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पीडीएफ

पीएम स्वनिधि

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • आवासन एवं शहरी मामलों संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: जगदंबिका पाल) ने 13 दिसंबर, 2021 को पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। पीएम स्वनिधि को 2020 के जून माह में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंग के रूप में शुरू किया गया था ताकि फुटपाथी दुकानदारों को कोविड-19 के असर के बाद अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए कार्यशील पूंजी हेतु ऋण दिया जा सके। फुटपाथी दुकानदारों के जीविकोपार्जन का संरक्षण और रेगुलेशन एक्ट, 2014 में प्रावधान है कि सार्वजनिक स्थलों पर फुटपाथी दुकानदारों का रेगुलेशन और उनके अधिकार का संरक्षण किया जाए। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • योजना का विस्तार: योजना के अंतर्गत ऋण लेने वाले फुटपाथी दुकानदार (वेंडर्स) 7% की ब्याज सबसिडी के पात्र हैं। यह सबसिडी मार्च 2022 तक उपलब्ध है। कमिटी ने गौर किया कि कई फुटपाथी दुकानदार इस योजना के दायरे में नहीं आते, और बहुत से दुकानदार अपने कारोबार पर कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव से अब भी उबर रहे हैं। कमिटी ने इस योजना को कम से कम एक वर्ष और बढ़ाने का सुझाव दिया।
  • फुटपाथी दुकानदारों का पंजीकरण: 2014 के एक्ट के अंतर्गत फुटपाथी दुकानदारों को सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग (सीओवी) जारी किया जाता है। इसके लिए शहरी स्थानीय निकाय उन्हें चिन्हित करने के लिए सर्वे करते हैं। योजना के अंतर्गत वेंडर आईडी कार्ड (सीओवी), या लेटर ऑफ रिकमंडेशन (एलओआर) वाले फुटपाथी दुकानदार ऋण के पात्र हैं।
  • शहरी स्थानीय निकायों द्वारा उन फुटपाथी दुकानदारों को एलओआर जारी किए जाते हैं जो सर्वे से बाहर रह गए थे। कमिटी ने गौर किया कि 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सीओवी से ज्यादा एलओआर जारी किए हैं और तीन राज्यों ने एक भी सीओवी जारी नहीं किया है। कमिटी ने कहा कि एलओआर एक अंतरिम उपाय है और मंत्रालय को सुझाव दिया कि एक्ट के अंतर्गत गतिविधियों के क्रम का पालन किया जाए और सभी चिन्हित फुटपाथी दुकानदार को सीओवी जारी किए जाएं। इसके अतिरिक्त एलओआर जारी होने के एक महीने के भीतर सीओवी जारी किए जाने चाहिए।
  • ऋणों को मंजूरी और उनका संवितरण: कमिटी ने कहा कि दस राज्यों में से प्रत्येक की मंजूरी दर और संवितरण की दर (कुल ऋण आवेदनों में से) 50% से कम है। कुछ बैंकों की मंजूरी दर भी 50% से कम है। इसके अतिरिक्त योजना के अंतर्गत ऋण का संवितरण 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए लेकिन 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ऋण संवितरण में इससे अधिक समय लगता है। कमिटी ने निम्नलिखित का सुझाव दिया: (i) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मंजूरी और संवितरण दर में सुधार के लिए समय सीमा देना, (ii) निम्न मंजूरी दर वाले बैंकों के विशिष्ट कारणों की जांच करना, और (iii) ऋण संवितरण प्रक्रिया में देरी को दूर करना।
