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पीडीएफ

भारत में अर्बन प्लानिंग की क्षमता में सुधार

रिपोर्ट का सारांश

  • नीति आयोग ने सितंबर 2021 में ‘भारत में अर्बन प्लानिंग की क्षमता में सुधार’ पर अपनी रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-36 के दौरान कुल जनसंख्या में 73% बढ़ोतरी के लिए शहरी वृद्धि ही जिम्मेदार होगी। इससे शहरीकरण के लाभ उठाने के अवसर मिलते है, साथ ही सतत विकास के लिए चुनौतियां भी पेश होती हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षो और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • संस्थागत संरचना: कमिटी ने कहा कि अधिकतर राज्यों ने शहरी स्थानीय सरकारों को अर्बन प्लानिंग के लिए धनराशि, कार्यों और अधिकारियों का हस्तांतरण नहीं किया है, जैसा कि संविधान (74वां संशोधन) एक्ट, 1992 में कहा गया था। परिणामस्वरूप कई एजेंसियां शहरी और राज्य स्तर पर योजनाएं बनाने और इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में संलग्न हैं, और उनमें से कई एक जैसे काम कर रही हैं। इससे जवाबदेही तय नहीं हो पाती, काम में देरी होती है और संसाधनों की बर्बादी होती है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) मेयर्स और स्टैंडिंग कमिटीज़ को अधिकार देना ताकि वे अर्बन प्लानिंग और मैनेजमेंट में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें, (ii) राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मेयर्स के दफ्तरों में अर्बन प्लानर्स को एडवाइजर/फेलो के तौर पर भर्ती करना, और (iii) भारत में अर्बन गवर्नेंस की समीक्षा के लिए हाई पावर्ड कमिटी बनाना। 
     
  • मास्टर प्लान्स : कमिटी ने कहा कि हालांकि अधिकतर राज्यों के पास मास्टर प्लान्स को तैयार करने और उसे अधिसूचित करने की कानूनी शक्तियां होती हैं, लेकिन भारत की 7,933 शहरी बसाहटों में से 65% के पास कोई मास्टर प्लान नहीं है। मास्टर प्लान्स 20-25 वर्षों के लिए शहरों में भूमि उपयोग, विस्तार और जोनिंग को रेगुलेट करते हैं। मास्टर प्लान्स को लागू न करने से बेतरतीब निर्माण होते हैं, ट्रैफिक की भीड़भाड़, प्रदूषण और बाढ़ जैसी समस्याएं गंभीर होती हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए कमिटी ने केंद्रीय क्षेत्र की योजना को लागू करने का सुझाव दिया जिसका नाम है, ‘500 हेल्थी सिटीज़ प्रोग्राम’। यह पांच वर्षीय योजना है। योजना का लक्ष्य स्पेशियल प्लानिंग, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक विकास को मिलाकर स्वास्थ्य केंद्रित प्लानिंग करना होगा। योजना अधिक से अधिक प्रभावी हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) बजटीय आबंटन और नागरिकों की इच्छाओं के आधार पर राज्य क्षेत्रगत पहल करें, इसके लिए इनसेंटिव देना, (ii) मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमिटीज़ और डिस्ट्रिक्ट प्लानिंग कमिटीज़ बनाना, और (iii) स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए 500 शहरों के लिए ईज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स का दायरा बढ़ाना। 
     
  • विकास नियंत्रण रेगुलेशंस: कमिटी ने कहा कि प्लानिंग के रेगुलेशंस और निर्माण संबंधी उपकानूनों के कारण अक्सर निर्माण की लागत बढ़ जाती है जिससे शहरी भूमि का पूरा उपयोग नहीं हो पाता और मार्केट डिस्टॉर्शन्स होते हैं। इसके अतिरिक्त कई रेगुलेशंस में संशोधन किया गया है, इसके बावजूद कि उनके असर के संबंध में प्रयोग सिद्ध सबूत नहीं थे। इन समस्याओं को दूर करने के लिए कमिटी ने ‘हेल्थी सिटीज़ प्रोग्राम’ के दायरे में आने वाले सभी शहरों/कस्बों के लिए एक उप योजना का सुझाव दिया जिसका नाम है, ‘प्रिपरेशन/रीविजन ऑफ डेवलपमेंट कंट्रोल रेगुलेशंस’। योजना के निम्नलिखित लक्ष्य हैं: (i) नागरिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर मौजूदा रेगुलेशंस और उपकानूनों के प्रभाव का मूल्यांकन, (ii) स्काईलाइंस, डेंसिटीज़ और स्ट्रीटस्केप्स के अलग-अलग सीन दिखाने वाले वर्चुअल थ्री-डायमेंशनल मॉडल बनाना, और (iii) उपयुक्त सीन चुनने में राज्य/शहरी प्रशासन की मदद करना।
     
  • सार्वजनिक क्षेत्र में मानव संसाधन को बढ़ाना: कमिटी ने कहा कि राज्यों के शहरी और कंट्री प्लानिंग विभागों में 42% पद खाली हैं (3,945 स्वीकृत पदों में से)। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) तीन वर्ष (न्यूनतम) से पांच वर्ष (अधिकतम) की अवधि के लिए टाउन प्लानर्स के अतिरिक्त 8,268 लेट्रलर इंट्री पोस्ट्स को एक साथ मंजूर करना, और (ii) हालिया जनगणना के नतीजे उपलब्ध होने के बाद मानव संसाधन की जरूरतों की समीक्षा करना।
     
  • पेशेवर शिक्षा और मानक निर्धारण: प्लानिंग प्रोफेशनल्स की स्किल मैपिंग और डेटा कैप्चर में सुधार करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) प्लानिंग के मानकों के निर्धारण और करिकुलम को अपडेट करने के सुझावों के लिए ‘नेशनल काउंसिल ऑफ टाउन एंड कंट्री प्लानर्स’ नाम की एक वैधानिक संस्था बनाई जाए, (ii) शहरी और कंट्री प्लानर्स का एक नेशनल डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया जाए जोकि उद्योग और श्रमबल के बीच मार्केटप्लेस के तौर पर काम करेगा, (iii) सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में शहरी और ग्रामीण प्लानिंग और पॉलिसी में पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स तैयार करना (संबंधित विभागों के साथ), और (iv) सभी प्लानर्स को भारतीय उपमहाद्वीप में मानव बसाहटों के इतिहास की शिक्षा देना।
     
  • क्षमता निर्माण: टाउन प्लानिंग विभागों के कर्मचारियों के क्षमता निर्माण के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) अल्पावधि के ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए नेशनल अर्बन लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग, और (ii) ज्यूरी, प्रदर्शनियों और प्रमुख प्लानिंग एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स के सत्रों में राज्य सरकार के अधिकारियों की भागीदारी।
     

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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