रिपोर्ट का सारांश
- वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है। केंद्र-राज्य के परस्पर वित्तीय संबंधों पर सुझाव देने के उद्देश्य से भारत के राष्ट्रपति द्वारा इसका गठन किया जाता है। 15वां वित्त आयोग (चेयर: एन. के. सिंह) दो रिपोर्ट सौंपेगा। आयोग की पहली रिपोर्ट 1 फरवरी, 2020 को संसद के पटल पर रखी गई। इस रिपोर्ट में 2020-21 के लिए सुझाव दिए गए हैं। 2021-26 की अवधि के लिए दूसरी रिपोर्ट में सुझाव दिए जाएंगे और इस अंतिम रिपोर्ट को 30 अक्टूबर, 2020 को सौंपा जाएगा।
पहली रिपोर्ट (2020-21) के मुख्य सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- राज्यों को टैक्स का हस्तांतरण: केंद्र के टैक्स में राज्यों के हिस्से को 2015-20 की अवधि के मुकाबले 2020-21 में कम करने का सुझाव दिया गया है। पहले यह हिस्सा 42% था, और अब 41% है। नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख को केंद्र सरकार द्वारा धनराशि देने के लिए 1% की गिरावट की गई है। केंद्रीय करों के डिवाइजिबल पूल से प्रत्येक राज्य का हिस्सा अनुलग्नक की तालिका 3 में दिया गया है।
हस्तांतरण के मानदंड
तालिका 1 में स्पष्ट किया गया है कि केंद्रीय करों में प्रत्येक राज्य की हिस्सेदारी तय करने के मानदंड क्या हैं और प्रत्येक मानदंड को कितना वेटेज दिया गया है। हम कुछ संकेतकों को नीचे स्पष्ट कर रहे हैं।
तालिका 1: हस्तांतरण के मानदंड (2020-21)
मानदंड |
14वां आयोग 2015-20 |
15वां आयोग 2020-21 |
आय अंतर |
50.0 |
45.0 |
जनसंख्या (1971) |
17.5 |
- |
जनसंख्या (2011) |
10.0 |
15.0 |
क्षेत्र |
15.0 |
15.0 |
वन क्षेत्र |
7.5 |
- |
वन और पारिस्थितिकी |
- |
10.0 |
जनसांख्यिकी प्रदर्शन |
- |
12.5 |
टैक्स के प्रयास |
- |
2.5 |
कुल |
100 |
100 |
Sources: Report for the year 2020-21, 15th Finance Commission; PRS.
आय अंतर (इनकम डिस्टेंस):
- राज्य की आय और उस राज्य की उच्चतम आय के बीच के अंतर को आय अंतर (इनकम डिस्टेंस) कहा जाता है। 2015-16 और 2017-18 के बीच की तीन वर्षीय अवधि के दौरान औसत प्रति व्यक्ति जीएसडीपी के आधार पर राज्य की आय की गणना की जाती है। जिन राज्यों की प्रति व्यक्ति आय कम होती है, उन्हें विभिन्न राज्यों के बीच बराबरी कायम करने के लिए अधिक बड़ा हिस्सा दिया जाएगा।
- जनसांख्यिकी प्रदर्शन: आयोग के संदर्भ की शर्तों (टीओआर) में यह अपेक्षित है कि सुझाव देते समय 2011 की जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाए। इस प्रकार आयोग ने अपने सुझावों में केवल 2011 के जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल किया।
- जनसांख्यिकी प्रदर्शन के मानदंड को इसलिए शुरू किया किया गया था ताकि राज्यों को जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों के लिए पुरस्कृत किया जा सके। प्रत्येक राज्य के कुल प्रजनन अनुपात के व्युत्क्रम (रेसिप्रोकेल) का इस्तेमाल करते हुए इसकी गणना की जाएगी और इसका आधार 1971 की जनगणना के आंकड़े होंगे। निम्न प्रजनन अनुपात वाले राज्यों को इस मानदंड पर अधिक स्कोर मिलेगा। एक निर्दिष्ट वर्ष में कुल प्रजनन अनुपात को उन बच्चों की कुल संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो किसी महिला द्वारा अपने प्रजनन काल के दौरान प्रचलित आयु विशिष्ट प्रजनन दर के अनुरूप जन्म दिया जाता है।
