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पीडीएफ

राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों का कामकाज

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: श्री वी. विजयसाई रेड्डी) ने 24 जुलाई, 2023 को 'राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों का कामकाज' पर अपनी रिपोर्ट पेश की। राष्ट्रीय अकादमियां विभिन्न कला रूपों और संस्कृति को बढ़ावा देने वाले स्वायत्त निकाय हैं। ये अकादमियां संस्कृति मंत्रालय की प्रशासनिक देखरेख में काम करती हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) संगीत नाटक अकादमी, (ii) साहित्य अकादमी, (iii) ललित कला अकादमी, (iv) राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, (v) सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र, (vi) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, और (vii) कलाक्षेत्र फाउंडेशन। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • बजटीय आवंटन और मुद्दे: कमिटी ने गौर किया कि संस्कृति मंत्रालय को 2023-24 के लिए 3,400 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो कुल केंद्रीय बजट का केवल 0.075% है। यह देखा गया कि यह यूके, यूएस, चीन जैसे देशों द्वारा किए जाने वाले आवंटन (2% से 5%) से कम था। इसके अलावा कमिटी ने कहा कि 2023-24 में राष्ट्रीय अकादमियों के लिए 401 करोड़ रुपए का संयुक्त बजटीय आवंटन अपर्याप्त था।

  • कमिटी ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों की दक्षता और पहुंच बढ़ाने के लिए उनके बजटीय आवंटन में वृद्धि की जाए। उसने अकादमियों को सुझाव दिया कि उन्हें सीएसआर फंड और दान एवं अनुदान के लिए निजी भागीदारी के विकल्प तलाशने चाहिए। कमिटी ने यह भी कहा कि धन उगाहने वाले कार्यक्रम तथा समारोह कराए जाएं और ओटीटी प्लेटफार्मों की राजस्व क्षमता की खोज की जाए।

  • प्रमुखों के चुनाव और कार्यकाल: कमिटी ने कहा कि राष्ट्रीय अकादमियों के चेयरपर्सन/प्रेज़िडेंट्स की नियुक्ति की प्रक्रिया और इन पदाधिकारियों का कार्यकाल राष्ट्रीय अकादमियों में भिन्न-भिन्न होता है। इसके अलावा प्रत्येक अकादमी की गवर्निंग काउंसिल की संरचना भी अलग-अलग होती है। इस मुद्दे को हल करने के लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार चेयरपर्सन/प्रेज़िडेंट्स के चुनाव और कार्यकाल के साथ-साथ गवर्निंग काउंसिल के गठन और संचालन पर निश्चित दिशानिर्देश तैयार करे। कमिटी ने प्रत्येक संस्थान की गवर्निंग काउंसिल में एक सांसद को शामिल करने का भी सुझाव दिया।

  • क्षेत्रीय आउटरीच: कमिटी ने कहा कि राज्यों में राष्ट्रीय अकादमियों के क्षेत्रीय केंद्रों की मौजूदगी एक जैसी नहीं है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध कई राज्यों जैसे नागालैंड, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोई राष्ट्रीय अकादमी नहीं है। इसके अलावा कमिटी ने कहा कि अधिकांश संस्थानों का मुख्यालय दिल्ली में है। उसने कहा कि आदिवासी और ग्रामीण संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए क्रमशः आदिवासी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों जैसे सुदूर क्षेत्रों और प्रत्येक राज्य में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए जाएं। उसने अखिल भारतीय उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कई सांस्कृतिक निकायों को दिल्ली से बाहर स्थानांतरित करने का भी सुझाव दिया।

  • कर्मचारियों की उपलब्धता और विशेषज्ञता: कमिटी ने कहा कि राष्ट्रीय अकादमियों में बड़े अनुपात में पद रिक्त हैं। उसने सुझाव दिया कि संस्कृति मंत्रालय रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया एक निश्चित समय अवधि के भीतर पूरी करे। कमिटी ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय अकादमियों के अधिकांश प्रशासनिक कर्मचारियों में कला और संस्कृति के प्रबंधन में विशेषज्ञता या ज्ञान का अभाव है। उसने सुझाव दिया कि कौशल अंतराल की पहचान करने के लिए मौजूदा कर्मचारियों की प्रशिक्षण की जरूरतों का व्यापक मूल्यांकन किया जाए। संस्कृति मंत्रालय इन कमियों को दूर करने के लिए कोचिंग कार्यक्रम लागू कर सकता है।

  • गवर्नेंस: कमिटी ने कुछ राष्ट्रीय अकादमियों में वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक कुप्रबंधन के आरोपों पर गौर किया। उसने सुझाव दिया कि गवर्नेंस में मौजूदा कमियों की पहचान की जाए और उन्हें दूर करने के लिए अपनाई गई कार्यपद्धतियों की प्रभावशीलता की लगातार निगरानी और मूल्यांकन किया जाए। वित्तीय कदाचार को रोकने के लिए कमिटी ने अकादमियों के भीतर खरीद, प्रावधानीकरण, वित्तपोषण और नीति-निर्माण कार्यों को अलग-अलग करने का सुझाव दिया।

  • राष्ट्रीय अकादमियों के बीच समन्वय: कमिटी ने राष्ट्रीय अकादमियों में कला और संस्कृति के एकीकृत प्रचार की कमी पर गौर किया। उसने निम्नलिखित के माध्यम से अकादमियों के बीच समन्वय का सुझाव दिया (i) संचार के औपचारिक चैनल स्थापित करना, (ii) सर्वोत्तम कार्य पद्धतियों और संसाधनों को साझा करना, (iii) संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को शुरू करना, (iv) एक्सचेंज प्रोग्राम्स और (v) वित्त पोषण के लिए संयुक्त आवेदन। 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (“पीआरएस”) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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