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मई 2025

पीडीएफ

इस अंक की झलकियां

2024-25 में जीडीपी 6.5% बढ़ी

2024-25 में जीडीपी वृद्धि पिछले वर्ष (9.2%) की तुलना में कम रहने का अनुमान है। 2024-25 में निर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक 9.4% की वृद्धि होने का अनुमान है।

भारत और यूके में मुक्त व्यापार समझौता

लगभग 99% उत्पादों से टैरिफ हटा दिया जाएगा। इसमें यूके के साथ होना वाला लगभग सारा व्यापार शामिल है। यूके में भारतीय कामगारों और उनके नियोक्ताओं को तीन वर्ष के लिए सामाजिक सुरक्षा योगदान के भुगतान से छूट दी गई है।

वाणिज्य मंत्रालय ने स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना में संशोधन किया

प्रति उधारकर्ता गारंटी कवर की अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए कर दी गई है। कुछ प्रमुख क्षेत्रों के लिए गारंटी शुल्क भी 2% से घटाकर 1% कर दिया गया है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीफ फसलों के लिए मंजूर

मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए धान की एमएसपी में पिछले वर्ष के मुकाबले 3% की बढ़ोतरी की गई है। रागी, ज्वार और सोयाबीन में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।

सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंज़ूरी को खारिज किया

न्यायालय ने कहा कि पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी देना पर्यावरण कानूनों और ईआईए अधिसूचना के विरुद्ध है। पहले से दी गई पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी लागू रहेगी।

कैबिनेट ने बिजली क्षेत्र को कोयला आवंटन से संबंधित नीति में संशोधन मंजूर किया

संशोधित नीति नीलामी के जरिए सीधे बिजली परियोजनाओं को कोयला आवंटित करती है। लिंकेज दो प्रकार का होगा- एक वर्ष तक, और एक वर्ष से 25 वर्ष तक।

ड्राफ्ट रजिस्ट्रेशन बिल पर टिप्पणियां आमंत्रित

ड्राफ्ट बिल में रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 को निरस्त करने का प्रावधान है। मुख्य संशोधनों में रजिस्टर किए जाने वाले दस्तावेजों की सूची का विस्तार किया गया है, साथ ही दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रस्तुत करने का प्रावधान भी है।

वित्त मंत्रालय ने भारत की क्लाइमेट फाइनांस टैक्सोनॉमी का ड्राफ्ट फ्रेमवर्क जारी किया

ड़्राफ्ट फ्रेमवर्क का उद्देश्य निवेशकों को जलवायु-संबंधी गतिविधियों में अवसरों की पहचान में मदद करना है। यह परियोजनाओं को जलवायु सहायक और जलवायु परिवर्तन गतिविधियों में वर्गीकृत करता है।

आईटीआई अपग्रेडेशन की योजना को मंजूरी

कैबिनेट ने 1,000 आईटीआई को अपग्रेड करने और पांच उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए 60,000 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और उद्योग जगत से वित्तपोषण और सहायता प्रदान की जाएगी।

 

 

मैक्रोइकोनॉमिक विकास

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

2024-25 में जीडीपी 6.5% बढ़ेगी

2024-25 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) (स्थिर 2011-12 मूल्यों पर) में 6.5% की वृद्धि होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष (9.2%) से कम है। 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी में 7.4% की वृद्धि हुई, जो 2023-24 की इसी तिमाही में 8.4% की वृद्धि से कम है।[1] 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीडीपी में 6.4% की वृद्धि हुई थी।

रेखाचित्र 1: जीडीपी में वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)

स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।

आर्थिक क्षेत्रों में सकल घरेलू उत्पाद को सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के संदर्भ में मापा जाता है। 2024-25 में निर्माण क्षेत्र में 9.4% की वृद्धि होने का अनुमान है, इसके बाद सार्वजनिक सेवाओं में 8.9% की वृद्धि होगी।

तालिका 1: स्थिर मूल्यों पर विभिन्न क्षेत्रों में जीवीए में वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)

क्षेत्र

2022-23

2023-24

2024-25

कृषि

6.3%

2.7%

4.6%

खनन

3.4%

3.2%

2.7%

मैन्यूफैक्चरिंग

-1.7%

12.3%

4.5%

बिजली

10.8%

8.6%

5.9%

निर्माण

9.1%

10.4%

9.4%

व्यापार

12.3%

7.5%

6.1%

वित्तीय सेवाएं

10.8%

10.3%

7.2%

लोक प्रशासन

6.7%

8.8%

8.9%

जीवीए

7.2%

8.6%

6.4%

जीडीपी

7.6%

9.2%

6.5%

नोट: जीडीपी की गणना शुद्ध करों को जीवीए में जोड़कर की जाती है। कर से सबसिडी को घटाने से शुद्ध कर प्राप्त होते हैं। स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।