- वन और पारिस्थितिकी: किसी राज्य की कुल वन सघनता का सभी राज्यों की कुल सघनता में हिस्सा निर्धारित करके इस मानदंड को निर्धारित किया गया है।
- कर प्रयास: अधिक कर जमा करने वाले राज्यों को पुरस्कृत करने के लिए इस मानदंड का प्रयोग किया गया है। इसकी गणना 2014-15 और 2016-17 के बीच तीन वर्ष के दौरान प्रति व्यक्ति औसत कर राजस्व और प्रति व्यक्ति औसत राज्य जीडीपी के अनुपात के रूप में की गई है।
सहायतानुदान
2020-21 में राज्यों को निम्नलिखित अनुदान दिए जाएंगे: (i) राजस्व घाटा अनुदान, (ii) स्थानीय निकायों को अनुदान, और (iii) आपदा प्रबंधन अनुदान। आयोग ने क्षेत्र विशिष्ट और प्रदर्शन आधारित अनुदानों के लिए फ्रेमवर्क का भी प्रस्ताव रखा है। राज्य विशिष्ट अनुदान अंतिम रिपोर्ट में प्रदान किए जाएंगे।
- राजस्व घाटा अनुदान: हस्तांतरण के बाद अनुमान है कि 2020-21 में 14 राज्यों का कुल राजस्व घाटा लगभग 74,340 करोड़ रुपए रह जाएगा। आयोग ने इन राज्यों के लिए राजस्व घाटा अनुदान का सुझाव दिया है (अनुलग्नक में तालिका 4 देखें)।
- विशेष अनुदान: तीन राज्यों में 2019-20 की तुलना में 2020-21 में हस्तांतरण और राजस्व घाटा अनुदान में गिरावट का अनुमान है। ये राज्य हैं, कर्नाटक, मिजोरम और तेलंगाना। आयोग ने इन राज्यों के लिए कुल 6,764 करोड़ रुपए के विशेष पैकेज का सुझाव दिया है।
क्षेत्र विशेष के लिए अनुदान:
- 2020-21 में आयोग ने पोषण के लिए 7,375 करोड़ रुपए का सुझाव दिया है। अंतिम रिपोर्ट में निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए क्षेत्र विशिष्ट प्रावधान किए जाएंगे: (i) पोषण, (ii) स्वास्थ्य, (iii) पूर्व प्राथमिक शिक्षा, (iv) ज्यूडीशियरी, (v) ग्रामीण कनेक्टिविटी, (vi) रेलवे, (vii) पुलिस प्रशिक्षण, और (viii) आवास।
- प्रदर्शन आधारित अनुदान: प्रदर्शन आधारित अनुदानों के दिशानिर्देशों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) कृषि सुधारों को लागू करना, (ii) महत्वाकांक्षी जिलों और ब्लॉक्स का विकास, (iii) बिजली क्षेत्र के सुधार, (iv) निर्यात सहित व्यापार को बढ़ाना, (v) शिक्षा के लिए इनसेंटिव्स, और (vi) घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का संवर्धन। अनुदान राशि अंतिम रिपोर्ट में प्रदान की जाएगी।
- स्थानीय निकायों को अनुदान: 2020-21 में स्थानीय निकायों के लिए 90,000 करोड़ रुपए तय किए गए हैं जिनमें से 60,750 करोड़ रुपए ग्रामीण स्थानीय निकायों (67.5%) और 29,250 करोड़ रुपए शहरी स्थानीय निकायों (32.5%) के लिए निर्धारित किए गए हैं। यह अनुदान डिवाइजिबल पूल का 4.31% है। यह 2019-20 में स्थानीय निकायों को दिए गए अनुदान से ज्यादा है। तब इस मद में अनुदान राशि डिवाइजिबल पूल का 3.54% थी (87,352 करोड़ रुपए)। अनुदान जनसंख्या और क्षेत्र के आधार पर राज्यों के बीच 90:10 के अनुपात में विभाजित होंगे। ये अनुदान पंचायत के तीनों स्तरों गांव, ब्लॉक और जिला स्तर पर उपलब्ध होंगे।
- आपदा जोखिम प्रबंधन: स्थानीय स्तर पर राहत कार्यों को बेहतर बनाने के लिए आयोग ने राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन कोष (एनडीएमएफ और एसडीएमएफ) के गठन का सुझाव दिया है। आयोग ने एसडीएमएफ (नए) और एसडीआरएफ (मौजूदा) को वित्त पोषित करने के केंद्र और राज्यों की लागत शेयरिंग पैटर्न की वर्तमान व्यवस्था को जारी रखने की बात कही है। केंद्र और सभी राज्यों के बीच यह अनुपात (i) सभी राज्यों के लिए 75:25 और (ii) पूर्वोत्तर एवं हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 है।
