इस अंक की झलकियां
आम चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून के बीच सात चरणों में
भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और चार राज्यों की विधानसभाओं के आम चुनावों का कार्यक्रम जारी कर दिया है। लोकसभा के लिए वोटों की गिनती 4 जून 2024 को होगी।
उच्च स्तरीय कमिटी ने एक साथ चुनाव कराने का सुझाव दिया
लोकसभा के अगले चुनाव के समय सभी राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों को एकमुश्त उपाय के रूप में भंग कर दिया जाना चाहिए। इसके बाद त्रिशंकु विधायिका की स्थिति में उस विधायिका के लिए कम अवधि के चुनाव कराए जाने चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने विधायकों को वोट और भाषण के लिए रिश्वत लेने से संबंधित छूट खत्म की
अदालत ने कहा कि ऐसे कृत्यों के लिए छूट सदन के कामकाज या विधायक के कार्यों के निर्वहन का अभिन्न अंग नहीं है। इसके साथ ही उसने 1998 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें विधायकों को ऐसी छूट दी गई थी।
2023-24 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.2%
2023-24 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा 2022-23 की इसी तिमाही में दर्ज जीडीपी के 2% से कम था।
नागरिकता नियमों में संशोधन अधिसूचित
संशोधन उन समूहों के लिए नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया निर्दिष्ट करता है जिन्हें नागरिकता (संशोधन) एक्ट, 2019 के तहत नागरिकता दी गई थी। यह उन दस्तावेजों को निर्दिष्ट करता है जिन्हें नागरिकता आवेदनों के साथ देना होगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने की योजना अधिसूचित
यह योजना आयातित ईवी पर कम शुल्क के रूप में निर्माताओं को प्रोत्साहन प्रदान करेगी। निर्माताओं को पांच साल के भीतर भारत में मैन्यूफैक्चरिंग स्थापित करने और कम से कम 4,150 करोड़ रुपए का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा।
कमिटी ने डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून पर रिपोर्ट सौंपी
डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून संबंधी कमिटी ने एक्स-एंटे तरीके से बड़े डिजिटल इंटरप्राइजेज़ को रेगुलेट करने के लिए डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून बनाने का सुझाव दिया।
सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 अधिसूचित
नियम सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) एक्ट, 2023 के प्रावधानों को प्रभावी करते हैं। इनमें यू/ए प्रमाणन के लिए आयु चिह्न शामिल हैं। नियमों के अनुसार फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्यों में एक तिहाई महिलाएं होनी चाहिए।
फार्मास्यूटिकल्स टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन सहायता योजना संशोधित
संशोधित योजना स्वच्छ कमरे की सुविधाओं और अपशिष्ट उपचार जैसे नए तकनीकी अपग्रेडेशन को प्रोत्साहित करती है। एमएसएमई के अलावा, 500 करोड़ रुपए से कम टर्नओवर वाली फार्मा मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां भी कवर की जाएंगी।
इरडाई ने बीमा उत्पादों और पॉलिसीधारकों के हितों से संबंधित रेगुलेशंस जारी किए
रेगुलेशंस बीमा उत्पादों को डिजाइन करने, पॉलिसीधारकों की सेवा के लिए सिद्धांत निर्धारित करने और बीमा पॉलिसियों के लिए ऑनलाइन बाज़ार स्थापित करने हेतु एक रूपरेखा स्थापित करने का प्रयास करते हैं।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए दिशानिर्देश जारी
अनुसंधान और विकास योजना, इलेक्ट्रोलाइज़र मैन्यूफैक्चरिंग योजना, हाइड्रोजन हब स्थापित करने की योजना और व्यक्तियों का कौशल बढ़ाने की योजना के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए
ईएफटीए में स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं। ईएफटीए अगले 15 वर्षों में 100 अरब USD के एफडीआई के लिए प्रतिबद्ध होगा। भारत परिधान और मशीनरी जैसी कुछ वस्तुओं पर टैरिफ रियायतें प्रदान करेगा।
चुनाव
Arpita Mallick (arpita@prsindia.org)
लोकसभा और चार राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव का कार्यक्रम घोषित
भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा के आम चुनाव और चार राज्य विधानसभाओं के चुनावों के कार्यक्रमों की घोषणा की।[1] लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल, 2024 से 1 जून, 2024 तक सात चरणों में होंगे। वोटों की गिनती 4 जून, 2024 को होगी।
आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओड़िशा और सिक्किम की विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही होंगे। आंध्र प्रदेश और ओड़िशा के लिए वोटों की गिनती 4 जून, 2024 को और अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के लिए 2 जून, 2024 को होगी।[2]
उच्च स्तरीय कमिटी ने एक साथ चुनाव कराने का सुझाव दिया
केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमिटी (चेयर: पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद) ने एक साथ चुनाव पर अपनी रिपोर्ट पेश की।[3] कमिटी का गठन सितंबर 2023 में किया गया था। इसकी संदर्भ की शर्तों में व्यवहार्यता की जांच करना और एक ही समय में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव कराने के लिए एक रूपरेखा का सुझाव देना शामिल था। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
एक साथ चुनाव कराने का तर्क: कमिटी ने सुझाव दिया कि देश में एक साथ चुनाव कराए जाएं। उसने कहा कि बार-बार चुनाव होने से अनिश्चितता का माहौल बनता है। एक साथ चुनाव व्यवधान और नीतिगत गतिहीनता को कम करके शासन में स्थिरता और पूर्वानुमान सुनिश्चित करेगा। एक साथ चुनाव से लागत कम करने और मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। उसने एक शोध पत्र का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि एक साथ चुनावों से उच्च आर्थिक विकास, निम्न मुद्रास्फीति, निवेश में वृद्धि और सरकारी व्यय की गुणवत्ता में सुधार होता है।
एक साथ चुनाव कराना: कमिटी ने एक साथ चुनाव कराने के लिए एक रूपरेखा का सुझाव दिया जिसके लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी। लोकसभा के अगले चुनाव के समय एकमुश्त उपाय के रूप में शेष कार्यकाल की परवाह किए बिना सभी राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों को भंग कर दिया जाना चाहिए। इससे सभी चुनाव एक साथ होंगे। कमिटी ने लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर और स्थानीय निकायों के चुनाव उसके 100 दिनों के भीतर कराने का सुझाव दिया।
वर्तमान में एक विधायिका पांच वर्ष की अवधि के लिए चुनी जाती है। इसलिए किसी भी समय त्रिशंकु विधायिका उन्हें अगली बार एक साथ चुनाव के तालमेल से बाहर कर देगी। कमिटी ने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए कम अवधि के लिए त्रिशंकु विधायिका या स्थानीय निकाय के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाने चाहिए। यह कार्यकाल एक साथ चुनाव के पांच वर्ष के चक्र की शेष अवधि के बराबर होगा। इसका अर्थ यह है कि अगर किसी राज्य विधानसभा या लोकसभा के नए चुनाव एक साथ चुनाव के दो साल बाद होते हैं, तो उसका कार्यकाल केवल तीन साल होगा। इससे हर पांच साल में सभी चुनाव एक साथ होंगे।
रिपोर्ट पर पीआरएस के सारांश के लिए कृपया देखें।
मैक्रोइकोनॉमिक विकास
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
2023-24 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 1.2%
भारत ने 2023-24 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 10.5 बिलियन USD (जीडीपी का 1.2%) का चालू खाता घाटा दर्ज किया, जो 2022-23 की इसी तिमाही के 16.8 बिलियन USD (जीडीपी का 2%) से कम है।[4] 2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चालू खाता घाटा 11.4 बिलियन USD (जीडीपी का 1.3%) था।
पूंजी खाते में 2023-24 की तीसरी तिमाही में 17.4 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया, जबकि 2022-23 की तीसरी तिमाही में 28.9 बिलियन USD का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया गया। 2023-24 की दूसरी तिमाही में पूंजी खाते में शुद्ध प्रवाह 13 बिलियन USD था।
2023-24 की तीसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 6 बिलियन USD की वृद्धि हुई, जो 2022-23 की इसी तिमाही के 11.1 बिलियन USD से कम है। 2023-24 की दूसरी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 2.5 बिलियन USD बढ़ गया।
तालिका 1: भुगतान संतुलन, ति3 2023-24 (USD बिलियन)
ति3 2022-23 |
ति2 2023-24 |
ति3 2023-24 |
|
क. निर्यात |
105.6 |
108.3 |
106.7 |
ख. आयात |
176.9 |
172.8 |
178.3 |
ग. व्यापार संतुल (क-ख) |
-71.3 |
-64.5 |
-71.6 |
घ. शुद्ध सेवाएं |
38.7 |
39.9 |
45.0 |
ङ. अन्य हस्तांतरण |
15.8 |
13.2 |
16.1 |
च. चालू खाता (ग+घ+ङ) |
-16.8 |
-11.4 |
-10.5 |
छ. पूंजीगत खाता |
28.9 |
13.0 |
17.4 |
ज. भूल-चूक लेनी-देनी |
-1.0 |
0.9 |
-0.8 |
झ. मुद्रा भंडार में परिवर्तन (च+छ+ज) |
11.1 |
2.5 |
6.0 |
स्रोत: आरबीआई; पीआरएस।
कानून एवं न्याय
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
सर्वोच्च न्यायालय ने विधायिका के अंदर वोट या भाषण के लिए रिश्वत लेने पर विधायकों को मिली छूट को खत्म कर दिया
संविधान संसद सदस्यों (सांसदों) और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों (एमएलए/एमएलसी) को विधायिका में उनके भाषणों और वोटों के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने से छूट प्रदान करता है (अनुच्छेद 105 और 194 के तहत)।[5] 1998 में सर्वोच्च न्यायालय ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोट के लिए सांसदों को रिश्वत देने के एक मामले की सुनवाई की।[6] उसने कहा कि जिन सांसदों ने सदन में वोट देने के लिए रिश्वत ली, उन्हें अनुच्छेद 105(2) के तहत आपराधिक मुकदमा चलाने से छूट प्राप्त है। तर्क यह था कि रिश्वत लेना और वोट देना एक-दूसरे से संबंधित हैं, और इसलिए, वोट देने की छूट रिश्वत पर भी लागू होती है। अदालत ने आगे कहा कि एक सांसद जिसने रिश्वत ली लेकिन सदन में मतदान से अनुपस्थित रहा, उसे ऐसी छूट प्राप्त नहीं है।
एक विधायक पर रिश्वतखोरी के आरोप से जुड़े एक अलग मामले में अदालत की सात जजों की बेंच ने 1998 के फैसले का विश्लेषण किया है। बेंच ने 1998 के फैसले को खारिज किया।[7] उसने कहा कि 1998 का फैसला एक विरोधाभास पैदा करता है जहां एक विधायक को रिश्वत लेने और सहमति के अनुसार वोट देने पर छूट प्राप्त है। हालांकि एक विधायक जो रिश्वत लेने के लिए सहमत होता है, लेकिन अंततः स्वतंत्र रूप से मतदान करता है, उस पर मुकदमा चलाया जाता है।
अदालत ने कहा है कि कोई विधायक विधायिका में वोट या भाषण के संबंध में रिश्वतखोरी के आरोप में अभियोजन से अनुच्छेद 105 और 194 के तहत छूट की मांग नहीं कर सकता है। रिश्वतखोरी का अपराध सहमत कार्रवाई के निष्पादन से स्वतंत्र है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वोट सहमति के अनुसार डाला गया है या वोट डाला ही गया है। रिश्वतखोरी का अपराध तभी पूरा हो जाता है जब विधायक रिश्वत स्वीकार कर लेता है।
गृह मामले
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
नागरिकता नियमों में संशोधन अधिसूचित
गृह मंत्रालय ने नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया।[8] ये नागरिकता (संशोधन) एक्ट, 2019 के अनुसार नागरिकता के लिए प्रक्रिया प्रदान करने हेतु नागरिकता नियम, 2009 में संशोधन करते हैं।[9],[10] 2019 का संशोधन एक्ट अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश से आए हिंदू, पारसी, बौद्ध, जैन, ईसाई या सिख अवैध प्रवासियों को नागरिकता का पात्र बनाता है। इसके लिए यह जरूरी है कि उन्होंने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया हो। 2024 के नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
जरूरी दस्तावेज: आवेदक को अफगानिस्तान, पाकिस्तान या बांग्लादेश सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीयता के किसी एक प्रमाण की एक प्रति प्रदान करनी होगी। इनमें पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, किसी भी प्रकार के पहचान दस्तावेज, लाइसेंस या भूमि रिकॉर्ड की प्रतिलिपि शामिल है। आवेदक को निर्दिष्ट दस्तावेजों में से कोई भी एक प्रदान करना होगा जो साबित करता है कि उसने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था। इनमें भारत में आगमन पर वीज़ा और आव्रजन टिकट की प्रतिलिपि, भारत में जारी राशन कार्ड, भारत में पंजीकृत रेंटल एग्रीमेंट, भारत में जारी बीमा पॉलिसी, या सरकार या न्यायालय द्वारा आवेदक को आधिकारिक टिकट के साथ जारी किया गया कोई पत्र शामिल है। ऐसे सभी रिकॉर्ड उनकी वैधता के बाद स्वीकार्य होंगे। आवेदक को अपने धर्म की घोषणा करते हुए एक पात्रता प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करना होगा। इसे स्थानीय स्तर पर प्रतिष्ठित सामुदायिक संस्थान द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।
