
इस अंक की झलकियां
2023-24 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 7.6% की दर से बढ़ी
2023-24 की दूसरी तिमाही में सभी क्षेत्रों में वृद्धि सकारात्मक रही, जिसमें मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र ने 13.9% की उच्चतम वृद्धि दर दर्ज की, इसके बाद निर्माण और बिजली क्षेत्रों का स्थान रहा।
कैबिनेट ने 16वें वित्त आयोग के संदर्भ की शर्तों को मंजूरी दी
आयोग 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए अपने सुझाव देगा। ये सुझाव केंद्र सरकार और राज्यों के बीच कर आय के वितरण के लिए प्रदान किए जाएंगे।
स्टैंडिंग कमिटी ने तीन आपराधिक कानूनों को बदलने की मांग करने वाले बिल्स पर रिपोर्ट सौंपी
मुख्य सुझावों में निम्न शामिल हैं: (i) मेंटल इलनेस के स्थान पर अनसाउंड माइंड का इस्तेमाल, (ii) मामूली संगठित अपराधों से संबंधित प्रावधान की रीड्राफ्टिंग, (iii) विचाराधीन कैदियों को जमानत और (iv) इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की स्वीकार्यता को स्पष्ट करना।
कैबिनेट ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को पांच साल के लिए बढ़ाया
यह 1 जनवरी, 2024 से लागू होगा। योजना लगभग 81 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करती है। इनमें चावल, गेहूं और मोटे अनाज/बाजरा शामिल हैं।
प्रसारण सेवा (रेगुलेशन) बिल, 2023 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
बिल का ड्राफ्ट ओटीटी प्लेटफार्मों सहित प्रसारकों और प्रसारण नेटवर्क ऑपरेटरों को रेगुलेट करने का प्रयास करता है। कंटेंट के रेगुलेशन के लिए एक त्रि-स्तरीय संरचना प्रस्तावित की गई है।
वन (संरक्षण एवं संवर्धन) एक्ट के तहत नियम अधिसूचित
नियम केंद्र सरकार द्वारा परियोजनाओं की मंजूरी, प्रतिपूरक वनरोपण और अपराधों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए प्रक्रिया और समयसीमा निर्दिष्ट करते हैं।
राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग बिल का ड्राफ्ट परामर्श के लिए जारी किया गया
आयोग फार्मेसी की शिक्षा और प्रैक्टिस को रेगुलेट करेगा। बिल फार्मेसी एक्ट, 1948 का स्थान लेता है।
मॉडल जेल और सुधार सेवा एक्ट, 2023 जारी किया गया
मॉडल कानून कैदियों के वर्गीकरण और पृथक्करण, प्रत्येक जिले में विचाराधीन कैदी समीक्षा समिति के गठन और जेलों के लिए सुरक्षा और निगरानी उपायों का प्रावधान करता है।
आरबीआई ने कुछ ऋण श्रेणियों के लिए जोखिम भार बढ़ाया
संशोधित जोखिम भार मुख्य रूप से व्यक्तिगत ऋण जैसे असुरक्षित उपभोक्ता ऋण पर लागू होगा। जोखिम भार पूंजी की न्यूनतम राशि निर्धारित करते हैं जो ऋण देने वाली संस्थाओं को ऋण के जोखिम प्रोफाइल के अनुसार रखनी चाहिए।
कैबिनेट ने फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की योजना को जारी रखने को मंजूरी दी
यह योजना यौन अपराधों के पीड़ितों को डेडिकेटेड कोर्ट मशीनरी प्रदान करने के लिए लागू की गई थी। इसे 1,952 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
माइक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
जुलाई-सितंबर 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद 7.6% की दर से बढ़ा
2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) (स्थिर कीमतों पर) 2022-23 की इसी तिमाही की तुलना में 7.6% बढ़ा।[1] 2022-23 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 6.2% बढ़ी थी। 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी 7.8% की दर से बढ़ी थी।
रेखाचित्र 1: 2011-12 की स्थिर कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष प्रतिशत में)
नोट: 2020-21 की पहली तिमाही में 23.4% की गिरावट के बाद 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी निम्न आधार पर बढ़ी थी।
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
आर्थिक क्षेत्रों में सकल घरेलू उत्पाद को सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के संदर्भ में मापा जाता है। 2023-24 की दूसरी तिमाही में सभी क्षेत्रों में वृद्धि सकारात्मक रही। 2022-23 की इसी तिमाही में 3.8% की गिरावट के बाद मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र ने 2023-24 की दूसरी तिमाही (13.9%) में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की। इसके बाद निर्माण (13.3%), बिजली (10.1%) और खनन (10%) का स्थान रहा।
तालिका 1: 2023-24 की दूसरी तिमाही में सभी क्षेत्रों में जीवीए में वृद्धि (प्रतिशत में, वर्ष-दर-वर्ष)
क्षेत्र |
2023-24 ति1 |
2023-24 ति2 |
कृषि |
3.5% |
1.2% |
खनन |
5.8% |
10.0% |
मैन्यूफैक्चरिंग |
4.7% |
13.9% |
बिजली |
2.9% |
10.1% |
निर्माण |
7.9% |
13.3% |
व्यापार |
9.2% |
4.3% |
वित्तीय सेवाएं |
12.2% |
6.0% |
सार्वजनिक सेवाएं |
7.9% |
7.6% |
जीवीए |
7.8% |
7.4% |
जीडीपी |
7.8% |
7.6% |
नोट: जीवीए को आधार कीमतों (2011-12) पर मापा जाता है।
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
2023-24 की दूसरी तिमाही में औद्योगिक उत्पादन 7.4% बढ़ा
2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 7.4% बढ़ गया।[2] 2022-23 की दूसरी तिमाही में आईआईपी 1.6% बढ़ा था। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र, जिसका आईआईपी में 78% भार है, एक साल पहले इसी तिमाही की तुलना में 6.2% की दर से बढ़ा।
रेखाचित्र 2: आईआईपी में वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)
नोट: सितंबर 2023 के आंकड़े त्वरित अनुमान हैं।
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
गृह मामले
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
स्टैंडिंग कमिटी ने तीन आपराधिक कानूनों को बदलने का प्रयास करने वाले बिल्स पर रिपोर्ट सौंपी
गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री बृज लाल) ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य बिल, 2023 (बीएसबी) पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।[3],[4],[5] बीएनएस भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) का स्थान लेता है, जो दंडनीय अपराधों पर प्रमुख कानून है।[6],[7] बीएनएसएस आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) का स्थान लेता है जो आपराधिक प्रक्रिया पर प्रमुख कानून है।[8],[9] बीएसबी भारतीय साक्ष्य एक्ट, 1872 (आईईए) का स्थान लेता है, जो अदालतों में सबूतों की स्वीकार्यता (एडमिसिबिलिटी) को रेगुलेट करता है।[10],[11] तीनों बिल बड़े पैमाने पर उन कानूनों के प्रावधानों को बरकरार रखते हैं जिन्हें वे निरस्त करने का प्रयास करते हैं। इन बिल्स को 11 अगस्त, 2023 को गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी को भेजा गया था। कमिटी ने बीएनएस के कुछ प्रावधानों में बदलाव का सुझाव दिया है। कमिटी के आठ सदस्यों ने असहमति के नोट प्रस्तुत किए हैं। कमिटी के मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
भारतीय न्याय संहिता, 2023
बीएनएस द्वारा हटाए गए अपराध: बीएनएस व्यभिचार (एडल्ट्री) और समलैंगिक (सेम सेक्स) यौन गतिविधियों (आईपीसी का सेक्शन 377) से संबंधित अपराधों को हटाता है। कमिटी ने कहा कि 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यभिचार से संबंधित सेक्शन को रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि यह प्रावधान पुराना, मनमाना और पितृसत्तात्मक है, क्योंकि यह किसी महिला की स्वायत्तता, प्रतिष्ठा और प्राइवेसी का हनन करता है। भारतीय समाज में विवाह की पवित्रता को मान्यता देते हुए कमिटी ने सुझाव दिया कि व्यभिचार के सेक्शन को बरकरार रखा जाए और उसे सभी जेंडर्स पर लागू किया जाए। कमिटी ने यह सुनिश्चित करने के लिए सेक्शन 377 को बरकरार रखने का सुझाव दिया कि पुरुषों, ट्रांसजेंडरों के खिलाफ गैर-सहमति वाले यौन अपराधों और पशुओं के साथ बनाए गए यौन संबंधों को दंडित किया जाए।
मानसिक बीमारी (मेंटल इलनेस): आईपीसी के तहत विकृत दिमाग (अनसाउंड माइंड) वाले व्यक्ति द्वारा किए गए गए कृत्य को अपराध नहीं माना जा सकता। बीएनएस इस प्रावधान को बरकरार रखता है, लेकिन ‘अनसाउंड माइंड’ के स्थान पर ‘मेंटल इलनेस’ का प्रयोग करता है। कमिटी ने कहा कि ‘मेंटल इलनेस’ यानी मानसिक बीमारी की परिभाषा ‘अनसाउंड माइंड’ यानी विकृत दिमाग की तुलना में व्यापक है, क्योंकि इसमें मूड स्विंग्स या इच्छा से नशा जैसी स्थितियां भी शामिल हैं। उसने सुझाव दिया कि ‘मेंटल इलनेस’ के स्थान पर ‘अनसाउंड माइंड’ का ही प्रयोग किया जाए।
