स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: पी. चिंदबरम) ने 12 दिसंबर, 2018 को ‘गैर सीमा प्रहरी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कार्य करने की स्थितियां’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। इन बलों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ, जो मुख्य इंस्टॉलेशंस को सुरक्षा प्रदान करते हैं), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ जोकि आंतरिक सुरक्षा बहाल करने के लिए तैनात किए जाते हैं) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी, जोकि आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के लिए तैनात किए जाते हैं) शामिल हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्न हैं:
सीआईएसएफ
- कैडर की समीक्षा: कमिटी ने कहा कि सीआईएसएफ में कैडर समीक्षा का अभाव है। इसलिए ग्रुप बी और सी के विभिन्न पदों पर पदोन्नतियां रुकी हुई हैं। इनमें कॉन्स्टेबल, हेड कॉन्स्टेबल और सब-इंस्पेक्टर स्तर के पद शामिल हैं। जैसे कॉन्स्टेबल को हेड कॉन्स्टेबल बनने में 22 वर्ष लग जाते हैं, जबकि पात्रता का अवधि पांच वर्ष है। कमिटी ने कहा कि कैडर की समीक्षा न होने के कारण सीआईएसएफ कर्मियों का मनोबल गिरता है। इस संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि ग्रुप बी और सी कर्मियों की कैडर समीक्षा में तेजी लाई जाए जिससे निचले पदों पर काम करने वाले कर्मियों की पहली पदोन्नति भर्ती के दस वर्षों के भीतर हो जाए।
- आधुनिकीकरण: सीआईएसएफ हवाई अड्डों, और परमाणु एवं एयरोस्पेस क्षेत्र के इंस्टॉलेशंस की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। कमिटी ने कहा कि इस बल को आधुनिक उपकरण जैसे ड्रोन, नाइट विजन डिवाइस और पेट्रोलिंग उपकरण प्रदान किए जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि सीआईएसएफ के पास समर्पित बॉम्ब डिटेक्शन एंड डिस्पोज़ल स्कॉड (बीडीडीएस) नहीं है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सीआईएसएफ जिन 59 हवाई अड्डों की सुरक्षा के लिए तैनात है, उन सभी में ऑपरेशनल बीडीडीएस टीम्स होनी चाहिए।
सीआरपीएफ
- रिक्तियां: कमिटी ने कहा कि सीआरपीएफ में आईपीएस अधिकारियों के लिए 37 पदों को आरक्षित करने का क्या औचित्य है, जब वे अधिकारी ऐसे पदों को चुनना पसंद ही नहीं करते। ये पद या तो खाली रहते हैं या अस्थायी तौर से सीआरपीएफ के कैडर ऑफिसर्स को मिल जाते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि आईपीएस अधिकारियों के लिए 25% से अधिक पद आरक्षित नहीं किए जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि सीआरपीएफ में लगभग 55,000 रिक्तियां थीं। उसने सुझाव दिया कि अगले दो वर्षों की पूर्वानुमानित रिक्तियों को देखते हुए भर्तियां की जानी चाहिए।
- तैनाती: कमिटी ने कहा कि राज्य कानून एवं व्यवस्था की बहाली के लिए सीआरपीएफ पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं। ट्रेनिंग कंपनियों के निरंतर तैनात रहने से सीआरपीएफ की क्षमता प्रभावित होती है, चूंकि उन्हें प्रशिक्षण और आराम नहीं मिल पाता। कमिटी ने सुझाव दिया कि बटालियन के एक बटा छह हिस्से को अनिवार्य रूप से हमेशा प्रशिक्षण या आराम मिलना चाहिए।
- अनुसंधान और विकास: कमिटी ने कहा कि सीआरपीएफ के पास अपनी कोई समर्पित अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) शाखा नहीं है। उसने सुझाव दिया कि सीआरपीएफ को अलग-अलग तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे बड़े क्षेत्र में तैनाती। इसलिए उसके लिए समर्पित आरएंडडी इकाई बनाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए ताकि वह विशिष्ट किस्म की समस्याओं से जूझ सके, जैसे इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी), और वाहनों की बुलेट प्रूफिंग।
एनएसजी
- कार्यकाल: कमिटी ने कहा कि एनएसजी का अपना कोई कैडर नहीं होता और यह आर्मी, सीएपीएफ और दूसरे पुलिस संगठनों से कर्मचारियों की भर्ती करता है। हालांकि एनएसजी में थल सेना के सैन्यकर्मियों के डेपुटेशन की अवधि बहुत छोटी होती है। इस संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि लंबे समय के लिए डेपुटेशन के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान, इसकी समीक्षा करने के लिए वर्किंग ग्रुप बनाया जाना चाहिए।
- एयर विंग: कमिटी ने कहा कि एनएसजी का अपना कोई एयर विंग नहीं है और वह दूसरे सैन्य बलों के एयर एसेट्स पर निर्भर है। चूंकि एनएसजी को हमले का जवाब तुरंत देना होता है, कमिटी ने सुझाव दिया कि इसके लिए एक समर्पित एयर विंग को कमीशन करने के लिए कदम उठाए जाएं।
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