नागरिकता का सत्यापन और उसे प्रदान करना: क्षेत्राधिकार के वरिष्ठ अधीक्षक या डाक अधीक्षक की अध्यक्षता में एक जिला-स्तरीय समिति, आवेदन का सत्यापन करेगी और निष्ठा की शपथ दिलाएगी।[11] यह प्रासंगिक दस्तावेजों को सत्यापन के लिए किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के जनगणना संचालन निदेशक की अध्यक्षता वाली एक अधिकार प्राप्त समिति को प्रस्तुत करेगा।11 संतुष्ट होने पर अधिकार प्राप्त समिति आवेदक को नागरिकता प्रदान करेगी। 2009 के नियमों के तहत, आवेदन संबंधित कलेक्टर को प्रस्तुत किए जाते हैं। वह आवेदन का सत्यापन करता है और फिर इसे राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन को भेज देता है। इसके बाद आवेदन केंद्र सरकार को भेजा जाता है, जो सभी जांच पूरी करने के बाद नागरिकता प्रदान करती है।
सूचना एवं प्रसारण
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 अधिसूचित
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया।[12] ये नियम सिनेमैटोग्राफ (प्रमाणन) नियम, 1983 का स्थान लेते हैं और इसके अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखते हैं।[13] नियम सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 के तहत तैयार किए गए हैं।[14] वे सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) एक्ट, 2023 के प्रावधानों को प्रभावी बनाते हैं।[15] नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
यूए प्रमाणन: सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) एक्ट, 2023 ने यूए प्रमाणीकरण के लिए आयु उपयुक्तता का संकेत देने वाले मार्कर पेश किए। ये हैं: (i) यूए 7+, (ii) यूए13+, और (iii) यूए 16+। ये निर्दिष्ट आयु सीमा से कम उम्र के बच्चों के लिए, माता-पिता के मार्गदर्शन के अधीन, अप्रतिबंधित सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति देते हैं। नियम एक्ट के तहत इन परिवर्तनों को प्रभावी बनाते हैं।
कंटेंट के लिए अनुमोदन प्राधिकारी: 2024 के नियमों में कहा गया है कि प्रमाणन के लिए अनुमोदन प्राधिकारी कंटेंट के प्रकार और लंबाई के आधार पर अलग-अलग होंगे। उदाहरण के लिए, लंबी नाटकीय रिलीज़ (72 मिनट से अधिक) को बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा अनुमोदित किया जाएगा, जबकि उसी के डब संस्करण को संबंधित क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। वर्तमान में बोर्ड के नौ क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व: 1983 के नियमों में कहा गया है कि केंद्र सरकार बोर्ड और सलाहकार पैनल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा सकती है। फिल्मों की जांच के लिए क्षेत्रीय स्तर पर सलाहकार पैनल गठित किए जाते हैं। 2024 के नियम निर्दिष्ट करते हैं कि बोर्ड और सलाहकार पैनल के एक तिहाई सदस्य महिलाएं होनी चाहिए। साथ ही बोर्ड और सलाहकार पैनल में महिलाओं की आधी हिस्सेदारी होनी चाहिए।
प्रमाणन के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित करना: नियम क्षेत्रीय अधिकारी को किसी फिल्म की जांच के लिए फिल्म के क्षेत्र में एक या अधिक विषय या भाषा विशेषज्ञों को आमंत्रित करने की अनुमति देते हैं। अगर प्रारंभिक स्क्रीनिंग के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित नहीं किया जाता है, तो आवेदक पर कोई अतिरिक्त लागत लगाए बिना, विशेषज्ञों के लिए कंटेंट की दोबारा स्क्रीनिंग की जा सकती है।
सिनेमैटोग्राफ (दंड का अधिनिर्णय) नियम 2024 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए सिनेमैटोग्राफ (दंड का अधिनिर्णय) नियम, 2024 का ड्राफ्ट जारी किया है।[16] नियम उस तरीके को निर्धारित करते हैं जिसमें एक अधिकृत अधिकारी द्वारा जुर्माना लगाया जाएगा और अपील की क्या प्रक्रिया होगी। सिनेमैटोग्राफ एक्ट, 1952 के प्रावधानों के उल्लंघन पर जुर्माना लगाया जाता है।[17] इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रमाणन के बाद फिल्म से छेड़छाड़, (ii) गैर-प्रमाणित फिल्म का प्रदर्शन, और (iii) नाबालिगों को 'ए' रेटिंग वाली फिल्में दिखाना। ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
दंड तय करने के लिए अधिकारी अधिकृत: केंद्र और राज्य सरकार दंड तय करने के लिए अवर सचिव स्तर या उससे ऊपर के अधिकारियों को अधिकृत कर सकती है। राज्य सरकारें निम्नलिखित रैंक के बराबर या उससे ऊपर के अधिकारियों को भी अधिकृत कर सकती हैं: (i) अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, (ii) अतिरिक्त कलेक्टर, या (iii) जिले के अतिरिक्त उपायुक्त।
अधिकृत अधिकारियों की शक्तियां: अधिकृत अधिकारी उल्लंघनों की जांच के लिए कुछ शक्तियों का प्रयोग करेंगे। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रदर्शनी स्थल में प्रवेश करना या किसी अन्य अधिकारी को प्रवेश करने के लिए अधिकृत करना, (ii) मामले से संबंधित व्यक्तियों को बुलाना, और (iii) प्रासंगिक माने जाने वाले सबूतों के लिए आदेश देना, जैसे कि सीसीटीवी फुटेज और टिकट स्कैन।
जुर्माने की मात्रा निर्धारित करने वाले कारक: अधिकृत अधिकारियों को एक्ट के तहत जुर्माना तय करते समय निम्नलिखित कारकों पर उचित ध्यान देना चाहिए: (i) उल्लंघन की प्रकृति, (ii) उल्लंघन के कारण प्राप्त अनुपातहीन लाभ या लाभ की राशि, और (iii) उल्लंघन की पुनरावृत्ति। जुर्माना तय करने का आदेश नोटिस जारी होने के 90 दिनों के भीतर पारित किया जाना चाहिए।
अपीलीय प्रक्रिया: प्राधिकृत अधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध अपील अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष की जा सकती है। नियुक्त अपीलीय प्राधिकारी निम्नलिखित स्तर का होना चाहिए: (i) केंद्र सरकार का उप सचिव या उप निदेशक, या (ii) संबंधित जिले का जिला मजिस्ट्रेट। प्राधिकृत अधिकारी द्वारा आदेश के 30 दिनों के भीतर अपील दायर की जानी चाहिए। अपीलीय प्राधिकारी, जहां संभव हो, छह महीने के भीतर अपील पर फैसला करेगा।
14 अप्रैल, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन हेतु सुगमता मानकों के लिए दिशानिर्देश जारी
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने श्रवण और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए सिनेमा थिएटरों में फीचर फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन में सुगमता मानकों हेतु दिशानिर्देश जारी किए हैं।[18] दिशानिर्देश विकलांग व्यक्तियों के अधिकार एक्ट, 2016 के तहत जारी किए गए हैं।[19] दिशानिर्देश सिनेमाघरों में प्रदर्शन के लिए फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा प्रमाणित फिल्मों पर लागू होते हैं। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
सुगमता मानक: दिशानिर्देश ऑडियो विवरण और क्लोस्ड/ओपन कैप्शन के लिए मानक निर्धारित करते हैं। मानकों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑडियो विवरण संक्षिप्त रखना, और (ii) यह सुनिश्चित करना कि कैप्शन सटीक, वीडियो के साथ सिंक्रनाइज़ और पूर्ण हों। दिशानिर्देश फिल्मों में सुपरइंपोज सांकेतिक भाषा के उपयोग के लिए मानक भी निर्धारित करते हैं।
मानकों को लागू करना: सुगमता सुविधाएं फिल्म के निर्माता द्वारा प्रदान की जाएंगी। प्रमाणन के लिए आवेदन करते समय, डिजिटल सिनेमा पैकेज में ऑडियो विवरण, क्लोस्ड/ओपन कैप्शनिंग और सांकेतिक भाषा के लिए प्रासंगिक फ़ाइलें होनी चाहिए। दिशानिर्देश अतिरिक्त उपकरणों का उपयोग करके थिएटरों में सुविधाओं को तैनात करने के तरीके भी बताते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ऑडियो कैप्शन के लिए हेडफ़ोन/इयरफ़ोन का उपयोग करना, (ii) कैप्शन या विवरण के लिए मोबाइल ऐप्स का उपयोग करना, या (iii) कैप्शन के लिए स्मार्ट ग्लास का उपयोग करना। प्रति 200 सीटों पर कम से कम दो से पांच उपकरण उपलब्ध होने चाहिए। उपकरण थिएटर द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
फ़ीचर फ़िल्मों में सुगम्यता सुविधाएं शामिल होनी चाहिए और दिशानिर्देश जारी होने के दो साल के भीतर सिनेमा थिएटरों को सुगम्यता उपकरण उपलब्ध कराने होंगे। हालांकि जिन फीचर फिल्मों को एक से अधिक भाषाओं में प्रमाणन की आवश्यकता होती है, उनमें दिशानिर्देश जारी होने के छह महीने के भीतर श्रवण और दृष्टिबाधित (प्रत्येक) के लिए कम से कम एक सुगमता सुविधा शामिल होनी चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित फिल्म समारोहों में विचार के लिए प्रस्तुत फिल्मों में 1 जनवरी, 2025 तक क्लोस्ड कैप्शन और ऑडियो विवरण शामिल होने चाहिए।
कॉरपोरेट मामले
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
ड्राफ्ट डिजिटल प्रतिस्पर्धा बिल के साथ डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून पर रिपोर्ट प्रस्तुत
भारत के डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्धा पूर्व (एक्स-एंटे) रूपरेखा की आवश्यकता का आकलन करने के लिए डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून पर समिति का गठन किया गया था।[20] अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने एक ड्राफ्ट बिल भी प्रकाशित किया है, ताकि अपने सुझावों को अमल में लाया जा सके। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
डिजिटल प्रतिस्पर्धा के एक्स-एंटे रेगुलेशन की जरूरत: कमिटी ने कहा कि प्रतिस्पर्धा एक्ट, 2002 के तहत मौजूदा एक्स-पोस्ट रूपरेखा (किसी घटना के घटित होने के बाद दखल देना) में डिजिटल इंटरप्राइजेज़ के प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण का समय पर निवारण नहीं किया जा सकता। उसने गौर किया कि मौजूदा रूपरेखा बड़े डिजिटल इंटरप्राइजेज़ के पक्ष में बाजारों की अपरिवर्तनीय टिपिंग (संबंधित बाजार में किसी कंपनी का स्थायी प्रभुत्व) जैसे मामले में प्रभावी नहीं हो सकती। कमिटी ने सुझाव दिया कि डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून को लागू किया जाए ताकि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) एक्स-एंटे तरीके से (किसी घटना के घटित होने से पहले दखल देना) बड़े डिजिटल इंटरप्राइजेज़ को चुनकर रेगुलेट करे। प्रस्तावित कानून को सिर्फ उन्हीं इंटरप्राइजेज़ को रेगुलेट करना चाहिए जिनकी भारतीय डिजिटल बाजार में महत्वपूर्ण उपस्थिति है और जिनमें बाजार को प्रभावित करने की क्षमता है।
डिजिटली सिग्निफिकेंट डिजिटल इंटरप्राइजेज़ (एसएसडीईज़): कमिटी ने कहा कि डिजिटल बाजारों की कुछ विशेषताओं के कारण डिजिटल इंटरप्राइजेज़ जल्दी ही प्रभावशाली बन जाते हैं। इन विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) यूज़र डेटा का कलेक्शन जिनकी मदद से बड़े मौजूदा उद्यम संबंधित बाजारों में प्रवेश कर पाते हैं, (ii) नेटवर्क इफेक्ट जहां सेवा का उपभोग करने वाले यूजर्स की संख्या बढ़ने पर सेवा की उपयोगिता बढ़ जाती है, और (iii) इकोनॉमीज़ ऑफ स्केल, जिसमें नए प्रवेशकों की तुलना में मौजूदा इंटरप्राइज़ कम लागत पर डिजिटल सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि एक्स-एंटे रेगुलेशन के लिए कुछ मुख्य डिजिटल सेवाओं की पेशकश करने वाली संस्थाओं को एसएसडीआई के रूप में नामित किया जाए जो बाजार संकेंद्रण (मार्केट कॉन्सेंट्रेशन) के प्रति अति संवेदनशील हैं। इनमें सर्ज इंजन, सोशल नेटवर्किंग सर्विसेज़, ऑपरेटिंग सिस्टम्स और वेब ब्राउजर्स शामिल हैं।
एसएसडीई के दायित्व: ड्राफ्ट डिजिटल प्रतिस्पर्धा बिल, 2024, जिसका सुझाव कमिटी ने दिया है, एसएसडीई को कई कार्यों को करने से प्रतिबंधित करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अपने या संबंधित पक्षों के उत्पादों और सेवाओं के साथ पक्षपात करना, (ii) अपनी कोर डिजिटल सर्विस पर ऑपरेट करने वाले बिजनेस यूजर्स का नॉन-पब्लिक डेटा का इस्तेमाल करना, ताकि उन यूजर्स के साथ प्रतिस्पर्धा की जा सके, (iii) अपनी कोर डिजिटल सर्विसेज़ पर थर्ड-पार्टी एप्लिकेशंस के इस्तेमाल से यूजर्स को प्रतिबंधित करना, और (iv) किसी चिन्हित कोर डिजिटल सर्विस के यूजर्स से एसएसडीई द्वारा पेश किए जाने वाले उत्पादों या सेवाओं को इस्तेमाल करने को कहना या उसके लिए प्रोत्साहित करना।
रिपोर्ट और ड्राफ्ट बिल पर टिप्पणियां 15 अप्रैल, 2024 तक आमंत्रित हैं।[21]
रिपोर्ट पर पीआरएस सारांश के लिए कृपया देखें।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने प्रतिबद्धता और निपटान नियमों को अधिसूचित किया
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (प्रतिबद्धता) रेगुलेशन, 2024 और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (निपटान) रेगुलेशन, 2024 को अधिसूचित किया।[22],[23] इन रेगुलेशंस को प्रतिस्पर्धा एक्ट, 2002 के तहत अधिसूचित किया गया है, जिसे 2023 में प्रतिबद्धता और निपटान प्रतिबद्धता रूपरेखा प्रदान करने के लिए 2023 में संशोधित किया गया था।[24],[25] संशोधित एक्ट उद्यमों को कुछ प्रतिबद्धताओं (जैसे बाजार व्यवहार में परिवर्तन) या भुगतान निपटान की पेशकश करने की अनुमति देता है। यह उन संस्थाओं पर लागू होता है जिनके खिलाफ प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों या अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए सीसीआई द्वारा जांच शुरू की गई है। 2024 के रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रतिबद्धता: जांच शुरू करने के लिए सीसीआई द्वारा पारित आदेश प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर सीसीआई के पास एक प्रतिबद्धता आवेदन दाखिल किया जाना चाहिए। सीसीआई प्रस्तावित प्रतिबद्धताओं पर सहमति व्यक्त करने या अस्वीकार करने के आदेश पारित कर सकता है। पूरी प्रक्रिया प्रतिबद्धता आवेदन की प्राप्ति से 130 कार्य दिवसों में पूरी होनी चाहिए। प्रतिबद्धता पर सीसीआई के आदेश को आवेदक के खिलाफ उल्लंघन का निष्कर्ष नहीं माना जाएगा। प्रस्तावित प्रतिबद्धताओं की प्रभावशीलता को निम्नलिखित कारकों के आधार पर मापा जाएगा: (i) कथित उल्लंघन की प्रकृति, अवधि और सीमा, (ii) यदि प्रतिबद्धता की शर्तें प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंताओं को दूर कर करती है, और (iii) अगर प्रतिबद्धता की शर्तें बाजारों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती है।
