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पीडीएफ

कोच और स्टेशनों में साफ-सफाई और हाइजीन

रेलवे कन्वेंशन कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • रेलवे कन्वेंशन कमिटी (चेयर: भर्तृहरि महताब) ने 31 दिसंबर, 2018 को ‘रेलवे कोच और स्टेशनों में साफ-सफाई और हाइजीन’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
     
  • रेलवे के कोचों और स्टेशनों में साफ-सफाई संबंधी कदम: कमिटी ने कहा कि भारतीय रेलवे ने कोचों और स्टेशनों की साफ-सफाई के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) 145 से अधिक कोचिंग डिपो में कोचों की मशीनीकृत सफाई, (ii) क्लीन माई कोच स्कीम, (iii) 730 से अधिक स्टेशनों में कूड़ा बीनने और कचरा निस्तारण के ठेके, (iv) 40 स्टेशनों पर क्लीन ट्रेन स्टेशन स्कीम, और (v) प्रमुख रेल टर्मिनलों पर उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे के निस्तारण के लिए एक पायलट प्रॉजेक्ट। हालांकि साफ-सफाई की सुविधाएं और योजनाएं कुछ ही स्टेशनों पर और ब्रॉड गेज कोचों में ऑन-बोर्ड हाउसकीपिंग सुविधा के साथ ही लागू की जा रही हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि इन सुविधाओं और योजनाओं को सभी स्टेशनों और ब्रॉड गेज कोचों में लागू किया जाना चाहिए। उसने सुझाव दिया कि अधिक से अधिक स्टेशनों को रेलवे के ऑडिट तथा सर्वेक्षण मूल्यांकन के दायरे में लाया जाना चाहिए ताकि साफ-सफाई रखने के मामले में स्टेशनों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिले।
     
  • स्वच्छता संबंधी सर्वेक्षण: कमिटी ने गौर किया कि स्टेशनों के स्वच्छता सर्वेक्षण के अनुसार विंध्याचल के दक्षिण में स्थित स्टेशनों का रखरखाव बेहतर तरीके से किया जाता है। इसके बावजूद कि रेलवे में स्टेशनों की साफ-सफाई के ठेके एक जैसे दिए जाते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस क्षेत्र में स्थित रेलवे अधिकारियों और स्टेशनों की साफ-सफाई करने वाले ठेकेदारों की कार्यपद्धतियों का अध्ययन और उन्हें कोडिफाई किया जाना चाहिए ताकि दूसरे डिविजंस में उनकी नकल की जा सके।
     
  • रेल कोचों में साफ-सफाई: कमिटी ने गौर किया कि वर्तमान में 30% मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में सफर के दौरान ऑन बोर्ड हाउसकीपिंग सुविधाओं के जरिए ट्रेनों की साफ-सफाई की जाती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि दो से तीन वर्षों की निश्चित समय-सीमा में सभी मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में ऑन-बोर्ड हाउसकीपिंग की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
     
  • कमिटी ने यह भी कहा कि सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए हाउसकीपिंग के ठेकों के लिए रेलवे ने एक स्टैंडर्ड बिड डॉक्यूमेंट तैयार किया है। भविष्य के सभी ठेकों में इसका पालन किया जाएगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि ठेकेदारों द्वारा उचित सेवा प्रदान की जाए, इसके लिए हाउसकीपिंग ठेकों की नीलामी के लिए पात्रता की कड़ी शर्तें निर्धारित की जाएं। इसके अतिरिक्त रेलवे को सभी ट्रेनों में निरंतर निरीक्षण और औचक जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो कि ठेकेदार ठेके में उल्लिखित शर्तों का पालन कर रहे हैं।
     
  • फंड का उपयोग: कमिटी ने कहा कि रेलवे में साफ-सफाई और हाइजीन के लिए धनराशि आबंटन अब कोई समस्या नहीं है। हालांकि यह गौर किया गया कि धन के इस्तेमाल के लिहाज से संशोधित अनुमानों और वास्तविक व्यय के बीच अंतर है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इस अंतर को दूर किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों और उनके यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कोच और स्टेशनों की साफ-सफाई के लिए बजटीय आबंटन को बढ़ाया जाना चाहिए।
     
  • बायो-टॉयलेट्स: कमिटी ने कहा कि अब तक लगभग 43,400 कोचों में 1,58,000 बायो-टॉयलेट्स फिट किए गए हैं। 2018-19 के दौरान लगभग 8,600 कोचों में 32,000 बायो-टॉयलेट्स लगाए गए। कमिटी ने कहा कि हालांकि बायो-टॉयलेट्स पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, उन्हें भी जल निकासी और स्वच्छता संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कमिटी के अनुसार रेलवे को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बायो-टॉयलेट्स के टैंकों में जमा होने वाले गंदे पानी को निश्चित लोकेशंस/डंप यार्ड्स में फेंका जाए और इस प्रक्रिया के दौरान पर्यावरण प्रदूषण न हो। इसके अतिरिक्त रेलवे को बायो-टॉयलेट्स में इस्तेमाल होने वाले बैक्टीरिया के उपयोग और उसके प्रबंधन के लिए एक फूल-प्रूफ मैकेनिज्म अपनाना चाहिए।
     
  • अन्य समस्याएं और मुद्दे: कमिटी ने कहा कि रेलवे को कोचों और स्टेशनों में साफ-सफाई रखने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें अनाधिकृत लोगों द्वारा स्टेशन में जन सुविधाओं का इस्तेमाल करना, रेलवे ट्रैक और मुख्य स्टेशनों के एप्रोचेज़ में रेलवे की जमीन में अनाधिकृत प्रवेश करना शामिल है। कमिटी ने सुझाव दिया कि जोनल रेलवे मैनेजरों और डिविजनल रेलवे मैनेजरों को राज्य स्तर पर संबंधित राज्य सरकार के अधिकारियों से इन मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त रेलवे को साफ-सफाई बरकरार रखने, स्टेशनों के आस-पास अतिक्रमण और अनाधिकृत प्रवेश को रोकने और ठोस कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय सरकारों से सहयोग लेने की कोशिश करनी चाहिए।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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