स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- पेट्रोल एवं प्राकृतिक गैस संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: रमेश बिधूड़ी) ने 6 अगस्त, 2021 को ‘रीटेल आउटलेट्स और एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशनशिप का आबंटन’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- आबंटन की प्रक्रिया: वर्तमान में तेल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसीज़) ऑनलाइन आवेदनों के जरिए अपने रीटेल आउटलेट्स के लिए डीलरों का चयन करती हैं। कमिटी ने कहा कि इस आबंटन प्रक्रिया को चुनौती देने के लिए अदालतों में कई कानूनी मामले दायर किए गए हैं। इसके अतिरिक्त इसके लिए न तो कोई फीडबैक व्यवस्था है, और न ही ऐसा कोई अध्ययन किया गया है जिससे इस प्रक्रिया के प्रभाव का पता चले। उसने सुझाव दिया कि मंत्रालय को एक फीडबैक प्रणाली विकसित करनी चाहिए और आबंटन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक स्टडी करनी चाहिए। इन मामलों को खत्म या उनकी संख्या को कम करने के लिए एक आसान और पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाया जाना चाहिए।
- कमिटी ने गौर किया कि 2018 के बाद से अनुमोदित 29,501 रीटेल आउटलेट्स में से सिर्फ एक तिहाई को कमीशन किया गया है। उसने कहा कि प्रत्येक लोकेशन की जटिलता और और प्रशासन की तरफ से अनुमोदन में देरी ने आबंटन प्रक्रिया को थकाऊ और बोझिल बनाया है। कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि राज्य सरकारों के लिए ड्राफ्ट दिशानिर्देश प्रस्तावित करे और अनुमोदन मिलने में देरी न लगे, इसके लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम बनाया जाए।
- कमिटी ने कहा कि रीटेल आउटलेट्स और एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशनशिप्स के आबंटन के दिशानिर्देशों में एससी, एसटी और ओबीसी श्रेणियों में आरक्षण दिया गया है। उसने दिशानिर्देशों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के समावेश का सुझाव दिया।
- विपणन अनुशासन दिशानिर्देश (मार्केटिंग डिसिप्लिन गाइडलाइन्स (एमडीजी): रीटेल आउटलेट्स में आचार नीति और ग्राहक सेवा का स्तर बढ़ाने के लिए 1982 से एमडीजी को लागू किया गया है। इन दिशानिर्देशों में कई दंडनीय प्रावधानों को निर्धारित किया गया है, जैसे सेल्स/सप्लाई को निरस्त करना, जुर्माना लगाना और कदाचार करने पर डिस्ट्रिब्यूशनशिप की समाप्ति। कमिटी ने कुछ ऐसे मामलों पर गौर किया जब तेल मार्केटिंग कंपनियां ने ज्यादा सजा देकर एमडीजीज़ को लागू करने के लिए जोर-जबरदस्ती का इस्तेमाल किया। उसने सुझाव दिया कि देश भर में सजा देने का तरीका भी सुसंगत होना चाहिए।
- डीलर्स के कमीशन: कमिटी ने गौर किया कि 2017 से तेल मार्केटिंग कंपनियां ने डीलर्स के कमीशन नहीं बढ़ाए हैं। उसने कहा कि 2017 में एमडीजीज़ में संशोधन डीलर्स और कंपनियों के बीच विवादास्पद मुद्दा बन गया है, खास तौर से अपने कर्मचारियों को डीलर्स द्वारा दिया जाने वाला वेतन। ओएमसी के इस आग्रह के कारण कि डीलर के कमीशन को उनके कर्मचारियों के वेतन से जोड़ा जाए, उनके और डीलर्स के रिश्तों में तनाव कायम है। कमिटी ने सुझाव दिया कि इसके बजाय डीलरशिप मार्जिन की एक व्यवस्थित प्रणाली को लागू किया जाना चाहिए जोकि जीवन स्तर, बुनियादी वेतन संरचना, विभिन्न राज्यों के आर्थिक विकास और रीटेल मूल्य सूचकांक पर आधारित हो।
- लीज़ समझौता: कमिटी ने कहा कि तेल मार्केटिंग कंपनियां रीटेल आउटलेट्स के लिए लीज़ समझौते करती हैं जोकि एक्सपायरी के बाद रीन्यू हो जाते हैं। अगर उनके रीन्यूअल का कोई खंड नहीं होता तो कंपनियां जमीन मालिक के साथ रीन्यूअल या खरीद के लिए बातचीत करने का प्रयास करती हैं। अगर बातचीत विफल हो जाती है तो वे कानूनी कार्रवाई करने की कोशिश करती हैं। कमिटी ने कहा कि अगर रीन्यूअल का विकल्प उपलब्ध नहीं होता तो कंपनी का कानूनी कार्रवाई की संभावना तलाशने का फैसला अनुचित है। उसने सुझाव दिया कि दिशानिर्देशों को अपडेट किया जाना चाहिए ताकि अगर जमीन मालिक रीन्यू न करना चाहें तो उन्हें उनकी जमीन वापस मिल सके।
- मुकदमेबाजी: कमिटी ने कहा कि विभिन्न अदालतों में आबंटन प्रक्रिया और दिशानिर्देशों, जमीन की बेदखली और लीज़ समझौतों से संबंधित कई मामले दायर हैं। परिणामस्वरूप कंपनियां ने इन मामलों को लड़ने में काफी समय और धन खर्च किया है। कमिटी ने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह लंबित मुकदमों की समीक्षा करे और मामलों/विवादों को अदालतों से बाहर हल करने के लिए वैकल्पिक विवाद निवारण व्यवस्था तैयार करे।
- रीटेल आउटलेट्स की लोकेशन: कमिटी ने गौर किया कि रीटेल आउटलेट्स और एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशनशिप के लिए लोकेशन को चुनने के आधार में उस स्थान की आर्थिक संपन्नता, मार्केट की संभावना, व्यावसायिक व्यवहार्यता और दो आउटलेट्स/डिस्ट्रब्यूटर के बीच की दूरी शामिल होती हैं। इसके अलावा मूल्य लाभ के साथ अंतरराज्यीय सीमाएं, ट्रक ले बाई, हॉल्टिंग प्वाइंट्स, और बिजनेस हब्स ने कई क्षेत्रों में रीटेल आउटलेट्स की क्लस्टरिंग की है। कमिटी ने सुझाव दिया कि रीटेल आउटलेट्स और एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशनशिप्स के लिए अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाए (जोकि वाहनों के घनत्व, जनसंख्या, स्मार्ट सिटी के उदय, इत्यादि पर आधारित हो)।
- कमिटी ने पर्वतीय और सुदूर क्षेत्रों में रीटेल आउटलेट्स स्थापित करने में आने वाली मुश्किलों पर गौर किया जैसे निवेश पर कम रिटर्न, जमीन की कम उपलब्धता, वाणिज्यिक अव्यवहार्यता और लॉजिस्टिक्स संबंधी समस्याएं। उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) लॉजिस्टिक्स से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए समन्वित प्रणाली स्थापित करना, और (ii) इन क्षेत्रों के डीलर्स को प्रोत्साहित करने के लिए उनके कमीशन को बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार करना।
- बीमा पॉलिसी: कमिटी ने गौर किया कि ओएमसी की पब्लिक लायबिलिटी बीमा पॉलिसी में वे नुकसान भी शामिल हैं जिनमें किसी दुर्घटना में आग लगने का मुख्य कारण एलपीजी है। चूंकि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के कारण ग्राहक आधार बढ़ा है, इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया है कि ओएमसी को इन नीतियों के बारे में जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
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