निपटान: कथित उल्लंघनों पर सीसीआई के महानिदेशक की जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर निपटान आवेदन किया जाना चाहिए। सीसीआई निपटान प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करने या अस्वीकार करने का आदेश पारित कर सकता है। संपूर्ण प्रक्रिया निपटान आवेदन प्राप्त होने के 180 कार्य दिवसों के भीतर पूरी की जानी चाहिए। निपटान राशि का निर्धारण आधार राशि पर 15% की छूट लागू करके किया जाएगा। यह आधार राशि प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों या प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग के मामलों में सीसीआई द्वारा लगाए जा सकने वाले अधिकतम जुर्माने तक बढ़ सकती है। सीसीआई द्वारा पारित निपटान आदेश को आवेदक के खिलाफ उल्लंघन का निष्कर्ष नहीं माना जाएगा।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कॉम्बिनेशंस के रेगुलेशंस की सीमा में संशोधन किया
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने प्रतिस्पर्धा एक्ट, 2002 के तहत कॉम्बिनेशंस के रेगुलेशन के लिए परिसंपत्तियों और टर्नओवर की न्यूनतम सीमा को संशोधित किया।24,[26],[27] एक्ट कॉम्बिनेशंस (उद्यमों के विलय, अधिग्रहण या समामेलन) के लिए परिसंपत्तियों और टर्नओवर का न्यूनतम सीमा मूल्य प्रदान करता है। इस सीमा से ऊपर आने वाले कॉम्बिनेशंस की जांच भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे बाजार प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगे। एक्ट केंद्र सरकार को थोक मूल्य सूचकांक, विनिमय दर में उतार-चढ़ाव या अन्य प्रासंगिक कारकों के आधार पर हर दो साल में इस सीमा को बदलने का अधिकार देता है।
तालिका 2: घरेलू कॉम्बिनेशंस के लिए सीमा में परिवर्तन (करोड़ रुपए)
मानदंड |
पुराना |
नया |
उद्यम का स्तर |
||
परिसंपत्ति |
2,000 |
2,500 |
टर्नओवर |
6,000 |
7,500 |
समूह का स्तर |
||
परिसंपत्ति |
8,000 |
24,000 |
टर्नओवर |
10,000 |
30,000 |
स्रोत: एस.ओ. 1130(ई), कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय।
वित्त
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
आरबीआई ने क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी करने और आचरण के निर्देशों में संशोधन किया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आरबीआई (क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड- जारी करना और आचरण) दिशानिर्देश, 2022 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[28],[29] 2022 के दिशानिर्देश क्रेडिट और डेबिट कार्ड व्यवसाय जारी करने और संचालन के लिए रूपरेखा प्रदान करते हैं। संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
बिजनेस क्रेडिट कार्ड्स: दिशानिर्देश जारीकर्ताओं को व्यावसायिक खर्चों के लिए व्यावसायिक संस्थाओं/व्यक्तियों को बिजनेस क्रेडिट कार्ड जारी करने की अनुमति देते हैं। संशोधन निर्दिष्ट करते हैं कि जारीकर्ताओं को धन के अंतिम उपयोग की निगरानी के लिए तंत्र स्थापित करना होगा।
क्रेडिट कार्ड्स के प्रकार: वर्तमान में बैंकों को उपयोगकर्ताओं को प्लास्टिक कार्ड के बजाय वियरेबल प्रकार के डेबिट कार्ड जारी करने की अनुमति है। संशोधन बैंकों को अन्य रूपों में भी क्रेडिट कार्ड जारी करने की अनुमति देते हैं।
कार्ड को ब्लॉक करना: अगर जारीकर्ता अपने विवेक से किसी कार्ड को ब्लॉक, निष्क्रिय या निलंबित करते हैं, तो उन्हें एक मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करना होगा। ऐसी कार्रवाइयों के बारे में तुरंत कार्डधारक को इलेक्ट्रॉनिक और अन्य तरीकों से कारण सहित सूचित किया जाना चाहिए।
आरबीआई ने ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड के लिए कार्ड नेटवर्क चुनने की अनुमति दी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड के लिए कार्ड नेटवर्क चुनने की अनुमति दे दी है।[30] वर्तमान में, अधिकृत कार्ड नेटवर्क (जैसे मास्टरकार्ड और वीज़ा) क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए बैंकों और गैर-बैंकों के साथ गठजोड़ करते हैं। किसी ग्राहक को जारी किए गए कार्ड का नेटवर्क जारीकर्ता द्वारा तय किया जाता है। आरबीआई ने कहा कि कार्ड नेटवर्क और कार्ड जारीकर्ताओं के बीच कुछ व्यवस्थाएं ग्राहकों की पसंद के लिए अनुकूल नहीं हैं। आरबीआई ने निर्णय लिया है कि: (i) जारीकर्ता कार्ड नेटवर्क के साथ ऐसे समझौते नहीं करेंगे जो जारीकर्ता को अन्य कार्ड नेटवर्क की सेवाओं का लाभ उठाने से रोकते हों, और (ii) जारीकर्ताओं को पात्र ग्राहकों को जारी करने के समय एकाधिक कार्ड नेटवर्क में से चुनने का विकल्प प्रदान करना होगा। ये निर्देश उन जारीकर्ताओं पर लागू नहीं होंगे जो अपने कार्ड नेटवर्क पर क्रेडिट कार्ड जारी करते हैं। 10 लाख तक सक्रिय कार्ड वाले जारीकर्ताओं को अपने ग्राहकों को अपना कार्ड नेटवर्क चुनने का विकल्प प्रदान करने की भी आवश्यकता नहीं होगी।
आरबीआई ने सेल्फ रेगुलेटरी संगठनों के लिए रूपरेखा जारी की
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेगुलेटेड संस्थाओं के लिए सेल्फ रेगुलेटरी संगठनों (एसआरओ) की मान्यता हेतु एक रूपरेखा जारी की।[31] आरबीआई ने कहा कि रेगुलेटेड संस्थाओं की संख्या और पैमाने में वृद्धि के साथ, सेल्फ रेगुलेशन के लिए बेहतर उद्योग मानक विकसित करने की आवश्यकता महसूस की गई। आरबीआई की रेगुलेटेड संस्थाओं में बैंक, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां और भुगतान प्रणाली ऑपरेटर शामिल हैं। एसआरओ तकनीकी विशेषज्ञता और रेगुलेटरी नीतियों को तैयार करने में मदद करके, रेगुलेशंस का असर बढ़ा सकते हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
मान्यता की प्रक्रिया: कोई इच्छुक एसआरओ मान्यता के लिए आरबीआई को आवेदन कर सकता है। इसके लिए उसे कुछ पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में पंजीकृत होना, (ii) क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना और निर्दिष्ट सदस्यता होना, और (iii) इसके निदेशकों के पास पेशेवर क्षमता होनी चाहिए और निष्पक्षता और अखंडता की उनकी साख होनी चाहिए।
निर्दिष्ट सिद्धांतों का अनुपालन: एक एसआरओ को: (i) नैतिक और शासन मानकों को निर्धारित करने के लिए सदस्यता समझौतों से अधिकार प्राप्त करना चाहिए, (ii) अपने सदस्यों के आचरण के लिए नियम बनाने हेतु उद्देश्यपूर्ण और परामर्शी प्रक्रियाएं स्थापित करनी चाहिए, (iii) अनुपालन संस्कृति में सुधार के लिए मानक विकसित करना चाहिए, और (iv) क्षेत्र की प्रभावी निगरानी के लिए निगरानी विधियां होनी हैं।
सदस्यों के प्रति जिम्मेदारियां: अपने सदस्यों के प्रति एसआरओ की प्राथमिक जिम्मेदारी सर्वोत्तम व्यावसायिक पद्धतियों को बढ़ावा देना होगा। अन्य जिम्मेदारियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अपने सदस्यों के लिए आचार संहिता तैयार करना और उसके अनुपालन की निगरानी करना, (ii) एक समान और गैर-भेदभावपूर्ण सदस्यता शुल्क संरचना विकसित करना, (iii) अपने सदस्यों के लिए शिकायत निवारण और विवाद समाधान/मध्यस्थता ढांचे की स्थापना करना, और (iv) वैधानिक/रेगुलेटरी प्रावधानों की जानकारी को बढ़ावा देना।
सदस्यता के मानदंड: क्षेत्र का समग्र रूप से प्रतिनिधित्व करने के लिए एसआरओ के पास सभी स्तरों पर सदस्यों का अच्छा मिश्रण होना चाहिए। सदस्यता मानदंड आरबीआई द्वारा निर्धारित किया जाएगा। एसआरओ की सदस्यता स्वैच्छिक होगी। एसआरओ को मान्यता प्रदान करने के दो साल के भीतर न्यूनतम निर्धारित सदस्यता प्राप्त की जानी चाहिए।
इरडाई ने बीमा उत्पादों के लिए रेगुलेशंस को अधिसूचित किया
भारतीय बीमा रेगुलेटरी और विकास प्राधिकरण (इरडाई) ने इरडाई (बीमा उत्पाद) रेगुलेशंस, 2024 को अधिसूचित किया।[32] रेगुलेशंस बीमा उत्पादों को डिजाइन करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करते हैं और उत्पादों को डिजाइन करने के लिए समितियों का गठन करते हैं। इसमें कई नियमों को निरस्त करने का प्रयास किया गया है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) इरडाई (माइक्रो इंश्योरेंस) रेगुलेशन, 2015, (ii) इरडाई (हेल्थ इंश्योरेंस) रेगुलेशन, 2016, और (iii) इरडाई (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स) रेगुलेशन, 2019।[33],[34],[35] मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
डिजाइन और मूल्य निर्धारण: बीमा उत्पादों के डिजाइन और मूल्य निर्धारण को कुछ मानदंडों का पालन करना चाहिए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ग्राहकों की बढ़ती जोखिम कवरेज जरूरतों को सुनिश्चित करना, (ii) समझने में आसान उत्पाद, (iii) प्रीमियम दरें अत्यधिक, अपर्याप्त या भेदभावपूर्ण नहीं होनी चाहिए, और (iv) उत्पादों का मूल्य निर्धारण करते समय सभी प्रासंगिक जोखिमों को ध्यान में रखना।
उत्पाद प्रबंधन समिति: प्रत्येक बीमाकर्ता के बोर्ड को एक उत्पाद प्रबंधन समिति का गठन करना होगा। समिति की जिम्मेदारियों में निम्नलिखित सुनिश्चित करना शामिल है: (i) लक्ष्य बाजार के लिए उचित उत्पाद डिजाइन, (ii) रेगुलेटरी अनुपालन, (iii) उत्पाद प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा, और (iv) अगर आवश्यक हो, तो उत्पाद में संशोधन या वापसी।
उत्पादों की समीक्षा: सभी बीमा उत्पादों की वर्ष में कम से कम एक बार नियुक्त बीमांकिक द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए। समीक्षा में निम्नलिखित पर विचार किया जाना चाहिए: (i) सभी हितधारकों की उचित अपेक्षाएं, (ii) उत्पाद की वित्तीय व्यवहार्यता, (iii) उत्पाद के तहत उभरता जोखिम और अनुभव, और (iv) कोई अन्य प्रासंगिक कारक।
इरडाई ने पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा के लिए रेगुलेशंस जारी किए
भारतीय बीमा रेगुलेटरी और विकास प्राधिकरण (इरडाई) ने इरडाई (पॉलिसीधारकों के हितों का संरक्षण, संचालन और बीमाकर्ताओं के संबद्ध मामले) रेगुलेशंस, 2024 को अधिसूचित किया।[36] रेगुलेशंस बीमा प्रीमियम, बीमा पॉलिसी जारी करने और पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा जैसे विषयों से संबंधित कई रेगुलेशंस को खत्म करने का प्रस्ताव रखते हैं। रेगुलेशंस विशेष रूप से पुनर्बीमा व्यवसाय में लगी संस्थाओं को छोड़कर, सभी बीमाकर्ताओं और वितरकों पर लागू होंगे। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पॉलिसीधारकों की सेवा के लिए सिद्धांत: बीमाकर्ताओं को पॉलिसीधारकों की सेवा के लिए कुछ सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) विभिन्न सेवाओं के बारे में आवश्यक जानकारी प्रदान करना, (ii) उचित समय के भीतर सेवाएं प्रदान करना, और (iii) पॉलिसीधारकों पर उत्पादों को बदलने या प्रदाताओं को बदलने के लिए दबाव नहीं डालना।
फ्री लुक अवधि: जीवन और व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के पॉलिसीधारकों को पॉलिसी दस्तावेज़ प्राप्त करने की तारीख से 30 दिन की फ्री लुक अवधि प्रदान की जानी चाहिए। अगर पॉलिसीधारक इस अवधि के भीतर पॉलिसी की किसी भी शर्त से असहमत है, तो वह पॉलिसी रद्द करने का विकल्प चुन सकता है। पॉलिसी रद्द करने पर, भुगतान किया गया प्रीमियम पॉलिसीधारक को वापस किया जाना चाहिए। वर्तमान में, भौतिक पॉलिसियों के मामले में 15 दिनों की और इलेक्ट्रॉनिक पॉलिसियों तथा दूरस्थ माध्यम से प्राप्त पॉलिसियों के लिए 30 दिनों की फ्री लुक अवधि की अनुमति है।[37]
बीमा पॉलिसियों को जारी करना: सभी बीमाकर्ताओं के पास इलेक्ट्रॉनिक रूप में बीमा पॉलिसी जारी करने के संबंध में बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति होनी चाहिए। इसमें निम्नलिखित शामिल होना चाहिए: (i) डेटा प्राइवेसी की सुरक्षा के उपाय, (ii) डेटा सुरक्षा पर फ्रेमवर्क, और (iii) साइबर सुरक्षा उपायों की निरंतर समीक्षा और अपग्रेडेशन।
बीमा इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस रेगुलेशंस जारी
भारतीय बीमा रेगुलेटरी और विकास प्राधिकरण (इरडाई) ने इरडाई (बीमा सुगम- बीमा इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस) रेगुलेशंस, 2024 को अधिसूचित किया।[38] बीमा सुगम बीमा पॉलिसियों को खरीदने, दावों के निपटान और शिकायत निवारण के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर होगा। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
स्थापना: बीमा सुगम की स्थापना कंपनी एक्ट, 2013 के तहत गठित एक गैर-लाभकारी कंपनी द्वारा की जाएगी। कंपनी इलेक्ट्रॉनिक बाज़ार के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगी। कंपनी की हिस्सेदारी जीवन बीमाकर्ताओं, सामान्य बीमाकर्ताओं और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं के बीच वितरित की जाएगी।
