इस अंक की झलकियां
शीतकालीन सत्र शुरू
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ। इस सत्र में 19 दिन बैठकें होनी हैं और सत्र 20 दिसंबर, 2024 को समाप्त होगा।
2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 5.4% की दर से बढ़ी
सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में सबसे अधिक वृद्धि (9.2%) दर्ज की गई, इसके बाद निर्माण (7.7%) का स्थान रहा। मैन्यूफैक्चरिंग में 2.2% की वृद्धि हुई। खनन क्षेत्र में संकुचन (-0.1%) दर्ज किया गया।
सर्वोच्च न्यायालय ने संपत्तियों के विध्वंस पर निर्देश जारी किए
विध्वंस पर निर्णय लेने से पहले, राज्य द्वारा नामित अधिकारियों को खुद को संतुष्ट करना होगा कि विध्वंस ही एकमात्र उपलब्ध विकल्प है। उसे प्रभावित पक्षों को कम से कम 15 दिन की पूर्व सूचना भी देनी होगी।
कानून मंत्रालय ने वाणिज्यिक न्यायालय एक्ट, 2015 में संशोधन करने वाला ड्राफ्ट बिल जारी किया
बिल आर्बिट्रेशन के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन करता है। अगर कोई पक्ष देरी को उचित ठहरा सकता है तो बिल के तहत आदेश के खिलाफ अपील करने की अवधि 30 दिनों तक बढ़ सकती है। किसी अन्य पक्ष को नोटिस जारी करने के बाद ही अपील दायर की जा सकती है।
लाभ का पद धारण वाले सांसदों से संबंधित कानून को बदलने के लिए ड्राफ्ट बिल जारी
ड्राफ्ट बिल उन पदों की सूची को हटाता है जिसके परिणामस्वरूप सांसदों को अयोग्य ठहराया जा सकता है। यह केंद्र सरकार को अयोग्यता से छूट प्राप्त पदों की सूची में संशोधन करने का अधिकार देता है।
कैबिनेट ने प्राकृतिक खेती के लिए राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी दी
इस योजना को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा। इसका लक्ष्य 2025-26 तक 2,481 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है।
कैबिनेट ने उच्च शिक्षा हेतु मेधावी विद्यार्थियों की मदद करने वाली योजना को मंजूरी दी
यह योजना उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को कोलेट्रल और गारंटर मुक्त ऋण प्रदान करेगी जिसमें ट्यूशन और अन्य खर्चें शामिल होंगे। लगभग 22 लाख विद्यार्थी और 860 संस्थान इस योजना के दायरे में आएंगे।
बीमा कानूनों में संशोधन के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
ड्राफ्ट संशोधन में एफडीआई की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी गई है। संशोधन बीमा कंपनियों को कई प्रकार के बीमा व्यवसाय में शामिल होने की अनुमति देते हैं, और विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाते हैं।
कोयला मंत्रालय ने कोयला धारक क्षेत्र कानून में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया
बिल कोयला खदानों के लिए आजीवन पट्टे का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में कानून के अनुसार मुआवजा और पुनर्वास तथा वैकल्पिक उपयोग के लिए भूमि का पुन: आवंटन शामिल है
संसद
Atri Prasad Rout (atri@prsindia.org)
शीतकालीन सत्र प्रारंभ
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ। सत्र में 19 दिन बैठकें होंगी और यह 20 दिसंबर, 2024 को समाप्त होगा।
11 बिल्स को विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इनमें बैंकिंग कानून (संशोधन) बिल, 2024, बॉयलर्स बिल, 2024, भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 और वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 शामिल हैं। हालांकि संसद ने वक्फ (संशोधन) बिल की जांच करने वाली ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमिटी का कार्यकाल बजट सत्र तक बढ़ा दिया है। शीतकालीन सत्र में पांच बिल्स को पेश, विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। ये हैं, मर्चेंट शिपिंग बिल, 2024, कोस्टल शिपिंग बिल, 2024, भारतीय बंदरगाह बिल, 2024, पंजाब न्यायालय (संशोधन) बिल, 2024 और राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय बिल, 2024।