2020-21 के लिए राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन कोषों को 28,983 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं जिसमें केंद्र का हिस्सा 22,184 करोड़ रुपए है। राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन कोष को 12,390 करोड़ रुपए आबंटित किए गए हैं।
तालिका 2: आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए अनुदान (करोड़ रुपए में)
फंडिंग विंडोज़ |
राष्ट्रीय कॉरपस |
राज्य का कॉरपस |
मिटिगेशन (शमन) (20%) |
2,478 |
5,797 |
प्रतिक्रिया (80%) |
9,912 |
23,186 |
(i) प्रतिक्रिया और राहत (40%) |
4,956 |
11,593 |
(ii) रिकवरी और पुनर्निर्माण (30%) |
3,717 |
8,695 |
(iii) क्षमता निर्माण (10%) |
1,239 |
2,998 |
कुल |
12,390 |
28,983 |
Sources: Report for the year 2020-21, 15th Finance Commission; PRS.
राजकोषीय रोडमैप के लिए सुझाव
राजकोषीय घाटा और ऋण के स्तर:
- आयोग ने कहा कि अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के कारण विश्वसनीय राजकोषीय और ऋण ट्राजेक्टरी रोडमैप समस्यात्मक है। उसने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य सरकारों को ऋण समेकन पर ध्यान देना चाहिए और राजकोषीय घाटे एवं ऋण स्तर का उनके संबंधित राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) एक्ट्स के अनुसार पालन करना चाहिए।
- अतिरिक्त बजटीय उधारियां: आयोग ने कहा कि अतिरिक्त बजटीय उधारियों के जरिए पूंजीगत व्यय को वित्तपोषित करने से एफआरबीएम एक्ट के अनुपालन में बाधा आती है। उसने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य सरकारों को अतिरिक्त बजटीय उधारियों का पूरा खुलासा करना चाहिए। बकाया बजटीय देनदारियों को समय सीमा में स्पष्ट रूप से पहचाना और समाप्त किया जाना चाहिए।
- सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के लिए वैधानिक फ्रेमवर्क: आयोग ने कानूनी मसौदा बनाने हेतु एक एक्सपर्ट ग्रुप गठित करने का सुझाव दिया ताकि अच्छी सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली हेतु वैधानिक फ्रेमवर्क प्रदान किया जा सके। यह कहा गया कि एक व्यापक कानूनी राजकोषीय फ्रेमवर्क की जरूरत है जो सरकार के सभी स्तरों पर बजट, एकाउंटिंग और ऑडिट स्टैंडर्ड्स का पालन करेगा।
- कर क्षमता: 2018-19 में राज्य सरकारों और केंद्र सरकार का कर राजस्व कुल मिलाकर जीडीपी का लगभग 17.5% था। आयोग ने कहा कि कर राजस्व देश की अनुमानित कर क्षमता से काफी कम था। इसके अतिरिक्त 90 के दशक की शुरुआत से भारत की कर क्षमता में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इसके विपरीत दूसरे उभरते हुए बाजारों में कर राजस्व बढ़ा है। आयोग ने निम्नलिखित सुझाव दिए: (i) कर आधार को बढ़ाया जाए, (ii) कर दरों को सुव्यवस्थित किया जाए, और (iii) सरकार के सभी स्तरों पर कर प्रशासन की क्षमता और विशेषज्ञता को बढ़ाया जाए।
