स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
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संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री प्रतापराव जाधव) ने 8 फरवरी, 2024 को 'भारत में केबल टेलीविजन का रेगुलेशन' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
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केबल टेलीविजन का रेगुलेशन: केबल टीवी मुख्य रूप से केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट, 1995 और इसके तहत जारी नियमों और दिशानिर्देशों द्वारा रेगुलेटेड है। हालांकि ऐसे कई रेगुलेटर हैं जो विभिन्न पहलुओं पर अपने खुद के नियम और दिशानिर्देश जारी करते हैं। भारतीय दूरसंचार रेगुलेटरी अथॉरिटी (ट्राई), दूरसंचार विभाग (डॉट) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी), ये सभी केबल टेलीविजन के विभिन्न पहलुओं को रेगुलेट करते हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के ऑपरेटर विभिन्न अथॉरिटीज़ को रिपोर्ट करते हैं। जबकि मंत्रालय मल्टीपल सिस्टम ऑपरेटर्स (एमएसओ) के लिए पंजीकरण अथॉरिटी के रूप में कार्य करता है, मुख्य डाकघर स्थानीय केबल ऑपरेटरों (एलसीओ) के लिए पंजीकरण अथॉरिटी के रूप में कार्य करता है।
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ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म जैसी सेवाओं को इस एक्ट के तहत रेगुलेट नहीं किया जाता है। इन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय द्वारा जारी नियमों के जरिए रेगुलेट किया जाता है। इससे ओटीटी प्लेटफार्म्स पर कंटेंट के अलग-अलग स्टैंडर्ड नजर आते हैं। कमिटी ने कहा कि केबल टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म के बीच मौजूदा असमानताओं को दूर करने की जरूरत है। कमिटी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से आग्रह किया कि वह एक ऐसा फ्रेमवर्क लागू करे जिससे प्रसारकों को सभी प्लेटफॉर्मों पर अपने कंटेंट को सुलभ बनाने के लिए बाध्य किया जा सके। इस तरह कमिटी ने कहा कि केबल टीवी उद्योग को एक व्यापक एक्ट के जरिए रेगुलेट करने की जरूरत है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कमिटी को बताया था कि प्रसारण सेवा (रेगुलेशन) बिल, 2023 का एक ड्राफ्ट हितधारकों की टिप्पणियों के लिए पब्लिक डोमेन में जारी किया गया था। यह ड्राफ्ट बिल केबल टेलीविजन और ओटीटी प्लेटफार्म्स को रेगुलेट करने का प्रयास करता है।
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मंत्रालय की बाधाएं और चुनौतियां: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सामने आने वाली चुनौतियों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) केबल ऑपरेटरों द्वारा ग्राहकों की पर्याप्त सूचना न देना, (ii) जमीनी स्तर पर एक निरीक्षण तंत्र का अभाव, और (iii) स्थानीय केबल ऑपरेटरों (एलसीओ) के केंद्रीय डेटाबेस का अभाव। कमिटी ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह केबल टीवी के ग्राहकों की कम संख्या बताने और निरीक्षण तंत्र के अभाव जैसे मुद्दों के समाधान के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ मिलकर व्यापक डिजिटल सॉल्यूशन को विकसित करे। उसने यह सुझाव भी दिया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एलसीओ के लिए पंजीकरण अथॉरिटी बनने की पहल करे।
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टीवी चैनलों का मूल्य निर्धारण: वर्तमान में टीवी चैनलों की कीमतें प्रसारकों द्वारा निर्धारित की जाती हैं और ट्राई द्वारा रेगुलेट की जाती हैं। फिर चैनल डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स (डीपीओ) द्वारा वितरित किए जाते हैं। कमिटी ने कहा कि बुके और ए-ला-कार्ते में चैनलों की कीमतों में काफी असमानता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चैनलों की कीमतें, जब एक बुके में वितरित की जाती हैं, 19 रुपये प्रति चैनल पर सीमित होती हैं। हालांकि, व्यक्तिगत रूप से चुने जाने पर चैनलों की दरें बहुत अधिक होती हैं। 2019 में ट्राई ने एक परामर्श पत्र जारी किया था जिसमें यह बात कही गई थी। लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। कमिटी ने कहा कि ग्राहकों को पूर्वनिर्धारित बुके चुनने के लिए बाध्य करने से उपभोक्ता की पसंद प्रभावित होती है। उसने सुझाव दिया कि डीपीओ को प्रसारकों के बुके से अलग-अलग चैनल चुनने का अधिकार दिया जाना चाहिए। ऐसे चैनलों को उपभोक्ता की प्राथमिकताओं के आधार पर चुना जाना चाहिए, और डीपीओ को प्रसारकों को चैनलों की आनुपातिक कीमत भेजनी चाहिए।
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नए शुल्क आदेश का प्रभाव: ट्राई केबल टीवी उद्योग के लिए शुल्क को रेगुलेट करता है। मूल्य निर्धारण वर्तमान में नए शुल्क आदेश (न्यू टैरिफ ऑर्डर- एनटीओ) द्वारा रेगुलेट किया जाता है जिसे 2022 में पेश किया गया था। मूल्य निर्धारण नीति के मुख्य बिंदुओं में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) चैनल का मूल्य निर्धारण, (ii) चैनल बुके का मूल्य निर्धारण, (iii) नेटवर्क क्षमता शुल्क, और (iv) अधिकतम खुदरा मूल्य। नए आदेश को लागू करने से पहले डीपीओ, एलसीओ और उपभोक्ता संगठनों ने कहा कि प्रसारकों ने शुल्क में काफी वृद्धि कर दी है, जिससे ग्राहकों को बड़ा भुगतान करना होगा। अन्य कठिनाइयों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) आईटी सिस्टम्स में नई दर लागू करना और (ii) बड़ी संख्या में ग्राहकों को नई प्रणाली और शुल्क में माइग्रेट करना। कमिटी ने सुझाव दिया कि ट्राई उद्योग के साथ रचनात्मक बातचीत करे। चैनल मूल्य निर्धारण की जटिलता को स्वीकार करते हुए कमिटी ने कहा कि उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर सेवाएं प्राप्त हों, यह सुनिश्चित करना ट्राई का काम है।
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टीवी चैनलों के लिए विज्ञापनों के दिशानिर्देश: टीवी चैनल दो प्रमुख प्रकार के होते हैं: पेड चैनल और फ्री टू एयर चैनल। कमिटी को सूचित किया गया था कि पेड टीवी चैनल ग्राहकों से सदस्यता शुल्क लेने के बावजूद बड़ी संख्या में विज्ञापन दिखा रहे हैं। कमिटी ने राजस्व के स्रोतों के आधार पर चैनलों को 'पे-टीवी' या 'फ्री-टू-एयर' के रूप में वर्गीकृत करने का सुझाव दिया। उसने टीवी चैनलों की लागत निर्धारण पद्धति पर परामर्श का भी सुझाव दिया। परामर्श का एक उद्देश्य यह भी होना चाहिए कि ग्राहक सदस्यता शुल्क दे रहे हैं लेकिन फिर भी उन्हें काफी लंबी अवधि के लिए विज्ञापन देखने पड़ते हैं।
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