कैग की रिपोर्ट का सारांश
- भारतीय नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने दिसंबर 2021 में भारतीय रेलवे की वित्तीय स्थिति पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में 2019-20 के दौरान रेलवे के वित्तीय प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है। इसमें रेलवे और रेलवे के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की वित्तीय स्थिति और भारतीय रेलवे के इंटिग्रेटेड पे रोल अकाउंटिंग सिस्टम (आईपीएएस) के नतीजों को प्रस्तुत किया गया है। कैग के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्न शामिल हैं:
- प्राप्तियों की प्रवृत्तियां: 2019-20 में रेलवे की प्राप्तियों के निम्नलिखित स्रोत थे: (i) आंतरिक संसाधन (53%), (ii) बजटेतर संसाधन (ईबीआर) जैसे उधारियां और सार्वजनिक-निजी भागीदारिता के जरिए निवेश (26%), और (iii) केंद्र सरकार का बजटीय सहयोग (21%)। आंतरिक संसाधनों से मिलने वाली आय में निम्नलिखित शामिल होते हैं: (i) मालवहन से होने वाली आय, (ii) यात्री यातायात से होने वाली आय, और (iii) विविध आय जिसमें बिल्डिंग्स का किराया और लीज़, केटरिंग सेवा, विज्ञापन और रणनीतिक लाइन्स पर नुकसान की अदायगी शामिल हैं। 2019-20 में माल ढुलाई से होने वाली आय और यात्री आय ने कुल प्राप्तियों में क्रमशः 35% और 16% का योगदान दिया।
- 2019-20 में आंतरिक संसाधनों से प्राप्तियां 1.74 लाख करोड़ रुपए थीं जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.3% कम है। इस अवधि के दौरान माल ढुलाई आय, यात्री आय और विविध आय में क्रमशः 11%, 1% और 16% की कमी आई। 2019-20 में आंतरिक संसाधनों से प्राप्तियां बजट अनुमान से 14% कम थीं। कैग ने गौर किया कि माल ढुलाई से होने वाली आय कोयले के परिवहन पर निर्भर करती है (कुल मालभाड़ा आय का 48.9%)। इसने माल ढुलाई की आय बढ़ाने के लिए फ्रेट बास्केट में विविधता लाने का सुझाव दिया।
- व्यय की प्रवृत्तियां: 2019-20 में रेलवे का कुल खर्च 3.21 लाख करोड़ रुपए था जिसमें 2018-19 की तुलना में 0.3% की मामूली वृद्धि है। इसमें 1.73 लाख करोड़ रुपए (53%) का राजस्व व्यय और 1.48 लाख करोड़ रुपए (47%) का पूंजीगत व्यय शामिल है। 2019-20 में राजस्व व्यय में 7% की कमी आई जबकि पूंजीगत व्यय में पिछले वर्ष की तुलना में 11% की वृद्धि हुई। राजस्व और पूंजीगत व्यय बजट अनुमान से क्रमशः 17% और 8% कम थे। रेलवे के कार्य चालन (वर्किंग) व्यय में परिचालन (ऑपरेशनल) व्यय (वेतन, रखरखाव) का काफी बड़ा हिस्सा है (88%)।
- पूंजीगत व्यय का वित्त पोषण: 2019-20 में पूंजीगत व्यय को आंतरिक संसाधनों (1%), बजटीय सहायता (46%) और ईबीआर (53%) द्वारा वित्तपोषित किया गया था। पूंजीगत व्यय के वित्त पोषण में आंतरिक संसाधनों की हिस्सेदारी 2015-16 में 18% थी जो 2019-20 में घटकर 1% हो गई। आंतरिक संसाधनों को पर्याप्त रूप से न जुटा पाने के कारण बजटीय सहायता और ईबीआर पर अधिक निर्भरता बढ़ी।
