स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: आनंद शर्मा) ने 21 दिसंबर, 2020 को कोविड-19 महामारी के प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- तैयारी: कमिटी ने कहा कि एकाएक लॉकडाउन करने से बहुत अधिक आर्थिक अवरोध हुआ। इससे प्रवासी मजदूरों में डर और चिंता पैदा हुई और बड़े पैमाने पर वे अपने गृह राज्य लौट गए। कमिटी ने भविष्य में ऐसे संकट को रोकने के लिए कुछ सुझाव दिए जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 और महामारी रोग एक्ट, 1897 के अंतर्गत राष्ट्रीय योजना और दिशानिर्देश तैयार करना, (ii) तत्काल प्रतिक्रिया देने में केंद्र और राज्यों के बीच आपसी समन्वय हो, महामारी से संबंधित सभी फैसले भली प्रकार लागू हों और लाभार्थियों को समय पर और समान रूप से राहत मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत प्रणाली तैयार करना, और (iii) महामारी से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी (2005 के अंतर्गत गठित) में एक अलग प्रभाग बनाना। कमिटी ने यह भी कहा कि 2005 और 1897 के एक्ट महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। इसलिए कमिटी ने इन कानूनों की समीक्षा का सुझाव दिया।
- स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्चा: कमिटी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने कोविड-19 के उपचार और संबंधित सेवाओं पर काफी खर्च किया है। उसने कहा कि ऐसे आघात से निपटने के लिए देश में मजबूत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की जरूरत है। इसलिए उसने सुझाव दिया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि करने के लिए स्वास्थ्य संबंधी अवसंरचना में अधिक निवेश की जरूरत है। कमिटी ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का अधिक भार सरकारी अस्पतालों पर पड़ा क्योंकि निजी अस्पतालों तक न तो सबकी पहुंच है और न ही सभी लोग उतना खर्च कर सकते हैं। इसलिए कमिटी ने सरकारी अस्पतालों के लिए अधिक आबंटन का सुझाव दिया।
- वैक्सीन: कमिटी ने सुझाव दिया कि वैक्सीन ट्रायल करते समय सभी अनिवार्य शर्तों का पालन किया जाना चाहिए और सभी चरणों के ट्रायल पूरे किए जाने चाहिए। कमिटी ने कहा कि केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल संगठन (ड्रग्स और कॉस्मैटिक्स एक्ट, 1940 के अंतर्गत स्थापित) ने इमरजेंसी इस्तेमाल का कोई ऑथराइजेशन नहीं दिया है। इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि यह ऑथराइजेशन रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामलों में ही दिया जाना चाहिए।
- डेटा कलेक्शन: कमिटी ने कहा कि टेस्ट रेट, रिकवरी और मृत्यु दर के पैटर्न को समझने के लिए एक अध्ययन किए जाने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त ऐसे राज्यों और जिलों को चिन्हित किए जाने की जरूरत है जहां क्रमशः टेस्टिंग की क्षमता पर्याप्त नहीं है और जहां स्वास्थ संबंधी अवसंरचना की कमी है। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि रिसर्च कम्युनिटी के लिए प्रासंगिक डेटा को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि उन्हें कोविड-19 के प्रबंधन के लिए इनपुट्स और महामारी की रोकथाम के लिए रियल टाइम सॉल्यूशंस मिल सकें। लेकिन ऐसे खुलासे के साथ डेटा एनॉनिमाइजेशन के सिद्धांतों, सिक्योरिटी और प्राइवेसी कानूनों का पालन किया जाना चाहिए।
- बुरा आचरण: कमिटी ने इन खबरों का उल्लेख किया कि कुछ निजी अस्पताल उपचार के लिए बेड्स को बेच रहे हैं और कई दवाओं की ब्लैक-मार्केटिंग कर रहे हैं, उनकी ज्यादा कीमतें वसूल रहे हैं। इस संबंध में कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) निजी अस्पतालों और दवाओं की ब्लैक-मार्केटिंग पर नजर रखने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून, (ii) सस्ती और प्रभावी रीपर्पज्ड दवाओं की उपलब्धता के लिए जागरूकता अभियान शुरू करना, (iii) हर व्यक्ति को अच्छी और सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना, हाशिए पर मौजूद लोगों को सबसिडाइज्ड दरों पर दवाएं उपलब्ध कराना, खास तौर से महामारी के दौरान, (iv) स्वास्थ्य बीमा के दावों को खारिज न किया जा सके, इसके लिए अस्पतालों का रेगुलेटरी निरीक्षण करना, और (v) बीमाकृत लोगों के लिए कोविड-19 का कैशलेस उपचार संभव करना।
- सामाजिक प्रभाव: गरीबों पर कोविड-19 के सामाजिक असर को कम करने के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार उन्हें स्वास्थ्य सेवा, नकद हस्तांतरण और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनाए ताकि सभी श्रमिकों को उचित न्यूनतम वेतन, खाद्य सुरक्षा, और सुरक्षित जीवन स्तर प्राप्त हो। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि प्रवासी श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस जल्द से जल्द शुरू किया जाए। इससे इन श्रमिकों को चिन्हित करने और उन्हें राशन एवं अन्य लाभ देने में मदद मिलेगी।
- खाद्य वितरण: कमिटी ने सुझाव दिया कि जब तक सभी राज्य वन नेशन, वन राशन कार्ड को लागू न करें, तब तक राशन कार्डों की इंटरस्टेट ऑपरेबिलिटी की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त गृह मामलों के मंत्रालय को रियल-टाइम आधार पर विभिन्न राज्यों के बीच प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही को ट्रैक करने के लिए एक समायोजित प्रणाली बनानी चाहिए जिससे राज्य सही समय पर केंद्रीय एजेंसियों से राशन उठा सकें।
- आर्थिक असर: कमिटी ने कहा कि महामारी के दौरान एमएसएमईज़ पर बहुत बुरा असर पड़ा है। उसने गौर किया कि एमएसएमईज़ कोविड-19 के असर को झेल सकें, इसके लिए यह जरूरी है कि उन्हें सहारा देने के लिए कार्यशील पूंजी प्रदान की जाए। इसके अतिरिक्त उसने हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र और उससे संबंधित सेवाओं को बहाल करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और अन्य मदद का सुझाव दिया।
- शिक्षा पर असर: ऑनलाइन क्लासेज़ तक पहुंच में मौजूद सामाजिक असमानताओं को देखते हुए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) स्टूडेंट्स इन क्लासेज़ का लाभ उठा सकें, इसके लिए उन्हें वित्तीय सहायता देने और कम लागत वाले उपकरण उपलब्ध कराने हेतु योजना बनाना, (ii) इंटरनेट एक्सेस बाधा रहित हो, खास तौर से ग्रामीण इलाकों में, इसके लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, और (iii) टीचर्स को ऑनलाइन क्लास लेने का प्रशिक्षण प्रदान करना।
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