2024-25 की चौथी तिमाही में औद्योगिक उत्पादन में 3.6% की वृद्धि हुई

2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 3.6% की वृद्धि हुई जो 2023-24 की इसी अवधि (5.1%) की तुलना में कम है।[2] 2024-25 की चौथी तिमाही में खनन में 2.1% की वृद्धि हुई, जबकि 2023-24 की इसी अवधि में 4.9% की वृद्धि हुई थी। 2024-25 की चौथी तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग में 3.9% की वृद्धि हुई, जबकि बिजली में 4.2% की वृद्धि हुई। उल्लेखनीय है कि आईआईपी में मैन्यूफैक्चरिंग वेटेज 78% है, इसके बाद खनन (14%) और बिजली (8%) का स्थान है।

रेखाचित्र 2: आईआईपी में वृद्धि (%, वर्ष-दर-वर्ष)

स्रोत: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय; पीआरएस।

वाणिज्य एवं उद्योग

भारत और यूनाइटेड किंगडम ने मुक्त व्यापार समझौता किया

Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)

भारत और यूके ने मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया है।[3] एफटीए की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं: (i) 99% उत्पादों से टैरिफ हटाना, जिसके दायरे में यूके के साथ लगभग सभी व्यापार आते हैं, (ii) सभी क्षेत्रों में वस्तुओं के लिए व्यापक बाजार पहुंच, और (iii) आईटी, व्यापार, वित्तीय और शैक्षिक सेवाओं सहित सेवा क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना।

भारत और यूके ने दोहरे योगदान समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत, यूके में अस्थायी रूप से काम कर रहे भारतीय कामगारों और उनके नियोक्ताओं को तीन वर्ष तक सामाजिक सुरक्षा अंशदान का भुगतान करने से छूट दी गई है।

भारत और चिली ने आर्थिक समझौते के लिए संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किए

Shirin Pajnoo (shirin@prsindia.org)

भारत और चिली ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते के लिए संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किए।[4] इसका उद्देश्य डिजिटल सेवाओं, निवेश प्रोत्साहन, एमएसएमई और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे क्षेत्रों में विस्तार करके दोनों देशों के बीच मौजूदा तरजीही व्यापार समझौते (प्रिफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट) को आगे बढ़ाना है।

कुछ निर्यातों के लिए कर प्रतिपूर्ति योजना फिर से लागू की गई

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

केंद्र सरकार ने कुछ निर्यातों के लिए निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (आरओडीटीईपी) योजना के तहत लाभ बहाल कर दिए हैं।[5] इनमें निर्यातोन्मुख इकाइयों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों की इकाइयों के निर्यात शामिल हैं। 1 जून, 2025 से सभी पात्र निर्यातों के लिए लाभ उपलब्ध होंगे। इस योजना के तहत लाभ पहले 5 फरवरी, 2025 तक उपलब्ध थे। आरओडीटीईपी योजना निर्यातकों को उन अंतर्निहित शुल्कों, करों और शुल्कों की प्रतिपूर्ति करती है जो किसी अन्य योजना के तहत वापस नहीं किए जाते हैं।

वाणिज्य मंत्रालय ने स्टार्टअप्स के लिए संशोधित ऋण गारंटी योजना अधिसूचित की

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने स्टार्टअप्स के लिए संशोधित ऋण गारंटी योजना अधिसूचित की है।[6] स्टार्टअप्स को दिए जाने वाले ऋणों के लिए गारंटी कवर प्रदान करने हेतु अक्टूबर 2022 में इस योजना को अधिसूचित किया गया था। संशोधित योजना में प्रति उधारकर्ता गारंटी कवर की अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए कर दी गई है। डिफॉल्ट की स्थिति में गारंटी कवर की सीमा 10 करोड़ रुपए तक के ऋणों के लिए 85% और 10 करोड़ रुपए से अधिक के ऋणों के लिए 75% होगी। पहले गारंटी कवर ऋण राशि के आधार पर 65% से 80% के बीच था। 27 चैंपियन क्षेत्रों में स्टार्टअप्स के लिए वार्षिक गारंटी शुल्क 2% प्रति वर्ष से घटाकर 1% प्रति वर्ष कर दिया गया है। भारत की मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षमताओं को सहयोग देने के लिए चैंपियन क्षेत्रों की पहचान की गई है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एयरोस्पेस और रक्षा, (ii) ऑटोमोटिव और ऑटो घटक, (iii) फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण, और (iv) पूंजीगत वस्तुएं।[7]

कृषि

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी गई

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने मार्केटिंग सीजन 2025-26 में खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसएपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है (तालिका 1 देखें)।[8] धान के लिए एमएसपी में 3% की वृद्धि की गई है। रागी, ज्वार और सोयाबीन जैसी फसलों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। एमएसपी से तात्पर्य उस सुनिश्चित मूल्य से है जिस पर केंद्र सरकार किसानों से फसलें खरीदती है।