शीतकालीन सत्र 2024 के दौरान विधायी कार्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया यहां देखें।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी 5.4% की दर से बढ़ी
2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारत की जीडीपी 5.4% की दर से बढ़ी। वृद्धि दर पिछले वर्ष की इसी तिमाही (8.1%) से कम थी।[1] 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी 6.7% बढ़ी।
रेखाचित्र 1: 2011-12 की स्थिर कीमतों पर जीडीपी की वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
जीडीपी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) होता है, जिसे करों और सबसिडी के लिए समायोजित किया जाता है। तिमाही के लिए जीवीए वर्ष-दर-वर्ष 5.6% बढ़ा। सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं ने 2024-25 की दूसरी तिमाही (9.2%) में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की, इसके बाद निर्माण (7.7%), और वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं (6.7%) का स्थान रहा। मैन्यूफैक्चरिंग में वृद्धि (2.2%) दर्ज की गई। खनन क्षेत्र में संकुचन (-0.1%) दर्ज किया गया।
तालिका 1: 2011-12 की स्थिर कीमतों पर विभिन्न क्षेत्रों में जीवीए में तिमाही वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)
क्षेत्र |
ति2 |
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2022-23 |
2023-24 |
2024-25 |
|
कृषि |
2.3% |
1.7% |
3.5% |
खनन |
-4.1% |
11.1% |
-0.1% |
मैन्यूफैक्चरिंग |
-7.2% |
14.3% |
2.2% |
बिजली |
6.4% |
10.5% |
3.3% |
निर्माण |
6.9% |
13.6% |
7.7% |
व्यापार |
13.2% |
4.5% |
6.0% |
वित्तीय सेवाएं |
8.7% |
6.2% |
6.7% |
लोक प्रशासन |
7.3% |
7.7% |
9.2% |
जीवीए |
5.0% |
7.7% |
5.6% |
जीडीपी |
5.5% |
8.1% |
5.4% |
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
2024-25 की दूसरी तिमाही में औद्योगिक उत्पादन 2.6% बढ़ा
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 2.6% बढ़ गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की वृद्धि (7.8%) से कम है।[2],[3] 2024-25 की पहली तिमाही में खनन क्षेत्र में 0.1% की गिरावट आई। 2023-24 की इसी तिमाही में खनन में 11.5% की वृद्धि हुई थी। 2024-25 की पहली तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग में 3.1% की वृद्धि हुई, जबकि बिजली में 1.4% की वृद्धि हुई। उल्लेखनीय कि आईआईपी की गणना में मैन्यूफैक्चरिंग (78%) का महत्व सबसे अधिक है, इसके बाद खनन (14%) और बिजली (8%) का स्थान आता है।
रेखाचित्र 2: आईआईपी में वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)
स्रोत: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।
कानून एवं न्याय
Anmol Kohli (anmol@prsindia.org)
सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों को ध्वस्त करने से संबंधित निर्देश जारी किए
सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नागरिकों की संपत्तियों को ध्वस्त करना, केवल इस कारण से कि वे किसी अपराध में शामिल हो सकते हैं, कानून के नियम के विपरीत है।[4] न्यायालय ने निर्देश भी जारी किए, जिनका संपत्तियों को ध्वस्त करने से पहले पालन किया जाना चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि विध्वंस पर निर्णय लेने से पहले, संबंधित प्राधिकारी (नगरपालिका निकाय या राज्य द्वारा नामित निकाय) को खुद को संतुष्ट करना होगा कि विध्वंस ही एकमात्र उपलब्ध विकल्प है। इसमें यह पहचान करना भी शामिल है कि कंपाउंडिंग और संपत्ति के आंशिक-विध्वंस जैसे विकल्प उपलब्ध नहीं हैं। प्रभावित पक्ष को कम से कम 15 दिन की पूर्व सूचना दी जानी चाहिए। नोटिस में अनाधिकृत निर्माण की प्रकृति और विध्वंस के लिए आधार निर्दिष्ट होना चाहिए।