कार्य: इलेक्ट्रॉनिक मार्केटप्लेस और कंपनी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) बीमा क्षेत्र के लिए एंड-टू-एंड डिजिटल सॉल्यूशन बनाना, (ii) अपनी सेवाओं के लिए सहमति-आधारित संरचना को लागू करना, (iii) लागू कानूनों के अनुसार डेटा का स्टोरेज, रखरखाव और प्रोसेसिंग करना, और (iv) अपनी सेवाओं तक निष्पक्ष और खुली पहुंच की अनुमति देना। कंपनी के पास एक आत्मनिर्भर राजस्व मॉडल होना चाहिए। बाज़ार का उपयोग करने के लिए ग्राहकों से शुल्क नहीं लिया जाएगा।
सेबी ने बोर्ड बैठक में विभिन्न फैसलों को मंजूरी दी
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी बोर्ड बैठक में विभिन्न फैसलों को मंजूरी दी।[39] प्रमुख निर्णयों में निम्नलिखित शामिल हैं:
एक दिन में निपटान: सेबी ने पायलट आधार पर कुछ प्रतिभूतियों के लिए उसी दिन निपटान शुरू करने की मंजूरी दे दी। कार्यान्वयन की तारीख से तीन महीने और छह महीने के अंत में नए फ्रेमवर्क की समीक्षा की जाएगी, जिसके आधार पर सेबी भविष्य की कार्रवाई तय करेगा।
कुछ एफपीआई के लिए अतिरिक्त प्रकटीकरण से छूट: सेबी ने कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अतिरिक्त प्रकटीकरण से छूट देने को मंजूरी दे दी। इन एफपीआई का 50% से अधिक भारतीय इक्विटी निवेश एक ही कॉरपोरेट समूह में होना चाहिए। खुलासे एफपीआई में स्वामित्व, आर्थिक हित या नियंत्रण से संबंधित हैं।[40] बिना किसी पहचाने गए प्रमोटर के साथ सूचीबद्ध कंपनियों में एफपीआई की केंद्रित हिस्सेदारी के मामले में, अतिरिक्त प्रकटीकरण से छूट के लिए दो शर्तों को पूरा करना होगा। पहली शर्त यह है कि एफपीआई अपने भारतीय इक्विटी निवेश का 50% से अधिक कॉरपोरेट समूह में नहीं रखता है। इसमें बिना किसी प्रवर्तक वाली मूल कंपनी में उसका निवेश शामिल नहीं होगा। दूसरी शर्त यह है कि बिना किसी पहचाने गए प्रमोटर वाली कंपनी में समग्र एफपीआई होल्डिंग्स उसकी कुल इक्विटी पूंजी के 3% से कम हो।
सूचीबद्ध कंपनियों के लिए राहत: व्यापार सुगमता के लिए सेबी (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) रेगुलेशंस, 2015 में संशोधन को मंजूरी दी गई। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एक दिन के बजाय छह महीने के औसत बाजार पूंजीकरण के आधार पर सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बाजार पूंजीकरण आधारित अनुपालन का निर्धारण करना, (ii) प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों की रिक्तियों को भरने के लिए समय सीमा को तीन महीने से बढ़ाकर छह महीने करना, और (iii) जोखिम प्रबंधन समिति की लगातार दो बैठकों के बीच अनुमत अंतराल को 180 दिन से बढ़ाकर 210 दिन करना।
सूचकांक प्रदाताओं के लिए नियम अधिसूचित
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी (सूचकांक प्रदाता) रेगुलेशंस, 2024 को अधिसूचित किया।[41] सूचकांक प्रदाता वे व्यक्ति होते हैं जो बेंचमार्क या सूचकांक (जैसे कि स्टॉक या कमोडिटी पर नज़र रखने वाले) के निर्माण, संचालन और प्रशासन को नियंत्रित करते हैं। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सूचकांक की गणना, (ii) सूचकांक पद्धति का निर्धारण, और (iii) सूचकांक का प्रसार। रेगुलेशंस उन सूचकांक प्रदाताओं पर लागू होंगे जो भारतीय प्रतिभूति बाजार में उपयोग के लिए किसी मान्यता प्राप्त भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के महत्वपूर्ण सूचकांकों का प्रबंधन करते हैं। महत्वपूर्ण सूचकांक वे हैं जिन्हें प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियों की एक निर्दिष्ट मात्रा के साथ म्यूचुअल फंड योजनाओं द्वारा ट्रैक किया जाता है। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पंजीकरण: सूचकांक प्रदाताओं को सेबी के साथ पंजीकृत होना होगा। मौजूदा सूचकांक प्रदाताओं के पास पंजीकरण के आवेदन के लिए छह महीने का समय होगा। आवेदकों को कुछ पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा जैसे: (i) कंपनी एक्ट, 2013 के तहत निगमित इकाई, (ii) न्यूनतम शुद्ध संपत्ति 25 करोड़ रुपए, और (iii) सूचकांक प्रदाता के तौर पर काम करने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव संसाधन।
निरीक्षण समिति: सूचकांक प्रदाता को बेंचमार्क निर्धारण प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए एक निरीक्षण समिति बनानी होगी। समिति में विषय में अनुभव और ज्ञान रखने वाले व्यक्ति शामिल होंगे। समिति के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सूचकांक डिज़ाइन या गणना पद्धति में बदलाव की आवश्यकता की समीक्षा करना, (ii) नए वित्तीय बेंचमार्क की शुरूआत की निगरानी करना, और (iii) किसी सूचकांक को बंद करने की प्रक्रियाओं की समीक्षा करना।
सूचकांक की गुणवत्ता: सूचकांक डिज़ाइन को अंतर्निहित हित का प्रतिनिधित्व करना चाहिए जिसे सूचकांक मापने का प्रयास कर रहा है। सूचकांक की गणना उस डेटा का उपयोग करके की जानी चाहिए जो अंतर्निहित ब्याज का प्रतिनिधित्व करने के लिए पर्याप्त है। डेटा इनपुट और डेटा के उपयोग के तरीके से संबंधित दिशानिर्देश सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध होने चाहिए।
विवाद निवारण: सूचकांक प्रदाता को सूचकांक प्रदाता और ग्राहकों के बीच विवादों के लिए एक विवाद समाधान तंत्र बनाना होगा।
सेबी ने छोटे और मध्यम आरईआईटी के लिए रूपरेखा पेश की
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सेबी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) रेगुलेशंस, 2014 में संशोधनों को अधिसूचित किया है।[42],[43] रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआईटी) रियल एस्टेट परिसंपत्तियों में निवेश करने के लिए निवेशकों से धन एकत्र करते हैं। ऐसी संपत्तियों से होने वाली आय को निवेशकों के बीच वितरित किया जाता है। 2024 के संशोधनों के तहत प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:
आरईआईटी की परिभाषा: 2014 के रेगुलेशंस आरईआईटी को रेगुलेशंस के तहत पंजीकृत ट्रस्ट के रूप में परिभाषित करते हैं। 2024 का संशोधन निर्दिष्ट करता है कि आरईआईटी एक ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जो रियल एस्टेट परिसंपत्तियों या संपत्तियों को हासिल और प्रबंधित करने के लिए कम से कम 200 निवेशकों से कम से कम 50 करोड़ रुपए एकत्र करता है। इससे निवेशकों को प्रबंधन नियंत्रण दिए बिना ऐसी परिसंपत्तियों से उत्पन्न आय प्राप्त करने का अधिकार मिल जाएगा।
लघु और मध्यम आरईआईटी: छोटी और मध्यम आरईआईटी योजना के तहत हासिल की जा सकने वाली संपत्ति का मूल्य 50 करोड़ रुपए से 500 करोड़ रुपए के बीच होगा। आरईआईटी के निवेश प्रबंधक, उसके संबंधित पक्षों और सहयोगियों को छोड़कर, इसमें कम से कम 200 यूनिटधारक होने चाहिए।
पात्रता: पंजीकरण के लिए छोटे और मध्यम आरईआईटी को कुछ मानदंडों को पूरा करना होगा जैसे: (i) ट्रस्ट की ओर से निवेश प्रबंधक द्वारा किया जा रहा पंजीकरण आवेदन, (ii) निवेश प्रबंधक के पास कम से कम 20 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति और रियल एस्टेट उद्योग या रियल एस्टेट फंड प्रबंधन में कम से कम दो साल का अनुभव, और (iii) निवेश प्रबंधक के कम से कम आधे निदेशक स्वतंत्र।
उद्योग
इलेक्ट्रिक वाहनों की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना अधिसूचित
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
भारी उद्योग मंत्रालय ने भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना को अधिसूचित किया है।[44] यह योजना वैश्विक निर्माताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर कम आयात शुल्क की पेशकश करेगी, बशर्ते कि निर्माता घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रतिबद्ध हों। योजना की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पात्रता: यह योजना न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपए के वार्षिक राजस्व वाले वैश्विक ऑटोमोटिव निर्माताओं के लिए खुली है। निर्माता को भारत में ईवी के निर्माण के लिए तीन साल की अवधि में कम से कम 4,150 करोड़ रुपए (500 मिलियन USD) का निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। निर्माता को अनुमोदन के तीन वर्षों के भीतर 25% घरेलू मूल्यवर्धन और पांच वर्षों के भीतर 50% हासिल करना होगा।
प्रोत्साहन: यह योजना निर्माताओं को अनुमोदन की तारीख से पांच साल के लिए पूरी तरह से आयातित ईवी पर 15% के कम आयात शुल्क की पेशकश करती है। वर्तमान में, आयात शुल्क 70% से 100% तक है। आयातित ईवी का न्यूनतम लागत, बीमा और माल ढुलाई (सीआईएफ) मूल्य 35,000 USD होना चाहिए। एक निर्माता द्वारा आयात किए जा सकने वाले ईवी की संख्या निम्न के आधार पर निर्धारित की जाएगी: (i) छोड़ा गया अधिकतम शुल्क, और (ii) प्रतिबद्ध निवेश की मात्रा।
बैंक गारंटी: निर्माता को 4,150 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी या छोड़े गए शुल्क की मात्रा, जो भी अधिक हो, जमा करने की आवश्यकता होगी। यदि निर्माता निवेश और घरेलू मूल्यवर्धन से संबंधित लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहता है तो गारंटी का इस्तेमाल कर दिया जाएगा।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन योजना अधिसूचित
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम, 2024 को अधिसूचित किया है।[45] इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक दो और तीन-पहिया वाहनों (ईवी) (ई-रिक्शा सहित) को तेजी से अपनाने को बढ़ावा देना है। इसका परिव्यय 500 करोड़ रुपए होगा। इसे अप्रैल और जुलाई 2024 के बीच चार महीनों में लागू किया जाएगा। यह योजना 31 मार्च, 2024 को भारत में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग (फेम) योजना के दूसरे चरण के समापन पर लागू की जाएगी। मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
उपभोक्ताओं को प्रोत्साहन: उपभोक्ता कम कीमत पर ईवी खरीद सकेंगे। ऐसी कम कीमतों पर वाहनों की बिक्री के लिए निर्माता को केंद्र सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाएगी। दोपहिया और तिपहिया ईवी के लिए 5,000 रुपए प्रति kWh का प्रोत्साहन दिया जाएगा। ईवी की श्रेणी के आधार पर प्रोत्साहन की सीमा तय की जाएगी। यह योजना मुख्य रूप से वाणिज्यिक वाहनों और सार्वजनिक परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहनों को कवर करेगी। हालांकि निजी या कॉरपोरेट स्वामित्व वाले दोपहिया ईवी को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा।
प्रोत्साहनों का दावा: सरकार से प्रोत्साहन का दावा करने के लिए, निर्माताओं को कुछ मानदंडों को पूरा करना होगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) भारी उद्योग मंत्रालय के साथ पंजीकरण और उनके प्रत्येक इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल के लिए अनुमोदन, (ii) प्रत्येक वाहन मॉडल प्रदर्शन और दक्षता के लिए न्यूनतम तकनीकी पात्रता मानदंडों को पूरा करे, और (iii) वाहन का निर्माण भारत में किया जाना चाहिए।
पर्यावरण
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन अधिसूचित
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में संशोधन अधिसूचित किया है।[46],[47] नियम प्लास्टिक के उत्पादन और बिक्री में लगी संस्थाओं की जिम्मेदारियों को निर्दिष्ट करते हैं। संशोधन बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के निर्माताओं के लिए दायित्व निर्धारित करते हैं। संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:
बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के निर्माता: संशोधनों में बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की परिभाषा को 'परिवेशीय वातावरण में विघटित होने वाले प्लास्टिक' से बदलकर ‘लैंडफिल जैसे विशिष्ट वातावरण में विघटित होने वाले प्लास्टिक’ से बदल दिया गया है। ऐसे प्लास्टिक पर भारतीय मानक ब्यूरो और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा जारी अलग-अलग चिह्न और लेबल होने चाहिए। कंपोस्टेबल/बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक उत्पादों के निर्माताओं को विपणन या बिक्री से पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा।
ईपीआर पूरा करने के लिए बाध्य संस्थाएं: प्लास्टिक उत्पादों के विक्रेताओं और निर्माताओं को विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (ईपीआर) दायित्वों को पूरा करना आवश्यक है। इनमें प्लास्टिक पैकेजिंग का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण, और समाप्ति तिथि वाले प्लास्टिक का निपटान शामिल है। संशोधन यह भी निर्धारित करते हैं कि कौन सी संस्थाएं इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए बाध्य होंगी। 2016 के नियमों के तहत, बाध्य संस्थाओं में प्लास्टिक पैकेजिंग के निर्माता शामिल थे। संशोधनों से एमएसएमई उत्पादकों को छूट मिलती है। एमएसएमई के कुछ दायित्वों को उनके कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं द्वारा पूरा किया जाएगा। हालांकि एमएसएमई को पुनर्नवीनीकृत प्लास्टिक के उपयोग से संबंधित लक्ष्यों को पूरा करना होगा। संशोधन में प्लास्टिक कच्चे माल के निर्माताओं/आयातकों और बायोडिग्रेडेबल/कंपोस्टेबल प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माताओं को बाध्य संस्थाओं के रूप में जोड़ा गया है।
