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पीडीएफ

भारतीय एयरपोर्ट्स अथॉरिटी का कामकाज

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: टी.जी.वेंकटेश) ने 2 अगस्त, 2021 को ‘भारतीय एयरपोर्ट्स अथॉरिटी का कामकाज’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय एयरपोर्ट्स अथॉरिटी एक सांविधिक प्राधिकरण है जोकि निम्नलिखित के एकीकृत विकास, विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए जिम्मेदार है: (i) हवाई यातायात सेवा, (ii) यात्री टर्मिनल्स, और (iii) देश में कार्गो सेवा। अथॉरिटी देश के 136 हवाई अड्डों का परिचालन और रखरखाव करती है जिनमें से 110 चालू हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • हवाई यातायात प्रबंधन: कमिटी ने गौर किया कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में हवाई यातायात में निरंतर वृद्धि हुई है। उसने कहा कि हवाई अड्डों पर भीड़ को कम करने के लिए एयर नैविगेशन सेवाओं से संबंधित बेहतर कार्य पद्धतियों को अपनाना जरूरी है। इसलिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) हाई पावर्ड कमिटी का गठन, ताकि उड़ान के समय, ईंधन की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए फ्लेक्सिबल एयर स्पेस मैनेजमेंट किया जा सके, (ii) सैन्य हवाई क्षेत्र प्रॉजेक्ट्स के आधुनिकीकरण के नैविगेशन और लैंडिंग से जुड़े हुए पहलुओं को फिल्टर करने के लिए भारतीय वायुसेना के साथ एक उच्च स्तरीय कमिटी बनाना, (iii) क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए हेलीकॉप्टर और सीप्लेन ऑपरेशंस हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना, (iv) सभी हवाई अड्डों पर समयबद्ध तरीके से एयर नैविगेशन और लैंडिंग की सुविधाओं को अपग्रेड करना, और (v) हवाई यातायात नियंत्रण अधिकारियों और अन्य प्रशासनिक पदों पर रिक्तियों के लिए समय पर भर्तियां करना।
     
  • सहायक अवसंरचना को बढ़ाना: कमिटी ने हवाई अड्डों पर पर्याप्त अवसंरचना के अभाव से संबंधित कई समस्याओं पर गौर किया जैसे जमीन उपलब्ध न होना, हवाई अड्डा ऑपरेटर्स के रेगुलेशंस के पालन में देरी, बड़ी संख्या में संस्थागत मंजूरियां, और हवाई अड्डों से कनेक्टिविटी का अभाव। इन समस्याओं को दूर करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) कमर्शियल दुकानों, पार्किंग स्पेस और हवाई अड्डों के करीब होटल्स के लिए पर्याप्त जगह सुनिश्चित करना, (ii) भविष्य के हवाई अड्डों के लिए देश भर में 100 एकड़ की जमीन निर्धारित करना, (iii) प्रॉजेक्ट्स को समय पर मंजूरी देने के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस मैकेनिज्म शुरू करना, और (iv) रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) अवसंरचना कार्यशालाएं आयोजित करना और रक्षा एवं नागरिक एमआरओज़ के बीच सहयोग बढ़ाना।
     
  • हवाई अड्डों का निजीकरण: कमिटी ने कहा कि देश में अधिक हवाई अड्डों की मांग है। हवाई अड्डों के विकास और रखरखाव के लिए बढ़ती निवेश की जरूरतों को पूरा करने हेतु कमिटी ने इस क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) की आवश्यकता पर जोर दिया। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) पीपीपी हवाई अड्डों के प्रबंधन के लिए उचित रेगुलेटरी फ्रेमवर्क और ऑडिटिंग मैकेनिज्म सुनिश्चित करना, (ii) यात्रियों से हवाई अड्डा शुल्क सुनिश्चित करना जोकि परिचालनगत लागत के अनुपात में हो, और (iii) निजीकरण में जाने वाले हवाई अड्डों के लिए भारतीय एयरपोर्ट्स अथॉरिटी के कर्मचारियों के करियर के हितों को सुनिश्चित करना।
     
  • हवाई कनेक्टिविटी: क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए 2016 में केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) उड़ान योजना को शुरू किया था। कमिटी ने आरसीएस के अंतर्गत हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए अप्रयुक्त हवाई पट्टियों और निष्क्रिय हवाई अड्डों के उपयोग का सुझाव दिया।
     
  • कार्गो क्षेत्र: देश के एयर कार्गो क्षेत्र के विकास की अड़चनों को दूर करने के लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) डेडिकेटेड कार्गो हवाई अड्डों की स्थापना, (ii) स्क्रीनिंग, स्टोरेज स्पेस और तापमान नियंत्रण के लिए सुविधाओं की स्थापना, (iii) ओपन स्काई पॉलिसी में संशोधन ताकि भारतीय हवाई कार्गो कैरियर्स के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें, और (iv) देश भर में ट्रांजिट हैंडलिंग की एक समान लागत और प्रक्रियाएं सुनिश्चित करना।
     
  • उड़ानों की रीशेड्यूलिंग या कैंसिलेशन: कमिटी ने कहा कि उड़ानों की रीशेड्यूलिंग या कैंसिलेशन के कारण यात्रियों को बहुत असुविधा होती है। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) उड़ानों की रीशेड्यूलिंग या कैंसिलेशन की स्थिति में यात्रियों को जरूरी मदद सुनिश्चित करना, (ii) फंसे हुए यात्रियों के लिए होल्डिंग एरिया बनाना, जहां भोजन, पानी, चिकित्सा मदद और रहने की पर्याप्त सुविधाएं हों।
     
  • तकनीक का इस्तेमाल: कमिटी ने सरकार द्वारा चलाए गए विभिन्न तकनीकी कदमों पर गौर किया। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) हवाई अड्डों पर डिजिटल यात्री प्रोसिंग सिस्टम (डिजी यात्रा), (ii) ड्रोन्स के रजिस्ट्रेशन, ट्रैकिंग और विश्लेषण के लिए एक प्लेटफॉर्म (डिजिटल स्काई) और (iii) यात्रियों के शिकायत निवारण के लिए इंटरैक्टिव वेब पोर्टल (एयर सेवा)। कमिटी ने देश में एविएशन सेक्टर को लाभ पहुंचाने के लिए इन योजनाओं में और सुधार का सुझाव दिया।
     
  • कोविड-19 का प्रभाव: कमिटी ने सुझाव दिया कि सभी एयरलाइन्स और एविएशन संबंधी व्यवसायों को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग और अल्पावधि की ऋण रियायत का पात्र बनाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसने सुझाव दिया कि उद्योग को ढांचागत ऋण प्रदान करने के लिए मंत्रालय को क्षेत्रगत फंड प्रदान करना चाहिए।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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