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पीडीएफ

स्कूल लॉकडाउन के कारण लर्निंग में कमी और शिक्षण एवं परीक्षाओं की समीक्षा तथा स्कूल दोबारा खोलने की योजना 

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा एवं खेल संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: विनय सहस्रबुद्धे) ने 6 अगस्त, 2021 को ‘स्कूल लॉकडाउन के कारण लर्निंग में आने वाली कमी को दूर करने की योजना, साथ ही ऑनलाइन एवं ऑफलाइन शिक्षण और परीक्षाओं की समीक्षा तथा स्कूल दोबारा खोलने की योजना’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • स्कूल दोबारा खोलने के दिशानिर्देश: कमिटी ने कहा कि स्कूल बंद होने का विद्यार्थियों, पारिवारिक संरचना और लर्निंग के नतीजों (पढ़ने, लिखने और अर्थमैटिक) पर बुरा असर हुआ। स्कूल खोले जा सकें, इसके लिए कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) विद्यार्थियों, शिक्षकों और संबंधित कर्मचारियों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करना, (ii) सोशल डिस्टेंस बनाए रखने के लिए शिफ्ट्स में क्लास लगाना ताकि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जा सके, (iii) विद्यार्थियों, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को फेस मास्क और सैनिटाइजर देना, (iv) यह सुनिश्चित करना कि अंडरटेकिंग जैसे उपायों के जरिए इन्हें कड़ाई से लागू किया जाए, और (v) पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थी दोबारा से दाखिला लें, इसके लिए इनसेंटिव्स देना (जैसे स्टडी मैटीरियल, खाना और डिजिटल डिवाइस)।
     
  • लर्निंग की कमियों को दूर करना: विद्यार्थियों के लर्निंग के नतीजों में आने वाली कमियों को दूर करने हेतु कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) लर्निंग की कमी को समझने के लिए लर्निंग के नतीजों का आकलन करना, (ii) लर्निंग की कमी को दूर करने के लिए विशेषज्ञों के नेतृत्व में ब्रिज कोर्स विकसित करना और लर्निंग कार्यक्रमों को गति देना, (iii) लर्निंग की कमी वाले विद्यार्थियों में सुधार के लिए अलग से कक्षाएं संचालित करना, (iv) माता-पिता को संलग्न होने और सहपाठियों के साथ पढ़ाई करने को प्रोत्साहित करना, और (v) शंका दूर करने के लिए कम्यूनिकेशन चैनल्स बनाना (अनिवार्य हेल्पलाइन सेंटर्स और व्हॉट्सएप ग्रुप्स)।
     
  • दूरस्थ शिक्षा: कमिटी ने कहा कि महामारी के बाद भी शिक्षा का डिजिटल माध्यम 'न्यू नॉर्मल' बना रहेगा। इस संबंध में उसने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) डिजिटल शिक्षा तक पहुंच को सक्षम करने के लिए इलेक्ट्रिकल (गैर-पारंपरिक स्रोतों सहित), कम्यूनिकेशन (उपग्रह टीवी और रेडियो), और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाना, (ii) समाज के पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों को सब्सिडी वाले इंटरनेट कनेक्शन और कंटेंट प्री-लोडेड डिवाइस देना, और (iii) विद्यार्थियों की सीखने की प्रगति और इंटरैक्टिव लर्निंग की निगरानी करने के लिए उपकरण विकसित करना (वर्चुअल रिएलिटी और ऑगमेंटेंड रिएलिटी के माध्यम से)।
     
  • एजुकेशनल कंटेट की उपलब्धता: यह सुनिश्चित करने के लिए कि विद्यार्थियों को जो कंटेट मिल रहा है, वह उन्हें समझ भी आ रहा है, कमिटी ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) सभी भाषाओं में ऑनलाइन एजुकेशनल मॉड्यूल्स (वर्चुअल लैब स्टिमुलेटर्स) की उपलब्धता और डिलिवरी को ट्रैक करने के लिए एकीकृत लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम को विकसित करना, और (ii) क्षेत्रीय भाषाओं में ऑडियोबुक्स और साइन लैंग्वेज के जरिए भिन्न क्षमता वाले बच्चों के लिए विशेष कंटेंट और टेक्स्टबुक्स बनाना।  
     
  • शिक्षण: कमिटी ने शिक्षकों को निम्नलिखित का प्रशिक्षण देने का सुझाव दिया: (i) आधुनिक उपायों के जरिए डिजिटल कंटेंट तैयार करना, (ii) ऑनलाइन कंटेंट देने के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग, और (iii) ऑनलाइन मोड में विद्यार्थियों से इंटरैक्ट करना। इसके अतिरिक्त पिछड़े क्षेत्रों के शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा में शिफ्ट करने के लिए इन्सेंटिव्स दिए जा सकते हैं (इसमें इंटरनेट पैकेज और मुफ्त उपकरण देना शामिल है)। कमिटी ने सुझाव दिया कि शिक्षकों का मूल्यांकन उनकी ऑडियो-विजुअल टूल्स को हैंडिल करने की क्षमता के आधार पर किया जाए।
     
  • मिश्रित शिक्षा: कमिटी ने सुझाव दिया कि डिजिटल शिक्षा का एक्सेस लगातार बना रहे, इसे सुनिश्चित करने के लिए एक दीर्घकालीन रणनीति विकसित की जाए। उसने शिक्षा को रीमॉडल करने का सुझाव दिया जिसमें डिजिटल शिक्षा का अधिक से अधिक उपयोग हो। अक्टूबर 2021 तक प्रत्येक जिले में हाइब्रिड मॉडल पर चलने वाला एक स्कूल बनाया जाए जोकि दूसरे स्कूलों के लिए केस स्टडी के तौर पर काम करेगा।  
     
  • परीक्षा: कमिटी ने सुझाव दिया कि निरंतर मूल्यांकन की एकसमान प्रणाली की स्थापना की जाए जोकि बोर्ड परीक्षाओं से ऊपर हो। इसके लिए उसने वर्कबुक्स और विषय वार अभ्यासों का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त उसने अनुभव आधारित शिक्षा और वैकल्पिक मूल्यांकन के इस्तेमाल का सुझाव दिया जोकि प्रेजेंटेशन और दूसरे तरीकों पर आधारित हो। 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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