ईपीआर प्रमाणपत्रों का व्यापार: नियम ईपीआर प्रमाणपत्रों के व्यापार की अनुमति देते हैं। संशोधन निर्दिष्ट करते हैं कि प्रमाणपत्र की कीमत कुछ सीमाओं के अधीन सीपीसीबी द्वारा निर्धारित की जाएगी। न्यूनतम कीमत गैर-अनुपालन संस्थाओं द्वारा देय मुआवजे का 30% होगी, और अधिकतम कीमत मुआवजे का 100% होगी।
एकल उपयोग प्लास्टिक के लिए कच्चा माल: संशोधन प्लास्टिक के कच्चे माल के निर्माताओं और आयातकों को उन संस्थाओं को आपूर्ति करने से रोकते हैं जो एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं का निर्माण करती हैं जो कानून द्वारा निषिद्ध हैं।
बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 में संशोधन अधिसूचित
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 में संशोधन को अधिसूचित किया है।[48],[49],[50] नियमों में बैटरी उत्पादकों को बैटरी कचरे के पुनर्चक्रण और नवीनीकरण से संबंधित विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर) दायित्वों को पूरा करने की आवश्यकता होती है। ईपीआर दायित्वों को पूरा करने के लिए ईपीआर प्रमाणपत्रों का व्यापार किया जा सकता है। संशोधनों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
ईपीआर प्रमाणपत्रों का मूल्य: 2022 के नियमों के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ईपीआर प्रमाणपत्रों की कीमत को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार है। सीपीसीबी को ईपीआर प्रमाणपत्रों के लिए न्यूनतम मूल्य और अधिकतम मूल्य निर्दिष्ट करना होगा। कीमत को संग्रह की लागत, पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति और अपशिष्ट बैटरियों के अच्छे प्रबंधन में शामिल किया जाना चाहिए।
संशोधन निर्दिष्ट करते हैं कि ईपीआर प्रमाणपत्रों की कीमत पूरी तरह से अनुपालन न करने वाले उत्पादकों पर लगे मुआवजे पर निर्भर करेगी। 2022 के नियमों के तहत मुआवजे के लिए दिशानिर्देश सीपीसीबी द्वारा तैयार किए जाते हैं और मंत्रालय द्वारा तय किए जाते हैं। यह 'प्रदूषक भुगतान करेगा' के सिद्धांत पर आधारित है। संशोधनों के अनुसार, ईपीआर प्रमाणपत्र की न्यूनतम कीमत मुआवजे का 30% होगी और अधिकतम कीमत मुआवजे का 100% होगी।
मुआवजे पर दिशानिर्देश: 2022 के नियमों के तहत सीपीसीबी को ईपीआर दायित्वों का अनुपालन न करने की स्थिति में मुआवजा वसूलने का अधिकार है। सीपीसीबी द्वारा गठित एक कार्यान्वयन समिति मुआवजा वसूलने और एकत्र करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करती है और सुझाव देती है। 2024 के संशोधनों के अनुसार, सीपीसीबी दिशानिर्देश तैयार करेगा और सुझाव देगा। प्रक्रिया के दौरान सीपीसीबी कार्यान्वयन समिति से परामर्श कर सकता है।
स्वास्थ्य
फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग के लिए समान संहिता जारी
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
फार्मास्यूटिकल विभाग ने फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग पद्धतियों के लिए समान संहिता, 2024 जारी की है।[51] यह संहिता देश में फार्मास्यूटिकल उत्पादों की ब्रांडिंग और प्रचार को रेगुलेट करती है, और संबंधित शिकायतों से निबटने के लिए एक समिति की स्थापना करती है। सभी भारतीय फार्मास्यूटिकल संगठनों को अपनी वेबसाइट्स पर संहिता को अपलोड करना होगा और इसके तहत शिकायत दर्ज करने की विस्तृत प्रक्रिया प्रदान करनी होगी। संहिता की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रचार: स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के उद्देश्य से प्रचार सामग्री में निम्नलिखित विवरण शामिल होने चाहिए: (i) संबंधित दवा का नाम, (ii) सक्रिय सामग्री, (iii) अनुशंसित खुराक और उपयोग की विधि, और (iv) संभावित दुष्प्रभाव। पत्रिकाओं में प्रकाशित प्रचार सामग्री उनकी विषयवस्तु से मिलती-जुलती नहीं होनी चाहिए। कोई भी प्रचार सामग्री किसी भी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर के पहचानकर्ताओं का उपयोग नहीं कर सकती है।
ब्रांड अनुस्मारक (रिमाइंडर्स) केवल 1,000 रुपए से कम मूल्य की शैक्षिक वस्तुओं (जैसे किताबें और डायरी) और मुफ्त दवा के नमूनों के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है। ब्रांड रिमाइंडर किसी कंपनी द्वारा अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए दिए जाने वाले आइटम हैं। नि:शुल्क नमूने सीधे ऐसे व्यक्ति को सौंपे जाने चाहिए जो इसे प्रिस्क्राइब करने के योग्य हो या उनकी ओर से इसे प्राप्त करने के लिए अधिकृत कोई व्यक्ति हो। ऐसे नमूनों की मात्रा तीन रोगियों के लिए निर्धारित खुराक से अधिक नहीं होनी चाहिए।
दावे: किसी दवा की उपयोगिता के बारे में दावे नवीनतम साक्ष्यों पर आधारित होने चाहिए। निषिद्ध दावों में शामिल हैं: (i) किसी दवा या थेराप्यूटिक प्रैक्टिस को नया कहना, अगर वह आम तौर पर एक वर्ष से अधिक समय से उपलब्ध है, (ii) बिना योग्यता के किसी दवा को सुरक्षित बताना, और (iii) उसके दुष्प्रभावों के बिना होने का दावा करना। संहिता अन्य कंपनियों के उत्पादों के ब्रांड नामों के गैर-सहमत उपयोग और उनकी आलोचना करने पर भी रोक लगाती है।
आचार समिति: संहिता के अनुपालन के संबंध में शिकायतों के समाधान के लिए प्रत्येक फार्मास्यूटिकल संगठन में फार्मा मार्केटिंग संबंधी एक आचार समिति स्थापित की जानी चाहिए। इसमें तीन से पांच सदस्य होंगे। समिति को शिकायत प्राप्त होने के 90 दिनों के भीतर एक आदेश पारित करना होगा। संहिता का उल्लंघन करने पर दंड दिया जाएगा जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मौद्रिक वसूली, (ii) मीडिया में सुधारात्मक बयान, या (iii) संगठन से निष्कासन। समिति के फैसले के खिलाफ फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव की अध्यक्षता वाली शीर्ष समिति के समक्ष 15 दिनों के भीतर अपील दायर की जा सकती है।
संशोधित फार्मास्यूटिकल्स टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन सहायता योजना को मंजूरी दी गई
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने संशोधित फार्मास्यूटिकल्स टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन सहायता योजना को मंजूरी दे दी है।[52] मूल योजना में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रेगुलेटरी मानकों को पूरा करने के लिए फार्मास्यूटिकल एमएसएमई को सुविधा प्रदान करने की मांग की गई थी। उसने पूंजीगत ऋण पर ब्याज छूट भी प्रदान की थी।[53] संशोधित योजना की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
एप्लिकेबिलिटी बढ़ाई गई: मूल योजना के तहत, एमएसएमई को रेगुलेटरी मानकों को पूरा करने के लिए ब्याज छूट प्रदान की गई थी। संशोधित योजना में फार्मास्यूटिकल मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों को शामिल करने के लिए पात्रता का विस्तार किया गया है, जिसमें वे इकाइयां भी शामिल हैं जिनका औसत तीन साल का कारोबार 500 करोड़ रुपए से कम है। हालांकि एमएसएमई को प्राथमिकता दी जाएगी। जिस उद्यम का टर्नओवर 250 करोड़ रुपए से कम है, उसे एमएसएमई के रूप में वर्गीकृत किया गया है।[54]
नए मानकों के अनुपालन के लिए मदद: संशोधित योजना टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन की एक विस्तृत श्रृंखला को सपोर्ट करती है क्योंकि वैश्विक मैन्यूफैक्चरिंग मानकों को संशोधित किया गया है। मूल योजना के तहत हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी) सिस्टम, स्थिरता परीक्षण कक्ष और स्टेराइल एरियाज़ के लिए स्वचालित पार्टिकल काउंटर जैसे अपग्रेडेशन के लिए सहायता प्रदान की गई थी। इन अपग्रेडेशन के लिए सपोर्ट के अलावा, संशोधित योजना में स्वच्छ कमरे की सुविधाएं, अपशिष्ट उपचार, और पानी और भाप उपयोगिताएं शामिल होंगी।
टर्नओवर आधारित प्रोत्साहन संरचना: प्रोत्साहन की गणना वास्तविक निवेश के प्रतिशत के रूप में की जाएगी। इसे पिछले तीन वर्षों के औसत टर्नओवर से भी जोड़ा जाएगा (तालिका 3 देखें)। प्रति इकाई प्रोत्साहन की सीमा एक करोड़ रुपए होगी।
तालिका 3: संशोधित फार्मास्यूटिकल्स योजना के तहत प्रोत्साहन संरचना
टर्नओवर |
प्रोत्साहन (निवेश के % के रूप में) |
50 करोड़ रुपए से कम |
20% |
50 - 250 करोड़ रुपए |
15% |
250 - 500 करोड़ रुपए |
10% |
स्रोत: प्रेस सूचना ब्यूरो; पीआरएस।
दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की मूल्य निर्धारण संरचना में सुधार के लिए समिति का गठन
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की मूल्य निर्धारण संरचना में सुधार के लिए एक समिति का गठन किया है।[55] समिति में तीन मुख्य सदस्य होंगे। ये फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव और वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार और राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के अध्यक्ष हैं। भारतीय फार्मास्यूटिकल एलायंस के महासचिव और भारतीय औषधि निर्माता संघ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे।
समिति के संदर्भ की शर्तों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एनपीपीए में संस्थागत सुधार, (ii) चिकित्सा उपकरणों और उभरते उपचारों के लिए मूल्य मॉडरेशन ढांचा तैयार करना, और (iii) आवश्यक दवाओं की कीमत और उपलब्धता को संतुलित करना। यह अपने सुझावों को प्रभावी बनाने के लिए नए औषधि और चिकित्सा उपकरण (नियंत्रण) आदेश का ड्राफ्ट भी तैयार करेगी। समिति तीन महीने में रिपोर्ट देगी।
नए होम्योपैथिक कॉलेजों, पाठ्यक्रमों और सीटों के विस्तार के लिए नियम अधिसूचित
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग ने नए होम्योपैथिक चिकित्सा संस्थान की स्थापना (चिकित्सा संस्थान में अध्ययन या प्रशिक्षण के नए या उच्च पाठ्यक्रम शुरू करना और प्रवेश क्षमता में वृद्धि) रेगुलेशंस, 2024 जारी किए।[56] इन्हें राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग एक्ट, 2020 के तहत अधिसूचित किया गया है और ये 2011 के रेगुलेशंस का स्थान लेंगे।[57],[58] ये रेगुलेशंस नए होम्योपैथिक कॉलेज खोलने, नए पाठ्यक्रम पेश करने और अकादमिक प्रवेश का विस्तार करते समय पालन किए जाने वाले मानदंड और नियम प्रदान करते हैं। 2024 के रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
पात्रता: ऊपर बताए गए उद्देश्यों के लिए, किसी संस्थान के पास राज्य के आयुष या स्वास्थ्य विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र होना चाहिए। नया संस्थान खोलने या दूसरा कोर्स शुरू करने के लिए दिए गए प्रमाणपत्र की वैधता तीन साल की होगी। संस्थानों को किसी विश्वविद्यालय से संबद्धता की सहमति भी प्राप्त करनी होगी। एक नया पाठ्यक्रम शुरू करने या प्रवेश का विस्तार करने के लिए, एक संस्थान को 5.5 साल के लिए स्नातक पाठ्यक्रम और तीन साल के लिए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पेश करना होगा।
संस्थानों को आवेदन के उद्देश्य के आधार पर आयोग को बैंक गारंटी भी देनी होगी। उदाहरण के लिए नया संस्थान खोलने के लिए 2.5 करोड़ रुपए की गारंटी देनी होगी। प्रवेश बढ़ाने के लिए यह गारंटी प्रति स्नातकोत्तर सीट (पीजी) पांच लाख रुपए और प्रति 10 स्नातक सीट (यूजी) चार लाख रुपए होनी चाहिए।
प्रवेश: वार्षिक प्रवेश क्षमता यूजी पाठ्यक्रमों के लिए अधिकतम 100 सीटें और पीजी पाठ्यक्रमों के लिए 10 सीटें होंगी। पीजी सीटें बढ़ाने के लिए सबसे पहले सात सीटों की अनुमति दी जाएगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर और कर्मचारी: सभी चिकित्सा संस्थानों को इंफ्रास्ट्रक्चर और कर्मचारियों के न्यूनतम मानकों का पालन करना होगा। इन्हें होम्योपैथिक कॉलेजों और संलग्न अस्पतालों के लिए न्यूनतम आवश्यक मानकों को रेगुलेट करने वाले नियमों के तहत निर्दिष्ट किया गया है। नए मेडिकल कॉलेजों को चरणबद्ध तरीके से इनका अनुपालन करना होगा। उदाहरण के लिए विद्यार्थियों के पहले बैच के प्रवेश से पहले एक संस्थान में निम्नलिखित सुविधाएं होनी चाहिए: (i) कम से कम एक वर्ष के लिए पूरी तरह से काम करने वाला होम्योपैथिक अस्पताल, (ii) पूरी तरह कार्यात्मक फार्मेसी, (iii) आवश्यक सभी शिक्षक योग्यताएं, और (iv) चिकित्सा सेवाओं की चौबीसों घंटे उपलब्धता।
नए और मौजूदा होम्योपैथिक कॉलेजों के मूल्यांकन के लिए रेगुलेशंस जारी
Rutvik Upadhyaya (rutvik@prsindia.org)
राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग ने राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (चिकित्सा संस्थानों का मूल्यांकन और रेटिंग) रेगुलेशन, 2024 जारी किया।[59] इन रेगुलेशंस को राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग एक्ट, 2020 के तहत अधिसूचित किया गया है और ये होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (निरीक्षक और आगंतुक) रेगुलेशंस, 1982 का स्थान लेते हैं।[60],[61] एक्ट होम्योपैथी की शिक्षा और प्रैक्टिस को रेगुलेट करने के लिए राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग की स्थापना करता है। रेगुलेशंस शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर के न्यूनतम मानकों के अनुपालन के मद्देनजर नए और मौजूदा होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों के आकलन की प्रक्रिया प्रदान करते हैं। यह मूल्यांकन होम्योपैथी के लिए मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड द्वारा किया जाएगा। 2024 के रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