तालिका 2: खरीफ फसलों 2025-26 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (रुपए प्रति क्विंटल में)

फसलें

2025-26

2024-25

% परिवर्तन

धान (सामान्य)

2,369

2,300

3%

ज्वार (हाइब्रिड)

3,699

3,371

10%

बाजरा

2,775

2.625

6%

रागी

4,886

4,290

14%

मक्का

2,400

2,225

8%

तुअर/अरहर

8,000

7,550

6%

मूंग

8,786

8,682

1%

उड़द

7,800

7,400

5%

मूंगफली

7,263

6,783

7%

सूरजमुखी के बीज

7,721

7,280

6%

सोयाबीन (पीली)

5,328

4,892

9%

तिल

9,846

9,267

6%

नाइजरसीड

9,537

8,717

9%

कपास (मध्यम रेशा)

7,710

7,121

8%

स्रोत: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, पीआरएस।

कैबिनेट ने संशोधित ब्याज सहायता योजना को जारी रखने को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत ब्याज अनुदान घटक को जारी रखने को मंजूरी दी है।[9]

इस योजना के तहत किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से 7% की रियायती ब्याज दर पर तीन लाख रुपए तक का अल्पकालिक ऋण मिलता है। ऋण देने वाली पात्र संस्थाओं को 1.5% ब्याज सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन के रूप में ब्याज दर में 3% तक की छूट प्रदान की जाती है। यह योजना अपरिवर्तित जारी रहेगी।

 

वित्त

Tushar Chakrabarty (tushar@prsindia.org)

ड्राफ्ट रजिस्ट्रेशन बिल पर टिप्पणियां आमंत्रित

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए ड्राफ्ट रजिस्ट्रेशन बिल, 2025 जारी किया।[10] यह रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 को निरस्त करने का प्रयास करता है।[11] यह एक्ट अचल संपत्ति और अन्य लेनदेन को प्रभावित करने वाले दस्तावेजों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।

प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • दस्तावेजों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन: एक्ट कुछ दस्तावेजों को निर्दिष्ट करता है जिन्हें रजिस्टर किया जाना चाहिए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) अचल संपत्ति को उपहार में देने के तरीके, (ii) अचल संपत्ति का पट्टा, और (iii) ऐसे तरीके जो अचल संपत्ति में किसी अधिकार या हित (कम से कम 100 रुपए) को क्रिएट, असाइन या उन्हें खत्म करते हैं। ड्राफ्ट बिल उन दस्तावेजों में निम्नलिखित को शामिल करता है: (i) अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी, (ii) किसी केंद्रीय या राज्य कानून के तहत जारी बिक्री प्रमाणपत्र, और (iii) कंपनियों के पुनर्निर्माण, विलय और विभाजन के तरीके।

  • इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन: एक्ट के अनुसार राज्य सरकार को इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन की नियुक्ति करनी होगी। इंस्पेक्टर जनरल राज्य के सभी रजिस्ट्रेशन कार्यालयों के अधीक्षण के लिए जिम्मेदार होगा। ड्राफ्ट बिल राज्य सरकार को एक या एक से अधिक एडीशनल इंस्पेक्टर जनरल, ज्वाइंट इंस्पेक्टर जनरल, डेप्युटी इंस्पेक्टर जनरल और असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल नियुक्त करने की अनुमति देता है।

  • दस्तावेजों का इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्रेशन: ड्राफ्ट बिल में अचल संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों को सब-रजिस्ट्रार के पास रजिस्ट्रेशन के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है। यह रजिस्ट्रेशन के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने वाले व्यक्तियों के सहमति-आधारित आधार प्रमाणीकरण की भी अनुमति देता है।

टिप्पणियां 25 जून 2025 तक आमंत्रित हैं।

वित्त मंत्रालय ने भारत की क्लाइमेट फाइनांस टैक्सोनॉमी का ड्राफ्ट जारी किया

वित्त मंत्रालय ने भारत के क्लाइमेट फाइनांस टैक्सोनॉमी के फ्रेमवर्क को सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए जारी किया है।[12] फ्रेमवर्क का उद्देश्य निवेशकों को जलवायु से संबंधित गतिविधियों में अवसरों की पहचान हेतु सहायता प्रदान करना है। इसका उद्देश्य जलवायु अनुकूलन और शमन के लिए पूंजी की उपलब्धता बढ़ाना है। इसमें बिजली, मोबिलिटी, कृषि, लोहा, इस्पात और सीमेंट जैसे क्षेत्रों को शामिल करने का प्रस्ताव है। फ्रेमवर्क गतिविधियों और परियोजनाओं को दो श्रेणियों में वर्गीकृत करता है: (i) जलवायु सहायक और (ii) जलवायु परिवर्तन। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • जलवायु सहायक गतिविधियां: इनमें ऐसी परियोजनाएं और उपाय शामिल हैं जो निम्नलिखित में योगदान करते हैं: (i) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से बचना, (ii) उत्सर्जन की तीव्रता को कम करना, (iii) जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाले जोखिम को कम करने के उपाय करना, और (iv) उपरोक्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अनुसंधान और विकास। इन गतिविधियों को आगे दो स्तरों में विभाजित किया गया है। पहले स्तर में उत्सर्जन से बचने, उत्सर्जन तीव्रता में कमी और जलवायु लचीलापन से संबंधित गतिविधियां शामिल हैं। दूसरे स्तर में उन क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता में सुधार और उत्सर्जन तीव्रता को कम करने से संबंधित गतिविधियां शामिल हैं जहां उत्सर्जन से बचना वर्तमान में व्यावहारिक नहीं है।

