स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी.वी. रेड्डी) ने 15 जून, 2022 को ‘एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) सहित जिले के रूप में निर्यात हब (डीईएच) पहल का कार्यान्वयन’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। जिले के रूप में निर्यात हब (डीईएच) और एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल का उद्देश्य ग्रामीण और सुदूर जिलों के स्थानीय उत्पादकों को विश्वव्यापी सप्लाई चेन्स के साथ जोड़ना और उन्हें अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाना है। ओडीओपी पहल का डीईएच के साथ ऑपरेशनल रूप से विलय कर दिया गया है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- जिला निर्यात कार्य योजना का कार्यान्वयन: डीईएच पहल के अंतर्गत जिला निर्यात कार्य योजना को तैयार करने के लिए जिला निर्यात संवर्धन समिति (डीईपीसी) का गठन किया जाता है। योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कमिटी ने संबंधित मंत्रालयों/विभागों, जैसे कृषि, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण और एमएसएमई के सचिवों के एम्पावर्ड ग्रुप का गठन करने का सुझाव दिया। कमिटी ने यह भी कहा कि स्थानीय सरकारी निकायों को योजना के कार्यान्वयन में संलग्न किया जाना चाहिए।
- वित्तीय संस्थानों की भूमिका: कमिटी ने चिन्हित डीईएच में किसानों और मैन्यूफैक्चरर्स की वित्तीय साक्षरता में सुधार के महत्व का उल्लेख किया। उसने दो मुख्य समस्याओं पर गौर किया: (i) उधार की निम्न स्तरीय पात्रता, जिसके कारण स्थानीय मैन्यूफैक्चरर्स को उच्च ब्याज पर बाजार से उधार लेना पड़ता है, और (ii) कारोबारी रूप से लाभप्रद सरकारी योजनाओं के संबंध में पर्याप्त जानकारी का अभाव। उसने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) जैसे वित्तीय संस्थानों के साथ एक पोर्टल बनाने का सुझाव दिया ताकि व्यापारियों और मैन्यूफैक्चरर्स को आसानी से ऋण मिल सके।
- ई-कॉमर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका: कमिटी ने कहा कि ई-कॉमर्स से टियर-II और टियर–III मैन्यूफैक्चरर्स को विश्वव्यापी मार्केटिंग प्लेटफॉर्म्स का हिस्सा बनने का मौका मिलेगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए डिजिटल ज्ञान वाली निर्यात नीति अपनाई जानी चाहिए। कमिटी ने अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ साझेदारी की संभावना तलाशने का सुझाव दिया क्योंकि ये कंपनियां डीईएच पहल को एक विश्वव्यापी डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदान कर सकती हैं। उसने यह सुझाव भी दिया कि केंद्र सरकार को डीईएच लिस्टेड उत्पादों का प्रचार और उन्हें ब्रांड करना चाहिए, साथ ही उनके उत्पादकों और मैन्यूफैक्चरर्स को एक वैलिडेशन सर्टिफिकेट देना चाहिए ताकि उनकी विश्वव्यापी साख में सुधार हो।
- एमएसएमई क्षेत्र में क्षमता निर्माण: कमिटी ने गौर किया कि एमएसएमई क्षेत्र दक्षता, वित्तीय जानकारी और मार्केटिंग रणनीतियों के लिहाज से अति संवेदनशील है। उसने एमएसएमई योजनाओं, जैसे एमएसएमई चैंपियंस स्कीम और निर्यात बंधु योजना को एक करने और इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए डीईएच पहल के साथ उनका सामंजस्य बैठाने का सुझाव दिया। स्थानीय कारीगरों और उत्पादकों के क्षमता निर्माण के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय दक्षता विकास निगम और राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के साथ समन्वय किया जाए ताकि वे प्रासंगिक कार्यक्रम तैयार कर सकें।
- एमएसएमई क्षेत्र को ट्रेड इंटेलिजेंस प्रदान करना: कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) राष्ट्रीय रिसोर्स डेटाबेस सिस्टम को सही समय पर अमल में लाया जाए जोकि विदेशी बाजार के निर्यात संबंधी डेटा की सेंट्रल नॉलेज रिपोजिटरी के तौर पर काम करेगा, (ii) डीईपीसी के पास स्थानीय एमएसएमई के मार्केट इंटेलिजेंस के स्तर का आकलन करने का और उनके नॉलेज बेस में सुधार के लिए समय-समय पर सलाह देने का प्रावधान होना चाहिए, (iii) डीईपीसी भारतीय विदेश व्यापार संस्थान जैसे संस्थानों से ट्रेड इंटेलिजेस इनपुट्स को हासिल करे और उसे छोटे मैन्यूफैक्चरर्स और निर्यातकों के साथ शेयर करे, और (iv) आरोग्य सेतु जैसे मैपिंग टूल्स बनाना। ऐप का उपयोग एमएसएमई द्वारा आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त करके सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया जा सकता है।
- जियो-स्पेशल का उपयोग करना: कमिटी ने सुझाव दिया कि जियो-मैप के साथ एक कॉमन डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया जाए जोकि डीईएच और ओडीओपी के डेटाबेस के तौर पर काम करेगा। इससे जिलों में उत्पादों की उपलब्धता और गुणवत्ता के संबंध में डेटा शेयर किया जा सकेगा और उनकी जानकारी प्राप्त होगी।
- निर्यात पर खाद्य तेलों की निर्भरता: कमिटी ने गौर किया कि निर्यात निर्भरता के कारण खाद्य तेलों की रीटेल कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। उसने कहा कि डीईएच के अंतर्गत सिर्फ तीन जिलों को खाद्य तेलों के निर्यात के लिए चिन्हित किया गया है। उसने सुझाव दिया कि खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए पाम ऑयल, सोयाबीन, सूरजमुखी और सरसों की खेती में सुधार किया जाए। राष्ट्रीय तिलहन और पाम ऑयल मिशन के महत्व को ध्यान में रखते हुए कमिटी ने सुझाव दिया कि इस मिशन को ओडीओपी के साथ जोड़ा जाए ताकि पूर्वोत्तर के जिले इसमें शामिल किए जा सकें। कमिटी ने सुझाव दिया कि किसानों को प्रोत्साहित करने के उपाय किए जाएं ताकि तिलहन की खेती हेतु जमीन का डायवर्जन सुनिश्चित हो।
- इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती: कमिटी ने गौर किया कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स के समय पर पूरा न होने के कारण मार्च 2021 तक 2,234 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उसने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रॉजेक्ट की नियमित निगरानी का सुझाव दिया। उसने खराब होने वाली वस्तुओं के निर्यात के लिए उन रक्षा हवाई पट्टियों के व्यावसायिक उपयोग की संभावना तलाशने का सुझाव दिया जिनका उपयोग सेना नहीं करती।
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