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प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

कैग की रिपोर्ट का सारांश

  • भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) 11 दिसंबर, 2019 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) की प्रदर्शन ऑडिट रिपोर्ट सौंपी। पीएमयूवाई योजना को मई 2016 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों की महिलाओं को लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) कनेक्शन प्रदान करना है। 
     
  • ऑडिट का लक्ष्य निम्नलिखित की जांच करना था: (i) योजना के अंतर्गत पात्र और लक्षित लाभार्थियों को कनेक्शंस दिए गए हैं, (ii) इस योजना के परिणामस्वरूप एलपीजी का निरंतर उपयोग हो रहा है, और (iii) वितरण नेटवर्क को सुधारने के लिए किए गए उपाय। रिपोर्ट में मई 2016 से दिसंबर 2018 के बीच योजना के कार्यान्वयन को ऑडिट किया गया है। रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:
     
  • लाभार्थियों को चिन्हित करना: योजना के अंतर्गत कनेक्शन लेने के लिए पात्र लाभार्थियों (बीपीएल परिवारों को महिलाओं को) को निम्नलिखित प्रदान करना होगा: (क) आवास के पते का प्रूफ, (ख) आधार नंबर, और (ग) बैंक खाते का विवरण। आवेदन मिलने के बाद वितरक आवेदन की पुष्टि करता है और नया कनेक्शन आबंटित कर दिया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना के अंतर्गत कुल 3.78 करोड़ कनेक्शन दिए गए हैं और उनमें से 1.6 करोड़ (42%) सिर्फ लाभार्थी के आधार नंबर के आधार पर दिए गए हैं।  
     
  • योजना के अंतर्गत बीपीएल परिवार को सामाजिक आर्थिक और जातिगत जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़ों के आधार पर चिन्हित किया गया है। रिपोर्ट में पीएमयूवाई उपभोक्ता के डेटाबेस और एसईसीसी डेटा के बीच लाभार्थियों के नामों में मेल न होने के मामले भी सामने आए हैं (12.5 लाख मामले)। इसके अतिरिक्त ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां कनेक्शंस पुरुषों को दिए गए हैं (1.9 लाख मामले)।
     
  • कैग ने सुझाव दिया कि एलपीजी कनेक्शंस अपात्र लोगों को न जारी हो, इसके लिए वितरकों को डेटा सत्यापन जैसे उपाय करने चाहिए। इसके अतिरिक्त लाभार्थियों की वास्तविकता को प्रामाणित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक केवाईसी को शुरू किया जाना चाहिए। 
     
  • एलपीजी का निरंतर उपयोग: कैग ने कहा कि योजना के अंतर्गत 7.2 करोड़ कनेक्शन दिए गए थे, जबकि लक्ष्य मार्च 2020 तक आठ करोड़ का था (90%)। इसके अतिरिक्त देश में एलपीजी कवरेज मई 2016 में 62% से बढ़कर मार्च 2019 में 94% हो गया। हालांकि गैर पीएमयूवाई उपभोक्ताओं की तुलना में पीएमयूवाई लाभार्थियों के लिए औसत वार्षिक रीफिल की खपत कम बनी हुई है। यह योजना के अंतर्गत लाभार्थियों द्वारा रसोई गैस के निरंतर उपयोग की कमी की ओर संकेत देता है। 

तालिका 1: एलपीजी कनेक्शंस का विवरण

 

एलपीजी कवरेज

औसत वार्षिक रीफिल (गैर-पीएमयूवाई) 

औसत वार्षिक रीफिल (पीएमयूवाई) 

2015-16

61.9%

7.7

-

2016-17

72.8%

7.5

3.9

2017-18

80.9%

7.3

3.4

2018-19

94.3%

6.7

3.0

  • एलपीजी वितरक लाभार्थियों को यह विकल्प देते हैं कि वे कुकिंग स्टोव और पहले रीफिल के खर्च को कवर करने के लिए लोन ले सकती हैं। कैग ने कहा कि रीफिल की कम खपत ने वितरकों के लिए 1,235 करोड़ रुपए मूल्य की लोन रिकवरी को भी बाधित किया है। उसने सुझाव दिया कि चूंकि कनेक्शन देने का लक्ष्य व्यापक रूप से हासिल किया जा चुका है, योजना को अब उसके निरंतर उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।  
     
  • इंस्टॉलेशन में देरी: योजना के अंतर्गत अपेक्षित विवरण देने के सात दिन के भीतर नए कनेक्शंस इंस्टॉल हो जाने चाहिए। कैग ने कहा कि सात दिनों में सिर्फ 72.7 लाख कनेक्शंस (19%) इंस्टॉल किए गए। 1.8 करोड़ मामलों में (47%) 30 दिनों से ज्यादा समय लगा। 1.3 लाख मामलों में कनेक्शन इंस्टॉल ही नहीं हुए। 36 लाख रीफिल्स में डिलिवरी में 10 दिनों से ज्यादा की देरी दर्ज की गई।  
     
  • सिलिंडरों का डायवर्जन: रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 14 लाख लाभार्थियों ने तीन से 41 सिलिंडरों की खपत एक महीने में की और लगभग दो लाख ने 12 सिलिंडर से अधिक की वार्षिक खपत की। कैग ने कहा कि यह घरेलू सिलिंडरों के कमर्शियल इस्तेमाल की ओर संकेत देता है और यह सुझाव दिया कि अधिक उपभोग के मामलों की निरंतर समीक्षा की जानी चाहिए ताकि डायवर्जन को रोका जा सके।
     
  • सुरक्षा के मानदंड: एलपीजी कनेक्शन देने से पहले प्री-इंस्टॉलेशन निरीक्षण किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लाभार्थी के घर का परिसर सुरक्षा मानदंडों (जैसे हवादार किचन, स्टोव को ऊंचे पर रखना) पर खरा उतरता है। कैग ने कहा कि ऐसे बहुत से मामले देखने में आए हैं जब इंस्टॉलेशन की निरीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हुई। इसके अतिरिक्त लाभार्थियों द्वारा असुरक्षित तौर तरीकों को अपनाने के मामले भी देखे गए जैसे स्टोव को जमीन पर रखना। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (क) अनिवार्य निरीक्षण की लागत पर सबसिडी देने का विकल्प तलाशा जाए, और (ख) ऐसे सुरक्षा अभियान चलाए जाएं जोकि यह सुनिश्चित करे कि लाभार्थी सुरक्षित तौर-तरीके अपना रहे हैं। 
     
  • प्रदर्शन संकेतकों की कमी: कैग के अनुसार, योजना के कार्यान्वयन से संबंधित परिणामों का आकलन करने के लिए कोई मानदंड नहीं हैं जैसे महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार और वायु प्रदूषण में कमी। उसने सुझाव दिया कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को इन निष्कर्षों का आकलन करने के लिए रोडमैप विकसित करना चाहिए। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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