  • जलवायु परिवर्तन गतिविधियां: परिवर्तन गतिविधियों में ऐसे उपाय और परियोजनाएं शामिल होंगी जिनके लिए भारत में कोई व्यावहारिक कम-उत्सर्जन विकल्प नहीं हैं। इनमें लोहा, इस्पात और सीमेंट जैसे क्षेत्रों की परियोजनाएं शामिल हैं।

25 जून 2025 तक टिप्पणियां आमंत्रित हैं।

आरबीआई ने पेमेंट रेगुलेटरी बोर्ड रेगुलेशंस, 2025 को अधिसूचित किया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआईI) ने पेमेंट रेगुलेटरी बोर्ड रेगुलेशंस, 2025 को अधिसूचित किया।[13] ये बोर्ड फॉर रेगुलेशन एंड सुपरविजन ऑफ पेमेंट एंड सेटेलमेंट सिस्टम्स रेगुलेशंस, 2008 को निरस्त करते हैं।[14] 2008 के रेगुलेशंस ने पेमेंट और सेटेलमेंट सिस्टम्स के रेगुलेशन और सुपरविजन के लिए आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की एक समिति का गठन किया था। प्रमुख परिवर्तनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • संरचना: 2008 के रेगुलेशंस के तहत, समिति में निम्नलिखित शामिल थे: (i) अध्यक्ष के रूप में आरबीआई गवर्नर, (ii) डिप्टी गवर्नर, और (iii) केंद्रीय बोर्ड के अधिकतम तीन निदेशक। दो कार्यकारी निदेशक और आरबीआई के प्रमुख कानूनी सलाहकार बोर्ड में स्थायी आमंत्रित सदस्य थे। यह पेमेंट और सेटेलमेंट सिस्टम्स के क्षेत्र में अनुभववान व्यक्तियों को स्थायी या अस्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में भी आमंत्रित कर सकता था।

2025 के रेगुलेशंस में आरबीआई गवर्नर को अध्यक्ष के रूप में बरकरार रखा गया है और यह निर्दिष्ट किया गया है कि रेगुलेटरी बोर्ड में केवल आरबीआई डिप्टी गवर्नर ही होंगे जो पेमेंट और सेटेलमेंट सिस्टम्स के प्रभारी होंगे। केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों के बजाय, बोर्ड आरबीआई के एक अधिकारी को नामित करेगा। तीन व्यक्तियों को केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाएगा। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अब बोर्ड में स्थायी आमंत्रित सदस्य नहीं होंगे।

  • नामित सदस्यों के लिए पात्रता: केंद्र सरकार द्वारा नामित सदस्यों के पास: (i) पेमेंट सिस्टम्स, इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी या कानून के क्षेत्र में विशेषज्ञता होनी चाहिए, (ii) उनकी आयु 70 वर्ष से कम होनी चाहिए, (iii) वे सांसद/विधायक नहीं होने चाहिए, और (iv) उन्हें कम से कम 180 दिनों के कारावास से दंडनीय किसी अपराध का दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।

आरबीआई ने कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई के निवेश की सीमा हटाई

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए सामान्य मार्ग के माध्यम से कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करने की सीमा हटा दी है।[15], [16] एफपीआई भारतीय ऋण प्रतिभूतियों में सामान्य मार्ग, स्वैच्छिक प्रतिधारण (रिटेंशन) मार्ग या पूरी तरह से सुलभ (फुली एसेसबल) मार्ग के जरिए निवेश कर सकते हैं। ये मार्ग विभिन्न निवेश सीमाओं के अनुसार एफपीआई द्वारा ऋण निवेश की अनुमति देते हैं।

इससे पहले, सामान्य मार्ग के तहत, कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई द्वारा अल्पकालिक निवेश (एक वर्ष तक) कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में एफपीआई के कुल निवेश के 30% से अधिक नहीं हो सकता था। सामान्य मार्ग निवेश भी दीर्घकालिक एफपीआई (जैसे सॉवरेन वेल्थ फंड और बहुपक्षीय एजेंसियों) के लिए मौजूदा निवेश सीमाओं के 15% से अधिक नहीं हो सकता था और अन्य एफपीआई के लिए मौजूदा सीमाओं के 10% से अधिक नहीं हो सकता था। आरबीआई ने अब इन प्रावधानों को हटा दिया है। एफपीआई के लिए निवेश को और आसान बनाने के लिए ऐसा किया गया है।

