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पीडीएफ

प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण: पीएमएवाई (जी)

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • ग्रामीण विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: प्रतापराव जाधव) ने 5 अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रमीण: पीएमएवाई (जी) पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। पीएमएवाई (जी) को अप्रैल 2016 में शुरू किया गया था, जिसका लक्ष्य 2022 तक ग्रामीण क्षेत्रों में "सभी को आवास" प्रदान करना था, यानी बिना घर या कच्चे घरों में रहने वाले सभी परिवारों को बुनियादी सुविधाओं वाला पक्का घर देना। कमिटी ने कहा कि चरण 1 और 2, यानी दोनों चरणों को मिलाकर देखें तो केवल 51% घरों को ही 31 अगस्त, 2020 तक पूरा किया गया है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • लाभार्थियों को चुनना: यह देखते हुए कि योजना के लिए निर्धारित कुल 4.3 करोड़ व्यक्तियों में से केवल 2.32 करोड़ लोग ग्राम सभाओं द्वारा सत्यापन के बाद पात्र बन पाए हैं, कमिटी ने लाभार्थियों की पहचान में राजनीति से प्रेरित दृष्टिकोण की आशंका पर गौर किया। इसके अतिरिक्त प्रवास और मृत्यु के आधार पर 1.36 करोड़ पात्र परिवारों को ग्राम सभाओं ने खारिज कर दिया है। कमिटी ने कहा कि इन दोनों वजहों से लाभार्थी सूची से किसी को नहीं हटाया जा सकता, क्योंकि: (i) प्रवासी अंततः अपने गांव लौट जाते हैं, और (ii) मृत्यु की स्थिति में स्वामित्व का हस्तांतरण कर दिया जाता है।
     
  • लाभार्थियों को उचित तरीके से चिन्हित किया जाए, इसके लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) लाभार्थियों की पहचान में ग्राम सभाओं और पंचायतों की भूमिका को कम करना और सत्यापन और प्रमाणीकरण के लिए निजी/गैर-सरकारी निकायों को शामिल करना, (ii) निरीक्षण के लिए एक ब्लॉक विकास अधिकारी को शामिल करना, और (iii) लाभार्थी की मृत्यु के बाद आवासीय इकाई के स्वामित्व को नामित व्यक्ति को हस्तांतरित करना।
     
  • वित्तीय सहायता: कमिटी ने गौर किया कि कोलेट्रल की शर्त और उच्च ब्याज दरों के कारण घरों के निर्माण के लिए 70,000 रुपए का ऋण प्राप्त करने में लाभार्थियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त उसने यह भी कहा कि निर्माण के खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त वित्त की जरूरत की फिर से जांच की जाए। कमिटी ने मंत्रालय को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) कोलेट्रल की शर्त को कम से कम करके और कम ब्याज दरों के साथ एक बेहतर ऋण उत्पाद प्रदान किया जाए, और (ii) मैदानी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों के लिए यूनिट सहायता को 10,000 रुपए (वर्तमान मूल्य सूचकांक के आधार पर) बढ़ाया जाए, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में परिवहन लागत में वृद्धि हुई है।
     
  • अनेक योजनाओं के साथ कनवर्जेंस: पीएमएवाई (जी) को खास तौर से इसलिए लॉन्च किया गया था ताकि अन्य योजनाओं के साथ कनवर्जेंस के अंतर्गत बुनियादी सुविधाओं को शामिल किया जा सके। हालांकि कमिटी ने पीएमएवाई (जी) के दूसरी योजनाओं जैसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), स्वच्छ भारत योजना (एसबीवाई) और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के साथ कन्वर्जन में समन्वय से संबंधित कई समस्याओं पर गौर किया। कमिटी ने निम्नलिखित का सुझाव दिया: (i) प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संबंधित मंत्रालयों के साथ समन्वय स्थापित करना, (ii) मनरेगा का विकल्प चुनने की अनिच्छा के परिणामों के बारे में लाभार्थियों को शिक्षित करना, (iii) चालू शौचालयों का निर्माण सुनिश्चित करना, और एसबीवाई के अंतर्गत लाभार्थियों को 12,000 रुपए की सहायता का निश्चित समय पर भुगतान, और (iv) पीएमयूवाई के अंतर्गत एलपीजी कनेक्शंस के प्रावधान में सुधार (30% से)।
     
  • यूजिंग टेक्नोलॉजी: कमिटी ने गौर किया कि अधिकारी और नागरिक आवासऐप से योजनाओं के एंड टू एंड कार्यान्वयन पर नजर रख सकते हैं (लाभार्थी का चयन, सहायता का संवितरण, निर्माण प्रक्रिया का सत्यापन और धनराशि जारी करना)। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) ऐप को चलाने के संबंध में पंचायत स्तर पर नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना, (ii) पूरी तरह बन चुके मकानों में ऑक्यूपेंसी की स्थिति की जांच करने के लिए एक ट्रैकिंग सिस्टम विकसित करना, और (iii) कन्वर्जेंस का काम करने के लिए आवासऐप के साथ मनरेगा और एसबीए जैसी योजनाओं को लिंक कर करना।
     
  • समय पर निर्माण और भुगतान: कमिटी ने समय पर निर्माण और किश्तों के संवितरण से संबंधित कई समस्याओं पर गौर किया। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) राज्य वार प्रगति को देखते हुए लाभार्थी की किश्त का प्रतिशत तय करने की पद्धति तैयार करना, और (ii) राज्यों को समय पर केंद्रीय धनराशि जारी करने की कार्यप्रणाली में संशोधन करना। इसके अतिरिक्त कमिटी ने राज्य सरकारों के सामने प्रस्ताव रखा कि वे बेहतर निगरानी के लिए अनिवार्य जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की संख्या बढ़ाएं।

 

 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

 

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