हालांकि न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ये निर्देश सार्वजनिक स्थानों पर अनाधिकृत संरचनाओं पर लागू नहीं होंगे, या अगर किसी अदालत द्वारा विध्वंस का आदेश दिया गया हो।[5]
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, सरकारी संस्थाएं एकतरफा मध्यस्थों की नियुक्ति नहीं कर सकतीं
सर्वोच्च न्यायालय की पांच जजों की बेंच ने फैसला दिया कि सरकारी संस्थाएं और पीएसयू सार्वजनिक-निजी मध्यस्थता समझौतों में एकतरफा आर्बिट्रेटर्स की नियुक्ति नहीं कर सकते हैं। यह माना गया कि ऐसे खंड कानून के समक्ष समानता और समान सुरक्षा का उल्लंघन करते हैं (अनुच्छेद 14)।[6],[7]
न्यायालय ने निम्नलिखित की समीक्षा की कि क्या: (i) आर्बिट्रेटर्स की एकतरफा नियुक्ति कानूनी रूप से वैध है, (ii) ऐसी नियुक्ति संवैधानिक है, अगर सरकार द्वारा सार्वजनिक-निजी अनुबंध में की जाती है, और (iii) पक्षों के समान व्यवहार का सिद्धांत आर्बिट्रेटर की नियुक्ति तक विस्तारित है।
न्यायालय ने माना कि पक्षों के साथ समान व्यवहार का सिद्धांत आर्बिट्रेटर की नियुक्ति सहित आर्बिट्रेशन के सभी चरणों पर लागू होता है। उसने आगे कहा कि एक पक्ष को एकतरफा आर्बिट्रेटर नियुक्त करने की अनुमति देना आर्बिट्रेशन की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। यह दूसरे पक्ष को भी विवाद समाधान में समान रूप से भाग लेने से रोकता है।
कानून मंत्रालय ने वाणिज्यिक न्यायालय एक्ट, 2015 में संशोधन करने वाला ड्राफ्ट बिल जारी किया
कानून और न्याय मंत्रालय ने वाणिज्यिक न्यायालय (संशोधन) बिल, 2024 का ड्राफ्ट जारी किया।[8] यह वाणिज्यिक न्यायालय एक्ट में संशोधन करता है।[9] एक्ट जिला स्तर पर वाणिज्यिक अदालतों के गठन का प्रावधान करता है। बिल की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
आर्बिट्रेशन के लिए वाणिज्यिक अदालतें: ड्राफ्ट बिल विशेष रूप से आर्बिट्रेशन के मामलों की सुनवाई के लिए वाणिज्यिक अदालतों के गठन का प्रावधान करता है। वे इन मामलों की सुनवाई में जिला वाणिज्यिक अदालतों के क्षेत्राधिकार को प्रतिस्थापित करते हैं।
अपील: एक्ट के तहत वाणिज्यिक अदालतों या उच्च न्यायालयों के वाणिज्यिक प्रभागों के फैसलों के खिलाफ 60 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है। अगर कोई पक्ष देरी को उचित ठहराने के लिए पर्याप्त कारण प्रदान कर सकता है तो ड्राफ्ट बिल अपील की अवधि को 30 दिनों तक बढ़ाने की अनुमति देता है। इसमें कहा गया है कि किसी अन्य पक्ष को नोटिस जारी करने के बाद ही अपील दायर की जा सकती है।
निषेधाज्ञा: निषेधाज्ञा किसी पक्ष को कोई कार्रवाई करने या उसे कार्रवाई से रोकने का निर्देश देती है। बिल के ड्राफ्ट के तहत वाणिज्यिक अदालत को निषेधाज्ञा के आवेदन को 90 दिनों के भीतर निपटाना होगा।
इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन: ड्राफ्ट बिल कुछ प्रक्रियाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से करने की अनुमति देता है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अदालती कार्यवाही, (ii) अपील दायर करना, (iii) समन भेजना, और (iv) निर्णयों की इलेक्ट्रॉनिक प्रतियां।
लाभ के लिए पद धारण करने वाले सांसदों से संबंधित कानून को बदलने हेतु ड्राफ्ट बिल जारी
