों में यह भी कहा गया है कि स्थानीय निकायों को कृषि अवशेषों के संग्रह और भंडारण के लिए सुविधाएं स्थापित करने में सहायता करनी चाहिए। स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह के कचरे को खुले में न जलाया जाए। वे कचरे को खुले में जलाने पर जुर्माना लगा सकते हैं।
टिप्पणियां 7 फरवरी, 2025 तक आमंत्रित हैं।
[1] Conduct of Elections (Second Amendment) Rules, 2024, Ministry of Law and Justice, December 20, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/259568.pdf.
[2] Conduct of Election Rules, 2016, https://upload.indiacode.nic.in/showfile?actid=AC_CEN_3_81_00001_195143_1517807327542&type=rule&filename=2.conduct_of_election_rules,_1961.doc.pdf.
[3] The Representation of the People Act, 1951, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2096/5/a1951-43.pdf.
[4] Developments in India’s Balance of Payments during the Second Quarter (July-September) of 2024-25, Reserve Bank of India, December 27, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR1797D1DD2136C9D94833A6BAC1A7DEB187C0.PDF.
[5] Developments in India’s Balance of Payments during the First Quarter (April-June) of 2024-25, Reserve Bank of India, September 30, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR11856205047626764844945BB7D76A8D8C45.PDF.
[6] Resolution of the Monetary Policy Committee (MPC) December 4 to 6, 2024, Monetary Policy Statement, 2024-25, Reserve Bank of India, December 6, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR1646070ADDB4ACC74D7C9D2A0AB85963802D.PDF.
[7] The Bharatiya Vayuyan Vidheyak, 2024, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2024/Bharatiya_Vayuyan_Vidheyak_2024.pdf.
[8] The Aircraft Act, 1934, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2400/1/AAA1934____22.pdf.
[9] The Aircraft (Security) Amendment Rules, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/259440.pdf.
[10] The Aircraft (Security) Rules, 2023, https://www.civilaviation.gov.in/sites/default/files/2023-09/ASR%20Notification_published%20in%20Gazette.pdf.
[11] Rule 8, Aircraft (Security) Rules, 2023, https://www.civilaviation.gov.in/sites/default/files/2023-09/ASR%20Notification_published%20in%20Gazette.pdf.
[12] First Supplementary Demands for Grants, Ministry of Finance, December 2024, https://dea.gov.in/sites/default/files/Supplementary%20first%20batch%202024-25.pdf.
[13] “Pradhan Mantri Kisan Sampada Yojana”, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, August 8, 2024, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1946816
[14] “Government has provided special packages on DAP over and above the NBS subsidy rates on need basis to ensure smooth availability of DAP at affordable prices to farmers”, Press Information Bureau, Ministry of Chemicals and Fertilisers, August 9, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2043545.
[15] SEBI Board Meeting, Securities and Exchange Board of India, December 18, 2024, https://www.sebi.gov.in/media-and-notifications/press-releases/dec-2024/sebi-board-meeting_90042.html.
[16] SEBI (Listing Obligations and Disclosure Requirements) Regulations, 2015, Securities and Exchange Board of India, September 2, 2015, https://www.sebi.gov.in/web/?file=https://www.sebi.gov.in/sebi_data/attachdocs/sep-2023/1695374243341.pdf#page=1&zoom=page-width,-15,842.
[17] Participation of retail investors in algorithmic trading, Securities and Exchange Board of India, December 13, 2024, https://www.sebi.gov.in/reports-and-statistics/reports/dec-2024/participation-of-retail-investors-in-algorithmic-trading_89837.html.
[18] Credit Flow to Agriculture – Collateral free agricultural loans, Reserve Bank of India, December 6, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/NOT96144E24E148514F10B93A2E1CD4D649B1.PDF.
[19] Framework for Responsible and Ethical Enablement (FREE) of Artificial Intelligence(AI) in the Financial Sector – Setting up of a committee, Reserve Bank of India, December 26, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR1779498546366D904B94B98C69FCA9EF2411.PDF.
[20] The Coastal Shipping Bill, 2024 as introduced in Lok Sabha on December 2, 2024, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2024/Bill_Text_Coastal_Shipping_Bill_2024.pdf.
[21] The Merchant Shipping Bill, 2024 as introduced in Lok Sabha on December 10, 2024, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2024/Merchant_Shipping_Bill,_2024.pdf.
[22] The Merchant Shipping Act, 1958, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1562/1/aa1958-44.pdf.
[23] Right of Children to Free and Compulsory Education (Amendment) Rules, 2024, Ministry of Education, December 16, 2024, https://egazette.gov.in/(S(0g1jmwckczf00jtss2lfecu4))/ViewPDF.aspx.
[24] Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2086/5/a2009-35.pdf.
[25] Right of Children to Free and Compulsory Education Rules, 2010, https://upload.indiacode.nic.in/showfile?actid=AC_CEN_9_9_00006_200935_1517807327595&type=rule&filename=RTE%20rules,%202010.pdf.
[26] “Draft Guidelines for Implementation of Recognition of Prior Learning”, University Grants Commission, December 10, 2024, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/4846266_Draft-Guidelines-for-Implementation-of-Recognition-of-Prior-Learning-in-Higher-Education.pdf.
[27] National Education Policy, 2020, Ministry of Education, https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf.
[28] The National Credit Framework, University Grants Commission, April 2023, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/9028476_Report-of-National-Credit-Framework.pdf.
[29] The Warehousing (Development and Regulation) (Amendment) Bill, 2023, https://wdra.gov.in/documents/20143/544621949/Draft+Amendment+Bill.pdf/a5587064-9898-914c-1e79-34c7c6a78f35.
[30] The Warehousing (Development and Regulation) Act, 2007, https://dfpd.gov.in/WriteReadData/Other/act3.pdf.
[31] “Union Food and Consumer Affairs Minister launches Credit Guarantee Scheme for e-NWR based pledge Financing (CGS-NPF)”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, December 16, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2085018.
[32] “Warehousing Development Regulatory Authority organises one day conference on e-NWR”, Press Information Bureau, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, August 18, 2023, https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1950221
[33] Operational Guidelines for National Mission on Natural Farming, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, https://www.agriwelfare.gov.in/Documents/HomeWhatsNew/GuidelineofNMNF_FinalApproved_27122024.pdf.
[34] Public Liability Insurance (Amendment) Rules, 2024, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, December 17, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/259488.pdf.
[35] Public Liability Insurance Rules, 1991, https://thc.nic.in/Central%20Governmental%20Rules/Public%20Liablity%20Insurance%20Rules,%201991.pdf.
[36] Public Liability Insurance Act, 1991, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1960/5/A1991-06.pdf.
[37] Environment Protection (Extended Producer Responsibility for Packaging made from paper, glass, and metal as well as sanitary products) Rules, 2024, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, December 6, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/259256.pdf.
[38] The Environment (Protection) Act, 1986, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/6196/1/the_environment_protection_act%2C1986.pdf.
[39] Draft Solid Waste Management Rules, 2024, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, December 9, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/259407.pdf.
[40] The Environment (Protection) Act, 1986, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/6196/1/the_environment_protection_act%2C1986.pdf.
[41] S.O. 1357(E), Ministry of Environment, Forest and Climate Change, April 8, 2016, https://cpcb.nic.in/uploads/MSW/SWM_2016.pdf.
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