india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य 2024 चुनाव
  • विधान मंडल
    संसद
    प्राइमर वाइटल स्टैट्स
    राज्यों
    विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य 2024 चुनाव
प्राइमर वाइटल स्टैट्स
विधानमंडल ट्रैक वाइटल स्टैट्स
चर्चा पत्र
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • भारतीय डायस्पोरा का कल्याण और आप्रवास बिल की स्थिति

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स
पीडीएफ

भारतीय डायस्पोरा का कल्याण और आप्रवास बिल की स्थिति

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • विदेश मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: डॉ. शशि थरूर) ने 1 अप्रैल, 2025 को ‘विदेशों में रहने वाले भारतीय डायस्पोरा: उनकी स्थिति और कल्याण के सभी पहलू, जिसमें आप्रवास बिल की स्थिति भी शामिल’ पर अपनी रिपोर्ट पेश की। भारतीय डायस्पोरा उन लोगों को कहा जाता है जिनकी जड़े भारतीय हैं या जो भारतीय नागरिक हैं और विदेश में बस गए हैं। इसमें भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई), भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) और अनिवासी भारतीय (एनआरआई) शामिल हैं। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • डायस्पोरा के लिए नीति: कमिटी ने कहा कि डायस्पोरा के लिए कोई स्पष्ट नीति दस्तावेज नहीं है। उसने यह भी कहा कि स्पष्ट नीति के अभाव में डायस्पोरा की समस्याओं को पर्याप्त रूप से हल करने की देश की क्षमता प्रभावित होती है। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय एक नीति दस्तावेज का मसौदा तैयार करे जो इस समुदाय के साथ गहराई से जुड़ने के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करेगा।

  • भारतीय डायस्पोरा का एक केंद्रीकृत डेटाबेस: जनवरी 2024 तक भारतीय प्रवासियों की संख्या लगभग 35 मिलियन थी। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, 2020 में लगभग 18 मिलियन भारतीय प्रवासी थे। कमिटी ने कहा कि यह आंकड़ा मंत्रालय द्वारा दर्ज संख्या से अधिक होगा। उसने कहा कि भारतीय डायस्पोरा के बारे में कोई प्रामाणिक डेटा नहीं है। कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह रियल टाइम आधार पर प्रवासियों और वापस लौटने वाले व्यक्तियों से संबंधित आंकड़े एकत्र करने के लिए एक तंत्र विकसित करे। उसने एक नेशनल माइग्रेशन डेटाबेस बनाने का भी सुझाव दिया।

  • एनआरआई से रेमिटेंस: कमिटी ने कहा कि अनिवासी भारतीयों से प्राप्त धनराशि, सेवा निर्यात के बाद बाह्य वित्तपोषण का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। 2023-24 में अनिवासी भारतीयों द्वारा भेजी गई धनराशि लगभग 119 बिलियन USD थी। कमिटी ने सुझाव दिया कि: (i) ऑनलाइन ट्रांसफर प्लेटफॉर्म को सुव्यवस्थित किया जाए, (ii) ट्रांजैक्शन फीस कम की जाए, (iii) कराधान संबंधी चिंताओं को दूर किया जाए और (iv) भारत में अनिवासी भारतीयों के लिए उपलब्ध अन्य निवेश विकल्पों को बढ़ावा दिया जाए, जैसे म्यूचुअल फंड, स्टॉक और रियल एस्टेट।

  • डायस्पोरा का शिकायत निवारण: कमिटी ने कहा कि कई संपर्क बिंदु और मानकीकृत संचालन प्रक्रियाओं की कमी के कारण प्रवासियों की शिकायतों का समय पर निवारण नहीं हो पाता। उसने सुझाव दिया कि भारतीय दूतावासों को शिकायतों की ट्रैकिंग के लिए सार्वजनिक रूप से सुलझ डेटाबेस बनाना चाहिए जिस पर नोडल अधिकारियों का विवरण मौजूद हो।

  • सजायाफ्ता कैदियों का ट्रांसफर: भारत ने सजायाफ्ता व्यक्तियों के ट्रांसफर से संबंधित 31 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों के तहत, विभिन्न देशों में भारतीय कैदियों को और भारतीय जेलों में कैद विदेशी व्यक्तियों को, उनकी सजा की शेष अवधि पूरी करने के लिए भारत या उनके अपने देश ट्रांसफर किया जा सकता है। यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के अधिकांश देश ऐसे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के अंतर्गत आते हैं। कमिटी ने कहा कि एशिया, अफ्रीका और पूर्वी यूरोप के देशों को अभी भी इसमें शामिल नहीं किया गया है। ऐसे समझौतों के बावजूद, पिछले तीन वर्षों में केवल आठ भारतीय कैदियों को दूसरे देशों से ट्रांसफर किया गया। वर्तमान में 10,152 भारतीय कैदी विदेशी जेलों में बंद हैं। कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि: (i) शेष देशों के साथ समझौतों को आगे बढ़ाया जाए, (ii) कैदियों के प्रत्यावर्तन के लिए मौजूदा समझौतों में संशोधन किए जाएं या नए समझौते किए जाएं, और (iii) यह सुनिश्चित किया जाए कि भारतीय कैदियों के अधिकारों की रक्षा की जाए।

  • भर्ती में गड़बड़ियां: भर्ती एजेंटों को विदेशों में रोजगार के लिए भारतीय श्रमिकों की भर्ती करने से पहले प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमिग्रेंट्स के पास पंजीकरण कराना होता है। अक्टूबर 2024 तक 3,094 अपंजीकृत एजेंटों को अधिसूचित किया गया। कमिटी ने कहा कि भर्ती में गड़बड़ियों के लिए मौजूदा दंड और जुर्माना अपर्याप्त हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऐसे गलत तरीके से काम करने को दंडनीय अपराध बनाया जाए।

  • निर्वासितों और वापस लौटने वाले प्रवासियों का पुनः एकीकरण: कमिटी ने पाया कि वापस लौटने वाले भारतीय निर्वासितों के पुनः एकीकरण के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। उसने कहा कि वापस लौटने वाले प्रवासियों के पुनः एकीकरण के लिए कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है। कमिटी ने कहा कि केंद्र को वापस लौटने वाले निर्वासितों के लिए पुनः एकीकरण कार्यक्रम लागू करना चाहिए। इस संबंध में एक नीति बनाई जाए, जिसमें केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारियां साझा हों।

  • आप्रवास बिल: कमिटी ने कहा कि आप्रवास [ओवरसीज़ मोबिलिटी (सुविधा और कल्याण) बिल, 2024] को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। प्रस्तावित बिल में व्यापक आप्रवास प्रबंधन संरचना स्थापित करने का प्रयास किया गया है। कमिटी ने बिल को प्राथमिकता देने और इसे संसद में पेश करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने का सुझाव दिया।

  • विद्यार्थियों का प्रवास: जनवरी 2024 तक लगभग 17.8 लाख भारतीय विद्यार्थी विदेशों के शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे हैं। कमिटी ने कहा कि 2018 से फरवरी 2024 तक, विभिन्न कारणों से विदेशों में 403 भारतीय विद्यार्थियों की मौत हुई है। कमिटी ने यह भी कहा कि विद्यार्थियों द्वारा प्रवास को प्रस्तावित आप्रवास बिल के अंतर्गत शामिल नहीं किया गया है। कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) विदेश में भारतीय विद्यार्थियों के लिए सेफ्टी नेट बनाना, और (ii) नए आप्रवास बिल में उनकी चिंताओं को शामिल करना।

 

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

हमें फॉलो करें

Copyright © 2025    prsindia.org    All Rights Reserved.