स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
महिला सुरक्षा से संबंधित मुद्दे
- मानव संसाधन विकास संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सत्यनारायण जतिया) ने मार्च 2020 में महिला सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- कानून को मजबूत बनाना: कमिटी ने कहा कि महिलाओं के कल्याण के लिए कई कानून बनाए गए हैं। किंतु विधायी ढांचों के बावजूद महिलाओं को असमानता, भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है। कमिटी ने सुझाव दिए कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। जिन तरीकों से कानूनों के कार्यान्वयन में सुधार किया जा सकता है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) 30 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करना, (ii) आरोपियों को जमानत देने से इनकार करना, और (iii) छह महीने के भीतर लंबित मामलों की सुनवाई।
- महिलाओं का प्रतिनिधित्व: कमिटी ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध का कारण यह है कि निर्णायक पदों पर उनका प्रतिनिधित्व कम है। उसने सरकार के सभी स्तरों पर महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का सुझाव दिया।
- फास्ट ट्रैक अदालतें: कमिटी ने कहा कि अगर समय पर न्याय मिले तो महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कम किया जा सकता है। उसने कहा कि आंध्र प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने फास्ट ट्रैक कोर्ट्स (एफटीएससीज़) स्थापित करने के संबंध में कोई पुष्टि नहीं दी है। कमिटी ने सुझाव दिया कि विधि विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एफटीएससीज़ कोर्ट जल्द से जल्द चालू हों।
- इसके अतिरिक्त कमिटी ने कहा कि विभिन्न राज्यों में एफटीएससीज़ की संख्या एक समान नहीं है। उदाहरण के लिए आंध्र प्रदेश में 18, उत्तर प्रदेश में 218, तमिलनाडु में 14 और कर्नाटक में 31 एफटीएससीज़ हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि राज्यों में न्यायालयों का संतुलित बंटवारा होना चाहिए। इसके अतिरिक्त 500 किलोमीटर के दायरे में एक एफटीएससी होनी चाहिए।
- मानव तस्करी: कमिटी ने कहा कि मानव तस्करी की रोकथाम के लिए कोई व्यापक कानून नहीं है। यह सुझाव दिया गया कि एक राष्ट्रीय तस्करी विरोधी ब्यूरो की स्थापना की जाए। इसे पुलिस, गैर सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के सहयोग से बनाया जाना चाहिए। इसमें अंतर-राज्यीय तस्करी मामलों की जांच करने और अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ तस्करी विरोधी प्रयासों को समन्वित करने की शक्ति होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त तस्करी के शिकार लोगों को राहत और पुनर्वास प्रदान करने के लिए एक तस्करी राहत और पुनर्वास कमिटी का गठन किया जाना चाहिए।
- निर्भया फंड: कमिटी ने कहा कि निर्भया फंड के अंतर्गत देश में 32 प्रॉजेक्ट्स और योजनाओं के लिए कुल 7,436 करोड़ रुपए उपलब्ध हैं। हालांकि, प्रॉजेक्ट्स और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए संबंधित निकायों को केवल 2,647 रुपए का वितरण किया गया है। उसने सुझाव दिया कि प्रॉजेक्ट्स और योजनाओं को समय पर लागू किया जाना चाहिए और धन का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा फंड के अंतर्गत प्रॉजेक्ट्स और योजनाओं की देखरेख कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा की जानी चाहिए।
- इंफ्रास्ट्रक्चर: महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए कमिटी ने कुछ इंफ्रास्ट्रक्चरल और संस्थागत उपायों का सुझाव दिया जिन्हें लागू किया जा सकता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) पुलिस स्टेशनों में महिला इकाई की स्थापना करना, (ii) महिला पुलिस अधिकारियों की संख्या में वृद्धि, (iii) महिला सुरक्षा संबंधी शिकायतों के लिए सिंगल हेल्पलाइन नंबर स्थापित करना, (iv) सभी राज्यों की राजधानियों में अपराधियों की दोषसिद्धि के लिए फॉरेंसिक लैब्स की स्थापना करना, और (v) सार्वजनिक परिवहन के सभी साधनों में सीसीटीवी और पैनिक बटन लगाना।
- शिक्षा और जागरूकता: कमिटी ने सुझाव दिया कि टेक्स्टबुक्स और स्कूली पाठ्यक्रम में महिलाओं के प्रति सम्मान सिखाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में महिला अध्ययन विभाग स्थापित किए जाने चाहिए जोकि परेशान महिलाओं की काउंसिलिंग करें। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को जेंडर आधारित हिंसा के पीड़ितों के संबंध में स्वास्थ्यकर्मियों को शिक्षित करना चाहिए।
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