संगठित अपराध: बीएनएस संगठित अपराध को तीन या अधिक व्यक्तियों द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से एक अपराध सिंडिकेट के सदस्यों के रूप में या उसकी ओर से की जाने वाली निरंतर गैरकानूनी गतिविधि के रूप में परिभाषित करता है। संगठित अपराध की कोशिश करने या अपराध करने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास और कम से कम 10 लाख रुपए का जुर्माना भुगतना होगा, अगर इससे किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। कमिटी की राय थी कि अपराध करने और अपराध करने की कोशिश करने में कोई अंतर नहीं किया गया है। उसने स्पष्टता के लिए दोनों को अलग करने का सुझाव दिया। इसके अलावा उसने कहा कि इसका दायरा बढ़ाने के लिए 'तीन या अधिक व्यक्तियों के समूह' के स्थान पर 'दो या अधिक व्यक्तियों' का प्रयोग किया जाए।
पीआरएस के सारांश के लिए कृपया यहां देखें।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
संज्ञेय मामलों की जांच करने की शक्ति: बीएनएसएस के तहत, पुलिस स्टेशन का कोई भी प्रभारी अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर किसी भी संज्ञेय मामले की जांच कर सकता है। हालांकि गंभीर अपराधों के लिए, पुलिस अधीक्षक (एसपी) या पुलिस उपाधीक्षक को अपराध की जांच करने की आवश्यकता हो सकती है। यह मानते हुए कि एसपी जिले का प्रभारी है और उसकी पर्यवेक्षी भूमिका है, कमिटी ने सुझाव दिया कि अधीनस्थ अधिकारियों को ऐसी जांच संभालनी चाहिए।
विचाराधीन कैदी: सीआरपीसी के तहत अगर किसी विचाराधीन कैदी ने किसी अपराध के लिए कारावास की अधिकतम अवधि का आधा हिस्सा हिरासत में बिताया है तो उसे उसके निजी बांड पर रिहा किया जाना चाहिए। यह उन अपराधों पर लागू नहीं होता, जिनमें मौत की सजा हो सकती है। बीएनएसएस के अनुसार, यह प्रावधान इन पर भी लागू नहीं होगा: (i) ऐसे अपराध जिनमें आजीवन कारावास की सजा मिली है और (ii) ऐसे व्यक्ति जिनके पर एक से अधिक अपराधों के लिए कार्यवाही लंबित है। कमिटी ने सुझाव दिया कि उन विचाराधीन कैदियों को जमानत दी जानी चाहिए जिन्होंने खुद पर लगाए गए सबसे गंभीर अपराध के लिए अधिकतम सजा काट ली है। हालांकि अगर कई अपराधों के लिए लगातार सजा दी गई है तो यह प्रावधान लागू नहीं होगा।
पुलिस हिरासत: सीआरपीसी के तहत, एक न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी आरोपी व्यक्ति को 15 दिनों तक हिरासत में रखने के लिए अधिकृत कर सकता है। बीएनएसएस के अनुसार, 15 दिन की हिरासत को शुरुआती 40, 60 या 90 दिनों के दौरान भागों में रखा जा सकता है। कमिटी ने कहा कि अधिकारी इस सेक्शन का दुरुपयोग कर सकते हैं क्योंकि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पहले 15 दिनों में हिरासत में क्यों नहीं लिया गया। कमिटी ने उचित संशोधन के साथ क्लॉज को स्पष्ट करने का सुझाव दिया।
पीआरएस के सारांश के लिए कृपया यहां देखें।
भारतीय साक्ष्य बिल, 2023
इलेक्ट्रॉनिक सबूत के साथ छेड़छाड़: आईईए के तहत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड सहायक सबूत के रूप में स्वीकार्य हैं। बीएसबी के तहत, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को मुख्य सबूत के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मुख्य सबूत में मूल दस्तावेज़ और उसके हिस्से शामिल होते हैं। सहायक सबूत में ऐसे दस्तावेज़ शामिल होते हैं जो मूल दस्तावेज़ के कंटेंट को साबित कर सकते हैं। कमिटी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड की प्रामाणिकता और अखंडता की रक्षा करना जरूरी है क्योंकि उनमें छेड़छाड़ की आशंका होती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इसमें एक प्रावधान जोड़ा जाए। इस प्रावधान के तहत यह अनिवार्य किया जाए कि जांच के दौरान सबूत के रूप में जमा किए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को उचित तरीके से चेन ऑफ कस्टडी के जरिए से सुरक्षित रूप से हैंडिल और प्रोसेस किया जाएगा। कमिटी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सबूतों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग के संबंध में भी इसी तरह के संशोधन का सुझाव दिया है, जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 का स्थान लेगी।
इलेक्ट्रॉनिक सबूत की स्वीकार्यता: आईईए के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को एक प्रमाणपत्र के जरिए प्रामाणित किया जाना चाहिए। कमिटी ने कहा कि बीएसबी निर्दिष्ट करता है कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित किया जाना चाहिए, जिसके लिए प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि यह इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की स्वीकार्यता पर आईईए के सेक्शन को भी बरकरार रखता है, जिसके लिए प्रमाणपत्र के माध्यम से प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है। कमिटी ने वर्तमान प्रमाणपत्र प्रमाणीकरण के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की स्वीकार्यता साबित करने का सुझाव दिया।
पीआरएस के सारांश के लिए कृपया यहां देखें।
गृह मंत्रालय ने मॉडल जेल और सुधार सेवा एक्ट, 2023 को स्वीकृत किया
गृह मंत्रालय ने मॉडल जेल और सुधार सेवा एक्ट, 2023 को स्वीकृत किया और इसे राज्य सरकारों को सर्कुलेट किया।[12] संविधान के तहत, जेल राज्य का विषय हैं।[13] हालांकि जेलों के प्रबंधन और प्रशासन पर राज्यों के अपने कानून हैं, उनमें से अधिकांश जेल एक्ट, 1894 और कैदी एक्ट, 1900 पर आधारित हैं।[14],[15] 2023 के मॉडल कानून का उद्देश्य जेलों के प्रशासन और प्रबंधन को आधुनिक बनाना और इसे जेल सुधारों के साथ जोड़ना है। इसमें जेलों और कैदियों के संगठन, वर्गीकरण, प्रबंधन, प्रशासन और कल्याण को शामिल किया गया है। मॉडल एक्ट की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
कैदियों का वर्गीकरण: मॉडल एक्ट कैदियों के वर्गीकरण और सुरक्षा मूल्यांकन के लिए एक समिति का गठन करता है। कैदियों को व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) दीवानी, (ii) आपराधिक, (iii) दोषी, और (iv) विचाराधीन कैदी। इन श्रेणियों के भीतर, कैदियों को उप-श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है और अलग से रखा जा सकता है। उप-श्रेणियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) नशीली दवाओं के आदी, (ii) पहली बार के अपराधी, (iii) विदेशी कैदी, (iv) मानसिक बीमारी से पीड़ित कैदी, और (v) मौत की सजा पाए कैदी। जेलों में पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग-अलग अनुभाग भी हो सकते हैं।
विचाराधीन कैदी समीक्षा समिति: मॉडल एक्ट के तहत प्रत्येक जिले में एक विचाराधीन कैदी समीक्षा समिति की स्थापना की आवश्यकता है। समिति की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश करेंगे। वह समय-समय पर बैठक कर जिले की सभी जेलों में जमानत के पात्र कैदियों के मामलों की समीक्षा करेगी। वह प्रत्येक मामले से संबंधित आवश्यक सुझाव देगी।
विशेष निगरानी उपाय: संगठित अपराध और गिरोहों की गतिविधियों को रोकने के लिए जेल और सुधार संस्थान कैदियों पर विशेष निगरानी उपाय सुनिश्चित करेंगे। इसके जेल और सुधार सेवाएं कैदियों से खुफिया जानकारी इकट्ठा कर सकती हैं और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पुलिस विभाग की खुफिया विंग के समन्वय से उनकी निगरानी कर सकती हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जेलों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित, सुरक्षित और उनका पर्यवेक्षण करने के लिए उपयुक्त तकनीक (सीसीटीवी सिस्टम और बायोमेट्रिक्स सहित) का इस्तेमाल भी सुनिश्चित करेगा।
स्वास्थ्य देखभाल: सभी कैदियों को पर्याप्त और जेंडर-रिस्पांसिव स्वास्थ्य सेवा प्राप्त होगी। सरकार मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड की अनुमति से मानसिक बीमारी से पीड़ित किसी भी कैदी को हिरासत वाली जगह से राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के किसी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में स्थानांतरित कर सकती है।
वित्त
कैबिनेट ने 16वें वित्त आयोग के संदर्भ की शर्तों को मंजूरी दी
