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अनिवार्य वस्तुओं की मूल्य वृद्धि- कारण और प्रभाव

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुदीप बंदोपाध्याय) ने 19 मार्च, 2021 को ‘अनिवार्य वस्तुओं की मूल्य वृद्धि-कारण और प्रभाव’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     

  • अनिवार्य वस्तुओं की सूची: कमिटी ने कहा कि अनिवार्य वस्तु एक्ट, 1955 (ईसीए) के अंतर्गत सात वस्तुएं आती हैं (जैसे दवाएं, खाने वाले तेल, कच्चा जूट)। लेकिन 2006 से इस सूची में कोई बड़ा संशोधन नहीं किया गया है। उसने सुझाव दिया कि एक्ट के अंतर्गत अधिसूचित वस्तुओं की सूची में आवर्ती समीक्षा के लिए एक व्यवस्था तैयार की जाए। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि सूची में अधिक उपभोक्ता वस्तुओं को शामिल किया जाए (विशिष्ट रूप से स्वास्थ्य से संबंधित)।
     

  • कृत्रिम कमी: कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ईसीए के अंतर्गत सूचीबद्ध वस्तुओं का बफर स्टॉक बरकार रहे ताकि कृत्रिम कमियों को कम से कम किया जा सके। उसने यह सुझाव भी दिया कि ईसीए के अंतर्गत उन व्यवसायों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए जो थोक में अनिवार्य वस्तुओं की खरीद करते हैं।
     

  • अनिवार्य वस्तु (संशोधन) एक्ट, 2020: कमिटी ने कहा कि किसानों को निम्नलिखित में निवेश की कमी के कारण बेहतर कीमतें नहीं मिलतीं: (i) कोल्ड स्टोरेज, (ii) वेयरहाउस, (iii) प्रोसेसिंग और (iv) निर्यात। कमिटी ने कहा कि अनिवार्य वस्तु (संशोधन) एक्ट, 2020 से इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के जरिए किसानों को बेहतर कीमतें प्राप्त होने में मदद मिल सकती है। कमिटी ने चेतावनी दी कि संशोधन एक्ट के लागू होने से अनिवार्य वस्तुओं, जैसे आलू और दालों की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। उसने सुझाव दिया कि इनकी कीमतों पर नजर रखी जाए और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए संशोधन एक्ट के अंतर्गत निर्दिष्ट उपाय किए जाएं।  
     

  • खाद्य सुरक्षा: कमिटी ने कहा कि खाद्य मानक रेगुलेशंस का अनुपालन न करने वाले सैंपल्स की संख्या 2016 से 2020 के बीच बढ़ी है। लेकिन इस अवधि के दौरान नतीजतन अदालती मामलों में दोषसिद्धियों की संख्या 1,605 से गिरकर 821 हो गई। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को निम्नलिखित करना चाहिए: (i) खाद्य सामग्रियों के जांच और मूल्यांकन का सख्ती से पालन करना, (ii) भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक अथॉरिटी (एफएसएसएआई) की न्यूनतम 10 बंदरगाहों और व्यापारिक केंद्रों में मौजूदगी कायम करना, और (iii) यह सुनिश्चित करना कि फूड बिजनेस ऑपरेटर्स गोदामों में जमा खाद्य सामग्रियों के संबंध में गुणवत्ता मानदंडों का पालन करते हैं।
     

  • खाद्य स्फीति: कमिटी ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर खाद्य स्फीति अप्रैल से दिसंबर 2019 के दौरान 1.1% से बढ़कर 14.19% हो गई। उसने आपूर्ति से संबंधित अड़चनों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपायों का सुझाव दिया: (i) उच्च उपज देने वाले बीजों का इस्तेमाल, (ii) कृषि प्रबंधन को लोकप्रिय बनाना, और (iii) रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना।
     

  • खाद्य पदार्थों की बर्बादी: कमिटी ने कहा कि उत्पादन बाद के खराब प्रबंधन और कोल्ड चेन की कमी की वजह से 30% सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। उसने सुझाव दिया कि उत्पादन बढ़ाने की योजनाओं, तथा मौसमी फसलों को लगाने के संबंध में किसानों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाना चाहिए ताकि फसलों की बर्बादी को रोका जा सके।
     

  • चीनी की कीमतें: कमिटी ने कहा कि मौजूदा रेगुलेशंस के अंतर्गत (i) प्रत्येक चीनी मौसम के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य अधिसूचित किए जाते हैं, और (ii) गन्ने की कीमतों का भुगतान आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को इन रेगुलेशंस का कारगर कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि चीनी मिलों की लिक्विडिटी में सुधार हो। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि सरकार को हर साल चीनी मिलों का भौतिक और वित्तीय मूल्यांकन करना चाहिए और वित्तीय सहायता देनी चाहिए।
     

  • प्राइज़ रिपोर्टिंग सेंटर्स (पीआरसीज़): कुछ खाद्य सामग्रियों (जैसे अनाज और दालें) की कीमतों पर नजर रखने के लिए मूल्य निरीक्षण प्रभाग के अंतर्गत पीसीआरज़ बनाए जाते हैं। कमिटी ने कहा कि इस प्रभाग को 1988 में बनाया गया था, तब से देश में इन केंद्रों की संख्या बढ़ी है। हालांकि कई राज्यों में सिर्फ एक पीआरसी ही है। उसने सुझाव दिया कि पीआरसीज़ की पर्याप्तता का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और पीआरसीज़ की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
     

  • खाद्य वितरण: कमिटी ने कहा कि मौजूदा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त जिम्मेदारी के अंतर्गत काम करती है। कमिटी ने टीपीडीएस के निरीक्षण के लिए एक संस्थागत व्यवस्था तैयार करने सुझाव दिया। उसने राज्यों में पीडीएस योजना के एकीकृत प्रबंधन को लागू करने के लिए इंट्रा-स्टेट राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया।
     

  • तेल और गैस की कीमतें: कमिटी ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों, खासकर पेट्रोल और डीजल पर वसूला जाने वाला टैक्स काफी अधिक है। उसने सुझाव दिया कि टैक्स को संशोधित किया जाना चाहिए और अन्य देशों के साथ अपने देश की टैक्सेशन प्रणाली का तुलनात्मक मूल्यांकन करना चाहिए। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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