स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री टी.जी. वेंकटेश) ने 31 मार्च, 2022 को ‘नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सुरक्षा से संबंधित मुद्दे’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- हवाईअड्डों पर सुरक्षा: कमिटी ने कहा कि 118 चालू हवाईअड्डों में से सिर्फ 64 हवाईअड्डे केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के दायरे में आते हैं, जबकि 54 हवाईअड्डों में सीआईएसएफ का सिक्योरिटी कवर नहीं है। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को सभी चालू हवाईअड्डों को सीआईएसएफ के सिक्योरिटी कवर में लाने का लक्ष्य रखना चाहिए।
- कमिटी ने कहा कि हवाईअड्डों पर सीआईएसएफ की तैनातियों में 1,166 रिक्तियां हैं। उसने सुझाव दिया कि देश भर के हवाईअड्डों पर सीआईएसएफ के कर्मचारी उतनी संख्या में उपलब्ध कराए जाने चाहिए, जितनी स्वीकृत है। कमिटी ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सुझाव दिया कि उसे उड्डयन क्षेत्र के लिए सुरक्षाकर्मियों की बढ़ती जरूरत के मद्देनजर देश भर में डेडिकेटेड संस्थान स्थापित करने चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि इस बात का आकलन करने के लिए समय-समय पर सर्वे किए जाने चाहिए कि देश के सभी हवाईअड्डों पर खतरे की धारणा कैसे बदल रही है। सर्वे के परिणामों के अनुसार हवाईअड्डों पर समयबद्ध तरीके से प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
- बम पहचान और निरोधक दस्ता: कमिटी ने गौर किया कि 44 हवाईअड्डों (जैसे) को बम पहचान और निरोधक दस्ते (बीडीडीएस) की सुरक्षा हासिल नहीं है, और ऐसे खतरों से निपटने के लिए स्थानीय पुलिस की मदद लेने की कोशिश की जाती है। कमिटी के अनुसार, संभव है कि स्थानीय पुलिस के पास बमों को बेअसर करने की तकनीकी क्षमता न हो। कमिटी ने सुझाव दिया कि गृह मामलों के मंत्रालय की सलाह से बाकी के 44 हवाईअड्डों पर जल्द से जल्द बीडीडीएस को लगाया जाना चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि बीडीडीएस के पास बेस्ट इंटरनेशनल पेडिग्री कुत्ते भी होने चाहिए जिन्हें हवाईअड्डों पर सुरक्षा के काम में लगाया जाए।
- स्क्रीनिंग तकनीक: कमिटी ने गौर किया कि देश के ज्यादातर हवाईअड्डों पर सिक्योरिटी चेक के लिए डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर्स (डीएफएमडी) और हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर्स (एचएचएमडी) का इस्तेमाल किया जाता है। कमिटी ने कहा कि डीएफएमडी/एचएचएमडी सिस्टम पुराने ढंग के हैं और यात्रियों की प्राइवेसी में दखल भी देते हैं। इस संबंध में कमिटी ने मंत्रालय को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) हवाईअड्डों पर फुल बॉडी स्कैनर लगाने के काम में तेजी लाई जाए, (ii) हवाईअड्डों पर यात्रियों की बायोमैट्रिक स्क्रीनिंग (फेशियल रेगोग्निशन, फिंगरप्रिंट और रेटिनल स्कैन्स) की अंतरराष्ट्रीय पद्धतियों को शुरू किया जाए, और (iii) निर्धारित समय सीमा के अनुसार, रेडियोलॉजिकल डिटेक्शन एक्विपमेंट को लगाया और उसे काम में लाया जाए। इससे यात्रियों की तलाशी लेने की तकनीक विकसित होगी और चेक प्वाइंट्स पर कतारें कम होंगी।
- सुरक्षा उपकरणों के लिए विनिर्देश (स्पेसिफिकेशंस): कमिटी ने कहा कि एयरपोर्ट ऑपरेटर्स को वही सुरक्षा उपकरण खरीदने और देने पड़ते हैं जोकि नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के विनिर्देशों पर खरे उतरते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि उपकरणों के उपयोग और उनके रखरखाव के संबंध में कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में बीसीएएस को एयरपोर्ट ऑपरेटर्स के साथ सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। बीसीएएस नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत एक रेगुलेटरी निकाय है जोकि गैरकानूनी हस्तक्षेपों से नागरिक उड्डयन क्षेत्र की सुरक्षा करता है।
- सॉफ्ट स्किल्स का प्रशिक्षण: कमिटी ने कहा कि विदेशी यात्रियों और देश के नागरिकों के बीच संवाद का पहला बिंदु अक्सर सुरक्षाकर्मी होते हैं। उसने सुझाव दिया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को गृह मामलों के मंत्रालय के सहयोग से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सीआईएसएफ और हवाईअड्डों पर सुरक्षा कर्मचारियों को सॉफ्ट स्किल्स के प्रति पूरी तरह से संवेदनशील बनाया जाए।
- विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए सोप्स: कमिटी ने कहा कि बीसीएएस ने विशेष जरूरतों वाले व्यक्तियों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को ड्राफ्ट किया है और स्टेकहोल्डर्स की टिप्पणियां प्राप्त करने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि एसओपी को तेजी से अंतिम रूप दिया और लागू किया जा सकता है।
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