स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. शशि थरूर) ने 19 दिसंबर, 2023 को 'कीटनाशक- सुरक्षित उपयोग सहित प्रोत्साहन और विकास- कीटनाशकों के लिए लाइसेंस व्यवस्था' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कीटनाशक, यानी पेस्टिसाइड्स मोटे तौर पर चार प्रकार के होते हैं: कृमिनाशक (इंसेक्टिसाइड्स), कवकनाशी (फंगीसाइड्स), शाकनाशी (हर्बिसाइड्स) और जैव कीटनाशक (बायो-पेस्टिसाइड्स)। शाकनाशी खरपतवारों की वृद्धि को खत्म करते/उन्हें नियंत्रित करते हैं, और बाजार में इनकी हिस्सेदारी सबसे अधिक 44% है। इसके बाद कवकनाशी (27%) और कृमिनाशकों (22%) का स्थान आता है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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कानून को प्रभावी बनाने के लिए उपयुक्त निकाय: कीटनाशकों को इंसेक्टिसाइड्स एक्ट, 1968 के तहत रेगुलेट किया जाता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग इसे लागू करता है, और इसे रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग के दायरे से बाहर रखा गया है। कमिटी ने कहा कि रसायन विभाग कीटनाशकों को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह विभाग समय-समय पर कृषि रसायन उद्योग से संबंधित मामलों पर काम करता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि रसायन विभाग इस मामले को उचित मंच पर ले जाए ताकि कम से कम उन प्रावधानों को लागू किया जा सके जो कृषि रसायनों से संबंधित हैं। कीटनाशकों को मोटे तौर पर कृषि रसायन कहा जाता है।
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विभिन्न विभागों के बीच समन्वय: कृषि विभाग हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग और निषेध की समीक्षा करने के लिए जिम्मेदार है। अब तक उसने 46 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया है या चरणबद्ध तरीके से उसके इस्तेमाल पर रोक लगाई है। रसायन विभाग कृषि रसायनों को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। कमिटी ने कहा कि दोनों विभागों को ऐसे मामलों से बचने के लिए निकट समन्वय की आवश्यकता है, जहां एक विभाग इसके उपयोग को बढ़ावा देता है और दूसरा इस पर प्रतिबंध लगाता है।
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कीटनाशकों के अधिक उपयोग को संतुलित करना: कमिटी ने खेती के नुकसान को रोकने में कीटनाशकों के महत्व पर जोर दिया। उदाहरण के लिए, 2019-20 और 2020-21 में टिड्डी हमलों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों का उपयोग किया गया था। इस दौरान खाद्यान्न उत्पादन में भी वृद्धि देखी गई। कमिटी ने कहा कि हालांकि विभाग ने कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं, लेकिन उनका व्यापक उपयोग हानिकारक हो सकता है। यह हवा, पानी, मिट्टी और पूरे इको-सिस्टम को प्रदूषित कर सकता है जिससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरे हो सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि कीटनाशकों को बढ़ावा देने के उपायों को इस प्रकार सख्ती से लागू किया जाना चाहिए ताकि उनका संतुलित उपयोग हो सके।
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कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहित करना: भारत में कीटनाशकों की खपत 0.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि अन्य देशों में यह 17 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक है। ऐसा इसके बावजूद है कि भारत कृषि उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। कमिटी ने कहा कि उसकी तुलना में भारत में कीटनाशकों का उतना उपयोग नहीं किया जाता, जितनी बाजार क्षमता है। खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के साथ, कीटनाशक प्रति हेक्टेयर औसत फसल उपज बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। कमिटी ने सुझाव दिया कि विभाग जापान और चीन में कृषि पद्धतियों का अध्ययन करे और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए पहल करे। विभाग ने कहा है कि चीन और जापान जैसे देशों में कीटनाशकों का उपयोग उनकी कृषि पद्धतियों के अधिक गहन होने के कारण है।
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डीडीटी का घटता उपयोग: डीडीटी एक रासायनिक कीटनाशक है जिसका उपयोग कई देशों में प्रतिबंधित है। स्टॉकहोम कन्वेंशन में कहा गया है कि दिसंबर 2024 तक भारत से डीडीटी को खत्म किया जाना चाहिए। भारत ने इस कन्वेंशन का अनुमोदन किया है। वर्तमान में एचआईएल इंडिया लिमिटेड डीडीटी का एकमात्र निर्माता है और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को इसकी आपूर्ति करता है। संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन डीडीटी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में एचआईएल का सहयोग कर रहा है। यह डीडीटी के विकल्पों के लिए कमर्शियल मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां स्थापित करने में सहायता प्रदान कर रहा है। ये विकल्प हैं, लंबे समय तक चलने वाले कीटनाशक जाल, नीम-आधारित वनस्पति कीटनाशक और रेपेलेंट्स।
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कृषिरसायन उद्योग के लिए एडवाइजरी फोरम: जुलाई 2019 में रसायन एवं उर्वरक विभाग ने निम्नलिखित के लिए एक सलाहकार समिति का गठन किया था: (i) उन मुद्दों की पहचान करना जो कृषि रसायन उद्योग की वृद्धि और विकास में बाधा डालते हैं, और (ii) निवेश को बढ़ावा देकर मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देना। सलाहकार समिति उद्योग संघों को अपनी शिकायतें पेश के लिए एक मंच प्रदान करती है। कमिटी ने कहा कि इस सलाहकार समिति की बैठक वर्ष में केवल एक बार होती है। उसने सुझाव दिया कि विकास की बाधाओं को पहचानने और उनका हल तलाशने के लिए बैठकों की आवृत्ति बढ़ाई जानी चाहिए।
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भारतीय रसायन उद्योग: भारत का रसायन उद्योग वर्तमान में बिक्री के मामले में विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है, जिसका बाजार आकार 220 बिलियन USD है। भारतीय कृषि रसायन उद्योग चौथा सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक और निर्यातक है। इसके बावजूद रसायन उद्योग 2020-21 में शुद्ध आयातक था जिसका व्यापार घाटा 1.8 लाख करोड़ रुपए था। कमिटी ने कहा कि इसका मुख्य कारण कच्चे माल और खनन एजेंटों की अनुपलब्धता है। विभाग आयात निर्भरता को कम करने के लिए रसायन क्षेत्र में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू करने पर काम कर रहा है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार व्यापार घाटे को कम करने के लिए तत्काल काम करे।
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