स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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वाणिज्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: विजयसाई रेड्डी) ने ‘भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) व्यवस्था की समीक्षा’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। आईपीआर वह अधिकार होते हैं, जोकि वैज्ञानिक विकास से प्राप्त होने वाली वस्तुओं, कलात्मक कार्य, या ओरिजिनल रिसर्च के क्रिएटर्स को दिए जाते हैं। इनसे क्रिएटर्स को एक निश्चित अवधि के लिए इन्हें इस्तेमाल करने का एक्सक्लूसिव अधिकार मिलता है। मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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आईपीआर की भूमिका: कमिटी ने कहा कि आईपीआर के संरक्षण में सुधार से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) और विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ता है। उदाहरण के लिए कॉपीराइट्स के संरक्षण में 1% के सुधार से एफडीआई में 6.8% वृद्धि होती है।
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अनुसंधान और विकास में निवेश: कमिटी ने कहा कि भारत ने पेटेंट बहुत कम संख्या में दिए हैं (चीन और यूएसए के मुकाबले)। इसकी वजह यह हो सकती है कि अनुसंधान और विकास पर बहुत कम खर्च किया जाता है (जीडीपी का 0.7%)। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) अनुसंधान के लिए प्रत्येक सरकारी विभाग को धनराशि आबंटित करना, (ii) अनुसंधान करने के लिए निजी कंपनियों को इनसेंटिव्स देना, और (iii) बड़े उद्योगों को अनुसंधान के लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड्स देने का निर्देश।
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आईपीआर को प्रोत्साहन: कमिटी ने कहा कि भारत में 36% पेटेंट्स घरेलू संस्थानों की तरफ से फाइल किए गए हैं। कमिटी के अनुसार, इसका कारण आईपीआर के संबंध में जागरूकता की कमी है और उसने सुझाव दिया है कि उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी से दूरदराज के क्षेत्रों के छोटे व्यवसायों, कारीगरों और इस्टैबलिशमेंट्स के बीच जागरूकता बढ़ाने का काम करे।
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राष्ट्रीय आईपीआर नीति, 2016: इस नीति को आईपीआर के प्रबंधन के लिए कानूनी और प्रशासनिक संरचना देने हेतु अपनाया गया था। कमिटी ने नवाचार में नई प्रवृत्तियों के मद्देनजर और नीति के कार्यान्वयन में चुनौतियों की पहचान करने के लिए इसके पुनर्मूल्यांकन का सुझाव दिया। उसने आईपीआर नीतियों को तैयार करने में राज्य सरकारों को शामिल करने का सुझाव दिया।
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आईपी फाइनांसिंग: कमिटी ने कहा कि आईपी समर्थित फाइनांसिंग (वित्तीय लाभ, ऋण या राजस्व प्राप्त करने के लिए आईपी की इस्तेमाल) से वित्तीय नवाचार, ऋण की उपलब्धता और पूंजी आधार बढ़ सकता है। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) आईपीआर के उल्लंघन से मौद्रिक नुकसान को कम करने के लिए बीमा एक्ट, 1938 में संशोधन, (ii) आईपी के वैल्यूएशन की एक समान प्रणाली तैयार करना, (iii) फाइनांसिंग के लिए मानकों की सुरक्षा और निर्धारण के लिए कानून बनाना, और (iv) कंपनियों के साथ जोखिम साझाकरण नीतियां अपनाना।
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जालसाजी और पायरेसी: जालसाजी और पायरेसी को रोकने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) विभागों के बीच समन्वय के जरिए कानून को कड़ाई से लागू करना, (ii) प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता बढ़ाना (जैसे राज्य पुलिस में आईपीआर इकाइयां), और (iii) उससे होने वाले राजस्व की हानि का अनुमान लगाने की विधि स्थापित करना। उसने दुरुपयोग को रोकने और मार्केटिंग के फायदे हासिल करने के लिए उत्पादों को ‘पेटेंट पेंडिंग’ के तौर पर लेबल करने का सुझाव दिया (यानी पेटेंट के लिए आवेदन दिया गया लेकिन अभी पेटेंट मिला नहीं)।
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आईपी अपीलीय बोर्ड: कमिटी ने कहा कि बोर्ड ने आईपीआर विवादों और फाइनांसिंग पर जटिल मुद्दों को कुशलता से निपटाया है। उसने सुझाव दिया कि ट्रिब्यूनल सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा की शर्तें) अध्यादेश, 2021 के अंतर्गत आईपी अपीलीय बोर्ड को खत्म करने पर दोबारा विचार किया जाए। क्योंकि इससे न्यायिक मामलों के लंबित रहने की अधिक आशंका है। उसने सुझाव दिया कि इसे खत्म करने से पहले न्यायिक प्रभाव आकलन और परामर्श किया जाए। उसने बोर्ड में सुधारों का भी सुझाव दिया जिसमें अधिक संरचनात्मक स्वायत्तता, ढांचागत और प्रशासनिक सुधार, और अधिकारियों और कर्मचारियों की समय पर नियुक्ति शामिल है।
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रेगुलेशन: कमिटी ने समीक्षा की और निम्नलिखित में परिवर्तनों का सुझाव दिया: (i) पेटेंट एक्ट, 1970, (ii) ट्रेडमार्क्स एक्ट, 1999, और (iii) कॉपीराइट एक्ट, 1957। उसने निम्नलिखित के लिए परिवर्तनों का सुझाव दिया: (i) पेटेंट्स के रजिस्ट्रेशन को प्रोत्साहित करना (पेटेंट को अस्वीकार करने की शक्ति की जांच करके और झूठी जानकारी प्रस्तुत करने के लिए दंड कम करके), (ii) पेटेंट आवेदनों को फास्ट ट्रैक करना (दस्तावेज फाइल करने की समय सीमा कम करके), (iii) एक अलग श्रेणी बनाकर निर्यात-उन्मुख उत्पादों के लिए ट्रेडमार्क को प्राथमिकता देना, और (iv) अनुपालन बढ़ाना (प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों को तैनात करके और खोज एवं जब्ती के लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके)। उसने कॉपीराइट के लिए लाइसेंस के अंतर्गत इंटरनेट और डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के काम को शामिल करने का सुझाव दिया। ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के लिए अलग से फ्रेमवर्क स्थापित किया जा सकता है।
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कोविड-19: कमिटी ने सुझाव दिया कोविड-19 संबंधी दवाओं और वैक्सीन्स के लिए पेटेंट अधिकारों को अस्थायी रूप से खत्म कर दिया जाए ताकि उनकी उपलब्धता बढ़ाई जा सके। उसने सुझाव दिया कि भविष्य में आपात स्थिति में महत्वपूर्ण दवाओं और वैक्सीन्स पर अनिवार्य लाइसेंस देने में कोई भी देरी न की जाए।
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क्षेत्र विशिष्ट सुझाव: कमिटी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और संबंधित नवाचारों के महत्वपूर्ण लाभों और एप्लिकेशंस को देखते हुए उनके अधिकारों की एक अलग श्रेणी बनाने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त कमिटी ने विशिष्ट क्षेत्रों और नई दवाओं की खोज के लिए फार्मास्यूटिकल रिसर्च पर ध्यान देने का भी सुझाव दिया।
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