स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुदीप बंदोपाध्याय) ने 9 अगस्त, 2021 को ‘भारतीय खाद्य निगम द्वारा खाद्यान्नों की खरीद, स्टोरेज और वितरण’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) राज्य सरकारों की एजेंसियों के साथ मिलकर खाद्यान्नों की खरीद, स्टोरेज और वितरण का काम करता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- खरीद: कमिटी ने टिप्पणी की कि खाद्यान्नों की खरीद का ज्यादातर काम राज्य एजेंसियां करती हैं। सीधी खरीद में एफसीआई का हिस्सा पांच प्रतिशत से भी कम है। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार और एफसीआई को कारगर खरीद के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने हेतु राज्य सरकारों को मदद देनी चाहिए।
- विकेंद्रित खरीद: विकेंद्रित खरीद नीति के अंतर्गत राज्य सरकारें विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत वितरण के लिए राज्य के भीतर से स्थानीय स्तर पर खरीदे गए खाद्यान्न का इस्तेमाल करती हैं। किसी राज्य में अगर ज्यादा खरीद होती है तो एफसीआई को खाद्यान्न दे दिए जाते हैं जिनका वह भंडारण कर सकता है या दूसरे राज्यों में बांट सकता है। इस योजना से निम्नलिखित होता है: (i) परिवहन की लागत कम होती है, (ii) गैर परंपरागत राज्यों में खरीद को बढ़ावा मिलता है, और (iii) स्थानीय खाद्यान्नों की खरीद संभव होती है जोकि स्थानीय स्वाद के लिए अधिक उपयुक्त हो सकते हैं।
- कमिटी ने टिप्पणी की कि योजना को लागू हुए 23 वर्ष हो गए हैं। इसके बावजूद इसे गेहूं के मामले में सिर्फ आठ राज्यों और चावल के मामले में सिर्फ 15 राज्यों ने लागू किया है। कमिटी ने कहा कि इस योजना ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की कार्यकुशलता को बढ़ाने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इसके जरिए स्थानीय स्वाद के मुताबिक खाद्यान्न आपूर्ति संभव हो पाई है। कमिटी ने सुझाव दिया कि खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग को इस योजना को गैर परंपरागत राज्यों में अपनाने को प्रोत्साहित करना चाहिए। विभाग और एफसीआई को संबंधित राज्य सरकार के सहयोग से इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए कदम उठाने चाहिए।
- केंद्रों पर खरीद से इनकार: कमिटी ने कहा कि खरीद केंद्रों में कई बार निचले पद वाले कर्मचारी गैर प्रामाणिक तकनीकी कारणों से खरीद से इनकार कर देते हैं, जैसे उपज में नमी होना। इससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है और संकट बिक्री होती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि अगर खाद्यान्न फेयर एवरेज क्वालिटी के नियमों के अनुरूप हैं तो उन्हें कमजोर आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए।
- स्टोरेज की क्षमता: कमिटी ने कहा कि स्टोरेज क्षमता के अधिकतम उपयोग के लिए कई ऑडिट करने के बावजूद किराए पर स्टोरेज सुविधाओं का खूब उपयोग किया जाता है। इस बीच एफसीआई के स्वामित्व वाले गोदामों का अब भी पूरी तरह उपयोग नहीं किया जाता। कमिटी ने सुझाव दिया कि एफसीआई को गोदामों को किराए पर लेने से पहले अपने गोदामों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए। किसी गोदाम को किराए पर तभी लिया जाए, जब ऐसा करना बहुत जरूरी हो ताकि किराया चुकाने पर कम से कम खर्च हो।
- गोदामों का निर्माण: कमिटी ने टिप्पणी की कि एफसीआई ने 2020-21 में गोदामों के निर्माण के लक्ष्य हासिल नहीं किए हैं। उसने चालू निर्माण प्रॉजेक्ट्स में तेजी लाने का सुझाव दिया, खास तौर से पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू एवं कश्मीर, अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप में। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि पूर्वोत्तर राज्यों में एफसीआई की समस्याओं, जैसे भूमि अधिग्रहण, पर संबंधित राज्य सरकारों के साथ उच्च स्तर पर विचार विमर्श किया जाना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि राज्यों के विभिन्न हिस्सों में छोटे गोदाम बनाए जाने चाहिए।
- खराब होने वाले खाद्यान्न: कमिटी ने कहा कि 2017-20 के दौरान 12.6 करोड़ रुपए की कीमत के खाद्यान्न नष्ट हो गए। उसने कहा कि मुख्य रूप से कीटों के हमलों, बारिश के संपर्क में आने, बाढ़, गोदामों में रिसाव, खराब किस्म के स्टॉक की खरीद और अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह नुकसान हुआ। कमिटी ने यह भी कहा कि वितरण केंद्रों तक खाद्यान्न पहुंचाने की रफ्तार बहुत धीमी है जिसके कारण खाद्यान्नों का अंबार लग गया और वे सड़ गए। कमिटी ने नुकसान को रोकने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक स्टोरेज उपाय अपनाने का सुझाव दिया। उसने निम्नलिखित स्थानों पर स्टोरेज क्षमता विकसित करने का सुझाव दिया: (i) मुख्य गेहूं उत्पादक राज्य (जैसे हरियाणा और पंजाब), और (ii) अन्य राज्य (जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान) जहां इस उद्देश्य के लिए गैर कृषि योग्य भूमि उपलब्ध हो सकती है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि नष्ट हो चुके खाद्यान्न के अंबार के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
- ट्रांजिट संबंधी नुकसान: कमिटी ने कहा कि हालांकि विभाग ने खाद्यान्नों के स्टोरेज और ट्रांजिट संबंधी नुकसान को कम करने के लिए कई तरह की पहल की, लेकिन ट्रांजिट संबंधी नुकसान फिर भी बहुत अधिक है (अप्रैल-अक्टूबर 2020 के दौरान 281 करोड़ रुपए)। उसने सुझाव दिया कि लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि उन्हें अनुचित नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके। कमिटी ने यह भी कहा कि विभाग को लीकेज, खाद्यान्न को किसी दूसरे उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किए जाने और भ्रष्टाचार आदि से संबंधित शिकायतें मिलती हैं। इसके बावजूद कि एक बड़ा निगरानी तंत्र मौजूद है। उसने एफसीआई को सुझाव दिए कि वह राज्यों के समन्वय से सतर्कता प्रणाली को मजबूत करे और निगरानी प्रणालियों के उचित कामकाज को सुनिश्चित करे।
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