- जीएसटी को लागू करना: आयोग ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने से जुड़ी कुछ चुनौतियों का उल्लेख किया। ये निम्नलिखित शामिल हैं: (i) मूल पूर्वानुमान की तुलना में कलेक्शन में बड़ी कमी, (ii) कलेक्शन में अत्यधिक अस्थिरता, (iii) बड़े एकीकृत जीएसटी ऋण का संचय, (iv) इनवॉयस और इनपुट टैक्स मिलान में गड़बड़, और (v) रीफंड में देरी। आयोग ने कहा कि राजस्व में कमी को दूर करने के लिए मुआवजे हेतु राज्यों का केंद्र सरकार पर निरंतर निर्भर रहना चिंता का विषय है (2018-19 में 29 में से 21 राज्य)। उसने सुझाव दिया है कि कम उपभोग वाले राज्यों के लिए जीएसटी के ढांचागत प्रभाव पर विचार किए जाने की जरूरत है।
अन्य सुझाव
- सुरक्षा संबंधी व्यय का वित्त पोषण: आयोग के टीओआर में यह कहा गया है कि रक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा के लिए क्या एक अलग वित्त पोषण प्रणाली बनाई जानी चाहिए, और अगर ऐसा हो तो वह किस तरह काम करेगी। इस संबंध में आयोग रक्षा, गृह मामलों और वित्त मंत्रालयों के प्रतिनिधियों वाला एक एक्सपर्ट ग्रुप बनाने का इरादा रखता है। आयोग ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं: (i) एक नॉन-लैप्सेबल फंड बनाना, (ii) सेस की वसूली, (iii) अतिरिक्त जमीन और दूसरे एसेट्स का मुद्रीकरण, (iv) टैक्स-फ्री रक्षा बॉन्ड, और (v) सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों के विनिवेश की प्राप्तियों का उपयोग। एक्सपर्ट ग्रुप इन प्रस्तावों या वैकल्पिक वित्त पोषण प्रणालियों की जांच करेगा।
अनुलग्नक
तालिका 3: केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी
राज्य |
14वां वित्त आयोग |
15वां वित्त आयोग |
2020-21 के लिए हस्तांतरण |
||
42% में हिस्सा |
डिवाइजिबल पूल में हिस्सा |
41% में हिस्सा |
डिवाइजिबल पूल में हिस्सा |
(करोड़ रुपए में) |
|
आंध्र प्रदेश |
1.81 |
4.31 |
1.69 |
4.11 |
35,156 |
अरुणाचल प्रदेश |
0.58 |
1.38 |
0.72 |
1.76 |
15,051 |
असम |
1.39 |
3.31 |
1.28 |
3.13 |
26,776 |
बिहार |
4.06 |
9.67 |
4.13 |
10.06 |
86,039 |
छत्तीसगढ़ |
1.29 |
3.07 |
1.4 |
3.42 |
29,230 |
गोवा |
0.16 |
0.38 |
0.16 |
0.39 |
3,301 |
गुजरात |
1.3 |
3.1 |
1.39 |
3.4 |
29,059 |
हरियाणा |
0.46 |
1.1 |
0.44 |
1.08 |
9,253 |
हिमाचल प्रदेश |
0.3 |
0.71 |
0.33 |
0.8 |
6,833 |
जम्मू एवं कश्मीर |
0.78 |
1.86 |
- |
- |
- |
झारखंड |
1.32 |
3.14 |
1.36 |
3.31 |
28,332 |
कर्नाटक |
1.98 |
4.71 |
1.49 |
3.65 |
31,180 |
केरल |
1.05 |
2.5 |
0.8 |
1.94 |
16,616 |
मध्य प्रदेश |
3.17 |
7.55 |
3.23 |
7.89 |
67,439 |
महाराष्ट्र |
2.32 |
5.52 |
2.52 |
6.14 |
52,465 |
मणिपुर |
0.26 |
0.62 |
0.29 |
0.72 |
6,140 |
मेघालय |
0.27 |
0.64 |
0.31 |
0.77 |
6,542 |
मिजोरम |
0.19 |
0.45 |
0.21 |
0.51 |
4,327 |
नागालैंड |
0.21 |
0.5 |
0.23 |
0.57 |
4,900 |
ओड़िशा |
1.95 |
4.64 |
1.9 |
4.63 |
39,586 |
पंजाब |
0.66 |
1.57 |
0.73 |
1.79 |
15,291 |
राजस्थान |
2.31 |
5.5 |
2.45 |
5.98 |
51,131 |
सिक्किम |
0.15 |
0.36 |
0.16 |
0.39 |
3,318 |
तमिलनाडु |
1.69 |
4.02 |
1.72 |
4.19 |
35,823 |
तेलंगाना |
1.02 |
2.43 |
0.87 |
2.13 |
18,241 |
त्रिपुरा |
0.27 |
0.64 |
0.29 |
0.71 |
6,063 |
उत्तर प्रदेश |
7.54 |
17.95 |
7.35 |
17.93 |
1,53,342 |
उत्तराखंड |
0.44 |
1.05 |
0.45 |
1.1 |
9,441 |
पश्चिम बंगाल |
3.08 |
7.33 |
3.08 |
7.52 |
64,301 |
कुल |
42 |
100 |
41 |
100 |
8,55,176 |
Sources: Reports of 14th and 15th Finance Commission; PRS.
