स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: टी. जी. वेंकटेश) ने 3 फरवरी, 2022 को ‘केंद्रीय सड़क और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (सीआरआईएफ) के कार्यों की समीक्षा’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। सीआरआईएफ राष्ट्रीय राजमार्गों, रेलवे प्रॉजेक्ट्स और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास एवं रखरखाव के लिए स्थापित एक वैधानिक कोष है। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सीआरआईएफ के अंतर्गत व्यापक कवरेज: इससे पहले का केंद्रीय सड़क कोष (सीआरएफ) सीमित उद्देश्यों के लिए उपलब्ध था और सड़क क्षेत्र (राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य की सड़कों सहित) तथा रेलवे के कुछ कार्यों (जैसे बिजलीकरण, और मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग्स पर सेफ्टी वर्क्स) से संबंधित था। 2018 में सीआरएफ की जगह सीआरआईएफ बनाया गया जिसे व्यापक उद्द्श्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। परिवहन (जैसे हवाईअड्डों, रेलवे ट्रैक्स, बंदरगाह और शहरी सार्वजनिक परिवहन) के साथ-साथ दूसरे क्षेत्रों (जैसे ऊर्जा, जल और सैनिटेशन और संचार) के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। कमिटी ने कहा कि इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सीआरआईएफ के बजटीय सहयोग से अर्थव्यवस्था के सर्वांगीण विकास में मदद मिलेगी।
- राज्य की सड़कों की क्वालिटी: 2019 में जिस कानून (सीआईआरएफ एक्ट) के अंतर्गत सीआरआईएफ की स्थापना की गई थी, उसमें संशोधन कर दिया गया। संशोधन के अनुसार, केंद्र सरकार अब राज्य की सड़कों से संबंधित मंजूरियों, उनकी निगरानी और उनके संबंध में नियम बनाने के लिए जिम्मेदार नहीं होगी। सीआरआईएफ का इस्तेमाल करके राज्यों में बनाई गई सड़कों की क्वालिटी सुधारने के लिए कमिटी ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) इन सड़कों के निर्माण के समय राज्य निर्दिष्ट दिशानिर्देशों और तकनीकी विशेषताओं का पालन करें, और (ii) इन सड़कों के रैंडम क्वालिटी चेक के लिए एक व्यवस्था तैयार की जाए।
- राज्य की सड़कों के लिए धनराशि का आबंटन: सीआरआईएफ एक्ट के अनुसार, केंद्र सरकार राज्य की सड़कों के लिए धनराशि के आबंटन का मानदंड बनाती है। मानदंड में प्रावधान है कि आबंटन राज्य के इलाके को देखते हुए 70%, और राज्य में ईंधन की खपत को देखते हुए 30% के आधार पर किया जाएगा। कमिटी ने कहा कि इस मानदंड के कारण पूर्वोत्तर राज्यों में सीआईआरएफ फंड्स का आबंटन बहुत कम हो सकता है क्योंकि वे क्षेत्र में छोटे हैं और वहां ट्रैफिक भी कम है। उसने मंत्रालय को इस मानदंड में बदलाव करने का सुझाव दिया जिससे पूर्वोत्तर राज्यों को उनकी लोकेशन और दुर्गमता को देखते हुए अधिक आबंटन हो। इसके अतिरिक्त कमिटी ने मानदंड का फिर से आकलन करने का सुझाव दिया ताकि सीआरआईएफ से धनराशि का समान वितरण सुनिश्चित किया जा सके, जिससे छोटे राज्य वंचित न रह जाएं।
- राज्य की सड़कों के लिए व्यय की सीमा: राज्य की सड़कों के लिए धनराशि आबंटित करने के मानदंड यह निर्धारित करते हैं कि राज्य द्वारा योजनाओं के लिए अनुमोदित लागत की सीमा निम्नलिखित है: (क) पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए वार्षिक आबंटन का चार गुना, और (ख) दूसरे राज्यों के लिए वार्षिक आबंटन का तीन गुना। कमिटी ने कहा कि फिर भी, योजनाओं की लागत इन सीमाओं से अधिक हो जाती है। इससे सीआरआईएफ के अंतर्गत जारी होने वाली धनराशि में बैकलॉग हो जाता है। कमिटी ने मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का सुझाव दिया कि योजनाओं की लागत निर्धारित सीमा में हो ताकि मंजूर परियोजनाओं के लिए राज्यों को समय पर धनराशि जारी की जा सके।
- सड़क सुरक्षा के काम के लिए निर्धारित धनराशि: राज्य की सड़कों के लिए धनराशि आबंटन के मानदंडों में यह भी कहा गया है कि 10% आबंटन सड़क सुरक्षा के कामों के लिए निर्धारित है। कमिटी ने कहा कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में विश्व में सबसे अधिक मौतें होती हैं जिससे प्रभावित परिवारों और अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक असर होता है। इसलिए उसने सुझाव दिया कि सड़क सुरक्षा के लिए निर्धारित सीआरआईएफ की धनराशि को बढ़ाकर राज्य सरकारों को दिया जाए। उसने मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह निर्धारित धनराशि के बेहतर उपयोग की निगरानी करने के लिए एक व्यवस्था तैयार करे।
- सड़क परियोजनाओ के लिए टेंडर देने के दिशानिर्देश: कमिटी ने कहा कि सड़क परियोजनाओं को अक्सर मंत्रालय या भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी द्वारा अनुमानित लागत से काफी कम बोली पर प्रदान किया जाता है। ऐसे मामलों में बोलीकर्ता के या तो काम पूरा न करने की आशंका होती है या वे खराब क्वालिटी का काम करते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि सीआरआईएफ के अंतर्गत सड़क परियोजनाओं के लिए टेंडर देने के मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की जाए। उसने मंत्रालय को यह सुझाव भी दिया कि उसे सड़क परियोजनाओं की बोली के लिए अधिकतम या निम्नतम सीमा तय करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त वह काफी कम बोलियों पर प्रदान की गई सड़क परियोजनाओं की गुणवत्ता और प्रगति की कड़ाई से निगरानी करने के लिए एक तंत्र भी स्थापित कर सकता है। सड़क परियोजनाओं के खराब प्रदर्शन और गुणवत्ता के मामलों में कॉन्ट्रैक्टर को सजा दी जानी चाहिए और भविष्य में प्रॉजेक्ट देने से पहले उनके पिछले रिकॉर्ड पर विचार किया जाना चाहिए।
- पर्यटन औरसांस्कृतिक स्थलों तक कनेक्टिविटी: भारत के महत्वपूर्ण पर्यटन/सांस्कृतिक स्थलों और बंदरगाहों तक सड़क कनेक्टिविटी में सुधार के लिए कमिटी ने एक मास्टर प्लान बनाने और उसे लागू करने के लिए सीआरआईएफ की धनराशि के उपयोग का सुझाव दिया। उसने सीआरआईएफ के अंतर्गत सड़क प्रॉजेक्ट्स की मंजूरी के मानदंड में संशोधन का सुझाव दिया ताकि इन जगहों को जोड़ने वाली सड़कों को प्राथमिकता दी जा सके।
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