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पीडीएफ

भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में सुरक्षा की स्थिति

स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

  •  गृह मामलों से संबंधित स्टैंडिंग कमिटी (चेयर: पी. चिदंरबरम) ने 19 जुलाई, 2018 को ‘भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में सुरक्षा की स्थिति’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। कमिटी ने गौर किया कि उत्तर पूर्व में विद्रोही हिंसा की घटनाओं में कमी आई है और कुल मिलाकर सुरक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है। कमिटी के निष्कर्षों और सुझावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
     
  • अरुणाचल प्रदेश: कमिटी ने गौर किया कि दूसरे राज्यों के विपरीत अरुणाचल प्रदेश में विद्रोही हिंसा की घटनाओं और नागरिकों के हताहत होने की संख्या बढ़ी है। 2012 में ऐसी घटनाओं की संख्या 5% थी, वहीं 2017 में यह संख्या बढ़कर 20% हो गई। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को अपने प्रयास तेज करने चाहिए ताकि अरुणाचल प्रदेश में दूसरे राज्यों से हिंसक गतिविधियां न फैलें। इसके अतिरिक्त यह सुझाव दिया गया कि गृह मामलों के मंत्रालय (मंत्रालय) को असम और अरुणाचल प्रदेश के पुलिस बलों के बीच समन्वय और परस्पर संवाद को मजबूत करना चाहिए जिससे अरुणाचल प्रदेश के सीमा क्षेत्रों में हिंसक घटनाओं को कम किया जा सके।
     
  • असम: कमिटी ने कहा कि असम में देश के बाकी सभी राज्यों की तुलना में हिंसक अपराधों की दर सर्वाधिक है। इसका कारण आत्मसमर्पण करने वाले विद्रोहियों का खराब तरीके से किया गया पुनर्वास और बंदोबस्त हो सकता है। सुझाव दिया गया कि केंद्र सरकार को राज्यों के सहयोग से उनकी गतिविधियों की ध्यानपूर्वक निगरानी करनी चाहिए।
     
  • सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) एक्ट (आफ्सपा) को लागू करना: कमिटी ने कहा कि एक ओर मंत्रालय कह रहा है कि असम में सुरक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है। पर दूसरी ओर आफ्सपा के अंतर्गत अशांत घोषित क्षेत्र को बढ़ाया गया है। कमिटी ने यह भी कहा कि असम सरकार ने पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र अधिसूचित किया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए और असम में आफ्सपा की जरूरत पर विचार करना चाहिए।
     
  • कमिटी ने यह भी कहा कि 2016 में असम से अगवा किए गए लोग अब भी लापता हैं। उसने कहा कि इनमें से 81% से अधिक महिलाएं हैं और इन अपहरणों एवं मानव तस्करी के बीच संबंध हो सकता है। इस सिलसिले में कमिटी ने सुझाव दिया कि महिलाओं के अपहरण की उच्च दर के कारणों का पता लगाने के लिए अंतरराज्यीय जांच की जानी चाहिए।
     
  • कमिटी ने यह भी कहा कि असम के विद्रोही गुटों से बातचीत के लिए नियुक्त किए वार्ताकार को कश्मीर में तैनात कर दिया गया है। कमिटी ने आशंका जताई कि इससे विद्रोही गुट बेचैन होकर अवैध गतिविधियों में संलग्न हो सकते हैं। कमिटी ने असम के लिए एक वार्ताकार नियुक्त करने का सुझाव दिया।
     
  • मणिपुर: कमिटी ने गौर किया कि पूरे उत्तर पूर्वी क्षेत्र के हिसाब से देखा जाए तो 2017 में मणिपुर में 54% हिंसक वारदातें हुईं। इसके अतिरिक्त पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष नागरिकों के हताहत होने की संख्या दुगुने से अधिक थी। कमिटी ने सुझाव दिया कि एक समझौते पर पहुंचने के लिए सरकार को विद्रोही गुटों के साथ अपनी बातचीत को गति देनी होगी।
     
  • नागालैंड: कमिटी ने कहा कि नागा शांति वार्ता पूरी न होने के कारण नागा होहो जाति में असंतोष बढ़ा है। उसने सुझाव दिया कि सरकार को जल्द से जल्द शांति वार्ता पूरी करनी चाहिए। साथ ही मंत्रालय को उन विद्रोही गुटों के लिए पुनर्वास और पुनर्स्थापन की एक उदार योजना तैयार करनी चाहिए जो इस समझौते के बाद आत्मसमर्पण करते हैं। इससे नए विद्रोही गुटों के पनपने की आशंका खत्म होगी।
     
  • मिजोरम: कमिटी ने सुझाव दिया कि मिजोरम में ब्रू समुदाय (एक आदिवासी समुदाय) की दोबारा वापसी की जानी चाहिए और उनके शांतिपूर्ण पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय सहायता और पुनर्वास पैकेज दिए जाने चाहिए। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि मंत्रालय को राहत शिविरों और उन क्षेत्रों में सुरक्षा बंदोबस्त करने चाहिए जिनमें ब्रू लोगों का पुनर्वास किया गया है। इससे विरोध की आशंका समाप्त होगी।
     
  • पुलिस बलों का आधुनिकीकरण: कमिटी ने कहा कि पुलिस बलों की आधुनिकीकरण योजना के अंतर्गत उत्तर पूर्वी राज्यों को 2013-14 में 180 करोड़ रुपए की धनराशि प्रदान की गई थी, लेकिन 2016-17 में इस कम करके 46 करोड़ रुपए कर दिया गया। यह सुझाव दिया गया कि पुलिस बलों के पर्याप्त आधुनिकीकरण के लिए मंत्रालय को मौजूदा वित्तीय वर्ष में उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए अधिक धनराशि का आबंटन करना चाहिए।

 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) की स्वीकृति के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है। 

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