कानून एवं न्याय मंत्रालय ने संसद (अयोग्यता की रोकथाम) बिल, 2024 का ड्राफ्ट जारी किया।[10] ड्राफ्ट बिल संसद (अयोग्यता की रोकथाम) एक्ट, 1959 का स्थान लेने का प्रयास करता है।[11] संविधान के अनुसार अगर कोई सांसद या विधायक सरकार के अधीन लाभ के किसी पद पर है उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। ऐसा सिर्फ तभी नहीं होगा, जब उस पद को कानून के तहत छूट न दी गई हो।[12] धारक को वित्तीय लाभ देने वाले पद को लाभ का पद कहा जाता है।
1959 का एक्ट उन पदों को सूचीबद्ध करता है जिनके धारकों को सांसद के रूप में अयोग्य घोषित होने से छूट दी गई है। यह उन पदों को भी निर्दिष्ट करता है जिनके परिणामस्वरूप अयोग्यता हो सकती है। बिल के ड्राफ्ट की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पदों की सूची: एक्ट के तहत जिन पदों को अयोग्यता से छूट दी गई है, उनमें निम्न शामिल हैं: (i) मंत्री द्वारा धारित पद, (ii) विपक्ष के नेता और एक व्हिप का पद, और (iii) अनुसूचित जाति और जनजाति, महिला एवं अल्पसंख्यक के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष। बिल के ड्राफ्ट में विश्वविद्यालय की एक फैकेल्टी या वरिष्ठ सदस्य को सूची में जोड़ा गया है। इसमें उन पदों की भी सूची है जिनके सदस्यों को अयोग्यता से छूट दी गई है। एक्ट उन पदों को भी सूचीबद्ध करता है जिन्हें अयोग्यता से छूट नहीं हैं। ड्राफ्ट बिल इस सूची को हटाता है।
सूची में संशोधन की शक्ति: ड्राफ्ट बिल केंद्र सरकार को अयोग्यता से छूट प्राप्त पदों की सूची में संशोधन करने का अधिकार देता है।
अस्थायी निलंबन: एक्ट के तहत एक सांसद को अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा, अगर वह किसी ऐसे पद पर था जिसे एक्ट से पहले छूट प्राप्त थी, लेकिन बाद में इसे उलट दिया गया था। सांसद को छह महीने में ऐसे पद से इस्तीफा देना होगा। ड़्राफ्ट बिल इस प्रावधान को हटाता है।
कृषि
Shrusti Singh (shrusti@prsindia.org)
कैबिनेट ने प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन शुरू करने को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी दी है। 2025-26 तक इसका परिव्यय 2,481 करोड़ रुपए होगा।[13]
मिशन का उद्देश्य प्राकृतिक खेती के तरीकों जैसे रसायन मुक्त खेती, स्थानीय पशुधन तरीकों का उपयोग करके खेती और विविध फसल प्रणालियों को बढ़ावा देना है। 2024-25 और 2025-26 में यह योजना ग्राम पंचायतों के 15,000 समूहों में लागू की जाएगी। इस योजना का लक्ष्य एक करोड़ किसानों और 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करना है।
ऊर्जा
Nripendra Singh (nripendra@prsindia.org)
सीईआरसी ने कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के नियमों पर टिप्पणियां आमंत्रित कीं
केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग (सीईआरसी) ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के व्यापार पर ड्राफ्ट रेगुलेशन जारी किया है।[14] एक प्रमाणपत्र का अर्थ है, एक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना, हटाना या उससे बचना। ये रेगुलेशंस पावर एक्सचेंज पर कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के व्यापार पर लागू होंगे। प्रमाणपत्रों के आदान-प्रदान के लिए ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया रजिस्ट्री के रूप में काम करेगा। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) प्रमाणपत्रों का प्रबंधन करेगा। बीईई कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग के लिए विस्तृत कार्यान्वयन प्रक्रिया विकसित करेगा। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रमाणपत्रों का व्यापार: व्यापार के लिए दो अलग-अलग बाजार होंगे: (i) बाध्यकारी संस्थाओं के लिए अनुपालन बाजार, और (ii) गैर-बाध्यकारी संस्थाओं के लिए ऑफसेट बाजार। बाध्यकारी संस्थाएं ऐसी संस्थाएं होती हैं जिन्हें अपने उत्सर्जन को सीमित करना होता है, और अगर वे ऐसा नहीं कर पातीं तो उन्हें प्रमाणपत्र खरीदने पड़ते हैं। गैर-बाध्यकारी संस्थाएं उन संस्थाओं को कहा जाता है जो स्वैच्छिक आधार पर प्रमाणपत्र खरीद सकती हैं।
