india-map

अपने सांसद को खोजें

Switch to English
  • सांसद और विधायक
    संसद राज्य
  • विधान मंडल
    विधानसभा
    Andhra Pradesh Assam Chhattisgarh Haryana Himachal Pradesh Kerala Goa Madhya Pradesh Telangana Uttar Pradesh West Bengal
    राज्यों
    वाइटल स्टैट्स
    चर्चा पत्र
  • संसद
    प्राइमर
  • बिल
    संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
  • बजट
    संसद राज्य चर्चा पत्र
  • नीति
    चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • करियर

अपने सांसद को खोजें

संसद राज्य
प्राइमर
संसद राज्य स्टेट लेजिस्लेटिव ब्रीफ
संसद राज्य चर्चा पत्र
चर्चा पत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति मंथली पॉलिसी रिव्यू कमिटी कीरिपोर्ट राष्ट्रपति का अभिभाषण वाइटल स्टैट्स COVID-19
  • नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • वित्तीय समावेश के लिए राष्ट्रीय कार्यनीति

नीति

  • चर्चा पत्र
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति
  • कमिटी की रिपोर्ट
  • राष्ट्रपति का अभिभाषण
  • मंथली पॉलिसी रिव्यू
  • वाइटल स्टैट्स
पीडीएफ

वित्तीय समावेश के लिए राष्ट्रीय कार्यनीति

रिपोर्ट का सारांश

  • भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 10 जनवरी, 2020 को वित्तीय समावेश के लिए राष्ट्रीय कार्यनीति 2019-24 जारी की। रिपोर्ट भारत में वित्तीय समावेश की नीतियों के दृष्टिकोण और लक्ष्यों को निर्धारित करती है। इस कार्यनीति को आरबीआई ने केंद्र सरकार और वित्तीय क्षेत्र के रेगुलेटरों (सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, इंश्योरेंस रेगुलेटर एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के इनपुट्स से तैयार किया है।
     
  • रिपोर्ट वित्तीय समावेश को ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करती है जोकि वित्तीय सेवाओं की उपलब्धता और सस्ती दरों पर कमजोर तथा निम्न आय वर्ग वाले समूहों को यथा समय एवं पर्याप्त ऋण सुनिश्चित करे। समूचे आर्थिक उत्पादन को बढ़ावा देने, गरीबी और आय असमानता को कम करने और लिंग समानता एवं महिला सशक्तीकरण को बढ़ाने में वित्तीय समावेश का बहुत असर होता है।
     
  • अन्य देशों से प्रेरणा: आरबीआई ने कहा कि 2018 के मध्य में 35 से अधिक देशों में राष्ट्रीय वित्तीय समावेश कार्यनीति मौजूद थी। इनमें चीन, ब्राजील और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। इन देशों में कुछ समान थीम्स में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) लक्ष्य आधारित दृष्टिकोण का पालन (विशिष्ट क्षेत्रों को लक्षित करते हुए), (ii) भुगतान प्रणाली के लिए अपेक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देना, (iii) मजबूत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क, (iv) लास्ट मिनट कनेक्टिविटी और वित्तीय साक्षरता पर जोर, (v) इनोवेशन और तकनीक का इस्तेमाल, और (vi) वित्तीय समावेश की दिशा में हुई प्रगति का समय-समय पर निरीक्षण और मूल्यांकन।
     
  • वित्तीय समावेश हेतु उठाए गए कदम: आरबीआई ने कहा कि देश में वित्तीय समावेश के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), जिसके अंतर्गत 89,257 करोड़ रुपए की जमा से 34 करोड़ खाते खोले गए हैं (जनवरी, 2019 तक), (ii) दुर्घटना में मृत्यु या विकलांगता कवर देने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और सबस्क्राइबिंग बैंक एकाउंट होल्डर्स को पेंशन कवर देने के लिए अटल पेंशन योजना जैसी योजनाएं। 
     