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16वें वित्त आयोग के लिए संदर्भ की शर्तों को मंजूरी दे दी है।[16] संदर्भ की शर्तों के लिए आयोग को निम्नलिखित मामलों पर सुझाव देना होता है: (i) केंद्र सरकार और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण, (ii) राज्यों के बीच इस आय का आवंटन, (iii) शासित होने वाले सिद्धांत और राज्यों को अनुदान सहायता के रूप में भुगतान की गई राशि, और (iv) स्थानीय सरकारों के संसाधनों की पूर्ति के लिए राज्य के राजस्व को बढ़ाने हेतु आवश्यक उपाय। इसके अतिरिक्त, वह आपदा प्रबंधन पहल के वित्तपोषण की व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है। सुझाव 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होकर पांच साल की अवधि के लिए लागू होंगे। आयोग 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
आरबीआई ने कुछ ऋण श्रेणियों के लिए जोखिम भार बढ़ाया
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कुछ उपभोक्ता ऋण श्रेणियों से जुड़े जोखिम भार में वृद्धि की है।[17] संशोधित जोखिम भार मुख्य रूप से व्यक्तिगत ऋण जैसे असुरक्षित उपभोक्ता ऋण पर लागू होगा। जोखिम भार पूंजी की न्यूनतम राशि निर्धारित करते हैं जो ऋण देने वाली संस्थाओं को ऋण के जोखिम प्रोफाइल के संबंध में रखनी चाहिए।
तालिका 2: उपभोक्ता ऋणों के लिए संशोधित जोखिम भार
ऋणदाता संस्था |
ऋण श्रेणी |
मौजूदा जोखिम भार |
संशोधित जोखिम भार |
वाणिज्यिक बैंक |
उपभोक्ता ऋण* |
100% |
125% |
एनबीएफसी |
उपभोक्ता ऋण* |
100% |
125% |
अधिसूचित वाणिज्यिक बैंक |
क्रेडिट कार्ड प्राप्य |
125% |
150% |
एनबीएफसी |
क्रेडिट कार्ड प्राप्य |
100% |
125% |
नोट: *आवास ऋण, शिक्षा ऋण, वाहन ऋण, सोने और सोने के आभूषणों द्वारा सुरक्षित ऋण और माइक्रोफाइनेंस ऋण शामिल नहीं हैं।
स्रोत: आरबीआई; पीआरएस।
रेगुलेटेड संस्थाओं को उपभोक्ता ऋण के लिए अपनी क्षेत्रीय जोखिम सीमाओं की समीक्षा करनी चाहिए। उन्हें उपभोक्ता ऋण के तहत उप-खंडों के लिए बोर्ड-अनुमोदित सीमाएं भी लगानी होंगी। सभी असुरक्षित उपभोक्ता ऋण एक्सपोज़र के लिए सीमाएं निर्धारित की जानी चाहिए।
आरबीआई ने इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी गवर्नेंस और जोखिमों पर दिशानिर्देश जारी किए
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आरबीआई (इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी गवर्नेंस, जोखिम, नियंत्रण और आश्वासन प्रथाएं) दिशानिर्देश, 2023 जारी किए हैं।[18] निर्देश आईटी गवर्नेंस, जोखिम, नियंत्रण और व्यापार निरंतरता/आपदा वसूली प्रबंधन के लिए रूपरेखा प्रदान करते हैं। वे बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, क्रेडिट सूचना कंपनियों, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक और राष्ट्रीय वित्त पोषण अवसंरचना एवं विकास बैंक जैसी संस्थाओं पर लागू होंगे।
रेगुलेटेड संस्थाओं को आईटी विशेषज्ञता वाले एक स्वतंत्र निदेशक की अध्यक्षता में बोर्ड-स्तरीय आईटी रणनीति समिति (आईटीएससी) स्थापित करनी होगी। साइबर/सूचना सुरक्षा के प्रबंधन के लिए एक सूचना सुरक्षा समिति (आईएससी) का गठन किया जाना चाहिए। कारोबारी निरंतरता योजना और आपदा बहाली नीति को विघटनकारी घटनाओं की आशंका के साथ-साथ उनके प्रभाव को कम करने के लिए सर्वोत्तम पद्धतियों को अपनाना चाहिए।
सेबी ने इंडेक्स प्रोवाइडर्स और सोशल स्टॉक एक्सचेंजों के लिए फ्रेमवर्क में बदलाव को मंजूरी दी
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी बोर्ड बैठक में कुछ फैसले लिए।[19] प्रमुख निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सोशल स्टॉक एक्सचेंज: सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) गैर-लाभकारी और लाभकारी सामाजिक उद्यमों को धन जुटाने की अनुमति देता है। गैर-लाभकारी संगठन (एनपीओ) एसएसई पर शून्य कूपन शून्य प्रिंसिपल (जेडसीजेडपी) इंस्ट्रूमेंट्स जारी करके धन जुटा सकते हैं। जेडसीजेडपी इंस्ट्रूमेंट में परिपक्वता पर कोई कूपन भुगतान या मूलधन पुनर्भुगतान नहीं होता है। सेबी ने इन इंस्ट्रूमेंट्स के लिए न्यूनतम इश्यू साइज को एक करोड़ रुपए से आधा कर 50 लाख रुपए करने का फैसला किया है। ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स के सार्वजनिक निर्गम के लिए न्यूनतम आवेदन आकार भी दो लाख रुपए से घटाकर 10,000 रुपए कर दिया जाएगा। संस्थाओं को संबंधित कानून या धारा 8 कंपनी (धर्मार्थ उद्देश्य के लिए कंपनी) के तहत धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। सेबी ने अधिक गैर-लाभकारी संस्थाओं को एसएसई पर पंजीकरण के लिए पात्र होने की अनुमति दी है। इनमें शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थान शामिल हैं।
इंडेक्स प्रोवाइडर्स के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को शुरू करना: सेबी ने इंडेक्स प्रोवाइडर्स के लिए एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को मंजूरी दे दी है। एक इंडेक्स प्रतिभूतियों के समूह से बना होता है और उन प्रतिभूतियों के मूल्य में परिवर्तन को मापता है। फ्रेमवर्क के तहत, महत्वपूर्ण सूचकांकों को लाइसेंस देने वाले इंडेक्स प्रोवाइडर्स को वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर सेबी द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। अधिसूचित इंडेक्स प्रोवाइडर्स को सेबी के साथ पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
कैबिनेट ने मुफ्त खाद्यान्न योजना को पांच साल के लिए बढ़ाया
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को पांच साल तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी।[20] पीएमजीकेएवाई लगभग 81 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करती है।[21] इनमें चावल, गेहूं और मोटे अनाज/बाजरा शामिल हैं। योजना की अवधि 1 जनवरी, 2024 से शुरू करके पांच साल बढ़ा दी गई है। पांच साल की अवधि में केंद्र सरकार पर 11.8 लाख करोड़ रुपए का खर्च आने की उम्मीद है। अप्रैल 2020 से मार्च 2023 के बीच केंद्र सरकार ने पीएमजीकेएवाई के तहत 3.4 लाख करोड़ रुपए का सबसिडी व्यय किया है।[22]
पीएमजीकेएवाई को मार्च 2020 में पेश किया गया था, जिसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट (एनएफएसए) के लाभार्थियों को उनकी मासिक पात्रता से पांच किलोग्राम अतिरिक्त खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।21 एनएफएसए के तहत, लाभार्थियों को सबसिडी वाला खाद्यान्न प्रदान किया जाता है। दिसंबर 2022 में केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 तक एक वर्ष के लिए सभी एनएफएसए लाभार्थियों को ये खाद्यान्न मुफ्त प्रदान करने का निर्णय लिया।[23]
मीडिया और प्रसारण
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
ड्राफ्ट प्रसारण सेवा (रेगुलेशन) बिल, 2023 सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रसारण सेवा (रेगुलेशन) बिल, 2023 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[24] ड्राफ्ट बिल केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट, 1995 का स्थान लेता है।[25] ड्राफ्ट बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
एप्लिकेबिलिटी: ड्राफ्ट बिल प्रसारकों और प्रसारण नेटवर्क ऑपरेटरों को रेगुलेट करने का प्रयास करता है। प्रसारक वे व्यक्ति होते हैं जो प्रोग्रामिंग सेवाएं प्रदान करते हैं। ब्रॉडकास्ट नेटवर्क ऑपरेटर ऐसी संस्थाएं हैं जो कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए विभिन्न प्रणालियों का उपयोग करती हैं। इनमें डीटीएच और केबल सेवाएं, ओटीटी प्लेटफॉर्म और रेडियो शामिल हैं। संस्थाओं को सरकार के साथ पंजीकृत कराना होगा। पंजीकरण लाइसेंस, प्राधिकृति, इंटिमेशन (इत्तिला) या अनुमति के रूप में हो सकता है। उदाहरण के लिए, ओटीटी को एक इंटिमेशन जमा करना होता है जबकि केबल ऑपरेटरों को लाइसेंस की आवश्यकता होती है। ब्रॉडकास्टर्स और ब्रॉडकास्ट नेटवर्क ऑपरेटरों को कुछ शर्तों का पालन करना होगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रोग्राम कोड, विज्ञापन कोड और निर्धारित एक्सेसिबिलिटी दिशानिर्देशों का पालन, और (ii) उनके कंटेंट का सेल्फ-सर्टिफिकेशन (प्रसारकों के लिए), और एक्सेस नियंत्रण लागू करना (नेटवर्क ऑपरेटरों के लिए)।
कंटेंट रेगुलेशन के लिए त्रि-स्तरीय संरचना: प्रत्येक प्रसारक और नेटवर्क ऑपरेटर को एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा। यह अधिकारी कार्यक्रम और विज्ञापन कोड के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की सुनवाई करेगा।
