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पीडीएफ

एफआरबीएम एक्ट, 2003 का अनुपालन

कैग रिपोर्ट का सारांश

  • भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 21 जुलाई, 2025 को राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट, 2003 पर एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में वर्ष 2022-23 के लिए एफआरबीएम एक्ट, 2003 के प्रावधानों के साथ केंद्र सरकार के अनुपालन का मूल्यांकन किया गया है। एफआरबीएम एक्ट, 2003 में मध्यम अवधि में केंद्र सरकार के ऋण और घाटे में कमी लाने के लिए एक विधायी ढांचा प्रस्तुत किया गया है। यह एक्ट उत्तरदायी राजकोषीय प्रबंधन और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार हेतु राजकोषीय लक्ष्य निर्धारित करता है। कैग की प्रमुख टिप्पणियों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • सामान्य सरकारी ऋण: 2018 में एफआरबीएम एक्ट में एक संशोधन के तहत, केंद्र सरकार ने 2024-25 तक सामान्य सरकारी ऋण को जीडीपी के 60% तक सीमित करने का लक्ष्य रखा। सामान्य सरकारी ऋण को केंद्र और राज्य सरकारों (अंतर-सरकारी ऋण को छोड़कर) के कुल ऋण के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस एक्ट ने 2024-25 तक केंद्र सरकार के ऋण को जीडीपी के 40% तक सीमित करने का लक्ष्य रखा। कैग के अनुसार, 2022-23 तक जीडीपी के प्रतिशत के रूप में केंद्र सरकार का ऋण इस लक्ष्य से अधिक और महामारी-पूर्व अवधि से भी अधिक था। रिपोर्ट में कहा गया कि 2020-21 में केंद्र सरकार का ऋण बढ़कर 61% हो गया, लेकिन तब से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। 2022-23 में केंद्र सरकार का ऋण घटकर जीडीपी का 58% हो गया। 2022-23 में सामान्य सरकारी ऋण जीडीपी का 81% था, जबकि 2018-19 में यह 70% था। हालांकि कैग ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था केंद्र सरकार के ऋण की तुलना में तेज़ गति से बढ़ी है, जिससे वह ऋण को चुकाने में सक्षम हो गई है।
  • ब्याज संबंधी बाध्यताएं: केंद्र सरकार ने 2022-23 में अपनी राजस्व प्राप्तियों का 35% ब्याज भुगतान के लिए उपयोग किया, जो पिछले वर्ष (34%) की तुलना में थोड़ा अधिक है।
  • विनिवेश प्राप्तियां: कैग ने कहा कि 2022-23 में विनिवेश से प्राप्तियां महामारी-पूर्व अवधि की तुलना में कम थीं। इसके अलावा, विनिवेश प्राप्तियां 2022-23 के बजट अनुमानों से भी कम थीं। इनमें सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी इक्विटी की बिक्री से होने वाली प्राप्तियां भी शामिल हैं।
  • प्राप्त कर राजस्व, लेकिन वसूल नहीं हुआ: कैग ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में 2022-23 में प्राप्त होने वाला कर राजस्व, जो वसूल नहीं हुआ, बढ़ा है। उसके अनुसार, इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार के लिए गैर-ऋण प्राप्तियों का उपयोग करने का अवसर गंवा दिया गया। 2022-23 के अंत तक, 21.3 लाख करोड़ रुपए का कर राजस्व वसूल नहीं हुआ। यह वर्ष के दौरान एकत्रित कुल सकल कर राजस्व के 70% के बराबर था।
  • गारंटी: एफआरबीएम संशोधन एक्ट, 2018 के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली गारंटी 2024-25 के अंत तक किसी भी वित्तीय वर्ष में जीडीपी के 0.5% से अधिक नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार सरकारी संस्थाओं द्वारा लिए गए उधारों पर गारंटी प्रदान करती है, जिसका उपयोग ऋणदाता तब करता है, जब उधार लेने वाली संस्था कोई डीफॉल्ट करती है। गारंटी वर्तमान ऋण स्तरों को प्रभावित नहीं करती हैं, लेकिन डीफॉल्ट की स्थिति में सरकारी ऋण को प्रभावित कर सकती हैं। 2022-23 में केंद्र सरकार द्वारा दी गई अतिरिक्त गारंटी जीडीपी के 0.23% के बराबर थी। इसकी तुलना में 2018-19 में अतिरिक्त गारंटी जीडीपी के 0.41% के बराबर थी। कैग ने कहा कि 2018-19 से प्रत्येक वित्तीय वर्ष में दी गई अतिरिक्त गारंटी एफआरबीएम सीमा के भीतर ही रही है।
  • राजकोषीय संकेतकों के रोलिंग लक्ष्य: एफआरबीएम संशोधन एक्ट, 2018 के तहत केंद्र सरकार को चालू वित्त वर्ष के बाद के दो वर्षों के लिए कुछ राजकोषीय संकेतकों के अनुमान प्रस्तुत करने होंगे। इसमें राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा, प्राथमिक घाटा, कर राजस्व और जीडीपी के प्रतिशत के रूप में केंद्र सरकार के ऋण के अनुमान शामिल हैं। अग्रिम लक्ष्यों को मध्यम अवधि राजकोषीय नीति (एमटीएफपी) के विवरण में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस विवरण में अनुमानों में अंतर्निहित पूर्वानुमानों का भी उल्लेख होना चाहिए। कैग ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2021-22 से राजकोषीय संकेतकों के लिए रोलिंग लक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए हैं। इसके बजाय, केंद्र सरकार ने इन वर्षों के लिए एमटीएफपी विवरण में राजकोषीय लक्ष्यों से विचलन के कारण प्रस्तुत किए हैं।

 

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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