तालिका 4: वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए कुछ सहायतानुदान (करोड़ रुपए में)
राज्य |
राजस्व घाटा अनुदान |
ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान |
ग्रामीण स्थानीय निकायों के अनुदानों में राज्यों का हिस्सा |
शहरी स्थानीय निकायों को अनुदान |
शहरी स्थानीय निकायों के अनुदानों में राज्यों का हिस्सा |
आंध्र प्रदेश |
5,897 |
2,625 |
4.32 |
1264 |
4.32 |
अरुणाचल प्रदेश |
- |
231 |
0.38 |
111 |
0.38 |
असम |
7,579 |
1,604 |
2.64 |
772 |
2.64 |
बिहार |
- |
5,018 |
8.26 |
2,416 |
8.26 |
छत्तीसगढ़ |
- |
1,454 |
2.39 |
700 |
2.39 |
गोवा |
- |
75 |
0.12 |
36 |
0.12 |
गुजरात |
- |
3,195 |
5.26 |
1538 |
5.26 |
हरियाणा |
- |
1,264 |
2.08 |
609 |
2.08 |
हिमाचल प्रदेश |
11,431 |
429 |
0.71 |
207 |
0.71 |
झारखंड |
- |
1,689 |
2.78 |
813 |
2.78 |
कर्नाटक |
- |
3,217 |
5.29 |
1549 |
5.29 |
केरल |
15,323 |
1,628 |
2.68 |
784 |
2.68 |
मध्य प्रदेश |
- |
3,984 |
6.56 |
1,918 |
6.56 |
महाराष्ट्र |
- |
5,827 |
9.59 |
2,806 |
9.59 |
मणिपुर |
2,824 |
177 |
0.29 |
85 |
0.29 |
मेघालय |
491 |
182 |
0.3 |
88 |
0.3 |
मिजोरम |
1,422 |
93 |
0.15 |
45 |
0.15 |
नागालैंड |
3,917 |
125 |
0.21 |
60 |
0.21 |
ओड़िशा |
- |
2,258 |
3.72 |
1087 |
3.72 |
पंजाब |
7,659 |
1,388 |
2.29 |
668 |
2.29 |
राजस्थान |
- |
3,862 |
6.36 |
1,859 |
6.36 |
सिक्किम |
448 |
42 |
0.07 |
20 |
0.07 |
तमिलनाडु |
4,025 |
3,607 |
5.94 |
1737 |
5.94 |
तेलंगाना |
- |
1,847 |
3.04 |
889 |
3.04 |
त्रिपुरा |
3,236 |
191 |
0.31 |
92 |
0.31 |
उत्तर प्रदेश |
- |
9,752 |
16.05 |
4,695 |
16.05 |
उत्तराखंड |
5,076 |
574 |
0.95 |
278 |
0.95 |
पश्चिम बंगाल |
5,013 |
4,412 |
7.26 |
2,124 |
7.26 |
कुल |
74,341 |
60,750 |
100 |
29,250 |
100 |
Sources: Report for the year 2020-21, 15th Finance Commission; PRS.
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।