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  • 2016-17 के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन एक्ट, 2003 का अनुपालन

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पीडीएफ

2016-17 के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन एक्ट, 2003 का अनुपालन

कैग ऑडिट रिपोर्ट का सारांश

  • भारत के नियंत्रण और महालेखा परीक्षक (कैग) ने 8 जनवरी, 2019 को राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट, 2003 के अनुपालन (2016-17 में) पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। एफआरबीएम एक्ट में केंद्र सरकार से जिम्मेदारपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन और दीर्घकालीन स्थिरता सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है। इसके अतिरिक्त एक्ट सरकार से उधारियों, ऋण और घाटे की सीमा निर्धारित करने के जरिए ऋण प्रबंधन की भी अपेक्षा करता है। कैग के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्न शामिल हैं:
     
  • ऑफ बजट फाइनांसिंग: कैग ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी व्यय संबंधी जरूरतों के वित्त पोषण के लिए अधिक से अधिक ऑफ बजट तरीकों को इस्तेमाल कर रही है। ऑफ बजट फाइनांसिंग सरकार का वह वित्त होता है जिसका उल्लेख बजटीय दस्तावेजों में नहीं होता। ये ऑफ बजट उपाय बजटीय नियंत्रण, और इस प्रकार संसदीय नियंत्रण से बाहर होते हैं। इन तरीकों को पूंजीगत निवेशों और राजस्व व्यय जैसे सबसिडी की देय राशि का भुगतान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कैग ने कहा कि ऐसी ऑफ बजट उधारियों की मात्रा बहुत अधिक है और ये राजकोषीय संकेतकों के कैलकुलेशन से बाहर होती हैं।
     
  • राजस्व व्यय: अपर्याप्त बजटीय आबंटनों के कारण कुछ अनुदानों की देय राशि अगले वित्तीय वर्ष में चढ़ जाती है। इससे उस वर्ष का व्यय कम प्रदर्शित होता है और राजकोषीय संकेतकों का पारदर्शी उल्लेख नहीं होता। ऐसी स्थिति में प्रतिबद्ध देनदारियां स्थगित होती हैं या भविष्य की देनदारियों का सृजन होता है और ब्याज भुगतान के कारण लागत बढ़ती है। उदाहरण के लिए उर्वरकों और खाद्य सबसिडी की देय राशि के स्थगित होने के कारण पिछले वर्षो की देनदारियां कुल मिलाकर 2016-17 के अंत तक 1.2 लाख करोड़ रुपए हो गईं। इसके अतिरिक्त खाद्य सबसिडी के देय के कारण पिछले वर्षों की देनदारियों में 2011-17 की अवधि में 350% की वृद्धि हुई है।
     
  • पूंजी व्यय: कैग ने कहा कि सरकार पूंजी व्यय के लिए ऑफ बजट फाइनांसिंग का इस्तेमाल करती है, चूंकि इन तरीकों से अधिक पूंजी वाले प्रॉजेक्ट्स की जरूरतों को पूरा करना आसान होता है। उदाहरण के लिए भारतीय रेलवे वित्त निगम ने रेलवे प्रॉजेक्ट्स और विद्युत वित्त निगम ने पावर प्रॉजेक्ट्होता है। उदाहरण के लिए भारतीय रेलवे वित्त निगम ने रेलवे प्रॉजेक्ट्स को वितस को वित्त पोषित करने के लिए 2016-17 के अंत तक 3.05 लाख करोड़ रुपए मूल्य की ऑफ बजट उधारियां लीं। कैग ने कहा कि इससे सरकार के महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के वित्त पोषण के स्रोत संसदीय नियंत्रण से बाहर होते जाते हैं। ऐसी उधारियों का आधार सरकार की स्पष्ट या अस्पष्ट गारंटी होती है और इससे वित्तीय जोखिम भी उत्पन्न होता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऐसी उधारियों के लिए एक नीतिगत संरचना तैयार की जानी चाहिए, जिसमें उधारी का लागत और निवेश के बदले रिटर्न की संभावना, विशेष रूप से ऑफ बजट उधारियों के लिए, पर विचार किया जाए।
     