आकलन की प्रक्रिया: सभी पात्र होम्योपैथिक चिकित्सा संस्थानों को स्थापना के पांच साल बाद और उसके बाद हर साल मूल्यांकन कराना होगा। आवेदन के साथ, उन्हें मेडिकल मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड को एक शुल्क जमा करना होगा जो मूल्यांकन के उद्देश्य और मूल्यांकन की जा रही शिक्षा के स्तर के आधार पर 25,000 रुपए से पांच लाख रुपए तक है। मूल्यांकन के आधार पर संस्थानों की रेटिंग की जाएगी। रेटिंग निम्नलिखित मानदंडों पर आधारित होनी चाहिए: (i) इंफ्रास्ट्रक्चर, (ii) मानव और वित्तीय संसाधन, (iii) पेडेगॉगी, और (iv) कर्मचारी और विद्यार्थी कल्याण। इसके लिए मानक इसके लिए विशिष्ट रेगुलेशंस में अधिसूचित किए गए हैं।[62] मानकों का अनुपालन न करने पर बोर्ड को निम्नलिखित परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं: (i) सीटों की संख्या को कम कर दिया जाएगा, (ii) आगे प्रवेश देने से इनकार किया जाएगा, या (iii) कॉलेज की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की जाएगी।
मौजूदा संस्थान जो पांच साल से अधिक समय से स्थापित हैं और पिछले तीन वर्षों के दौरान अनुमोदन प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें विस्तार मिल सकता है। यह विस्तार स्व-घोषणा के आधार पर प्रवेश के एक और वर्ष के लिए होगा।
निरीक्षण: रेटिंग प्रदान करने के लिए संस्थानों का निरीक्षण के माध्यम से मूल्यांकन किया जाएगा। निरीक्षण निरीक्षकों या स्वतंत्र रेटिंग एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। निरीक्षकों के पास होम्योपैथी में मान्यता प्राप्त स्नातकोत्तर डिग्री और सरकार या स्वायत्त निकाय के साथ कम से कम पांच साल का पेशेवर अनुभव होना चाहिए। निरीक्षण भौतिक, ऑनलाइन या हाइब्रिड मोड में आयोजित किए जा सकते हैं। रेटिंग को राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग की वेबसाइट पर प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाना चाहिए। झूठी जानकारी प्रदान करना, घोस्ट टीचर्स रखना, या समय पर कमियों को सुधारने में विफल रहने पर आर्थिक दंड लग सकता है।
नवीन एवं अक्षय ऊर्जा
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत योजनाओं के लिए दिशानिर्देश जारी
नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।[63] हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और विकास को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2023 में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया गया था। मिशन के तहत योजनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अनुसंधान और विकास (आरएंडडी), (ii) इलेक्ट्रोलाइज़र मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन (पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में परिवर्तित करने के लिए एक उपकरण), (iii) कौशल विकास, और (iv) हाइड्रोजन हब की स्थापना।[64],[65],[66],[67] दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
आरएंडडी योजना: हाइड्रोजन उत्पादन, स्टोरेज, परीक्षण और परिवहन जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता (परियोजना की लागत के लिए) प्रदान की जाएगी। इसके लिए पात्र संस्थाओं में शैक्षणिक संस्थान, अनुसंधान एवं विकास संस्थान और सरकारी संस्थान/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शामिल हैं। मौजूदा क्षमताओं के आधार पर परियोजनाओं को अल्पावधि (पांच वर्ष तक), मध्यावधि (आठ वर्ष तक) और दीर्घावधिक (15 वर्ष तक) में विभाजित किया जाएगा। इस योजना का 2025-26 तक 400 करोड़ रुपए का बजटीय परिव्यय होगा।
इलेक्ट्रोलाइज़र मैन्यूफैक्चरिंग: यह योजना इलेक्ट्रोलाइज़र की घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को सहयोग देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है। इस योजना का कुल परिव्यय 4,440 करोड़ रुपए होगा, और प्रति किलोवाट मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता पर प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। पात्र होने के लिए कंपनियों की प्रति मेगावाट मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता का शुद्ध मूल्य एक करोड़ रुपए होना चाहिए। छोटे निर्माता (30 लाख रुपए प्रति मेगावाट या उससे अधिक की कुल संपत्ति वाले) भी योजना की एक अलग किश्त के तहत पात्र हैं।
हाइड्रोजन हब का गठन: जो क्षेत्र बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन के उत्पादन/उपयोग का सहयोग कर सकते हैं, उनकी पहचान की जाएगी और उन्हें हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा। स्टोरेज और परिवहन और जल उपचार सुविधाओं जैसे मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना का 2025-26 तक 200 करोड़ रुपए का परिव्यय है।
कौशल विकास: यह योजना स्कूलों और उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए कौशल विकास और पाठ्यक्रम डिजाइन करने का प्रयास करती है। 18-45 वर्ष की आयु के व्यक्ति, जो आवश्यक नौकरी मानदंडों को पूरा करते हैं, प्रशिक्षण के लिए पात्र होंगे। प्रशिक्षण संस्थानों में उच्च शिक्षा संस्थान, पीएम कौशल केंद्र और औद्योगिक उद्यम शामिल हैं। 2029-30 तक योजना का परिव्यय 35 करोड़ रुपए है।
ऊर्जा
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
उत्पादन और ट्रांसमिशन के लिए टैरिफ रेगुलेशंस अधिसूचित
केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग (सीईआरसी) ने सीईआरसी (टैरिफ के नियम और शर्तें) रेगुलेशंस, 2024 को अधिसूचित किया है।[68] इन रेगुलेशंस को बिजली एक्ट, 2003 के तहत अधिसूचित किया गया है, जो बिजली के उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण को रेगुलेट करता है।[69] 2024 के रेगुलेशंस निम्नलिखित मामलों में सीईआरसी द्वारा टैरिफ निर्धारण पर लागू होंगे: (i) केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उत्पादक और एक से अधिक राज्यों में संचालित होने वाले अन्य उत्पादकों से बिजली की खरीद, और (ii) अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम का उपयोग। 2024 के रेगुलेशंस अप्रैल 2024 से मार्च 2029 तक लागू होंगे। 2024 के रेगुलेशंस में कई पहलू 2019 के रेगुलेशंस के समान हैं, जो अप्रैल 2019 और मार्च 2024 के बीच लागू थे।[70] 2024 के रेगुलेशंस की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
रिटर्न की दर: सीईआरसी एक टैरिफ संरचना निर्धारित करता है जो अन्य सभी लागतों की वसूली के अलावा निवेश पर रिटर्न की एक निश्चित दर प्रदान करता है। रिटर्न की दर में बदलाव के लिए तालिका 4 देखें।
तालिका 4: निवेश पर रिटर्न की दर
परियोजना की श्रेणी |
मौजूदा परियोजनाएं |
1 अप्रैल, 2024 को या उसके बाद शुरू की गई परियोजनाएं |
ट्रांसमिशन |
15.5% |
15.0% |
थर्मल पावर |
15.5% |
15.5% |
हाइड्रो पावर |
15.5% |
15.5% |
पंप स्टोरेज सिस्टम्स सहित स्टोरेज-टाइप की हाइड्रो पावर |
16.5% |
17.0% |
स्रोत: सीईआरसी; पीआरएस।
पूंजीगत लागत: बिजली टैरिफ के दो भाग होते हैं, निश्चित और परिवर्तनशील। निश्चित लागतों में निवेश पर रिटर्न, मूल्यह्रास और पूंजी पर ब्याज शामिल हैं। किसी परियोजना के लिए पूंजीगत लागत में सीईआरसी द्वारा अनुमोदित कोई भी पूंजीगत लागत शामिल है, जिसमें आधुनिकीकरण के कारण पूंजीगत व्यय भी शामिल है। रेगुलेशंस में कहा गया है कि मौजूदा थर्मल पावर परियोजनाओं के लिए पूंजीगत लागत में बायोमास हैंडलिंग उपकरण और कानून में कोई भी बदलाव पर होने वाला खर्च भी शामिल होगा। नई परियोजनाओं के लिए, इन लागतों को पहले से ही 2019 के रेगुलेशंस के तहत शामिल किया गया था, और 2024 के रेगुलेशंस इसे बरकरार रखते हैं। हाइड्रो परियोजनाओं के लिए, पूंजीगत लागत में स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर खर्च (प्रति स्थापित क्षमता 10 लाख रुपए तक) भी शामिल होगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग
Tanvi Vipra (tanvi@prsindia.org)
वाहन स्क्रैपिंग नियमों में संशोधन
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन (वाहन स्क्रैपिंग इकाई का पंजीकरण और कार्य) नियम, 2021 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[71],[72] नियम मोटर वाहन एक्ट, 1988 के तहत बनाए गए हैं।[73] एक्ट मोटर वाहनों के पंजीकरण का प्रावधान करता है। नियमों में एंड ऑफ लाइफ वाहनों को स्क्रैप करने का प्रावधान है। संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित हैं:
स्थापना के लिए सहमति प्राप्त करना: वाहन स्क्रैपिंग इकाइयों को इकाई स्थापित करने से पहले सहमति प्राप्त करनी होगी। संशोधन सहमति देने वाले प्राधिकरण को बदलते हैं। यह सहमति अब राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार के परिवहन आयुक्त की बजाय राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दी जाएगी। नियमों के तहत सहमति प्राप्त करने के आवेदन के बाद इकाई स्थापित की जा सकती है। संशोधन इस प्रावधान को हटाते हैं।
पंजीकरण का हस्तांतरण: 2021 नियमों के तहत, स्क्रैपिंग इकाइयों का पंजीकरण गैर-हस्तांतरणीय है। संशोधन पंजीकरण के हस्तांतरण की अनुमति देता है।
जमा प्रमाणपत्र: स्क्रैपिंग इकाई वाहन मालिक को जमा प्रमाणपत्र जारी करती है। प्रमाणपत्र वाहन के स्वामित्व के हस्तांतरण को मान्यता देता है। नया वाहन खरीदते समय प्रोत्साहन और लाभ प्राप्त करने के लिए वाहन मालिकों के लिए प्रमाणपत्र अनिवार्य है। यह इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार योग्य है। संशोधन प्रमाणपत्र की वैधता को दो साल से बढ़ाकर तीन साल करता है। सरकारी स्वामित्व वाले वाहनों या जब्त किए गए वाहनों को जारी किए गए प्रमाणपत्रों पर कोई प्रोत्साहन नहीं मिलेगा। ऐसे वाहनों को जारी किए गए प्रमाणपत्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार योग्य भी नहीं होंगे।
स्वचालित टेस्टिंग स्टेशनों के नियमों में संशोधन
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में संशोधन अधिसूचित किए हैं।[74],[75] नियम मोटर वाहन एक्ट, 1988 के तहत तैयार किए गए हैं।73 एक्ट केंद्र सरकार को स्वचालित टेस्टिंग स्टेशनों को पहचानने और रेगुलेट करने का अधिकार देता है। ये स्टेशन परिवहन वाहनों की फिटनेस टेस्टिंग करते हैं। संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
ऑपरेटरों के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र हस्तांतरणीय होंगे: नियमों के तहत स्वचालित टेस्टिंग स्टेशनों को संचालन शुरू करने के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है। प्रमाणपत्र अहस्तांतरणीय था। संशोधन इसके जारी होने की तारीख से छह महीने के बाद ऑपरेटरों के बीच प्रमाणपत्रों के हस्तांतरण की अनुमति देते हैं।
टेस्टिंग स्टेशन खोलने के लिए ओनर्स की पात्रता: नियमों के तहत, स्वचालित टेस्टिंग स्टेशनों के ओनर्स या संचालकों के पास कम से कम तीन करोड़ रुपए की कुल संपत्ति होनी आवश्यक थी। संशोधन इस आवश्यकता को हटाते हैं।
वाहनों की री-टेस्टिंग: पहले के नियमों के तहत, अगर कोई वाहन फिटनेस टेस्टिंग में विफल रहता है, तो ओनर पहली टेस्टिंग के 30 दिनों के भीतर री-टेस्टिंग के लिए आवेदन कर सकता है। संशोधनों ने इस विंडो को 180 दिनों तक बढ़ा दिया है, साथ ही कई बार री-टेस्टिंग की अनुमति भी दी है।
टेस्टिंग परिणामों के खिलाफ अपील के लिए अपीलीय प्राधिकारी को हटाना: नियम टेस्टिंग परिणामों से उत्पन्न होने वाली शिकायतों के समाधान के लिए एक अपीलीय प्राधिकारी का प्रावधान करते हैं। प्राधिकरण में एक अधिकारी होता है, जो कम से कम क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी स्तर का होना चाहिए। संशोधन अपीलीय प्राधिकार के प्रावधान को हटा देता है। इसके बजाय वह क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी को स्टेशन के कुशल संचालन और टेस्टिंग परिणामों की सच्चाई सुनिश्चित करने का प्रावधान करता है।
हल्के मोटर वाहन के आवेदन: नियमों में हल्के, मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों की टेस्टिंग का प्रावधान है। संशोधनों के तहत हल्के मोटर वाहनों को भी इसमें शामिल किया गया है।
टेस्टिंग स्टेशन में वाहनों की स्क्रैपिंग नहीं की जाएगी: स्वचालित टेस्टिंग स्टेशन केवल वाहन फिटनेस टेस्ट कर सकते हैं। उन्हें मरम्मत, निर्माण या बिक्री से संबंधित सेवाएं प्रदान करने से प्रतिबंधित किया गया है। संशोधनों में कहा गया है कि इन स्टेशनों को कोई भी वाहन स्क्रैपिंग सेवा प्रदान करने से भी प्रतिबंधित किया जाएगा।
वाणिज्य
Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)
कैबिनेट ने उत्तर पूर्व परिवर्तनकारी औद्योगीकरण योजना को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर पूर्व परिवर्तनकारी औद्योगीकरण योजना (उन्नति), 2024 को मंजूरी दी है।[76] केंद्रीय क्षेत्र की योजना 10 साल की अवधि में 10,037 करोड़ रुपए की कुल लागत के साथ लागू की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में उद्योगों का विकास करना और रोजगार पैदा करना है। इसे दो भागों में विभाजित किया जाएगा: (i) पात्र इकाइयों को प्रोत्साहन के लिए 9,737 करोड़ रुपए और (ii) कार्यान्वयन और संस्थागत व्यवस्था के लिए 300 करोड़ रुपए।
