स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- कोयला, खान और स्टील संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री राकेश सिंह) ने 23 मार्च, 2022 को ‘देश में एल्यूमीनियम और कॉपर उद्योगों का विकास’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। खान मंत्रालय प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, परमाणु खनिजों और कोयले के अतिरिक्त सभी खनिजों के सर्वेक्षण, खोज और खनन के लिए जिम्मेदार है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- एल्यूमीनियम की उत्पादन क्षमता: एल्यूमीनियम लोहे और स्टील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धातु बाजार है। भारतीय प्राइमरी एल्यूमीनियम (अयस्क से उत्पादित एल्यूमीनियम) बाजार में तीन प्रमुख उत्पादक कंपनियां शामिल हैं: (i) नेशनल एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड (नाल्को), (ii) हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, और (iii) वेदांत लिमिटेड। इन तीनों की कुल उत्पादन क्षमता लगभग चार मिलियन टन है। कमिटी ने कहा कि वर्तमान में नाल्को भारत में बॉक्साइट और प्राइमरी एल्यूमीनियम का उत्पादन करने वाला एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि एल्यूमीनियम क्षेत्र ने अपनी स्थापित क्षमता की तुलना में उत्पादन के अपने वांछित स्तर को हासिल नहीं किया है। कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि इस क्षेत्र के भौतिक प्रदर्शन में सुधार किया जाना चाहिए जिससे भारत को एल्यूमीनियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
- एल्यूमीनियम की खपत और मांग: कमिटी ने गौर किया कि 2018-19 में एल्यूमीनियम की प्रति व्यक्ति खपत 2.9 किलोग्राम थी, जबकि विश्वव्यापी खपत औसत 11 किलोग्राम है। एल्यूमीनियम एक रीसाइकलेबल और पर्यावरण के अनुकूल धातु है और इसे कई क्षेत्रों, जैसे परिवहन, ऊर्जा और निर्माण में इस्तेमाल किया जाता है। कमिटी ने कहा कि एल्यूमीनियम मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को एल्यूमीनियम की प्रति व्यक्ति खपत को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर नए मूल्य वर्धित उत्पादों की पहचान करने की तत्काल जरूरत है। उसने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए रेल, रक्षा, परिवहन, बिजली और नागरिक उड्डयन मंत्रालयों के साथ समन्वय और सहयोग करे। इन क्षेत्रों में क्वालिटी, मजबूती और लागत से समझौता किए बिना एल्यूमीनियम दूसरी धातुओं की जगह ले सकता है।
- एल्यूमीनियम का आयात: कमिटी ने कहा कि एल्यूमीनियम का आयात लगातार ज्यादा बना हुआ है, और यह 2020-21 की कुल घरेलू खपत का 60% था। कमिटी ने सुझाव दिया कि आयात को हतोत्साहित करने के लिए आयातित एल्यूमीनियम पर कस्टम्स ड्यूटी को बढ़ाया जाए।
- बॉक्साइट का विकास: कमिटी ने कहा कि बॉक्साइट के स्रोत कुल 3,896 मिलियन टन के करीब हैं, लेकिन इनमें से 3,240 मिलियन टन (83%) को पूरी तरह खोजा जाना अब भी बाकी है। खनन लीज़, पर्यावरणीय मंजूरियां, भूमि अधिग्रहण और वन मंजूरियां हासिल करना, नई खानों के विकास की मुख्य बाधाएं हैं। कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह विभिन्न राज्यों में बॉक्साइट के अप्रमाणित भंडारों को प्रमाणित और संभावित श्रेणी में लाने के लिए ठोस कदम उठाए।
- कॉपर का विकास: कमिटी ने कहा कि भारत के पास दोहन योग्य कॉपर ओर (तांबा अयस्क) का बहुत सीमित ज्ञात भंडार है और वर्तमान में विश्व भंडार में इसका हिस्सा सिर्फ 0.31% है। उसने कहा कि हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम) ने निम्नलिखित प्रकार से अपनी खनन क्षमता को बढ़ाने की योजना बनाई है: (i) पहले चरण में (कार्यान्वयन के तहत) 4.0 मिलियन टन प्रति वर्ष के मौजूदा स्तर से 12.2 मिलियन टन तक, और (ii) दूसरे चरण में 12.2 मिलियन टन से प्रति वर्ष 20.2 मिलियन टन तक। कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह एक समग्र योजना बनाए ताकि हर साल कॉपर ओर के उत्पादन में आनुपातिक वृद्धि सुनिश्चित हो।
- कॉपर की मांग: कमिटी ने कहा कि जब इलेक्ट्रिक वाहनों, इलेक्ट्रिकल उपकरणों और परिवहन उपकरणों की विश्वव्यापी मांग बढ़ेगी तो कॉपर की मांग में भी बढ़ोतरी होगी। भारत में कॉपर की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए कमिटी ने कॉपर के ज्यादा भंडारों के दोहन का सुझाव दिया। कमिटी के अनुसार, आने वाले वर्षों में देश में कॉपर की मौजूदा 0.6 किलोग्राम की प्रति व्यक्ति खपत बढ़कर 1 किलोग्राम प्रति व्यक्ति होने की उम्मीद है। इसलिए कमिटी ने उत्पादन बढ़ाने के लिए घरेलू कॉपर उद्योगों को अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु खान मंत्रालय को वित्त मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के साथ बातचीत करने का सुझाव दिया।
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