स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- उद्योग संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. के केशवा राव) ने 6 दिसंबर, 2021 को ‘इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड मोबिलिटी- ऑटोमोबाइल उद्योग में संभावनाएं और चुनौतियां’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। 2019 तक विश्व में ऑटोमोबाइल्स की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवीज़) का हिस्सा 2.3% था। भारत में ईवीज़ का हिस्सा 0.1% था। 2020-21 में भारत में करीब 1.59 लाख ईवीज़ की बिक्री हुई जोकि उसी अवधि में इंटरनल कंबशन ईंजन (आईसीई) बिक्री (1.79 करोड़) का 0.8% है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- राष्ट्रीय नीति: कमिटी ने कहा कि 13 राज्यों ने डेडिकेटेड ईवी नीतियां अधिसूचित की हैं जबकि 12 राज्य अपनी नीतियों को ड्राफ्ट कर रहे हैं। ये नीतियां वाहनों के स्वामित्व की कुल लागत को कम करने के लिए मांग तथा आपूर्ति पक्ष के इनसेंटिव्स पर केंद्रित हैं और स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को केंद्र और राज्य स्तर पर मौजूदा नीतियों को एक समान करना चाहिए और देश में ईवीज़ के उपयोग के लिए राष्ट्रीय स्तर की नीति तैयार करनी चाहिए।
- फेम इंडिया: इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के लिए मार्केट और मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए अप्रैल 2015 में भारत में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से उपयोग और विनिर्माण योजना (फेम) को शुरू किया गया। योजना का दूसरा चरण अप्रैल 2019 में शुरू हुआ जिसका बजटीय परिव्यय तीन वर्षों के लिए 10,000 करोड़ रुपए था। इसका लक्ष्य 7,090 इलेक्ट्रिक बसों, 55,000 चार पहिया यात्री कारों, पांच लाख तीन पहिया और 10 लाख इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों की खरीद को वित्त पोषित करना है। कमिटी ने कहा कि फेम योजना केवल ईवीज़ और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की खरीद पर सबसिडी देने तक सीमित है। उसने सुझाव दिया कि योजना के दायरे को व्यापक बनाया जाए ताकि इसमें निम्नलिखित की फंडिंग और इनसेंटिव्स को शामिल किया जा सके: (i) ईवीज़ के कंपोनेंट्स और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का अनुसंधान और विकास, (ii) स्थानीय स्तर पर ईवी कंपोनेट्स की मैन्यूफैक्चरिंग, और (iii) चार पहिया ईवीज़ की खरीद के लिए इनसेंटिव्स देना।
- बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग: वर्तमान में ईवीज़ में आम तौर पर लिथियम-ऑयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। कमिटी ने कहा कि भारत लिथियम-ऑयन बैटरी को मैन्यूफैक्चर नहीं करता और ईवी कंपोनेंट्स की जरूरत को पूरा करने के लिए पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर है। देश में एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) की मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के लिए मई 2021 में प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) योजना को शुरू किया गया था। एसीसी एडवांस्ड स्टोरेज टेक्नोलॉजी वाले बैटरी सेल्स होते हैं जोकि इलेक्ट्रिक एनर्जी को कैमिकल एनर्जी के तौर पर स्टोर करते हैं और जब जरूरत होती है तो उसे दोबारा इलेक्ट्रिक एनर्जी में कनवर्ट कर देते हैं। कमिटी ने कहा कि योजना में पात्रता का मानदंड बहुत उच्च है (कम से कम पांच गिगावॉट आवर (GWh) की क्षमता वाली उत्पादन इकाइयां)। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) पात्रता के मानदंड में संशोधन किए जाएं ताकि भारतीय मैन्यूफैक्चरर्स पीआईएल योजना के अंतर्गत पात्र बन सकें, और (ii) स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम को बढ़ाया जाए जिससे ईवी बैटरियों की कीमत कम हो। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि दूसरे देशों के साथ संयुक्त अनुसंधान, इनवेस्टमेंट पूलिंग, बैटरी टेक्नोलॉजी के विकास और बैटरी रीसाइकलिंग का कंसोर्टियम बनाया जाए।
- कमिटी ने कहा कि भारत में तकनीकी अनुसंधान और विकास पर एक प्रतिशत से भी कम खर्च किया जाता है। बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इन पर पांच से छह प्रतिशत खर्च करती हैं। उसने सरकार को सुझाव दिया कि वह स्वदेशी मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए अनुसंधान और विकास में सुधार करे।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर: फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण में भारी उद्योग मंत्रालय ने 68 शहरों में 2,877 चार्जिंग स्टेशंस को मंजूरी दी। कमिटी ने कहा कि मौजूदा चार्जिंग स्टेशंस की संख्या बहुत कम है और ये केवल चुनींदा शहरो में केंद्रित हैं। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) देश भर में सघन और मजबूत फास्ट चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जाएं, (ii) मैन्यूफैक्चरर्स के शोरूम्स और सर्विस स्टेशंस में चार्जिंग की सुविधाएं प्रदान की जाएं, (iii) चार्जिंग स्टेशंस में यूनिवर्सिल और यूनिफॉर्म चार्जिंग की सुविधा स्थापित की जाए, (iv) एक्टिव चार्जिंग स्टेशंस का लाइव डेटाबेस बनाया जाए, और (v) चार्जिंग स्टेशन बनाने में होने वाले खर्च को दो से तीन वर्ष तक कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के अंतर्गत लाया जाए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सार्वजनिक चार्जिंग प्वाइंट्स के लिए सबसिडीयुक्त दर पर अलग से मीटरिंग अरेंजमेंट इंस्टॉल करने का सुझाव दिया।
- वित्त पोषण: कमिटी ने कहा कि स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए, स्थानीय स्तर पर मैन्यूफैक्चर न होने वाले कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क को 5% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया कि ईवीएज़ पर 5% जीएसटी लगाया जाता है, जबकि हाइब्रिड ईवी (इसमें एक इंटरनल कंबस्टिबल इंजन और इलेक्ट्रिक कंपोनेंट दोनों होते हैं) पर 43% (28% जीएसटी जमा 15% सेस) लगाया जाता है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) जब तक कंपोनेंट्स स्थानीय स्तर पर मैन्यूफैक्चर नहीं होते, तब तक चरणबद्ध तरीके से आयात शुल्क बढ़ाया जाए, और (ii) हाइब्रिड ईवीज़ पर जीएसटी को कम किया जाए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि ईवी को प्रायोरिटी लेडिंग सेक्टर में डाला जाए। इससे कंपोनेंट खरीदने और वाहनों की खरीद हेतु ईवीज़ के लिए ऋण उपलब्धता आसान होगी।
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