  • ऑफ बजट फाइनांसिंग का खुलासा: कैग ने कहा कि मौजूदा नीतिगत संरचना के अंतर्गत ऑफ बजट फाइनांसिंग में पारदर्शिता और प्रबंधन रणनीति का अभाव है। उसने सुझाव दिया कि सरकार को एक नीतिगत संरचना तैयार करनी चाहिए जिसमें अन्य विवरण के अतिरिक्त संसद में खुलासा करना शामिल हो। इसमें सरकार के स्वामित्व वाले सभी संगठनों की ऑफ बजट फाइनांसिंग का विवरण होना चाहिए। इन विवरणों में निम्नलिखित शामिल है : (i) ऑफ बजट फाइनांसिंग का तर्क और कारण, (ii) फाइनांसिंग की मात्रा, (iii) समान कार्यक्रम या योजना के अंतर्गत बजटीय सहयोग, (iv) फाइनांसिंग के इंस्ट्रूमेंट्स और स्रोत, और (v) ऋण भुगतान के साधन और रणनीति।
     
  • छमाही समीक्षा: कैग ने कहा कि एक्ट के अंतर्गत सरकार से वर्ष में दो बार प्राप्तियों और व्यय की प्रवृत्तियों की समीक्षा करने, लक्ष्यों की पूर्ति के लिए सुधारात्मक उपाय करने और संसद में उन उपायों का मूल्यांकन करने की अपेक्षा की जाती है। इसके अनुसार सरकार ने राजकोषीय घाटे और राजस्व घाटे की समीक्षा हेतु छमाही बेंचमार्क निर्धारित किए हैं जोकि उस वर्ष के बजट अनुमान के प्रतिशत के रूप में होते हैं। कैग ने कहा कि ये बेंचमार्क 2004 में 45% से बढ़कर 2013 में 60% और 2015 में 70% हो गए। कमिटी ने कहा कि विशिष्ट कारण दिए बिना ऐसे संशोधन किए गए।
     
  • इसके अतिरिक्त 70% के छमाही बेंचमार्क की तुलना में 2016-17 की पहली छमाही के अंत में राजकोषीय घाटा और राजस्व घाटा, बजट अनुमान का क्रमशः 84% और 92% था। कमिटी ने कहा कि विशिष्ट व्यय और प्राप्तियों के कारण ऐसा हुआ और संसद में सरकारी वक्तव्य में इस संबंध में सुधारात्मक उपायों का जिक्र नहीं किया गया। कैग ने इस बारे में निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) ऐसे बेंचमार्क उचित होने चाहिए, (ii) वर्ष के मध्य में किए गए उपायों से वर्ष के अंत में लक्ष्य प्राप्त होने चाहिए, और (iii) संसद में पारदर्शिता लाने के लिए सुधारात्मक उपाय किए जाने चाहिए।  
     
  • सेस: कैग ने कहा कि सेस की वसूली से प्राप्त होने वाला राजस्व भारत के समेकित कोष में जमा होता है और फिर उसे पब्लिक एकाउंट में निर्दिष्ट फंड में हस्तांतरित किया जाता है। प्रत्येक फंड को उन मदों में खर्च करने हेतु निर्धारित किया जाता है जिनके लिए सेस की वसूली की जाती है। कैग ने कहा कि 2016-17 में 31,156 करोड़ रुपए का सेस पब्लिक एकाउंट के निर्दिष्ट फंड्स में हस्तांतरित नहीं किया गया। चूंकि इस राशि को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए खर्च नहीं किया गया, यह इस बात का संकेत है कि व्यय संबंधी जरूरतों के बिना या उन फंड्स की खर्च करने की क्षमता के बिना ही सेस वसूला जा रहा है। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऐसे विशिष्ट उद्देश्य या सेस फंड्स को समेकित कोष में न रखा जाए।

 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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