स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डेरेक ओ’ ब्रायन) ने 4 जनवरी, 2018 को ‘एयरलाइनों में उपभोक्ताओं की संतुष्टि में सुधार से संबंधित मुद्दे’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्न हैं:
- एयर टिकटों की कीमत: कमिटी ने गौर किया कि घरेलू एयरलाइनों के टिकटों की कीमत बकेट्स के हिसाब से तय की जाती है जोकि ग्लोबल प्रैक्टिसेज़ के अनुरूप होते हैं। फेयर बकेट में सबसे कम फेयर एडवांस बुकिंग पर उपलब्ध होता है। यात्रा की तारीख निकट होने पर हायर बकेट का फेयर उपलब्ध कराया जाता है, जोकि संबंधित एयरलाइन नीति के अनुसार होता है। कमिटी ने कहा कि विकसित देशों में प्राइजिंग का जो मैकेनिज्म लागू है, वह भारत के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। इसके अतिरिक्त एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) के मूल्यों में 50% की गिरावट के बावजूद एयरलाइनों ने उपभोक्ताओं तक इन मूल्यों में गिरावट का लाभ नहीं पहुंचाया।
- कमिटी ने यह भी कहा कि कुछ एयरलाइनें त्योहारों के आस-पास और यात्रा की तारीख निकट होने पर मनमाने ढंग से एडवांस बुकिंग फेयर से दस गुना ज्यादा चार्ज करती हैं। यह भी कहा गया कि यात्रियों, खासकर कामकाजी वर्ग के यात्रियों से अप्रत्याशित लाभ नहीं कमाया जा सकता। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की अपने नागरिकों के प्रति भी कोई सामाजिक जिम्मेदारी है और आर्थिक व्यावहारिकता निर्णय लेने का अकेला मापदंड नहीं हो सकती। कमिटी ने यह सुझाव दिया कि मंत्रालय को प्रत्येक सेक्टर के लिए एयर टिकट्स की अधिकतम सीमा तय करने पर विचार करना चाहिए।
- एयरलाइन कर्मचारियों का व्यवहार: कमिटी ने गौर किया कि हाल ही में एयरलाइन कर्मचारियों (ग्राउंड स्टाफ और केबिन क्रू) द्वारा मार-पीट और दुर्व्यवहार करने के अनेक मामले सामने आए हैं। कर्मचारियों के खिलाफ सिर्फ कड़ी कार्रवाई करने से एयरलाइनें ऐसे मामलों में दोषमुक्त नहीं हो जातीं। यह कहा गया कि एयरलाइनों में ऐसी समस्याएं संस्थागत हैं, किसी की व्यक्तिगत नहीं। कमिटी ने सुझाव दिया कि एयरलाइनों को अपने कर्मचारियों के व्यवहार पर दोबारा विचार करना चाहिए।
- एयरलाइन कर्मचारियों का प्रशिक्षण : कमिटी ने एयरलाइन कर्मचारियों के लिए सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनिंग और फंक्शनैलिटी ट्रेनिंग का सुझाव दिया। कर्मचारियों को संकट की स्थितियों को अच्छी तरह से मैनेज करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जैसे फ्लाइट टेक-ऑफ में देरी, लैंडिंग में देरी और फ्लाइट्स का डायवर्जन। उन्हें विकलांग लोगों की जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता बरतने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को जल्द से जल्द भारतीय स्थितियों के अनुकूल एयरलाइनों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने चाहिए। यह ट्रेनिंग सभी एयरलाइनों के लिए स्टैंडर्डाइज होनी चाहिए।
- एयरलाइन चेक-इन: कमिटी ने कहा कि चेक-इन और लगेज कलेक्शन की प्रक्रियाएं थकाऊ और लंबी होती हैं, खासकर सस्ती कीमत वाली एयरलाइनों में। एयरलाइन फ्लाइट्स को ओवरबुक कर लेती हैं और कन्फर्म टिकट वालों को बोर्डिंग से रोकने के लिए नकली परिस्थितियां उत्पन्न करती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि इन काउंटरों पर यात्रियों का 10 मिनट से ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए। भारतीय एयरपोर्ट अथॉरिटी, दूसरे एयरपोर्ट ऑपरेटरों और एयरलाइनों को चेक-इन के लिए पर्याप्त काउंटर उपलब्ध कराने चाहिए।
- कैंसलेशन चार्ज: कमिटी ने कहा कि निजी एयरलाइनों ने कैंसलेशन चार्ज मनमाने ढंग से तय किए गए हैं। री-शेड्यूलिंग, कैंसलेशन और नो-शो के चार्जेज़ में एक समानता नहीं है और न ही उनके लिए कोई न्यूनतम स्टैंडर्ड बनाए गए हैं। यह सुझाव दिया गया कि एयरलाइनों को बेस फेयर का 50% से अधिक कैंसलेशन चार्ज नहीं वसूलना चाहिए। टिकट कैंसल कराने पर यात्रियों को टैक्स और फ्यूल सरचार्ज वापस किए जाने चाहिए। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को इन चार्जेज़ की नियमित रूप से जांच और निगरानी करनी चाहिए।
- शिकायत निवारण प्रणाली: नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एयरलाइन यात्रियों की मदद के लिए एयर सेवा एप्लीकेशन बनाई है जो वेब और मोबाइल पर उपलब्ध है। हालांकि 16 करोड़ हवाई यात्रियों की तुलना में केवल 20,000 यूजर्स ने इस एप को डाउनलोड किया है। कमिटी ने एप को अधिक प्रचारित करने और उसे प्रत्येक एयरलाइन की शिकायत निवारण प्रणाली से लिंक करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त सभी एयरलाइनों में एक उचित शिकायत निवारण प्रणाली मौजूद होनी चाहिए।
- विविध: कमिटी ने कहा कि सरकार ने एयरलाइनों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए जरूरी दिशानिर्देशों, नियमों और रेगुलेशनों के बिना ही ओपन स्काई पॉलिसी अपनाई है। इसके अतिरिक्त यह अस्पष्ट है कि स्टैंडर्ड्स कौन बनाता है और ट्रेनिंग, खाने की क्वालिटी, यात्रियों की सुविधाएं, एयरलाइन कर्मचारियों के व्यवहार, सीटों की क्वालिटी, कैंसलेशन चार्ज और एयर टिकटों की कीमत से जुड़े स्टैंडर्ड्स क्या हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को इन सेवाओं के संबंध में दिशानिर्देश और स्टैंडर्ड तय करने चाहिए।
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