प्रत्येक ब्रॉडकास्टर/नेटवर्क ऑपरेटर को केंद्र सरकार के साथ पंजीकृत सेल्फ-रेगुलेटरी संगठन (एसआरओ) का सदस्य होना चाहिए। एसआरओ: (i) उन शिकायतों का समाधान करेगा जिन्हें सदस्यों ने दूर नहीं किया है, (ii) सदस्यों के निर्णयों के खिलाफ अपील की सुनवाई करेगा, और (iii) कार्यक्रम और विज्ञापन कोड के पालन के लिए अपने सदस्यों का मार्गदर्शन करेंगे या सलाह देंगे।
केंद्र सरकार एसआरओ के निर्णयों के खिलाफ अपील पर सुनवाई और सिफारिशें करने के लिए प्रसारण सलाहकार परिषद (बीएसी) का गठन करेगी। बीएसी केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई शिकायतों की भी सुनवाई करेगी। केंद्र सरकार बीएसी की सिफारिश पर विचार करने के बाद इन अपीलों/शिकायतों के संबंध में आदेश या निर्देश जारी करेगी।
9 दिसंबर, 2023 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
डिजिटल विज्ञापन नीति, 2023 जारी
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने डिजिटल विज्ञापन नीति, 2023 जारी की है।[26] यह केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) को डिजिटल मीडिया पर विज्ञापन अभियान चलाने के लिए रूपरेखा प्रदान करता है। सीबीसी केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, उपक्रमों और स्वायत्त निकायों द्वारा विज्ञापनों के लिए नोडल एजेंसी है। ओटीटी प्लेटफॉर्म, वेबसाइट, मोबाइल एप्लिकेशन, पॉडकास्ट और डिजिटल ऑडियो प्लेटफॉर्म जैसे प्लेटफार्मों पर विज्ञापन इस नीति के दायरे में आते हैं। इसमें प्रावधान है कि सरकारी संस्थाओं द्वारा ऐसे प्लेटफार्मों पर सभी विज्ञापन सीबीसी के माध्यम से होंगे। सीबीसी इस उद्देश्य के लिए संस्थाओं को सूचीबद्ध करेगा। नीति की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
एंपैनेलमेंट के लिए पात्रता: विज्ञापन सेवाएं प्रदान करने वाली संस्थाओं को सीबीसी के पैनल में शामिल होने के लिए कुछ पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा। इनमें कम से कम एक वर्ष पुराना होना और निरंतर संचालन में होना (सोशल मीडिया के लिए छह महीने) और वेबसाइट के लिए न्यूनतम यूनीक यूज़र बेस 2.5 लाख प्रति माह और ओटीटी और डिजिटल ऑडियो प्लेटफॉर्म के लिए 5 लाख होना शामिल है।
पैनल में शामिल होने की प्रक्रिया: ऐसी सेवाएं देने वाली निजी संस्थाओं को नीलामी के माध्यम से तीन साल की अवधि के लिए पैनल में शामिल किया जाएगा। सरकारी संस्थाओं को नीलामी के माध्यम से खोजी गई दर की स्वीकृति के अधीन सीधे सूचीबद्ध किया जा सकता है।
प्रदर्शन मानदंड: नीति उन प्रदर्शन मेट्रिक्स को भी निर्दिष्ट करती है जिनका उपयोग विज्ञापनों के मूल्यांकन के लिए किया जाएगा। इनमें क्लिक-थ्रू रेट्स, व्यू-थ्रू रेट्स (ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए) और लिसेन-थ्रू रेट्स शामिल हैं। ये दरें प्रति 1,000 इंप्रेशन पर विज्ञापनों के साथ इंटरैक्शन की संख्या हैं। प्रदर्शन मानदंडों को पूरा न करने पर भुगतान में कमी कर दी जाएगी।
शिक्षा
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
यूजीसी ने भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों पर रेगुलेशंस को अधिसूचित किया
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने “विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत में विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और संचालन) रेगुलेशन, 2023” को अधिसूचित किया।[27] ये नियम उन विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एचईआई) पर लागू होते हैं जो पाठ्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए भारत में एक परिसर स्थापित करना चाहते हैं। विदेशी एचईआई में वे संस्थान शामिल हैं जो स्नातक स्तर और उससे ऊपर के स्तर पर शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए अपने मूल देश द्वारा अधिकृत हैं। रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पात्रता: भारत में एक परिसर स्थापित करने के लिए एक विदेशी एचईआई का: (i) आवेदन के समय शीर्ष 500 वैश्विक रैंकिंग में स्थान होना चाहिए, (ii) वैश्विक रैंकिंग की विषय-वार श्रेणी में शीर्ष 500 में स्थान होना चाहिए, या (iii) वह किसी विशेष विषय में विशेषज्ञ हो।
मंजूरी की प्रक्रिया: भारत में कैंपस शुरू करने के लिए यूजीसी की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होगी। इच्छुक संस्थान को आवेदन के साथ निम्नलिखित जानकारी प्रदान करनी होगी: (i) भारत में परिसर स्थापित करने के लिए गवर्निंग बॉडी से अनुमति, (ii) प्रस्तावित स्थान, इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी सुविधाओं और शुल्क संरचना के बारे में विवरण, (iii) किसी मान्यता प्राप्त निकाय से नवीनतम मान्यता या गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट, और (iv) मुख्य परिसर और भारतीय परिसर के बीच शिक्षा की गुणवत्ता और योग्यताओं की स्वीकृति में सामंजस्य सुनिश्चित करने के लिए दृष्टिकोण। यूजीसी प्रत्येक आवेदन का मूल्यांकन करने के लिए एक स्थायी समिति का गठन करेगा। समिति आवेदन प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर यूजीसी को सुझाव देगी। सुझाव प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर यूजीसी अपनी मंजूरी (शर्तों के साथ या बिना) जारी करेगा।
दाखिला और शुल्क: एक विदेशी एचईआई अपनी फीस संरचना स्वयं तय करेगा, जो पारदर्शी और उचित होनी चाहिए। उन्हें दाखिला शुरू होने से 60 दिन पहले अपना प्रॉस्पेक्टस अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराना होगा। प्रॉस्पेक्टस में शुल्क संरचना, रिफंड नीति, पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या जैसे विवरण शामिल होने चाहिए। विदेशी एचईआई निम्नलिखित भी प्रस्तुत कर सकते हैं: (i) योग्यता-आधारित या आवश्यकता-आधारित छात्रवृत्ति, या (ii) भारतीय विद्यार्थियों को रियायतें।
फैकेल्टी की नियुक्ति: एक विदेशी एचईआई अपने फैकेल्टी और कर्मचारियों के लिए योग्यता, वेतन और सेवा की अन्य शर्तें तय कर सकता है। हालांकि नियुक्त फैकेल्टी और पाठ्यक्रम की योग्यताएं मूल देश के मुख्य परिसर के बराबर होनी चाहिए।
ऑनलाइन मोड/डिस्टेंस लर्निंग: विदेशी एचईआई ओपन डिस्टेंस लर्निंग मोड के माध्यम से अपने पाठ्यक्रम प्रस्तुत नहीं कर सकते हैं। हालांकि 10% तक लेक्चर्स ऑनलाइन कराए जा सकते हैं।
स्वास्थ्य
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग बिल, 2023 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं के लिए राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग बिल, 2023 का ड्राफ्ट जारी किया है।[28] ड्राफ्ट बिल फार्मेसी शिक्षा को रेगुलेट और उस तक पहुंच को बेहतर बनाने का प्रयास करता है। यह फार्मेसी एक्ट, 1948 को निरस्त करने का प्रयास करता है।[29] मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
कार्य: राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) फार्मेसी शिक्षा और प्रशिक्षण के गवर्नेंस के मानकों को रेगुलेट करना, (ii) फार्मा संस्थानों और प्रोफेशनल्स को रेगुलेट करना, और (iii) फार्मेसी संस्थानों में दाखिले के लिए एक समान तंत्र प्रदान करना। आयोग की देखरेख में इन कार्यों को पूरा करने के लिए तीन बोर्ड स्थापित किए जाएंगे। एक सलाहकार परिषद इन मामलों पर आयोग को सलाह भी देगी।
संरचना: आयोग में कुल 28 सदस्य होंगे। चेयरपर्सन फार्मेसी शिक्षाविद् और फार्मेसी के क्षेत्र में कम से कम 15 वर्षों के अनुभव वाला एक पंजीकृत फार्मासिस्ट होना चाहिए। आयोग के पदेन सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारत के औषधि महानियंत्रक, (ii) आयोग के तहत तीन बोर्डों के अध्यक्ष, और (iii) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक प्रतिनिधि, जो संयुक्त सचिव पद से नीचे का अधिकारी न हो। आयोग के अंशकालिक सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) राज्य फार्मेसी चैप्टर के छह अध्यक्ष, और (ii) फार्मेसी क्षेत्र के प्रतिष्ठित सदस्य। अध्यक्ष और सदस्यों का चयन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक खोज-सह-चयन समिति के सुझावों के आधार पर किया जाएगा।
बोर्ड: आयोग की देखरेख में तीन बोर्ड गठित किए जाएंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) फार्मेसी की शिक्षा और प्रैक्टिस के मानकों को रेगुलेट करने के लिए फार्मेसी शिक्षा बोर्ड, (ii) फार्मेसी संस्थानों का आकलन करने और नए संस्थानों की स्थापना की अनुमति देने के लिए फार्मेसी मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड और (iii) सभी फार्मेसी प्रोफेशनल्स के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने, पंजीकरण के लिए आवेदनों की समीक्षा करने और फार्मेसी में पेशेवर आचरण को रेगुलेट करने के लिए फार्मेसी नैतिकता और पंजीकरण बोर्ड।