मूल्य निर्धारण: प्रमाणपत्रों की कीमत बोली के माध्यम से तय की जाएगी। यह सीईआरसी द्वारा अनुमोदित न्यूनतम और अधिकतम कीमत के अधीन होगा।
टिप्पणियां 15 दिसंबर, 2024 तक आमंत्रित हैं।
शिक्षा
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
कैबिनेट ने मेधावी विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मेधावी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आर्थिक सहायता देने वाली पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी दी है।[15] यह योजना अच्छे उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को कोलेट्रल और गारंटर मुक्त ऋण प्रदान करेगी, जिसमें ट्यूशन और अन्य खर्चे शामिल होंगे। 7.5 लाख रुपए तक के ऋण के लिए, बकाया राशि का 75% क्रेडिट गारंटी द्वारा कवर किया जाएगा। यह योजना निम्नलिखित में प्रवेश प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों पर लागू होगी: (i) प्रत्येक क्षेत्र में शीर्ष 100 संस्थान, (ii) राज्य सरकार के 101-200 रैंकिंग वाले संस्थान, और (iii) केंद्र सरकार के सभी संस्थान। रैंकिंग राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) पर आधारित होगी। इस योजना से 860 संस्थानों के लगभग 22 लाख विद्यार्थियों के लाभान्वित होने की उम्मीद है।
इसके अतिरिक्त यह योजना आठ लाख रुपए तक की पारिवारिक आय वाले विद्यार्थियों को 10 लाख रुपए तक के ऋण पर 3% की ब्याज छूट प्रदान करेगी। लाभार्थी किसी अन्य सरकारी छात्रवृत्ति या ब्याज सहायता योजना के तहत कवर नहीं होने चाहिए। हर साल एक लाख विद्यार्थियों को ब्याज में छूट दी जाएगी।
वित्त
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
बीमा कानूनों में संशोधन के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
वित्त मंत्रालय ने बीमा एक्ट, 1938, जीवन बीमा निगम एक्ट, 1956 और बीमा रेगुलेटरी और विकास प्राधिकरण एक्ट, 1999 में संशोधन के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[16],[17],[18],[19] 1938 का एक्ट भारत में बीमा व्यवसाय को रेगुलेट करता है जबकि अन्य दो कानून क्रमशः भारतीय जीवन बीमा निगम और भारतीय बीमा रेगुलेटरी और विकास प्राधिकरण की स्थापना करते हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
बीमा व्यवसाय: 1938 का एक्ट एक भारतीय बीमा कंपनी को एक इकाई के रूप में परिभाषित करता है जिसका उद्देश्य जीवन बीमा, सामान्य बीमा या स्वास्थ्य बीमा जैसे बीमा व्यवसाय के किसी एक वर्ग में संलग्न होना है। ड्राफ्ट संशोधन इस प्रावधान को हटाता है, और इस प्रकार बीमाकर्ताओं को कई प्रकार के बीमा व्यवसाय में संलग्न होने की अनुमति देता है।
विदेशी निवेश: ड्राफ्ट संशोधन भारतीय बीमा कंपनियों में 100% तक विदेशी निवेश की अनुमति देता है। वर्तमान में बीमा क्षेत्र में 74% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है।[20]
अन्य व्यवसाय जो बीमाकर्ता कर सकते हैं: ड्राफ्ट संशोधन बीमाकर्ताओं को बीमा के अलावा कुछ अन्य व्यवसायों में संलग्न होने की अनुमति देता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गारंटी और क्षतिपूर्ति, (ii) उस संपत्ति का प्रबंधन करना जिसे बीमाकर्ता दावों का निपटान करके प्राप्त कर सकता है, और (iii) कर्मचारियों के लाभ के लिए संघों, संस्थानों और ट्रस्टों की स्थापना करना।