- राजस्व अधिशेष: 2019-20 में रेलवे का शुद्ध राजस्व अधिशेष 1,590 करोड़ रुपए था। 2018-19 के राजस्व अधिशेष (3,774 करोड़ रुपए) की तुलना में इसमें 58% की गिरावट है। कैग ने गौर किया कि 2019-20 में रेलवे को 26,328 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हुआ। पेंशन कोष के लिए 48,626 करोड़ रुपए के आबंटन की जरूरत थी लेकिन रेलवे 20,708 करोड़ रुपए की राशि विनियोजित की, जिससे वास्तविक घाटा कम हुआ।
- परिचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेशो) में बढ़ोतरी: परिचालन अनुपात यातायात आय में कार्य चालन व्यय का प्रतिशत होता है। 2019-20 में परिचालन अनुपात 98.36% था, जो 2018-19 में 97.29% के परिचालन अनुपात से ज्यादा है। इसका मतलब है कि परिचालन प्रदर्शन खराब हो गया है। कैग ने कहा कि 98.36% का परिचालन अनुपात रेलवे की वास्तविक वित्तीय स्थिति को नहीं दर्शाता है। अगर पेंशन भुगतान पर आवश्यक व्यय को ध्यान में रखा जाता तो यह अनुपात 114.4% होता।
- यात्री सेवाओं का क्रॉस सबसिडाइजेशन: 2019-20 में यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं को 63,364 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, जबकि माल ढुलाई से 28,746 करोड़ रुपए का लाभ हुआ। यात्री सेवाओं में होने वाला नुकसान पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रहा है। 2019-20 में, माल ढुलाई से होने वाले पूरे लाभ का उपयोग यात्री और अन्य कोचिंग सेवाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए किया गया था।
- रेलवे पीएसयूज़ की वित्तीय स्थिति: मार्च 2020 तक भारत में 40 रेलवे पीएसयू हैं और इनमें कुल निवेश 3.16 लाख करोड़ रुपए था। इन 40 में से 30 सार्वजनिक उपक्रमों ने 2019-20 के दौरान कर पश्चात लाभ कमाया। लंबी अवधि के वित्तीय ऋण कुल निवेश का 85% (2.68 लाख करोड़ रुपए) थे। पीएसयू का कुल लाभ 2017-18 में 4,999 करोड़ रुपए से बढ़कर 2019-20 में 6,536 करोड़ रुपए हो गया। फाइनांसिंग, केटरिंग, पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी की लाभप्रदता में वृद्धि हुई है। हालांकि कंस्ट्रक्शन, कम्युनिकेशन और लॉजिस्टिक्स में इसमें गिरावट आई है। इन सार्वजनिक उपक्रमों की इक्विटी पर रिटर्न 2017-18 में 9.17% से घटकर 2019-20 में 7.53% हो गया है।
- आईपीएएस: 2008 में रेलवे ने आईपीएएस को विकसित किया था और 2011-16 के दौरान इसे सभी जोन्स में लागू किया गया था। यह एक वेब आधारित एप्लिकेशन है जो वित्तीय लेनदेन डेटा और पे-रोल, वित्तपोषण और बजट के ऑटोमेशन का रियल टाइम एक्सेस देता है। कैग ने कहा कि जोनल रेलवे को आईपीएएस में डेटा माइग्रेट करना था, लेकिन यह पूरा नहीं हुआ है, जिससे विसंगतियां पैदा हुई हैं। इसके अतिरिक्त उसने गौर किया कि दूसरे सिस्टम्स के साथ आईपीएएस के आंशिक इंटिग्रेशन ने डेटा के फ्लो को प्रभावित किया है। इस संबंध में कैग ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) आईपीएएस के सभी मॉड्यूल्स के लिए बिजनेस रूल्स शुरू करना, (ii) डेटाबेस के सैनिटाइजेशन को तेज करना, और (iii) आईपीएएस के अनुचित प्रबंधन के लिए जिम्मेदारी तय करना।
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।