स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: टी.जी.वेंकटेश) ने 23 जुलाई, 2021 को देश में एविएशन कनेक्टिविटी की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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कोविड के बाद की स्थिति: कमिटी ने एविएशन क्षेत्र पर कोविड-19 महामारी के गंभीर प्रभाव पर गौर किया। उसने सुझाव दिया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को निम्नलिखित करना चाहिए: (i) अल्पावधि में एविएशन क्षेत्र के देय और शुल्कों को रद्द करना, (ii) एविएशन क्षेत्र को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के लिए पात्र बनाना, और (iii) एयरलाइन उद्योग को सुव्यवस्थित ऋण देने के लिए पेशेवर तरीके से प्रबंधित क्षेत्रगत फंड बनाना।
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हवाई किराया और कैंसिलेशन फी: कमिटी ने गौर किया कि एयरलाइन्स खास तौर से फेस्टिव सीजन में बहुत अधिक हवाई किराया और कैंसिलेशन शुल्क वसूल रही हैं। उसने सुझाव दिया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को हर क्षेत्र में इकोनॉमी क्लास के किराये की ऊपरी सीमा तय करनी चाहिए और एयरलाइन्स के लिए निम्नलिखित को अनिवार्य करना चाहिए: (i) यात्रियों से जमा किए गए कैंसिलेशन शुल्क को बेस किराये के अधिकतम 50% तक सीमित रखना, और (ii) कैंसिलेशन पर जमा किए गए टैक्स और फ्यूल सरचार्ज को रीफंड करना।
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क्षेत्रीय कनेक्टिविटी स्कीम (आरसीएस): केंद्र सरकार ने 2016 में आरसीएस-उड़ान योजना को शुरू किया था ताकि क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सके। कमिटी ने कहा था कि हालांकि आरसीएस ने यात्री ट्रैफिक को बढ़ाया है लेकिन हवाई कनेक्टिविटी बड़े पैमाने पर बड़े शहरों को जोड़ने वाले रूट्स तक सीमित है। उसने कहा कि आरसीएस-उड़ान के अंतर्गत दिए गए रूट्स में से 40% से भी कम को अब तक ऑपरेशनल किया गया है। वर्तमान में आरसीएस के अंतर्गत मिलने वाले लाभ, जैसे आरसीएस रूट्स पर उड़ानें संचालित करने वाली एयरलाइन्स को वित्तीय सहयोग तीन वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध है। कमिटी ने सुझाव दिया है कि एयरलाइन्स कम लाभ वाले रूट्स को राजस्व अर्जित करने वाले रूट्स में बदल सकें, इसके लिए इस लाभ अवधि को दो वर्षों के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि आरसीएस के अंतर्गत कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए भारतीय हवाईअड्डा अथॉरिटी (एएआई) और राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली निष्क्रिय हवाई पट्टियों और हवाई अड्डों को संचालित किया जाए।
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हवाई अड्डे का इंफ्रास्ट्रक्चर: कमिटी ने गौर किया कि भारत का नागरिक उड्डयन क्षेत्र कोविड-19 महामारी से पहले 14% की वार्षिक दर से बढ़ रहा था। उसने कहा कि क्षेत्र के तेजी से विकसित होने के कारण हवाई अड्डों को क्षमता की कमी, ट्रैफिक की भीड़ और विलंब का सामना करना पड़ रहा है। कमिटी ने हवाई अड्डा प्रॉजेक्ट्स में सिंगल विंडो क्लीयरेंस मैकेनिज्म बनाने और आकर्षक निवेश नीतियां तैयार करने का सुझाव दिया। उसने यह सुझाव भी दिया कि राज्य सरकारें खुद या एएआई के सहयोग से कम लागत पर ‘नो फ्रिल’ क्षेत्रीय हवाई अड्डे बना सकती हैं। ‘नो फ्रिल’ हवाई अड्डे उन सेवाओं की लागत को सीमित करते हैं जोकि हवाई उड़ान के लिए महत्वपूर्ण नहीं होतीं, जैसे पार्किंग फीस, कमर्शियल दुकानें और एयर कंडीशंड लॉउन्जेस।
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एयर कार्गो: कमिटी ने कहा कि भारत में एयर कार्गो की सीमित मात्रा का कारण अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर है। उसने डेडिकेटेड कार्गो एयरपोर्ट्स बनाने और नए कार्गो हब्स विकसित करने का सुझाव दिया। भारत में कार्गो के लिए ओपन स्काई नीति है। इससे विदेशी कार्गो करियर्स भारत के ऐसे किसी भी हवाई अड्डे पर आसानी से कार्गो सेवाएं संचालित कर सकते हैं जहां कस्टम्स/इमिग्रेशन सुविधाएं हैं। कमिटी ने कहा कि ओपन स्काई नीति के कारण भारत में 90% से 95% अंतरराष्ट्रीय कार्गो विदेशी करियर्स के जरिए लाया-ले जाया जाता है। लेकिन भारतीय कार्गो ऑपरेटर्स को अन्य देशों के अंदर और बाहर कार्गो लाने-ले जाने में काफी रुकावटों का सामना करना पड़ता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि कार्गो के लिए ओपन स्काई नीति में संशोधन किया जाए ताकि भारतीय और विदेशी हवाई कार्गो ऑपरेटर्स के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।
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प्रशिक्षण/दक्षता विकास: कमिटी ने कहा कि भारत पायलट्स संबंधी अपनी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ है जिसकी कई वजह हैं जैसे पर्याप्त गुणवत्ता वाला फ्लीट साइज का न होना, पुराने फ्लीट, प्रशिक्षण के लिए सिमुलेटर्स की कमी, और पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षकों की कमी। कमिटी ने निम्नलिखित का सुझाव दिया: (i) मौजूदा पायलट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स (पीटीआईज़) को आधुनिक सिमुलेटर्स देकर और स्टूडेंट इनटेक कैपिसिटी को बढ़ाकर उनमें सुधार करना, और (ii) हर राज्य में कम से कम एक हवाई अड्डे के नजदीक नए पीटीआईज़ की स्थापना, और (iii) इनसेंटिव्स देकर प्रशिक्षकों की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता सुनिश्चित करना। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को क्षेत्र में तकनीकी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए फ्लाइंग ट्रेनिंग संगठनों और मेनटेनेंस इंजीनियरिंग ट्रेनिंग स्कूल्स के लिए नीतिगत पहल करनी चाहिए। उसने यह सुझाव भी दिया कि निजी क्षेत्र की सलाह से तैयार किए गए तकनीकी पाठ्यक्रमों के जरिए दक्षता विकास किया जाए।
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हवाई परिवहन के नए साधन: कमिटी ने सुझाव दिया कि देश में हेलीकॉप्टर ऑपरेशंस को बढ़ावा देकर निम्न लागत वाली क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ाया जाए। उसने ‘सीप्लेन नीति’ बनाने और सीप्लेन ऑपरेशंस के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का सुझाव दिया।
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