फार्मेसी परामर्श परिषद: परिषद आयोग को फार्मेसी की शिक्षा, सेवाओं, प्रशिक्षण और अनुसंधान तक समान पहुंच बढ़ाने के उपायों पर सलाह देगी। यह प्राथमिक मंच भी होगा जिसके माध्यम से राज्य/केंद्र शासित प्रदेश आयोग के समक्ष अपनी समस्याओं को प्रस्तुत कर सकते हैं। राष्ट्रीय फार्मेसी आयोग के अध्यक्ष परिषद के अध्यक्ष होंगे।
10 दिसंबर, 2023 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
उपभोक्ता मामले
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
ई-कॉमर्स में डार्क पैटर्न को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने डार्क पैटर्न की रोकथाम और रेगुलेशन के लिए दिशानिर्देश, 2023 को अधिसूचित किया।[30] प्लेटफ़ॉर्म के यूज़र इंटरफ़ेस या यूज़र एक्सपीरियंस (यूआई/यूएक्स) इंटरैक्शन में उन पद्धतियों या भ्रामक डिज़ाइन पैटर्न्स को डार्क पैटर्न कहा जाता है जो अनापेक्षित कार्य करने के लिए यूज़र्स को गुमराह करने या धोखा देने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। ये पैटर्न उपभोक्ता की स्वायत्तता, निर्णय लेने या पसंद को विकृत करते हैं, और भ्रामक विज्ञापन, अनुचित कारोबारी पद्धतियों या उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के समान होते हैं। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
डार्क पैटर्न में शामिल होने पर प्रतिबंध: दिशानिर्देश किसी भी डार्क पैटर्न पद्धति में संलग्न होने पर रोक लगाते हैं। ये इन पर लागू होंगे: (i) भारत में वस्तु या सेवाएं प्रदान करने वाले सभी प्लेटफ़ॉर्म, (ii) विज्ञापनदाता, और (iii) विक्रेता। उपभोक्ता संरक्षण एक्ट, 2019 के तहत स्थापित सीसीपीए डार्क पैटर्न की व्याख्या से संबंधित अस्पष्टताओं या विवादों को निपटाने के लिए जिम्मेदार होगा।[31] एक्ट के तहत, सीसीपीए के निर्देशों का पालन करने में विफलता पर छह महीने तक की कैद, 20 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
डार्क पैटर्न के प्रकार: दिशानिर्देश विभिन्न डार्क पैटर्न को परिभाषित करते हैं। कुछ प्रमुख पैटर्न निम्नलिखित तालिका में सूचीबद्ध हैं।
तालिका 3 : डार्क पैटर्न के कुछ उदाहरण
पैटर्न |
विवरण |
उदाहरण |
झूठी तात्कालिता (फॉल्स अरजेंसी) |
किसी उत्पाद/सेवा की अत्यावश्यकता या कमी की भावना को गलत तरीके से बताना या लागू करना |
उपयोगकर्ताओं के एक सीमित समूह के लिए किसी बिक्री को 'एक्सक्लूसिव' के रूप में गलत तरीके से वर्णित करना |
शर्मसार करना (कंफर्म शेमिंग) |
उपभोक्ता के मन में डर, शर्म, अपराधबोध या उपहास की भावना पैदा करने के लिए किसी वाक्यांश, वीडियो, ऑडियो या किसी अन्य माध्यम का उपयोग करना |
अगर उपयोगकर्ता कार्ट में बीमा नहीं जोड़ता है तो फ्लाइट टिकट बुक करने के लिए एक प्लेटफॉर्म पर 'मैं असुरक्षित रहूंगा' वाक्यांश का उपयोग किया जाता है |
पेचीदा सवाल (ट्रिक क्वेश्चन) |
किसी उपयोगकर्ता को वांछित कार्रवाई करने से गुमराह करने के लिए जानबूझकर भ्रमित करने वाली या अस्पष्ट भाषा का उपयोग करना |
अपडेट सेवा को बंद करने के लिए 'हां, मैं अपडेट प्राप्त करना चाहूंगा' और 'अभी नहीं' जैसे भ्रमित करने वाले विकल्प प्रदान किए जाते हैं |
स्रोत: डार्क पैटर्न की रोकथाम और रेगुलेशन पर दिशानिर्देश, 2023; पीआरएस।
कानून एवं न्याय
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
कैबिनेट ने फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की योजना को तीन साल तक जारी रखने को मंजूरी दी
कैबिनेट ने फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) के लिए केंद्र प्रायोजित योजना को मार्च 2026 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी है।[32] अगले तीन वर्षों में इस योजना का कुल परिव्यय 1,952 करोड़ रुपए होगा, जिसमें केंद्र का हिस्सा 1,207 करोड़ रुपए और राज्य का हिस्सा 745 करोड़ रुपए होगा। केंद्रीय हिस्सेदारी निर्भया फंड से दी जाएगी।
यौन अपराधों के पीड़ितों को डेडिकेटेड कोर्ट मशीनरी देने के लिए एफटीएससी को लागू किया गया था। योजना अक्टूबर 2019 में शुरू हुई और मार्च 2023 तक बढ़ा दी गई।32 योजना के अपेक्षित परिणामों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मामलों का बोझ कम होना, (ii) यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण एक्ट, 2012 के तहत बलात्कार और अपराधों के लंबित मामलों में उल्लेखनीय कमी आना, और (iii) त्वरित सुनवाई के माध्यम से यौन अपराधों के पीड़ितों के लिए त्वरित न्याय तक पहुंच।
आदिवासी मामले
Alaya Purewal (alaya@prsindia.org)
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान को कैबिनेट की मंजूरी
कैबिनेट ने 24,104 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) को मंजूरी दी है।[33] केंद्र का हिस्सा 15,336 करोड़ रुपए होगा, जबकि राज्य का हिस्सा 8,768 करोड़ रुपए होगा। पीएम जनमन का उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करना है। 2011 की जनगणना के आधार पर भारत में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 10.5 करोड़ है, जिसमें 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 75 समुदायों को पीवीटीजी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पीएम-जनमन का उद्देश्य पीवीटीजी के लिए सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, सड़क कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसर जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करना है।
पीएम-जनमन में 11 महत्वपूर्ण पहलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सड़कों को कनेक्ट करना, (ii) पक्के घरों का प्रावधान, (iii) पाइप और सामुदायिक जल आपूर्ति, (iv) व्यावसायिक शिक्षा, और (v) छात्रावासों का निर्माण।
पर्यावरण
वन (संरक्षण एवं संवर्धन) नियम, 2023 अधिसूचित
Mandvi Gaur (mandvi@prsindia.org)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन (संरक्षण एवं संवर्धन) नियम, 2023 को अधिसूचित किया है।[34] ये नियम वन (संरक्षण) नियम, 2022 की जगह लेते हैं।[35] नियमों को वन (संरक्षण एवं संवर्धन) एक्ट, 1980 (यानी, वन संरक्षण एक्ट, 1980) के तहत अधिसूचित किया गया है।[36],[37] एक्ट जंगलों के डी-रिजर्वेशन या कुछ गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग को प्रतिबंधित करता है। ऐसे प्रतिबंध केंद्र सरकार की पूर्वानुमति से हटाए जा सकते हैं। 2023 नियम केंद्र सरकार द्वारा परियोजनाओं की मंजूरी, प्रतिपूरक वनरोपण और अपराधों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए प्रक्रिया और समयसीमा निर्दिष्ट करते हैं। नियमों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
सैद्धांतिक मंजूरी की प्रक्रिया: केंद्र सरकार दो चरणों में मंजूरी प्रदान करेगी: (i) सैद्धांतिक मंजूरी, और (ii) अंतिम मंजूरी। यह कुछ प्रकार की परियोजनाओं के लिए सैद्धांतिक मंजूरी के लिए क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करेगी। इनमें शामिल हैं: (i) लीनियर परियोजनाएं, (ii) कुछ अन्य शर्तों के अधीन 25 मेगावाट क्षमता तक की पनबिजली परियोजनाएं, और (iii) 40 हेक्टेयर तक वन भूमि। कुछ अन्य प्रकार की परियोजनाओं के लिए सैद्धांतिक मंजूरी केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) खनन, (ii) डी-रिजर्वेशन, (iii) 25 मेगावाट क्षमता से अधिक की जल-विद्युत ऊर्जा परियोजनाएं, और (iv) अतिक्रमण का नियमितीकरण। केंद्र सरकार इस उद्देश्य के लिए एक सलाहकार समिति का गठन करेगी। समिति की अध्यक्षता वन महानिदेशक करेंगे। इसके सदस्यों में अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल होंगे।
अंतिम मंजूरी: केंद्र सरकार राज्य सरकार से अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद अंतिम मंजूरी प्रदान करेगी। रिपोर्ट प्रतिपूरक वनरोपण निधि एक्ट, 2016 के तहत प्रतिपूरक वनरोपण के लिए प्रतिपूरक लेवी के भुगतान और भूमि प्रदान करना सुनिश्चित करेगी।[38]
अपराधों के खिलाफ कार्यवाही: न्यायालय में एक्ट के उल्लंघन की शिकायत दर्ज करने के लिए, केंद्र सरकार प्रभागीय वन अधिकारी, या राज्य सरकार के उप वन संरक्षक और उससे उच्च के स्तर के एक अधिकारी को अधिकृत कर सकती है।
वन भूमि संबंधी छूट देने के लिए दिशानिर्देश जारी