 

कोयला एवं खनन

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

कैबिनेट ने बिजली क्षेत्र को कोयला आवंटन से संबंधित नीति में संशोधन मंजूर किए

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बिजली क्षेत्र के लिए स्कीम फॉर हारनेसिंग एंड एलॉटिंग कोयला ट्रांसपेरेंटली इन इंडिया (शक्ति) नीति के संशोधनों को मंजूरी दे दी है।[17], [18] संशोधित नीति की मुख्य विशेषताएं निम्न हैं:

  • सरकारी स्वामित्व वाली उत्पादन कंपनियों को आवंटन: मूल नीति के तहत, केंद्र और राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली कंपनियों और उनके संयुक्त उद्यमों एवं सहायक कंपनियों को अधिसूचित मूल्य पर कोयला आवंटित किया जाता था। संशोधित नीति में इन प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।

  • निजी उत्पादन कंपनियों को आवंटन: मौजूदा नीति के अंतर्गत निजी उत्पादन कंपनियों को नीलामी के जरिए निम्नलिखित दो तरीकों से कोयला लिंकेज आवंटित किए गए थे: (i) दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते (पीपीए) वाली कंपनियों के लिए, पीपीए के तहत निर्धारित टैरिफ पर छूट के लिए बोली के माध्यम से, और (ii) अन्य के लिए, अधिसूचित मूल्य पर प्रीमियम के लिए बोली के माध्यम से। दूसरी श्रेणी के लिए कुछ अतिरिक्त शर्तों में निम्नलिखित शामिल थे: (i) लिंकेज तीन महीने से एक वर्ष की अवधि के लिए प्रदान करना, और (ii) उत्पादित बिजली को पावर एक्सचेंज के माध्यम से या प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से दिए गए अल्पकालिक अनुबंधों के माध्यम से बेचना।

संशोधित नीति में कहा गया है कि सभी निजी बिजली उत्पादन कंपनियों के लिए अधिसूचित मूल्य से अधिक प्रीमियम का भुगतान करके नीलामी के आधार पर लिंकेज प्रदान किया जाएगा। लिंकेज निम्नलिखित अवधि के लिए उपलब्ध होगा: (i) 12 महीने तक, या (ii) एक वर्ष से 25 वर्ष के बीच। संयंत्रों को अपनी पसंद के अनुसार बिजली बेचने की सुविधा होगी।

खनिज नीलामी नियमों में संशोधन का ड्राफ्ट जारी किया गया

खान मंत्रालय ने खनिज (नीलामी) नियम, 2015 में संशोधन का ड्राफ्ट सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है।[19] ड्राफ्ट संशोधनों में लेटर ऑफ इन्टेंट (एलओआई) के जारी होने के बाद खनन पट्टे के कार्यान्वयन तक, विभिन्न गतिविधियों के लिए मध्यवर्ती समय सीमा (इंटरमीडियरी टाइम लाइन्स) सुझाई गई हैं। खनन पट्टे के कार्यान्वयन में देरी से परफॉरमेंस सिक्योरिटी के एक प्रतिशत का एप्रोप्रिएशन हो सकता है। बोलीदाताओं को ऐसे किसी भी एप्रोप्रिएशन के दो महीने के भीतर परफॉरमेंस सिक्योरिटी को टॉप-अप करना होगा। खनिज ब्लॉकों के परिचालन से संबंधित समय सीमा इस प्रकार हैं: (i) खनन पट्टे के लिए एलओआई जारी होने के चार महीने के भीतर खनन योजना की मंजूरी, (ii) खनन योजना की मंजूरी के 18 महीने के भीतर पर्यावरण मंजूरी, (iii) पर्यावरण मंजूरी देने के 11 महीने के भीतर खनन पट्टे का कार्यान्वयन, और (iv) एलओआई जारी होने से नौ महीने के भीतर समग्र लाइसेंस का कार्यान्वयन।  

 

पर्यावरण

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी को रद्द किया

सर्वोच्च न्यायालय की दो जजों की बेंच ने परियोजनाओं को पूर्वव्यापी पर्यावरणीय मंजूरी देने के प्रावधान को रद्द कर दिया है।[20] ये मंज़ूरी पर्यावरण संरक्षण एक्ट, 1986 और पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006 के तहत जारी की जाती हैं।