  • क्रेडिट स्कोर: कमिटी ने कहा कि कुछ ऋण संस्थान वेंडर्स को ऋण देने से पहले सिबिल स्कोर (क्रेडिट हिस्ट्री, रेटिंग और रिपोर्ट की तीन अंकों की न्यूमेरिक समरी) की मांग करते हैं। कमिटी ने कहा कि निम्न सिबिल स्कोर के कारण ऋण आवेदन ठुकराए जाएंगे तो फुटपाथी दुकानदार ऋण के अनौपचारिक तंत्र (जैसे साहूकारों) की तरफ मुड़ेंगे। इसलिए कमिटी ने बैंकों को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) योजना के अंतर्गत ऋण मंजूरी हेतु न्यूनतम सिबिल स्कोर की मांग न करें, और (ii) निम्न सिबिल स्कोर के कारण नामंजूर किए गए ऋण आवेदनों की दोबारा समीक्षा करें (अगर आवेदक की डीफॉल्ट हिस्ट्री न हो तो ऋण मंजूर किए जा सकते हैं)। 
  • ऋण के आवेदन: कमिटी ने कहा कि 10% से 20% ऋण आवेदनों को विभिन्न आधारों पर वापस या नामंजूर कर दिया जाता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) फुटपाथी दुकानदारों की ऋण लेने में रुचि नहीं है, (ii) एलओआर आवेदन लंबित हैं, और (iii) दस्तावेज पर्याप्त नहीं हैं। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) यह सुनिश्चित किया जाए कि ऋण के आवेदन कमजोर आधार पर ठुकराए न जाएं, (ii) दुकानदार से उसके नाम के साथ सेल्फ डेक्लेरेशन फॉर्म मांगे जाएं ताकि आइडेंटिटी प्रूफ में नाम में थोड़े बहुत बदलावों की वजह से आवेदनों को लौटाना न पड़े, और (iii) जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आवेदन लंबित हैं, वहां एलओआर में देरी की वजहों को दूर किया जाए।
  • कमिटी ने कहा कि अगर फुटपाथी दुकानदार ने अपने ऋण आवेदन के लिए किसी विशेष ऋणदाता को नहीं चुना है तो वह आवेदन मार्केटप्लेस में जाता है जहां कोई भी संस्थान उस आवेदन को चुन सकता है। कमिटी ने कहा कि 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 50% से अधिक आवेदन 30 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं। उसने सुझाव दिया कि मार्केट प्लेस में आवेदन को प्रोसेस करने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए और लंबित आवेदनों को क्षेत्र के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सौंपा जाए। 
  • जरूरी दस्तावेज: कमिटी ने कहा कि पीएम स्वनिधि पोर्टल पर आधार कार्ड सहित केवाईसी दस्तावेज के रूप में वोटर आईडी कार्ड अनिवार्य है। उसने सुझाव दिया कि वोटर आईडी की जरूरत को समाप्त किया जाए और योजना के अंतर्गत दस्तावेजी जरूरतों को कम किया जाए (उदाहरण के लिए, स्टैम्प्ड दस्तावेजों पर जोर ना दिया जाए)।
  • डिजिटल एक्सेस: योजना के दो मुख्य घटक हैं- ब्याज सबसिडी और डिजिटल लेनदेन पर कैशबैक (दुकानदार के एकाउंट में जमा)। कमिटी ने कहा कि 24 सितंबर, 2021 तक कुल मंजूर आवेदनों (27.28 लाख) के जरिए 20.8 लाख फुटपाथी दुकानदारों को योजना के अंतर्गत डिजिटली ऑनबोर्ड किया गया। इनमें से सिर्फ 7.2 लाख फुटपाथी दुकानदार डिजिटली सक्रिय हैं। इसलिए सिर्फ 25% दुकानदारों को, जिन्हें योजना के अंतर्गत ऋण प्राप्त हुआ, कैशबैक का लाभ मिलता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि स्थानीय निकायों को इसमें शामिल किया जाए ताकि वे अधिक से अधिक फुटपाथी दुकानदारों को ऑनबोर्ड करने तथा उन्हें डिजिटली सक्रिय रखने में थर्ड पार्टी डिजिटल पेमेंट एग्रीगेटर्स के साथ सहयोग करें।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

 

 

 

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