Mandvi Gaur (mandvi@prsindia.org)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उस भूमि को निर्दिष्ट करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जिन्हें वन (संरक्षण एवं संवर्धन) एक्ट, 1980 (यानी, वन (संरक्षण) एक्ट, 1980) के दायरे से छूट दी जाएगी। कानून वन भूमि के संरक्षण का प्रावधान करता है। कुछ श्रेणियों की भूमि को छूट देने के लिए कानून में 2023 में संशोधन किया गया है।[39],[40],[41] दिशानिर्देश ऐसी छूट लागू करने के लिए शर्तों को निर्दिष्ट करते हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
सुरक्षा संबंधी छूट: एक्ट निर्दिष्ट करता है कि कुछ प्रकार की भूमि को सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर या सार्वजनिक उपयोगिता परियोजनाओं के निर्माण के लिए कानून से छूट दी जा सकती है। दिशानिर्देश निर्दिष्ट करते हैं कि विशेष रूप से केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित वामपंथी अतिवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों के लिए इस छूट पर विचार किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक लीनियर परियोजनाओं के लिए छूट केवल इस प्रकार अधिसूचित क्षेत्रों में ही दी जाती है। केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश के परामर्श से ऐसे क्षेत्रों को रणनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित करेगी।
वामपंथी अतिवादी क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए छूट: एक्ट वामपंथी अतिवाद प्रभावित क्षेत्रों में सार्वजनिक उपयोगिता परियोजनाओं के निर्माण के लिए निर्दिष्ट वन भूमि को छूट देता है। दिशानिर्देश सार्वजनिक उपयोगिता परियोजनाओं को स्कूलों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों जैसी 12 परियोजनाओं तक सीमित करते हैं।
परियोजना प्रस्तावों की जांच के लिए शर्तें: राज्य सरकार को परियोजना प्रस्तावों की जांच के लिए निम्नलिखित मानदंडों पर विचार करना चाहिए: (i) वन भूमि का उपयोग साइट-विशिष्ट उपयोग के लिए है, न कि कृषि, कार्यालय या आवासीय उद्देश्यों के लिए, (ii) अन्य सभी विकल्पों पर विचार किया गया है और कोई अन्य विकल्प संभव नहीं है, (iii) कम से कम इतने क्षेत्र की आवश्यकता है, (iv) वन भूमि को दूसरे उपयोग के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों पर अधिकारियों ने विचार किया है, (v) यूज़र एजेंसी ने प्रतिपूरक वनरोपण के लिए भूमि और लागत प्रदान करने का काम किया है, और (vi) राष्ट्रीय वन नीति का अनुपालन।
वन (संरक्षण) एक्ट, 1980 में 2023 के संशोधनों पर पीआरएस विश्लेषण के लिए कृपया यहां देखें।
वन भूमि में सर्वेक्षण हेतु शर्तें अधिसूचित
Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन संरक्षण एक्ट, 1980 के तहत एक आदेश को अधिसूचित किया।[42],[43],[44] यह आदेश वन भूमि के सर्वेक्षण के लिए नियम और शर्तों को निर्दिष्ट करता है। कुछ शर्तों को पूरा करने वाले टोही (रीकानसन्स), पूर्वेक्षण (प्रॉस्पेक्टिंग), जांच या अन्वेषण (एक्सप्लोरेशन) जैसे सर्वेक्षणों को 'गैर-वन उद्देश्य सर्वेक्षण' से बाहर रखा जाएगा। आदेश की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
गैर-वन उद्देश्यों से सर्वेक्षणों को बाहर करने की शर्तें: एक्ट के तहत, गैर-वन उद्देश्य का तात्पर्य पुनर्वनीकरण के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए वन भूमि के किसी भी हिस्से को तोड़ने या साफ करने से है। आदेश के अनुसार, निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करने वाले पेट्रोलियम खनन सर्वेक्षणों की भूकंपीय, खनन और खोजपूर्ण ड्रिलिंग को गैर-वन उद्देश्यों से बाहर रखा जाएगा। निर्दिष्ट शर्तों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) वनों की कटाई या वन भूमि को तोड़ने पर रोक, (ii) एक निर्दिष्ट सीमा तक बोर होल और खाई खोदना, और (iii) ड्रिलिंग जिसके परिणामस्वरूप वन भूमि या हाइड्रोकार्बन के उत्पादन में स्थायी परिवर्तन नहीं होता है।
सर्वेक्षण के मानदंड: सर्वेक्षण गतिविधियां अस्थायी रूप से की जानी चाहिए, और भूमि उपयोग में स्थायी परिवर्तन निषिद्ध है। सर्वेक्षण पूरा करने के बाद वन भूमि को पुनः प्राप्त किया जाएगा और उसे उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाएगा। जंगलों में मशीनरी और सामग्री के परिवहन के लिए नई सड़कें बनाना प्रतिबंधित है।
राष्ट्रीय उद्यानों, बाघ अभ्यारण्यों और वन्यजीव अभयारण्यों जैसे संरक्षित क्षेत्रों में खनिज खनन सर्वेक्षण निषिद्ध है। ऐसे क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के सर्वेक्षण के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति या केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
क्षति के लिए मुआवजा: सर्वेक्षण से होने वाली क्षति जैसे कि गिरे हुए पेड़ या खोदे गए गड्ढों की भरपाई वनीकरण के माध्यम से की जानी चाहिए। उदाहरण के लिए, यूज़र एजेंसियों को खोदे गए प्रत्येक बोर होल के लिए 100 पेड़ों और 10 वर्षों तक पौधों की रखरखाव लागत का भुगतान करना होगा। ये धनराशि राज्य प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण को प्रदान की जाएगी।
सर्वेक्षण पूरा करने की समय सीमा: यूज़र एजेंसियों को दो साल के भीतर सर्वेक्षण शुरू और पूरा करना होगा। अगर इस अवधि के दौरान कोई कार्य नहीं किया जाता है, तो प्राप्त मंजूरी खारिज कर दी जाएगी और वन भूमि का कब्जा स्थानीय वन विभाग द्वारा ले लिया जाएगा।
जल शोधन प्रणालियों से उत्पन्न कचरे को रेगुलेट करने के नियम अधिसूचित
Mandvi Gaur (mandvi@prsindia.org)
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जल शोधन प्रणाली (उपयोग का रेगुलेशन) नियम, 2023 को अधिसूचित किया है।[45] नियमों को पर्यावरण संरक्षण एक्ट, 1986 के तहत तैयार किया गया है।[46] नियम जल शोधन प्रणालियों से उत्पन्न कचरे को रेगुलेट करने का प्रयास करते हैं। संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या केंद्र शासित प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण समिति इन नियमों के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होगी। नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
सीपीसीबी के दिशानिर्देश: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीबीसीबी) जल शोधन प्रणालियों से निकलने वाले गंदे पानी और वस्तुओं के बंदोबस्त के संबंध में दिशानिर्देश जारी करेगा। इन वस्तुओं में इकाई की टूट-फूट और क्षति से निकलने वाले तत्व शामिल हैं। घरेलू और व्यावसायिक, दोनों जल शोधन प्रणालियों को इन दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
घरेलू उपयोग वाली शोधन प्रणाली पर मानक चिह्न होना चाहिए: घरेलू जल शोधन प्रणाली के निर्माता को भारतीय मानक ब्यूरो से मानक चिह्न और प्रमाणीकरण प्राप्त करना होगा। घरेलू प्रणालियों में निर्माताओं या आयातकों के विवरण, लाइसेंस संख्या और उत्पन्न अपशिष्ट जल सहित जानकारी के साथ एक समरूपता सूचक पत्र यानी कनफर्मेंस लेबल भी होना चाहिए। प्लास्टिक कचरे, ई-कचरे और खतरनाक कचरे के प्रबंधन से संबंधित मौजूदा नियम घरेलू प्रणालियों से निकलने वाले तत्वों पर भी लागू होंगे। इन नियमों में कचरे को इकट्ठा करने, परिवहन, निपटान और रीसाइकिलिंग की जिम्मेदारी शामिल है।
वाणिज्यिक शोधन प्रणालियों के निर्माताओं के दायित्व: नोडल एजेंसी प्लास्टिक कचरे और ई-कचरे के प्रबंधन पर नियमों के तहत वाणिज्यिक जल शोधन प्रणालियों के निर्माताओं और आयातकों को पंजीकृत करेगी।
वाणिज्यिक शोधन प्रणालियों के उपयोगकर्ताओं के दायित्व: वाणिज्यिक प्रणालियों के उपयोगकर्ताओं को नोडल एजेंसी से पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। मौजूदा उपयोगकर्ताओं को भी नोडल एजेंसी से संचालन के लिए सहमति लेनी होगी। नियमों की अधिसूचना के छह महीने के भीतर स्वीकृति प्राप्त की जानी चाहिए। उपयोगकर्ताओं को जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) एक्ट, 1974 के प्रावधानों का भी पालन करना होगा।[47] इनमें निम्नलिखित जिम्मेदारियां शामिल है: (i) संयंत्र स्थापित करने से पहले अनुमति प्राप्त करना, (ii) सीवेज को बहाने के लिए किसी भी नए आउटलेट की जानकारी देना, और (iii) निरीक्षण के लिए सीपीसीबी के साथ सहयोग करना।
खनन
Mandvi Gaur (mandvi@prsindia.org)
स्टार्टअप और एमएसएमई को खनन क्षेत्र में आरएंडडी हेतु मदद के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित
