स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश
- खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: सुदीप बंदोपाध्याय) ने 19 मार्च, 2021 को ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सुदृढीकरण- तकनीकी साधनों के उपयोग में वृद्धि और एक देश एक राशन कार्ड योजना का कार्यान्वयन’ विषय पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) उचित दर की दुकानों (एफपीएस) के नेटवर्क के जरिए राज्य सरकार द्वारा चिन्हित लाभार्थियों को सबसिडीयुक्त खाद्य पदार्थ प्रदान करती है। एक देश एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना को 2019 में शुरू किया गया था ताकि लाभार्थियों को देशव्यापी पोर्टेबिलिटी मिले और वे देश के किसी भी स्थान से पीडीएस का लाभ उठा सकें। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- ओएनओआरसी के कार्यान्वयन में विषमता: कमिटी ने गौर किया कि विभिन्न राज्य सरकारों के कार्यान्वन में विषमताएं हैं। उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ और असम को पोर्टेबिलिटी ग्रिड को ऑनबोर्ड करना बाकी है, जबकि 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया है। पोर्टेबिलिटी ग्रिड की ऑनबोर्डिंग से लाभार्थी दूसरे राज्यों में अपनी हकदारियों का दावा कर सकते हैं। कमिटी ने यह भी कहा कि राज्यों द्वारा ओएनओआरसी के कार्यान्वयन और पीडीएस के कामकाज पर नजर रखने के लिए गठित स्टेट विजिलेंस कमिटी की बैठकें नियमित रूप से नहीं होतीं। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार का खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग राज्यों के कार्यान्वयन का निरीक्षण करे।
- लाभार्थियों को चिन्हित और लक्षित करना: कमिटी ने कहा कि 15 राज्यों में पीडीएस के अंतर्गत 100% अभीष्ट लाभार्थियों को चिन्हित किया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकारी विभागों के साथ इस कार्य में समन्वय स्थापित किया जाए। कमिटी ने यह भी कहा कि कुछ राज्य सरकारों ने लाभार्थियों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का काम शुरू नहीं किया है। जैसे पश्चिम बंगाल के सभी एफपीएसज़ ऑटोमेटेड हैं। हालांकि उसने अभी लाभार्थियों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का काम शुरू नहीं किया है। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि अधिक प्रवासी श्रमिकों वाले जिलों और क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए ताकि वहां खाद्यान्नों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
- तकनीकी समस्याएं और कंपैटिबिलिटी: कमिटी ने कहा कि 13,000 एफपीएसज़ ऐसे क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत खराब है। कमिटी ने सुझाव दिया कि नेशनल इनफॉरमेटिक्स सेंटर उन क्षेत्रों के एफपीएसज़ डीलर्स के लिए डिवाइस या मोबाइल एप्लिकेशन बनाए ताकि वे ऑफलाइन ट्रांजैक्शन को रिकॉर्ड करें और फिर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट-ऑफ-सेल (ईपीओएस) सर्वर में सेल ट्रांजैक्शन को अपलोड कर दें। कमिटी ने कहा कि जिन राज्यों में एफपीएसज़ के डीलर्स या ओनर्स ईपीओएस डिवाइस खरीदते हैं, वहीं खरीदे जाने वाले डिवाइस की कंपैटिबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश स्थापित किए जाने चाहिए।
- उचित दर की दुकानों के लिए मार्जिन: कमिटी ने कहा कि वर्तमान में एफपीएसज़ को प्रति क्विंटल खाद्यान्न बिक्री पर 70 रुपए (सामान्य श्रेणी के राज्यों में) और 143 रुपए (विशेष श्रेणी के राज्यों में) का मार्जिन मिलता है। कमिटी ने इस मार्जिन को बढ़ाने का सुझाव दिया।
- खाद्यान्नों को लाना-ले जाना: एफसीआई खाद्यान्नों को खरीद और अधिशेष वाले क्षेत्रों से खाद्यान्नों को उपभोग और कमी वाले क्षेत्रों में डिपो तक ले जाता है। यह एफपीएस डीलर्स की मांगों पर आधारित होता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि एक व्यापक दिशानिर्देश जारी किए जाएं जोकि सभी राज्यों पर एक समान तरीके से लागू हों और एफपीएस डीलर जल्द से जल्द खाद्यान्नों की जरूरतों की सूचना दे सकें। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि अपने स्वामित्व वाले और किराए के गोदानों में डिपो ऑनलाइन सिस्टम्स के एप्लिकेशन के जरिए एफसीआई ऑपरेशंस को ऑटोमेटेड किया जाए।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी): कमिटी ने कहा कि डीबीटी के उपयोग से पीडीएस का प्रशासनिक बोझ और लागत कम होती है। इससे सरकार की बचत होती है। हालांकि कमिटी ने गौर किया कि लाभार्थियों को निम्नलिखित कारणों से पहले पीडीएस के लाभ के मुकाबले अधिक खर्च करना पड़ता है: (i) अंतरण सुनिश्चित करने के लिए बार बार जाना, (ii) नकदी निकालने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना, और (iii) खुले बाजार में खाद्यान्नों की अपर्याप्त उपलब्धता। कमिटी ने सुझाव दिया कि पीडीएस इंफ्रास्ट्रक्चर को बरकरार रखते हुए उपयुक्त मामलों में प्रत्यक्ष नकद अंतरण का उपयोग किया जाए, खासकर प्रवासी लाभार्थियों के लिए।
- जागरूकता: कमिटी ने सुझाव दिया कि सभी लाभार्थी परिवारों के सदस्यों के मोबाइल नंबरों को रजिस्टर किया जाए ताकि उन्हें निम्नलिखित की सूचना दी जा सके: (i) एफपीएसज़ में स्टॉक की स्थिति, (ii) पोर्टेबिलिटी ट्रांजैक्शंस, (iii) लिया गया राशन और बचा हुआ राशन, और (iv) साधारण फॉरमैट में स्थानीय भाषा में एसएमएस के जरिए पीडीएस के अंतर्गत मौजूदा आदेश और योजनाएं।
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