पूंजी की आवश्यकता: 1938 का एक्ट बीमा व्यवसाय के विभिन्न वर्गों के लिए पूंजी की आवश्यकताएं प्रदान करता है। संशोधन में प्रावधान है कि बीमा व्यवसाय के एक से अधिक वर्ग में लगी संस्थाओं के लिए, आईआरडीएआई पूंजी आवश्यकताओं को निर्दिष्ट कर सकता है। यह व्यवसाय के प्रत्येक वर्ग को अलग-अलग चलाने के लिए आवश्यक पूंजी के योग से कम नहीं होना चाहिए। इसके अतिरिक्त आईआरडीएआई आवश्यक न्यूनतम पूंजी को भी घटाकर 50 करोड़ रुपए तक कर सकता है। यह रेगुलेशंस के माध्यम से निर्धारित वंचित या विशेष खंडों की सेवा करने वाले बीमाकर्ताओं के लिए किया जा सकता है।
कोयला
Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)
कोयला मंत्रालय ने कोयला भंडार क्षेत्रों पर ड्राफ्ट बिल जारी किया
कोयला मंत्रालय ने कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) एक्ट, 1957 में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया है।[21] यह एक्ट केंद्र सरकार द्वारा कोयला खनन के लिए भूमि के अधिग्रहण और विकास को रेगुलेट करता है। प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य एक्ट को आधुनिक बनाना, परिचालन स्पष्टता में सुधार करना और वर्तमान कानूनी ढांचे के अनुरूप करना है। ड्राफ्ट संशोधन की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
कोयला खदानों के लिए आजीवन पट्टे: मौजूदा एक्ट के तहत, खनन पट्टे की अवधि स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है। ड्राफ्ट संशोधन निर्दिष्ट करता है कि खनन पट्टे अब खदान के पूरे परिचालन जीवन के लिए वैध होंगे।
मुआवजा और पुनर्वास प्रावधान: वर्तमान एक्ट मुआवजे का प्रावधान करता है लेकिन पुनर्वास या पुनर्स्थापन के लिए व्यापक प्रावधानों का अभाव है। इसीलिए भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार एक्ट, 2013 के मुआवजा, पुनर्वास और पुनर्स्थापना संबंधी दिशानिर्देशों को इन ड्राफ्ट संशोधनों में शामिल किया गया है।
गैर अधिसूचित करना और वैकल्पिक भूमि उपयोग: एक्ट में उस भूमि को छोड़ने का प्रावधान नहीं है जिसकी अब कोयला खनन के लिए आवश्यकता नहीं है। ड्राफ्ट में ऐसी भूमि को गैर-अधिसूचित करने और इसे वैकल्पिक उपयोग के लिए पुन: आवंटित करने के लिए एक तंत्र का प्रस्ताव है।
अनुलग्नक
संसद ने अपनी कुछ विभागीय स्थायी समितियों का गठन किया है। समितियों द्वारा 2024-25 में समीक्षा के लिए चिन्हित विषय निम्नलिखित हैं। विभिन्न अन्य समितियों द्वारा चिन्हित विषयों पर विवरण के लिए, कृपया अगस्त और अक्टूबर 2024 का पीआरएस मंथली पॉलिसी रिव्यू देखें।
तालिका 2: विभागीय संबंधित स्थायी समितियों द्वारा समीक्षा के लिए चिन्हित विषय
ग्रामीण विकास और पंचायती राज |
ग्रामीण विकास विभाग
भू संसाधन विभाग
पंचायती राज मंत्रालय
|
उद्योग |
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
भारी उद्योग मंत्रालय
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कार्मिक, लोक शिकायत |
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग
प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग
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कानून एवं न्याय |
कानूनी मामलों का विभाग
न्याय विभाग
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वाणिज्य |
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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण |
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन |
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वित्त |
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[1] Press Note on Estimates of Gross Domestic Product for the Second Quarter (July-September) of 2024-25, National Statistics Office, Ministry of Statistics and Programme Implementation, November 29, 2024, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2024/nov/doc20241129461201.pdf.