योजना के तहत प्रदान किए जाने वाले प्रोत्साहनों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) नई और विस्तारित इकाइयों के लिए पूंजी निवेश प्रोत्साहन, (ii) नई और विस्तारित इकाइयों के लिए ब्याज छूट, और (iii) नई इकाइयों के लिए मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े प्रोत्साहन। कार्यान्वयन की निगरानी के लिए निम्नलिखित समितियों का गठन किया जाएगा: (i) एक संचालन समिति, जो योजना की किसी भी व्याख्या पर निर्णय लेगी और कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी करेगी, (ii) एक राज्य स्तरीय समिति, जो कार्यान्वयन की निगरानी करेगी, और (iii) एक सचिव स्तरीय समिति, जो इसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगी।
भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के साथ व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए
भारत ने यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।[77] ईएफटीए में स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं। समझौते के तहत, ईएफटीए का लक्ष्य अगले 15 वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 100 बिलियन USD तक बढ़ाना होगा। ईएफटीए में भारत को सभी गैर-कृषि उत्पादों को कवर करने वाली बाजार पहुंच और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर टैरिफ रियायत मिलेगी। भारत लोहे और इस्पात की कुछ वस्तुओं, कपड़ों और भवन निर्माण मशीनरी जैसे सामानों पर टैरिफ रियायतें प्रदान करेगा।
दूरसंचार
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
ट्राई ने एम्बेडेड-सिम के उपयोग पर सुझाव जारी किए
भारतीय दूरसंचार रेगुलेटरी प्राधिकरण (ट्राई) ने मशीन-टू-मशीन संचार के लिए एम्बेडेड सिम (eSIM) के उपयोग पर अपने सुझाव जारी किए।[78] मशीन से मशीन संचार उन प्रौद्योगिकियों को कहा जाता है जो उपकरणों को अन्य उपकरणों के साथ संचार करने की अनुमति देता है। एक eSIM एक भौतिक सिम कार्ड के समान है; हालांकि इसे सीधे एक डिवाइस में एम्बेड किया जाता है और विभिन्न सेवा प्रदाताओं को सपोर्ट करने के लिए इसे रीप्रोग्राम किया जा सकता है। सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
eSIMs का प्रबंधन: eSIM कई प्रोफाइल को सपोर्ट कर सकता है; हालांकि एक समय में केवल एक प्रोफ़ाइल का उपयोग किया जा सकता है। प्रोफ़ाइल कॉन्फ़िगरेशन डेटा है जो eSIM को मोबाइल नेटवर्क से कनेक्ट करने की अनुमति देता है। नेटवर्क आर्किटेक्चर का एक हिस्सा eSIM आधारित डिवाइस पर प्रोफाइल को लोड करने, एनेबल करने, डिसेबल करने और डिलिशन को नियंत्रित करता है। इसे सब्सक्रिप्शन मैनेजर - सिक्योर रूटिंग (एसएम-एसआर) कहा जाता है। वर्तमान में केवल दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) ही एसएम-एसआर का प्रबंधन कर सकते हैं। ट्राई ने सुझाव दिया है कि अन्य संस्थाओं को भी एसएम-एसआर का प्रबंधन करने की अनुमति दी जाए। इनमें ऐसी संस्थाएं शामिल हैं जिनके पास: (i) एकीकृत लाइसेंस के तहत एक्सेस सेवा और मशीन से मशीन ऑथराइजेशन है, और (ii) मशीन से मशीन सेवा प्रदाता के रूप में पंजीकरण है (जिन्हें विशिष्ट अनुमति की आवश्यकता होगी)। ऐसे प्रदाताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, फ्लीट प्रबंधन और कृषि स्वचालन।
eSIMs का डिवाइस से डिवाइस ट्रांसफर: वर्तमान में eSIM को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में ट्रांसफर करने का कोई तरीका नहीं है। इसके विपरीत, एक भौतिक सिम को एक डिवाइस से हटाया जा सकता है और दूसरे में डाला जा सकता है। इसलिए, ट्राई ने सुझाव दिया है कि दूरसंचार विभाग इस तरह के मानक विकसित करने की संभावना की जांच करे।
अंतरराष्ट्रीय eSIMs को फिर से कॉन्फ़िगर करना: ट्राई ने पहले सुझाव दिया था कि विदेशी eSIM को एक निर्दिष्ट अवधि के लिए भारतीय नेटवर्क पर रोमिंग की अनुमति दी जानी चाहिए। यह अवधि तीन वर्ष या डिवाइस के स्वामित्व के परिवर्तन पर, जो भी पहले हो, है। इसके बाद, डिवाइस को भारतीय सेवा प्रदाता के eSIM के साथ फिर से कॉन्फ़िगर करना होगा। ट्राई ने इस सीमा को घटाकर छह महीने या स्वामित्व बदलने पर, जो भी पहले हो, का सुझाव दिया।
पेट्रोलियम
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
हवाई मार्ग से पेट्रोलियम और आईएसओ कंटेनरों के आयात संबंधी रेगुलेशन के लिए नियमों में संशोधन
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने पेट्रोलियम (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है।[79] नियम पेट्रोलियम नियम, 2002 में संशोधन करते हैं।[80] नियम पेट्रोलियम एक्ट, 1934 के तहत बनाए गए हैं, जो पेट्रोलियम के आयात, परिवहन, स्टोरेज, शोधन और मिश्रण को रेगुलेट करते हैं।[81] संशोधित नियम हवाई मार्ग से पेट्रोलियम के आयात और आईएसओ टैंक कंटेनरों के आयात को प्रतिबंधित करते हैं। आईएसओ टैंक कंटेनर एक प्रकार के पेट्रोलियम फ्रेट कंटेनर हैं जिनका उपयोग तरलीकृत पेट्रोलियम के परिवहन के लिए किया जाता है। नियमों की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
आईएसओ टैंक कंटेनरों के आयात पर प्रतिबंध: संशोधित नियम ऐसे कंटेनरों के आयात पर रोक लगाते हैं जब तक कि विस्फोटक नियंत्रक या मुख्य नियंत्रक से अनुमति न ली गई हो। ऐसी अनुमति मांगने वाले व्यक्तियों को कुछ जानकारी देनी होगी। जैसे: (i) वैध लाइसेंस, और (ii) निर्माता का निरीक्षण और कंटेनर के डिज़ाइन का विवरण देने वाले दस्तावेज़। हालांकि ये नियम आईएसओ कंटेनरों पर लागू नहीं होते हैं जिनमें अनुसंधान और विकास के लिए आयातित पेट्रोलियम होता है।
हवाई मार्ग से पेट्रोलियम के आयात पर प्रतिबंध: संशोधित नियम मुख्य विस्फोटक नियंत्रक के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत हवाई अड्डों को छोड़कर, हवाई मार्ग से पेट्रोलियम के आयात को प्रतिबंधित करते हैं। पेट्रोलियम आयात करने के लिए, लाइसेंसधारी को पेट्रोलियम के आयात से पहले हवाई अड्डे के प्रभारी अधिकारी और सीमा शुल्क आयुक्त को इसकी घोषणा करनी होगी। हवाई मार्ग से पेट्रोलियम आयात करने की अनुमति मांगने वाले व्यक्तियों को कुछ जानकारी देनी होगी। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आयात घोषणा, (ii) उनके लाइसेंस की एक प्रति, और (iii) नागरिक उड्डयन महानिदेशक द्वारा एक लैंडिंग परमिट। पेट्रोलियम उतारने के लिए सीमा शुल्क आयुक्त की अनुमति की आवश्यकता होगी।
खान
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
अपतटीय क्षेत्र संचालन अधिकार नियमों पर टिप्पणियां आमंत्रित
खान मंत्रालय ने अपतटीय क्षेत्र संचालन नियम, 2024 के ड्राफ्ट पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[82] ड्राफ्ट नियम अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और रेगुलेशन) एक्ट, 2002 के तहत जारी किए गए हैं।[83] एक्ट भारत के समुद्री क्षेत्रों में खनन को रेगुलेट करता है। ड्राफ्ट नियम एक्ट में 2023 के संशोधनों के प्रावधानों को प्रभावी बनाने का प्रयास करते हैं।[84] निजी कंपनियों और सरकारी कंपनियों को संचालन अधिकार दिए जा सकते हैं। उन्हें एक कंपोजिट लाइसेंस (अन्वेषण और उत्पादन के लिए एक संयुक्त लाइसेंस) या उत्पादन पट्टे के रूप में प्रदान किया जा सकता है। ड्राफ्ट नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
कनसेशंस देने से पहले परामर्श: संचालन अधिकार देने के लिए अपतटीय क्षेत्रों को उपलब्ध कराने से पहले, प्रशासन प्राधिकारी को इस संबंध में कई मंत्रालयों से परामर्श करना चाहिए। प्रशासन प्राधिकारी को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) रक्षा मंत्रालय, (ii) पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, (iii) गृह मंत्रालय, (iv) विदेश मंत्रालय, और (v) परमाणु ऊर्जा विभाग।
संचालन अधिकारों की शर्तें: उत्पादन पट्टा 50 वर्ष की अवधि के लिए वैध होगा। परिचालन अधिकार धारकों को कुछ दायित्वों को पूरा करना होगा। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्राकृतिक समुद्र तल के पुनर्वास के प्रयास, (ii) खनिजों की निर्दिष्ट मात्रा का खनन, और (iii) आवश्यकता पड़ने पर अधिकृत अधिकारियों को जहाजों या स्ट्रक्चर्स पर चढ़ने की अनुमति देना।
लाइसेंस का लैप्स होना, सरेंडर या समाप्ति: कंपोजिट लाइसेंस और उत्पादन पट्टे लैप्स हो सकते हैं, सरेंडर किए जा सकते हैं, या समाप्त किए जा सकते हैं। अगर लाइसेंसधारी/पट्टाधारक एक वर्ष के भीतर अन्वेषण या दो साल के भीतर उत्पादन करने में विफल रहता है, तो उनका लाइसेंस/पट्टा लैप्स हो सकता है। लाइसेंसधारी और पट्टेदार भी अपने परिचालन अधिकार सरेंडर कर सकते हैं। प्रशासन प्राधिकारी द्वारा लाइसेंस सरेंडर करने से इनकार किया जा सकता है।
केंद्र सरकार के पास प्रशासन प्राधिकारी के साथ परामर्श के बाद संचालन अधिकार को समाप्त करने की शक्ति है। इन्हें निम्नलिखित आधार पर समाप्त किया जा सकता है: (i) सार्वजनिक हित, (ii) देश का रणनीतिक हित, (iii) पर्यावरण का संरक्षण, और (iv) लाइसेंस/पट्टे के नियमों और शर्तों का उल्लंघन।
10 अप्रैल, 2024 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।
कोयला
Pratinav Damani (pratinav@prsindia.org)
अंतर-मंत्रालयी समिति ने कोयला आयात प्रतिस्थापन पर रिपोर्ट जारी की
कोयला मंत्रालय द्वारा गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति ने कोयला आयात प्रतिस्थापन पर एक रिपोर्ट जारी की।[85] 2023 में भारत ने 893 मिलियन टन (MT) कोयले का उत्पादन किया, जिसमें से 833 MT गैर-कोकिंग कोल (बिजली में प्रयुक्त) है। भारत ने 2023 में 237 मीट्रिक टन कोयला भी आयात किया। कोयले का उपयोग बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन (64%), इस्पात उत्पादन (8%) और सीमेंट उत्पादन (5%) के लिए किया जाता है। 2030 तक कोयले की मांग 1.6 बिलियन टन होने का अनुमान है। प्रमुख निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
कोकिंग कोल के आयात में कमी: कोकिंग कोल का उपयोग मुख्य रूप से इस्पात के उत्पादन में किया जाता है। इस्पात उद्योग अपने कोकिंग कोल की 90% आवश्यकताओं को आयात के माध्यम से पूरा करता है। 2022-23 में कोकिंग कोल का घरेलू उत्पादन 56 मीट्रिक टन था, जिसमें से केवल 11 मीट्रिक टन की आपूर्ति इस्पात क्षेत्र को की गई थी। बाकी की आपूर्ति मुख्य रूप से बिजली क्षेत्र को की गई। इस प्रकार समिति ने सुझाव दिया कि इस्पात क्षेत्र को अधिक कोकिंग कोल की आपूर्ति की जानी चाहिए। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि धुलाई क्षमता बढ़ाई जाए। धुलाई से तात्पर्य कोयले से अशुद्धियां (जैसे सल्फर और राख) निकालना है। उसने यह भी सुझाव दिया कि कोयला गैसीकरण का उपयोग प्रत्यक्ष रूप से कम किए गए लोहे (डीआरआई) के उत्पादन के लिए किया जाए। डीआरआई में कम मात्रा में अशुद्धियां होती हैं और इसे इस्पात निर्माण के लिए प्राथमिकता दी जाती है। कोयला गैसीकरण कार्बन को सिनगैस (ज्यादातर कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन) में परिवर्तित करता है, और इसका उपयोग डीआरआई का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है।
गैर कोकिंग कोल आयात में कमी: नॉन-कोकिंग कोल का उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है। समिति ने कहा कि बॉयलर बिजली उत्पादन के लिए घरेलू कोयले का उपयोग कर सकते हैं। आयातित कोयला कीमत में उतार-चढ़ाव के अधीन है; हालांकि उत्पादित बिजली की कीमत आनुपातिक रूप से नहीं बढ़ाई जा सकती। इस प्रकार, समिति ने सुझाव दिया कि बॉयलर घरेलू कोयले का उपयोग करें और उन्हें घरेलू कोयले के अनुकूल बनाने के लिए रेट्रोफिट किया जाए।
कोयले पर जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस: समिति ने कोयले पर जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस को रैशनलाइज करने का सुझाव दिया। 400 रुपए प्रति टन की दर से सेस लगाया जाता है। यह मूल (घरेलू या आयातित), गुणवत्ता या स्रोत की परवाह किए बिना है। इससे ऊर्जा की प्रति यूनिट पर घरेलू कोयले की लागत अधिक हो जाती है, क्योंकि आयातित कोयले की तुलना में घरेलू कोयले में आम तौर पर ऊर्जा कंटेंट कम होता है। इसलिए उसने सुझाव दिया कि कोयले के मूल्य के प्रतिशत के रूप में सेस लगाया जाए। इससे घरेलू कोयला सस्ता होने की उम्मीद है।
[1] Current Elections, Election Commission of India, https://www.eci.gov.in/election-management.
[2] Revised Schedule, Current Elections, Election Commission of India, https://www.eci.gov.in/eci-backend/public/api/download?url=LMAhAK6sOPBp%2FNFF0iRfXbEB1EVSLT41NNLRjYNJJP1KivrUxbfqkDatmHy12e%2FzBiU51zPFZI5qMtjV1qgjFsK5bO1Fe8raUy8r%2B3VvV90xGp1Km%2F8Iq5yoAXpUIkspCSv%2B1yJkuMeCkTzY9fhBvw%3D%3D
[3] High Level Committee Report on Simultaneous Elections in India, March 14, 2024, https://onoe.gov.in/report-web/Hlc-report-en.pdf.
[4] Developments in India’s Balance of Payments during the Third Quarter (October-December) of 2023-24, Reserve Bank of India, March 26, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/PressRelease/PDFs/PR2116BOPBA74774CAC8142C39C136C429CC509BE.PDF.
[5] Article 105(1) and Article 194(2), The Indian Constitution.
[6] Criminal Appeal No. 1207 of 1997, P.V. Narasimha Rao vs. State (CBI/SPE), April 17, 1998, https://main.sci.gov.in/jonew/judis/13282.pdf.
