स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: वी विजयसाई रेड्डी) ने 18 सितंबर, 2020 को ‘कृषि और मरीन उत्पाद, बागान फसलों, हल्दी और कॉयर का निर्यात’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान कृषि, मरीन, तथा बागान उत्पादों के निर्यात में गिरावट हुई है। कमिटी ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने निर्यात को बाधित किया है, लेकिन कोविड के बाद भारत को नए व्यापारिक केंद्र के रूप में उभरने का मौका मिल सकता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- अनुसंधान: कमिटी ने अनुसंधान सुविधाओं को मजबूत करने और सभी उत्पादों पर अनुसंधान के लिए फंडिंग और मैनपावर को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही कहा कि अनुसंधान में निर्यात में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने तथा मूल्य संवर्धन में सुधार करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
कृषि और डेयरी उत्पाद
- अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का अनुपालन: कमिटी ने कहा कि कुल उत्पादन की तुलना में कृषि उत्पादों के निर्यात का हिस्सा बहुत कम है (2% से भी कम)। उसने सुझाव दिया कि सरकार को कृषि उत्पादों की खेती और उत्पादन में अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त डेयरी उत्पादों पर यूरोपीय संघ के गैर-टैरिफ बैरियर्स के मद्देनजर कमिटी ने सुझाव दिया कि उत्पाद आयातित देशों के मानदंडों का अनुपालन करें, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओज़) में कैपिटल इंफ्यूजन के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि एफपीओज़ में निजी क्षेत्र के पूंजीगत निवेश को बढ़ावा दिया जाए।
- फल और सब्जियां: कमिटी ने फलों और सब्जियों की निर्यात क्षमता पर खास जोर दिया और सुझाव दिया कि कुछ पड़ोसी और अफ्रीकी देशों के साथ कस्टम्स और ड्यूटीज़ की उच्च दरों को कम करने के लिए दोबारा से समझौते किए जाएं।
- अनाज: कमिटी ने कहा कि पोषक तत्व मिलाने के लिए जिन अनाजों की प्राइमरी प्रोसेसिंग की जाती है, उन्हें प्रोसेस्ड फूड माना जाना चाहिए। इन उत्पादों को वैसे ही निर्यात संबंधी प्रोत्साहन दिए जाने चाहिए जैसे प्रोसेस्ड फूड्स को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त सरकार को चावल के निर्यात के लिए ईजिप्ट, मलयेशिया और इंडोनेशिया जैसे नए मार्केट्स तलाशने के प्रयास करने चाहिए।
मरीन उत्पाद (श्रिंप, टूना)
- कमिटी ने सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने के निर्देश दिए: (i) मरीन फार्मिंग में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को रेगुलेट करना, (ii) मरीन उत्पादों के लिए प्रोसेसिंग सेंटर्स के निकट लेबोरेट्री की स्थापना करना, ताकि एंटीबायोटिक्स की जांच की जा सके, और (iii) निर्यात संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना।
बागान फसल (चाय, कॉफी, रबर)
- फसल बीमा योजना: कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को सभी बागान फसलों के लिए फसल बीमा योजना बनानी चाहिए।
- कॉफी की बिक्री के लिए इनकम पर टैक्स का प्रावधान: इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के नियमों के अनुसार उगाई और क्योर की गई कॉफी की बिक्री से प्राप्त आय को बिजनेस इनकम माना जाता है और इसका 25% टैक्स योग्य है। कमिटी ने कहा कि कॉफी की पैदावार बाद की प्रोसेसिंग (जैसे क्योरिंग) से उत्पादकों को बेहतर मूल्य प्राप्त होगा। उसने सुझाव दिया कि कॉफी प्रोसेसिंग से प्राप्त आय को बिजनेस इनकम मानने वाले नियम को खत्म कर दिया जाए।
- जुर्माने का इस्तेमाल: चाय निर्यात में लागत प्रतिस्पर्धा को सुधारने के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि कंटेनर्स की आकस्मिक जांच की मौजूदा नीति पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए। इसकी बजाय निर्यात के गंतव्य पर पहुंचने के बाद अगर कार्गो खराब पाया जाता है तो इस पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
मसाले
- मिर्ची के लिए डेवलपमेंट विंग: कमिटी ने कहा कि मात्रा के लिहाज से मसालों के निर्यात में मिर्ची का हिस्सा 43% है। उसने सुझाव दिया कि मिर्ची के निर्यात को विकसित करने के लिए स्पाइस बोर्ड में एक डेवलपमेंट बोर्ड बनाया जाए। डेवलपमेंट विंग मिर्ची किसानों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जुड़ने का मंच प्रदान करेगा।
- हल्दी का संवर्धन: कमिटी ने कहा कि हल्दी की खेती करने वाले क्षेत्र में गिरावट आई है जिसके कारण निर्यात योग्य अधिशेष भी कम हुआ है। कमिटी ने सुझाव दिया कि स्पाइस बोर्ड के कार्यक्षेत्र में हल्दी के निर्यात संवर्धन के साथ उसके उत्पादन और विकास की निगरानी करना शामिल किया जाए।
तंबाकू
- एफडीआई: कमिटी ने सुझाव दिया कि तंबाकू क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के लिए सरकार को एक अध्ययन करना चाहिए। वर्तमान में बागान फसलों जैसे कॉफी और चाय में ऑटोमैटिक रूट से 100% एफडीआई की अनुमति है।
- मार्केट स्टैबलाइजेशन फंड: सरकार को एक मार्केट स्टैबलाइजेशन फंड बनाना चाहिए। यह फंड तंबाकू किसानों को उस स्थिति में मूल्य समर्थन प्रदान करेगा जब तंबाकू की कीमतें फसल की लागत से कम हो जाएं। सिगरेट की बिक्री पर 1% लेवी से इस फंड के लिए धन जुटाया जा सकता है।
- निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं का समावेश: कमिटी ने सुझाव दिया कि निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट योजना (आरओडीटीईपी) के अंतर्गत तंबाकू को भी निर्यात संबंधी प्रोत्साहन दिए जाएं। इस योजना के अंतर्गत केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर लगाए जाने वाले टैक्स/ड्यूटी/लेवी को रीइंबर्स किया जाता है (जिन्हें किसी और योजना के अंतर्गत रीफंड नहीं किया जाता)।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।