  • इसके अतिरिक्त यह कहा कि आरबीआई ने भिन्न बैंकिंग लाइसेंस जारी करके वित्तीय समावेश का मॉडल अपनाया है और सितंबर 2018 में भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक शुरू किया गया है। इन दोनों उपायों से लास्ट माइल कनेक्टिविटी के अंतराल को भरने में मदद मिली है। हालांकि कुछ महत्वपूर्ण अंतराल वित्तीय समावेश के लिए बाधक बने रहेंगे, जैसे (i) अपर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर (ग्रामीण इलाकों के कुछ हिस्सों, हिमालय और पूर्वोत्तर के सुदूर क्षेत्रों में), (ii) ग्रामीण इलाकों में टेली और इंटरनेट कनेक्टिविटी की खराब स्थिति, (iii) सामाजिक-सांस्कृतिक बाधक, और (iv) पेमेंट प्रॉडक्ट स्पेस में मार्केट प्लेयर्स की कमी।
     
  • वित्तीय समावेश के रणनीतिक उद्देश्य: आरबीआई ने वित्तीय समावेश की राष्ट्रीय कार्यनीति के छह रणनीतिक उद्देश्यों को चिन्हित किया: (i) वित्तीय सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच, (ii) वित्तीय सेवाओं का बेसिक बुके प्रदान करना, (iii) जीविकोपार्जन और दक्षता विकास तक पहुंच, (iv) वित्तीय साक्षरता और शिक्षा, (v) ग्राहक संरक्षण और शिकायत निवारण, और (vi) प्रभावशाली समन्वय। इस दृष्टिकोण को हासिल करने के लिए उसने कई माइलस्टोन्स चिन्हित किए जैसे: (क) 2020 तक पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले प्रत्येक गांव (या पहाड़ी क्षेत्रों में 500 गांवों वाला पुरवा या हैमलेट) को बैंकिंग की सुविधा प्रदान करना, (ख) डिजिटल वित्तीय सेवाओं को मजबूत करना ताकि मार्च 2022 तक कैशलेस सोसायटी बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा सके, और (ग) यह सुनिश्चित करना कि मार्च 2024 तक मोबाइल डिवाइस के जरिए प्रत्येक वयस्क को वित्तीय सेवा प्रदाता उपलब्ध हो जाए।  
     
  • वित्तीय सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच के संबंध में आरबीआई ने कहा कि पीएमजेडीवाई जैसी योजनाओं ने वित्तीय समावेश हेतु अपेक्षित बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया। अब बीमा और पेंशन सेवाओं तक पहुंच में सुधार करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। उसने सुझाव दिया कि पीएमजेडीवाई के अंतर्गत नामांकन करने वाले प्रत्येक इच्छुक और पात्र वयस्क को मार्च 2020 तक बीमा या पेंशन योजना के अंतर्गत नामांकन करना चाहिए। इसी प्रकार वित्तीय साक्षरता और शिक्षा के लिए लक्षित समूहों (बच्चों, उद्यमियों, वरिष्ठ नागरिकों) के लिए विशेष मॉड्यूल्स को राष्ट्रीय वित्तीय समावेश केंद्र के जरिए विकसित किया जाना चाहिए और वित्तीय साक्षरता केंद्रों को विस्तृत बनाया जाना चाहिए ताकि मार्च, 2024 तक वह देश के प्रत्येक ब्लॉक में उपलब्ध हो।
     
  • वित्तीय समावेश का मापदंड: आरबीआई ने सुझाव दिया कि वित्तीय समावेश को तीन मुख्य संकेतकों के आधार पर मापा जाना चाहिए। इनमें निम्नलिखित के मापदंड शामिल हैं: (i) उपलब्धता को मापना, जैसे आबादी विशेष के लिए बैंक की शाखाओं या एटीएम की संख्या, (ii) उपयोग को मापना, जैसे बचत खाते, बीमा या पेंशन पॉलिसी वाले वयस्कों का प्रतिशत, और (iii) सेवाओं की गुणवत्ता को मापना, जैसे शिकायत निवारण (प्राप्त होने और निपटाई जाने वाली शिकायतों की संख्या के जरिए)। इसके अतिरिक्त उसने वित्तीय समावेश के मौजूदा अवरोधों का मूल्यांकन करने के लिए सर्वे करने का सुझाव दिया (जैसे डिजिटल सेवाओं के इस्तेमाल के दौरान आने वाली समस्याएं, उपभोक्ता अधिकारों की जानकारी और सेवा प्रदाता का रवैया)।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

हमें फॉलो करें

Copyright © 2023    prsindia.org    All Rights Reserved.