[7] Criminal Appeal No. 451 of 2019, Sita Soren vs. Union of India, March 4, 2024, https://main.sci.gov.in/supremecourt/2014/10177/10177_2014_1_1501_51211_Judgement_04-Mar-2024.pdf.
[8] Citizenship (Amendment) Rules, 2024, Ministry of Home Affairs, March 11, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/252847.pdf.
[9] Citizenship Rules, 2009, Ministry of Home Affairs, February 25, 2009, https://www.mha.gov.in/PDF_Other/Citi_Rule-2009.pdf.
[10] Citizenship Amendment Act, 2019, https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2019/Citizenship%20(Amendment)%20Bill,%202019.pdf.
[11] S.O. 1231(E), Ministry of Home Affairs, March 11, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/252848.pdf.
[12] Cinematograph (Certification) Rules, 2024, Ministry of Information and Broadcasting, March 15, 2024, https://mib.gov.in/sites/default/files/Final%20Cinematograph%20Certification%20Rules%2014032024-Accessible.pdf.
[13] The Cinematograph (Certification) Rules, 1983, Ministry of Information and Broadcasting, May 9, 1983, https://upload.indiacode.nic.in/showfile?actid=AC_CEN_29_41_00011_195237_1517807328551&type=rule&filename=Cinematograph%20Certification%20Rules%201983.pdf.
[14] The Cinematograph Act, 1952, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2170/5/a1952-37.pdf.
[15] The Cinematograph (Amendment) Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/247867.pdf.
[16] Draft Cinematograph (Adjudication of Penalty) Rules, 2024, Ministry of Information and Broadcasting, March 15, 2024, https://mib.gov.in/sites/default/files/Notice%20dated%2015-03-2024%20-%20Inviting%20Comments%20for%20Cinematograph%20%28Adjudication%20of%20Penalty%29%20Rules%2C%202024.pdf.
[17] The Cinematograph Act, 1952, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2170/5/a1952-37.pdf.
[18] Guidelines of Accessibility Standards in the Public Exhibition of Feature Films in Cinema Theatres for Persons with Hearing and Visual Impairment, Ministry of Information and Broadcasting, March 15, 2024, https://mib.gov.in/sites/default/files/O.M.%20dated%2015.03.2024%20regarding%20Guidelines%20of%20Accessibilty%20Standards.%20-%20Accessible.pdf.
[19] The Rights of Persons With Disabilities Act, 2016, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15939/1/the_rights_of_persons_with_disabilities_act%2C_2016.pdf.
[20] Report of the Committee on Digital Competition Law, Ministry of Corporate Affairs, https://www.mca.gov.in/bin/dms/getdocument?mds=gzGtvSkE3zIVhAuBe2pbow%253D%253D&type=open.
[21] “MCA invites public comments on Report of Committee on Digital Competition Law and Draft Bill on Digital Competition Law”, Press Information Bureau, Ministry of Corporate Affairs, March 12, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2013947.
[22] No. CCI/Reg-C.R./2024, The Competition Commission of India, March 6, 2024, https://www.cci.gov.in/images/whatsnew/en/gazette-notification-published-on-06-march-2024-regarding-the-competition-commission-of-india-co1709739461.pdf.
[23] No. CCI/Reg-S.R./2024, The Competition Commission of India, March 6, 2024, https://www.cci.gov.in/images/whatsnew/en/gazette-notification-published-on-06-march-2024-regarding-the-competition-commission-of-india-se1709738701.pdf.
[24] The Competition Act, 2002, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2010/3/A2003-12.pdf.
[25] The Competition (Amendment) Bill, 2023, https://sansad.in/getFile/BillsTexts/LSBillTexts/PassedBothHouses/The%20Competition419202351513PM.pdf?source=legislation.
[26] S.O. 1130(E), Ministry of Corporate Affairs, March 7, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/252733.pdf.
[27] “Ministry of Corporate Affairs revises threshold limits for value of Assets and Turnover for purposes of combination filings under Competition Act, 2002 as a step towards ‘Ease of doing Business’”, Press Information Bureau, Ministry of Corporate Affairs, March 8, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2012821.
[28] Reserve Bank of India (Credit Card and Debit Card – Issuance and Conduct) Directions, 2022, Reserve Bank of India, April 21, 2022, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/92MDCREDITDEBITCARDC423AFFB5E7945149C95CDD2F71E9158.PDF.
[29] Amendment to the Master Direction - Credit Card and Debit Card – Issuance and Conduct Directions, 2022, Reserve Bank of India, March 7, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/CIRCULARAMENDMENTTOMDA5CCCE00D45C4B6E8990BCEEE5810A87.PDF.
[30] Arrangements with Card Networks for issue of Credit Cards, Reserve Bank of India, March 6, 2024, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/FINALCIRCULARDPSSC622292228054F9BB686657192C0D8F9.PDF.
[31] Omnibus Framework for recognition of Self-Regulatory Organisations for Regulated Entities of the Reserve Bank, Reserve Bank of India, March 21, 2024, https://www.rbi.org.in/Scripts/BS_PressReleaseDisplay.aspx?prid=57534.
[32] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Insurance Products) Regulations, 2024, Insurance Regulatory and Development Authority of India, March 20, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/253325.pdf.
[33] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Micro Insurance) Regulations, 2015, https://irdai.gov.in/document-detail?documentId=617801.
[34] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Health Insurance) Regulations, 2016, https://irdai.gov.in/document-detail?documentId=602887.
[35] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Unit Linked Insurance Products) Regulations, 2019, https://irdai.gov.in/document-detail?documentId=604874.
[36] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Protection of Policyholders’ Interests, Operations and Allied Matters of Insurers) Regulations, 2024, Insurance Regulatory and Development Authority of India, March 20, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/253330.pdf.
[37] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Protection of Policyholders’ Interests) Regulations, 2017, Insurance Regulatory and Development Authority of India, June 22, 2017, https://irdai.gov.in/document-detail?documentId=385593.
[38] Insurance Regulatory and Development Authority of India (Bima Sugam - Insurance Electronic Marketplace) Regulations, 2024, Insurance Regulatory and Development Authority of India, March 20, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/253321.pdf.
[39] SEBI Board Meeting, Securities and Exchange Board of India, March 15, 2024, https://www.sebi.gov.in/media-and-notifications/press-releases/mar-2024/sebi-board-meeting_82286.html.
[40] SEBI (Foreign Portfolio Investors) (Second Amendment) Regulations, 2023, Securities and Exchange Board of India, August 10, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248012.pdf.
[41] Securities and Exchange Board of India (Index Providers) Regulations, 2024, Securities and Exchange Board of India, March 11, 2024, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/mar-2024/securities-and-exchange-board-of-india-index-providers-regulations-2024_82144.html.
[42] Securities and Exchange Board of India (Real Estate Investment Trusts) (Amendment) Regulations, 2024, Securities and Exchange Board of India, March 8, 2024, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/mar-2024/securities-and-exchange-board-of-india-real-estate-investment-trusts-amendment-regulations-2024_82138.html.
[43] Securities and Exchange Board of India (Real Estate Investment Trusts) Regulations 2014, Securities and Exchange Board of India, https://www.sebi.gov.in/legal/regulations/feb-2023/securities-and-exchange-board-of-india-real-estate-investment-trusts-regulations-2014-last-amended-on-february-14-2023-_68061.html.
[44] S.O. 1363(E), Ministry of Heavy Industries, March 15, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/253042.pdf.
[45] S.O. 1334(E), Ministry of Heavy Industries, March 13, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/252967.pdf.
[46] G.S.R. 201(E), Plastic Waste Management (Amendment) Rules, 2024, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, March 14, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/253031.pdf.
[47] Plastic Waste Management Rules, 2016.
[48] G.S.R. 190(E), Battery Waste Management (Amendment) Rules, 2024, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, March 14, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/252990.pdf.
[49] S.O. 4669(E), Battery Waste Management (Amendment) Rules, 2023, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, October 25, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/249699.pdf.
[50] S.O. 3984(E), Battery Waste Management Rules, 2022, Ministry of Environment, Forest and Climate Change, August 22, 2022, https://cpcb.nic.in/uploads/hwmd/Battery-WasteManagementRules-2022.pdf.
[51] ‘Uniform Code for Pharmaceutical Marketing Practices’, Department of Pharmaceuticals, March 12, 20024, https://pharmaceuticals.gov.in/sites/default/files/UCPMP%202024%20for%20website_0.pdf
[52] “Department of Pharmaceuticals announces the Revamped Pharmaceuticals Technology Upgradation Assistance Scheme”, Ministry of Chemicals and Fertilizers, Press Information Bureau, March 11, 2024, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2013379.
[53] Pharmaceutical Technology Upgradation Assistance Scheme, Department of Pharmaceuticals, https://pharmaceuticals.gov.in/sites/default/files/Pharmaceutical%20Technology%20Upgradation%20Assistance%20Scheme%20%28PTUAS%29_0_0.pdf.
[54] CG-DL-E-01062020-219680, Ministry of Micro Small and Medium Enterprises, June 1, 2020, https://msme.gov.in/sites/default/files/MSME_gazette_of_india.pdf.
[55] Constitution of a Committee for Reforms in the Pricing Framework for Drugs and Medical Devices, Department of Pharmaceuticals, March 12, 2024, https://pharmaceuticals.gov.in/sites/default/files/Reforms%20in%20the%20Pricing%20Framework_0.pdf
[56] ‘Establishment of New Homoeopathic Medical Institution (Opening of New or Higher Course of Study or Training and Increase of Intake Capacity by a Medical Institution), Regulations, 2024’, National Commission for Homoeopathy, March 12, 2024, https://nch.org.in/upload/MSR-New-College.pdf
[57] National Commission for Homoeopathy Act, 2020, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15621/1/A2020-15.pdf
[58] Establishment of New Medical College, (Opening of New or Higher Course of Study or Training and Increase of Admissions Capacity by a Medical College) Regulations, 2011, https://upload.indiacode.nic.in/showfile?actid=AC_CEN_23_62_00002_197359_1517807322021&type=regulation&filename=Establishment%20of%20new%20colleges%20regulations.pdf
[59] National Commission for Homoeopathy (Assessment and Rating of Medical Institutions)Regulations, 2024, March 12, 2024, https://nch.org.in/upload/Assessment-and-Rating-of-Medical-Institutions.pdf
[60] Homoeopathy Central Council (Inspectors and Visitors) Regulation, 1982, https://nch.org.in/upload/Inspector_and_Visitor_1983.pdf
[61] National Commission for Homoeopathy Act, 2020, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15621/1/A2020-15.pdf.
[62] The National Commission for Homoeopathy (Minimum Essential Standards for Homoeopathic Colleges and Attached Hospitals) Regulations, 2024. National Commission for Homoeopathy, March 11, 2024, https://nch.org.in/upload/MES-regulaiton-final.pdf
[63] “Cabinet approves National Green Hydrogen Mission”, PIB, January 4, 2023, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1888547.
[64] Guidelines for implementation of R&D Scheme under the National Green Hydrogen Mission, Ministry of New and Renewable Energy, March 15, 2024, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2024/03/20240316152774043.pdf.
[65] Scheme Guidelines for implementation of “Strategic Interventions for Green Hydrogen Transitions (SIGHT) Programme – Component I: Incentive Scheme for Electrolyser Manufacturing Tranche – II” under the National Green Hydrogen Mission , Ministry of New and Renewable Energy, March 16, 2024, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2024/03/20240316314427038.pdf.
[66] Guidelines for scheme on skilling, up-skilling and re-skilling under the National Green Hydrogen Mission, Ministry of New and Renewable Energy, March 16, 2024, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2024/03/202403161721417787.pdf.
[67] Scheme Guidelines for setting up Hydrogen Hubs in India under the National Green Hydrogen Mission, Ministry of New and Renewable Energy, March 15, 2024, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2024/03/20240316695795641.pdf.
[68] Central Electricity Regulatory Commission (Terms and Conditions of Tariff) Regulations, 2024, Central Electricity Regulatory Commission, March 15, 2024, https://cercind.gov.in/regulations/notification-2024.pdf.
[69] The Electricity Act, 2003, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2058/1/A2003-36.pdf.
[70] Central Electricity Regulatory Commission (Terms and Conditions of Tariff) Regulations, 2019, Central Electricity Regulatory Commission, March 7, 2019, https://cercind.gov.in/2019/regulation/Tariff%20Regulations-2019.pdf.
[71] G.S.R 212 (E), Motor Vehicles (Registration and Function s of Vehicle Scrapping Facility) Amendment Rules, 2024, Ministry of Road Transport and Highways, March 15, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/253120.pdf.
[72] Motor Vehicles (Registration and Functions of Vehicle Scrapping Facility) Rules, 2021, https://morth.nic.in/gsr-653e-regarding-motor-vehicles-registration-and-functions-vehicle-scrapping-facility-rules-2021.
[73] The Motor Vehicles Act, 1988, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/9460/1/a1988-59.pdf.
[74] G.S.R. 195 (E), Central Motor Vehicles (Seventh Amendment) Rules, 2024, Ministry of Road Transport and Highways, March 14, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/253055.pdf.
[75] Central Motor Vehicles Rules, 1989, https://morth.nic.in/central-motor-vehicles-rules-1989-1.
[76] “Cabinet approves Uttar Poorva Transformative Industrialization Scheme, 2024”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, March 7, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2012362.
[77] “India-EFTA Trade and Economic Partnership Agreement”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, March 10, 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2013169.
[78] Recommendations on Usage of Embedded SIM for Machine-to-Machine (M2M) Communications, TRAI, March 21, 2024, https://www.trai.gov.in/sites/default/files/Recommendations_21032024_0.pdf.
[79] G.S.R 154 (E), Ministry of Petroleum and Natural Gas, March 4, 2024, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2024/252609.pdf.
[80] G.S.R 204 (E), Ministry of Petroleum and Natural Gas, March 13, 2002, https://mopng.gov.in/files/TableManagements/Rules2002_0.pdf.
[81] The Petroleum Act, 1934, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2401/1/A1934-30.pdf.
[82] Draft Offshore Areas Operating Rights Rules, 2024, Ministry of Mines, March 10, 2024, https://mines.gov.in/admin/storage/app/uploads/65eea7f9621cc1710139385.pdf.
[83] The Offshore Areas Mineral (Development and Regulation) Act, 2002, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2040/3/A2003-17.pdf.
[84] The Offshore Areas Mineral (Development and Regulation) Amendment Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/248041.pdf.
[85] Strategy Paper on Coal Import Substitution, Inter Ministerial Committee Report, Ministry of Coal, March 7, 2024, https://coal.gov.in/sites/default/files/2024-03/07-03-2024a-wn.pdf.
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