ईआईए में प्रावधान है कि कुछ परियोजनाओं या गतिविधियों के लिए केंद्र, राज्य या जिला स्तर पर संबंधित रेगुलेटरी अथॉरिटी से पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी (ईसी) की आवश्यकता होगी। मार्च 2017 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उन परियोजनाओं या गतिविधियों को पूर्वव्यापी मंज़ूरी प्रदान करने के लिए एक अधिसूचना जारी की, जिन्होंने साइट पर काम शुरू कर दिया था, ईसी की सीमा से परे उत्पादन का विस्तार किया था, या ईसी प्राप्त किए बिना प्रोडक्शन मिक्स को बदल दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि 2017 की अधिसूचना के तहत पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी देने की अवधारणा अवैध थी। न्यायालय ने माना कि पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी देना पर्यावरण कानूनों और ईआईए अधिसूचना के विरुद्ध है। पूर्वव्यापी मंजूरी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। उसने माना कि केंद्र सरकार को किसी भी तरह से इसी तरह की पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी देने के लिए 2017 की अधिसूचना का नया संस्करण जारी नहीं करना चाहिए। जो पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी पहले से दे दी गई है, वह लागू रहेगी।

 

शिक्षा

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

कैबिनेट ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के अपग्रेडेशन की योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) अपग्रेडेशन और कौशल विकास के लिए पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की राष्ट्रीय योजना को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में मंजूरी दे दी है।[21] इस योजना का उद्देश्य राज्य सरकारों और उद्योग के सहयोग से 1,000 सरकारी आईटीआई को अपग्रेड करना है। इससे आईटीआई अपग्रेडेशन की योजना और प्रबंधन में उद्योग जगत शामिल हो पाएगा। इस योजना का अनुमानित परिव्यय 60,000 रुपए है  जिसमें 30,000 करोड़ रुपए केंद्र का हिस्सा, 20,000 करोड़ रुपए राज्य का हिस्सा और 10,000 करोड़ रुपए उद्योग का हिस्सा है।

 

बिजली

Saket Surya (saket@prsindia.org)

वर्चुअल पावर परचेज़ एग्रीमेंट्स के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित

केंद्रीय बिजली रेगुलेटरी आयोग (सीईआरसी) ने वर्चुअल पावर परचेज़ एग्रीमेंट (वीपीपीए) के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देशों पर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।[22] इन समझौतों का उद्देश्य नामित उपभोक्ताओं को उनके अक्षय ऊर्जा उपभोग दायित्व (आरसीओ) को पूरा करने में मदद करना है।[23] यह दायित्व 2022 में ऊर्जा संरक्षण एक्ट, 2001 में संशोधन के माध्यम से पेश किया गया था। इसके तहत कुछ उपभोक्ताओं को गैर-जीवाश्म स्रोतों से बिजली की आवश्यकता का न्यूनतम प्रतिशत प्राप्त करना आवश्यक है। नामित उपभोक्ताओं में वितरण कंपनियां, ओपन एक्सेस उपभोक्ता (जो सीधे उत्पादक से बिजली खरीदते हैं) और कैप्टिव यूज़र (जो अपने स्वयं के उपयोग के लिए बिजली उत्पन्न करते हैं) शामिल हैं।22

वर्तमान में आरसीओ को निम्न तरीकों से पूरा किया जा सकता है: (i) गैर-जीवाश्म स्रोतों से बिजली का वास्तविक उपयोग करना, या (ii) बिजली एक्सचेंजों पर प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से उत्पादक से अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) खरीदना। गैर-जीवाश्म स्रोतों से बिजली की आपूर्ति के लिए उत्पादक को आरईसी जारी किए जाते हैं। वीपीपीए दायित्व को पूरा करने के लिए तीसरा विकल्प प्रदान करेगा। वीपीपीए एक वित्तीय अनुबंध होता है जिसमें अनुबंध करने वाले पक्षों के बीच बिजली का भौतिक रूप से आदान-प्रदान नहीं किया जाता है। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताओं में निम्न शामिल हैं:

  • वीपीपीए का डिज़ाइन: वीपीपीए एक अक्षय ऊर्जा उत्पादक और एक नामित उपभोक्ता के बीच एक दीर्घकालिक द्विपक्षीय अनुबंध होगा। इस अनुबंध के तहत, उत्पादक उस नामित उपभोक्ता के लिए कुछ निश्चित आरई क्षमता निर्धारित करेगा। उत्पादक निर्धारित क्षमता तक बिजली की बिक्री से अर्जित आरईसी को नामित उपभोक्ता को हस्तांतरित करेगा। वीपीपीए के लिए आरईसी को पावर एक्सचेंज या सीईआरसी द्वारा अधिकृत अन्य ऐसे तरीकों से बिक्री करके अर्जित किया जा सकता है। वीपीपीए गैर-व्यापार योग्य और गैर-हस्तांतरणीय होंगे।

  • वीपीपीए में प्रवेश के तरीके: वीपीपीए में प्रवेश निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है: (i) सीधे, (ii) किसी व्यापारी के माध्यम से, या (iii) सीईआरसी के साथ पंजीकृत प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध करके।

  • विवाद निपटान: दिशानिर्देशों में निर्दिष्ट किया गया है कि विवाद का निपटारा अनुबंध की शर्तों के अनुसार पारस्परिक रूप से किया जाएगा।

