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पीडीएफ

बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना (बीजेआरसीवाई) 

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: रमा देवी) ने 2 दिसंबर, 2021 को ‘अनुसूचित जातियों के लड़के-लड़कियों के लिए बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना (बीजेआरसीवाई)’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बीजेआरसीवाई एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है जिसके अंतर्गत अनुसूचित जातियों (एससी) के विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों (हॉस्टल्स) का निर्माण किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत एससी विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों की नई इमारतों के निर्माण, मौजूदा छात्रावासों के विस्तार तथा उनकी मरम्मत और रखरखाव के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • छात्रावासों की स्थिति और छात्रावासों का इंफ्रास्ट्रक्चर: कमिटी ने कहा कि 2007-08 से 2020-21 के बीच योजना के अंतर्गत 819 छात्रावासों को मंजूरी दी गई। इनमें से 662 छात्रावास (लड़कियों के लिए 391 छात्रावास और लड़कों के लिए 271 छात्रावास) पूरे हो गए हैं, 144 निर्माणाधीन हैं और 13 को रद्द कर दिया गया। पूरे होने वाले 366 छात्रावास (लड़कियों के लिए 344 छात्रावास और लड़कों के लिए 22 छात्रावास) चालू हैं। कमिटी ने गौर किया कि योजना अपने लक्ष्य को पूरा करने में असफल रही है। इसका लक्ष्य यह था कि निम्न साक्षरता वाले जिलों के प्रत्येक ब्लॉक मुख्यालय में एक छात्रावास बनाया जाएगा।
     
  • कमिटी ने आगे कहा कि अपेक्षाकृत ज्यादा बड़ी एससी आबादी वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे पंजाब और बिहार) के लिए कम छात्रावास मंजूर किए गए। कमिटी ने कहा कि छात्रावासों में उपलब्ध सुविधाएं संतोषजनक नहीं हैं। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) देश भर में छात्रावासों का भरोसेमंद डेटाबेस बनाया जाए, उसे रियल टाइम पर अपडेट किया जाए और केंद्रीय स्तर पर उसकी मॉनिटरिंग हो, (ii) समयबद्ध तरीके से इस बात का आकलन किया जाए कि कितने छात्रावासों की और जरूरत है, और (iii) बीजेआरसीवाई के अंतर्गत प्रस्ताव पेश करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाए।
     
  • छात्रावासों के निर्माण में विलंब: बीजेआरसीवाई के अंतर्गत यह अपेक्षित है कि मंजूर किए गए छात्रावासों को दो वर्ष की अवधि में पूरा कर लिया जाए। कमिटी ने गौर किया कि कई छात्रावासों के निर्माण में बहुत ज्यादा देरी हुई है। उसने सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण विभाग को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) निर्धारित समय से देरी से बनने वाले प्रॉजेक्ट्स पर जुर्माना लगाने पर विचार किया जाए, और (ii) जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में छात्रावासों के निर्माण को रद्द किया गया है, उन्हें नए प्रस्ताव पेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
     
  • बजटीय आबंटन: वित्तीय वर्ष 2021-22 से केंद्र सरकार की दो अन्य योजनाओं में बीजेआरसीवाई का विलय कर दिया गया। ये योजनाएं हैं, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएजीवाई) और अनुसूचित जाति उपयोजना में विशेष केंद्रीय सहायता (एससीएसपी में एससीए)। अनुसूचित जाति की आबादी को लक्षित इन तीन योजनाओं का विलय प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-अजय) नामक एक योजना में कर दिया गया है। कमिटी ने गौर किया कि 2020-21 में इन तीन योजनाओं के लिए जो आबंटन किया गया था (बीजेआरसीवाई के अंतर्गत वास्तविक व्यय को देखते हुए), उसकी तुलना में 2021-22 में पीएम-अजय योजना के बजटीय आबंटन में 160 करोड़ रुपए कम कर दिए गए (इसके लिए 1,800 करोड़ रुपए आबंटित किए गए)। कमिटी ने कहा कि बीजेआरसीवाई के अंतर्गत पहले लड़कों और लड़कियों के छात्रावासों के लिए अलग-अलग आबंटन किए जाते थे लेकिन 2019-20 से उनकी आबंटन की राशि को मिला दिया गया और कुल आबंटन कम कर दिया गया।
     
  • कमिटी की यह राय थी कि बीजेआरसीवाई के स्वतंत्र कामकाज के लिए विशिष्ट आबंटन जारी रहना चाहिए ताकि वह दूसरी योजनाओं से प्रभावित न हो। कमिटी ने विभाग से कहा कि वह डेटा के जरिए इस बात को सही साबित करे कि पीएम-अजय के अंतर्गत नई फंड व्यवस्था बीजेआरसीवाई के लिए सफल है। इसके अतिरिक्त कमिटी ने सुझाव दिया कि पीएम-अजय आबंटन के अंतर्गत बीजेआरसीवाई के लिए अनुमानित आबंटन किया जाए, जिसमें लड़कों और लड़कियों के छात्रावासों के लिए अलग-अलग आबंटन हो। यह देखते हुए कि इस योजना ने अब तक अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है, कमिटी ने सुझाव दिया कि बीजेआरसीवाई का संचालन करने के लिए एक डेडिकेटेड निकाय बनाया जाए (उदाहरण के लिए जैसे केंद्रीय विद्यालय बनाए गए हैं), खास तौर से इसलिए क्योंकि इसे पूरी तरह से पीएम-अजय के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। 
     
  • मॉनिटरिंग और मूल्यांकन: वर्तमान में योजना की प्रगति की समीक्षा स्टीरियरिंग कमिटी द्वारा की जाती है (इस कमिटी में विभाग के पदेन सदस्य जैसे व्यक्ति शामिल होते हैं)। कमिटी ने इसकी बजाय डेडिकेटेड हॉस्टल मैनेजमेंट/मॉनिटरिंग कमिटी की स्थापना का सुझाव दिया और कहा कि स्थापित नियमों के उल्लंघन पर सजा का प्रावधान किया जाए। कमिटी ने योजना के दिशानिर्देशों की मजबूत निगरानी के संबंध में नीति आयोग के सुझावों (चालू छात्रावासों के रखरखाव के संबंध में कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत करना सहित) का पालन करने का भी समर्थन किया।
     
  • बीजेआरसीवाई के अंतर्गत कुछ प्रस्तावों/प्रावधानों की दोबारा जांच: कमिटी ने विभाग को सुझाव दिया कि बीजेआरसीवाई के अंतर्गत अनुसूचित जाति की लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित करने के अपने प्रस्ताव को फिर से प्रस्तुत करे। इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय की व्यय वित्त कमिटी ने 2018-19 के लिए अनुमोदित नहीं किया था। कमिटी ने यह भी कहा कि बीजेआरसीवाई के तहत निजी संस्थानों और डीम्ड विश्वविद्यालयों (लेकिन गैर सरकारी संगठनों को नहीं) को उनकी साख की विस्तृत जांच के बाद केंद्रीय सहायता के प्रावधान की फिर से जांच की जाए। उल्लेखनीय है कि 2018 में बीजेआरसीवाई के संशोधन से पहले, छात्रावासों के विस्तार के लिए गैर सरकारी संगठनों, निजी संस्थानों और डीम्ड विश्वविद्यालयों को ऐसी केंद्रीय सहायता उपलब्ध थी।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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