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आईएलएंडएफएस के पीएफ फंड्स, पेंशन फंड्स के मद्देनजर ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स तथा बॉन्ड्स के दिशानिर्देश, निरीक्षण, रेटिंग और रेगुलेटरी प्रणाली तथा उनमें निवेश की स्थिति

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  • श्रम संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: किरीट सोमैय्या) ने 13 फरवरी, 2019 को ‘बॉन्ड्स और अन्य इंस्ट्रूमेंट्स के दिशानिर्देश, निरीक्षण, रेटिंग और रेगुलेटरी प्रणाली तथा उनमें निवेश की स्थिति [(इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनांशियल सर्विसेज़ (आईएलएंडएफएस) के पीएफ फंड्स, पेंशन फंड्स के उदाहरण]’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी के मुख्य निष्कर्ष और सुझाव निम्नलिखित हैं:
     
  • कमिटी ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का मुख्य सिद्धांत नियमित बचत की भावना को पोषित करना है। कमिटी के अनुसार, समाज के कमजोर तबकों के लिए सामाजिक सुरक्षा ईपीएफ का निहित सिद्धांत है। चूंकि उसका मुख्य उद्देश्य निवेश पर रिटर्न से ज्यादा सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, इसलिए कमिटी ने कहा कि इसकी राशि को जोखिमपरक निवेशों में नहीं लगाया जाना चाहिए। कमिटी ने कहा कि ईपीएफ का कस्टोडियन ईपीएफ संगठन (ईपीएफओ) है और उससे यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि इस फंड में जमा राशि का व्यवहार्य निवेश किया जाए ताकि इस फंड की सुरक्षा और निवेश पर रिटर्न के बीच संतुलन बना रहे।
     
  • निरीक्षण तंत्र: कमिटी ने यह सुनिश्चित करने की जरूरत पर बल दिया कि ईपीएफ में कर्मचारियों के योगदान को बुरे निवेशों से सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए कमिटी ने सुझाव दिया कि ईपीएफ का निरीक्षण तंत्र मजबूत हो, इसके लिए उनके प्रोफाइल मैनेजरों पर नियंत्रण रखा जाए और निवेशों का पक्षपात रहित बाहरी ऑडिट करवाया जाए। कमिटी ने यह भी कहा कि ईपीएफ योजना के अनुसार निवेश में नुकसान होने की स्थिति में उसकी भरपाई रिजर्व से की जाएगी। लेकिन कमिटी का यह कहना था कि अगर निवेश और उसकी समीक्षा के लिए मजबूत निरीक्षण तंत्र काम करेगा तो रिजर्व का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कमिटी ने इच्छा जाहिर की कि इस संबंध में मंत्रालय की पहल के विषय में उसे अवगत कराया जाए।
     
  • क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां: कमिटी ने कहा कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा अधिसूचित तरीके से ईपीएफओ निवेश करता है। मौजूदा पैटर्न के अनुसार वह सिर्फ ‘एए’ श्रेणी के पीएसयू बॉन्ड्स और ‘एएप्लस’ के निजी क्षेत्र के बॉन्ड्स में निवेश कर सकता है।इन बॉन्ड्स को क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरएज़) द्वारा रेट किया जाता है। सीआरएज़ को सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) द्वारा पंजीकृत और रेगुलेट किया जाता है। इसके अतिरिक्त आरबीआई बैंक लोन्स की रेटिंग के लिए सीआरएज़ को ‘एक्सटर्नल क्रेडिट एसेसमेंट इंस्टीट्यूशंस’ के तौर पर मान्यता देता है।
     
  • कमिटी ने वित्तीय संस्थानों को क्रेडिट रेटिंग देने के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरएज़) द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया की समीक्षा की। कमिटी का यह विचार था कि सीआरएज़ अपना काम उचित और पारदर्शी तरीके से नहीं कर रहीं। कमिटी ने कहा कि इसका कारण यह है कि वित्त मंत्रालय, सेबी और आरबीआई का निरीक्षण तंत्र कमजोर है। कमिटी ने मजबूत निरीक्षण तंत्र और रेटिंग तंत्र तथा क्रेडिट रेटिंग का स्तर गिरने की स्थिति में पूर्व चेतावनी दिए जाने की जरूरत पर बल दिया। उसने यह भी कहा कि श्रम और रोजगार मंत्रालय कमिटी की आशंकाओं को वित्त मंत्रालय एवं संबंधित एजेंसियों से साझा करे ताकि यह सुनिश्चित हो कि सीआरएज़ की क्रेडिट रेटिंग पारदर्शी हो। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि कर्मचारी की भविष्य निधि सुरक्षित है और उसके निवेश पर अच्छा रिटर्न मिल रहा है।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

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