टिप्पणियां 20 जून 2025 तक आमंत्रित हैं।

 

संचार

Saket Surya (saket@prsindia.org)

ट्राई ने सेटेलाइट कम्यूनिकेशन के लिए स्पेक्ट्रम पर सुझाव जारी किए

भारतीय दूरसंचार रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) ने सेटेलाइट-आधारित कुछ संचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम के आवंटन पर सुझाव जारी किए हैं।[24] इनमें सेटेलाइट का उपयोग करके वॉयस, टेक्स्ट और इंटरनेट सेवाएं शामिल हैं। ट्राई ने इन सेवाओं के लिए उपयोग किए जाने वाले स्पेक्ट्रम बैंड निर्दिष्ट किए हैं। इन सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन टेलीकम्यूनिकेशन एक्ट, 2023 के अनुसार प्रशासनिक रूप से किया जाता है।Error! Bookmark not defined.,[25]  ट्राई के मुख्य सुझाव इस प्रकार हैं:

  • स्पेक्ट्रम शुल्क: स्पेक्ट्रम शुल्क समायोजित सकल राजस्व के 4% की दर से लगाया जाना चाहिए, या आवंटित स्पेक्ट्रम के प्रति मेगाहर्ट्ज़ (MHz) 3,500 रुपए का वार्षिक शुल्क, जो भी अधिक हो। सकल राजस्व से कुछ निर्दिष्ट कटौती करने के बाद समायोजित सकल राजस्व प्राप्त किया जाता है। शुल्क का भुगतान तिमाही आधार पर किया जाना चाहिए।

नॉन-जिओस्टेशनरी ऑर्बिट (एनजीएसओ) सेटेलाइट-आधारित ऑपरेटरों को शहरी क्षेत्र में प्रति ग्राहक 500 रुपए की दर से अतिरिक्त वार्षिक शुल्क देना चाहिए। ऐसे सेटेलाइट पृथ्वी के सापेक्ष स्थिर नहीं रहते हैं। भारत में एनजीएसओ सेटेलाइट्स का उपयोग करने वाली सेवाएं आने वाले समय में शुरू होंगी।Error! Bookmark not defined.ट्राई ने कहा कि एनजीएसओ सेटेलाइट पारंपरिक जीएसओ सेटेलाइट्स की तुलना में बेहतर कवरेज और कम लेटेंसी देते हैं। उसने कहा कि एनजीएसओ सेटेलाइट-आधारित ऑपरेटरों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ और आर्थिक मुनाफा भी होगा। उसने आगे कहा कि अतिरिक्त शुल्क का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में सेवाओं के केंद्रित होने को हतोत्साहित करना है।

  • असाइनमेंट की अवधि: स्पेक्ट्रम को पांच वर्ष तक की अवधि के लिए असाइन किया जाना चाहिए। बाजार की स्थितियों के आधार पर इसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। असाइनी को वैधता अवधि समाप्त होने से पहले स्पेक्ट्रम सरेंडर करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

  • सबसिडी: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों, जहां सेवा का लाभ कम, या बिल्कुल नहीं मिल पाता, वहां सरकार एनजीएसओ सेटेलाइट-आधारित सेवाओं के ग्राहकों को सबसिडी देने पर विचार कर सकती है। सबसिडी का भुगतान प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण या सेवा प्रदाताओं को सीधे भुगतान के माध्यम से किया जा सकता है। सबसिडी के वित्तपोषण के लिए डिजिटल भारत निधि का उपयोग किया जा सकता है। डिजिटल भारत निधि की स्थापना 2023 के एक्ट के तहत की गई है, जो यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड के स्थान पर लाया गया है।[26] इस निधि को दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर लगाए गए शुल्क के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है।

 

परिवहन

Vaishali Dhariwal (vaishali@prsindia.org)

सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना अधिसूचित

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना, 2025 को अधिसूचित किया है।[27] इस योजना के तहत, सड़क दुर्घटना का कोई भी पीड़ित नामित अस्पतालों में कैशलेस उपचार का हकदार होगा। दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिनों की अवधि के साथ प्रति पीड़ित 1,50,000 रुपए तक की राशि के लिए यह सुविधा प्रदान की जाएगी। केंद्रीय मोटर वाहन (मोटर वाहन दुर्घटना निधि) नियम, 2022 के तहत स्थापित मोटर वाहन दुर्घटना निधि के माध्यम से खर्चों को कवर किया जाएगा। राज्य सड़क सुरक्षा परिषद इस योजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी होगी और कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक संचालन समिति की स्थापना की जाएगी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव संचालन समिति की अध्यक्षता करेंगे।


[1] Press Note on Provisional Estimates of Annual GDP for 2024-25 and Quarterly Estimates of GDP for the Fourth Quarter (January-March) of 2024-25, National Statistics Office, Ministry of Statistics and Programme Implementation, May 30, 2025, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/may/doc2025530560501.pdf.

