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पीडीएफ

पेमेंट बैंक के तौर पर पोस्ट बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना- विस्तार, उद्देश्य और संरचना

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सन: अनुराग सिंह ठाकुर) ने 8 जनवरी, 2019 को ‘पेमेंट बैंक के तौर पर पोस्ट बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना- विस्तार, उद्देश्य और संरचना’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) एक वित्तीय सर्विस प्रोवाइडर है जिसे देश में पोस्टल नेटवर्क के जरिए वित्तीय समावेश में सुधार के लिए शुरू किया गया था। आईपीपीबी डाक विभाग के अंतर्गत आने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
     
  • आधार आधारित प्रमाणीकरण: कमिटी ने कहा कि वित्तीय समावेश के लिए आधार आधारित प्रमाणीकरण महत्वपूर्ण है। इसलिए कमिटी ने आईपीपीबी पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के संभावित असर के संबंध में चिंता जताई (सर्वोच्च न्यायालय ने उन जगहों पर आधार लिंकेज को समाप्त किया है, जहां कोई सबसिडी या लाभ जुड़े हुए नहीं हैं)। कमिटी ने कहा कि आधार आधारित प्रमाणीकरण न होने से आईपीपीबी के विजन और बिजनेस मॉडल पर नकारात्मक असर हुआ है। कमिटी ने कहा कि आईपीपीबी को प्रमाणीकरण के वैकल्पिक तरीके का सुझाव के लिए यूआईडीएआई/आरबीआई से संपर्क करना चाहिए।
     
  • आईपीपीबी में भर्तियां: कमिटी ने कहा कि आईपीपीबी प्रत्यक्ष भर्ती, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से डेपुटेशन पर और स्पेशलाइज्ड रिसोर्सेज़ के लिए प्रोफेशनल सर्च फर्म्स से अपने कर्मचारियों की भर्ती करता है। हालांकि 3,500 बैंकिंग प्रोफेशनल्स की नियुक्ति का प्रस्ताव था, लेकिन आईपीपीबी अब तक सिर्फ 2,152 कर्मचारियों की भर्ती कर पाया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए और उसे आईपीपीबी द्वारा इस संबंध में उठाए गए कदमों की सूचना दी जानी चाहिए।
     
  • सर्विस लेवल एग्रीमेंट्स: यह सुनिश्चित करने के लिए कि आईपीपीबी संबंधी गतिविधियों के कारण डाक विभाग (डीओपी) का कामकाज प्रभावित न हो, आईपीपीबी ने डाक विभाग की सलाह से सर्विस-लेवल एग्रीमेंट्स (एसएलएज़) तैयार किए हैं। एसएलए में काम के घंटों, लेनदेन की सीमा और कारोबारी कामकाज के लिए टर्नअराउंट टाइम से संबंधित विवरण है। कमिटी ने सुझाव दिया कि डाक विभाग और आईपीपीबी को एक ऐसी प्रणाली विकसित करनी चाहिए जो इस बात का निरीक्षण करे कि एसएलए के सभी प्रावधानों का पालन किया जा रहा है। इससे आईपीपीबी का लंबे समय तक काम करना सुनिश्चित होगा। इसके अतिरिक्त आईपीपीबी और डाक विभाग को समय-समय पर एसएलए की समीक्षा करनी चाहिए।
     
  • यूजर्स के लिए प्रशिक्षण: कमिटी ने कहा कि आईपीपीबी की मुख्य चुनौतियों में से एक एंड यूजर्स को प्रशिक्षित करना है। इस संबंध में कमिटी ने सुझाव दिया कि एंड यूजर्स को अपग्रेड करने के लिए समय-समय पर उनके लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि आईपीपीबी को डिजिटल इंडिया के अंतर्गत आने वाली योजनाओं, जैसे राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन से अपने कर्मचारियों को जोड़ने की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए।   
     
  • प्रतिस्पर्धा: कमिटी ने कहा कि आईपीपीबी को निजी पेमेंट बैंकों (जैसे एयरटेल, जियो और पेटीएम पेमेंट बैंक) से मुकाबला करना पड़ सकता है। उसने कहा कि आईपीपीबी की 4% की ब्याज दर दूसरे पेमेंट बैंकों की तुलना में कम है। कमिटी ने सुझाव दिया कि अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने और निजी कंपनियों से मुकाबला करने के लिए मौजूदा ब्याज दर की समीक्षा की जा सकती है।
     
  • डिजिटल साक्षरता: कमिटी ने कहा कि जमीनी स्तर पर आईपीपीबी से सिर्फ 9,000 व्यापारी जुड़े हुए हैं जिनमें से 10% सक्रिय हैं। इस संख्या को देखते हुए कमिटी ने सुझाव दिया कि आईपीपीबी को डिजिटल साक्षरता, उपभोक्ताओं को शिक्षित करने तथा ग्रामीण एवं सुदूर क्षेत्रों में व्यापारियों को सहयोग एवं मार्गदर्शन देने पर ध्यान देना चाहिए।

 

         

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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