स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- वित्त संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. एम. वीरप्पा मोइली) ने 3 जनवरी 2018 को ‘डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर रूपांतरण’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ाकर और साइबर सुरक्षा में सुधार करके भारतीय अर्थव्यवस्था का रूपांतरण किया जाए। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट के अन्य सुझाव निम्नलिखित हैं।
- नोटबंदी के उद्देश्य: कमिटी ने गौर किया कि डिजिटलीकरण को नोटबंदी (नवंबर 2016 में 500 रुपए और 1,000 रुपए के करंसी नोटों को बंद किया गया था) का अतिरिक्त लक्ष्य कहा गया था। कमिटी ने कहा कि औपचारिक भुगतान के जरिए डिजिटल लेनदेन को बढ़ाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को रूपांतरित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इसके द्वारा (i) वित्तीय समावेश को गति दी जा सकती है, (ii) नए बिजनेस मॉडल्स और बाजार खोले जा सकते हैं, (iii) टैक्स लीकेज पर काबू पाया जा सकता है और (iv) कैश से जुड़ी लागत और असुविधा को कम किया जा सकता है।
- डिजिटलीकरण की गति: जैसा सोचा गया था, डिजिटलीकरण की गति उससे धीमी है। हालांकि कुछ डिजिटल मोड्स के जरिए लेनदेन नोटबंदी के बाद एकाएक बढ़ा था, लेकिन कैश की उपलब्धता बढ़ाने से वह धीरे-धीरे कम हो गया (देखें तालिका 1) कमिटी ने कहा कि तीव्र डिजिटलीकरण की दिशा में कई अवरोध हैं जिनमें डिजिटल लेनदेन की अनुचित लागत और टेलीकॉम कवरेज की समस्याएं शामिल हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को डिजिटल लेनदेन की लागत को तर्कसंगत बनाना चाहिए और कम कीमत के लेनदेन को प्रोत्साहित करना चाहिए।
तालिका 1: डिजिटल लेनदेन की मात्रा और कीमत
महीना |
मात्रा |
कीमत |
2016-17 |
||
अप्रैल |
58.6 |
1,500.5 |
मई |
60.0 |
1,673.0 |
जून |
59.8 |
1,811.8 |
जुलाई |
63.2 |
1,742.3 |
अगस्त |
62.7 |
1,822.4 |
सितंबर |
62.4 |
1,952.0 |
अक्टूबर |
71.2 |
1,700.1 |
नवंबर |
83.3 |
1,861.6 |
दिसंबर |
123.0 |
1,937.2 |
जनवरी |
113.3 |
1,788.8 |
फरवरी |
100.4 |
1,623.6 |
मार्च |
118.0 |
2,363.6 |
2017-18 |
||
अप्रैल |
116.8 |
1,839.0 |
Note: Includes transactions in RTGS, CCIL, NEFT, ECS, NACH, IMPS, Cards, PPIs.
Sources: Report No. 56 on ‘Transformation towards a Digital Economy’, Standing Committee on Finance; PRS.
- साइबर सुरक्षा: कमिटी ने कहा कि सरकार ने इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) के साथ तालमेल बनाए रखा है और अन्य कदम उठाने के साथ-साथ जरूरी कानूनों को लागू किया है। कमिटी ने गौर किया कि बढ़ते साइबर स्पेस का असर राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय इनफॉरमेशन इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा पर पड़ सकता है। मजबूत साइबर सुरक्षा के लिए ऐसे स्ट्रक्चर्स बनाने जरूरी हैं जो विभिन्न मंत्रालयों और क्षेत्रों के बीच समन्वय स्थापित करें। यह सुझाव दिया गया कि एक्सपर्ट्स के साथ सलाह-मशविरा किया जाना चाहिए और एक मजबूत कोऑरडिनेटिंग अथॉरिटी स्थापित करनी चाहिए जो सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट करे। इसके अतिरिक्त कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि साइबर सुरक्षा के संबंध में क्षमता निर्माण का कार्य मिशन मोड में किया जाना चाहिए।
- डिजिटल साक्षरता: कमिटी ने कहा कि आम लोगों में डिजिटल साक्षरता बहुत कम है। सभी लोगों में एक समान रूप से डिजिटल साक्षरता नहीं है। कमिटी ने सुझाव दिया कि स्कूली पाठ्यक्रमों में उपयुक्त प्रोग्राम्स को शामिल किया जाना चाहिए जिनमें विभिन्न पहलुओं जैसे लेनदेन की सहजता, लागत, लाभ और अन्य संबंधित जोखिमों को कवर किया जाए।
- डेटा संरक्षण: कमिटी ने गौर किया कि भारत में उपभोक्ताओं की प्राइवेसी और डेटा संरक्षण से संबंधित उचित कानून होना भी जरूरी है। इससे सार्वजनिक और निजी डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। कमिटी ने आग्रह किया कि सरकार को जल्द से जल्द संसद में इस संबंध में विधेयक लाना चाहिए।
- मोबाइल आधारित भुगतान: कमिटी ने कहा कि युनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और भीम ऐप मोबाइल आधारित भुगतान के महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म बन गए हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को इन प्लेटफॉर्मों को आम लोगों और मर्चेंट इस्टैबलिशमेंट्स के बीच लोकप्रिय बनाना चाहिए।
- शिकायत निवारण: कमिटी ने कहा कि लेनदेन से जुड़ी परेशानियां और उपभोक्ताओं की अन्य शिकायतों (जैसे एटीएम फ्रॉड्स, क्लोनिंग, फिशिंग इत्यादि) के मामले बढ़ रहे हैं। यह सुझाव दिया गया कि ऐसा फ्रॉड होने पर बैंक या वित्तीय संस्थान की जिम्मेदारी तय करने के लिए सरकार को जरूरी कानूनी प्रावधान करने चाहिए। इसके अतिरिक्त उपभोक्ताओं को एक कॉमन हेल्पलाइन नंबर दिए जाने चाहिए। फ्रॉड की जिम्मेदारी तय करने में सहायता देने के लिए एक विवाद निवारण प्रणाली होनी चाहिए।
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