[2] “India's Index of Industrial Production records growth of 3% in March 2025”, Press Information Bureau, Ministry of Statistics and Programme Implementation, April 28, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2124850.

[3] “A historic and ambitious deal to boost jobs, exports and national growth”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce & Industry, May 6, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2127321.

[4] “India and Chile Sign Terms of Reference for Comprehensive Economic Partnership Agreement Negotiations”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce & Industry, May 9, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2127826.

[5] “Government Restores RoDTEP Benefits for AA, SEZ, and EOU Exports”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, May 27, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2131526.

[6] “Government notifies the expansion of the Credit Guarantee Scheme for Startups (CGSS) to increase capital mobilization for startups”, Press Information Bureau, Ministry of Commerce and Industry, May 9, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2127843.

[7] S.O. 2046(E), Ministry of Commerce and Industry, May 8, 2025, https://www.ncgtc.in//content/products/0/20250509/Gazette_Notification_CGSS_8th_May_2025_44e1a2d0dc.pdf.

[8] “Cabinet approves Minimum Support Prices (MSP) for Kharif Crops for Marketing Season 2025-26” Press Information Bureau, Cabinet, May 28, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2131983.

[9] “Cabinet approves continuation of Modified Interest Subvention Scheme (MISS) for FY 2025-26 with existing 1.5% Interest Subvention (IS)” Press Information Bureau, Cabinet, May 28, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2131988.

[10] “Department of Land Resources, Ministry of Rural Development invites suggestions on draft ‘The Registration Bill 2025’ from public within a period of 30 days”, Ministry of Rural Development, https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3d69116f8b0140cdeb1f99a4d5096ffe4/uploads/2025/05/20250526906486876.pdf.

[11] The Registration Act, 1908, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/15937/1/the_registration_act%2C1908.pdf.

[12] Draft Framework of India’s Climate Finance Taxonomy, Ministry of Finance, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/may/doc202557551101.pdf.

[13] Notification No. CO.DPSS.BD.No.S168 /02-01-012/2025-2026, Reserve Bank of India, May 20, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/263277.pdf.

[14] The Board for Regulation and Supervision of Payment and Settlement Systems Regulations, 2008, https://thc.nic.in/Central%20Governmental%20Regulations/Board%20for%20Regulation%20and%20Supervision%20of%20Payment%20and%20Settlement%20%20Regulation%202008.pdf.

[15] Investments by Foreign Portfolio Investors in Corporate Debt Securities through the General Route – Relaxations, Reserve Bank of India, May 8, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/35NT1A4AAAC7E141470486FC6785028754FA.PDF.

[16] Master Direction - Reserve Bank of India (Non-resident Investment in Debt Instruments) Directions, 2025, Reserve Bank of India, January 7, 2025, https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/notification/PDFs/MD126B9CF2E0CABD14471955E50A54D8291F2.PDF.

[17] “Revised SHAKTI Policy for Coal Allocation to Power Sector”, Press Information Bureau, Cabinet Committee on Economic Affairs, May 7, 2025, https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2127408.

[18] “Objectives of SHAKTI Yojana”, Ministry of Coal, December 2, 2024, https://www.coal.nic.in/sites/default/files/2024-12/PIB2079744.pdf.

[19] Notice for Public Consultation, Ministry of Mines, May 1, 2025, https://mines.gov.in/admin/download/681301956a2f61746076053.pdf.

[20] Writ Petition No. 1394 of 2023, Vanashakti vs Union of India, Supreme Court, May 16, 2025, https://api.sci.gov.in/supremecourt/2023/50009/50009_2023_3_1502_61809_Judgement_16-May-2025.pdf.

[21] “Cabinet approves National Scheme for Industrial Training Institute (ITI) Upgradation and Setting up of Five National Centres of Excellence for Skilling” Press Information Bureau, the Cabinet, May 7, 2025,

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2127415&reg=3&lang=1.

[22] Draft Guidelines for Virtual Power Purchase Agreements, Central Electricity Regulatory Commission, May 22, 2025, https://cercind.gov.in/2025/draft_reg/Draft%20Guidelines%20for%20VPPAs.pdf.

[23] Section 13 (tf),The Energy Conservation Act, 2001, https://www.indiacode.nic.in/bitstream/123456789/2003/1/A2001-52.pdf.

[24] “Recommendations on Terms and Conditions for the Assignment of Spectrum for Certain Satellite-Based Commercial Communication Services”, Telecom Regulatory Authority of India, May 9, 2025, https://trai.gov.in/sites/default/files/2025-05/Recommendtion_09052025_0.pdf.

[25] Section 4 (4), First Schedule, The Telecommunications Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/250880.pdf.

[26] Chapter V, The Telecommunications Act, 2023, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2023/250880.pdf.

[27] S.O. 2015(E), Ministry if Road Transport and Highways, May 5, 2025, https://egazette.gov.in/WriteReadData/2025/262912.pdf.

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