[2] “India's Index of Industrial Production recorded growth of 3.1% in September 2024”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, November 12, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2072709.
[3] Statement I: Index of Industrial Production - Sectoral, Ministry of Statistics and Programme Implementation, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2023/may/doc2023512197401.pdf.
[4] Writ Petition (Civil) No. 295 of 2022, Supreme Court of India, 13 November 2024, https://www.sci.gov.in/wp-admin/admin-ajax.php?action=get_court_pdf&diary_no=122392022&type=j&order_date=2024-11-13&from=latest_judgements_order.
[5] Writ Petition (Civil) No. 295 of 2022, Interim Order, Supreme Court of India, 17 September 2024, https://api.sci.gov.in/supremecourt/2022/12239/12239_2022_3_61_55688_Order_17-Sep-2024.pdf.
[6] Civil Appeal Nos. 9486-9487 of 2019, Supreme Court of India, 8 November 2024, https://api.sci.gov.in/supremecourt/2019/28531/28531_2019_1_1502_57055_Judgement_08-Nov-2024.pdf.
[7] Article 14, Part 3, Constitution of India, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15240/1/constitution_of_india.pdf.
[8] Draft Commercial Courts (Amendment) Bill, 2024, https://legalaffairs.gov.in/sites/default/files/Final_Public_Notice.pdf.
[9] The Commercial Courts Act, 2015, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2156/1/a2016-04.pdf.
[10] Draft Parliament (Prevention of Disqualification) Bill, 2024, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s380537a945c7aaa788ccfcdf1b99b5d8f/uploads/2024/11/20241112518889495.pdf.
[11] The Parliament (Prevention of Disqualification) Act, 1959, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1368/1/a1959-10.pdf.
[12] Article 102, Part 5, Constitution of India.
[13] “Launch of National Mission on Natural Farming”, Press Information Bureau, Cabinet, November 25, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2077094.
[14] No RA-14026(13)/1/2024-CERC, Central Electricity Regulatory Commission, November 13, 2024, https://cercind.gov.in/2024/draft_reg/DN-PoCCC-2024.pdf.
[15] “Cabinet approves PM-Vidyalaxmi scheme to provide financial support to meritorious students so that financial constraints do not prevent any youth of India from pursuing quality higher education”, Ministry of Education, Press Information Bureau, November 6, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2071134.
[16] Inviting comments on proposed amendments to the Insurance Act, 1938, https://financialservices.gov.in/beta/sites/default/files/2024-11/OM.pdf.
[17] The Insurance Act, 1938, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2304/1/a1938-04.pdf.
[18] The Life Insurance Corporation Act, 1956, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1632/1/A1956-31.pdf.
[19] The Insurance Regulatory and Development Authority Act, 1999, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/1893/1/A1999_41.pdf.
[20] “Year End Review – 2021 for Department for Promotion of Industry & Internal Trade, Ministry of Commerce and Industry”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, December 29, 2021, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1786148.
[21] Draft Coal Bearing Areas (Acquisition and Development) Amendment Bill, 2024, https://coal.nic.in/sites/default/files/2024-11/26-11-2024b-wn.pdf.
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