खान मंत्रालय ने 'खनन, खनिज प्रसंस्करण, मैटेलर्जी और रीसाइकिलिंग सेक्टर में स्टार्टअप और एमएसएमई में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा' देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।[48] ये दिशानिर्देश प्रौद्योगिकी विकास के प्रारंभिक चरणों के लिए खनन और धातु उद्योग में स्टार्टअप और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
एप्लिकेबिलिटी: निर्दिष्ट क्षेत्रों में स्टार्टअप और एमएसएमई अनुदान के रूप में दो करोड़ रुपए तक प्राप्त करने के पात्र होंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) दुर्लभ खनिजों की खोज, (ii) भूमि और गहरे समुद्र में खनिज अन्वेषण के लिए प्रौद्योगिकियां, (iii) सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए खनन विधियों में सुधार, (iv) खदान अपशिष्ट और प्लांट टेलिंग से मूल्य वर्धित उत्पाद निकालना, और (v) पर्यावरणीय स्थिरता और रीसाइकिल्ड सामग्रियों का उपयोग। अनुसंधान में मदद देने के लिए अनुदान उपलब्ध होगा जिसे व्यावहारिक प्रौद्योगिकियों और उत्पादों हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है। अनुदान उन परियोजनाओं को प्रदान किया जाएगा जो कम से कम फ्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट स्तर तक पहुंच गई हैं। अनुदान को अनुसंधान एवं विकास, प्रोटोटाइपिंग, परीक्षण और व्यावसायीकरण पर खर्च किया जा सकता है। निर्दिष्ट क्षेत्रों में स्टार्टअप की मदद करने वाले इन्क्यूबेशन सेंटर्स 10 करोड़ रुपए तक के अनुदान के लिए पात्र होंगे।
कार्यान्वयन: कार्यान्वयन की निगरानी खान मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा की जाएगी। अन्य सदस्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पृथ्वी विज्ञान, और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के सचिव, (ii) भारतीय खान ब्यूरो के महानियंत्रक, (iii) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के महानिदेशक, और (iv) शिक्षाविदों के प्रतिनिधि। लाभार्थियों का चयन करने और अनुदान जारी करने की सिफारिश करने के लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में शैक्षणिक संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रतिनिधि और खनन क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होंगे।
अन्वेषण लाइसेंस से संबंधित खनन नियमों में संशोधन पर टिप्पणियां आमंत्रित
खान मंत्रालय ने खान और खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 1957 के तहत बनाए गए नियमों में ड्राफ्ट संशोधनों पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[49],[50] इनमें निम्नलिखित से संबंधित नियम शामिल हैं: (i) खनिज ब्लॉकों की नीलामी, (ii) खनिज कनसेशंस प्रदान करना, और (iii) खनन क्षेत्र का संरक्षण एवं विकास।[51] प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य अन्वेषण लाइसेंस पर प्रावधानों के कार्यान्वयन का प्रावधान करना है।
निर्दिष्ट महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस शुरू करने हेतु अगस्त 2023 में 1957 के कानून में संशोधन किया गया था।[52] इनमें लिथियम, सोना, चांदी, निकल और कोबाल्ट शामिल हैं। अन्वेषण लाइसेंस निम्नलिखित की अनुमति देता है: (i) रीकानसन्स, यानी, खनिज संसाधनों को निर्धारित करने के लिए एक प्रारंभिक सर्वेक्षण, और (ii) प्रॉस्पेक्टिंग, जिसमें खनिज भंडार की खोज, पता लगाना या साबित करना शामिल है। ड्राफ्ट संशोधन की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
अन्वेषण के लिए ब्लॉकों की पहचान: राज्य सरकार अन्वेषण के लिए ब्लॉकों की पहचान और अनुशंसा करने के लिए एक समिति बनाएगी। राज्य के खनन एवं भूविज्ञान सचिव समिति की अध्यक्षता करेंगे। ब्लॉकों को अधिसूचित करने से पहले राज्य सरकार को केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी।
नीलामी प्रक्रिया: अधिसूचित ब्लॉक के लिए अन्वेषण लाइसेंस प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार एक अधिकतम कीमत निर्दिष्ट करेगी, जो उस ब्लॉक के लिए खनन पट्टे के भावी धारक द्वारा देय नीलामी प्रीमियम में अधिकतम प्रतिशत हिस्सेदारी के संदर्भ में होगी। अधिकतम कीमत 25% से कम निर्धारित नहीं की जानी चाहिए। लाइसेंस अधिकतम मूल्य से नीचे उद्धृत न्यूनतम प्रतिशत वाले को प्रदान किया जाएगा।
लाइसेंसधारी के दायित्व: लाइसेंसधारी को लाइसेंस प्राप्त करने के 90 दिनों के भीतर अन्वेषण के लिए एक योजना प्रस्तुत करनी होगी। योजना में यह रेखांकित किया जाना चाहिए कि वे निर्दिष्ट क्षेत्र में अन्वेषण कैसे करना चाहते हैं। यदि वे आगे की खोज के लिए कोई क्षेत्र रखते हैं, तो उन्हें तीन साल के बाद एक संशोधित योजना प्रस्तुत करनी होगी। लाइसेंसधारी को अर्धवार्षिक प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी। लाइसेंसधारी को अन्वेषण से संबंधित जानकारी या निष्कर्ष का खुलासा करने से प्रतिबंधित किया जाएगा। नियमों के तहत निर्दिष्ट सरकार और अधिकारियों के अलावा अन्य व्यक्तियों को किसी भी खुलासे के लिए केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
13 दिसंबर, 2023 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
सड़क एवं परिवहन
Priyadarshini Jain (priyadarshini@prsindia.org)
केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में ड्राफ्ट संशोधन पर टिप्पणियां आमंत्रित
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[53],[54] नियम मोटर वाहन एक्ट, 1988 के तहत तैयार किए गए हैं।[55] एक्ट केंद्र सरकार को ऑटोमेटेड टेस्ट स्टेशनों को मान्यता देने और उन्हें रेगुलेट करने का अधिकार देता है। ये स्टेशन परिवहन वाहनों का फिटनेस टेस्ट करते हैं। ड्राफ्ट संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
ऑपरेटरों के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र हस्तांतरणीय होंगे: नियमों के तहत ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों को संचालन शुरू करने के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। प्रमाणपत्र अहस्तांतरणीय है। ड्राफ्ट संशोधन प्रमाणपत्र जारी होने की तारीख से छह महीने के बाद हस्तांतरण की अनुमति देते हैं।
टेस्टिंग स्टेशन खोलने की पात्रता: नियमों के तहत, ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों के मालिकों या संचालकों के पास कम से कम तीन करोड़ रुपए की कुल संपत्ति होनी चाहिए। ड्राफ्ट संशोधन इस शर्त को को हटाते हैं।
वाहनों की री-टेस्टिंग: वर्तमान में अगर कोई वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल होता है तो उसका मालिक शुरुआती टेस्ट के 30 दिनों के भीतर फिर से टेस्ट के लिए आवेदन दे सकता है। ड्राफ्ट संशोधन इस समय सीमा को 180 दिनों तक बढ़ाते हैं जिससे इस समय सीमा के भीतर कई बार दोबारा टेस्टिंग की जा सकती है।
टेस्टिंग के परिणामों के खिलाफ अपील करने के लिए अपीलीय अथॉरिटी को हटाना: नियम टेस्टिंग के परिणामों से उत्पन्न होने वाली शिकायतों के समाधान के लिए एक अपीलीय अथॉरिटी का प्रावधान करते हैं। अथॉरिटी में एक अधिकारी होता है, जो कम से कम क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी स्तर का होना चाहिए। ड्राफ्ट संशोधन अपीलीय अथॉरिटी के प्रावधान को हटाते हैं। इसके बजाय वे क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को स्टेशन के कुशल संचालन और टेस्टिंग के परिणामों की ईमानदारी सुनिश्चित करने का प्रावधान करते हैं।
हल्के मोटर वाहन के लिए आवेदन: हल्के, मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों की टेस्टिंग के लिए नियम प्रदान किए गए। ड्राफ्ट संशोधनों में हल्के मोटर वाहनों को भी इसमें शामिल किया गया है।
टेस्टिंग स्टेशनों को वाहन स्क्रैपिंग नहीं करनी चाहिए: वाहन फिटनेस टेस्ट करने के लिए ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों की आवश्यकता होती है। उन्हें मरम्मत, निर्माण या बिक्री से संबंधित सेवाएं देने से प्रतिबंधित किया गया है। ड्राफ्ट संशोधनों में कहा गया है कि इन स्टेशनों को किसी भी प्रकार की वाहन स्क्रैपिंग सेवाएं प्रदान करने से भी प्रतिबंधित किया जाएगा।
3 दिसंबर, 2023 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
[1] Press Note on Estimates of Gross Domestic Product for the Second Quarter (July-September) 2023-24, Ministry of Statistics and Programme Implementation, November 30, 2023, https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/press_release/NAD_PR_Q2_30112023.pdf.
