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पीडीएफ

क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और एनसीआरटीसी की भूमिका

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • आवास और शहरी मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी) ने 22 जुलाई, 2025 को 'क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम और एनसीआरटीसी की भूमिका' पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में संचालित एक उच्च गति रेल-आधारित कम्यूटर नेटवर्क है। इस प्रणाली के तहत, हर पांच से 10 मिनट में ट्रेनें उपलब्ध होती हैं और 180 किमी/घंटा तक की गति से चलती हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में क्षेत्रीय संपर्क प्रदान करने के लिए मंत्रालय द्वारा आरआरटीएस की शुरुआत की गई थी। अप्रैल 2025 तक प्रस्तावित आठ आरआरटीएस में से एक को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है।

   राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) की स्थापना केंद्र और चार राज्य सरकारों के बीच आरआरटीएस नेटवर्क के कार्यान्वयन हेतु एक संयुक्त उद्यम के रूप में की गई थी। इसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली राज्य शामिल हैं। कमिटी की प्रमुख टिप्पणियां और सुझाव इस प्रकार हैं:

  • मेट्रो शहरों में क्षेत्रीय योजना की जरूरत: कमिटी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में तेजी से शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि, आवास, परिवहन और प्रदूषण से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। मुख्य शहरों के आसपास के परिधीय क्षेत्र भी तेजी से विकसित हो रहे हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्य सरकारें बड़े महानगरों के विकास के लिए परिवहन योजना सहित विस्तृत क्षेत्रीय और कार्यात्मक योजनाएं तैयार करें। उसने कहा कि आरआरटीएस परियोजनाएं मेट्रो नेटवर्क का पूरक बन सकती हैं। कमिटी ने कहा कि केंद्र सरकार की भूमिका राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने से आगे बढ़ाई जानी चाहिए। कमिटी ने सुझाव दिया कि क्षेत्रीय और शहरी परिवहन योजना हेतु नीति निर्माण में केंद्र सरकार को शामिल किया जाना चाहिए।
  • क्षेत्रीय और कार्यात्मक योजना की तैयारी: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड ने 2021 तक मान्य एक क्षेत्रीय योजना तैयार की थी। हालांकि अप्रैल 2025 तक परिप्रेक्ष्य वर्ष 2041 वाली नई क्षेत्रीय योजना को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। कमिटी ने कहा कि अन्य कार्यात्मक योजनाओं को क्षेत्रीय योजना 2041 के अनुमोदन के बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय दिल्ली-एनसीआर के लिए क्षेत्रीय योजना 2041 को जल्द से जल्द अंतिम रूप देकर अधिसूचित करे।
  • अंतिम मील और बहु-मोडल कनेक्टिविटी: कमिटी ने सुझाव दिया कि एनसीआरटीसी अंतिम मील कनेक्टिविटी विकसित करने के लिए शटल बसें उपलब्ध कराए। कमिटी ने आरआरटीएस को परिवहन के अन्य साधनों के साथ एकीकृत करने का भी सुझाव दिया। इससे यात्रियों को रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों और अंतर-राज्यीय बस टर्मिनलों से आरआरटीएस सेवाओं का इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी। कमिटी ने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और जेवर हवाई अड्डे को मौजूदा आरआरटीएस से जोड़ने का सुझाव दिया।
  • एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण: मेट्रो रेल नीति, 2017 एक एकीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण के गठन का प्रावधान करती है। यह प्राधिकरण शहरी परिवहन प्रणाली की समन्वित योजना, कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। केंद्रीय सहायता से क्रियान्वित मेट्रो रेल परियोजनाओं वाले सभी राज्यों को यह प्राधिकरण स्थापित करना होगा। कमिटी ने कहा कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों ने इस प्राधिकरण का गठन नहीं किया है। कमिटी ने इन राज्यों में इस प्राधिकरण को स्थापित करने का सुझाव दिया।
  • एनसीआरटीसी के कार्यक्षेत्र का विस्तार: वर्तमान में एनसीआरटीसी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में समग्र परिवहन विकास का कार्य करता है, जिसमें कम्यूटर रेल, सड़क और बस सेवाओं का विकास शामिल है। कमिटी ने एनसीआरटीसी के कार्यक्षेत्र का विस्तार अन्य क्षेत्रों में करने का सुझाव दिया। इससे निगम को इन क्षेत्रों में बहु-मोडल उपनगरीय परिवहन प्रणालियां विकसित करने के लिए अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करने में मदद मिलेगी।
  • आरआरटीएस परियोजनाओं के लिए पीपीपी मॉडल: कमिटी ने कहा कि आरआरटीएस परियोजनाएं अत्यधिक पूंजी गहन हैं और इनकी निर्माण अवधि लंबी होती है। वर्तमान में आरआरटीएस उप-प्रणालियों के संचालन और रखरखाव में निजी क्षेत्र की भागीदारी अधिक है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एनसीआरटीसी आरआरटीएस परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी और वित्तपोषण के संभावित अवसरों का पता लगाए।
 

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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