[2] “India's IIP Grows by 5.8 Per Cent in September 2023”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, November 10, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1976207.
[3] Report No. 246, The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023, Standing Committee on Home Affairs, Rajya Sabha, November 10, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/SC_Report_Bharatiya_Nyaya_Sanhita_2023.pdf
[4] Report No. 247, The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023, Standing Committee on Home Affairs, Rajya Sabha, November 10, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/SC_Report_Bharatiya_Nagarik_Suraksha_Sanhita_2023.pdf
[5] Report No. 248, The Bharatiya Sakshya Bill, 2023, Standing Committee on Home Affairs, Rajya Sabha, November 10, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/SC_Report_Bharatiya_Sakshya_Bill_2023.pdf
[6] The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023, as introduced in Lok Sabha on August 11, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Bharatiya_Nyaya_Sanhita,_2023.pdf.
[7] The Indian Penal Code, 1860, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2263/1/aA1860-45.pdf.
[8] The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023, as introduced in Lok Sabha on August 11, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Bharatiya_Nagarik_Suraksha_Sanhita,_2023.pdf.
[9] The Code of Criminal Procedure, 1973, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15272/1/the_code_of_criminal_procedure%2C_1973.pdf.
[10] The Bharatiya Sakshya Bill, 2023, as introduced in Lok Sabha on August 11, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/BHARATIYA_SAKSHYA_BILL,%202023.pdf.
[11] The Indian Evidence Act, 1872, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15351/1/iea_1872.pdf.
[12] The Model Prisons Act, 2023, Ministry of Home Affairs, https://www.mha.gov.in/sites/default/files/advisory_10112023.pdf.
[13] Entry 4, List II, Seventh Schedule, The Constitution of India.
[14] The Prisons Act, 1894, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/18475/1/prisons_act_1894.pdf.
[15] The Prisoners Act, 1900, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/14992/1/the_prisoners_act_1900.pdf.
[16] “Cabinet approves Terms of Reference for Sixteenth Finance Commission”, Press Information Bureau, Union Cabinet, November 29, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1980688.
[17] Regulatory measures towards consumer credit and bank credit to NBFCs, Reserve Bank of India, November 16, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/REGULATORYMEASURES8785E7886A044B678FB8AF2C6C051807.PDF.
[18] Master Direction on Information Technology Governance, Risk, Controls and Assurance Practices, Reserve Bank of India, November 7, 2023, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/107MDITGOVERNANCE3303572008604C67AC25B84292D85567.PDF.
[19] Press Release No. 27 of 2023, SEBI, November 25, 2023, https://www.sebi.gov.in/media-and-notifications/press-releases/nov-2023/sebi-board-meeting_79337.html.
[20] “Free Foodgrains for 81.35 crore beneficiaries for five years: Cabinet Decision”, Union Cabinet, Press Information Bureau, November 29, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1980686.
[21] Unstarred Question 1994, Rajya Sabha, December 23, 2022, https://pqars.nic.in/annex/258/AU1994.pdf.
[22] Unstarred Question Number 1833, Rajya Sabha, August 4, 2023, https://sansad.in/getFile/annex/260/AU1833.pdf?source=pqars
[23] “Free foodgrains to 81.35 crore beneficiaries under National Food Security Act: Cabinet Decision”, Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution, Press Information Bureau, December 23, 2022, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1886215.
[24] Draft Broadcasting Services (Regulation) Bill, 2023, Ministry of Information and Broadcasting, November 10, 2023, https://mib.gov.in/sites/default/files/Public%20Notice_0.pdf.
[25] Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15345/1/the_cable_television_networks_%28regulation%29.pdf.
[26] AD(NM)/Digital Policy/2023/NM, Ministry of Information and Broadcasting, November 9, 2023, https://cbcindia.gov.in/cbc/public/uploads/website_advisory/1699597723-1217-advisoryFile.pdf.
[27] The University Grants Commission (Setting up and Operation of Foreign Higher Educational Institutions in India) Regulations, 2023, University Grants Commission, https://www.ugc.gov.in/pdfnews/Setting%20up%20and%20Operation%20of%20Campuses%20of%20Foreign%20Higher%20Educational%20Institutions%20in%20India.pdf.
[28] Draft National Pharmacy Commission Bill, 2023, Ministry of Health and Family Welfare, November 10, 2023, https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/Public%20notice%20Draft%20National%20Pharmacy%20Commission%20Bill.pdf.
[29] Pharmacy Act, 1948, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1364/1/a1948-08.pdf
[30] CG-DL-E-30112023-250339, Guidelines for Prevention and Regulation of Dark Patterns, 2023, Central Consumer Protection Authority, November 30, 2023, https://egazette.gov.in/(S(5o2k3hl0cm5vmbw5z4ptwv1o))/ViewPDF.aspx.
[31] The Consumer Protection Act, 2019, August 9, 2023, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15256/1/a2019- 35.pdf.
[32] ‘Cabinet approves continuation of Centrally Sponsored Scheme for Fast Track Special Courts for further three years’, Press Information Bureau, Cabinet, November 29, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1980685.
[33] ‘Cabinet approves Pradhan Mantri Janjati Adivasi Nyaya Maha Abhiyan’, Press Information Bureau, Ministry of Tribal Affairs, November 29, 2023, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1980692.
[34] G.S.R. 869 (E), The Gazette of India, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, November 29, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/250333.pdf.
[35] G.S.R. 480 (E), The Forest (Conservation) Rules, 2022, The Gazette of India, Ministry of Environment, Forest, and Climate Change, June 28, 2022, https://parivesh.nic.in/writereaddata/FCRule2022Notificationdated28062022.pdf.
[36] The Forest Conservation Act, 1980, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1760/1/forestAA1980.pdf.
[37] The Forest Conservation (Amendment) Act, 2023, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Forest_(Conservation)_Amendment_Act_2023.pdf.
[38] The Compensatory Afforestation Fund Act, 2016, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2015/CAMPA_act,_2016_1.pdf.
[39] S.O. 5074 (E), Ministry of Environment, Forest and Climate Change, The Gazette of India, November 29, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/250312.pdf.
[40] The Forest (Conservation) Act, 1980,https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1760/1/forestAA1980.pdf.
[41] The Forest (Conservation) Amendment Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/247866.pdf.
[42] “Terms and Conditions for Surveys on Forest Lands”, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, November 30, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/250313.pdf
[43] “The Forest (Conservation Act), 1980”, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1760/1/forestAA1980.pdf
[44] “The Forest Conservation Amendment Act, 2023”, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2023/Forest_(Conservation)_Amendment_Act_2023.pdf
[45] The Water Purification System (Regulation of Use) Rules, 2023, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, November 10, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/250019.pdf.
[46] The Environment (Protection) Act, 1986, https://cpcb.nic.in/displaypdf.php?id=aG9tZS9lcGEvZXByb3RlY3RfYWN0XzE5ODYucGRm.
[47] The Water (Prevention and Control of Pollution) Act, 1974, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15429/1/the_water_%28prevention_and_control_of_pollution%29_act%2C_1974.pdf.
[48] The Guidelines for Promotion of Research and Innovation in Startups and MSMEs in Mining, Mineral Processing, Metallurgy and Recycling Sector (S&T-PRISM), Ministry of Mines, November 13, 2023, https://mines.gov.in/admin/storage/app/uploads/655212bdb9e5b1699877565.pdf.
[49] No. M.VI-1/3/2023-Mines VI, Ministry of Mines, November 13, 2023, https://mines.gov.in/admin/storage/app/uploads/655213f7d8ca21699877879.pdf.
[50] The Mines and Minerals (Development and Regulation) Act, 1957, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1421/3/A1957-67.pdf.
[51] The Mineral (Auction) Rules, 2015, https://ibm.gov.in/writereaddata/files/02032022162140Mineral_Auction_Rules_2015.pdf;
The Minerals (Other than Atomic and Hydro Carbons Energy Minerals) Concession Rules, 2016, https://ibm.gov.in/writereaddata/files/10202016094948MCR_2016_18092016%20from%20SKS.pdf; The Mineral Conservation and Development Rules, 2017, https://ibm.gov.in/writereaddata/files/02032022105704MCDR_2017.pdf; for a list of more recent amendments to these principal Rules, see here: https://mines.gov.in/webportal/rules.
[52] Section 9, The Mines and Minerals (Development and Regulation) Amendment Act, 2023,
[53] G.S.R. 815(E), Ministry of Road Transport and Highways, November 3, 2023, https://morth.nic.in/sites/default/files/circulars_document/GSR-815%28E%29-dt-03-11-2023.pdf.
[54] Central Motor Vehicles Rules, 1989, Ministry of Road Transport and Highway.
[55] Motor Vehicles Act, 1988, Ministry of Road Transport and Highways, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/9460/1/a1988-59.pdf.
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